सौदेबाजी करने के कदम

उठाये जाने वाले कदम

पहचान के प्रमाण की मांग करें

आप मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता से पहचान के प्रमाण की मांग कर सकते हैं ताकि आप संतुष्ट हो सकें कि वह मकान मालिक ही मकान का असली मालिक है, या उसके पास संपत्ति को किराए पर देने की अनुमति है। पहचान प्रमाण मांगने का उद्देश्य यह जांचना है कि क्या यह वही व्यक्ति है जो वह होने का दावा कर रहा है। उपयोग किए जाने वाले सबसे सामान्य कुछ पहचान पत्रों में है, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि। आईडी कार्ड पर फोटो के साथ स्थायी पता भी लिखा होना चाहिए।

किराए और सुरक्षा जमाराशि (सिक्युरिटी डिपॉजिट) पर सौदेबाजी करना

उसके साथ किराया और सुरक्षा जमाराशि पर सौदा करें, और दोनों के लिए रसीद भी ले लें। कुछ मामलों में, किराए पर सौदा करते समय दलालों से काफी मदद मिल सकती है, इसलिए ऐसे वक्त पर आप उन्हें अपने साथ आने का अनुरोध भी कर सकते हैं।

घर में अपेक्षित सुविधाओं के बारें समझौता करें

घर का निरीक्षण करते समय यदि आप इसमें किसी तरह का बदलाव, परिवर्धन करना, चाहते हैं, तो अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से पहले आपको अपने मकान मालिक को यह बताना चाहिए। ऐसा करने से आप यह जान पाएंगे कि मकान मालिक आपकी आवश्यकताओं के लिए समझौता करने के लिए तैयार है या नहीं, और आप भी यह अनुमान लगा कर सकते हैं कि आप इस घर को सबसे अच्छी कीमत पर पा रहे हैं या नहीं। मरम्मत करने और अलग से लगाये जाने वाली चीजों की एक सूची तैयार करें ताकि आपका मकान मालिक उन पर गौर कर सके।

बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करना

यदि आप बैंक द्वारा प्रदान किए गए समाधान से असंतुष्ट हैं और इस मामले में आगे पूछताछ करना चाहते हैं, तो आप बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 के तहत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित बैंकिंग लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं। प्रत्येक बैंक को अपने पते पर शाखा बैंकिंग लोकपाल का विवरण प्रदर्शित करना आवश्यक है जिसके अधिकार क्षेत्र में शाखा आती है। यहां संबंधित बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

आप ऐसा तभी कर सकते हैं जब आप बैंक के साथ मामलों को निपटाने की कोशिश कर चुके हों और असफल हो गए हों। यदि आप न्यायालय में मामला दायर करते हैं, जैसे कि उपभोक्ता न्यायालय, तो आप उस समय लोकपाल से संपर्क नहीं कर सकते जब तक कि मामला चल रहा हो।

यदि आप बैंकिंग लोकपाल के निर्णय से असंतुष्ट हैं, तो आप लोकपाल के निर्णय के खिलाफ अपीलीय प्राधिकारी -डिप्टी गवर्नर से संपर्क कर सकते हैं जो बैंकिंग लोकपाल योजना, भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यान्वयन से निपटने के प्रभारी हैं। यह अपील लोकपाल के निर्णय के 30 दिनों के भीतर की जानी चाहिए।

उपभोक्ता कल्याण कोष

उपभोक्ता कल्याण कोष (CWF) का समग्र उद्देश्य उपभोक्ताओं के कल्याण को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने और देश में उपभोक्ता आंदोलन को मज़बूत करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। कुछ नियम हैं जो CWF के उपयोग को नियंत्रित करते हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

• विस्‍तृत कवरेज वाली और सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय व्‍यवहारों को अपनाने वाली उपभोक्ता जागरूकता परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए सीडब्ल्यूएफ से प्राथमिकता प्राप्‍त होगी।

• सीडब्ल्यूएफ का उपयोग करते समय सरकार, ग्रामीण व वंचित उपभोक्ताओं तथा उनके हितों की सुरक्षा-योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसके लिए, ग्रामीण उपभोक्ताओं और उनके सशक्तिकरण से संबंधित परियोजनाओं, और ग्रामीण उपभोक्ताओं (जिनमें महिलाओं व सामाजिक रूप से वंचित समूहों की भी बड़ी भागीदारी है) के लिए काम करने वाले संगठनों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

