अगर कोई शोर हो रहा है जिससे आपको झुंझलाहट होती है, या बेचैनी या कोई चोट लगती है, तो आप नीचे दिए गए अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अगर आपको पता है कि शोर का स्तर किसी भी क्षेत्र में तय सीमा यानि कि, ध्वनि-मानक 10 डीबी (ए)/10 dB(A) से अधिक हो गया है या फिर रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे के बीच ध्वनि प्रदूषण होता है, तो भी आप इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
पुलिस
अगर आप ध्वनि प्रदूषण को रोकना चाहते हैं तो आप नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत कर सकते हैं, 100 नंबर पर कॉल कर सकते हैं या अपने राज्य के पुलिस शिकायत पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पुलिस थाने का प्रभारी/अधिकारी, पुलिस आयुक्त/कमिश्नर या कोई भी अधिकारी (जो पुलिस उपाधीक्षक/डिप्टी एस.पी. के स्तर का हो) निम्न तरीकों से उस शिकायत पर कार्रवाई कर सकते हैं:
• ध्वनि प्रदूषण करने वाले सजो-सामान को जब्त कर सकते है
• माइक्रोफ़ोन या लाउडस्पीकर, आदि के उपयोग को बंद करवा सकते हैं
• प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में शिकायत दर्ज कराकर ध्वनि प्रदूषण को बंद के लिए लिखित आदेश ला सकते हैं।
केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों को लागू कराने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएं प्रदान करता है। इसका मुख्य काम नदियों, नालों, कुओं आदि में पानी की सफाई को सुनिश्चित करना और जल प्रदूषण को रोकना है। बोर्ड का यह भी कर्तव्य है कि वह वायु और ध्वनि प्रदूषण में कमी लाकर हवा की गुणवत्ता में सुधार करें। CPCB(सी.पी.सी.बी.) का मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है और विभिन्न राज्यों में उनके कई क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।
भले ही सी.पी.सी.बी. के कार्यालय कुछ ही राज्यों में हैं, लेकिन हर राज्य में एक कार्यालय ऐसा भी है जिसे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एस.पी.सी.बी.) के नाम से जाना जाता है। आप शिकायत दर्ज कराने के लिए एस.पी.सी.बी. के इन कार्यालयों में भी संपर्क कर सकते हैं। इन अधिकारियों के पास ध्वनि प्रदूषण को रोकने, प्रतिबंधित करने, नियंत्रित करने या विनियमित करने के लिए लिखित आदेश जारी करने का प्राधिकार (पॉवर) होता है:निम्न प्रकार के यंत्रों पर रोक लग सकता है,
• मुँह से बजने वाला कोई भी संगीत या वाद्य संगीत
• विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्र जिससे तय सीमा से अधिक ध्वनि प्रदूषण या आवाज होता है,
• ऐसे उपकरण जिसमें लाउडस्पीकर, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, हॉर्न, निर्माण-कार्य करने वाली मशीनें, सामान या औजार शामिल हैं जो ध्वनि प्रदूषण करने या उत्सर्जन करने में सक्षम हैं
• ध्वनि प्रदूषण करने वाले पटाखों के फोड़ने से होने वाली आवाजें
• व्यवसाय या उद्योग-धंधों से होने वाली आवाजें, उदाहरण के लिए, बर्तनों को बनाने का व्यवसाय/काम, आदि। अधिकारी उस व्यक्ति को अपना बचाव करने का एक मौका दे सकते हैं जिसने शोर मचाया है, और उसको सुनने के बाद फिर से वे उस आदेश को संशोधित भी कर सकते हैं या बदल सकते हैं।
कोर्ट
जिला मजिस्ट्रेट
ध्वनि प्रदूषण के बारे में शिकायत करने के लिए आप किसी वकील की मदद से नजदीकी जिला मजिस्ट्रेट के कोर्ट में जा सकते हैं। कोर्ट के पास ध्वनि प्रदूषण के कारण होने वाले उपद्रव या परेशानी को अस्थायी रूप से रोकने की शक्ति होती है। ध्वनि प्रदूषण करने वाले व्यक्ति के मामलों की सुनवाई करने के बाद कोर्ट निम्नलिखित आदेश जारी कर सकता है:
• कोर्ट शोर (या ध्वनि प्रदूषण) को रोकने के लिए अल्पकालिक आदेश या निषेध आज्ञा जारी कर सकता है
• कोर्ट, शोर को बंद करने या इसे नियंत्रित करने का आदेश दे सकता है
• कोर्ट, शोर या ध्वनि प्रदूषण को बंद करने और शोर को रोकने के लिए स्थायी आदेश पारित कर सकता है
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी)-एक विशेष न्यायिक निकाय है जहां आप ध्वनि प्रदूषण के मामलों सहित अन्य पर्यावरणीय मामलों की शिकायत दर्ज कराने के लिए जा सकते हैं। एन.जी.टी की स्थापना निम्न उद्देश्य से की गई थी:
• पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रभावी और शीघ्र उपाय या उपचार सुझाव देना /करवाना,
• वनों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना
• पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार को लागू करना।
ट्रिब्यूनल केंद्र
एन.जी.टी ट्रिब्यूनल के देश में पांच केन्द्र हैं-देश के उत्तर, मध्य, पूर्व, दक्षिण और पश्चिम में स्थित हैं। प्रमुख बेंच उत्तर क्षेत्र में स्थित है, जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। सेंट्रल (मध्य) ज़ोन की बेंच भोपाल में, ईस्ट (पूर्वी) ज़ोन की बेंच कोलकाता में, साउथ (दक्षिणी) ज़ोन की बेंच चेन्नई में और वेस्ट (पश्चिमी) ज़ोन की बेंच पुणे में स्थित है। एन.जी.टी का आदेश अनिवार्य (बाध्यकारी) होता है, और इसके पास पीड़ित व्यक्तियों को मुआवजे के रूप में राहत देने की शक्ति होती है।
एन.जी.टी में शिकायत दर्ज कराना
कोई भी व्यक्ति जो पर्यावरणीय नुकसान या वायु प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, आदि विषयों से संबंधित होने वाले प्रदूषण के लिए राहत और मुआवजे की मांग कर रहा है, वह एन.जी.टी में शिकायत दर्ज कर सकता है। एन.जी.टी का फैसला अनिवार्य होता है, और अगर आप इसके फैसले से नाखुश हैं तो आप 90 दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय (यानि सुप्रीम कोर्ट) में फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं।
अगर आप कोई मुकदमा दायर करना चाहते हैं या निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ कोर्ट में अपील करना चाहते हैं तो आप किसी वकील की सहायता ले सकते हैं।