यदि आप यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की चोरी का सामना करते हैं, जैसे कि निजी सामान की चोरी या सफर के दौरान चोरी, तो आप निकटतम पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कर सकते हैं। पुलिस आवश्यक जांच करेगी।
एफआईआर कैसे दर्ज करें, यह जानने के लिए कृपया यहां देखें।
जब आप 100 नंबर पर फोन करके या पुलिस स्टेशन पर जाकर पुलिस से संपर्क करते हैं तो निम्नलिखित प्रक्रिया का अनुकरण होगा:
- वे आपकी शिकायत का एक लिखित रिकॉर्ड बनायेंगे।
- आपकी रिपोर्ट के आधार पर अगर पुलिस को लगेगा कि बच्चे को तत्काल देखभाल करने और ध्यान देने की जरूरत है, तो वे बच्चे को तुरंत अस्पताल में, या आश्रय गृह (शेल्टर होम) में स्थानांतरित कर देंगेे।
जब आपने नेक नीयत से अपराध की रिपोर्ट की है तो आपको यह चिंता करने की जरूरत नहीं है कि आपको अदालत के चक्कर लगाने पड़ेंगे जब तक कि अपराधी को दोषी नहीं ठहराया जाता।
घरेलू हिंसा के लिए केस दर्ज करने के अलावा, जब आप, अन्य चीजों के साथ, सुरक्षा या मौद्रिक राहत की मांग कर सकते हैं, आप तब भी1) उत्पीड़क के खिलाफ कोर्ट में आपराधिक मामला दर्ज करा सकते हैं यदि आपने जिस हिंसा का सामना किया है वह कष्टदायक हो। आपराधिक मामला दर्ज कराने से, उत्पीड़क को हिंसक कार्य के लिए कारावास और जुर्माने के रूप में सजा दी जाएगी। आपके वकील को चाहिए कि वह अदालत को सूचित करे कि दोनों मामले दायर किए जा चुके हैं2)।
आपराधिक मामला दायर करने से पहले, आपको पुलिस स्टेशन जाकर एफ.आई.आर दर्ज करानी होगी। आप भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 498ए का उपयोग करते हुए पुलिस में एफ.आई.आर दर्ज करा सकती हैं।
एक आपराधिक मामला निम्नलिखित कारणों के लिए दायर किया जा सकता है3):
- यदि उत्पीड़क किसी महिला को आत्महत्या करने के लिए उकसाता है4)।
- यदि उत्पीड़क महिला को गंभीर चोट पहुंचाता है या पहुंचाने की कोशिश करता है या महिला के जीवन या स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता है।
- यदि उत्पीड़क महिला के मानसिक स्वास्थ्य को इस हद तक प्रभावित करता है कि यह उसके जीवन के लिए खतरा बन चुका है।
- यदि उत्पीड़क महिला के लिए शब्दों से या शारीरिक क्रियाओं द्वारा कोई मानसिक तनाव या मनोवैज्ञानिक संकट पैदा करता है5)।
- यदि उत्पीड़क महिला को दहेज के लिए मजबूर करता है या किसी संपत्ति या कीमती चीज़ की गैरकानूनी मांग करता है।
ऊपर दिए गए किसी भी अपराध के लिए कोर्ट के द्वारा दोषी पाए जाने पर, उत्पीड़क को अदालत में जुर्माना भरना पड़ेगा और 3 वर्ष तक के लिए जेल जाना होगा।
आपके यौन अभिविन्यास या आपकी लिंग पहचान के आधार पर गिरफ्तारी के दौरान पुलिस अधिकारी आपके साथ गलत व्यवहार नहीं कर सकते हैं। आपके लिए यह उपयोगी होगा कि कानून के तहत जो 5 अधिकारें आपके पास हैं, उन्हें जानें:
पुलिस को उनके स्वयं की पहचान साबित करने के लिये कहें
आप पुलिस को उनके स्वयं की पहचान साबित करने के लिए पहचान पत्र (आईडी प्रूफ) दिखाने को कहें, जो उनके नाम, पदनाम, आदि जानकारी को सही और स्पष्ट तौर पर दर्शाता हो।
उनसे गिरफ्तारी का कारण पूछें
अगर पुलिस को आपकी गिरफ्तारी के लिए वारंट की जरूरत नहीं है, फिर भी यह जानना आपका अधिकार है कि आपको क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है, और यह बताना पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य है।
