ई-फाइलिंग प्रक्रिया (ऑफलाइन फाइलिंग)

ऑफलाइन ई-फाइलिंग मोड, यह केवल आईटीआर फॉर्म 1 और 4 के अलावा अन्य फॉर्म के लिए लागू होता है, इसे ऑफलाइन भरें और फिर इसे वेबसाइट पर जमा करें।

चरण 1: आईटीआर फॉर्म चुनें

ऑफलाइन मोड के लिए, आपको आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल से उचित आईटीआर फॉर्म डाउनलोड करना होगा। अगर आप जानना चाहते हैं कि आपको कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना है, तो यहां पढ़ें

अगर आप ई-फाइलिंग पोर्टल में लॉग इन करते हैं तो पहले से भरा हुआ फॉर्म भी डाउनलोड किया जा सकता है। अपने अकाउंट से आप ‘डाउनलोड प्री-फिल्ड एक्सएमएल’ चुन सकते हैं, जिसे व्यक्तिगत और अन्य उपलब्ध जानकारियों को पहले से भरने के लिए आपके आईटीआर फॉर्म में इम्पोर्ट किया जा सकता है।

चरण 2: विवरण भरें

डाउनलोड किए गए आईटीआर फॉर्म को आप ऑफलाइन भर सकते हैं। यह सुनिश्चित करें कि आप फॉर्म को पूरी तरह से भरें और सभी आवश्यक जानकारी को सही ढंग से प्रदान करें। फॉर्म में सभी टैब की पुष्टि करें। ध्यान दें कि आईटीआर फॉर्म अटैचमेंट-रहित फॉर्म हैं और इसलिए, आपको इनकम रिटर्न के साथ कोई भी दस्तावेज (जैसे निवेश का प्रमाण, टीडीएस प्रमाण पत्र, आदि) को लगाने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, इन दस्तावेजों को सुरक्षित रूप से रखा जाना चाहिए, और जब मूल्यांकन, पूछताछ आदि जैसी स्थितियों में मांगी जाए, तो इन दस्तावेजों को टैक्स अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

चरण 3: अपनी कर देयता की गणना करना

वित्तीय वर्ष के लिए कुल आय की गणना करना और अपनी कर देयता की गणना करना। एक बार जब आप सभी आवश्यक दस्तावेज एकत्र कर लेते हैं और अपनी आय से काटे गए सभी करों को सत्यापित कर लेते हैं, तो आप टैक्स योग्य कुल आय की गणना कर सकते हैं। अपनी कुल आय की गणना करने के बाद, आपको अपनी आय स्लैब के अनुसार लागू टैक्स दरों को लागू करके अपनी कर देयता की गणना करनी होगी।

चरण 4: कटौती

एक बार जब आप अपनी कर देयता की गणना कर लेते हैं, तो आपके द्वारा पहले से ही टीडीएस, टीसीएस और एडवांस टैक्स के माध्यम से भुगतान किए गए टैक्स को घटाएं और देय ब्याज (यदि कोई हो) को जोड़ें। इससे आपको यह पता चलेगा कि क्या आपके द्वारा सभी करों का भुगतान पहले ही कर दिया गया है या किसी अतिरिक्त कर का भुगतान किया जाना है, या अगर आपने कोई अतिरिक्त कर चुकाया है और उसकी रिफंड आपको मिलना बाकी है।

चरण 5: आईटीआर फॉर्म जमा करना

आईटीआर फॉर्म को जेनरेट करें और उसे सेव करें। फॉर्म को ऑफलाइन भरने के बाद, आप इसे ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन करके ऑनलाइन जमा कर सकते हैं।

चरण 6: एक्सएमएल फॉर्मेट में आईटीआर फॉर्म अपलोड करना

‘ई-फाइल’ मेनू का चयन करने के बाद, ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ पेज पर जाएं, वहां आपको असेसमेंट ईयर, आईटीआर फॉर्म नंबर, और क्या आपका आईटीआर एक मूल/रिवाइज्ड रिटर्न है, का चयन करना होगा। फिर आप अपना फॉर्म एक्सएमएल फॉर्मेट में अपलोड कर सकते हैं। आपको अपना फॉर्म सत्यापित करने के लिए कई सारे विकल्प मिलेंगे, जिसको आप अपना फॉर्म सत्यापन करने के लिए सबमिट करते समय चुन सकते हैं या फिर बाद में भी सत्यापित सकते हैं।

