वाहनों का शोर

भारत में वाहन या गाड़ी ध्वनि प्रदूषण का एक सामान्य स्रोत है। अगर आप अपने वाहन के हॉर्न का गलत इस्तेमाल करते हैं तो आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है, निम्न परिस्थितियों में हॉर्न बजाना मना है, जैसे:

• साइलेंट जोन में हॉर्न बजाना मना है

• बिना किसी वजह से या लगातार ऐसे तरीके से हॉर्न बजाना मना है, जो आपकी या दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरुरत से अधिक हो या उसकी आवाज की तीव्रता अत्यधिक हो।

• किसी आपात स्थिति को छोड़कर आवासीय इलाकों में रात के समय ( रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक) हॉर्न बजाना मना है।

• अलग-अलग टोन में हॉर्न बजाना मना है, जिससे बेचैन कर देने वाली कर्कश, तीखी, तेज या खतरनाक आवाज निकलती हो।

यहां तक कि गाड़ियों की फैक्ट्री में भी ध्वनि (हथर्न) की सीमा तय होती है जिसका पालन करना पड़ता है नहीं तो आपको जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है।

साइलेंसर

ट्रैक्टरों सहित प्रत्येक मोटर वाहनों में एक साइलेंसर लगाया जाना अनिवार्य है, जो एक एक्सपेंशन चैम्बर के माध्यम से, जहां तक ​​संभव हो, इंजन के एग्जॉस्ट गैस से निकलने वाले शोर को कम कर देता है।

हवाई अड्डा

ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए हवाई अड्डों पर भी ध्वनि को भी नियंत्रित किया जाता है। ध्वनि मानक केवल उन व्यस्त हवाई अड्डों पर लागू होते हैं, जहाँ से हर साल 50,000 से अधिक विमानों की आवाजाही होती है:

• सिविल हवाई अड्डे जहाँ सालाना 15,000 से कम विमानों की आवाजाही होती है वहाँ ये मानक लागू नहीं होते।

• रक्षा संबंधी विमान, विमान के लैंडिंग और टेक ऑफ की आवाज़, विमान के इंजन, हेलीपैड वाले स्थान पर ये मानक लागू नहीं होते।

नीचे दिए गए ध्वनि मानकों का अगर हवाईअड्डे पर पालन नहीं होता है, तो उनके खिलाफ अधिकारी कार्रवाई कर सकते हैं।

एयरपोर्ट टाइप ध्वनि प्रदूषण की तय सीमा डीबी(ए) में, लीक* (सुबह 6.00 बजे से रात 10.00 बजे तक) ध्वनि प्रदूषण की तय सीमा डीबी(ए) में, लीक* (रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक)
औद्योगिक क्षेत्र 70 65
व्यावसायिक क्षेत्र 65 60

 

धूम्रपान क्षेत्र

आप निर्दिष्ट धूम्रपान क्षेत्रों में धूम्रपान कर सकते हैं, जैसे 30 से अधिक कमरों वाले होटलों, हवाई अड्डों, या 30 से अधिक लोगों के लिए बैठ कर खाने की व्‍यवस्‍था रखने वाले रेस्तराओं में, जहां धूम्रपान करने वालों के लिए एक अलग से क्षेत्र बनाया जाता है। अलग से निर्धारित धूम्रपान क्षेत्र एक अलग से संवातित (वेंटिलेटेड) धूम्रपान के लिये एक कमरा होता है:

  • जो भौतिक रूप से अलग बना और चारो तरफ से उंची दिवारों से घिरा रहता है।
  • जिसका प्रवेश द्वार, अपने आप बंद हो जाने वाला एक दरवाज़ा होता है।
  • जिसमें एक ऐसी वायु प्रवाह प्रणाली होती है जो धुएं को सीधे बाहर ले जाती है, और फिर धुएं को उस बिल्डिंग के अन्य हिस्सों की हवा आपूर्ति से वापस घुलने-मिलने नहीं देती है। जिसके वायु प्रवाह प्रणाली को, निकास संवातन (एग्‍ज़ॉस्‍ट वेंटिलेशन) व्यवस्था, या वायु सफाई प्रणाली के साथ लगाया जाना चाहिए।
  • जिसमें वायु का दवाब, भवन के शेष भाग की तुलना में कम रखा जाता है।
  • जहां एक विशेष मार्किंग के साथ, ‘स्मोकिंग एरिया’ अंग्रेज़ी भाषा में, तथा समानार्थी शब्दों को एक अन्य भाषा में, साफ-साफ लिखा होना चाहिए।

अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी संसाधन को पढ़ें

कैनबिस (गांजा)

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय सूची में ड्रग्स और नशीले पदार्थों के बारे में जानकारी दी जा रही है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

भारतीय कानून के अनुसार भांग रखना और उसका इस्तेमाल करना गैरकानूनी है। हालांकि, भांग के पौधे से केवल फूल वाले हिस्से, उर्फ ​​गांजा/वीड, और राल, उर्फ ​​हशीश, हैश या चरस से संबंधित गतिविधियां अवैध हैं।

गांजा/वीड 

गांजा, जिसे वीड के नाम से भी जाना जाता है, केवल भांग के पौधे के फूल वाले हिस्से से सम्बंधित है जो भांग के पौधे का फल बन जाता है। भारत में गांजा का उत्पादन, निर्माण, कब्जा, बिक्री, खरीद, परिवहन, अंतरराज्यीय आयात/निर्यात और इस्तेमाल प्रतिबंधित है। इनमें से किसी भी गतिविधि को करने की सजा उसके प्रकार की बजाय शामिल गांजा की मात्रा के आनुपातिक है।

• छोटी मात्रा (1 किलो तक): 1 साल तक की जेल और/या 10,000 रुपये तक का जुर्माना।

• 1 किलो से 20 किलो के बीच: 10 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना।

• व्यावसायिक मात्रा (20 किलो): 10 साल से 20 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना। कोर्ट फैसले में कारण दर्ज कर 2 लाख रुपये से अधिक का भी जुर्माना लगा सकता है।

चरस/हैश 

चरस, भांग के पौधे से प्राप्त अलग राल (कच्चा या शुद्ध) है और इसमें कंसेन्ट्रेटिड प्रिपेरेशन और राल भी शामिल है जिसे हशीश तेल या तरल हशीश के रूप में जाना जाता है। भारत में चरस का उत्पादन, निर्माण, कब्जा, बिक्री, खरीद, परिवहन, अंतरराज्यीय आयात/निर्यात और चरस का इस्तेमाल प्रतिबंधित है। इनमें से किसी भी गतिविधि को करने की सजा उसके प्रकार की बजाय शामिल गांजा की मात्रा के आनुपातिक है।

• छोटी मात्रा (100 ग्राम तक): एक साल तक की जेल और/या 10,000 रुपये तक का जुर्माना।

• 100 ग्राम-1 किलो: दस साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना।

•व्यावसायिक मात्रा (1 किलो): दस साल से बीस साल के बीच की जेल, और 1 लाख रुपये से 2 लाख रुपये के बीच जुर्माना। कोर्ट फैसले में कारण दर्ज कर 2 लाख रुपये से अधिक का भी जुर्माना लगा सकता है।

ध्वनि-प्रदूषण की शिकायत दर्ज कराना

अगर कोई शोर हो रहा है जिससे आपको झुंझलाहट होती है, या बेचैनी या कोई चोट लगती है, तो आप नीचे दिए गए अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अगर आपको पता है कि शोर का स्तर किसी भी क्षेत्र में तय सीमा यानि कि, ध्वनि-मानक 10 डीबी (ए)/10 dB(A) से अधिक हो गया है या फिर रात के 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे के बीच ध्वनि प्रदूषण होता है, तो भी आप इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

पुलिस

अगर आप ध्वनि प्रदूषण को रोकना चाहते हैं तो आप नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत कर सकते हैं, 100 नंबर पर कॉल कर सकते हैं या अपने राज्य के पुलिस शिकायत पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पुलिस थाने का प्रभारी/अधिकारी, पुलिस आयुक्त/कमिश्नर या कोई भी अधिकारी (जो पुलिस उपाधीक्षक/डिप्टी एस.पी. के स्तर का हो) निम्न तरीकों से उस शिकायत पर कार्रवाई कर सकते हैं:

