आयकर क्या है?

आयकर क्या है?

‘आयकर’ भारत सरकार द्वारा प्रत्येक व्यक्ति की आय पर लगाया जाने वाला कर है। आयकर को नियंत्रित करने वाले कानूनी प्रावधान आयकर अधिनियम, 1961 में शामिल हैं। आयकर को समझने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना होगा जैसे:

कर भरने वाले व्यक्ति

प्रत्येक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना पड़ता है। आयकर कानून के तहत व्यक्ति, अविभाजित हिन्दू परिवार आदि को शामिल करने के लिए ‘व्यक्ति'(1) शब्द को परिभाषित किया गया है। अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें

कर योग्य आय या इनकम की गणना करना

आय कर विभाग आपकी आय के आधार पर कर लगाता है जैसे कि वेतन आदि से होने वाली आय पर। इसी तरह की स्रोतों से की गई गणना के कुल आय को सकल कुल आय कहा जाता है। इस राशि की कटौती आपके ही वेतन आदि से की जाती है। अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें

कर रहित संस्थाएं और आय

कुछ प्रकार से होने वाली आय और कुछ संस्थाओं को कर में छूट दी गई है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि, ऐसी विशेष आय और संस्थाओं पर आयकर नहीं लगाया जाएगा। इसमें कुछ उदाहरण के तौर पर जैसे कि कृषि से होने वाली आय, उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति से होने वाली आय आदि शामिल हैं। अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें

कर से सम्बंधित कटौतियां

यह कटौती एक व्यय है जिसे किसी व्यक्ति की सकल कुल आय में से घटाया जाता है ताकि उस राशि को कम किया जा सके जिस पर कर लगाया जा रहा है। यह कटौती होने वाली आय की राशि से कम, ज्यादा या उसके बराबर हो सकती है। यदि यह कटौती होने वाली आय की राशि से अधिक है तो परिणामी राशि को कर की गणना करते समय नुकसान के रूप में लिया जाएगा। व्यक्तियों के लिए कुछ कटौतियां में होम लोन के रूप में लिए गए, उच्च शिक्षा के कारण लिए गए लोन से होने वाली आय आदि भी शामिल हैं। अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें।

कर वसूली

सरकार द्वारा निम्न माध्यमों से कर वसूल किए जाते हैं:

भारतीय बैंकों के माध्यम से

करदाता प्राधिकृत बैंकों में स्वयं जाकर स्वेच्छा से इनकम टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, करदाता बैंकों की अधिकृत शाखाओं जैसे आई.सी.आई.सी.आई बैंक, एच.डी.एफ.सी बैंक, सिंडिकेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, आदि में एडवांस टैक्स और सेल्फ-असेसमेंट टैक्स का भुगतान कर सकते हैं।

स्रोत पर कर कटौती [टीडीएस]

जब व्यक्ति की पहली या मूल आय के स्रोत से ही कर लिया जाता है, तो इसे ‘स्रोत पर कर कटौती’ या टी.डी.एस. के रूप में जाना जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि आप किसी कंपनी में एक रखरखाव शुल्क अर्जित करने वाले पेशेवर व्यक्ति हैं, तो जब कंपनी आपको सैलरी देगी तो, उसमें से आपकी कंपनी द्वारा कर के रूप में एक निश्चित राशि की कटौती की जाएगी। कंपनी काटे गए उस पैसे को सरकार के पास जमा कराएगी। जिस व्यक्ति का टी.डी.एस. काटा गया है, उसे 26AS फॉर्म या टी.डी.एस. प्रमाणपत्र मिलेगा। यह फॉर्म या सर्टिफिकेट उस व्यक्ति को उसकी संस्था देगी या कटौती करने वाले व्यक्ति द्वारा दिया जाएगा।

उदाहरण के लिए, XYZ कंपनी अमन को उसका मासिक वेतन देने से पहले कर के रूप में एक राशि काट लेगी और फिर वह कंपनी अमन को टी.डी.एस. प्रमाणपत्र देगी।

टैक्स फाइल करते समय करदाता के पास पैन कार्ड और आधार कार्ड होना अनिवार्य है।

कर लगाने योग्य आय की गणना

आपकी आय के आधार पर आयकर विभाग नीचे दी गई श्रेणियों के अनुसार कर लगाता है। इस तरह से की गणना की गई कुल आय को सकल कुल आय कहा जाता है। इस राशि से ही इसकी कटौती की जाती है।

वेतन से होने वाली आय

वेतन से होने वाली आय पर भारत में कर लगता है। जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

• पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) से देय वेतन। अगर वेतन का भुगतान नहीं किया गया है, तो भी उस पर कर लगाया जाएगा।

• देय होने से पहले ही पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) द्वारा भुगतान किया गया वेतन। उदाहरण के लिए, यदि नियोक्ता किसी प्रोजेक्ट के लिए एडवांस में ही वेतन का भुगतान करता है, तो भी उस पर कर लगाया जाएगा।

• पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) द्वारा भुगतान किया गया कोई बकाया या लंबित वेतन। यह तभी होता है जब इस राशि पर पिछले एक साल में कर नहीं लगाया गया हो।

