आयकर क्या है?

आयकर क्या है?

‘आयकर’ भारत सरकार द्वारा प्रत्येक व्यक्ति की आय पर लगाया जाने वाला कर है। आयकर को नियंत्रित करने वाले कानूनी प्रावधान आयकर अधिनियम, 1961 में शामिल हैं। आयकर को समझने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना होगा जैसे:

कर भरने वाले व्यक्ति

प्रत्येक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना पड़ता है। आयकर कानून के तहत व्यक्ति, अविभाजित हिन्दू परिवार आदि को शामिल करने के लिए ‘व्यक्ति'(1) शब्द को परिभाषित किया गया है। अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें

कर योग्य आय या इनकम की गणना करना

आय कर विभाग आपकी आय के आधार पर कर लगाता है जैसे कि वेतन आदि से होने वाली आय पर। इसी तरह की स्रोतों से की गई गणना के कुल आय को सकल कुल आय कहा जाता है। इस राशि की कटौती आपके ही वेतन आदि से की जाती है। अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें

कर रहित संस्थाएं और आय

कुछ प्रकार से होने वाली आय और कुछ संस्थाओं को कर में छूट दी गई है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि, ऐसी विशेष आय और संस्थाओं पर आयकर नहीं लगाया जाएगा। इसमें कुछ उदाहरण के तौर पर जैसे कि कृषि से होने वाली आय, उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति से होने वाली आय आदि शामिल हैं। अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें

कर से सम्बंधित कटौतियां

यह कटौती एक व्यय है जिसे किसी व्यक्ति की सकल कुल आय में से घटाया जाता है ताकि उस राशि को कम किया जा सके जिस पर कर लगाया जा रहा है। यह कटौती होने वाली आय की राशि से कम, ज्यादा या उसके बराबर हो सकती है। यदि यह कटौती होने वाली आय की राशि से अधिक है तो परिणामी राशि को कर की गणना करते समय नुकसान के रूप में लिया जाएगा। व्यक्तियों के लिए कुछ कटौतियां में होम लोन के रूप में लिए गए, उच्च शिक्षा के कारण लिए गए लोन से होने वाली आय आदि भी शामिल हैं। अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें।

कर वसूली

सरकार द्वारा निम्न माध्यमों से कर वसूल किए जाते हैं:

भारतीय बैंकों के माध्यम से

करदाता प्राधिकृत बैंकों में स्वयं जाकर स्वेच्छा से इनकम टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, करदाता बैंकों की अधिकृत शाखाओं जैसे आई.सी.आई.सी.आई बैंक, एच.डी.एफ.सी बैंक, सिंडिकेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, आदि में एडवांस टैक्स और सेल्फ-असेसमेंट टैक्स का भुगतान कर सकते हैं।

स्रोत पर कर कटौती [टीडीएस]

जब व्यक्ति की पहली या मूल आय के स्रोत से ही कर लिया जाता है, तो इसे ‘स्रोत पर कर कटौती’ या टी.डी.एस. के रूप में जाना जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि आप किसी कंपनी में एक रखरखाव शुल्क अर्जित करने वाले पेशेवर व्यक्ति हैं, तो जब कंपनी आपको सैलरी देगी तो, उसमें से आपकी कंपनी द्वारा कर के रूप में एक निश्चित राशि की कटौती की जाएगी। कंपनी काटे गए उस पैसे को सरकार के पास जमा कराएगी। जिस व्यक्ति का टी.डी.एस. काटा गया है, उसे 26AS फॉर्म या टी.डी.एस. प्रमाणपत्र मिलेगा। यह फॉर्म या सर्टिफिकेट उस व्यक्ति को उसकी संस्था देगी या कटौती करने वाले व्यक्ति द्वारा दिया जाएगा।

उदाहरण के लिए, XYZ कंपनी अमन को उसका मासिक वेतन देने से पहले कर के रूप में एक राशि काट लेगी और फिर वह कंपनी अमन को टी.डी.एस. प्रमाणपत्र देगी।

टैक्स फाइल करते समय करदाता के पास पैन कार्ड और आधार कार्ड होना अनिवार्य है।

चेक कैसे काम करते हैं?