पुलिस से अपने परिवार और दोस्तों को सूचित करने के लिए कहें
जब आपको गिरफ्तार किया जा रहा है, तो आपको पुलिस स्टेशन में ले जाने से पहले, आप अपने परिवार के एक सदस्य या एक मित्र को चुन सकते हैं, जिसे पुलिस आपकी गिरफ्तारी के बारे में, और हिरासत में आपको कहां रखा गया है, इसके बारे में सूचित करेंगे। पुलिस का यह कर्तव्य है कि वह आपके परिवार या दोस्तों को आपकी गिरफ्तारी के बारे में बताए। उन्हें इस व्यक्ति का विवरण एक प्रविष्टि के रूप में पुलिस डायरी और गिरफ्तारी ज्ञापन (अरेस्ट मेमो) में दर्ज करना होगा।
एक वकील की मांग करें
आप पुलिस से अपने वकील को बुलाने के लिए कह सकते हैं। यदि आपके पास अपना कोई वकील नहीं है, या आप वकील नहीं कर सकते हैं, तो आप अदालत से अपने लिए एक वकील नियुक्त करने के लिए कह सकते हैं।
अपनी मेडिकल जांच के लिए माग करे
- पुलिस अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है कि हिरासत में वे हर 48 घंटे में आपकी चिकित्सीय जांच कराएं।
- आप एक प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा अपने शरीर पर बड़ी और छोटी चोटों की जांच कराने के लिए मांग कर सकते हैं।
- शारीरिक परीक्षण को निरीक्षण मेमो में दर्ज किया जाना चाहिए और वह एक पुलिस अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए। जब आप उनकी हिरासत में हैं तो यह सभी पुलिस द्वारा की जाने वाली हिंसा को रोकने के लिए किया जाता है।
अगर कोई बच्चा चोरी करता है, तो उसके लिए सजा एक बालिग व्यक्ति की सजा से हल्की होती है। जब कोई बच्चा चोरी करता है तो आमतौर पर ऐसा होता है:
• एक बच्चे को गिरफ्तार किया जा सकता है, लेकिन उसे जेल में नहीं रखा जा सकता है- पुलिस को बच्चे को 24 घंटे के भीतर किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के सामने पेश करना होगा।
• अगर पुलिस तुरंत बंदी को जमानत पर रिहा नहीं करती है, तो बच्चे को केवल तब तक ऑब्जर्वेशन होम में रखा जा सकता है जब तक कि उसे जेजेबी (24 घंटे के भीतर) नहीं ले जाया जाता।
• पुलिस को एक बाल कल्याण अधिकारी को सूचित करना होता है जो बच्चे के साथ पहली सुनवाई के लिए जेजेबी में जाता है।
जेजेबी को 4-6 महीने के भीतर जांच पूरी करनी होती है, और यदि मामला इससे आगे बढ़ता है तो मामला समाप्त कर दिया जाता है।
यदि किसी बच्चे ने आपसे चोरी की है, तो शिकायत करने के लिए आप जो कदम उठा सकते हैं, उन्हें समझने के लिए यहां पढ़ें।
इस तरह की मुद्दे की संवेदनशीलता के कारण बाल यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए ‘विशिष्ट न्यायालय’ (स्पेशल कोर्ट्स) स्थापित किए गए हैं। सामान्य न्यायालयों के विपरीत, इन न्यायालयों को ऐसी प्रक्रिया का पालन करना होता है जो यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है ताकि बच्चा सुरक्षित और सहज महसूस कर सके।
यदि कोई बच्चा यौन हमले का शिकार है, तो विशिष्ट न्यायालय को, उसके लिए कुछ बाल-अनुकूल प्रक्रिया सुनिश्चित करना होगा।
यह विशिष्ट न्यायालय:
कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से, परिचित लोगों की उपस्थिति सुनिश्चित करेगा
- मुकदमें के दौरान बच्चे के परिवार के सदस्य / रिश्तेदार / मित्र या अभिभावक को उसके साथ उपस्थित रहने देगा।
सुनिश्चित करेगा कि कानूनी प्रक्रिया बच्चे के लिए ज्यादा परेशानी वाला नहीं हो।
- मुकदमे के दौरान बच्चे काे बार-बार विराम देने की अनुमति देगा।
