‘गोद लेना’ वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से गोद लेने वाले भावी माता-पिता कानूनी रूप से बच्चे की जिम्मेदारी लेते हैं, जिसमें बच्चे को पहले से ही दिए गए सभी अधिकार, विशेषाधिकार और जिम्मेदारियां शामिल हैं। गोद लेने की कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद, बच्चे को उनके असली माता-पिता से स्थायी रूप से अलग कर दिया जाता है और उन्हें गोद लेने वाले माता-पिता का बच्चा माना जाता है।
भारत में, गोद लेने के कानून माता-पिता और बच्चे के धर्म पर आधारित हैं। आप नीचे दिए गए विकल्पों में से चुन सकते हैं कि कौन सा कानून आप पर लागू होता है।
अगर आप हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख हैं
अगर आप एक हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं (सामूहिक रूप से हिंदू के रूप में संदर्भित) तो आपके पास हिंदू दत्तक कानून के तहत गोद लेने का विकल्प है, जिसे हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम,1956/हिन्दू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट,1956 (HAMA) कहा जाता है। इसमें हिंदू बच्चों को गोद लेने का प्रावधान है। यदि आप मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी या अनुसूचित जनजाति से हैं तो आप इस कानून के तहत गोद नहीं ले सकते।
अन्य सभी धर्मों के लिए
अगर आप किसी धार्मिक कानून के तहत गोद नहीं लेना चाहते हैं या फिर आप उस कानून के तहत गोद नहीं ले सकते, तो आपके पास किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (JJ Act) के तहत गोद लेने का विकल्प है, जो एक सामान्य दत्तक कानून है जिसके तहत किसी भी धर्म के कोई भी व्यक्ति हिंदू, अनुसूचित जनजाति आदि सहित किसी भी धर्म के बच्चों को गोद ले सकते हैं। इस कानून के तहत गोद लेने की प्रक्रिया कैसे काम करती है, इसे समझने के लिए और पढ़ें। अगर आप समझना चाहते हैं कि आपको किस कानून के तहत गोद लेना चाहिए तो नीचे दी गई तालिका देखें:
हिन्दू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, 1956 (HAMA)
(हिंदू कानून) |
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015
(गैर-धार्मिक कानून) |
गोद लेने वाले माता-पिता केवल हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हो सकते हैं। अगर आप मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी हैं या अनुसूचित जनजाति से हैं तो आप इस कानून के तहत गोद नहीं ले सकते। | गोद लेने वाले माता-पिता किसी भी धर्म, जाति या जनजाति के हो सकते हैं। |
केवल हिंदू बच्चों को ही गोद लिया जा सकता है। | किसी भी धर्म के बच्चे को गोद लिया जा सकता है। |
15 साल तक के बच्चों को गोद लिया जा सकता है। | 18 साल तक के बच्चों को गोद लिया जा सकता है। |
गोद लेने की प्रक्रिया को विस्तार से नहीं दिया गया है, आमतौर पर बच्चे को गोद लेने के लिए एक पत्र पर हस्ताक्षर किया जाता है। | विभिन्न श्रेणियों के लिए गोद लेने की प्रक्रिया अलग-अलग है, और यह इस पर निर्भर करता है कि आप कौन हैं:
• भारतीय निवासी द्वारा गोद लेना (भारत में रहने वाले लोग)। • भारतीय नागरिकों द्वारा किसी दूसरे देश के बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया (गैर-धार्मिक कानून) • सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया (गैर-धार्मिक कानून) • रिश्तेदारों द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया (गैर-धार्मिक कानून) |