आइए समझते हैं कि चेक कैसे काम करते हैं। एक चेक एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति से बिना शर्त एक निश्चित राशि का भुगतान करने के लिए लिखित रूप में किया गया वादा है। हालांकि, आप अपने लिए भी एक चेक लिख सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि अमित को आशा के 10,000 रुपए देने हैं, वह आशा को 10,000 रुपए का चेक दे सकता है। जब आशा इस चेक को बैंक को प्रस्तुत करती है, तो उसे नकद के रूप में या उसके बैंक खाते में 10,000 रुपये प्राप्त होंगे। अमित के खाते से 10 हजार रुपए कट जाएंगे।

तकनीकी शब्दों में, जैसा कि बैंकरों और वकीलों द्वारा उपयोग किया जाता है, एक चेक को ‘नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट’ के रूप में भी जाना जाता है और यह एक प्रकार का ‘नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट’ होता है।

चेक की प्रक्रिया में शामिल विभिन्न पक्ष हैं:

• चेक जारी करने वाला (चेक काटने वाला)

• भुगतान पाने वाला/चेक का धारक और

• बैंक (अदाकर्ता)

कर लगाने योग्य आय की गणना

आपकी आय के आधार पर आयकर विभाग नीचे दी गई श्रेणियों के अनुसार कर लगाता है। इस तरह से की गणना की गई कुल आय को सकल कुल आय कहा जाता है। इस राशि से ही इसकी कटौती की जाती है।

वेतन से होने वाली आय

वेतन से होने वाली आय पर भारत में कर लगता है। जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

• पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) से देय वेतन। अगर वेतन का भुगतान नहीं किया गया है, तो भी उस पर कर लगाया जाएगा।

• देय होने से पहले ही पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) द्वारा भुगतान किया गया वेतन। उदाहरण के लिए, यदि नियोक्ता किसी प्रोजेक्ट के लिए एडवांस में ही वेतन का भुगतान करता है, तो भी उस पर कर लगाया जाएगा।

• पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) द्वारा भुगतान किया गया कोई बकाया या लंबित वेतन। यह तभी होता है जब इस राशि पर पिछले एक साल में कर नहीं लगाया गया हो।

आपके वेतन में निम्नलिखित ब्रेकअप पर पूरी तरह से कर लगेगा:

मूल वेतन (बेसिक सैलरी) : पूरी तरह से कर योग्य है।
महंगाई भत्ता : पूरी तरह से कर योग्य है।
बोनस, शुल्क या कमीशन: पूरी तरह से कर योग्य है।

पूंजीगत लाभ से आय

एक पूंजीगत संपत्ति होनी चाहिए। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि, करदाता के पास कोई भी संपत्ति हो, तो उसपर कर लगेगा।

• इसे करदाता द्वारा पिछले वर्ष के दौरान स्थानांतरित किया जाना चाहिए।

• स्थानांतरण करने पर लाभ होना चाहिए। करदाता द्वारा कौन-कौन से लेनदेन को “हस्तांतरित” (ट्रांसफर्ड) नहीं माना जाता है।

कुछ लेनदेन पर कर नहीं लगता है, जैसे:

• दिवालिया होने पर/ऋणमुक्ति के समय एक कंपनी में शेयरधारकों को संपत्ति का वितरण होने पर।

• अविभाजित हिन्दू परिवार के बंटवारे होने पर पूंजी संपत्ति का वितरण

गृह संपत्ति से आय

गृह संपत्ति जैसे आपका घर, कार्यालय, दुकान, कोई बिल्डिंग या उससे जुड़ी कुछ जमीन जैसे पार्किंग स्थल हो सकती है। आयकर अधिनियम एक वाणिज्यिक और आवासीय संपत्ति के बीच अंतर नहीं करता है। सभी प्रकार की संपत्तियों पर इनकम रिटर्न टैक्स ‘गृह संपत्ति से आय’ के तहत ही लगाया जाता है, जिसमें आपकी संपत्ति भी शामिल है। अगर निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हैं, तो ‘गृह संपत्ति से आय’ पर कर लगेगा:

• गृह संपत्ति में कोई भी बिल्डिंग या इससे जुड़ी जमीन होने पर।

• करदाता को संपत्ति का मालिक होने पर।

• करदाता द्वारा चलाए जा रहे व्यवसाय या पेशे के उद्देश्य के लिए गृह संपत्ति का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