• CWF को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच भी वितरित किया जाना है, ताकि कल्याणकारी गतिविधियों के लिए भी क्षेत्रीय उपभोक्ता कल्याण कोष बनाया जा सके।

• कंपनियों की कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व निधि के माध्यम से सीडब्ल्यूएफ में योगदान करने की दिशा में एक उल्‍लेखनीय प्रयास किया गया है।

• उपभोक्ता जागरूकता और शिक्षा के लिए अभिनव परियोजनाएं, उपभोक्ता शिक्षा के लिए प्रशिक्षण और अनुसंधान सुविधाओं की स्थापना, ग्रामीण उपभोक्ता सशक्तिकरण से संबंधित परियोजनाएं, स्कूलों/कॉलेजों/विश्वविद्यालयों में उपभोक्ता क्लब, परामर्श के लिए राज्य/क्षेत्रीय स्तर पर उपभोक्ता मार्गदर्शन ब्यूरो की स्थापना और मार्गदर्शन, उत्पाद परीक्षण प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों में उत्कृष्टता केंद्र बनाने, पैरवी और वर्गीय कानूनी कार्रवाई आदि पर खर्च को पूरा करने आदि को प्राथमिकता मिलती है।

CWF के तहत वित्तीय सहायता के लिए आवेदन करना

उपभोक्‍ता कल्‍याण निधि से वित्‍तीय सहायता की मांग करने वाले प्रस्‍ताव आम तौर पर, जनवरी और जुलाई के महीनों में, साल में दो बार ऑनलाइन होते हैं। प्रस्ताव आमंत्रित करने की उचित सूचना एवं प्रारूप उपभोक्ता विभाग की वेबसाइट पर जारी एवं प्रकाशित किये जायेंगे। उपभोक्ता कल्याण कोष से अनुदान के लिए आवेदन पत्र आप उपभोक्ता विभाग की वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं।

यद्यपि, मूल्यांकन समिति पात्रता मानदंडों पर खरा न उतरने, और एक ही उद्यम के लिए कई सरकारी मंचों के माध्यम से धन प्राप्‍त करने का प्रयास करने वाले अधूरे फॉर्म आदि कारणों से आवेदन को अस्वीकार कर सकती है।

कर की दरें

संसद द्वारा पारित हर साल के वित्त अधिनियम में आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स की दरें उपलब्ध हैं। आप अपनी कर देयता की जांच भी कर सकते हैं और आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध मुफ्त ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग करके आयकर की राशि की गणना कर सकते हैं।

बजट 2020 ने करदाताओं को इनमें(निम्नलिखित) से चुनने का विकल्प दिया है:

• लागू आयकर छूटों और कटौतियों के साथ मौजूदा आयकर व्यवस्था या

• कम आयकर दरों और नए आयकर स्लैब के साथ एक नई कर व्यवस्था लेकिन कर में कोई छूट और कटौती नहीं।

प्रत्येक व्यक्तियों के लिए आयकर की दरें नीचे दी गई हैं:

पुरानी/मौजूदा कर दरें/टैक्स रेट्स

नेट इनकम रेंज आकलन वर्ष 2020-21 के लिए आयकर की दर,
2,50,000 रुपये तक कोई कर नहीं।
2,50,000 रू. से 5,00,000 रू. तक 5% कर।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर।
10,00,000 रुपये से ऊपर पर 30% कर।

 

नई (घटायी गयी) कर दरें या रेट्स

निवल आय सीमा। आयकर दर (वैकल्पिक, 1 अप्रैल, 2020 से लागू)
2,50,000 रुपये तक कोई कर नहीं।
2,50,001 रू. से 5,00,000 रू. तक 5% कर।
5,00,001 रु. से 7,50,000 रू. तक 10% कर।
7,50,001 रु. से 10,00,000 रू. तक 15% कर।
10,00,001 रु. से 12,50,000 रू. तक 20% कर।
12,50,001 रू. से 15,00,000 रुपये तक 25% कर।
15,00,000 रुपये से ऊपर पर 30% कर।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर:

वरिष्ठ नागरिक वे हैं जो पिछले वर्ष के दौरान 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं।