आपके वेतन में निम्नलिखित ब्रेकअप पर पूरी तरह से कर लगेगा:

मूल वेतन (बेसिक सैलरी) : पूरी तरह से कर योग्य है।
महंगाई भत्ता : पूरी तरह से कर योग्य है।
बोनस, शुल्क या कमीशन: पूरी तरह से कर योग्य है।

पूंजीगत लाभ से आय

एक पूंजीगत संपत्ति होनी चाहिए। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि, करदाता के पास कोई भी संपत्ति हो, तो उसपर कर लगेगा।

• इसे करदाता द्वारा पिछले वर्ष के दौरान स्थानांतरित किया जाना चाहिए।

• स्थानांतरण करने पर लाभ होना चाहिए। करदाता द्वारा कौन-कौन से लेनदेन को “हस्तांतरित” (ट्रांसफर्ड) नहीं माना जाता है।

कुछ लेनदेन पर कर नहीं लगता है, जैसे:

• दिवालिया होने पर/ऋणमुक्ति के समय एक कंपनी में शेयरधारकों को संपत्ति का वितरण होने पर।

• अविभाजित हिन्दू परिवार के बंटवारे होने पर पूंजी संपत्ति का वितरण

गृह संपत्ति से आय

गृह संपत्ति जैसे आपका घर, कार्यालय, दुकान, कोई बिल्डिंग या उससे जुड़ी कुछ जमीन जैसे पार्किंग स्थल हो सकती है। आयकर अधिनियम एक वाणिज्यिक और आवासीय संपत्ति के बीच अंतर नहीं करता है। सभी प्रकार की संपत्तियों पर इनकम रिटर्न टैक्स ‘गृह संपत्ति से आय’ के तहत ही लगाया जाता है, जिसमें आपकी संपत्ति भी शामिल है। अगर निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हैं, तो ‘गृह संपत्ति से आय’ पर कर लगेगा:

• गृह संपत्ति में कोई भी बिल्डिंग या इससे जुड़ी जमीन होने पर।

• करदाता को संपत्ति का मालिक होने पर।

• करदाता द्वारा चलाए जा रहे व्यवसाय या पेशे के उद्देश्य के लिए गृह संपत्ति का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

व्यापार और व्यवसाय से आय

फर्म या व्यवसाय या पेशे में स्वतंत्र रूप से काम करने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा प्राप्त मेहनताना, बोनस या कमीशन पर, ‘वेतन से आय’ के रूप में कर नहीं लगता है, बल्कि यह ‘व्यापार या व्यवसाय से आय’ के रूप में कर के लिए योग्य होगा। कर के रूप में किसी व्यवसाय या पेशे से होने वाले निम्नलिखित आय पर शुल्क लगेगा:

• किसी विशेष व्यक्ति को देय या प्राप्त कोई मुआवजा या अन्य भुगतान करने पर।

• किसी व्यापार, पेशे या उसके सदस्यों के लिए की गई किसी विशेष सेवा से प्राप्त आय पर, जैसे किसी ठेकेदार द्वारा की गई आय।

• भारत सरकार की किसी भी योजना के तहत निर्यात के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा प्राप्त या मिलने वाली नकद सहायता (या इसे किसी भी नाम से जाना जाता हो)

• व्यवसाय से लाभ या किसी पेशे को करने से होने वाले किसी भी लाभ का मूल्य।

• ब्याज, वेतन, बोनस, कमीशन या मेहनताना देय या साझेदारी फर्म से साझीदार द्वारा प्राप्त किया गया धन। ये सभी उन आय के कुछ उदाहरण हैं जिन पर कर लगाया जाता है।

अन्य स्रोतों से आय

कोई भी आय जिस किसी भी आमदनी के तहत कर नहीं लगता है, लेकिन जिसे कुल आय से बाहर नहीं किया जाना है, वे सभी आमदनी “अन्य स्रोतों से आय” के तहत कर के लिए योग्य है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:

• लाभांश

• लॉटरी, वर्ग पहेली, घुड़दौड़ सहित अन्य दौड़, ताश के खेल, जुआ या किसी भी तरह की सट्टेबाजी जीतने से होने वाली आय।

निम्नलिखित धनराशियों को ‘अन्य स्रोतों से आय’ से आमदनी के तहत कर लगाया जाता है, और केवल तभी लगाया जाता है जब उस पर ‘व्यवसाय या पेशे से लाभ और अभिलाभ’ के तहत होने वाली आमदनी पर पहले से कर नहीं लगाया गया हो।

• नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों से पीएफ (भविष्य निधि), ई.एस.आई (कर्मचारी राज्य बीमा), सेवानिवृत्ति निधि, आदि के लिए योगदान के रूप में प्राप्त कोई भी धन।

• सिक्यूरिटी पर ब्याज

• करदाता से संबंधित मशीनरी, संयंत्र या फर्नीचर को किराये पर देना और उससे आय कमाना।

• भवनों के साथ संयंत्र, मशीनरी या फर्नीचर किराए पर देना और उससे समग्र आय कमाना।

• कीमैन बीमा पॉलिसी के तहत प्राप्त कोई भी धनराशि (बोनस सहित)।

 

 