व्यापार और व्यवसाय से आय

फर्म या व्यवसाय या पेशे में स्वतंत्र रूप से काम करने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा प्राप्त मेहनताना, बोनस या कमीशन पर, ‘वेतन से आय’ के रूप में कर नहीं लगता है, बल्कि यह ‘व्यापार या व्यवसाय से आय’ के रूप में कर के लिए योग्य होगा। कर के रूप में किसी व्यवसाय या पेशे से होने वाले निम्नलिखित आय पर शुल्क लगेगा:

• किसी विशेष व्यक्ति को देय या प्राप्त कोई मुआवजा या अन्य भुगतान करने पर।

• किसी व्यापार, पेशे या उसके सदस्यों के लिए की गई किसी विशेष सेवा से प्राप्त आय पर, जैसे किसी ठेकेदार द्वारा की गई आय।

• भारत सरकार की किसी भी योजना के तहत निर्यात के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा प्राप्त या मिलने वाली नकद सहायता (या इसे किसी भी नाम से जाना जाता हो)

• व्यवसाय से लाभ या किसी पेशे को करने से होने वाले किसी भी लाभ का मूल्य।

• ब्याज, वेतन, बोनस, कमीशन या मेहनताना देय या साझेदारी फर्म से साझीदार द्वारा प्राप्त किया गया धन। ये सभी उन आय के कुछ उदाहरण हैं जिन पर कर लगाया जाता है।

अन्य स्रोतों से आय

कोई भी आय जिस किसी भी आमदनी के तहत कर नहीं लगता है, लेकिन जिसे कुल आय से बाहर नहीं किया जाना है, वे सभी आमदनी “अन्य स्रोतों से आय” के तहत कर के लिए योग्य है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:

• लाभांश

• लॉटरी, वर्ग पहेली, घुड़दौड़ सहित अन्य दौड़, ताश के खेल, जुआ या किसी भी तरह की सट्टेबाजी जीतने से होने वाली आय।

निम्नलिखित धनराशियों को ‘अन्य स्रोतों से आय’ से आमदनी के तहत कर लगाया जाता है, और केवल तभी लगाया जाता है जब उस पर ‘व्यवसाय या पेशे से लाभ और अभिलाभ’ के तहत होने वाली आमदनी पर पहले से कर नहीं लगाया गया हो।

• नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों से पीएफ (भविष्य निधि), ई.एस.आई (कर्मचारी राज्य बीमा), सेवानिवृत्ति निधि, आदि के लिए योगदान के रूप में प्राप्त कोई भी धन।

• सिक्यूरिटी पर ब्याज

• करदाता से संबंधित मशीनरी, संयंत्र या फर्नीचर को किराये पर देना और उससे आय कमाना।

• भवनों के साथ संयंत्र, मशीनरी या फर्नीचर किराए पर देना और उससे समग्र आय कमाना।

• कीमैन बीमा पॉलिसी के तहत प्राप्त कोई भी धनराशि (बोनस सहित)।

 

 

चेक काटने वाले का इरादा

यदि आपके द्वारा जारी किया गया चेक बाउंस हो गया है, तो चेक काटने वाले का इरादा मायने नहीं रखता। यह अप्रासंगिक है कि आप अपने चेक को बाउंस करना चाहते हैं या नहीं। भले ही चेक को बिना किसी गलत इरादे या द्वेष के बाउंस किया गया हो, इसे अवैध और कानून के तहत अपराध माना जाता है।

कर की दरें

संसद द्वारा पारित हर साल के वित्त अधिनियम में आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स की दरें उपलब्ध हैं। आप अपनी कर देयता की जांच भी कर सकते हैं और आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध मुफ्त ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग करके आयकर की राशि की गणना कर सकते हैं।

बजट 2020 ने करदाताओं को इनमें(निम्नलिखित) से चुनने का विकल्प दिया है:

• लागू आयकर छूटों और कटौतियों के साथ मौजूदा आयकर व्यवस्था या

• कम आयकर दरों और नए आयकर स्लैब के साथ एक नई कर व्यवस्था लेकिन कर में कोई छूट और कटौती नहीं।

प्रत्येक व्यक्तियों के लिए आयकर की दरें नीचे दी गई हैं:

पुरानी/मौजूदा कर दरें/टैक्स रेट्स

नेट इनकम रेंज आकलन वर्ष 2020-21 के लिए आयकर की दर,
2,50,000 रुपये तक कोई कर नहीं।
2,50,000 रू. से 5,00,000 रू. तक 5% कर।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर।
10,00,000 रुपये से ऊपर पर 30% कर।

 

