भारत में एक नाबालिग (18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, विकलांग बच्चे को छोड़कर) की आय पर कर लगाया जा सकता है। इसे बच्चे के माता-पिता की कुल आय के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है।

आयकर किसे भरना होता है?

आखिरी अपडेट Aug 30, 2022

प्रत्येक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना पड़ता है। ‘व्यक्ति 16’ शब्द को आयकर कानून के तहत परिभाषित किया गया है जिसमें शामिल हैं:

• एक व्यक्ति। उदाहरण के लिए, वेतन पाने वाला एक कर्मचारी आदि।

• अविभाजित हिन्दू परिवार (एच.यू.एफ.)। उदाहरण के लिए, श्री राकेश, श्रीमती राकेश और उनके पुत्रों के एक अविभाजित हिन्दू परिवार (एच.यू.एफ.) होने के कारण संयुक्त परिवार के नाते उनके अलग-अलग सदस्यों के अलावा संयुक्त परिवार पर भी कर लगाया जा सकता है। • व्यक्तियों का संघ या व्यक्तियों का निकाय। उदाहरण के लिए, एक सहकारी आवास समिति (हाउसिंग कॉपरेटिव सोसाइटी)।

• फर्म। उदाहरण के लिए, ‘टैक्समैन एंड कंपनी’ नामक एक फर्म-जिसका स्वामित्व श्री राकेश और श्रीमती राकेश के पास है।

• एलएलपी(सीमित देयता भागीदारी)/एलएलपी(लिमिटेड लायबिलिटी प्रॉपर्टी)। उदाहरण के लिए एबीसी एलएलपी। एक एलएलपी में, प्रत्येक भागीदार/पार्टनर दूसरे पार्टनर के कदाचार या लापरवाही के लिए जिम्मेदार या उत्तरदायी नहीं होता है।

• कंपनियाँ। उदाहरण के लिए, ABC लिमिटेड, XYZ लिमिटेड।

• स्थानीय प्राधिकारी और कोई कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति जो ऊपर दिए गए किसी भी बिंदु में से शामिल नहीं है। जैसे, विश्वविद्यालय और संस्थान, नगर निगम, आदि।

इस प्रकार, ‘व्यक्ति’ शब्द की परिभाषा से यह देखा जा सकता है कि, एक स्वभाविक या सामान्य व्यक्ति के अलावा, यानी, एक व्यक्ति, जो अन्य कृत्रिम संस्थाएं जैसे कंपनी, एच.यू.एफ., आदि के लिए भी आयकर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे। व्यक्तियों के सभी संघ, व्यक्तियों के निकाय, स्थानीय प्राधिकरण, कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना होगा, भले ही वे लाभ या आय कमाने के उद्देश्य से बनाया गया हो, या फिर बिना उद्देश्य के बनाए गए हों। भारत में कुछ संस्थाओं को कर का भुगतान नहीं करना पड़ता है क्योंकि उन्हें कानून के तहत कर का भुगतान करने से छूट दी गई है। अधिक जानने के लिए यहां पढ़ें।

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उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत प्रत्येक व्यक्ति को निम्नलिखित प्रकार की उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने का अधिकार है |

उपभोक्ता शिकायत मंच

उपभोक्ता संरक्षण कानून संबद्ध प्राधिकरणों को निर्दिष्‍ट करता है कि कोई उपभोक्ता-अधिकारों का उल्‍लंघन होने पर उनसे संपर्क कर सकता है।

उपभोक्ता अधिकारों के उल्‍लंघन के लिए दंड

उपभोक्ता अधिकारों के उल्‍लंघन के लिए किसी व्यक्ति या संस्था को दंडित करने की शक्ति केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के पास होती है।

शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया

इस सबके बावजूद, शिकायत का समाधान न होने पर, आप उपभोक्ता मंचों से संपर्क हेतु किसी वकील की मदद ले सकते हैं।

उपभोक्ता कौन होता है?

उपभोक्ताओं को उनके द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली किसी भी सेवा या सामान के लिए शिकायत दर्ज करने का अधिकार है |

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मध्यस्थता एक आउट-ऑफ-कोर्ट समझौता है जहां पार्टियां कार्यवाही के तरीके को तय कर सकती हैं। यह विवादों के शीघ्र निपटारे में मदद करता है।