कर की दरें

संसद द्वारा पारित हर साल के वित्त अधिनियम में आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स की दरें उपलब्ध हैं। आप अपनी कर देयता की जांच भी कर सकते हैं और आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध मुफ्त ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग करके आयकर की राशि की गणना कर सकते हैं।

बजट 2020 ने करदाताओं को इनमें(निम्नलिखित) से चुनने का विकल्प दिया है:

• लागू आयकर छूटों और कटौतियों के साथ मौजूदा आयकर व्यवस्था या

• कम आयकर दरों और नए आयकर स्लैब के साथ एक नई कर व्यवस्था लेकिन कर में कोई छूट और कटौती नहीं।

प्रत्येक व्यक्तियों के लिए आयकर की दरें नीचे दी गई हैं:

पुरानी/मौजूदा कर दरें/टैक्स रेट्स

नेट इनकम रेंज आकलन वर्ष 2020-21 के लिए आयकर की दर,
2,50,000 रुपये तक कोई कर नहीं।
2,50,000 रू. से 5,00,000 रू. तक 5% कर।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर।
10,00,000 रुपये से ऊपर पर 30% कर।

 

नई (घटायी गयी) कर दरें या रेट्स

निवल आय सीमा। आयकर दर (वैकल्पिक, 1 अप्रैल, 2020 से लागू)
2,50,000 रुपये तक कोई कर नहीं।
2,50,001 रू. से 5,00,000 रू. तक 5% कर।
5,00,001 रु. से 7,50,000 रू. तक 10% कर।
7,50,001 रु. से 10,00,000 रू. तक 15% कर।
10,00,001 रु. से 12,50,000 रू. तक 20% कर।
12,50,001 रू. से 15,00,000 रुपये तक 25% कर।
15,00,000 रुपये से ऊपर पर 30% कर।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर:

वरिष्ठ नागरिक वे हैं जो पिछले वर्ष के दौरान 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं।

निवल आय सीमा दर (आकलन वर्ष 2021-22) दर (आकलन वर्ष 2020-21)
2,50,000 रु. तक कोई कर नहीं लगेगा। कोई कर नहीं।
2,50,000 रु. से 5,00,000 रू. तक 5% कर। 5% कर।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर। 20% कर।
रुपये से ऊपर 10,00,000 30% कर लगेगा। 30% कर।

 

अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर के लिए आयकर:

अति वरिष्ठ नागरिक (सुपर सीनियर सिटीजन) वे हैं जो पिछले वर्ष (जिस वर्ष आय अर्जित की जाती है) के दौरान 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं।

निवल आय सीमा दर (आकलन वर्ष 2021-22) दर (आकलन वर्ष 2020-21)
5,00,000 रू. तक कोई कर नहीं। कोई कर नहीं।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर। 20% कर।
10,00,000 रू. से अधिक पर 30% कर। 30% कर।

 

 

 

आयकर किसे भरना होता है?

प्रत्येक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना पड़ता है। ‘व्यक्ति 16’ शब्द को आयकर कानून के तहत परिभाषित किया गया है जिसमें शामिल हैं:

• एक व्यक्ति। उदाहरण के लिए, वेतन पाने वाला एक कर्मचारी आदि।

• अविभाजित हिन्दू परिवार (एच.यू.एफ.)। उदाहरण के लिए, श्री राकेश, श्रीमती राकेश और उनके पुत्रों के एक अविभाजित हिन्दू परिवार (एच.यू.एफ.) होने के कारण संयुक्त परिवार के नाते उनके अलग-अलग सदस्यों के अलावा संयुक्त परिवार पर भी कर लगाया जा सकता है। • व्यक्तियों का संघ या व्यक्तियों का निकाय। उदाहरण के लिए, एक सहकारी आवास समिति (हाउसिंग कॉपरेटिव सोसाइटी)।

• फर्म। उदाहरण के लिए, ‘टैक्समैन एंड कंपनी’ नामक एक फर्म-जिसका स्वामित्व श्री राकेश और श्रीमती राकेश के पास है।

• एलएलपी(सीमित देयता भागीदारी)/एलएलपी(लिमिटेड लायबिलिटी प्रॉपर्टी)। उदाहरण के लिए एबीसी एलएलपी। एक एलएलपी में, प्रत्येक भागीदार/पार्टनर दूसरे पार्टनर के कदाचार या लापरवाही के लिए जिम्मेदार या उत्तरदायी नहीं होता है।

• कंपनियाँ। उदाहरण के लिए, ABC लिमिटेड, XYZ लिमिटेड।

• स्थानीय प्राधिकारी और कोई कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति जो ऊपर दिए गए किसी भी बिंदु में से शामिल नहीं है। जैसे, विश्वविद्यालय और संस्थान, नगर निगम, आदि।

इस प्रकार, ‘व्यक्ति’ शब्द की परिभाषा से यह देखा जा सकता है कि, एक स्वभाविक या सामान्य व्यक्ति के अलावा, यानी, एक व्यक्ति, जो अन्य कृत्रिम संस्थाएं जैसे कंपनी, एच.यू.एफ., आदि के लिए भी आयकर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे। व्यक्तियों के सभी संघ, व्यक्तियों के निकाय, स्थानीय प्राधिकरण, कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना होगा, भले ही वे लाभ या आय कमाने के उद्देश्य से बनाया गया हो, या फिर बिना उद्देश्य के बनाए गए हों। भारत में कुछ संस्थाओं को कर का भुगतान नहीं करना पड़ता है क्योंकि उन्हें कानून के तहत कर का भुगतान करने से छूट दी गई है। अधिक जानने के लिए यहां पढ़ें।