नई (घटायी गयी) कर दरें या रेट्स

निवल आय सीमा। आयकर दर (वैकल्पिक, 1 अप्रैल, 2020 से लागू)
2,50,000 रुपये तक कोई कर नहीं।
2,50,001 रू. से 5,00,000 रू. तक 5% कर।
5,00,001 रु. से 7,50,000 रू. तक 10% कर।
7,50,001 रु. से 10,00,000 रू. तक 15% कर।
10,00,001 रु. से 12,50,000 रू. तक 20% कर।
12,50,001 रू. से 15,00,000 रुपये तक 25% कर।
15,00,000 रुपये से ऊपर पर 30% कर।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर:

वरिष्ठ नागरिक वे हैं जो पिछले वर्ष के दौरान 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं।

निवल आय सीमा दर (आकलन वर्ष 2021-22) दर (आकलन वर्ष 2020-21)
2,50,000 रु. तक कोई कर नहीं लगेगा। कोई कर नहीं।
2,50,000 रु. से 5,00,000 रू. तक 5% कर। 5% कर।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर। 20% कर।
रुपये से ऊपर 10,00,000 30% कर लगेगा। 30% कर।

 

अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर के लिए आयकर:

अति वरिष्ठ नागरिक (सुपर सीनियर सिटीजन) वे हैं जो पिछले वर्ष (जिस वर्ष आय अर्जित की जाती है) के दौरान 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं।

निवल आय सीमा दर (आकलन वर्ष 2021-22) दर (आकलन वर्ष 2020-21)
5,00,000 रू. तक कोई कर नहीं। कोई कर नहीं।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर। 20% कर।
10,00,000 रू. से अधिक पर 30% कर। 30% कर।

 

 

 

चेक पर हस्ताक्षर का महत्व

चेक पर हस्ताक्षर का मतलब है कि जिस व्यक्ति ने उस पर हस्ताक्षर किया है वह बैंक को अपने खाते से पैसे निकालने की अनुमति दे रहा है। बैंक को चेक देते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

• सुनिश्चित करें कि चेक जारी करने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर उसके बैंक रिकॉर्ड में हस्ताक्षर के साथ मेल खाते हैं।

• अगर चेक पर आपका हस्ताक्षर बैंक रिकॉर्ड में आपके हस्ताक्षर से मेल नहीं खाता है, तो बैंक आपको इसके लिए जुर्माना दे सकता है।

यदि बैंक आपके चेक को वापस करने का निर्णय लेता है तो हस्ताक्षर बेमेल पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

आयकर किसे भरना होता है?

प्रत्येक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना पड़ता है। ‘व्यक्ति 16’ शब्द को आयकर कानून के तहत परिभाषित किया गया है जिसमें शामिल हैं:

• एक व्यक्ति। उदाहरण के लिए, वेतन पाने वाला एक कर्मचारी आदि।

• अविभाजित हिन्दू परिवार (एच.यू.एफ.)। उदाहरण के लिए, श्री राकेश, श्रीमती राकेश और उनके पुत्रों के एक अविभाजित हिन्दू परिवार (एच.यू.एफ.) होने के कारण संयुक्त परिवार के नाते उनके अलग-अलग सदस्यों के अलावा संयुक्त परिवार पर भी कर लगाया जा सकता है। • व्यक्तियों का संघ या व्यक्तियों का निकाय। उदाहरण के लिए, एक सहकारी आवास समिति (हाउसिंग कॉपरेटिव सोसाइटी)।

• फर्म। उदाहरण के लिए, ‘टैक्समैन एंड कंपनी’ नामक एक फर्म-जिसका स्वामित्व श्री राकेश और श्रीमती राकेश के पास है।

• एलएलपी(सीमित देयता भागीदारी)/एलएलपी(लिमिटेड लायबिलिटी प्रॉपर्टी)। उदाहरण के लिए एबीसी एलएलपी। एक एलएलपी में, प्रत्येक भागीदार/पार्टनर दूसरे पार्टनर के कदाचार या लापरवाही के लिए जिम्मेदार या उत्तरदायी नहीं होता है।

• कंपनियाँ। उदाहरण के लिए, ABC लिमिटेड, XYZ लिमिटेड।

• स्थानीय प्राधिकारी और कोई कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति जो ऊपर दिए गए किसी भी बिंदु में से शामिल नहीं है। जैसे, विश्वविद्यालय और संस्थान, नगर निगम, आदि।