- गवाही देने के लिए बच्चे को बार-बार अदालत नहीं बुलाया जायेगा।
- विशेष परिस्थितियों में, बयान देने के लिये बच्चे को न्यायालय में आने की जरूरत नहीं होगी। न्यायालय, बच्चे की जांच करने के लिए उसके घर पर, एक अधिकारी को भेजेगा। बच्चे की गवाही को दर्ज करते समय, न्यायालय एक योग्य अनुवादक, दुभाषिये या विशेष शिक्षक की मदद ले सकता है।
- कोशिश और सुनिश्चित करेगा कि गवाही 30 दिनों के भीतर दर्ज कर लिया गया है, और मुकदमा एक वर्ष के भीतर पूरा हो जाय।
बच्चे को आरोपित व्यक्ति और जनता से सुरक्षित रक्खे
- सुनिश्चित करें कि मुकदमे के दौरान बच्चा किसी भी तरह से आरोपी के संपर्क में नहीं आ रहा है। हालांकि, अदालत को यह भी सुनिश्चित करना है कि आरोपी बच्चे के बयान सुन सके। ऐसा एकतरफा दर्पण, पर्दा या वीडियो कॉल की मदद से किया जा सकता है।
- निजी अदालत में कार्यवाही करें जिससे मीडिया, अदालत में होने वाली घटनाओं के बारे में रिपोर्ट नहीं कर सके।
बच्चे से पूछताछ की प्रक्रिया
कानून ने, आरोपी के वकील के लिये कुछ कर्तव्यों को निर्धारित किया है। इस मुद्दे की संवेदनशीलता और बच्चे की सुरक्षा को हित में रखते हुए, वकील से अदालत की प्रक्रिया को एक खास तरीके से करने की अपेक्षा की जाती है।
- वकील सीधे बच्चे से सवाल नहीं कर सकता है। वकील, बच्चे को पूछे जाने वाले प्रश्नों को ‘विशेष अदालत’ में पेश करेगा, और तब वे उन प्रश्नों को बच्चे से पूछेंगे।
- वकील, बच्चे के चरित्र पर यह कहकर लांक्षण नहीं लगा सकता कि बच्चे का अपने माता-पिता के साथ झूठ बोलने का इतिहास है।
यदि आपको गिरफ्तार किया गया है, तो आप ज्यादा से ज्यादा 24 घंटे के लिए पुलिस स्टेशन की हिरासत में रहेंगे, जब तक वे आपको निकटतम मजिस्ट्रेट (कोर्ट) के पास नहीं ले जाते हैं। मजिस्ट्रेट की अनुमति मिलने पर ही वे आपको और 15 दिन तक रख सकते हैं। आपको कई तरह के उत्पीड़न / हिंसा का सामना करना पड़ सकता है जैसे:
- पुलिस आपको परेशान कर सकती है, या पुलिस हिरासत में रहते हुए आपको ऐसे अपराध स्वीकार करने के लिए धमका सकती हैं, जो आपने किया ही न हो। यह कानूनन अपराध है, जिसके लिए पुलिस अधिकारियों को जेल की सजा दी सकती है, और जुर्माना लगाया जा सकता है।
- जब आप हिरासत में हैं तो पुलिस अधिकारी आपको शारीरिक रूप से चोट पहुंचा सकते हैं। आपको इस तरह की घटना की शिकायत अपने वकील से करनी चाहिए, जो आपकी मदद कर सकेंगे।
- यदि पुलिस आपके साथ यौन उत्पीड़न या बलात्कार करती है, तो आपको पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए क्योंकि यह कानूनन दंडनीय अपराध है, जिसके लिए अधिकारियों को जेल की सजा और जुर्माना लगाया जाएगा। ऐसे मामलों में आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 (2), 376 बी के अंतर्गत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।
जब आप पुलिस की हिरासत में हैं, उस समय किसी भी प्रकार के उत्पीड़न को रोकने के लिए, या यदि आप पुलिस द्वारा किसी उत्पीड़न का सामना करते हैं, तो आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
एक वकील की मांग करें
आपके पास गिरफ्तारी के समय से एक वकील के लिए अनुरोध करने का अधिकार है, और जब आप हिरासत में होते हैं तो किसी भी हिंसा को रोकने के लिए, आपके साथ एक वकील मौजूद होना सहायक होगा।
इसकी शिकायत थाने के अधीक्षक से करें
