ग्राहक का ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी से सुरक्षित रहने का अधिकार

बैंक के ग्राहक के रूप में, आपके पास ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी से सुरक्षित रहने के लिए निम्नलिखित अधिकार हैं:

• आपके खाते के माध्यम से होने वाले सभी इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन की एसएमएस अधिसूचना को पंजीकृत करने और प्राप्त करने का अधिकार।

• आपके खाते के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के लिए ईमेल अलर्ट पंजीकृत करने और प्राप्त करने का अधिकार।

 

उपभोक्ता कौन होता है?

उपभोक्ता वे लोग हैं जो वस्तुएं या सेवाएं खरीदते और उपयोग करते हैं। उपभोक्ताओं को उनके द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली किसी भी सेवा या सामान के लिए शिकायत दर्ज करने का अधिकार है-

सामान और सेवाओं को खरीदने व उपयोग करने वाला व्यक्ति 

उपभोक्ता में ऐसा कोई भी व्यक्ति शामिल होता है जो वस्तुओं और सेवाओं को खरीदता है, साथ ही उनका उपयोग करने वाला व्‍यक्ति भी इसमें शामिल होता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो सिनेमा का टिकट खरीदने के बाद फिल्म देखता है वह उपभोक्ता है, और इसी तरह, जो व्यक्ति किसी और से उपहार में उपहार वाउचर पाकर उसका उपयोग करता है, वह भी उपभोक्ता है।

स्वरोज़गार के लिए सामान का उपयोग करने वाला व्यक्ति, न कि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए 

उपभोक्ता संरक्षण कानून उन लोगों पर लागू नहीं होता है जो वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए वस्तुओं व सेवाओं का उपयोग करते हैं। हालांकि, इसके कुछ अपवाद भी हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अपने व्यवसाय में उपयोग करने के लिए बड़ी मशीनें खरीदता है, वह ‘उपभोक्ता’ नहीं है। हालांकि, जो लोग स्वरोज़गार के लिए माल का उपयोग करते हैं उन्हें उपभोक्ता माना जाता है। उदाहरण के लिए, वे कलाकार जो अपने काम के लिए कला सामग्री खरीदते हैं या सौंदर्य उत्पाद खरीदने वाले ब्यूटीशियन भी उपभोक्ता हैं।

ऑनलाइन सुविधाओं का उपयोग करने वाला व्यक्ति 

उपभोक्ता में वह व्यक्ति भी शामिल होता है जो ऑनलाइन सामान या सेवाएं खरीदता या किराए पर लेता है। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी कपड़े की वेबसाइट से ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं, तो आप एक उपभोक्ता हैं।

भोजन से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे लोग

उपभोक्ताओं में वे लोग भी शामिल हैं जो खाद्य पदार्थों संबंधी मुद्दों का सामना कर रहे हैं, जैसे कि मिलावट, खराब गुणवत्ता, सेवा की कमी, आदि। उदाहरण के लिए, भोजन से संबंधित मुद्दों में उत्पादों की विविध समस्याएं आ सकती हैं-जूसों जैसी चीज़ों के उत्पादन में उपयोग होने वाले पानी के साथ-साथ चिकन, मटन आदि की बिक्री में जो स्पष्‍ट रूप से मानव उपभोग के लिए हैं।

आयकर क्या है?

आयकर क्या है?

‘आयकर’ भारत सरकार द्वारा प्रत्येक व्यक्ति की आय पर लगाया जाने वाला कर है। आयकर को नियंत्रित करने वाले कानूनी प्रावधान आयकर अधिनियम, 1961 में शामिल हैं। आयकर को समझने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना होगा जैसे:

कर भरने वाले व्यक्ति

प्रत्येक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना पड़ता है। आयकर कानून के तहत व्यक्ति, अविभाजित हिन्दू परिवार आदि को शामिल करने के लिए ‘व्यक्ति'(1) शब्द को परिभाषित किया गया है। अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें

कर योग्य आय या इनकम की गणना करना

आय कर विभाग आपकी आय के आधार पर कर लगाता है जैसे कि वेतन आदि से होने वाली आय पर। इसी तरह की स्रोतों से की गई गणना के कुल आय को सकल कुल आय कहा जाता है। इस राशि की कटौती आपके ही वेतन आदि से की जाती है। अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें

कर रहित संस्थाएं और आय

कुछ प्रकार से होने वाली आय और कुछ संस्थाओं को कर में छूट दी गई है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि, ऐसी विशेष आय और संस्थाओं पर आयकर नहीं लगाया जाएगा। इसमें कुछ उदाहरण के तौर पर जैसे कि कृषि से होने वाली आय, उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति से होने वाली आय आदि शामिल हैं। अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें

कर से सम्बंधित कटौतियां

यह कटौती एक व्यय है जिसे किसी व्यक्ति की सकल कुल आय में से घटाया जाता है ताकि उस राशि को कम किया जा सके जिस पर कर लगाया जा रहा है। यह कटौती होने वाली आय की राशि से कम, ज्यादा या उसके बराबर हो सकती है। यदि यह कटौती होने वाली आय की राशि से अधिक है तो परिणामी राशि को कर की गणना करते समय नुकसान के रूप में लिया जाएगा। व्यक्तियों के लिए कुछ कटौतियां में होम लोन के रूप में लिए गए, उच्च शिक्षा के कारण लिए गए लोन से होने वाली आय आदि भी शामिल हैं। अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें।

कर वसूली

सरकार द्वारा निम्न माध्यमों से कर वसूल किए जाते हैं:

भारतीय बैंकों के माध्यम से

करदाता प्राधिकृत बैंकों में स्वयं जाकर स्वेच्छा से इनकम टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, करदाता बैंकों की अधिकृत शाखाओं जैसे आई.सी.आई.सी.आई बैंक, एच.डी.एफ.सी बैंक, सिंडिकेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, आदि में एडवांस टैक्स और सेल्फ-असेसमेंट टैक्स का भुगतान कर सकते हैं।

स्रोत पर कर कटौती [टीडीएस]

जब व्यक्ति की पहली या मूल आय के स्रोत से ही कर लिया जाता है, तो इसे ‘स्रोत पर कर कटौती’ या टी.डी.एस. के रूप में जाना जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि आप किसी कंपनी में एक रखरखाव शुल्क अर्जित करने वाले पेशेवर व्यक्ति हैं, तो जब कंपनी आपको सैलरी देगी तो, उसमें से आपकी कंपनी द्वारा कर के रूप में एक निश्चित राशि की कटौती की जाएगी। कंपनी काटे गए उस पैसे को सरकार के पास जमा कराएगी। जिस व्यक्ति का टी.डी.एस. काटा गया है, उसे 26AS फॉर्म या टी.डी.एस. प्रमाणपत्र मिलेगा। यह फॉर्म या सर्टिफिकेट उस व्यक्ति को उसकी संस्था देगी या कटौती करने वाले व्यक्ति द्वारा दिया जाएगा।

उदाहरण के लिए, XYZ कंपनी अमन को उसका मासिक वेतन देने से पहले कर के रूप में एक राशि काट लेगी और फिर वह कंपनी अमन को टी.डी.एस. प्रमाणपत्र देगी।

टैक्स फाइल करते समय करदाता के पास पैन कार्ड और आधार कार्ड होना अनिवार्य है।

चेक कैसे काम करते हैं?

आइए समझते हैं कि चेक कैसे काम करते हैं। एक चेक एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति से बिना शर्त एक निश्चित राशि का भुगतान करने के लिए लिखित रूप में किया गया वादा है। हालांकि, आप अपने लिए भी एक चेक लिख सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि अमित को आशा के 10,000 रुपए देने हैं, वह आशा को 10,000 रुपए का चेक दे सकता है। जब आशा इस चेक को बैंक को प्रस्तुत करती है, तो उसे नकद के रूप में या उसके बैंक खाते में 10,000 रुपये प्राप्त होंगे। अमित के खाते से 10 हजार रुपए कट जाएंगे।

तकनीकी शब्दों में, जैसा कि बैंकरों और वकीलों द्वारा उपयोग किया जाता है, एक चेक को ‘नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट’ के रूप में भी जाना जाता है और यह एक प्रकार का ‘नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट’ होता है।

चेक की प्रक्रिया में शामिल विभिन्न पक्ष हैं:

• चेक जारी करने वाला (चेक काटने वाला)

• भुगतान पाने वाला/चेक का धारक और

• बैंक (अदाकर्ता)

मकान की तलाश

किसी दलाल (या ब्रोकर) से संपर्क करें

जब आप घर या फ्लैट की तलाश करने का निर्णय लेते हैं, तो आपको उस क्षेत्र के, जहां आप रहना चाहते हैं, किसी दलाल से संपर्क करने की आवश्यकता हो सकती है। आमतौर पर दलाल को, घर सुनिश्चित करने और अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के बाद ही भुगतान किया जाता है।

निरीक्षण

आपको किस तरह का मकान चाहिए, फर्निश्ड या अनफर्निश्ड, यह सुनिश्चित करने के लिए आपको स्वयं जाकर मकान का देखना/निरीक्षण करना चाहिए कि क्या यह मकान आपकी सभी आवश्यकताओं को पूरी करता है या नहीं।