निवल आय सीमा दर (आकलन वर्ष 2021-22) दर (आकलन वर्ष 2020-21)
2,50,000 रु. तक कोई कर नहीं लगेगा। कोई कर नहीं।
2,50,000 रु. से 5,00,000 रू. तक 5% कर। 5% कर।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर। 20% कर।
रुपये से ऊपर 10,00,000 30% कर लगेगा। 30% कर।

 

अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर के लिए आयकर:

अति वरिष्ठ नागरिक (सुपर सीनियर सिटीजन) वे हैं जो पिछले वर्ष (जिस वर्ष आय अर्जित की जाती है) के दौरान 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं।

निवल आय सीमा दर (आकलन वर्ष 2021-22) दर (आकलन वर्ष 2020-21)
5,00,000 रू. तक कोई कर नहीं। कोई कर नहीं।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर। 20% कर।
10,00,000 रू. से अधिक पर 30% कर। 30% कर।

 

 

 

चेक पर हस्ताक्षर का महत्व

चेक पर हस्ताक्षर का मतलब है कि जिस व्यक्ति ने उस पर हस्ताक्षर किया है वह बैंक को अपने खाते से पैसे निकालने की अनुमति दे रहा है। बैंक को चेक देते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

• सुनिश्चित करें कि चेक जारी करने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर उसके बैंक रिकॉर्ड में हस्ताक्षर के साथ मेल खाते हैं।

• अगर चेक पर आपका हस्ताक्षर बैंक रिकॉर्ड में आपके हस्ताक्षर से मेल नहीं खाता है, तो बैंक आपको इसके लिए जुर्माना दे सकता है।

यदि बैंक आपके चेक को वापस करने का निर्णय लेता है तो हस्ताक्षर बेमेल पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

किराए के एग्रीमेंट पर सौदेबाजी करना

सौदेबाजी करते समय आपको पहले उस व्यक्ति की पहचान स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए, जिसके साथ आप समझौता करने जा रहे हैं। इस जानकारी का होना महत्वपूर्ण है, ताकि आप अपने अधिकारों का दावा करने में सक्षम रहें और जिस व्यक्ति के साथ आप एग्रीमेटं कर रहे हैं, उसके साथ लेन-देन या सौदा कर सकें। यदि आपके पास इसकी जानकारी रहती है, तो आपके लिए नीचे दिए गए मामलों में पुलिस के पास या अदालत के पास जाना आसान होगा:

  • एग्रीमेंट समझौते पर हस्ताक्षर करने के पहले ही कोई छल या धोखा हुआ हो।
  • एग्रीमेंट या भुगतान को लेकर कोई समस्या या विवाद हो जाए।

जब आप अपने एग्रीमेंट पर सौदा कर रहे हों, तो मौखिक रूप से सहमत अपने सभी शर्तों को स्पष्टतः कर लेना, और उन्हें लिखित रूप दे देना महत्वपूर्ण है। एक बार जब किराया के एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हो जाता है तो उसके बादः

  • इस पर आसानी से विवाद खड़ा नहीं किया जा सकता है। इसलिए, समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले, इस पर ठीक से सौदा कर लेना और उसे पूरी तरह पढ़ लेना जरूरी है।
  • यदि आपका मकान मालिक/किरायेदार आपसे कुछ और मांगता है जो अनुबंध में नहीं है तो आप उसे मना कर सकते हैं।

विल की विषय-वस्तु

आप अपनी ऐसी सभी संपत्ति काेेे किसी को भी दे सकते हैं, जिस पर आपका पूर्ण स्वामित्व हो। आप ऐसी संपत्ति को किसी को नहीं दे सकते हैं, जिस पर आपका स्वामित्व न हो। कुछ मामलों में आपके पास ऐसी संपत्ति हो सकती है, जिस पर आपका आजीवन हित हो अथार्त किसी व्यक्ति ने अपनी विल के जरिये आपको वह संपत्ति आपके जीवन-काल में उपयोग के लिए दी हो, लेकिन उस पर आपका स्वामित्व न हो।

आप अपनी विल में ऐसी किसी भी चल या अचल सम्पति को शामिल कर सकते हैं, जिसे आपने स्वयं अर्जित किया हो। यदि आप हिंदू संयुक्त परिवार के सदस्य हों, तो अपनी पैतृक संपत्ति में से अपने हिस्से को ही आप अपनी विल में शामिल कर सकते हैं।

ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंकों की जिम्मेदारी

बैंकों को अपने ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के लिए अनिवार्य रूप से एसएमएस अलर्ट के लिए पंजीकरण करने के लिए कहना चाहिए। जहां कहीं भी उपलब्ध हो, उन्हें अपने ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के लिए ई-मेल अलर्ट के लिए पंजीकरण करने के लिए कहना चाहिए।

एसएमएस अलर्ट अनिवार्य रूप से ग्राहकों को भेजे जाएंगे, जबकि इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन की स्थिति में जहां कहीं भी पंजीकृत हैं, ईमेल अलर्ट भेजे जा सकते हैं। ग्राहकों को उनकी इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग सेवाओं के किसी भी अनधिकृत उपयोग तथा अनधिकृत लेनदेन की रिपोर्ट करने के लिए और/या कार्ड आदि जैसे भुगतान साधन की हानि या चोरी की रिपोर्ट करने के लिए, बैंकों को ग्राहकों को कई 24×7 समर्पित चैनलों के माध्यम की सुविधा, (कम से कम, वेबसाइट, फोन बैंकिंग, एसएमएस, ई-मेल, इंस्टेंट वॉयस रिस्पांस, टोल-फ्री हेल्पलाइन, होम ब्रांच को रिपोर्ट करना, आदि) प्रदान करनी चाहिए। बैंकों को ग्राहकों को एसएमएस और ई-मेल अलर्ट पर हीं ‘रिप्लाई’ भेज कर तुरंत उत्तर देने का अधिकार देना होगा, ताकि ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन पर आपत्ति को सूचित करने के लिए वेब पेज या ई-मेल पते की खोज करने की आवश्यकता न हो।

बैंकों को अपनी वेबसाइट के होम पेज पर अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की रिपोर्ट करने के विशिष्ट विकल्प के साथ शिकायत दर्ज करने के लिए एक सीधा लिंक भी प्रदान करना होगा। हानि/धोखाधड़ी रिपोर्टिंग प्रणाली को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पंजीकृत शिकायत संख्या के साथ शिकायत को स्वीकार करने वाले ग्राहकों को तत्काल प्रतिक्रिया (ऑटो प्रतिक्रिया सहित) भेजी जाए। बैंकों को अलर्ट की डिलीवरी का समय और तारीख और ग्राहक की प्रतिक्रिया की प्राप्ति, यदि कोई हो, को रिकॉर्ड करना चाहिए।

जो ग्राहक बैंक को मोबाइल नंबर प्रदान नहीं करते हैं, उन्हें बैंक एटीएम नकद निकासी के अलावा इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की सुविधा नहीं दे सकते हैं। ग्राहक से अनधिकृत लेनदेन की रिपोर्ट प्राप्त होने पर, बैंकों को खाते में और अनधिकृत लेनदेन को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।

उपभोक्ता शिकायतों के प्रकार

उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत प्रत्येक व्यक्ति को निम्नलिखित प्रकार की उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने का अधिकार है-

ई-कॉमर्स शिकायतें 

‘ई-कॉमर्स’ का अर्थ डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर (डिजिटल उत्पादों सहित) सामान या सेवाओं को खरीदना या बेचना है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन, वितरण, विपणन, बिक्री या वितरण शामिल है।

ई-कॉमर्स संस्थाएं, जैसे कि फ्लिपकार्ट और अमेज़ॉन सरीखी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स को लंबे समय से ऐसे सेवा प्रदाताओं के रूप में बरता जाता रहा है, जो लाभ के लिए काम करती हैं। इनके द्वारा जब भी उपभोक्ता अधिकारों का उल्‍लंघन हुआ है, तो उन्हें उत्तरदायी ठहराया गया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 द्वारा लाये गये प्रमुख सुधारों में से एक यह है कि यह इन ई-कॉमर्स संस्थाओं को नियंत्रित करने के लिए वह नियमावली निर्धारित करता है-

• ई-कॉमर्स संस्थाओं को शिकायत के 48 घंटे के भीतर जवाब देना होगा।

• शिकायत कहीं से भी की जा सकती है, भले ही खरीदारी कहीं से भी की गयी हो।

• अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स संस्थाओं को अब विक्रेताओं के ब्‍योरे प्रदर्शित करना ज़रूरी है, जैसे उनका कानूनी नाम, भौगोलिक पता, संपर्क विवरण, आदि।

• इन संस्थाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से माल की कीमतों में हेरफेर नहीं करना चाहिए, और बिक्री के किसी भी अनुचित या भ्रामक तरीके को नहीं अपनाना चाहिए।

