इस्लामी निकाह में पति द्वारा तलाक की मांग

इस्लामी निकाह में एक पुरुष होने के तहत , आप निकाह के अनुबंध को समाप्त करके अपनी पत्नी को आसानी से तलाक दे सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि आपको अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़े, क्योंकि, आपके पास इस्लाम के तहत निर्धारित विभिन्न तरीकों के माध्यम से निकाह के अनुबंध को समाप्त करने के कई विकल्प हैं।

चूंकि आपका निकाह एक अनुबंध है, इसलिए आप चुनाव के आधार पर अपने निकाह को समाप्त कर सकते हैं। इस्लाम में कोई तलाक दोष नहीं है। अर्थात्, अन्य धर्मों में तलाक के विपरीत, आपको अपने पति या पत्नी द्वारा क्रूरता, व्यभिचार या किसी कभी न ठीक होने वाली बीमारी के कारण किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने की आवश्यकता नहीं है, जिससे आप अपना निकाह समाप्त करना चाहें।

निम्नलिखित उपाय करके पति आप अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है :

तलाक-ए-अहसन 

प्रथम चरण 

तुहर की अवधि के दौरान, तलाक के अहसन रूप में, आपको केवल एक बार ‘तलाक’ कहना होगा।

चरण 2

आप इद्दत की अवधि के दौरान इस ‘तलाक’ को वापस ले सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप ‘मैंने तुम्हें बनाए रखा है’ या ‘मैं अपना तलाक वापस लेता हूं’ या अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध रखने के कार्य से अपना तलाक रद्द कर सकता हैं। यदि आप इद्दत की अवधि समाप्त होने से पहले अपना तलाक वापस नहीं ले सकते हैं तो तलाक हो जाता है और यह अपरिवर्तनीय है। एक बार तलाक हो जाने के बाद आपको अपनी पत्नी और बच्चे दोनों की भलाई के लिए गुजारा भत्ता देना होगा।

तलाक ए-हसन 

तलाक ए-हसन रूप में, पति को तुहर में एक क्रम में तीन बार में ‘तलाक’ शब्द कहना पड़ता है।

तुहर

तुहर जिसका अर्थ है, पवित्रता, यह मुस्लिम महिलाओं में उन दिनों को इंगित करता है जब आपकी पत्नी मासिक धर्म में हो। इस समय-अवधी में स्त्री को अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने के अनुमति नहीं होती है। आप प्रत्येक तुहर की समय-अवधी के बाद आप अपना तलाक वापिस ले सकते हैं।

तलाक की प्रक्रिया 

प्रथम चरण 

जब आपकी पत्नी का मासिक धर्म समाप्त हो जाए तो आपको तलाक कहना होगा। इस अवधि के दौरान आपको अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाने की अनुमति नहीं होती, यदि आप फिर भी संबंध बनाते हैं तो इसका अर्थ यह है कि आपने पत्नी को तलाक देने का अपना निर्णय वापस ले लिया है। आप ऐसा कहकर या लिखकर अपने निर्णय रद कर सकते हैं।

चरण 2

जब आपकी पत्नी अपने मासिक धर्म से गुजरती है तो आपको तलाक बोलने की जरूरत है। इस वक्त भी, आप उसे शब्दों या आचरण के माध्यम से तलाक देने के अपने निर्णय को रद्द कर सकते हैं।

चरण 3

आपकी पत्नी के मासिक धर्म बंद होने के बाद अंतिम बार आपको तलाक कहना होता है। इसे वापस नहीं लिया जा सकता है और अंतिम तलाक का मतलब है कि तलाक अंतिम है। इसके बाद, आपका और आपकी पत्नी का निकाह समाप्त हो जाता है और आप अब तलाक वापस नहीं ले सकते।

तलाक के अहसन और हसन दोनों रूपों का अभ्यास और अनुमोदन सुन्नी और शिया मुसलमानों द्वारा किया जाता है।

बाल विवाह का प्रतिषेध

भारत में बाल विवाह सदियों पुरानी प्रथा है। इस सामाजिक बुराई को खतम करने के लिए, कानून लोगों को बाल विवाह करने से रोकता है और बाल विवाह कराने वालों के लिए दंड का प्रावधान करता है।

हालांकि, अगर किसी बच्चे की शादी हो चुकी है, तो कानून उसे तुरंत अवैध नहीं करता। इस तरह से विवाहित बच्चे के पास विवाह को इसे जारी रखने या रद्द करने का विकल्प होता है।

कुछ व्यक्तिगत कानूनों ( ऐसे कानून जो विभिन धर्मों के अंतर्गत विवाह, तलाक आदि जैसे पहलुओं को नियंत्रित करते हैं) के अनुसार, भारत में बच्चे कोयौवन प्राप्त करने के बाद विवाह की अनुमति दी जा सकती है। लड़कियों के मामले में यौवन 18 वर्ष की उम्र से पहले और लड़को के मामले में यौवन 21 वर्ष की उम्र से पहले भी आ सकता है। कई मामलों में न्यायालयों ने यह माना है कि जहाँ व्यक्तिगत कानूनों के तहत यौवन प्राप्ति पर शादी आयोजित हो गयी हो ऐसी शादी अवैध नहीं होगी। हालांकि बाल विवाह कानून के तहत ऐसी किसी भी शादी को शून्यकरणीय करने का विकल्प विवाहित बच्चे के पास होगा।

परन्तु कुछ परिस्थितियों में, कुछ बाल विवाहों को पूरी तरह से अवैध माना जाता है।

ईसाई विवाह कौन करवा सकता है?

