टैक्स रिटर्न न भरने पर जुर्माना

यदि आप अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं या आप दाखिल करने में देरी करते हैं, तो आपको आयकर विभाग द्वारा अर्थदंड का सामना करना पड़ेगा। ऐसी आय की रिटर्न जो निर्दिष्ट नियत तारीख को या उससे पहले नहीं भरी गई है, विलम्बित या बिलेटेड रिटर्न कहलाती है।

यदि आपको आय की रिटर्न भरने की आवश्यकता है और निर्धारित समय के भीतर आप इसे नहीं भर पाते हैं, तो आपको देय टैक्स पर ब्याज का भुगतान करना होगा। कोई भी व्यक्ति जिसने समयसीमा के भीतर अपना टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है, वह किसी भी पिछले वर्ष में या किसी भी समय में रिटर्न भर सकता है। (जो भी पहले हो):

• प्रासंगिक निर्धारण वर्ष की समाप्ति होने तक या

• आकलन पूरा होने तक।

जुर्माना शुल्क या राशि

आप यहां आयकर से संबंधित अपराधों के लिए जुर्माना और दंड की विस्तृत सूची प्राप्त कर सकते हैं। कुछ अपराध नीचे दिए गए हैं:

रिटर्न दाखिल करने में देरी करना।

इनकम रिटर्न करने में चूक के लिए आपको जो शुल्क देना होगा, वह इस प्रकार से है:

• 5000 रू, अगर रिटर्न निर्धारण वर्ष के दिसंबर के 31 वें दिन या उससे पहले भर दिया जाता है।

• किसी अन्य मामलों में 10,000 रू.। हालांकि, अगर करदाता की कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो लेट फाइलिंग शुल्क 1000 रुपये से अधिक नहीं होगा।

टैक्स का भुगतान न करना/टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करना

यदि आप टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं या अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं तो आपको ब्याज, जुर्माना और यहां तक ​​कि मुकदमा का सामना करना पड़ेगा (अदालत में जाना पड़ सकता है)। अभियोजन पक्ष (प्रॉसिक्यूशन) को 3 महीने से 2 साल तक के कठोर कारावास की सजा हो सकती है। उन स्थितियों में जहां 25,00,000 रुपये से अधिक की टैक्स चोरी पकड़ी जाती है, तो प्रॉसिक्यूशन को यह सजा 6 महीने से 7 साल तक की हो सकती है।

शिकायत करना

यदि आपको आयकर से संबंधित कोई संदेह या शिकायत है, तो आप आयकर विभाग की टैक्स हेल्पलाइन का उपयोग कर सकते हैं। इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने से संबंधित विशिष्ट मुद्दों के लिए, आप इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल के हेल्प डेस्क से संपर्क कर सकते हैं।

आयकर विभाग पुस्तिकाओं और पम्फ्लेट्स के माध्यम से उपयोगी टैक्स-सूचना भी जारी करता है। सामान्य प्रश्न

सरकार ने कुछ आयकर कार्यालयों में आयकर संपर्क केंद्र (आस्क e; ASK) स्थापित किए हैं। ये ऐसे केंद्र हैं जहां करदाता इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकते हैं और टैक्स संबंधी शिकायतों का समाधान पा सकते हैं। आयकर सम्बंधित सामान्य पूछताछ के लिए, आयकर संपर्क केंद्र (आस्क e; ASK) को 1800 180 1961 पर कॉल करें।

ई-फाइलिंग रिटर्न

आप अपना रिटर्न ई-फाइलिंग के बारे में +91-80-46122000/91-80-26500026 पर पूछताछ कर सकते हैं।

धनवापसी/सुधार या रिफंड/संशोधन

रिफंड के बारे में पूछताछ करने या अपने टैक्स रिटर्न में सुधार/संशोधन करने के लिए, आप +91-80-46605200 पर कॉल कर सकते हैं।

शिकायतें

आपकी शिकायतों के समाधान के लिए आयकर विभाग के पास एक निर्धारित प्रक्रिया है।

आयकर संपर्क केंद्र करदाताओं के लिए उनकी शिकायतों का समाधान करने के लिए एकल खिड़की तंत्र के रूप में कार्य करती है। आप यहां अपने नजदीकी आयकर संपर्क केंद्र (ASK) का पता लगा सकते हैं।