इस प्रकार, ‘व्यक्ति’ शब्द की परिभाषा से यह देखा जा सकता है कि, एक स्वभाविक या सामान्य व्यक्ति के अलावा, यानी, एक व्यक्ति, जो अन्य कृत्रिम संस्थाएं जैसे कंपनी, एच.यू.एफ., आदि के लिए भी आयकर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे। व्यक्तियों के सभी संघ, व्यक्तियों के निकाय, स्थानीय प्राधिकरण, कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना होगा, भले ही वे लाभ या आय कमाने के उद्देश्य से बनाया गया हो, या फिर बिना उद्देश्य के बनाए गए हों। भारत में कुछ संस्थाओं को कर का भुगतान नहीं करना पड़ता है क्योंकि उन्हें कानून के तहत कर का भुगतान करने से छूट दी गई है। अधिक जानने के लिए यहां पढ़ें।

चेक भुनाना

चेक को भुनाने के लिए इन चरणों का पालन करें।

आपको जारी किए गए चेक के प्रकार का विश्लेषण करें।

बियरर चेक

यदि यह एक बियरर चेक है, तो चेक पर कोई नाम नहीं लिखा होगा। आप निम्नलिखित कर सकते हैं:

• बैंक की किसी भी शाखा (शहर में) में जाएं, जिस शाखा का चेक है

• इसे भुगतान के लिए प्रस्तुत करें

• बैंक टेलर, चेक के विवरण का सत्यापन करेगा और उसका भुगतान करेगा

• चेक तभी और वहीं क्लियर हो जाएगा और आपको कैश मिल जाएगा

ऑर्डर चेक

अगर यह ऑर्डर चेक है तो उस पर आपका नाम लिखा होगा। आप ऐसा कर सकते हैं:

• शहर में बैंक की किसी भी शाखा में जाएं, जिसका बैंक का चेक है और

• इसे भुगतान के लिए प्रस्तुत करें

• बैंक टेलर, चेक पर विवरण को सत्यापित करेगा और इसका भुगतान करेगा-चेक तभी और वहीं क्लियर हो जाएगा और आपको नकद मिल जाएगा

अकाउंट पेयी चेक/पाने वाले के खाते में देय चेक

यदि यह एक अकाउंट पेयी चेक है, तो चेक के पीछे अपना नाम, अपना खाता नंबर और संपर्क नंबर लिखें, जमा पर्ची भरें और निम्नलिखित दो विकल्पों में से किसी एक का प्रयोग करें।

बैंक/एटीएम ड्रॉपबॉक्स जमा

आप या तो अपने बैंक के एटीएम में जा सकते हैं या सीधे अपने बैंक की किसी भी शाखा में जा सकते हैं जहां आपका खाता है।

यदि आपके बैंक के एटीएम में चेक जमा पर्ची और एक ड्रॉप बॉक्स है, तो सबसे सुविधाजनक विकल्प निम्नलिखित करना है:

• चेक जमा पर्ची भरना। एक जमा पर्ची के दो भाग होते हैं; आप जितना छोटा हिस्सा भरकर अपने पास रखते हैं और जितना बड़ा हिस्सा भरते हैं और ड्रॉप बॉक्स में अपने चेक के साथ जमा करते हैं।

• पर्ची के अपने हिस्से को फाड़कर अपने पास रख लें

• चेक और जमा पर्ची के अन्य भाग को पिन करें

• एटीएम ड्रॉपबॉक्स में डालें।

हालांकि, इस ड्रॉपबॉक्स विकल्प के साथ, आपको बैंक से आपके चेक और जमा पर्ची की प्राप्ति की पावती नहीं मिलेगी। इसका मतलब यह है कि अगर किसी भी मौके पर चेक गुम हो जाता है, तो आप बैंक से चेक की स्थिति के बारे में पता नहीं कर पाएंगे। हालांकि, आप अभी भी इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से या बैंक को एक पत्र लिखकर अपना चेक रोक सकते हैं। अगर आपकी बैंक शाखा के एटीएम में ड्रॉपबॉक्स की सुविधा नहीं है तो आपको बैंक जाकर चेक ड्रॉप करना होगा। विस्तृत प्रक्रिया नीचे दी गई है।

एटीएम जमा राशि

कुछ एटीएम के पास एटीएम मशीन में ही चेक जमा करने का विकल्प होता है। कृपया मशीन में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करें और तदनुसार जमा करें।

