गोद लेने के प्रकार

नीचे दिए गए गोद लेने के प्रकार केवल आप पर तभी लागू होते हैं जब आप गोद लेने से संबंधित गैर-धार्मिक कानून का पालन करने का निर्णय लेते हैं। अगर आप हिंदू दत्तक कानूनों का पालन करते हैं, तो इस तरह से गोद लेने का कोई भी विशेष प्रकार नहीं है।

गोद लेने की प्रक्रियाओं की ये निम्नलिखित श्रेणियां हैं:

भारतीय निवासी द्वारा गोद लेना (भारत में रहने वाले लोग)।

भारतीय नागरिकों द्वारा किसी दूसरे देश के बच्चे को गोद लेना।

भारत के प्रवासी नागरिक (ओ.सी.आई, विदेश में रहने वाला भारतीय नागरिक) या भारत में रहने वाले किसी विदेशी नागरिक द्वारा गोद लेना।

ओ.सी.आई या अनिवासी भारतीय (एन.आर.आई) या दूसरे देशों में रहने वाले किसी विदेशी नागरिक द्वारा गोद लेना।

सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लेना।

• रिश्तेदार द्वारा गोद लेना।

  • देश में गोद लेना यानी भारत में ही गोद लेना।
  • अंतर्देशीय गोद लेना यानी एक देश से किसी दूसरे देश में गोद लेना।

हिंदू विवाह और मानसिक रोग

कानून कहता है कि मानसिक रोग वाले व्यक्ति में आमतौर पर वैध कानूनी विवाह करने की क्षमता नहीं होती है। जो व्यक्ति शादी करने की योजना बना रहा है, उसे वैध सहमति देने के लिए सक्षम होना चाहिए। यदि आप निम्नलिखित कारणों से सहमति देने में अक्षम हैं:

  • दिमाग की अस्वस्थता या;
  • मानसिक विकार के कारण जो आपको ‘विवाह और बच्चे पैदा करने के लिए अयोग्य’ बनाता है या;
  • यदि आपको ‘पागलपन का दौरा लगातार पड़ता है’, तो आपका विवाह वैध नहीं होगा।
कानून का प्रावधान चाहे सभी प्रकार के मानसिक रोगों को सम्मिलित ना कर सकता हो, लेकिन ऐसे भी कोई दिशानिर्देश नहीं हैं कि किस प्रकार के रोग या रोग का स्तर आपको विवाह के लिए अनुपयुक्त बनाती हैं।

पति द्वारा भरण-पोषण का भुगतान न करने के कारण इस्लाम में तलाक

इस्लामिक कानून के तहत पति द्वारा भरण-पोषण का भुगतान न करने पर तलाक का प्रावधान है।

आपका पति आपको 2 साल की अवधि तक रखरखाव प्रदान करने में विफल रहा है, तो आप तलाक के लिए अदालत में जा सकती हैं

बाल विवाह से पैदा हुए बच्चे

चाहे बाल विवाह रद्द किया गया हो या नहीं, कानून के अनुसार, बाल विवाह के अंतर्गत पैदा हुए बच्चों को धर्मज माना जायेगा यानि उनके जनम को वैध माना जाएगा।

बच्चों की अभिरक्षा

जहां तक ​​ऐसे बच्चों की अभिरक्षा का सवाल है, तो शादी रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए ही जिला न्यायालय यह तय करेगा कि बच्चों की कस्टडी किसे मिलेगी ।

अभिरक्षा प्रदान करने के समय न्यायालय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेगा:

• बच्चे की अभिरक्षा पर अपना निर्णय लेते समय न्यायालय बच्चे के कल्याण और सर्वोत्तम हितों को सर्वाधिक महत्व देगा।

• न्यायालय दूसरे पक्षकार को ऐसे बच्चों तक पहुंच की अनुमति भी दे सकता है यदि उसे ऐसा लगे कि ऐसा करना बच्चे के सर्वोत्तम हित में होगा।

• जिला न्यायालय पति को, या अवयस्कों के मामलों में, माता-पिता या संरक्षकों को निर्देश दे सकते हैं की वह लड़की को उसके भरण-पोषण के लिएराशि का

 

किसी लाइसेंस प्राप्त धार्मिक पादरी द्वारा विवाह की प्रक्रिया क्या है?

