मृत्यु के बाद भी भरण-पोषण का उत्तरदायित्व

माता-पिता के भरण-पोषण का कर्तव्य किसी व्यक्ति के लिये, स्वयम् के मृत्यु के बाद भी रहती है। एक आवेदन पर न्यायालय यह आदेश दे सकता है कि किसी व्यक्ति के धन और संपत्ति का एक हिस्सा वृद्ध और निर्बल माता-पिता को दे दिया जाए। ऐसे मामलों में भरण-पोषण की राशि, उस मृत व्यक्ति पर लागू होने वाले उत्तराधिकार के नियमों के अनुसार आंकी जाएगी। आपको जो राशि देय होगी वह न्यायालय कई कारकों पर विचारने के बाद तय करेगी जैसे:

  • कर्ज चुकाने के बाद, मृत सहायक की सभी संपत्तियों का पूरा मूल्य, जिसमें उसकी संपत्ति से मिलने वाली आय सम्मिलित हो,
  • उसकी वसीयत (यदि कोई हो) के प्रावधान
  • आपके रिश्ते की निकटता और प्रकृति
  • आपकी जरुरतें और आवश्कताएं (यथोचित गणना), या
  • उस पर, भरण-पोषण के लिए आश्रित लोगों की संख्या।

गोद लेना किसे कहते हैं?

‘गोद लेना’ वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से गोद लेने वाले भावी माता-पिता कानूनी रूप से बच्चे की जिम्मेदारी लेते हैं, जिसमें बच्चे को पहले से ही दिए गए सभी अधिकार, विशेषाधिकार और जिम्मेदारियां शामिल हैं। गोद लेने की कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद, बच्चे को उनके असली माता-पिता से स्थायी रूप से अलग कर दिया जाता है और उन्हें गोद लेने वाले माता-पिता का बच्चा माना जाता है।

भारत में, गोद लेने के कानून माता-पिता और बच्चे के धर्म पर आधारित हैं। आप नीचे दिए गए विकल्पों में से चुन सकते हैं कि कौन सा कानून आप पर लागू होता है।

अगर आप हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख हैं

अगर आप एक हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं (सामूहिक रूप से हिंदू के रूप में संदर्भित) तो आपके पास हिंदू दत्तक कानून के तहत गोद लेने का विकल्प है, जिसे हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम,1956/हिन्दू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट,1956 (HAMA) कहा जाता है। इसमें हिंदू बच्चों को गोद लेने का प्रावधान है। यदि आप मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी या अनुसूचित जनजाति से हैं तो आप इस कानून के तहत गोद नहीं ले सकते।

अन्य सभी धर्मों के लिए

अगर आप किसी धार्मिक कानून के तहत गोद नहीं लेना चाहते हैं या फिर आप उस कानून के तहत गोद नहीं ले सकते, तो आपके पास किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (JJ Act) के तहत गोद लेने का विकल्प है, जो एक सामान्य दत्तक कानून है जिसके तहत किसी भी धर्म के कोई भी व्यक्ति हिंदू, अनुसूचित जनजाति आदि सहित किसी भी धर्म के बच्चों को गोद ले सकते हैं। इस कानून के तहत गोद लेने की प्रक्रिया कैसे काम करती है, इसे समझने के लिए और पढ़ें। अगर आप समझना चाहते हैं कि आपको किस कानून के तहत गोद लेना चाहिए तो नीचे दी गई तालिका देखें:

हिन्दू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, 1956 (HAMA)

(हिंदू कानून)

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015

(गैर-धार्मिक कानून)