चाहे आप कैसा भी मकान किराए पर ले रहे हों, कुछ बुनियादी आवश्यकताएं, जैसे कि जल आपूर्ति के सारे साधन, बिजली के फिटिंग्स जैसे बल्ब, पंखे आदि आम तौर से सभी मकान में पहले से ही उपलब्ध रहती हैं। यदि इनके अलावा आपकी कोई और आवश्यकता है तो उसके लिये मकान मालिक या लाइसेंसकर्ता के साथ सौदा करने की जरूरत पड़ती है।

टोकन मनी या बयाना

यदि आप मकान लेने के बारे में सुनिश्चित होने से पहले सोचने का कुछ समय चाहते हैं, तो आप मकान मालिक को एक टोकन मनी देकर, उसे कुछ समय के लिये किसी और को मकान किराए पर देने से रोक सकते हैं। टोकन मनी का भुगतान करना एक विकल्प है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मकान मालिक किसी अन्य संभावित किरायेदारों या लाइसेंसधारियों को फ्लैट न दिखाये। यदि आपने टोकन मनी का भुगतान किया है, तो उसकी रसीद ले लें।

टोकन मनी भुगतान एक ऐसी परिपाटी है जो कानून द्वारा विनियमित नहीं है।

टोकन मनी देते वक्त आपको सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि मकान मालिक से टोकन मनी वापस न मिलने की स्थिति में उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना मुश्किल हो सकता है।

विल तैयार करना

आप अपने जीवन काल में कभी भी अपनी विल तैयार कर सकते हैं, बशर्ते कि आप-

  • मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति होंं, और
  • 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति हों|

अपनी विल तैयार करने वाले व्यक्ति को इस बात की समझ है कि वह क्या करने जा रहा है।

उदाहरण के लिए, मानसिक रूप से अशक्त व्यक्ति भी उस स्थति में अपनी विल तैयार कर सकता है, जब उसे इस बात की समझ है कि वह क्या करने जा रहा है।यदि काई व्यक्ति शराब के नशे में हो और उसे इस बात की समझ न हो कि वह क्या करने जा रहा है, तो वह विल नहीं कर सकता है।

बैंक में शिकायत दर्ज करना

अधिकांश बैंकों के पास इस तरह के मामलों के लिए समर्पित कर्मचारी होते हैं। प्रासंगिक संपर्क विवरण आपके कार्ड के पीछे और साथ ही बैंक की वेबसाइट पर पाए जाते हैं। प्रत्येक एटीएम मशीन पर हेल्प डेस्क के टेलीफोन नंबर भी प्रदर्शित किए जाते हैं।

अगर आपको कोई नुकसान हुआ है तो आपको तुरंत फोन (बेहतर) या ईमेल के जरिए बैंकों से संपर्क करना चाहिए। शिकायत संख्या को नोट करना न भूलें और उसी नंबर का उपयोग करके आगे की कार्यवाही करें। बैंक को आपके ईमेल की स्वीकृति देनी चाहिए।

भारतीय बैंकिंग कोड और मानक बोर्ड (BCSBI) द्वारा अधिनियमित ग्राहकों के प्रति बैंक की प्रतिबद्धता संहिता (CBCC) प्रत्येक बैंक शाखा को ग्राहक की शिकायतों को दूर करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी का नाम बैंक शाखा में प्रदर्शित करने के लिए अनिवार्य करती है।

यदि शाखा स्तर पर आपकी शिकायत का समाधान नहीं होता है, तो आप शाखा में प्रदर्शित पते पर क्षेत्रीय या मंडलीय प्रबंधक या प्रधान नोडल अधिकारी (पीएनओ) से संपर्क कर सकते हैं।

आमतौर पर, शिकायत प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर, बैंक आपको अंतिम प्रतिक्रिया भेजेगा या समझाएगा कि जांच के लिए और समय की आवश्यकता क्यों है। अंतिम प्रतिक्रिया के बाद भी असंतुष्ट होने की स्थिति में बैंक आपको शिकायत को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया भी बताएगा।

उपभोक्ता अधिकार क्या होते हैं?