• उन्हें उत्पाद के गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने और नकली समीक्षाएं पोस्ट करने की मनाही है।

• कानून, उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के आदेश देता है।

भ्रामक विज्ञापनों की शिकायतें 

कोई विज्ञापन, टेलीविज़न, रेडियो या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, समाचार पत्रों, बैनर, पोस्टर, हैंडबिल, दीवार-लेखन आदि के माध्यम से एक प्रचार होता है। एक भ्रामक विज्ञापन वस्तुओं और सेवाओं के बारे में असत्य बातें कहता है, जो उपभोक्ता को उन्हें खरीदने के लिए गुमराह कर सकता है। ये विज्ञापन किसी उत्पाद या सेवाओं की उपयोगिता, गुणवत्ता और मात्रा के बारे में झूठे दावे कर सकते हैं, या जानबूझकर उत्पाद के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी (जैसे ज्ञात दुष्प्रभाव) छिपा सकते हैं, आदि। भ्रामक दावे करने पर विज्ञापनदाताओं पर मुकदमा चलाया जा सकता है। ऐसे विज्ञापन, जिनमें उस खास लाभकारी पहला संयोजन वाले पहले टूथपेस्ट होने का दावा शामिल है, जबकि वास्तव में ऐसा लाभकारी संयोजन उसमें नहीं होता है, या ऐसी विज्ञापन योजनाएं जो उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाये बिना कंपनी का अपना लाभ बढ़ाने की कोशिश करती हैं, आदि।

अनुचित व्यापार चलन की शिकायतें 

उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत अनुचित व्यापार प्रथाओं की एक व्यापक परिभाषा है। उसमें माल के मानक, गुणवत्ता और मात्रा के बारे में, और इस्‍तेमालशुदा / पुरानी वस्तुओं को नये माल के रूप में बेचने के भी झूठे बयान शामिल हैं। इसमें वारंटी के झूठे दावे, या वारंटी अवधि का वैज्ञानिक रूप से परीक्षण न किये जाने जैसी चीज़ें भी शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप कई मुकदमे हुए हैं, जिनमें से एक में एक नूडल-निर्माता अपने पैकेटों पर झूठी सीसा सामग्री बता रहा था। एक और मामले में दवाओं के लेबल बदल कर उनकी समाप्ति अवधि को कृत्रिम ढंग से आगे बढ़ा दिया जाता था, लेबल पर बतायी गयी सामग्री से अलग ही अवयवों से बने माल की बिक्री, आदि।

प्रतिबंधात्मक व्यापार आचरण संबंधी शिकायतें 

प्रतिबंधात्मक व्यापार क्रियाकलापों का अर्थ है ऐसा व्यापार व्‍यवहार जो माल की कीमत, या वितरण में हेरफेर करता है, जो बाजार में आपूर्ति के प्रवाह को प्रभावित करता है। इससे उपभोक्ताओं को अनुचित लागत या प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। आम तौर पर यह कुछेक ऐसे तरीकों से किया जाता है-मूल्य आरोपण, एकाधिकार से सौदेबाज़ी करना, बेचे हुए माल के रीसेल मूल्यों को नियंत्रित करना, कोई सामान या सेवा खरीदने के लिए दूसरे सामान या सेवाओं को खरीदना भी अनिवार्य कर देना। इसका एक प्रत्‍यक्ष उदाहरण है, इलेक्ट्रॉनिक सामानों का डिलीवरी और फिक्सिंग का मनमाना मूल्‍य वसूलना। नतीजतन, उपभोक्ता चाहे-अनचाहे सेवा का भुगतान कर देता है, जिससे उन्हें मजबूरन अनुचित खर्च करना पड़ता है।

खराब माल की शिकायत 

दोषपूर्ण सामान वह सामान है जिसमें गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता या मानक संबंधी ऐसा कोई दोष, अपूर्णता या कमी है, प्रचलित कानून के तहत जिसका पालन करना विक्रेता के लिए आवश्यक है। कुछ उदाहरण मिलावटी या दोषपूर्ण ढंग से तैयार पेय पदार्थ, खराब मशीनरी, बेढंगी कलाकृतियां आदि हैं।