गोद लेने वाले माता-पिता केवल हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हो सकते हैं। अगर आप मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी हैं या अनुसूचित जनजाति से हैं तो आप इस कानून के तहत गोद नहीं ले सकते। गोद लेने वाले माता-पिता किसी भी धर्म, जाति या जनजाति के हो सकते हैं।
केवल हिंदू बच्चों को ही गोद लिया जा सकता है।  किसी भी धर्म के बच्चे को गोद लिया जा सकता है।
15 साल तक के बच्चों को गोद लिया जा सकता है। 18 साल तक के बच्चों को गोद लिया जा सकता है।
गोद लेने की प्रक्रिया को विस्तार से नहीं दिया गया है, आमतौर पर बच्चे को गोद लेने के लिए एक पत्र पर हस्ताक्षर किया जाता है। विभिन्न श्रेणियों के लिए गोद लेने की प्रक्रिया अलग-अलग है, और यह इस पर निर्भर करता है कि आप कौन हैं:

भारतीय निवासी द्वारा गोद लेना (भारत में रहने वाले लोग)।

भारतीय नागरिकों द्वारा किसी दूसरे देश के बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया (गैर-धार्मिक कानून)

भारत के प्रवासी नागरिक (ओ.सी.आई) या भारत में रहने वाला एक विदेशी नागरिक द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया (गैर-धार्मिक कानून)

ओ.सी.आई या अनिवासी भारतीय (एन.आर.आई) या किसी दूसरे देश में रहने वाले विदेशी नागरिक (गैर-धार्मिक कानून) द्वारा गोद लेना

सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया (गैर-धार्मिक कानून)

• रिश्तेदारों द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया (गैर-धार्मिक कानून)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

संतान द्वारा माता-पिता की देखभाल

भारतीय कानून के अनुसार, परिस्थितियों के आधार पर, सभी व्यक्तियों को अपने माता-पिता के भरण-पोषण और आश्रय की जिम्मेदारी लेना आवश्यक है, चाहे वो उनके जैविक माता-पिता हों, सौतेले हों, या दत्तक हों। ‘माता पिता और वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण एवं देखभाल’ अधिनियम, 2007 एक विशेष कानून है जिसके तहत एक वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष से ऊपर) अपने वयस्क संतानों या कानूनी उत्तराधिकारी से भरण-पोषण के लिए न्यायधिकरण (ट्रिब्यूनल) में आवेदन कर सकते हैं। इन दोनों कानूनों के तहत आप भरण-पोषण के लिए आवेदन कर सकते हैं, यदि आप खुद अपनी देखभाल करने में असमर्थ हैं।

किसे गोद लिया जा सकता है?

गैर-धार्मिक कानून के तहत गोद लेना।

गोद लेने के लिए गैर-धार्मिक कानून के तहत, निम्नलिखित बच्चों को गोद लिया जा सकता है:

  • अगर इन बच्चों को बाल कल्याण समिति द्वारा गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया जाता है:
    • कोई भी अनाथ बच्चा जो असली माता-पिता, दत्तक माता-पिता या कानूनी अभिभावक के बगैर हो।
    • परित्यक्त बच्चा जिसे अपने असली माता-पिता द्वारा त्याग दिया गया हो।
    • ऐसा बच्चा जिसे उसके माता-पिता ने गोद लेने वाले अधिकारियों को सौंप दिया हो।
  • रिश्तेदार का बच्चा।
  • पति या पत्नी का बच्चा जिसे असली माता-पिता द्वारा सौंप दिया जाए, और सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लिया जाए।

हिंदू कानून के तहत गोद लेना।

हिंदू कानून के तहत गोद लेने के लिए, बच्चों को तभी गोद लिया जा सकता है, जब वे रीति-रिवाजों और उपयोग के आधार पर कुछ अपवादों के साथ निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करते हों:

  • वे शादीशुदा न हों।
  • उनकी उम्र 15 साल से कम हो।
  • वे हिंदू हों।
  • वे पहले से ही गोद नहीं लिए गए हों।

वरिष्ठ नागरिकों को परित्याग करने और उपेक्षा करने की सजा

यदि आप किसी वरिष्ठ नागरिक को किसी स्थान पर छोड़ देते हैं परित्याग करने के विचार से, और उनकी देखभाल नहीं करते हैं तो आपको इसके लिये तीन महीने तक का जेल और/या तो 5000 रुपये तक जुर्माने की सजा दी जा सकती है। पुलिस, किसी न्यायालय की अनुमति के बिना, गिरफ्तारी कर सकती है। फिर भी यह जमानती अपराध है। और यदि आप जमानती बॉण्ड अदा करते है तो आपको रिहा कर दिया जाएगा।

 

कौन गोद ले सकता है?

