ई-फाइलिंग प्रक्रिया (ITR-1 और ITR-4 के लिए ऑनलाइन फाइलिंग)

ऑनलाइन ई-फाइलिंग मोड, यह केवल आईटीआर फॉर्म 1 और 4 के लिए लागू होता है जिसे आप सीधे ऑनलाइन भर सकते हैं।

चरण 1: आईटीआर फॉर्म चुनें

ऑनलाइन मोड के लिए, आपको सीधे आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन करना होगा और आईटीआर-1 या आईटीआर-4 में से किसी एक का चयन करना होगा। अगर आप जानना चाहते हैं कि आपके लिए कौन सा आईटीआर फॉर्म लागू है, तो यहां पढ़ें।

चरण 2: अपना आईटीआर फॉर्म ऑनलाइन तैयार करें

‘ई-फाइल’ मेनू का चयन करने के बाद, ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ पेज पर जाएं, यहाँ आपको असेसमेंट ईयर, आईटीआर फॉर्म नंबर, और क्या आपका आईटीआर एक मूल/रिवाइज्ड रिटर्न है, का चयन करना होगा। फिर आप ‘तैयार करें और ऑनलाइन जमा करें’ विकल्प का चयन करके अपने फॉर्म तक पहुंच सकते हैं।

चरण 3: विवरण भरें

निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। सुनिश्चित करें कि आपने फॉर्म को पूरी तरह से भर लिया है और सभी आवश्यक विवरण/जानकारी को सही-सही भरा है। सेशन टाइमआउट होने के कारण डेटा का नुकसान से बचने के लिए, समय-समय पर ‘सेव ड्राफ्ट’ बटन पर क्लिक करें, जिससे आप का डाटा सेव होते रहेगा। सेव किया गया यह ड्राफ्ट 30 दिनों के लिए या रिटर्न फाइल करने की तारीख तक उपलब्ध होगा।

ध्यान दें कि आईटीआर फॉर्म अटैचमेंट-रहित फॉर्म हैं और इसलिए, आपको इनकम रिटर्न के साथ कोई भी दस्तावेज (जैसे निवेश का प्रमाण, टीडीएस प्रमाण पत्र, आदि) को लगाने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, इन दस्तावेजों को सुरक्षित रूप से रखा जाना चाहिए, और जब मूल्यांकन, पूछताछ आदि जैसी स्थितियों में मांगी जाए, तो इन दस्तावेजों को टैक्स अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

चरण 4: फॉर्म जमा करना

फॉर्म भरने के बाद, आपको ‘टैक्स पेड एंड वेरिफिकेशन’ टैब में उचित सत्यापन विकल्प चुनना होगा। आपके पास अपना फॉर्म सत्यापित करने के लिए कई सारा विकल्प मिलेगा, और जिसे आप फॉर्म जमा करने के समय या बाद में चुन सकते हैं।

एक बार सत्यापन हो जाने के बाद, आप यहां अपना आईटीआर स्टेटस चेक कर सकते हैं।

 

 

असेसमेंट/आई.टी.आर वेरिफिकेशन

आईटीआर फाइलिंग प्रक्रिया का अंतिम चरण सत्यापन है। अगर आप रिटर्न फाइल करने के 120 दिनों के भीतर अपना आईटीआर सत्यापित नहीं करते हैं, तो यह माना जाएगा कि आपने आईटीआर दाखिल नहीं किया है

निम्नलिखित दिए गए कई तरीके हैं जिनसे आप अपने आईटीआर को इलेक्ट्रॉनिक रूप से सत्यापित कर सकते हैं:

• डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी)-अपने आईटीआर फॉर्म के साथ डीएससी मैनेजमेंट यूटिलिटी से जेनरेट की गई सिग्नेचर फाइल अटैच करें।

• आधार ओटीपी-यूआईडीएआई के साथ पंजीकृत अपने मोबाइल नंबर में प्राप्त आधार ओटीपी दर्ज करें।

• पूर्व-मान्य बैंक खाता विवरण का उपयोग करते हुए या पूर्व-मान्य डीमैट खाता विवरण का उपयोग करते हुए इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन कोड-बैंक या डीमैट खाते के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर में प्राप्त ईवीसी (इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड) दर्ज करें। ऐसे ईवीसी की वैधता, कोड जेनेरेट के समय से 72 घंटे तक होती है।

अगर आप अपनी टैक्स-रिटर्न को इलेक्ट्रॉनिक रूप से सत्यापित करना चाहते हैं, तो आपको आयकर विभाग को कोई दस्तावेज भेजने की आवश्यकता नहीं होगी। अगर आप इलेक्ट्रॉनिक तरीके से अपना आईटीआर सत्यापित करते हैं, तो आपको सत्यापन के संबंध में आयकर विभाग से तुरंत पुष्टि प्राप्त होगी। अपने रिटर्न को ई-वेरीफाई करने से संबंधित अधिक जानकरी के लिए यहां पढ़ें।