बैंक जमाराशि

• चेक डिपॉजिट पर्ची भरें

• विभिन्न पर्चियों के बीच उपयुक्त चेक डिपॉजिट पर्ची प्रपत्र प्राप्त करें जो आमतौर पर शाखा के ड्रॉपबॉक्स क्षेत्र में रखी जाती हैं। सुनिश्चित करें कि आपके पास उचित पर्ची है।

• अपना बैंक खाता संख्या, शाखा का नाम, चेक राशि आदि सावधानी से भरें। उपयुक्त स्थान पर हस्ताक्षर करें। चेक का विवरण भी भरें, जैसे कि चेक नंबर, जिस बैंक से चेक निकाला गया है, राशि, जिस तारीख को ऐसा चेक निकाला गया था, आदि। सुनिश्चित करें कि आप इन विवरणों को संबंधित स्थानों पर भरें।

• पर्ची के अपने हिस्से को फाड़ें, चेक और पर्ची के दूसरे हिस्से पर पिन लगाएं और उन्हें ड्रॉपबॉक्स में डाल दें।

इनकम टैक्स रिटर्न या फॉर्म (आई.टी.आर)

इनकम टैक्स रिटर्न (आई.टी.आर) एक ऐसा फॉर्म है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति द्वारा एक वित्तीय वर्ष में अर्जित आय और ऐसी आय पर भुगतान किए गए टैक्स की जानकारी को आयकर विभाग में सूचित किया जाता है।

आय की प्रकृति और स्थिति के आधार पर, करदाताओं के विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग आई.टी.आर फॉर्म निर्धारित हैं। प्रत्येक करदाता को केवल एक विशिष्ट आई.टी.आर फॉर्म के तहत टैक्स रिटर्न दाखिल करना होता है, और आपके आय के लिए जो आई.टी.आर फॉर्म लागू है, आपको वही फॉर्म भरना होगा। गलत आई.टी.आर फॉर्म दाखिल करने पर उसे अमान्य और दोषपूर्ण माना जाएगा।

इनकम टैक्स फॉर्म/आयकर प्रपत्र

आईटीआर फॉर्म आयकर विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकते हैं। जब इनकम रिटर्न के डेटा के लिए आईटीआर-1 (सहज), आईटीआर-2, आईटीआर-3, आईटीआर-4 (सुगम), आईटीआर-5, आईटीआर-6, आईटीआर-7 भरे जाने के बाद सत्यापित होने पर ही आपको आयकर विभाग से एक पावती फॉर्म प्राप्त होगा।

आईटीआर-1 (सहज)

50 लाख तक की कुल आय वाले भारत में जो भी लोग रहते हैं, उन व्यक्तियों को यह आईटीआर फॉर्म दाखिल करना होगा। आप भारत के निवासी होंगे अगर आप:

• पिछले साल में यहाँ कम से कम 182 दिनों के लिए रहें हो,

• भारत में पिछले साल के पूर्व के चार वर्षों में कम से कम 365 दिनों के लिए रहें हो, और पिछले वर्ष में कम से कम साठ दिनों के लिए रहें हो, आपको यह फॉर्म तब भरना होगा जब आपका आय का स्रोत:

• आपका वेतन या पेंशन हो,

• एक घर की संपत्ति हो,

• और आपके अन्य स्रोत जैसे ब्याज आदि। (इसमें लॉटरी जीत, घुड़दौड़ आदि से आय शामिल नहीं है)

• 5,000 रुपये तक की कृषि आय हो।

यदि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो भारत में नहीं रह रहे हैं या किसी कंपनी में निदेशक हैं या भारत के बाहर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसकी किसी भी स्रोत से आय हो, तो आप पर आईटीआर-1 फॉर्म लागू नहीं होता है।

आईटीआर-2

यह फॉर्म निम्नलिखित पर लागू होता है:

• एक व्यक्ति जिस पर आईटीआर-1 लागू नहीं होता है, या

• एक अविभाजित हिन्दू परिवार (एचयूएफ) जिसकी कुल आय में किसी व्यवसाय या पेशे का लाभ और वृद्धि शामिल नहीं है।

उदाहरण के लिए, यदि रमा किसी कंपनी में निदेशक हैं, तो उन्हें आईटीआर-2 के तहत टैक्स रिटर्न दाखिल करना होगा, क्योंकि वह आईटीआर-1 के अंतर्गत नहीं आती हैं।

