भारत में वाहन या गाड़ी ध्वनि प्रदूषण का एक सामान्य स्रोत है। अगर आप अपने वाहन के हॉर्न का गलत इस्तेमाल करते हैं तो आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है, निम्न परिस्थितियों में हॉर्न बजाना मना है, जैसे:
• साइलेंट जोन में हॉर्न बजाना मना है
• बिना किसी वजह से या लगातार ऐसे तरीके से हॉर्न बजाना मना है, जो आपकी या दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरुरत से अधिक हो या उसकी आवाज की तीव्रता अत्यधिक हो।
• किसी आपात स्थिति को छोड़कर आवासीय इलाकों में रात के समय ( रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक) हॉर्न बजाना मना है।
• अलग-अलग टोन में हॉर्न बजाना मना है, जिससे बेचैन कर देने वाली कर्कश, तीखी, तेज या खतरनाक आवाज निकलती हो।
यहां तक कि गाड़ियों की फैक्ट्री में भी ध्वनि (हथर्न) की सीमा तय होती है जिसका पालन करना पड़ता है नहीं तो आपको जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है।
साइलेंसर
ट्रैक्टरों सहित प्रत्येक मोटर वाहनों में एक साइलेंसर लगाया जाना अनिवार्य है, जो एक एक्सपेंशन चैम्बर के माध्यम से, जहां तक संभव हो, इंजन के एग्जॉस्ट गैस से निकलने वाले शोर को कम कर देता है।
हवाई अड्डा
ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए हवाई अड्डों पर भी ध्वनि को भी नियंत्रित किया जाता है। ध्वनि मानक केवल उन व्यस्त हवाई अड्डों पर लागू होते हैं, जहाँ से हर साल 50,000 से अधिक विमानों की आवाजाही होती है:
• सिविल हवाई अड्डे जहाँ सालाना 15,000 से कम विमानों की आवाजाही होती है वहाँ ये मानक लागू नहीं होते।
• रक्षा संबंधी विमान, विमान के लैंडिंग और टेक ऑफ की आवाज़, विमान के इंजन, हेलीपैड वाले स्थान पर ये मानक लागू नहीं होते।
नीचे दिए गए ध्वनि मानकों का अगर हवाईअड्डे पर पालन नहीं होता है, तो उनके खिलाफ अधिकारी कार्रवाई कर सकते हैं।
एयरपोर्ट टाइप | ध्वनि प्रदूषण की तय सीमा डीबी(ए) में, लीक* (सुबह 6.00 बजे से रात 10.00 बजे तक) | ध्वनि प्रदूषण की तय सीमा डीबी(ए) में, लीक* (रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक) |
औद्योगिक क्षेत्र | 70 | 65 |
व्यावसायिक क्षेत्र | 65 | 60 |