बाद के समय में ई-वेरीफाई करना

आप बाद में भी आईटीआर को ई-वेरीफाई कर सकते हैं। अगर आप आईटीआर को ई-वेरीफाई नहीं करना चाहते हैं, तो आप इसके बजाय हस्ताक्षर किए हुए आईटीआर-वेरिफिकेशन को सामान्य पोस्ट या स्पीड पोस्ट के माध्यम से “केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्र, आयकर विभाग, बेंगलुरु-560500” पर भेज सकते हैं। अगर आपने आयकर विभाग को डाक के माध्यम से आईटीआर-वेरिफिकेशन भेजा है, तो वे आपको एक ईमेल भेजकर पुष्टि करेंगे कि यह प्राप्त हो गया है, यानी आपका रिटर्न सत्यापित हो चुका है। यह ईमेल आपके उस ईमेल पते पर भेजा जाएगा जिसे आपने आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर अपने ई-फाइलिंग खाते में पंजीकृत किया है।

आयकर विभाग प्रोसेसिंग टैक्स रिटर्न

रिटर्न सत्यापित होने के बाद, या तो ई-वेरिफिकेशन के माध्यम से या फिजिकल रूप से, आयकर विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए आपके टैक्स रिटर्न को संसाधित करना शुरू कर देगा कि आपके द्वारा भरे गए सभी विवरण आयकर अधिनियम के अनुसार सही हैं, और उपलब्ध अन्य डेटा के साथ आपके द्वारा भरे गए विवरणों को भी क्रॉस-चेक किया जाएगा।

आयकर का आकलन करने के लिए, निर्धारण अधिकारी किसी ऐसे व्यक्ति को नोटिस जारी कर सकता है, जिसने समय पर इनकम टैक्स रिटर्न जमा नहीं किया है, ताकि व्यक्ति को इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने के लिए कहा जा सके। वह अधिकारी आपसे कोई भी कारण बताने या कोई दस्तावेज दिखाने के लिए भी कह सकता है। इसके अलावा, आपको कुछ बिंदुओं या मामलों (आपकी सभी संपत्तियों और देनदारियों के विवरण सहित) में जानकारी को जमा करने या उसे सत्यापित करने के लिए भी कहा जा सकता है। एक बार रिटर्न प्रोसेस हो जाने के बाद, आईटी विभाग आपके पंजीकृत ईमेल आईडी पर ईमेल के माध्यम से आपको इसकी सूचना देता है। अगर उसमें कोई अंतर पाया जाता है, तो वे आपसे बाद में स्पष्ट करने के लिए या मूल आईटीआर भरते समय की गई गलतियों को सुधारने के लिए कह सकते हैं।

कर में कटौती

कटौती एक व्यय है जिसे किसी व्यक्ति की सकल कुल आय से घटाया जाता है ताकि उस धनराशि को कम किया जा सके जिस पर कर लगाया जा रहा है। यह कटौती आय की राशि से कम, अधिक या उसके बराबर हो सकती है। यदि कटौती योग्य राशि आय की राशि से अधिक है तो परिणामी राशि को कर की गणना करते समय हानि/घाटा के रूप में लिया जाएगा। व्यक्तियों/व्यक्तिगत आय में होने वाली कुछ कटौतियाँ इस प्रकार हैं:

एल.आई.सी और अन्य पेंशन फंड में योगदान

व्यक्ति अपनी पेंशन प्राप्त करने के लिए भारत के एलआईसी या किसी अन्य बीमाकर्ता/बीमा कंपनी की वार्षिकी योजना के तहत भुगतान या जमा की गई राशि का 1,50,000 रुपये तक के सभी योगदान का दावा कर सकते हैं। इसमें कोई ब्याज या बोनस शामिल नहीं है जो राशि व्यक्तियों के खाते में है। यदि इसके लिए कटौती का दावा किया जाता है, और बाद में जब पेंशन व्यक्ति या उसके द्वारा नियुक्त (नामित व्यक्ति) द्वारा प्राप्त की जाती है, तो पेंशन पर कर लगेगा।

एक पेंशन योजना के तहत प्राप्त आय जो टैक्स योग्य है:

  • जिसमें पेंशन प्राप्त करने के लिए किए गए योगदान और
  • बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण के तहत सभी अनुमोदित बीमाकर्ताओं के योगदान दोनों शामिल हैं। आप यहां अनुमोदित/स्वीकृत बीमाकर्ताओं की सूची पा सकते हैं।