अपने अधिकारों से अनजान उपभोक्ता बाज़ार में असुरक्षित होते हैं। अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है ताकि वे अपने हितों के मद्देनज़र आत्मविश्वास से अपने विकल्‍प चुन सकें। उपभोक्ता अधिकारों में निम्नलिखित शामिल हैं, लेकिन वे इन्हीं तक सीमित नहीं हैं।

जीवन और संपत्ति के लिए खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा का अधिकार

वस्तुओं से न केवल उपभोक्ताओं की तात्कालिक ज़रूरतें पूरी होनी चाहिए, बल्कि उनके दीर्घकालिक हित भी पूरे होने चाहिए तथा वस्तुओं व सेवाओं के उपयोग से उपभोक्ताओं को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति फ्लू जैसी तात्‍कालिक बीमारी को ठीक करने वाली दवा का उपयोग करता है, लेकिन दवा के दुष्प्रभाव अधिक बुरे होते हैं, तो वे उपभोक्ता शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

सूचना का अधिकार

माल की गुणवत्ता, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मानक और कीमत के बारे में उपभोक्ताओं को सूचित होने का अधिकार है। यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि विक्रेता उत्पाद लेबल पर प्रामाणिक जानकारी डालें और झूठे दावे न करें।

सरकार मंडी की कीमतों, दैनिक मूल्य रिपोर्ट, उपभोक्ताओं की डिजिटल सुरक्षा पर शैक्षिक सामग्री आदि के साथ आवश्यक वस्तुओं की मूल्य निगरानी सूची भी प्रकाशित करती है। तमिलनाडु जैसी कुछ राज्य सरकारों ने भी उपभोक्ताओं को शिक्षित करने के लिए परामर्शावलियां प्रकाशित की हैं।

यथासंभव, प्रतिस्पर्धी कीमतों पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के चयन का अधिकार

उपभोक्ताओं को बुनियादी सामान व सेवाएं उचित मूल्य पर प्राप्‍त करने का अधिकार है। उदाहरण के लिए, आपको अस्पताल के मेडिकल स्टोर से या सामान्य स्टोर से उचित मूल्य पर दवाएं खरीदने का अधिकार है।

उपभोक्ता क्षतिपूर्ति मंचों पर शिकायत दर्ज करने का अधिकार

उपभोक्ताओं को अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए शिकायत-निवारण मंचों का उपयोग करने का कानूनी अधिकार है। प्रत्येक उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करने और अपनी सुनवाई का अधिकार है ताकि शिकायत का समाधान किया जा सके।

अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ क्षतिपूर्ति की मांग करने का अधिकार

अनुचित व्यापार प्रथाएं आम तौर पर योजनाओं, विज्ञापनों आदि के माध्यम से उपभोक्ता को छलने, धोखा देने या विश्‍वासघात करने से संबंधित होती हैं। कानून उपभोक्ताओं को शोषण से बचाता है और उपभोक्ता के लिए निवारण मंचों के माध्यम से उचित निपटान का दावा करने की एक प्रणाली बनाता है।

कर लगाने योग्य आय की गणना

आपकी आय के आधार पर आयकर विभाग नीचे दी गई श्रेणियों के अनुसार कर लगाता है। इस तरह से की गणना की गई कुल आय को सकल कुल आय कहा जाता है। इस राशि से ही इसकी कटौती की जाती है।

वेतन से होने वाली आय

वेतन से होने वाली आय पर भारत में कर लगता है। जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

• पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) से देय वेतन। अगर वेतन का भुगतान नहीं किया गया है, तो भी उस पर कर लगाया जाएगा।

• देय होने से पहले ही पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) द्वारा भुगतान किया गया वेतन। उदाहरण के लिए, यदि नियोक्ता किसी प्रोजेक्ट के लिए एडवांस में ही वेतन का भुगतान करता है, तो भी उस पर कर लगाया जाएगा।

• पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) द्वारा भुगतान किया गया कोई बकाया या लंबित वेतन। यह तभी होता है जब इस राशि पर पिछले एक साल में कर नहीं लगाया गया हो।

आपके वेतन में निम्नलिखित ब्रेकअप पर पूरी तरह से कर लगेगा:

मूल वेतन (बेसिक सैलरी) : पूरी तरह से कर योग्य है।
महंगाई भत्ता : पूरी तरह से कर योग्य है।
बोनस, शुल्क या कमीशन: पूरी तरह से कर योग्य है।

पूंजीगत लाभ से आय

एक पूंजीगत संपत्ति होनी चाहिए। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि, करदाता के पास कोई भी संपत्ति हो, तो उसपर कर लगेगा।

• इसे करदाता द्वारा पिछले वर्ष के दौरान स्थानांतरित किया जाना चाहिए।

• स्थानांतरण करने पर लाभ होना चाहिए। करदाता द्वारा कौन-कौन से लेनदेन को “हस्तांतरित” (ट्रांसफर्ड) नहीं माना जाता है।

कुछ लेनदेन पर कर नहीं लगता है, जैसे:

• दिवालिया होने पर/ऋणमुक्ति के समय एक कंपनी में शेयरधारकों को संपत्ति का वितरण होने पर।

• अविभाजित हिन्दू परिवार के बंटवारे होने पर पूंजी संपत्ति का वितरण

गृह संपत्ति से आय

गृह संपत्ति जैसे आपका घर, कार्यालय, दुकान, कोई बिल्डिंग या उससे जुड़ी कुछ जमीन जैसे पार्किंग स्थल हो सकती है। आयकर अधिनियम एक वाणिज्यिक और आवासीय संपत्ति के बीच अंतर नहीं करता है। सभी प्रकार की संपत्तियों पर इनकम रिटर्न टैक्स ‘गृह संपत्ति से आय’ के तहत ही लगाया जाता है, जिसमें आपकी संपत्ति भी शामिल है। अगर निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हैं, तो ‘गृह संपत्ति से आय’ पर कर लगेगा:

• गृह संपत्ति में कोई भी बिल्डिंग या इससे जुड़ी जमीन होने पर।

• करदाता को संपत्ति का मालिक होने पर।

• करदाता द्वारा चलाए जा रहे व्यवसाय या पेशे के उद्देश्य के लिए गृह संपत्ति का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

व्यापार और व्यवसाय से आय

फर्म या व्यवसाय या पेशे में स्वतंत्र रूप से काम करने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा प्राप्त मेहनताना, बोनस या कमीशन पर, ‘वेतन से आय’ के रूप में कर नहीं लगता है, बल्कि यह ‘व्यापार या व्यवसाय से आय’ के रूप में कर के लिए योग्य होगा। कर के रूप में किसी व्यवसाय या पेशे से होने वाले निम्नलिखित आय पर शुल्क लगेगा:

• किसी विशेष व्यक्ति को देय या प्राप्त कोई मुआवजा या अन्य भुगतान करने पर।

• किसी व्यापार, पेशे या उसके सदस्यों के लिए की गई किसी विशेष सेवा से प्राप्त आय पर, जैसे किसी ठेकेदार द्वारा की गई आय।

• भारत सरकार की किसी भी योजना के तहत निर्यात के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा प्राप्त या मिलने वाली नकद सहायता (या इसे किसी भी नाम से जाना जाता हो)

• व्यवसाय से लाभ या किसी पेशे को करने से होने वाले किसी भी लाभ का मूल्य।

• ब्याज, वेतन, बोनस, कमीशन या मेहनताना देय या साझेदारी फर्म से साझीदार द्वारा प्राप्त किया गया धन। ये सभी उन आय के कुछ उदाहरण हैं जिन पर कर लगाया जाता है।

अन्य स्रोतों से आय

कोई भी आय जिस किसी भी आमदनी के तहत कर नहीं लगता है, लेकिन जिसे कुल आय से बाहर नहीं किया जाना है, वे सभी आमदनी “अन्य स्रोतों से आय” के तहत कर के लिए योग्य है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:

• लाभांश

• लॉटरी, वर्ग पहेली, घुड़दौड़ सहित अन्य दौड़, ताश के खेल, जुआ या किसी भी तरह की सट्टेबाजी जीतने से होने वाली आय।

निम्नलिखित धनराशियों को ‘अन्य स्रोतों से आय’ से आमदनी के तहत कर लगाया जाता है, और केवल तभी लगाया जाता है जब उस पर ‘व्यवसाय या पेशे से लाभ और अभिलाभ’ के तहत होने वाली आमदनी पर पहले से कर नहीं लगाया गया हो।

• नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों से पीएफ (भविष्य निधि), ई.एस.आई (कर्मचारी राज्य बीमा), सेवानिवृत्ति निधि, आदि के लिए योगदान के रूप में प्राप्त कोई भी धन।

• सिक्यूरिटी पर ब्याज

• करदाता से संबंधित मशीनरी, संयंत्र या फर्नीचर को किराये पर देना और उससे आय कमाना।

• भवनों के साथ संयंत्र, मशीनरी या फर्नीचर किराए पर देना और उससे समग्र आय कमाना।

• कीमैन बीमा पॉलिसी के तहत प्राप्त कोई भी धनराशि (बोनस सहित)।

 

 

चेक काटने वाले का इरादा

यदि आपके द्वारा जारी किया गया चेक बाउंस हो गया है, तो चेक काटने वाले का इरादा मायने नहीं रखता। यह अप्रासंगिक है कि आप अपने चेक को बाउंस करना चाहते हैं या नहीं। भले ही चेक को बिना किसी गलत इरादे या द्वेष के बाउंस किया गया हो, इसे अवैध और कानून के तहत अपराध माना जाता है।