एक बार सत्यापन हो जाने के बाद, आप यहां अपना आईटीआर स्टेटस चेक कर सकते हैं।

वैध चेक

एक वैध चेक वह होता है जिसे चेक काटने वाले के खाते से धन प्राप्त करने के लिए बैंक में जमा किया जा सकता है। चेक की वैधता उसके जारी करने की तारीख पर निर्भर करेगी। एक बार चेक जारी करने के समय एक तारीख लिख दी जाती है, तो वह उस तारीख से केवल 3 महीने तक ही वैध रहेगी। उदाहरण के लिए, यदि कोई चेक 1 जनवरी, 2019 को जारी किया गया है, तो यह केवल 1 अप्रैल, 2019 तक ही वैध होगा। वैध चेक की दो व्यापक श्रेणियां हैं:

• क्रॉस चेक (रेखित चेक)

• अनक्रॉस चेक

लीज़ एग्रीमेंट

एक लीज डीड/एग्रीमेंट दिल्ली, बैंगलोर, आदि जैसे कई शहरों में उपयोग किए जाने वाले समझौते का सबसे सामान्य रूप है। इसे आमतौर पर ‘रेंट एग्रीमेंट’ भी कहा जाता है।

किराए के करार (रेंट एग्रीमेंट) के तहत अधिकार

एक किरायेदार के रूप में, यदि आपने अपने मकान मालिक के साथ लीज डीड पर हस्ताक्षर किए हैं, तो आपके पास कुछ अधिकार हैं जो आपको लीव और लाइसेंस समझौते के तहत नहीं होंगे, जैसे:

संपत्ति में रुचि

जब आप संपत्ति के किराए का भुगतान कर रहे हैं, आपको उसमें रहने और उपयोग करने का अधिकार है।

सम्पत्ति पर आधिपत्य का अधिकार

किराए पर दिए जा रहे घर पर आधिपत्य स्थापित करने का एकमात्र अधिकार आपके पास है। इसका मतलब यह है कि अगर मकान मालिक ने अपना घर या स्थान आपको किराए पर दे दिया है, तो आपको सौंपी गई जगह का उपयोग अब वह नहीं कर सकता है। यह लीज की अवधि तक के लिए एकमात्र आपके उपयोग के लिए है।

निष्कासन (बेदखली) से संरक्षण

उचित कानूनी औचित्य दिये बिना एक मकान मालिक, एकतरफा आपके लीज की अवधि को समाप्त या कम नहीं कर सकता है। आपके पास बेदखली के खिलाफ खास संरक्षण उपलब्ध हैं।

अधिकतम ग्राहक दायित्व और बैंक नीति

एक मूल बचत बैंक जमा खाते का एक ग्राहक अधिकतम 5,000 रुपये के लिए उत्तरदायी हो सकता है।

अन्य सभी बचत बैंक खाते, प्रीपेड भुगतान साधन और उपहार कार्ड, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के चालू/नकद क्रेडिट/ओवरड्राफ्ट खाते, (धोखाधड़ी की घटना के 365 दिनों पहले के दौरान मे)25 लाख रुपये वार्षिक औसत बैलेंस तक की सीमा वाले व्यक्तियों के चालू खाते/नकद क्रेडिट/ओवरड्राफ्ट खाते, 5 लाख रुपये तक की सीमा वाले क्रेडिट कार्ड के लिए अधिकतम देय रु. 10,000 है।

अन्य सभी चालू/नकद क्रेडिट/ओवरड्राफ्ट खातों और 5 लाख रुपये से अधिक की सीमा वाले क्रेडिट कार्ड के लिए, वे 25,000 रुपये तक के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं। यदि विलंब सात कार्य दिवसों से अधिक के लिए है, तो ग्राहक की देयता बैंक की बोर्ड नीति के अनुसार निर्धारित की जाएगी:

• बैंकों को खाता खोलते समय तैयार की गई ग्राहकों की देयता के संबंध में अपनी नीति का विवरण प्रदान करना चाहिए।

• बैंकों को व्यापक परिचालन के लिए अपनी अनुमोदित नीति को सार्वजनिक डोमेन में भी प्रदर्शित करना चाहिए।

• मौजूदा ग्राहकों को भी बैंक की नीति के बारे में व्यक्तिगत रूप से सूचित किया जाना चाहिए।

 

विवाद निपटान तंत्र के रूप में मध्यस्थता

मध्यस्थता एक आउट-ऑफ-कोर्ट समझौता है जहां पार्टियां कार्यवाही के तरीके को तय कर सकती हैं। यह विवादों के शीघ्र निपटारे में मदद करता है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 ने प्रावधान पेश किया है कि पार्टियों के बीच समझौते की गुंजाइश होने पर संबंधित आयोग, किसी उपभोक्ता विवाद में मध्यस्थता की सिफारिश कर सकता है। हालांकि, मध्यस्थता की प्रक्रिया को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए पार्टियों को 5 दिन की समय सीमा दी जाती है; इसके लिए सहमति महत्वपूर्ण है। एक बार जब विवाद को मध्यस्थता के लिए भेजा जाता है, तो विवाद निवारण के लिए आयोग को भुगतान किया गया शुल्क पार्टियों को वापस कर दिया जाता है।