इसमें इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ई.एल.एस.एस) में योगदान भी शामिल है, जो एक म्यूचुअल फंड इक्विटी योजना है जो कर लाभ के साथ लंबी अवधि के धन सृजन की ऑफर देती है। ई.एल.एस.एस में तीन साल की अनिवार्य लॉक-इन अवधि भी होती है। ई.एल.एस.एस में पूंजीनिवेश करने पर अधिकतम 1.5 लाख रू. प्रति वर्ष कटौती के लिए योग्य है। इसका मतलब है कि, आप अपने कर को कम करने के लिए अपनी कुल आय में से ई.एल.एस.एस में निवेश की गई राशि को घटा सकते हैं या उसमें से कटौती कर सकते हैं।

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली(एन.पी.एस) में योगदान

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली एक सेवानिवृत्ति लाभ योजना है जो 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद केंद्र सरकार द्वारा नियोजित सभी व्यक्तियों/कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है। स्व-नियोजित व्यक्तियों के साथ-साथ अन्य कर्मचारियों के पास भी एन.पी.एस. का सदस्य होने का विकल्प है।

नियोक्ता के लिए कटौती: वेतन आय की तरह सभी नियोक्ता द्वारा एन.पी.एस में किया गया योगदान कर योग्य है। जिस वर्ष में नियोक्ता द्वारा एन.पी.एस में योगदान किया गया है, उसी वर्ष में वह राशि कर्मचारी द्वारा कटौती योग्य है। अधिकतम कटौती कर्मचारी की वेतन राशि का 10% है।

कर्मचारी के लिए कटौती: एक कर्मचारी द्वारा किया गया एन.पी.एस में योगदान उस वर्ष में कटौती योग्य होता है जिस वर्ष में योगदान किया जाता है। हालांकि, कटौती की राशि कर्मचारी के वेतन का 10% है। यदि योगदान किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाता है जो कर्मचारी नहीं है, तो कटौती की सीमा कुल सकल आय का 20% है।

एन.पी.एस खाते से पेंशन या अन्य भुगतान से प्राप्त करने वाले व्यक्ति के लिए वह राशि कर योग्य होगी। हालांकि, अगर एन.पी.एस द्वारा प्राप्त पेंशन की राशि का उपयोग पिछले वर्ष में एल.आई.सी (ऊपर वर्णित बिंदु) द्वारा एक वार्षिकी योजना खरीदने के लिए किया जाता है, तो यह राशि कर से मुक्त होगी।

दिव्यांग व्यक्तियों के लिए चिकित्सक उपचार सहित देख-भाल

कोई व्यक्ति और एक अविभाजित हिन्दू परिवार का कोई सदस्य नीचे दिए गए संबंधित व्यय के लिए कटौती का दावा कर सकता है:

• दिव्यांग व्यक्ति का चिकित्सक उपचार सहित नर्सिंग, ट्रेनिंग और स्वास्थ्यलाभ के लिए।

• स्वीकृत एल.आई.सी योजना या अन्य बीमा कंपनियों के तहत जमा की गई राशि के लिए।

दिव्यांग व्यक्ति या आश्रित रिश्तेदार जैसे पति या पत्नी, बच्चें, भाई-बहन, माता-पिता आदि सहित परिवार के सदस्य द्वारा सामना की जाने वाली विकलांगता के आधार पर कटौती का दावा किया जा सकता है।

• विकलांग व्यक्तियों के लिए कटौती, जो 40% या उससे अधिक अंधापन/दृष्टिहीनता, कम दृष्टि, श्रवण दोष, चलने-फिरने में अक्षमता, मानसिक मंदता, मानसिक बीमारियों और कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति हैं- वे 75000 रुपये की एक निश्चित कटौती प्राप्त कर सकते हैं।

• गंभीर रूप से विकलांग व्यक्तियों (80% और अधिक) के लिए 1,25,000 रू. की उच्च कटौती उपलब्ध है। ऐसी कटौतियों का दावा करने के लिए उस व्यक्ति के पास चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा प्राप्त प्रमाण-पत्र होना चाहिए। मूल्यांकन अधिकारी आपसे एक नया चिकित्सा प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए नए सिरे से पुनर्मूल्यांकन कराने के लिए भी कह सकता है।

चिकित्सा उपचार (मेडिकल ट्रीटमेंट)

एक निवासी व्यक्ति या एक निवासी अविभाजित हिन्दू परिवार के पास निम्नलिखित चीजें हैं, तो वे चिकित्सा उपचार के लिए कटौती का दावा कर सकता है :