किसी लाइसेंस प्राप्त धार्मिक पादरी द्वारा तय किए गए विवाह को 4 चरणों में बांटा गया है:

चरण 1: प्रारंभिक सूचना जारी करना 

यदि दो व्यक्ति एक लाइसेंस प्राप्त धार्मिक पादरी द्वारा विवाह करना चाहते हैं, तो उनमें से एक को विवाह करने का इरादा जताते हुए मंत्री को व्यक्तिगत रूप से एक सूचना देनी होगी। सूचना में निम्नलिखित बातों का उल्लेख होना चाहिए:

• विवाह करने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति का नाम और उपनाम, और पेशा या स्थिति।

• उनमें से प्रत्येक का वर्तमान पता।

• वह समय, जिस दौरान उनमें से दोनों उक्त पते पर उपस्थित रहे हों। यदि कोई व्यक्ति वहां एक महीने से अधिक समय से रह रहा है, तो उन्हें केवल यह बताने की जरूरत है।

• विवाह का स्थान-या तो चर्च या निजी आवास होगा।

नीचे नोटिस का एक नमूना दिया गया है :

 

Sample notice of marriage

इसके बाद पादरी चर्च में एक प्रमुख या सार्वजनिक स्थान पर नोटिस चिपकाएगा। यदि विवाह किसी निजी आवास में हो रहा है, तो नोटिस उस जिले के विवाह रजिस्ट्रार को भेज दिया जाएगा, और नोटिस रजिस्ट्रार के कार्यालय के प्रमुख स्थान पर चिपकाया जाएगा। ऐसी स्थितियों में, जहां पादरी विवाह कराने से इनकार कर देते हैं, नोटिस या तो दूसरे पादरी को भेजा जाएगा, या उन व्यक्तियों को वापस कर दिया जाएगा, जो विवाह करना चाहते हैं।

चरण 2: नोटिस की प्राप्ति का प्रमाण-पत्र जारी करना 

नोटिस प्राप्त होने के कम से कम चार दिनों के बाद, विवाह के इच्छुक व्यक्तियों में से एक को यह कहते हुए पादरी को एक घोषणा करनी चाहिए कि विवाह में कोई कानूनी समस्या नहीं है। यदि दोनों पक्षों में से एक नाबालिग है, तो उन्हें यह बताना होगा कि आवश्यक कदम उठाए गए हैं। नाबालिग की विवाह की विशेष प्रक्रियाओं के बारे में अधिक जानने के लिए, ईसाई कानून के तहत नाबालिगों के विवाह पर हमारे लेख को पढ़ें।

चरण 3: विवाह का संपादन 

इस तरह की घोषणा के बाद, पादरी एक प्रमाण-पत्र जारी करेगा और दोनों पक्षों को प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के दो महीने के भीतर पादरी को उनका विवाह कराना होगा। पादरी के अलावा, दो गवाहों को विवाह में शामिल होना होगा। प्रमाण-पत्र की प्राप्ति के बाद यदि दो महीने बीत जाएं, तो एक नए नोटिस के साथ पूरी प्रक्रिया को फिर से शुरू करना होगा।

चरण 4: विवाह का पंजीकरण

विवाह संपन्न होने के बाद, पादरी द्वारा विवाह का विवरण एक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। प्रविष्टि पर पादरी, विवाह के पक्षकारों और विवाह समारोह में भाग लेने वाले दो गवाहों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे।

जिस व्यक्ति की अभिरक्षा में रजिस्टर रखा गया है, उसके द्वारा हस्ताक्षरित विवाह रजिस्टर में एक प्रविष्टि की प्रमाणित प्रति कानूनी साक्ष्य होगी कि प्रविष्टि में उल्लिखित व्यक्तियों का विवाह कानून के अनुसार हुआ है।

 

जीवनसाथी द्वारा धोखा और हिंदू विवाह कानून

आप तलाक के लिए उस स्थिति में भी केस फाइल कर सकते हैं यदि आपके पति ने आपको धोखा दिया है, यानी जब उन्होंने किसी अन्य व्यक्ति के साथ स्वैच्छिक संभोग किया हो। इसे व्यभिचार भी कहते हैं।

तलाक लेने के लिए, आपको यह साबित करना होगा कि आपके पति या पत्नी और किसी अन्य व्यक्ति के बीच शारीरिक संबंध हैं।

कुछ समय पहले तक धोखा देना एक अपराध था। यह अब अपराध नहीं है। हालांकि, आप अभी भी इस आधार पर तलाक के लिए फाइल कर सकते हैं कि आपके जीवनसाथी ने आपको धोखा दिया है।

इस्लामी निकाह के दौरान कौन से गवाहों की जरूरत होती है?