इनकम टैक्स रिटर्न या फॉर्म (आई.टी.आर)

इनकम टैक्स रिटर्न (आई.टी.आर) एक ऐसा फॉर्म है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति द्वारा एक वित्तीय वर्ष में अर्जित आय और ऐसी आय पर भुगतान किए गए टैक्स की जानकारी को आयकर विभाग में सूचित किया जाता है।

आय की प्रकृति और स्थिति के आधार पर, करदाताओं के विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग आई.टी.आर फॉर्म निर्धारित हैं। प्रत्येक करदाता को केवल एक विशिष्ट आई.टी.आर फॉर्म के तहत टैक्स रिटर्न दाखिल करना होता है, और आपके आय के लिए जो आई.टी.आर फॉर्म लागू है, आपको वही फॉर्म भरना होगा। गलत आई.टी.आर फॉर्म दाखिल करने पर उसे अमान्य और दोषपूर्ण माना जाएगा।

इनकम टैक्स फॉर्म/आयकर प्रपत्र

आईटीआर फॉर्म आयकर विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकते हैं। जब इनकम रिटर्न के डेटा के लिए आईटीआर-1 (सहज), आईटीआर-2, आईटीआर-3, आईटीआर-4 (सुगम), आईटीआर-5, आईटीआर-6, आईटीआर-7 भरे जाने के बाद सत्यापित होने पर ही आपको आयकर विभाग से एक पावती फॉर्म प्राप्त होगा।

आईटीआर-1 (सहज)

50 लाख तक की कुल आय वाले भारत में जो भी लोग रहते हैं, उन व्यक्तियों को यह आईटीआर फॉर्म दाखिल करना होगा। आप भारत के निवासी होंगे अगर आप:

• पिछले साल में यहाँ कम से कम 182 दिनों के लिए रहें हो,

• भारत में पिछले साल के पूर्व के चार वर्षों में कम से कम 365 दिनों के लिए रहें हो, और पिछले वर्ष में कम से कम साठ दिनों के लिए रहें हो, आपको यह फॉर्म तब भरना होगा जब आपका आय का स्रोत:

• आपका वेतन या पेंशन हो,

• एक घर की संपत्ति हो,

• और आपके अन्य स्रोत जैसे ब्याज आदि। (इसमें लॉटरी जीत, घुड़दौड़ आदि से आय शामिल नहीं है)

• 5,000 रुपये तक की कृषि आय हो।

यदि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो भारत में नहीं रह रहे हैं या किसी कंपनी में निदेशक हैं या भारत के बाहर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसकी किसी भी स्रोत से आय हो, तो आप पर आईटीआर-1 फॉर्म लागू नहीं होता है।

आईटीआर-2

यह फॉर्म निम्नलिखित पर लागू होता है:

• एक व्यक्ति जिस पर आईटीआर-1 लागू नहीं होता है, या

• एक अविभाजित हिन्दू परिवार (एचयूएफ) जिसकी कुल आय में किसी व्यवसाय या पेशे का लाभ और वृद्धि शामिल नहीं है।

उदाहरण के लिए, यदि रमा किसी कंपनी में निदेशक हैं, तो उन्हें आईटीआर-2 के तहत टैक्स रिटर्न दाखिल करना होगा, क्योंकि वह आईटीआर-1 के अंतर्गत नहीं आती हैं।

आपको यह फॉर्म तब भरना होगा जब आय का स्रोत:

• आपके पूंजीगत लाभ से हो,

• एक से अधिक गृह संपत्ति से हो,

• विदेशी आय/विदेशी संपत्ति से हो।

आईटीआर-3

यह फॉर्म केवल निम्नलिखित पर ही लागू होता है:

• एक व्यक्ति या अविभाजित हिन्दू परिवार (एचयूएफ) जिसके लिए आईटीआर-1, आईटीआर-2 और आईटीआर-4 फॉर्म लागू नहीं होते हैं, और

• जिसकी आय किसी व्यवसाय या पेशे के लाभ और वृद्धि से होती है।

उदाहरण के लिए, अगर श्याम किसी फर्म में पार्टनर है और सालाना 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाता है तो उसे आईटीआर-3 भरना होगा।

आईटीआर-4 (सुगम)

यह फॉर्म भारत में रहने वाले व्यक्तियों, एचयूएफ और फर्मों (सीमित देयता भागीदारी को छोड़कर) पर लागू होता है, जिनकी कुल वार्षिक आय 50 लाख रुपये तक है।

आय का निम्नलिखित स्रोत होने पर आईटीआर-4 लागू होता है:

• व्यवसाय से आय,

• पेशे से आय,

• वेतन या पेंशन से आय,

• एक गृह संपत्ति से आय,

• ब्याज आदि जैसे अन्य स्रोतों से आय (इसमें लॉटरी जीत और घुड़दौड़ से आय शामिल नहीं है) एक व्यक्ति जो भारत में नहीं रहता है या किसी कंपनी का निदेशक है, तो उसे यह आईटीआर -4 फॉर्म भरने की आवश्यकता नहीं है।