  • बोर्ड द्वारा निर्धारित किसी विशिष्ट बीमारी या बीमारी के चिकित्सा उपचार के लिए किया गया खर्च।
  • अपने लिए या अपने आश्रितों जैसे पति, पत्नी, बच्चों, माता-पिता, भाई-बहनों आदि के लिए चिकित्सा उपचार में किया गया खर्च।
  • इस तरह के चिकित्सा उपचार के लिए किसी न्यूरोलॉजिस्ट, ऑन्कोलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट, हेमेटोलॉजिस्ट, इम्यूनोलॉजिस्ट या ऐसे अन्य विशेषज्ञ का चिकित्सा निर्देश, आदि।

या तो वरिष्ठ नागरिकों के लिए 60000 रु. या किसी अन्य व्यक्ति के लिए 40,000 रू को कटौती के लिए माना जाएगा (जिसमें भी चिकित्सा उपचार पर कम खर्च हो)। कटौती की गई राशि भी कम हो जाएगी यदि किसी व्यक्ति को बीमा राशि मिलती है या चिकित्सा उपचार के लिए उसके नियोक्ता द्वारा क्षतिपूर्ति की जाती है।

उच्च शिक्षा हेतु लिए गए ऋण पर ब्याज का भुगतान

कोई व्यक्ति अपने या अपने रिश्तेदारों जैसे पति या पत्नी, बच्चों आदि के खातिर लिए गए ऋण या उच्च शिक्षा हेतु लिए गए लोन के ब्याज का भुगतान होने पर कटौती का दावा कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति द्वारा बैंक, वित्तीय संस्थान या किसी स्वीकृत चैरिटी संस्था से उच्च शिक्षा के लिए ऋण लिया जाता है, तो जिस वर्ष में ब्याज का भुगतान किया गया है, उसी वर्ष में ब्याज कटौती योग्य है। संपूर्ण ब्याज उस वर्ष में कटौती योग्य है जिस वर्ष में व्यक्ति ऋण पर ब्याज का भुगतान करता है और साथ ही ब्याज का भुगतान करने के सात वर्ष बाद भी कटौती योग्य है।

गृह संपत्ति खरीदने के लिए ऋण पर ब्याज का भुगतान करना

आवासीय गृह संपत्तियों के करण लिए गए लोन पर ब्याज के लिए कटौती का दावा करने के लिए, करदाता भारत का निवासी या अनिवासी भी हो सकता है। इसके अलावा, निम्नलिखित शर्तों को भी पूरा किया जाना है कि:

• उन्हें लोन लेना है।

• ऋण/लोन आवासीय गृह संपत्ति के लिए होना चाहिए।

• किसी बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से लोन लिया गया हो, हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से मतलब है कि भारत में गठित या पंजीकृत एक सार्वजनिक कंपनी है जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में दीर्घकालिक निर्माण या खरीद या आवासीय घर प्रदान करने के लिए व्यवसाय करना है।

• 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 के दौरान बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी द्वारा ऋण स्वीकृत किया गया हो।

• स्वीकृत ऋण/लोन की राशि 35 लाख रुपये से अधिक नहीं हो।

• घर की संपत्ति का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक नहीं हो।

• लोन स्वीकृत होने के दिन कटौती का दावा करने वाले व्यक्ति के पास कोई आवासीय गृह संपत्ति नहीं होनी चाहिए।

यदि उपरोक्त सभी शर्तें पूरी होती हैं, तो करदाता धारा 80EE के तहत कटौती का दावा कर सकता है।

कुछ फंड, ट्रस्ट और चैरिटी संस्थाओं को दान करना

करदाता के लिए कटौती उपलब्ध है यदि वह नवीकरण करने या मरम्मत कार्य या मंदिरों के निर्माण के लिए स्वीकृत फंड और चैरिटी संस्थानों में योगदान देता है या उसमें दान करता है। इस तरह की कटौती का दावा किसी भी करदाता, कंपनी, फर्म आदि द्वारा किया जा सकता है। राष्ट्रीय रक्षा कोष, प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति में राहत कोष (पीएम केयर्स फंड), प्रधान मंत्री आर्मेनिया भूकंप राहत कोष, अफ्रीका (सार्वजनिक योगदान-भारत) कोष, राष्ट्रीय बाल कोष आदि में दान के लिए 100% कटौती उपलब्ध है।

किराये का भुगतान करना

कोई व्यक्ति अपने या अपने परिवार के आवासीय घर के लिए भुगतान किए गए किराए के लिए कटौती का दावा कर सकता है। यह व्यक्ति कोई भी हो सकता है जिसमें स्व-रोजगार व्यक्ति या ऐसा व्यक्ति भी शामिल हैं जिसे अपने नियोक्ता से मकान किराया भत्ता नहीं मिलता है। हालांकि यह भत्ता 5000 रू. प्रति माह से अधिक नहीं होना चाहिए या फिर व्यक्ति की आय का 25% से अधिक नहीं होना चाहिए। केवल एक व्यक्ति जो अपने या अपने परिवार के लिए आवासीय घर के लिए किराए का भुगतान करता है, वह फॉर्म संख्या 10BA के माध्यम से इस कटौती का लाभ उठा सकता है।