गैर-धार्मिक कानून के तहत गोद लेना।

गैर-धार्मिक कानून के तहत गोद लेने के लिए, आपको एक भावी माता-पिता के रूप में माने जाने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होगा:

स्वास्थ्य

• आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए यानी आपको कोई जानलेवा बीमारी न हो।

• आपको आर्थिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होना चाहिए, और बच्चे को गोद लेने के बाद उसको अच्छी परवरिश देने के लिए अत्यधिक प्रेरित होना चाहिए।

वैवाहिक स्थिति

• एकल दत्तक माता/पिता: इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप शादीशुदा हैं या आपके पहले से ही बच्चे हैं यानी एक अकेला/तलाकशुदा/विवाहित व्यक्ति भी बच्चे को गोद ले सकता है। अगर आप एक लड़की को गोद लेना चाहते हैं, तो आपको एक महिला होना चाहिए, क्योंकि एक अकेली महिला लड़का और लड़की दोनों बच्चों को गोद ले सकती है। जबकि, एक अकेला पिता के रूप में, आप एक लड़की को गोद नहीं ले सकते।

• विवाहित दत्तक माता-पिता: विवाहित जोड़े के मामलों में, पति-पत्नी दोनों को गोद लेने के लिए सहमति देनी होगी। एक विवाहित जोड़े के मामलों में, उनके पास कम से कम दो साल तक का मजबूत वैवाहिक संबंध होना चाहिए।

मौजूदा बच्चे

विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के मामलें, ऐसे बच्चे जिन्हें रखना मुश्किल हो (जिन्हें लंबे समय से कोई रेफरल नहीं मिल रहा है), और सौतेले माता-पिता एवं रिश्तेदार द्वारा गोद लेने के मामलों को छोड़कर, तीन या उससे अधिक बच्चों वाले दंपत्तियों को गोद लेने के लिए वैध नहीं माना जाएगा।

उम्र

बच्चे और गोद लेने वाले भावी माता-पिता में से किसी एक के बीच न्यूनतम आयु का अंतर कम से कम 25 वर्ष होना चाहिए।

• सौतेले माता-पिता और रिश्तेदारों द्वारा गोद लेने के मामलों को छोड़कर, विभिन्न आयु समूहों के बच्चों को गोद लेने के लिए आवेदन करना और उनकी पात्रता तय करने के लिए गोद लेने वाले भावी माता-पिता की संयुक्त आयु की गणना की जाएगी। यह समझने के लिए नीचे दी गई तालिका देखें कि क्या आप विभिन्न आयु समूहों के बच्चे को गोद लेने के योग्य हैं या नहीं।

 

बच्चे की उम्र गोद लेने वाले माता-पिता (युगल) की अधिकतम संयुक्त आयु गोद लेने वाले एकल माता/पिता की अधिकतम उम्र
4 साल तक 90 साल 45 साल
4 साल से लेकर 8 साल तक 100 साल 50 साल
8 साल से लेकर 18 साल तक 110 साल 55 साल

 

हिंदू कानून के तहत गोद लेना

हिंदू कानून के तहत गोद लेने पर, आपको भावी दत्तक माता-पिता के रूप में माने जाने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होगा।

एक हिंदू पुरुष या हिंदू महिला के रूप में, आप एक हिंदू बच्चा या बच्ची को गोद ले सकते हैं। एक हिन्दू पुरुष जो एक बच्ची को गोद लेता है, वह उससे कम से कम 21 साल बड़ा होना चाहिए। इसी तरह, एक हिंदू महिला जो एक बच्चा को गोद लेती है, वह उससे कम से कम 21 साल बड़ी होनी चाहिए, HAMA के तहत गोद लेने के लिए, आपको निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना चाहिए:

उम्र

• आपको एक प्रमुख व्यक्ति (18 वर्ष की आयु से ऊपर) और स्वस्थ दिमाग का होना चाहिए।

वैवाहिक स्थिति

• विवाहित दत्तक माता-पिता: अगर आप विवाहित हैं, तो आपको अपनी जीवित पत्नी/पत्नियों, या पति की सहमति होनी चाहिए, जब तक कि आपका जीवनसाथी कमजोर दिमाग का न हो, या फिर इस दुनिया में न हो, या अब वो हिंदू न हो। सिर्फ एक ही पत्नी होने पर, उसे एक दत्तक माँ के रूप में माना जाएगा, और कई पत्नियां होने के मामले में, सबसे बड़ी पत्नी को दत्तक माँ के रूप में माना जाएगा, जबकि अन्य सभी पत्नियां उस बच्चे की सौतेली माँ होंगी।

• एकल दत्तक माता/पिता: अगर आप अविवाहित या विधवा हैं, तो आप एक बच्चे को गोद ले सकते हैं, और बाद में शादी करने वाले किसी भी पुरुष/महिला को सौतेला पिता/सौतेली माँ माना जाएगा।

मौजूदा बच्चे

• अगर आप एक लड़की को गोद ले रहे हैं, तो आपके पास एक जीवित हिंदू बेटी या पोती (अपनी या सौतेली) नहीं होनी चाहिए, और अगर आप एक लड़के को गोद ले रहे हैं, तो आपके पास एक जीवित हिंदू बेटा, पोता या परपोता (अपना या सौतेला) नहीं होना चाहिए।

 

भरण-पोषण की कुल राशि / निर्वाह व्यय

भरण-पोषण के तौर पर दी जाने वाली कोई मानक राशि नहीं है। यह मामले के आधार पर तय किया जाता है। आपको ‘निर्वाह व्यय’ के लिये मिलने वाली राशि, न्यायालय कई तरह के कारकों में लेते हुए तय करेगी जैसेः

  • समर्थक / सहायक एवं आश्रितों की सामाजिक स्थिति एवं जीवन स्तर।
  • आपकी जरूरतें और आवश्यकताएं (यथोचित गणना)।
  • अगर आप अपने सहायक से अलग रह रहे हैं
  • सहायक की सभी संपत्तियों की आय, धन और मूल्य।
  • आपकी सभी संपत्तियों की आय, धन और मूल्य।
  • ऐसे व्यक्तियों की संख्या जिन्हें भरण-पोषण की रकम (निर्वाह व्यय) मिलनी है।

न्यायाधीश भरण-पोषण भत्ता देने की काल-अवधि तय करेगा, लेकिन ज्यादातर मामलों में आमतौर पर यह काल-अवधि, व्यक्ति की पूरी जिंदगी के लिए होती है।

गोद लेने के लिए बच्चा कौन दे सकता है?

गैर-धार्मिक कानून के तहत गोद लेने पर, आप अपने बच्चे को गोद लेने के लिए नहीं छोड़ सकते हैं, लेकिन माता-पिता या अभिभावक के रूप में आपके पास अपने बच्चे को आत्मसमर्पण/सरेंडर करने का विकल्प है। सौंप देना या हार मान जाने का मतलब है कि आप अपने बच्चे को शारीरिक, भावनात्मक या सामाजिक कारणों से छोड़ देते हैं जो आपके नियंत्रण से बाहर होता है। ऐसा करने से बच्चे के साथ आपका कानूनी संबंध ख़त्म हो जायेगा और एक बार बाल कल्याण समिति (सी.डब्ल्यू.सी) द्वारा बच्चे को स्वीकार किए जाने के बाद, अब आपको उस बच्चे से संबंधित विशेषाधिकारों और जिम्मेदारियों को नहीं उठाना पड़ेगा। उसके बाद, सी.डब्ल्यू.सी यह तय करेगा कि उस बच्चे के साथ क्या करना है, और उसे गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित कर सकता है।