नकली सामान की शिकायत 

नकली सामान वे होते हैं जिन पर झूठा दावा किया जाता है कि वे असली हैं या वे जो असल की नकल होते हैं। ये अक्सर निम्न गुणवत्ता वाले होते हैं और मूल सामान के कानूनी मालिकों के ट्रेडमार्क और कॉपीराइट का उल्‍लंघन करते हैं। एक महत्वपूर्ण उदाहरण स्थानीय बाज़ारों में मिलने वाली दवाओं या सस्ते मेकअप उत्पादों का है। अक्सर, नकली दवाएं किसी अन्य दवा के नाम से बेची जाती हैं, या वे भ्रामक तरीके से किसी अन्य दवा की नकल के बतौर या उसके बदले में बेची जाती हैं।

एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) से ज्‍़यादा पैसे लेना 

किसी उत्पाद के अधिकतम खुदरा मूल्य के बतौर निर्धारित मूल्य से ज्‍़यादा दाम लेते समय, विक्रेता, उपभोक्ता से आम तौर पर यह वसूली धोखे से या झूठ बोल कर करते हैं। यह उपभोक्ता अधिकारों का घोर उल्‍लंघन है।

खाने की शिकायतें 

वर्तमान कानून, खाद्य उत्पादों संबंधी शिकायतों पर भी ध्‍यान देता है। उदाहरण के लिए, ग्राहक फूड सेफ्टी कनेक्ट पोर्टल पर पैकेजित आहार के बारे में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं जैसे कि उसका मिलावटी होना, उसका समय समाप्‍त होना, FSSAI लाइसेंस का न होना, आदि या स्वच्छता की कमी, उसमें कीड़े मौजूद होने आदि जैसे सेवा संबंधी मुद्दे।

आयकर किसे भरना होता है?

प्रत्येक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना पड़ता है। ‘व्यक्ति 16’ शब्द को आयकर कानून के तहत परिभाषित किया गया है जिसमें शामिल हैं:

• एक व्यक्ति। उदाहरण के लिए, वेतन पाने वाला एक कर्मचारी आदि।

• अविभाजित हिन्दू परिवार (एच.यू.एफ.)। उदाहरण के लिए, श्री राकेश, श्रीमती राकेश और उनके पुत्रों के एक अविभाजित हिन्दू परिवार (एच.यू.एफ.) होने के कारण संयुक्त परिवार के नाते उनके अलग-अलग सदस्यों के अलावा संयुक्त परिवार पर भी कर लगाया जा सकता है। • व्यक्तियों का संघ या व्यक्तियों का निकाय। उदाहरण के लिए, एक सहकारी आवास समिति (हाउसिंग कॉपरेटिव सोसाइटी)।

• फर्म। उदाहरण के लिए, ‘टैक्समैन एंड कंपनी’ नामक एक फर्म-जिसका स्वामित्व श्री राकेश और श्रीमती राकेश के पास है।

• एलएलपी(सीमित देयता भागीदारी)/एलएलपी(लिमिटेड लायबिलिटी प्रॉपर्टी)। उदाहरण के लिए एबीसी एलएलपी। एक एलएलपी में, प्रत्येक भागीदार/पार्टनर दूसरे पार्टनर के कदाचार या लापरवाही के लिए जिम्मेदार या उत्तरदायी नहीं होता है।

• कंपनियाँ। उदाहरण के लिए, ABC लिमिटेड, XYZ लिमिटेड।

• स्थानीय प्राधिकारी और कोई कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति जो ऊपर दिए गए किसी भी बिंदु में से शामिल नहीं है। जैसे, विश्वविद्यालय और संस्थान, नगर निगम, आदि।

इस प्रकार, ‘व्यक्ति’ शब्द की परिभाषा से यह देखा जा सकता है कि, एक स्वभाविक या सामान्य व्यक्ति के अलावा, यानी, एक व्यक्ति, जो अन्य कृत्रिम संस्थाएं जैसे कंपनी, एच.यू.एफ., आदि के लिए भी आयकर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे। व्यक्तियों के सभी संघ, व्यक्तियों के निकाय, स्थानीय प्राधिकरण, कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना होगा, भले ही वे लाभ या आय कमाने के उद्देश्य से बनाया गया हो, या फिर बिना उद्देश्य के बनाए गए हों। भारत में कुछ संस्थाओं को कर का भुगतान नहीं करना पड़ता है क्योंकि उन्हें कानून के तहत कर का भुगतान करने से छूट दी गई है। अधिक जानने के लिए यहां पढ़ें।