आपको यह फॉर्म तब भरना होगा जब आय का स्रोत:

• आपके पूंजीगत लाभ से हो,

• एक से अधिक गृह संपत्ति से हो,

• विदेशी आय/विदेशी संपत्ति से हो।

आईटीआर-3

यह फॉर्म केवल निम्नलिखित पर ही लागू होता है:

• एक व्यक्ति या अविभाजित हिन्दू परिवार (एचयूएफ) जिसके लिए आईटीआर-1, आईटीआर-2 और आईटीआर-4 फॉर्म लागू नहीं होते हैं, और

• जिसकी आय किसी व्यवसाय या पेशे के लाभ और वृद्धि से होती है।

उदाहरण के लिए, अगर श्याम किसी फर्म में पार्टनर है और सालाना 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाता है तो उसे आईटीआर-3 भरना होगा।

आईटीआर-4 (सुगम)

यह फॉर्म भारत में रहने वाले व्यक्तियों, एचयूएफ और फर्मों (सीमित देयता भागीदारी को छोड़कर) पर लागू होता है, जिनकी कुल वार्षिक आय 50 लाख रुपये तक है।

आय का निम्नलिखित स्रोत होने पर आईटीआर-4 लागू होता है:

• व्यवसाय से आय,

• पेशे से आय,

• वेतन या पेंशन से आय,

• एक गृह संपत्ति से आय,

• ब्याज आदि जैसे अन्य स्रोतों से आय (इसमें लॉटरी जीत और घुड़दौड़ से आय शामिल नहीं है) एक व्यक्ति जो भारत में नहीं रहता है या किसी कंपनी का निदेशक है, तो उसे यह आईटीआर -4 फॉर्म भरने की आवश्यकता नहीं है।

आईटीआर-5

यह फॉर्म निम्नलिखित पर लागू होता है:

• फर्म,

• एलएलपी(सिमित देयता भागीदारी),

• व्यक्तियों का संघ/व्यक्तियों का निकाय,

• कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति,

• स्थानीय प्राधिकरण,

• प्रतिनिधि निर्धारिती -एक प्रतिनिधि निर्धारिती किसी अनिवासी व्यक्ति का एजेंट हो सकता है, यह एक अवयस्क/विक्षिप्त दिमाग/ मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति का अभिभावक हो सकता है, यह एक संरक्षक आदि हो सकता है जो किसी अन्य व्यक्ति की ओर से आय प्राप्त करने या प्रबंध करने के लिए अधिकृत होता है।

• सहकारी समिति

• समिति पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत सोसायटी या समिति यह व्यक्तियों, एचयूएफ, कंपनी और आईटीआर -7 दाखिल करने वाले व्यक्तियों पर लागू नहीं है।

आईटीआर -6

जो चैरिटी या चैरिटी कारणों से कर में छूट का दावा करने वाली कंपनियों के अलावा, यह फॉर्म बाकी सभी कंपनियों के लिए लागू है। आप यहां कर मुक्त संस्थानों की सूची देख सकते हैं।

आईटीआर-7

यह फॉर्म व्यक्तियों (कंपनियों सहित) पर लागू होता है, जैसे:

• किसी ट्रस्ट के तहत चैरिटी या धार्मिक उद्देश्यों के लिए रखी गई संपत्ति से आय प्राप्त करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर,

• राजनीतिक दलों पर,

• समाचार एजेंसियां, म्युचुअल फंड, ट्रेड यूनियन आदि पर,

• सभी विश्वविद्यालय या कॉलेज पर।

आईटीआर-सत्यापन प्रपत्र

यह फॉर्म उन स्थितियों पर लागू होता है जहां आईटीआर-1 (सहज), आईटीआर-2, आईटीआर-3, आईटीआर-4 (सुगम), आईटीआर-5, आईटीआर-7 में इनकम रिटर्न का डेटा दाखिल किया जाता है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक रूप से सत्यापित नहीं रहता है।

 

चेक क्लियरिंग

चेक क्लियरिंग का अर्थ है चेक पर उल्लिखित राशि को भुगतान पाने वाले के खाते में स्थानांतरित करके एक बैंक से दूसरे बैंक में चेक प्रोसेस करना। चेक क्लियरिंग सिस्टम के दो सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले रूप हैं:

• चेक ट्रंकेशन सिस्टम

• स्पीड क्लियरिंग