• ध्वनि प्रदूषण करने वाले सजो-सामान को जब्त कर सकते है

• माइक्रोफ़ोन या लाउडस्पीकर, आदि के उपयोग को बंद करवा सकते हैं

• प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में शिकायत दर्ज कराकर ध्वनि प्रदूषण को बंद के लिए लिखित आदेश ला सकते हैं।

केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों को लागू कराने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएं प्रदान करता है। इसका मुख्य काम नदियों, नालों, कुओं आदि में पानी की सफाई को सुनिश्चित करना और जल प्रदूषण को रोकना है। बोर्ड का यह भी कर्तव्य है कि वह वायु और ध्वनि प्रदूषण में कमी लाकर हवा की गुणवत्ता में सुधार करें। CPCB(सी.पी.सी.बी.) का मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है और विभिन्न राज्यों में उनके कई क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।

भले ही सी.पी.सी.बी. के कार्यालय कुछ ही राज्यों में हैं, लेकिन हर राज्य में एक कार्यालय ऐसा भी है जिसे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एस.पी.सी.बी.) के नाम से जाना जाता है। आप शिकायत दर्ज कराने के लिए एस.पी.सी.बी. के इन कार्यालयों में भी संपर्क कर सकते हैं। इन अधिकारियों के पास ध्वनि प्रदूषण को रोकने, प्रतिबंधित करने, नियंत्रित करने या विनियमित करने के लिए लिखित आदेश जारी करने का प्राधिकार (पॉवर) होता है:निम्न प्रकार के यंत्रों पर रोक लग सकता है,

• मुँह से बजने वाला कोई भी संगीत या वाद्य संगीत

• विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्र जिससे तय सीमा से अधिक ध्वनि प्रदूषण या आवाज होता है,

• ऐसे उपकरण जिसमें लाउडस्पीकर, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, हॉर्न, निर्माण-कार्य करने वाली मशीनें, सामान या औजार शामिल हैं जो ध्वनि प्रदूषण करने या उत्सर्जन करने में सक्षम हैं

• ध्वनि प्रदूषण करने वाले पटाखों के फोड़ने से होने वाली आवाजें

• व्यवसाय या उद्योग-धंधों से होने वाली आवाजें, उदाहरण के लिए, बर्तनों को बनाने का व्यवसाय/काम, आदि। अधिकारी उस व्यक्ति को अपना बचाव करने का एक मौका दे सकते हैं जिसने शोर मचाया है, और उसको सुनने के बाद फिर से वे उस आदेश को संशोधित भी कर सकते हैं या बदल सकते हैं।

कोर्ट

जिला मजिस्ट्रेट

ध्वनि प्रदूषण के बारे में शिकायत करने के लिए आप किसी वकील की मदद से नजदीकी जिला मजिस्ट्रेट के कोर्ट में जा सकते हैं। कोर्ट के पास ध्वनि प्रदूषण के कारण होने वाले उपद्रव या परेशानी को अस्थायी रूप से रोकने की शक्ति होती है। ध्वनि प्रदूषण करने वाले व्यक्ति के मामलों की सुनवाई करने के बाद कोर्ट निम्नलिखित आदेश जारी कर सकता है:

• कोर्ट शोर (या ध्वनि प्रदूषण) को रोकने के लिए अल्पकालिक आदेश या निषेध आज्ञा जारी कर सकता है

• कोर्ट, शोर को बंद करने या इसे नियंत्रित करने का आदेश दे सकता है

• कोर्ट, शोर या ध्वनि प्रदूषण को बंद करने और शोर को रोकने के लिए स्थायी आदेश पारित कर सकता है

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी)-एक विशेष न्यायिक निकाय है जहां आप ध्वनि प्रदूषण के मामलों सहित अन्य पर्यावरणीय मामलों की शिकायत दर्ज कराने के लिए जा सकते हैं। एन.जी.टी की स्थापना निम्न उद्देश्य से की गई थी:

• पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रभावी और शीघ्र उपाय या उपचार सुझाव देना /करवाना,