आईटीआर-5

यह फॉर्म निम्नलिखित पर लागू होता है:

• फर्म,

• एलएलपी(सिमित देयता भागीदारी),

• व्यक्तियों का संघ/व्यक्तियों का निकाय,

• कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति,

• स्थानीय प्राधिकरण,

• प्रतिनिधि निर्धारिती -एक प्रतिनिधि निर्धारिती किसी अनिवासी व्यक्ति का एजेंट हो सकता है, यह एक अवयस्क/विक्षिप्त दिमाग/ मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति का अभिभावक हो सकता है, यह एक संरक्षक आदि हो सकता है जो किसी अन्य व्यक्ति की ओर से आय प्राप्त करने या प्रबंध करने के लिए अधिकृत होता है।

• सहकारी समिति

• समिति पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत सोसायटी या समिति यह व्यक्तियों, एचयूएफ, कंपनी और आईटीआर -7 दाखिल करने वाले व्यक्तियों पर लागू नहीं है।

आईटीआर -6

जो चैरिटी या चैरिटी कारणों से कर में छूट का दावा करने वाली कंपनियों के अलावा, यह फॉर्म बाकी सभी कंपनियों के लिए लागू है। आप यहां कर मुक्त संस्थानों की सूची देख सकते हैं।

आईटीआर-7

यह फॉर्म व्यक्तियों (कंपनियों सहित) पर लागू होता है, जैसे:

• किसी ट्रस्ट के तहत चैरिटी या धार्मिक उद्देश्यों के लिए रखी गई संपत्ति से आय प्राप्त करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर,

• राजनीतिक दलों पर,

• समाचार एजेंसियां, म्युचुअल फंड, ट्रेड यूनियन आदि पर,

• सभी विश्वविद्यालय या कॉलेज पर।

आईटीआर-सत्यापन प्रपत्र

यह फॉर्म उन स्थितियों पर लागू होता है जहां आईटीआर-1 (सहज), आईटीआर-2, आईटीआर-3, आईटीआर-4 (सुगम), आईटीआर-5, आईटीआर-7 में इनकम रिटर्न का डेटा दाखिल किया जाता है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक रूप से सत्यापित नहीं रहता है।

 

इनकम टैक्स रिटर्न कैसे फाइल करें?

आयकर विभाग के साथ टैक्स रिटर्न फॉर्म निम्न में से किसी भी तरीके से फाइल किया जा सकता हैः

• रिटर्न को एक पेपर फॉर्म (ऑफलाइन) में आयकर कार्यालय में जमा करना,

• डिजिटल हस्ताक्षर करके इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिटर्न जमा करना,

• इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन कोड के तहत आईटीआर डेटा को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित करना,

• आईटीआर डेटा को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित करना, और बाद में रिटर्न का सत्यापन जमा करना

आईटीआर फाइल करने की प्रक्रिया

इनकम टैक्स रिटर्न मैन्युअल रूप से और साथ ही इलेक्ट्रॉनिक रूप से यानी ई-फाइलिंग के माध्यम से भरा जा सकता है।

विकल्प 1: मैनुअल फाइलिंग

मैन्युअल रूप से रिटर्न भरने के लिए, आपको आयकर विभाग के कार्यालय में जाना होगा। आप यहां अपने नजदीकी टैक्स ऑफिस का पता लगा सकते हैं। आप यह सुनिश्चित करें कि फॉर्म को पूरी तरह से भर कर और उसमें सभी आवश्यक जानकारी को सही ढंग से प्रदान करें। आईटीआर फॉर्म अटैचमेंट-रहित फॉर्म हैं और इसलिए, आपको इनकम रिटर्न के साथ कोई भी दस्तावेज (जैसे निवेश का प्रमाण, टीडीएस प्रमाण पत्र, आदि) को लगाने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, इन दस्तावेजों को सुरक्षित रूप से रखा जाना चाहिए, और जब मूल्यांकन, पूछताछ आदि जैसी स्थितियों में मांगी जाए, तो इन दस्तावेजों को टैक्स अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

विकल्प 2: इलेक्ट्रॉनिक रूप से फाइल करना

फिजिकल रूप से रिटर्न दाखिल करने की तुलना में इंटरनेट या ऑनलाइन के माध्यम से अपने टैक्स रिटर्न को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरना एक आसान प्रक्रिया है, क्योंकि इसमें आपको दस्तावेजों की प्रिंट आउट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। साथ ही, यह एक सरल प्रक्रिया है और इसे आयकर वेबसाइट के माध्यम से मुफ्त में ऑनलाइन भरा जा सकता है।

आईटीआर की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग या ई-फाइलिंग दो तरह से हो सकती है: ऑफलाइन और ऑनलाइन

ऑफलाइन मोड में, आप इनकम टैक्स वेबसाइट से आईटीआर फॉर्म डाउनलोड करें, इसे ऑफलाइन भरें और फिर वेबसाइट पर अपलोड करें। ऑनलाइन मोड में (केवल आईटीआर फॉर्म 1 और 4 के लिए लागू), आप सीधे ऑनलाइन फॉर्म भरते हैं।