वैज्ञानिक अनुसंधान और ग्रामीण विकास के लिए दान करना

किसी पेशे या व्यवसाय से लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्ति को छोड़कर कोई भी व्यक्ति वैज्ञानिक अनुसंधान या ग्रामीण विकास के लिए किए गए दान के लिए कटौती का दावा कर सकता है। इस तरह के दान अनुसंधान संघों, विश्वविद्यालयों या इस क्षेत्र में काम करने वाले अन्य संस्थानों को दिए जाने चाहिए। इस तरह के योगदान किसी परियोजनाओं (आयकर विभाग द्वारा स्वीकृत) या राष्ट्रीय ग्रामीण विकास कोष या राष्ट्रीय शहरी गरीबी उन्मूलन कोष के लिए भी दिया जा सकता है। दान की गई पूरी राशि या 100% कटौती की जा सकती है। यह दान नकद, चेक या ड्राफ्ट में दिया जा सकता है लेकिन 10,000 रुपये से अधिक के नकद योगदान के लिए कोई कटौती की अनुमति नहीं है।

ऊपर दिए गए बिंदु जो व्यक्तियों पर लागू प्रमुख कटौतियों के कुछ उदाहरण हैं।

 

सूचना का अधिकार- कर

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (आरटीआई अधिनियम 2005) भारत के सभी नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों के तहत होने वाली नियंत्रण की सूचना तक पहुंच का अधिकार देता है। उदाहरण के लिए, यदि आप जानना चाहते हैं कि आपके टैक्स रिटर्न में देरी क्यों हो रही है, तो इसके लिए आप एक आरटीआई आवेदन दाखिल कर सकते हैं।

यदि आपको किसी ऐसी जानकारी की आवश्यकता है जो कर से संबंधित है, तो आप केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सी.पी.आई.ओ) या केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी (सी.ए.पी.आई.ओ) से संपर्क कर सकते हैं, और आप आवश्यक जानकारी का विवरण प्राप्त कर सकते हैं। आपके द्वारा किया जाने वाला अनुरोध इस प्रकार से होने से चाहिए:

• लिखित में हो या ऑनलाइन जमा किया गया हो।

• अंग्रेजी, हिंदी या आप जिस राज्य में रह रहे हैं उस राज्य की आधिकारिक भाषा में लिखी होनी चाहिए।

• आवेदन के दौरान मांगी गई फीस के साथ अनुरोध होनी चाहिए।

यदि आपको मदद की आवश्यकता है तो जन सूचना अधिकारी आवेदन को लिखने में भी आपकी सहायता करेगा। और व्यक्तिगत जानकारी के अलावा, आपको जानकारी (आरटीआई) मांगने का कोई कारण नहीं देना होगा, क्योंकि आपको सरकार से जानकारी मांगने के लिए अनुरोध करने का अधिकार है।

सी.पी.आई.ओ को अनुरोध प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर सूचना प्रदान करनी होती है, अगर वह अधिकारी सूचना नहीं दे पाता है, तो उस पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। सी.पी.आई.ओ. के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया यहां क्लिक करें और संबंधित फील्ड कार्यालयों/महानिदेशालयों के पेजों पर जाएं या आयकर संपर्क केंद्र को 0124-2438000 पर कॉल करें।

यदि आपको प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने में किसी सहायता की आवश्यकता है, तो आप किसी और स्पष्टीकरण के लिए ‘सूचना का अधिकार‘ टॉपिक को देख सकते हैं।

कर में छूट

कर छूट वह आय है जो कर से मुक्त होती है। दूसरे शब्दों में कह सकते है कि, ऐसी आय कर के उद्देश्यों के लिए गणना की गई कुल आय का हिस्सा नहीं होती है।

करमुक्त आय

नीचे दिए गए आय के कुछ उदाहरण हैं जिसमें कर से छूट प्राप्त है या करमुक्त है:

• कृषि आय।

• परिवार से संबंधित संपत्ति की कोई भी प्राप्त आय या किसी अविभाजित हिन्दू परिवार के एक व्यक्तिगत सदस्य द्वारा उस परिवार की आय से प्राप्त कोई भुगतान।

• किसी फर्म से लाभ का हिस्सा।

• एक नियोक्ता के पास जो भी कर्मचारी (भारतीय नागरिक) है, उसे नियोक्ता द्वारा छुट्टी यात्रा रियायत प्रदान की जाती है।