• वनों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना

• पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार को लागू करना।

ट्रिब्यूनल केंद्र

एन.जी.टी ट्रिब्यूनल के देश में पांच केन्द्र हैं-देश के उत्तर, मध्य, पूर्व, दक्षिण और पश्चिम में स्थित हैं। प्रमुख बेंच उत्तर क्षेत्र में स्थित है, जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। सेंट्रल (मध्य) ज़ोन की बेंच भोपाल में, ईस्ट (पूर्वी) ज़ोन की बेंच कोलकाता में, साउथ (दक्षिणी) ज़ोन की बेंच चेन्नई में और वेस्ट (पश्चिमी) ज़ोन की बेंच पुणे में स्थित है। एन.जी.टी का आदेश अनिवार्य (बाध्यकारी) होता है, और इसके पास पीड़ित व्यक्तियों को मुआवजे के रूप में राहत देने की शक्ति होती है।

एन.जी.टी में शिकायत दर्ज कराना

कोई भी व्यक्ति जो पर्यावरणीय नुकसान या वायु प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, आदि विषयों से संबंधित होने वाले प्रदूषण के लिए राहत और मुआवजे की मांग कर रहा है, वह एन.जी.टी में शिकायत दर्ज कर सकता है। एन.जी.टी का फैसला अनिवार्य होता है, और अगर आप इसके फैसले से नाखुश हैं तो आप 90 दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय (यानि सुप्रीम कोर्ट) में फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं।

अगर आप कोई मुकदमा दायर करना चाहते हैं या निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ कोर्ट में अपील करना चाहते हैं तो आप किसी वकील की सहायता ले सकते हैं।

सिगरेट और तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी के लेबल

सभी सिगरेट और तंबाकू उत्पादों पर होने चाहिए :

चेतावनी लेबल का विस्तृत विवरण

  • उनके लेबल पर चेतावनी दी जानी चाहिये, जिसमें फोटोग्राफिक चेतावनी भी शामिल है। उदाहरण के लिए, यह चेतावनी कि धूम्रपान से कैंसर हो सकता है, तो उसके साथ एक संक्रमित व्यक्ति की तस्वीर दी जा सकती है।
  • उत्पाद में निकोटीन और तारकोल की मात्रा, पैकेज पर दिखाई जानी चाहिए।

चेतावनी लेबल का दिखना

  • यह चेतावनी पैकेज के सबसे बड़े भाग पर होनी चाहिए।
  • तंबाकू उत्पाद की चेतावनी, पठनीय और स्पष्ट होने के साथ साथ, बड़े अक्षरों में होनी चाहिये और साफ दिखाई देनी चाहिए। अक्षरों की शैली या उनका प्रकार, पैकेज या लेबल की पृष्ठभूमि के रंगों के विपरीत होनी चाहिए।
  • चेतावनी को ऐसे भाग पर लिखा रहना चाहिये जिससे कि जब पैकेज को खोला जाए, तो यह, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को दिखाई दे।

चेतावनी लेबल की भाषा

  • पैकेज पर चेतावनी, अंग्रेजी या किसी भी भारतीय भाषा में, या अंग्रेजी और भारतीय भाषा दोनों में हो सकती है।
  • पैकेज पर जब एक विदेशी भाषा का उपयोग किया गया है, तब यह चेतावनी अंग्रेजी में तो अवश्य होनी चाहिए।
  • जहां पैकेज पर एक विदेशी भाषा, भारतीय भाषा और अंग्रेजी का उपयोग किया गया है, तो चेतावनी अंग्रेजी के साथ-साथ भारतीय भाषा में भी अवश्य होनी चाहिए।

यदि आप बिना किसी चेतावनी के ऐसे उत्पादों का उत्पादन करते हैं, तो आप 2 साल तक के लिए जेल जा सकते हैं, या आपको 5,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।। जब आप दूसरी बार पकड़े जाते हैं, तो आप 5 साल के लिए जेल जा सकते हैं, या आपको 10,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है। अगर आप बिना किसी चेतावनी के सिगरेट बेचते हैं, तो आपको 1 साल तक के लिए जेल भेजा जा सकता है, या आपको 1,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है यदि यह आपका पहला अपराध है। जब दूसरी बार पकड़े जाते हैं, तो आप 2 साल के लिए जेल जा सकते हैं, या आपको 3,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

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अफीम और अफीम पॉपी

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय सूची में ड्रग्स और नशीले पदार्थों के बारे में जानकारी दी जा रही है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