निम्नलिखित व्यक्ति कानून के तहत ईसाई विवाह कर सकते हैं:

1. कोई भी व्यक्ति जिसने अपने चर्च से पादरी/फादर बनने के लिए दीक्षा प्राप्त किया हो।

2. चर्च ऑफ स्कॉटलैंड का कोई भी पादरी।

3. किसी भी धार्मिक पादरी को भारतीय ईसाई विवाह कानून के तहत विवाह संपन्न कराने का लाइसेंस दिया गया है।

4. भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम के तहत नियुक्त विवाह रजिस्ट्रार। विवाह, विवाह रजिस्ट्रार द्वारा या उनकी उपस्थिति में संपन्न हो सकता है।

5. भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम के तहत लाइसेंस प्राप्त किया हुआ व्यक्ति द्वारा विवाह का प्रमाण पत्र प्रदान किया जा सकता है।

चर्च ऑफ स्कॉटलैंड के पादरी, पादरी या किसी फादर द्वारा किया गया कोई भी विवाह चर्च के उस विशेष संप्रदाय के नियमों, संस्कारों, समारोहों और रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाएगा। हालांकि, विवाह की प्रक्रिया भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम के अनुसार होगी, यदि वह विवाह धार्मिक पादरी, विवाह रजिस्ट्रार या इस कानून के तहत प्रमाण पत्र देने के लिए लाइसेंस प्राप्त किसी व्यक्ति द्वारा संचालित किया जाता है। विवाह कराने वाले व्यक्ति के आधार पर प्रक्रियाएं भी भिन्न होती हैं। प्रक्रियाओं के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए, “ईसाई कानून के तहत विवाह के लिए विभिन्न प्रक्रियाएं क्या हैं” पर हमारे लेख को देखें।

हिंदू विवाह कानून के तहत तलाक के लिए फाइलिंग

तलाक आपके जीवनसाथी से अलग होने का एक अंतिम और अपरिवर्तनीय कृत्य है। इसके बावजूद अलग होने के बाद भी कुछ चीज़ें हैं जो बनी रहती हैं।

यदि वैध विवाह हुआ है, तो आप तलाक के लिए फाइल कर सकते हैं। हालांकि, यदि आपकी शादी की वैधता पर सवाल खड़ा होता है, तो आपको फिर भी अमान्यकरण के द्वारा अलग होने के लिए कानूनी रूप से अदालत का दरवाजा खटखटाना होगा।

न्यायालय से संपर्क करें

तलाक का मुकदमा दायर करने के लिए आपको कोर्ट जाना होगा। जब तक तलाक का मामला चल रहा है, तब तक आप अपने जीवनसाथी और बच्चों के प्रति कुछ कर्तव्य निभाते रहेंगे जैसे कि उन्हें वित्तीय सहायता देना आदि।

क्या इस्लामी निकाह एक संविदा (कॉन्ट्रेक्ट) है?

निकाह, इस्लामिक कानून के तहत एक संविदा (कॉन्ट्रेक्ट) होता है। निम्नलिखित शर्तों को पूरा करके यह संविदा दर्ज किया जा सकता है:

• दूल्हा और दुल्हन दोनों को निकाह के लिए स्पष्ट सहमति देनी होगी।

• निकाह करने वाले जोड़े को मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए और उन्होंने युवावस्था (आमतौर पर 15 वर्ष) प्राप्त कर ली होनी चाहिए।

• एक सरंक्षक, जोकि माता-पिता या भाई-बहन हो सकता है, नाबालिग या किसी ऐसे व्यक्ति की ओर से सहमति दे सकता है , जो स्वस्थ दिमाग का नहीं है।

किसे गोद लिया जा सकता है?

गैर-धार्मिक कानून के तहत गोद लेना।

गोद लेने के लिए गैर-धार्मिक कानून के तहत, निम्नलिखित बच्चों को गोद लिया जा सकता है:

  • अगर इन बच्चों को बाल कल्याण समिति द्वारा गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया जाता है:
    • कोई भी अनाथ बच्चा जो असली माता-पिता, दत्तक माता-पिता या कानूनी अभिभावक के बगैर हो।
    • परित्यक्त बच्चा जिसे अपने असली माता-पिता द्वारा त्याग दिया गया हो।
    • ऐसा बच्चा जिसे उसके माता-पिता ने गोद लेने वाले अधिकारियों को सौंप दिया हो।
  • रिश्तेदार का बच्चा।
  • पति या पत्नी का बच्चा जिसे असली माता-पिता द्वारा सौंप दिया जाए, और सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लिया जाए।