• विदेशी राजनयिकों द्वारा प्राप्त मेहनताना।

• मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान।

• व्यय में कमी पर मुआवजा।

• शिक्षा की लागत को पूरा करने के लिए दी गई छात्रवृत्ति।

• सशस्त्र बलों के परिवारों द्वारा प्राप्त पारिवारिक पेंशन।

• विदेश में तैनात अपने कर्मचारियों को भारत सरकार द्वारा दिया गया विदेशी भत्ता।

• भारत में विदेशी कंपनियों की ओर से चुकाया गया कर।

• सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा स्थापित म्युचुअल फंड की आय।

• भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को प्राप्त मुआवजा।

• जीवन बीमा पॉलिसी से प्राप्त कोई भी धनराशि। इसमें बोनस शामिल है लेकिन कीमैन बीमा पॉलिसियों शामिल नहीं है।

• लोकसभा/ राज्यसभा/ विधानसभा/ विधानमंडल के सदस्य का दैनिक भत्ता।

• स्वीकृत अनुसंधान संघ से कोई आय।

ऊपर में दी गयी सूचीबद्ध लोगों के अलावा, आयकर कानून के तहत कई सारे छूट हैं। कुछ संस्थानों को भी टैक्स देने से छूट दी गई है जैसे कि भारत वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट, चैरिटी संस्था आदि।

वित्तीय वर्ष और निर्धारण वर्ष/फाइनेंसियल ईयर & असेसमेंट ईयर

एक व्यक्ति की वार्षिक आय पर आयकर लगाया जाता है और उस कर की गणना एक कैलेंडर वर्ष में 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को समाप्त होने तक की अवधि से की जाती है।

‘आयकर कानून’ द्वारा ‘वर्ष’ को इस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है:

पिछला वर्ष: जिस वर्ष में आय अर्जित की जाती है उसे पिछला वर्ष कहा जाता है।

असेसमेंट ईयर: जिस साल में आय पर कर लगाया जाता है, उसे असेसमेंट ईयर कहा जाता है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति द्वारा 1 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021 की अवधि के दौरान अर्जित आय को पिछले वर्ष 2020-21 की आय के रूप में माना जाता है। तो पिछले वर्ष 2020-21 की आय अगले वर्ष, यानी आकलन वर्ष 2021-22 में कर के लिए योग्य होगा। ​

व्यवसायों के लिए पिछला वर्ष

हालांकि, व्यापारों या व्यवसायों के लिए, “पिछला वर्ष”, वही माना जायेगा जिसमें आय अर्जित की गयी है, और इस वर्ष की अवधि उसी तारीख से शुरू होती है

• जिस तारीख से व्यापार या व्यवसाय या पेशा का सेटअप किया गया है;

• और जिस तारीख को आय का नया स्रोत खुलता है और जिस तारीख को वह स्रोत ख़त्म होता है, उस बीच की अवधि को वित्तीय वर्ष कहा जाता है।

रिवाइज्ड रिटर्न भरने की प्रक्रिया

इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल करना (ऑफलाइन):

चरण 1: आईटीआर फॉर्म चुनें

ऑफलाइन मोड के लिए, आपको आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल से उचित आईटीआर फॉर्म डाउनलोड करना होगा। अगर आप जानना चाहते हैं कि आपको कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना है, तो यहां पढ़ें।

अगर आप ई-फाइलिंग पोर्टल में लॉग इन करते हैं तो पहले से भरा हुआ फॉर्म भी डाउनलोड किया जा सकता है। आप अपने खाते से ‘डाउनलोड प्री-फिल्ड एक्सएमएल’ चुन सकते हैं, जिसे व्यक्तिगत जानकरी और अन्य उपलब्ध विवरणों को पहले से भरने के लिए आपके आईटीआर फॉर्म में इम्पोर्ट किया जा सकता है।

चरण 2: विवरण भरें

आप डाउनलोड किए गए आईटीआर फॉर्म को ऑफलाइन भर सकते हैं। यह सुनिश्चित करें कि आप फॉर्म भर रहे हैं या फॉर्म में कोई प्रासंगिक विवरण को सही कर रहे हैं। ‘सामान्य सूचना’ के तहत, ‘रिटर्न फाइलिंग सेक्शन’ को ‘सेक्शन 139(5) के तहत संशोधित रिटर्न’ और ‘रिटर्न फाइलिंग टाइप’ को ‘संशोधित’ के रूप में चुनें।

पावती संख्या और मूल रिटर्न दाखिल करने की तारीख दर्ज करें। आप अपने ई-फाइलिंग खाते में जाकर ई-फाइल रिटर्न/फॉर्म के तहत ‘आयकर रिटर्न’ चुनकर इन विवरणों का पता लगा सकते हैं।