पुलिस अधीक्षक (एसपी) को एक लिखित शिकायत करें, जो मामले को देखेगा। एक अधीक्षक इस मामले को खुद देख सकते हैं।
मजिस्ट्रेट से शिकायत करें
चूंकि पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर एक मजिस्ट्रेट के पास आपको अनिवार्य रूप से ले जाना होता है, आप अपने वकील की मदद से मजिस्ट्रेट को सीधे अपनी ‘निजी शिकायत’ दर्ज करा सकते हैं। हिरासत में आपके साथ हुए उत्पीड़न और हिंसा के बारे में आप बता सकते हैं।
नौकर या घरेलू सहायिका द्वारा चोरी के लिए सामान्य सजा की तुलना में ज्यदा गंभीरता से लिया जाता है और सजा भी ज्यदा होती है। नौकर/सहायक के लिए 7 साल तक की जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
यदि किसी नौकर ने आपके घर में चोरी की है, तो शिकायत करने के लिए आप जो कदम उठा सकते हैं, उन्हें समझने के लिए यहां पढ़ें।
किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी बच्चे को यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत करना गैरकानूनी है अगर वास्तव में उसने ऐसा नहीं किया है। इस झूठी शिकायत करने की सजा, एक साल का जेल, या जुर्माना या दोनों है। अगर किसी को अपमानित करने के इरादे से झूठी शिकायत या रिपोर्ट की गई है, तो वैसे अपराध के लिये, 6 महीने के जेल, या जुर्माना, या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।
हालांकि, अगर कोई बच्चा एक झूठी शिकायत करता है, तो उसे दंडित नहीं किया जा सकता है।
आप घरेलू हिंसा के लिए पुरुष और महिला दोनों के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं। आप निम्नलिखित के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं:
- आपका परिवार: आप अपने परिवार के बारे में शिकायत कर सकते हैं, यदि वे आपको निम्न परिस्थितियों में घरेलू हिंसा के अधीन कर रहे हैं:
- यदि आपका उत्पीड़क के साथ खून का रिश्ता है तो आप उनके खिलाफ मामला दर्ज करा सकते हैं। उदाहरण के लिए आपके पिता, भाई आदि।
- यदि आपका अपने उत्पीड़क के साथ शादी का रिश्ता है तो आप उनके खिलाफ मामला दर्ज करा सकते हैं जैसे कि आपके ससुराल वाले, पति, आदि।
- यदि आप अपने उत्पीड़क के साथ एक संयुक्त परिवार में रहते हैं तो आप उनके खिलाफ मामला दर्ज करा सकते हैं। उदाहरण के लिए, आपकी दादी, चाचा, दत्तक भाई, आदि। हालांकि, आप केवल उन लोगों के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं जो हिंसा में शामिल थे। 1) उदाहरण के लिए, यदि आप दस लोगों के साथ एक संयुक्त परिवार में रहते हैं और केवल आपकी सास और पति ने आपके साथ हिंसा की है तो आप केवल उन्हीं के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।
- आपका लिव-इन पार्टनर: यदि आपका लिव-इन पार्टनर आपको चोट पहुंचाता है या आपके साथ दुर्व्यवहार करता है तो आप उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- नाबालिग: आप एक नाबालिग के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं जो आपके साथ घरेलू हिंसा करता है।2) उदाहरण के लिए, यदि आपके परिवार में एक 16 वर्ष का लड़का आपको शारीरिक रूप से परेशान कर रहा है तो आप उसके खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
कोर्ट में जाते समय, ध्यान रखें कि आप जिसके द्वारा घरेलू हिंसा के शिकार हुए, उसके साथ आपने न केवल घरेलू संबंध साझा किया हो बल्कि एक ही घर में साथ भी रहे हों।
अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी संसाधन को पढ़ें