टैक्स रिटर्न (आई.टी.आर) भरने की समय सीमा

वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए, सामान्यतः आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की समय सीमा 30 नवंबर, 2020 है। पिछला वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए विलंबित और/या रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई, 2020 है।

आप इस टैक्स कैलेंडर में वर्ष 2020 के लिए अन्य महत्वपूर्ण देय तिथियां और आयकर समय सीमा देख सकते हैं।

आईटीआर (इनकम टैक्स रिटर्न) फॉर्म में, आपको फॉर्म भरने के लिए एक श्रेणी का चयन करना होगा, जो निम्नलिखित पर निर्भर करता है:

आईटीआर फॉर्म भरने की तिथि पर -1.) देय तारीख को या उससे पहले फॉर्म भरना 2.) देय तारीख के बाद फॉर्म भरना

इनकम टैक्स रिटर्न के प्रकार पर-आम तौर पर, आप उस निर्धारण वर्ष के लिए लागू एक मूल आईटीआर फॉर्म दाखिल करेंगे। मूल फॉर्म भरने के बाद, यदि आपको उस फॉर्म में किसी भी विवरण को सही या संशोधित करना हो, तो आप मूल फॉर्म के संदर्भ में एक और परिशोधित या संशोधित रिटर्न फॉर्म दाखिल करेंगे।

टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय उसकी अलग-अलग समयसीमा

इसके लिए, विभिन्न इनकम टैक्स रिटर्न निम्न प्रकार से दाखिल किए जा सकते हैं:

देय तारीख को या उससे पहले-उदाहरण के लिए, यदि इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म भरने की समय सीमा 30 नवंबर है, और प्रीति 15 नवंबर को अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करती है, तो उसने देय तारीख से पहले आईटीआर दाखिल किया है।

बिलेटेड रिटर्न (देय तिथि के बाद)

आपको दिए गए समय के भीतर अगर आपने अपने अपना इनकम टैक्स रिटर्न जमा नहीं किया है, तो किसी भी वित्तीय वर्ष के लिए, आप उस वर्ष की समाप्ति से पहले, या मूल्यांकन के पूरा होने से पहले (जो भी पहले हो) किसी भी समय रिटर्न जमा कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, एक ऐसी स्थिति मान लीजिए, जहां आपको वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए अपना इनकम टैक्स रिटर्न 30 जून 2020 तक जमा करना था, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया। ऐसे में आपका असेसमेंट ईयर 2020-21 होगा। अगर असेसमेंट ईयर 31 मार्च 2021 को खत्म हो रहा है, तो आपको इस तारीख (असेसमेंट ईयर की समाप्ति होने) तक अपना रिटर्न जमा करना होगा। अगर ‘इनकम टैक्स असेसमेंट’ मूल्यांकन वर्ष खत्म होने से पहले होता है, तो आपको असेसमेंट होने से पहले ही अपना बिलेटेड रिटर्न जमा करना होगा।

रिवाइज्ड रिटर्न

रिटर्न/विलंबित रिटर्न जमा करने के बाद, यदि आपको कोई चूक हो गयी हो या आपसे कुछ छूट गया हो या आपने कोई गलत जानकारी भर दी है, तो उस असेसमेंट ईयर की समाप्ति से पहले या मूल्यांकन के पूरा होने से पहले, जो भी पहले हो, आप किसी भी समय एक संशोधित रिटर्न जमा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए अपना इनकम टैक्स रिटर्न 30 जून 2020 की समय सीमा तक जमा किया है, तो आपका असेसमेंट ईयर 2020-21 होगा।

रिटर्न जमा करने के बाद, यदि आपको पता चलता है कि आपने फॉर्म में कुछ गलत जानकारी दी है, तो आपको सही जानकारी के साथ एक और रिवाइज्ड फॉर्म जमा करना होगा। अगर असेसमेंट ईयर 31 मार्च 2021 को खत्म हो रहा है, तो आपको इस तारीख (असेसमेंट ईयर की समाप्ति तक) तक अपना रिवाइज्ड रिटर्न जमा करना होगा। अगर ‘इनकम टैक्स असेसमेंट’ आकलन वर्ष खत्म होने से पहले होता है, तो आपको असेसमेंट से पहले अपना रिवाइज्ड रिटर्न जमा करना होगा।

मॉडिफाइड रिटर्न

यह उस स्थिति में लागू होता है जहां आपने अपना इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने के बाद कोई एग्रीमेंट या समझौता किया है। यदि एग्रीमेंट उस वित्तीय वर्ष पर लागू होता है या उसे प्रभावित करता है जिसके लिए आपने इनकम टैक्स दायर किया है, तो आपको एग्रीमेंट के अनुसार मॉडिफाइड रिटर्न जमा करना होगा। उदाहरण के लिए, यदि आपने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए अपना इनकम टैक्स रिटर्न 30 जून 2020 की समय सीमा तक जमा किया है, तो आपका असेसमेंट ईयर 2020-21 होगा। रिटर्न जमा करने के बाद, यदि आप एक समझौता करते हैं जो वित्तीय वर्ष के लिए आपके इनकम टैक्स रिटर्न को प्रभावित करता है, तो आपको समझौते के विवरण सहित एक मॉडिफाइड रिटर्न जमा करना होगा।