अफीम, अफीम पॉपी का ठोस रस है, जो पौधे का आधार होता है जिससे अफीम निकाली जाती है। यह एक सफेद रस है जिसे पॉपी ​​के पौधे से स्काल्प्स की मदद से बहुत सावधानी से निकाला जाता है। इसमें मॉर्फीन का 0.2 % से कम कोई भी प्रिपेरेशन शामिल नहीं है।

अफीम और अफीम पॉपी की खेती, उत्पादन, निर्माण, कब्जा, परिवहन, अंतर्राज्यीय आयात या निर्यात, बिक्री, खरीद या इस्तेमाल करना अवैध है। इनमें से किसी भी गतिविधि को करने की सजा गतिविधि के प्रकार की बजाय शामिल अफीम या अफीम पॉपी की मात्रा के समानुपाती है।

• छोटी मात्रा (25 ग्राम)-1 साल तक की जेल और/या 10,000 रुपये तक का जुर्माना

• 25 ग्राम से 2.5 किलो-10 साल तक की जेल और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना

• व्यावसायिक मात्रा (2.5 किलो)-10 से 20 साल के बीच जेल की अवधि, और 1 लाख से 2 लाख रुपये के बीच जुर्माना। कोर्ट 2 लाख से ज्यादा जुर्माना भी लगा सकती है।

तैयार अफीम 

तैयार अफीम, अफीम का कोई भी उत्पाद हो सकता है जो अफीम को धूम्रपान के लिए उपयुक्त अर्क में बदलने के लिए डिज़ाइन किए गए संचालन की किसी भी श्रृंखला द्वारा प्राप्त किया जाता है, जिसमें अफीम के बाद बचे अवशेष से धूम्रपान किया जाता है।

तैयार अफीम का निर्माण, कब्जा, परिवहन, अंतर्राज्यीय आयात या निर्यात, बिक्री, खरीद या इस्तेमाल करना अवैध है। इनमें से किसी भी गतिविधि को करने की सजा गतिविधि के प्रकार की बजाय शामिल अफीम या अफीम पॉपी की मात्रा के समानुपाती है।

• छोटी मात्रा (5 ग्राम)-1 साल तक की जेल और/या 10,000 रुपये तक का जुर्माना

• 5 ग्राम से 250 ग्राम-10 साल तक की जेल और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना

• व्यावसायिक मात्रा (250 ग्राम)-10 से 20 साल के बीच जेल की अवधि और 1 लाख से 2 लाख रुपये के बीच जुर्माना। कोर्ट 2 लाख से ज्यादा जुर्माना भी लगा सकती है।

 

ई-सिगरेट

भारत में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ई-सिगरेट उन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को कहते हैं, जो निकोटीन की मात्रा और स्वाद की परवाह किये बिना, किसी अन्य पदार्थ को गर्म करके, कश लेने के लिये एरोसॉल बनाता है। इसमें सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम, हीट नॉट बर्न उत्पाद, ई-हुक्का इत्यादि शामिल हैं।

इनके उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, विक्रय, परिवहन पर प्रतिबंध

ई-सिगरेट का उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन या विक्रय, तथा ई-सिगरेट के प्रचार और विज्ञापन अवैध है। यदि आप इनमें से कुछ भी करते हैं, तो आपको 1 वर्ष तक का कारावास, और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। दोबारा ऐसा अपराध करने पर, आपको 3 साल तक का कारावास, और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है।

ई-सिगरेट का भंडारण

ई-सिगरेट के भंडारण के लिए, किसी भी जगह का उपयोग करना अवैध है। आपको 1 वर्ष तक का कारावास और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। दोबारा ऐसा अपराध करने पर, आपको 3 साल तक का कारावास और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है।

सिर्फ इसलिए कि आपके पास ई-सिगरेट है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप कोई अवैध काम कर रहे हैं। कानून के अनुसार ई-सिगरेट रखना कोई अपराध नहीं है।