हिंदू कानून के तहत गोद लेना।

हिंदू कानून के तहत गोद लेने के लिए, बच्चों को तभी गोद लिया जा सकता है, जब वे रीति-रिवाजों और उपयोग के आधार पर कुछ अपवादों के साथ निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करते हों:

  • वे शादीशुदा न हों।
  • उनकी उम्र 15 साल से कम हो।
  • वे हिंदू हों।
  • वे पहले से ही गोद नहीं लिए गए हों।

अमान्यता की शर्तें

ये हैं विवाह रद्द करने की शर्तें:

• यदि विवाह के समय किसी भी पक्ष की शादी किसी दूसरे व्यक्ति से पहले से हुई हो

• अगर कोई भी पक्ष गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित था

• अगर दोनों में से किसी भी पक्ष की उम्र न्यूनतम आयु से कम हो (महिलाओं के लिए 21 और पुरुषों के लिए 21)

• अगर आपका पति या पत्नी एक करीबी रिश्तेदार था (रिश्ते की प्रतिबंधित डिग्री के भीतर)

• अगर विवाह के समय और जब मामला न्यायालय के समक्ष पेश किया जाता है तो कोई भी पक्ष नपुंसक हो

• अगर दोनों में से कोई भी पक्ष विवाह के शारीरिक संबंध संपन्न करने से इंकार करता है

• अगर, शादी के समय, महिला पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति से गर्भवती थी। इन मामलों में, न्यायालय यह सुनिश्चित करता है कि आरोप सही हैं या नहीं

• अगर किसी भी पक्ष की सहमति धोखाधड़ी या जबरदस्ती से ली गई थी अगर ये शर्तें पूरी होती हैं तो विवाह रद्द किया जा सकता है

अगर ये शर्तें पूरी होती हैं तो विवाह रद्द किया जा सकता है

वरिष्ठ नागरिकों को परित्याग करने और उपेक्षा करने की सजा

यदि आप किसी वरिष्ठ नागरिक को किसी स्थान पर छोड़ देते हैं परित्याग करने के विचार से, और उनकी देखभाल नहीं करते हैं तो आपको इसके लिये तीन महीने तक का जेल और/या तो 5000 रुपये तक जुर्माने की सजा दी जा सकती है। पुलिस, किसी न्यायालय की अनुमति के बिना, गिरफ्तारी कर सकती है। फिर भी यह जमानती अपराध है। और यदि आप जमानती बॉण्ड अदा करते है तो आपको रिहा कर दिया जाएगा।

 

हिंदू जीवन साथी

यदि आप यह देखना चाहते हैं कि क्या आपने अपने ऊपर लागू होने वाले अधिनियम की बुनियादी शर्त को पूरा कर लिया है, तो आपको निम्नलिखित व्यक्तियों के समूह में से एक होना पड़ेगाः

  • कोई भी व्यक्ति जो धर्म से हिंदू हो और वीरशैव, लिंगायत में भी शामिल हो सकता है या ब्रह्म, प्रार्थना, या आर्य समाज का अनुयायी हो सकता है।
  • कोई भी व्यक्ति जो धर्म से बौद्ध, जैन या सिख हो।
  • कोई अन्य व्यक्ति जिस पर यह अधिनियम लागू होता हो और जो धर्म से मुस्लिम, ईसाई, पारसी, या यहूदी न हो। हालांकि यदि आप यह साबित कर सकते हों कि कोई हिंदू कानून या उस कानून के हिस्से के तौर पर कोई रीति या प्रथा उस समाज/कबीला/जाति को संचालित करती है, तो आप हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत शादी कर सकते हैं।

अगर पत्नी तलाक चाहती है

पत्नी द्वारा तलाक शुरू किए जाने पर इस्लामिक कानून के तहत निकाह के लिए तलाक के प्रावधान नीचे दिए गए हैं।

खुला

खुला तलाक पत्नी द्वारा शुरू किया जाता है। अगर आप अपने पति को तलाक देना चाहती हैं तो आप या तो सीधे कोर्ट जा सकती हैं या फिर किसी मुफ्ती के पास जा सकती हैं। अदालत या मुफ्ती पति को उपस्थित रहने के लिए कहेगी। और पति की उपस्थिति में अदालत या मुफ्ती पति से पूछेगी कि क्या वह प्रस्ताव स्वीकार करता है। एक बार जब पति प्रस्ताव स्वीकार कर लेता है, तो तलाक पूरा हो जाता है।

तलाक-ए-तफवीद 

निकाह के समय आपका पति निकाह के अनुबंध (कबी-नामा) के माध्यम से आपको तलाक का अधिकार सौंप सकता है तो आप उसे तलाक दे सकते हैं।

आपके पति के पास निकाह के समय निकाह के अनुबंध (कबीनामा) के माध्यम से आपको या किसी तीसरे व्यक्ति को तलाक का अधिकार सौंपने या स्थानांतरित करने की शक्ति है। यह समझौता अधिकार के ऐसे हस्तांतरण के लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं को सूचीबद्ध करता है।

यह आमतौर पर तलाक के लिए पूछने पर अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए आपको मेहर की राशि को त्यागना पड़ता है।