मॉडिफाइड रिटर्न उस महीने के अंत से तीन महीने के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए जिस महीने में आपने एग्रीमेंट किया था। उदाहरण के लिए, यदि आपने जुलाई में एग्रीमेंट किया है, तो आपको अक्टूबर (3 महीने के भीतर) के अंत तक मॉडिफाइड रिटर्न जमा करना होगा।

जब आयकर अधिकारियों द्वारा देरी से रिटर्न भरने की अनुमति दी गई हो,

तो केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) किसी भी आयकर प्राधिकरण को अवधि समाप्त होने (एक्सपायरी पीरियड) के बाद भी इनकम टैक्स में छूट, कटौती, वापसी या राहत के लिए आवेदन की अनुमति देने के लिए अधिकृत कर सकता है। इसके लिए आप किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या वकील की मदद ले सकते हैं।

टैक्स रिटर्न भरना

टैक्स रिटर्न दाखिल करना एक विस्तृत और लंबी प्रक्रिया हो सकती है, जिसमें कई पहलुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

शुरुआत में इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने के लिए आपको यह पता लगाना होगा कि आप किस कैटेगरी के करदाता हैं। इसमें मानक कर दरों के आधार पर आपकी टैक्स योग्य आय की गणना करना भी शामिल है। कुछ टैक्स कटौती भी हो सकती है जिसका लाभ आप अपनी कर देयता को कम करने के लिए उठा सकते हैं।

जब आप टैक्स रिटर्न भरने जाते हैं, तो आपको सबसे महत्वपूर्ण रूप से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप अपने लिए लागू सही आईटीआर फॉर्म का चयन करें तथा निर्दिष्ट समयसीमा के भीतर ही अपना रिटर्न जमा करें।

ऐसे कई तरीके हैं जिसके माध्यम से आप आईटीआर फाइल कर सकते हैं, फिजिकल रूप से या इलेक्ट्रॉनिक रूप से, और प्रत्येक फाइलिंग विकल्प की एक अलग प्रक्रिया होती है। इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग में भी, आपके पास ऑफलाइन और ऑनलाइन विकल्प मौजूद हैं। चाहे आप अपना आईटीआर किसी भी रूप में दाखिल करें, आपको इसे जमा करने पर इसे सत्यापित करना होगा। कभी-कभी, आपको अपने आईटीआर फॉर्म में कुछ विवरणों को सही करना पड़ सकता है, या अगर आपने अतिरिक्त टैक्स का भुगतान किया है तो धनवापसी का दावा करना पड़ सकता है।

इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना एक गंभीर मामला है, इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। आपको अपना रिटर्न दाखिल करते समय बहुत सावधान रहना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सही समय पर और सटीक जानकारी के साथ रिटर्न फाइल किया जाए। अगर आप इनकम टैक्स से जुड़े किसी कानून का उल्लंघन करते हैं तो आपको सजा हो सकती है। इसलिए, अगर रिटर्न दाखिल करने के किसी भी पहलू के बारे में आपको कोई संदेह है, तो आपको सलाह दी जाती है कि आप आयकर अधिकारियों से संपर्क करें और उनसे मदद लें।

ई-फाइलिंग प्रक्रिया (ऑफलाइन फाइलिंग)

ऑफलाइन ई-फाइलिंग मोड, यह केवल आईटीआर फॉर्म 1 और 4 के अलावा अन्य फॉर्म के लिए लागू होता है, इसे ऑफलाइन भरें और फिर इसे वेबसाइट पर जमा करें।

चरण 1: आईटीआर फॉर्म चुनें

ऑफलाइन मोड के लिए, आपको आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल से उचित आईटीआर फॉर्म डाउनलोड करना होगा। अगर आप जानना चाहते हैं कि आपको कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना है, तो यहां पढ़ें

अगर आप ई-फाइलिंग पोर्टल में लॉग इन करते हैं तो पहले से भरा हुआ फॉर्म भी डाउनलोड किया जा सकता है। अपने अकाउंट से आप ‘डाउनलोड प्री-फिल्ड एक्सएमएल’ चुन सकते हैं, जिसे व्यक्तिगत और अन्य उपलब्ध जानकारियों को पहले से भरने के लिए आपके आईटीआर फॉर्म में इम्पोर्ट किया जा सकता है।

चरण 2: विवरण भरें

डाउनलोड किए गए आईटीआर फॉर्म को आप ऑफलाइन भर सकते हैं। यह सुनिश्चित करें कि आप फॉर्म को पूरी तरह से भरें और सभी आवश्यक जानकारी को सही ढंग से प्रदान करें। फॉर्म में सभी टैब की पुष्टि करें। ध्यान दें कि आईटीआर फॉर्म अटैचमेंट-रहित फॉर्म हैं और इसलिए, आपको इनकम रिटर्न के साथ कोई भी दस्तावेज (जैसे निवेश का प्रमाण, टीडीएस प्रमाण पत्र, आदि) को लगाने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, इन दस्तावेजों को सुरक्षित रूप से रखा जाना चाहिए, और जब मूल्यांकन, पूछताछ आदि जैसी स्थितियों में मांगी जाए, तो इन दस्तावेजों को टैक्स अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