आयकर संपर्क केंद्र पर, शिकायतकर्ता को एक विशिष्ट पहचान दी जाती है और मौके पर ही शिकायत का प्रासंगिक विवरण दर्ज किया जाता है। आपको अपनी शिकायत के लिए एक पावती पत्र प्राप्त होगी, साथ ही आपको यह भी पता चल पाएगा कि आपकी शिकायत का समाधान करने में कितना समय लगेगा। और भविष्य में पत्राचार के लिए संपर्क किए जाने वाले सभी कर्मचारी का नाम, पदनाम और टेलीफोन नंबर के बारे में भी आपको सूचित किया जाएगा।

विभाग द्वारा आपकी शिकायत के संबंध में निर्णय लेने के तुरंत बाद ही आपको सूचित किया जाएगा। यदि निर्णय आपके द्वारा अनुरोधित उपाय के अनुरूप नहीं है, तो आपको अपील के लिए उपलब्ध वैकल्पिक विकल्पों के साथ निर्णय के औचित्य या तर्गसंगतता के बारे में बताया जाएगा। आप यहाँ अपनी शिकायत को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भी जमा कर सकते हैं।

आयकर कानून के तहत प्राधिकरण

भारत सरकार के राजस्व कार्यों का प्रबंधन ‘वित्त मंत्रालय’ द्वारा किया जाता है।

प्रशासनिक निकाय:

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और आयकर विभाग।

वित्त मंत्रालय ने प्रत्यक्ष करों के प्रबंधन कार्य जैसे इनकम टैक्स, संपत्ति कर (वेल्थ टैक्स) आदि को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को सौंप दिया है। ‘सीबीडीटी’ वित्त मंत्रालय में केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम,1963 के तहत स्थापित राजस्व विभाग का एक हिस्सा है।

सीबीडीटी प्रत्यक्ष करों से सम्बंधित नीति और योजना बनाने के लिए आवश्यक इनपुट प्रदान करता है, और आयकर विभाग के माध्यम से प्रत्यक्ष कर कानून(डायरेक्ट टैक्स लॉ) को भी प्रभाव में लाता है। इस प्रकार से, आयकर कानून को सीबीडीटी के नियंत्रण और पर्यवेक्षण के तहत आयकर विभाग द्वारा प्रभाव में लाया जाता है।

आयकर विभाग द्वारा नियुक्त अधिकारी।

वरीयता के आधार पर आयकर अधिकारियों की सूची इस प्रकार है:

• प्रधान महानिदेशक या महानिदेशक,

• प्रधान मुख्य आयुक्त या मुख्य आयुक्त,

• प्रधान निदेशक या निदेशक,

• प्रधान आयुक्त या आयुक्त।

उपरोक्त अधिकारी सहायक आयुक्त या उपायुक्त के पद से नीचे के अन्य आयकर अधिकारियों को नियुक्त कर सकते हैं।

निर्धारण अधिकारी

एक निर्धारण अधिकारी आयकर विभाग का एक अधिकारी होता है, जिसे किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में या व्यक्तियों के एक वर्ग पर आयकर कानून संबंधित निर्णय लेने की शक्ति प्रदान होती है। अपने भौगोलिक क्षेत्राधिकार या आपके द्वारा अर्जित आय की प्रकृति के आधार पर, आप यह पता लगा सकते हैं कि कानूनी निर्णय करने वाला आपका निर्धारण अधिकारी कौन है। एक निर्धारण अधिकारी का निम्नलिखित पद हो सकता है:

• सहायक आयुक्त या उपायुक्त,

• सहायक निदेशक या उप-निदेशक,

• अपर आयुक्त या अपर निदेशक,

• संयुक्त आयुक्त या संयुक्त निदेशक।

जनसंपर्क अधिकारी(पीआरओ) और कर विवरणी प्रस्तुतकर्ता।

यदि आप कर संबंधी मामलों में किसी विशेषज्ञ की मदद लेना चाहते हैं तो आप आयकर विभाग के स्थानीय कार्यालय में जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) की मदद ले सकते हैं।

इसके अलावा, नियमित करदाताओं को उनकी इनकम टैक्स रिटर्न और अन्य आयकर संबंधी मुद्दों की तैयारी में सहायता करने के लिए, सरकार टैक्स प्रोफेशनल्स को टैक्स रिटर्न प्रिपेयरर्स (टीआरपी) के रूप में अधिकृत करती है।