इनकी उपस्थिति में निकाह होना चाहिए:

• दो पुरुष गवाह या

• एक पुरुष और दो महिला गवाह।

ये गवाह मुस्लिम, वयस्क और दिमागी रूप से स्वस्थ होने चाहिए। इस्लामिक कानून के सुन्नी संप्रदाय में विशेष रूप से दो गवाहों को पेश करने की जरूरत होती है जबकि शिया संप्रदाय में निकाह के संबंध में किसी भी मामले में गवाह की उपस्थिति की जरूरत नहीं होती है।

गोद लेने के प्रभाव

गोद लेने के निम्नलिखित प्रभाव हैं, भले ही आपने किस भी कानून के तहत बच्चे को अपनाया हो:

दत्तक माता-पिता का बच्चा: वह गोद लेने वाले (सौतेले) माता-पिता का बच्चा बन जाता है, और वे माता-पिता बच्चे के असली माता-पिता की तरह बन जाते हैं जैसे कि बच्चा उनकी ही सभी इच्छाओं से पैदा हुआ था।

बच्चे का पारिवारिक संबंध: बच्चे का जन्म जिस परिवार में हुआ है, उस परिवार के साथ संबंध टूट जाते हैं और गोद लेने वाले परिवार (दत्तक परिवार) के साथ नये संबंध बनते हैं। हालाँकि, हिंदू कानून के तहत गोद लेने पर, जिस परिवार में बच्चा जन्म लिया था, और उस परिवार ने जिस किसी भी व्यक्ति के साथ बच्चे की शादी के लिए मना किया हो, तो गोद लिया हुआ बच्चा अभी भी उस व्यक्ति से शादी नहीं कर सकता।

बच्चे के संपत्ति का अधिकार: गोद लेने से पहले भी अगर बच्चे की स्वामित्व वाली कोई भी संपत्ति है, तो वह संपत्ति के साथ लगाए गए अनुबंध-पत्र के साथ (असली परिवार में रिश्तेदारों को बनाए रखने के दायित्व सहित) वह बच्चे की ही संपत्ति बनी रहेगी।

इसके अलावा, हिंदू कानून के तहत गोद लेने पर, बच्चे के गोद लेने के लिए दिए गए आदेश को प्रभावी होने की तारीख से:

बच्चे के संपत्ति का अधिकार: व्यक्ति (दत्तक माता-पिता) के पास गोद लेने से पहले की जो संपत्ति थी,उस संपत्ति पर गोद लिया हुआ बच्चा स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता और ना ही उस संपत्ति को छीन सकता है। वह बच्चा दत्तक माता/पिता को अपने जीवनकाल के दौरान अपनी संपत्ति को बेचने से भी नहीं रोक सकता है, और ना ही किसी को देने या दान करने से रोक सकता है।

एक वैध दत्तक ग्रहण को रद्द करना: एक वैध दत्तक ग्रहण को दत्तक(गोद लिया हुआ या सौतेला) माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा रद्द नहीं किया जा सकता है। एक बार गोद लेने के बाद, बच्चे को वह अस्वीकार नहीं कर सकता और न उसे वापस कर सकता है जिस परिवार में बच्चा जन्म लिया था।

अस्थायी भरण-पोषण भुगतान

अपने संतानों या रिश्तदारों को, मासिक आधार पर अस्थायी भरण-पोषण का भुगतान करने का आदेश देने के लिए, आप न्यायालय में अर्जी दे सकते हैं। न्यायालय को इस बात का फैसला करना है कि आपके आवेदन के बारे में आपके संतानों या रिश्तोदारों को सूचित करने के 90 दिनों के भीतर, क्या आपको अस्थायी भरण-पोषण का भुगतान मिल सकता है। विशेष परिस्थितियों में वे इसके लिये कुछ और समय (यानी 30 दिन) दे सकते हैं। यह उच्चतम भरण-पोषण राशि नहीं है जो आप पाने की उम्मीद कर सकते हैं। न्यायालय फैसला कर सकती है कि आपको कोई भी भरण-पोषण भत्ता नहीं मिले, या फिर अपने अंतिम आदेश में आपके भरण-पोषण की राशि को बढ़ाने या घटाने का फैसला कर सकती है।

हिंदू विवाह कानून के अंतर्गत निषेध रिश्ते

यदि जीवन साथी निषेध रिश्ते की सीमाओं में आते हैं, तब उनका विवाह वैध विवाह नहीं होगा। निषेध शादियों के प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • यदि एक जीवन साथी दूसरे का वंशागत पूर्वपुरुष है। वंशागत पूर्वपुरुष में पिता, माता, दादा और दादी के साथ-साथ परदादा और परदादी आदि भी शामिल हैं।
  • यदि एक जीवन साथी किसी वंशागत पूर्वपुरुष की पत्नी या पति है या किसी का वंशज है। वंशागत वंशज में ना केवल बच्चे और पोते पोतियां शामिल होंगे, बल्कि पड़पोते पड़पोतियां और उनके बच्चे भी शामिल होंगे।
  • यदि दो जीवन साथी भाई और बहन, चाचा और भतीजी, चाची और भतीजा, या पहले कज़िन हैं।
  • यदि एक जीवन साथी है
  • पूर्व जीवन साथी या आपके भाई बहन की विधवा (विधुर) या
  • पूर्व जीवन साथी या आपके पिता के या माता के भाई बहन की विधवा (विधुर) या
  • पूर्व जीवन साथी या आपके दादा के या दादी के भाई-बहन की विधवा (विधुर)।