यदि किसी अधिकारी को, जो उप-निरीक्षक या उसके उपर के पद का है, ऐसा लगता है कि इस कानून का कहीं उल्लंघन हो रहा है, वह उस जगह की तलाशी ले सकता है जहां व्यापार, उत्पादन, भंडारण या ई-सिगरेट के विज्ञापन किया जा रहा है। वह तलाशी के दौरान ई-सिगरेट से जुड़े किसी भी दस्तावेज या संपत्ति को भी जब्त कर सकता है और अपराध से जुड़े व्यक्ति को हिरासत में भी ले सकता है। हालाँकि, तलाशी के दौरान पाई गई संपत्ति या रिकॉर्ड्स को यदि जब्त नहीं किया जा सकता है, तो वह ऐसी संपत्ति, स्टॉक्स या रिकॉर्ड्स को कुर्क (अटैच) करने का आदेश दे सकता है।

कोकेन

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय सूची में ड्रग्स और नशीले पदार्थों के बारे में जानकारी दी जा रही है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

कोकेन, कोका के पौधे के पत्ते से बनाई गई दवा है। कोकेन का निर्माण, कब्जा, परिवहन, अंतर्राज्यीय आयात या निर्यात, बिक्री, खरीद या इस्तेमाल करना अवैध है। इनमें से किसी भी गतिविधि को करने की सजा गतिविधि के प्रकार की बजाय शामिल कोकेन की मात्रा के समानुपाती है।

• छोटी मात्रा (2 ग्राम)-1 साल तक की जेल और/या 10,000 रुपये तक का जुर्माना

• 2 ग्राम-100 ग्राम-10 साल तक की जेल और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना

• व्यावसायिक मात्रा (100 ग्राम)-10 से 20 साल की जेल और 1 लाख से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना। कोर्ट 2 लाख से ज्यादा जुर्माना भी लगा सकती है।

कोका प्लांट 

कोका के पौधे की खेती करने, इकट्ठा करने, उत्पादन, रखने, परिवहन, आयात, निर्यात, बेचने, खरीदने और उपयोग करने के लिए भी अलग से सजा का प्रावधान है। इनमें से किसी भी गतिविधि के लिए, आपको 10 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

धूम्रपान उल्लंघन अपराध के खिलाफ अपील

आप अदालत द्वारा किए गए किसी भी फैसले, जैसे सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पादों को जब्त करने, या उसके के संबंध में लागत भरने, के खिलाफ हमेशा अपील कर सकते हैं। जब न्यायालय द्वारा अपील की सुनवाई हो रही है, उस वक्त अतिरिक्त सबूत दिया जा सकता है। जब एक अपील की जाती है, तो आप पर लगाया गया जुर्माना, या लागत को तब तक नहीं बढ़ाया जा सकता, जब तक आपको व्यक्तिगत रूप से, या किसी प्रतिनिधि (वकील) के माध्यम से सुना नहीं गया हो। इसे ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आप केवल एक बार ही अपील कर सकते हैं।

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नशीली दवाओं / पदार्थों का सेवन

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय सूची में ड्रग्स और नशीले पदार्थों के बारे में जानकारी दी जा रही है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

प्रतिबंधित दवाओं और पदार्थों का सेवन भारत में अवैध है और इसकी सज़ा में जेल और/या जुर्माना शामिल है।

यदि आप कोकेन, मॉर्फिन, डायसेटाइल- मॉर्फिन का सेवन करते हुए पकड़े जाते हैं, तो आपको 1 साल तक की जेल और/या 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। किसी भी अन्य प्रतिबंधित दवाओं के लिए, आपको 6 महीने तक की जेल और/या 10,000 रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। सिक्किम भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जो व्यसनियों के पुनर्वास द्वारा नशीली दवाओं के सेवन के लिए प्रोसिक्यूशन से प्रतिरक्षा देता है। व्यसनियों जो मादक द्रव्यों का सेवन करते हैं, वे नशामुक्ति के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल या संस्थान से चिकित्सा उपचार की मांग स्वेच्छा से कर सकते हैं ताकि प्रोसिक्यूशन से बचा जा सके। इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति सिक्किम में बिना चिकित्सकीय नुस्खे के किसी दवा का सेवन करता है, तो उसे अनिवार्य डिटॉक्सीफिकेशन से गुजरना होगा, उसके बाद पुनर्वास करना होगा और इसके लिए उसे केवल 10000रु. का जुर्माना अदा करना होगा।