चरण 3: अपनी कर देयता की गणना करना

वित्तीय वर्ष के लिए कुल आय की गणना करना और अपनी कर देयता की गणना करना। एक बार जब आप सभी आवश्यक दस्तावेज एकत्र कर लेते हैं और अपनी आय से काटे गए सभी करों को सत्यापित कर लेते हैं, तो आप टैक्स योग्य कुल आय की गणना कर सकते हैं। अपनी कुल आय की गणना करने के बाद, आपको अपनी आय स्लैब के अनुसार लागू टैक्स दरों को लागू करके अपनी कर देयता की गणना करनी होगी।

चरण 4: कटौती

एक बार जब आप अपनी कर देयता की गणना कर लेते हैं, तो आपके द्वारा पहले से ही टीडीएस, टीसीएस और एडवांस टैक्स के माध्यम से भुगतान किए गए टैक्स को घटाएं और देय ब्याज (यदि कोई हो) को जोड़ें। इससे आपको यह पता चलेगा कि क्या आपके द्वारा सभी करों का भुगतान पहले ही कर दिया गया है या किसी अतिरिक्त कर का भुगतान किया जाना है, या अगर आपने कोई अतिरिक्त कर चुकाया है और उसकी रिफंड आपको मिलना बाकी है।

चरण 5: आईटीआर फॉर्म जमा करना

आईटीआर फॉर्म को जेनरेट करें और उसे सेव करें। फॉर्म को ऑफलाइन भरने के बाद, आप इसे ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन करके ऑनलाइन जमा कर सकते हैं।

चरण 6: एक्सएमएल फॉर्मेट में आईटीआर फॉर्म अपलोड करना

‘ई-फाइल’ मेनू का चयन करने के बाद, ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ पेज पर जाएं, वहां आपको असेसमेंट ईयर, आईटीआर फॉर्म नंबर, और क्या आपका आईटीआर एक मूल/रिवाइज्ड रिटर्न है, का चयन करना होगा। फिर आप अपना फॉर्म एक्सएमएल फॉर्मेट में अपलोड कर सकते हैं। आपको अपना फॉर्म सत्यापित करने के लिए कई सारे विकल्प मिलेंगे, जिसको आप अपना फॉर्म सत्यापन करने के लिए सबमिट करते समय चुन सकते हैं या फिर बाद में भी सत्यापित सकते हैं।

एक बार सत्यापन हो जाने के बाद, आप यहां अपना आईटीआर स्टेटस चेक कर सकते हैं।

आयकर अधिकारियों द्वारा जारी नोटिस

कभी-कभी, आयकर अधिकारियों द्वारा आपके नाम पर जारी किए गए नोटिस के जवाब में आपको आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करना पड़ सकता है। ये कुछ प्रमुख उदाहरण हैं कि कब करदाता को नोटिस जारी किया जा सकता है:

• यदि निर्धारण अधिकारी को लगता है कि आपकी आय की विवरणी(रिटर्न) में कोई त्रुटि है, तो वह अधिकारी आपको त्रुटि के बारे में नोटिस जारी कर सकता है, और आपको नोटिस के पंद्रह दिनों के भीतर गलती को सुधारने का मौका दे सकता है। उस गलती को पंद्रह दिनों के भीतर या अधिकारी द्वारा दी गई अवधि के भीतर सही किया जाना चाहिए। सुधार नहीं करने पर, आपका रिटर्न अमान्य रिटर्न माना जाएगा। और इससे यह माना जाएगा कि आप करदाता के रूप में रिटर्न जमा करने में विफल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप आपको जुर्माना देना होगा।

• आयकर निर्धारण करने के लिए, निर्धारण अधिकारी ऐसे किसी भी व्यक्ति को नोटिस जारी कर सकता है, जिसने समय पर इनकम टैक्स रिटर्न जमा नहीं किया है, ताकि वह व्यक्ति रिटर्न जमा कर सके। वह अधिकारी आपसे जरूरी अकाउंट या डाक्यूमेंट्स भी मांग सकता है। आयकर अधिकारी आपसे किसी भी जानकारी को जमा करने के लिए या उसे सत्यापित करने के लिए कह सकते हैं। इसके अलावा, इसमें आपकी सभी संपत्तियों और देयता का विवरण भी शामिल हो सकता है।

• अगर निर्धारण अधिकारी को लगता है कि आपकी टैक्स योग्य आय का कोई हिस्सा टैक्स निर्धारण से बच गया है या किसी असेसमेंट ईयर के लिए मूल्यांकन नहीं किया गया है, तो वह ऐसी आय का आकलन या पुनर्मूल्यांकन कर सकता है। यह आकलन करने से पहले, निर्धारण अधिकारी आपको प्रासंगिक असेसमेंट ईयर के अनुरूप पिछले वर्ष के लिए इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने के लिए एक नोटिस देगा। यह नोटिस उस समयसीमा को निर्दिष्ट करेगा जिसके भीतर आपको रिटर्न जमा करना होगा।