हिंदू कानून के तहत गोद लेने पर, गोद लेने में निम्नलिखित व्यक्ति बच्चे को छोड़ सकते हैं:

• बच्चे की असली माता या पिता तब तक गोद नहीं दे सकता, जब तक कि बच्चे को गोद देने के इच्छुक व्यक्ति के पास अन्य असली माता/पिता की सहमति न हो। उदाहरण के लिए, यदि आप, राम की असली माँ के रूप में उसे गोद लेने के लिए देना चाहते हैं, तो आपके पास राम के असली पिता की सहमति होनी चाहिए। यह बात तब लागू नहीं होती है जब अगर अन्य माता या पिता मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं, या वे अब इस दुनिया में नहीं हैं, या अब वे हिंदू नहीं हैं।

• एक बच्चे की देखभाल करने वाला अभिभावक, कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद कुछ शर्तों के तहत उसे गोद लेने के लिए छोड़ सकता है।

हिंदू कानून के तहत भरण-पोषण का उत्तरदायित्व

जैविक/दत्तक माता-पिता जो हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं और वृद्ध हैं, तो वे ‘हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण’ अधिनियम, 1956 के तहत अपने वयस्क संतानों से भरण-पोषण की मांग सकते हैं, यदि वे अपनी आय या संपत्ति से खुद का देखभाल करने में असमर्थ हैं। उनके बेटे या बेटी, यदि अब इस दुनियाँ में नहीं हैं, फिर भी माता-पिता अपने भरण-पोषण का दावा, अपने मृतक संतान के धन और संपत्तियों से कर सकते हैं।

गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त बच्चे

एक बच्चे को गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित करने पर ऐसे बच्चों को गैर-धार्मिक कानून के तहत गोद लेने के लिए रखा जा सकता है, जिससे उस बच्चे का अपने असली माता-पिता के साथ कानूनी संबंध ख़त्म हो जाता है।

बाल कल्याण समिति (सी.डब्ल्यू.सी) एक बच्चे को गोद लेने के लिए मुक्त घोषित करने का निर्णय लेती है, इसके बाद: यह पूछताछ करती है, जिसमें निम्न बिंदु शामिल हैं:

• परिवीक्षा अधिकारी/सामाजिक कार्यकर्ता से प्राप्त एक रिपोर्ट,

• बच्चे की सहमति (अगर वे काफी बड़े हैं),

• जिला बाल संरक्षण इकाई और बाल देखभाल संस्थान या विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी, आदि द्वारा प्रस्तुत आवश्यक घोषणा-पत्र।

बच्चों को गोद लेने के लिए उनके निम्नलिखित श्रेणियों को कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया जा सकता हैः

अनाथ: बिना माता-पिता (असली या सौतेला) या वैध अभिभावक के बिना बच्चे, या वे बच्चे जिनके वैध अभिभावक उसकी देखभाल करने में सक्षम या इच्छुक नहीं हैं।

परित्यक्त बच्चे: माता-पिता (जैविक या दत्तक) या अभिभावकों द्वारा त्याग दिए गए बच्चे, और जिन्हें बाल कल्याण समिति द्वारा परित्यक्त बच्चा घोषित किया गया हो।

त्याग दिए गए बच्चे: वे बच्चे जिन्हें माता-पिता/अभिभावक द्वारा छोड़ दिया गया हो, और बाल कल्याण समिति द्वारा सरेंडर किए गए बच्चे घोषित किया गया हो।

• मानसिक रूप से कमजोर या मंद बुद्धि वाले माता-पिता का बच्चा।

यौन हमले से पीड़ितों की अनचाही संतान।