चरण 3: फॉर्म जमा करें

फॉर्म जेनरेट करें और उसे सेव करें। रिवाइज्ड रिटर्न ऑफलाइन तैयार करने के बाद, आप ई-फाइलिंग पोर्टल पर अपने खाते में लॉग इन करके ऑनलाइन फॉर्म जमा कर सकते हैं। चरण 4: एक्सएमएल फॉर्मेट में आईटीआर फॉर्म अपलोड करें

‘ई-फाइल’ मेनू का चयन करने के बाद, ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ पेज पर जाएं, वहां आपको असेसमेंट ईयर, आईटीआर फॉर्म नंबर का चयन करना होगा और यह बताना होगा कि आपका आईटीआर एक रिवाइज्ड रिटर्न है। फिर आप अपना फॉर्म एक्सएमएल फॉर्मेट में अपलोड कर सकते हैं। आपके पास अपना फॉर्म सत्यापित करने के लिए यहाँ कई विकल्प मिलेगा, जिसे आप फॉर्म जमा करने के समय या बाद में सत्यापन के लिए चुन सकते हैं।

एक बार सत्यापन हो जाने के बाद, आप यहां अपना आईटीआर स्टेटस चेक कर सकते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल करना (ऑनलाइन):

चरण 1: आईटीआर फॉर्म चुनें

ऑनलाइन मोड के लिए, आपको सीधे आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन करना होगा और आईटीआर-1 या आईटीआर-4 में से किसी एक का चयन करना होगा। अगर आप जानना चाहते हैं कि आपके लिए कौन सा आईटीआर फॉर्म लागू है, तो यहां पढ़ें।

चरण 2: अपना आईटीआर फॉर्म ऑनलाइन तैयार करें

‘ई-फाइल’ मेनू का चयन करने के बाद, ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ पेज पर जाएं, फिर आपको असेसमेंट ईयर, आईटीआर फॉर्म नंबर का चयन करना होगा और यह बताना होगा कि आपका आईटीआर एक रिवाइज्ड रिटर्न है। फिर आप ‘तैयार करें और ऑनलाइन जमा करें’ विकल्प का चयन करके अपने फॉर्म तक पहुंच सकते हैं।

चरण 3: विवरण भरें

सुनिश्चित करें कि आप फॉर्म भर रहे हैं या फॉर्म में कोई प्रासंगिक विवरण को सही कर रहे हैं। ‘सामान्य सूचना’ के तहत, ‘रिटर्न फाइलिंग सेक्शन’ को ‘सेक्शन 139(5) के तहत रिवाइज्ड रिटर्न’ और ‘रिटर्न फाइलिंग टाइप’ को ‘रिवाइज्ड’ के रूप में चुनें।

पावती संख्या और मूल रिटर्न दाखिल करने की तारीख दर्ज करें। आप अपने ई-फाइलिंग खाते में जाकर ई-फाइल रिटर्न/फॉर्म के तहत ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ चुनकर इन विवरणों का पता लगा सकते हैं।

चरण 4: फॉर्म जमा करें

फॉर्म भरने के बाद, आपके पास अपने फॉर्म को सत्यापित करने के लिए कई विकल्प होगा, जिसे आप फॉर्म जमा करने के समय या बाद में अपना फॉर्म सत्यापित करने के लिए चुन सकते हैं। एक बार सत्यापन हो जाने के बाद, आप यहां अपना आईटीआर स्टेटस चेक कर सकते हैं।

आधार/पैन को लिंक करना

सभी आयकर करदाताओं या उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें आय रिटर्न (यहां तक ​​कि दूसरों की ओर से) दाखिल करना है, उन सभी के पास एक स्थायी खाता संख्या (पैन) होना अनिवार्य है। आपका स्थायी खाता संख्या (पैन) एक 10-अंकीय अल्फ़ान्यूमेरिक अभिज्ञापक है, जो आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है। प्रत्येक आय करदाता (जैसे व्यक्ति, फर्म, कंपनी, आदि) को एक यूनिक पैन नंबर जारी किया जाता है, और इनकम टैक्स रिटर्न पर अपना पैन नंबर बताना अनिवार्य है। पैन नंबर के लिए आवेदन करते समय, अपने आधार/आधार नामांकन आईडी का उल्लेख करना अनिवार्य है। आप अपना आधार विवरण प्रदान करके तत्काल पैन प्राप्त कर सकते हैं। एक बार जब आप पैन के लिए आवेदन कर देते हैं, तो आप अपने पैन आवेदन की स्थिति भी देख सकते हैं। यदि आपके पैन/आधार विवरण में कोई परिवर्तन हुआ है, तो आप उस विवरण को अपडेट कर सकते हैं।

पैन नंबर प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।

रिफंड

अगर निर्धारण अधिकारी संतुष्ट है कि किसी निर्धारण वर्ष के लिए आपके द्वारा भुगतान की गई टैक्स की राशि उस राशि से अधिक है जिसके साथ वास्तव में शुल्क लिया जाना चाहिए, तो आप उस अतिरिक्त राशि की रिफंड पाने के हकदार हैं। आपके द्वारा भुगतान किए गए किसी भी अतिरिक्त टैक्स के रिफंड के लिए दावा किया जा सकता है।

अगर आप आयकर विभाग से किसी रिफंड का दावा करना चाहते हैं, तो आप ऐसा तभी कर सकते हैं जब आप अपना आईटीआर दाखिल करते हैं। आपके लिए देय आयकर रिफंड का दावा करने के लिए कोई अलग प्रक्रिया नहीं है। आप सामान्य तरीके से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करके टैक्स रिफंड का दावा कर सकते हैं, और उसका सत्यापन कर सकते हैं। फिर आयकर विभाग आपके आईटीआर सत्यापन की पुष्टि करेगा, जिसमें रिफंड राशि का विवरण भी शामिल होगा। आपका रिफंड दावा को या तो स्वीकार किया जाएगा या फिर अस्वीकार कर दिया जाएगा।

अतिरिक्त कर आमतौर पर ईसीएस हस्तांतरण (ट्रांसफर) के माध्यम से आपके बैंक खाते में जमा करके आपको वापस कर दिया जाएगा। कभी-कभी जब आप रिफंड के हकदार होते हैं, तो आयकर अधिकारी, रिफंड का भुगतान करने के बजाय, आपके द्वारा आयकर विभाग को देय राशि के विरुद्ध रिफंड राशि का सेट ऑफ (समायोजन) कर सकते हैं। आपको लिखित में सूचना देने के बाद ही यह प्रस्तावित कार्रवाई की जाती है।

आयकर विभाग रिफंड के दावों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए प्रयास कर रहा है। रिफंड के लिए आवेदन करने के बाद, आप अपनी रिफंड की स्थिति की जांच कर सकते हैं। अगर निर्धारण अधिकारी रिफंड का दावा करने वाले महीने के तीन महीने के भीतर रिफंड नहीं देता है, तो सरकार आपको रिफंड राशि पर 15% प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज का भुगतान करेगी।

रिवाइज्ड रिटर्न

अपना इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करते समय, यह सुनिश्चित करें कि आप इसे भरने के लिए सही आईटीआर फॉर्म का उपयोग कर रहे हों। अगर आप गलत फॉर्म का उपयोग करके अपना आईटीआर फाइल करते हैं, तो इसे डिफेक्टिव रिटर्न कहा जाएगा और आपको इसे फिर से फाइल करना होगा।

अगर किसी व्यक्ति को रिटर्न जमा करने के बाद कोई गलती, चूक या कोई गलत बयान मिलता है, तो उन्हें रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल करना चाहिए। रिटर्न को निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर ही संशोधित किया जाना चाहिए। रिटर्न को असेसमेंट ईयर के अंत से पहले या मूल्यांकन के पूरा होने से पहले (इनमें से जो भी पहले हो) संशोधित किया जा सकता है।

अगर निर्धारण अधिकारी को लगता है कि आपकी इनकम रिटर्न दोषपूर्ण है, तो वह आपको दोष के बारे में नोटिस भेज सकता है, और आपको नोटिस के पंद्रह दिनों के भीतर दोष को सुधारने का अवसर दे सकता है। अगर आप इसके लिए आवेदन करते हैं तो अधिकारी दोष को ठीक करने के लिए समय सीमा बढ़ाने की अनुमति भी दे सकता है। यदि पन्द्रह दिनों के भीतर या दी गई अवधि के भीतर दोष को ठीक नहीं किया जाता है, तो आपके रिटर्न को अमान्य रिटर्न माना जाएगा। यह माना जाएगा कि आप एक करदाता के रूप में रिटर्न जमा करने में विफल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप आपको जुर्माना भरना होगा।

हालांकि, कुछ मामलों में, निर्धारण अधिकारी देरी से रिटर्न भरने की की अनुमति दे सकता है और रिटर्न को वैध रिटर्न के रूप में मान सकता है। ऐसा तब हो सकता है जब आपने अनुमत अवधि के बाद, लेकिन अधिकारियों द्वारा आयकर निर्धारण किए जाने से पहले ही दोष को ठीक कर दिया हो। आईटीआर दाखिल करने का तरीका

अगर मूल रिटर्न पेपर फॉर्मेट में या मैन्युअल रूप से दाखिल की गई है, तो तकनीकी रूप से इसे ऑनलाइन मोड या इलेक्ट्रॉनिक रूप से संशोधित नहीं किया जा सकता है।