मध्यस्थता की प्रक्रिया 

मध्यस्थता की कार्यवाही निम्नलिखित तरीके से की जा सकती है-

चरण -1: यह एक ‘उपभोक्ता मध्यस्थता प्रकोष्ठ’ में संचालित किया जाएगा जिसमें विवादों को निपटाने के लिए मध्यस्थों का एक पैनल होगा। यह प्रकोष्ठ मामलों की सूची और कार्यवाही के रिकॉर्ड का रखरखाव करता है।

चरण -2: मामले का फैला करते समय प्रत्येक मध्यस्थ से निष्पक्ष और विवेकपूर्ण कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। कार्यवाही शुरू होने से पहले मध्यस्थ को शुल्क का भुगतान भी किया जाता है।

चरण-3: दोनों पक्षों की उपस्थिति में मध्यस्थता की जाएगी और वह गोपनीय रहेगी।

चरण -4: पार्टियों को मध्यस्थ को सभी प्रासंगिक जानकारी और दस्तावेज़ उपलब्ध कराने चाहिए।

चरण 5: यदि सभी पक्षमध्यस्थता की कार्यवाही के बाद, 3 महीने के भीतर, किसी समझौते पर आते हैं, तो पार्टियों के हस्ताक्षर के साथ एक ‘निपटान रिपोर्ट’ आयोग को भेजी जाएगी।

चरण -6: पार्टियों की ‘निपटान रिपोर्ट’ प्राप्‍त होने के 7 दिनों के भीतर संबंधित आयोग को एक आदेश पारित करना आवश्यक है।

चरण -7: यदि मध्यस्थता के माध्यम से कोई समझौता नहीं हुआ है, तो कार्यवाही की एक रिपोर्ट के माध्यम से आयोग को सूचित किया जाता है। आयोग तब संबंधित उपभोक्ता विवाद के मुद्दों को सुनेगा और मामले का फैसला करेगा।

चरण -8: मध्यस्थता प्रक्रिया से गुज़रने के बाद विवाद को अन्य कार्यवाही, जैसे पंचाट या अदालती मुकदमे में नहीं ले जाया जा सकता।

शिकायतें जिनका समाधान मध्यस्थता से नहीं हो सकता 

हालांकि, निम्नलिखित मामलों को मध्यस्थता के लिए निर्दिष्ट नहीं किया जा सकता-

• गंभीर चिकित्सीय लापरवाही या जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु हो जाती है।

• धोखाधड़ी, जालसाज़ी, ज़बरदस्ती।

• किसी भी पक्ष द्वारा अपराध-वर्धन के लिए आवेदन। इसका मतलब यह है कि इन अपराधों को लेकर कार्यवाही, पार्टियों के बीच जुर्माने के भुगतान पर तय की जा सकती है, बशर्ते कि इस तरह के अपराध की पुनरावृत्ति 3 साल की अवधि में न हुई हो।

• फौजदारी अपराध और जनहित के मुद्दे। इनमें उस जनता से जुड़े मुद्दे शामिल हैं जो मामले की पक्षकार नहीं है। उदाहरण के लिए, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर इलेक्ट्रॉनिक बैंक लेनदेन के मामले में गोपनीयता का उल्‍लंघन।

आयकर अधिकारियों द्वारा जारी नोटिस

कभी-कभी, आयकर अधिकारियों द्वारा आपके नाम पर जारी किए गए नोटिस के जवाब में आपको आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करना पड़ सकता है। ये कुछ प्रमुख उदाहरण हैं कि कब करदाता को नोटिस जारी किया जा सकता है:

• यदि निर्धारण अधिकारी को लगता है कि आपकी आय की विवरणी(रिटर्न) में कोई त्रुटि है, तो वह अधिकारी आपको त्रुटि के बारे में नोटिस जारी कर सकता है, और आपको नोटिस के पंद्रह दिनों के भीतर गलती को सुधारने का मौका दे सकता है। उस गलती को पंद्रह दिनों के भीतर या अधिकारी द्वारा दी गई अवधि के भीतर सही किया जाना चाहिए। सुधार नहीं करने पर, आपका रिटर्न अमान्य रिटर्न माना जाएगा। और इससे यह माना जाएगा कि आप करदाता के रूप में रिटर्न जमा करने में विफल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप आपको जुर्माना देना होगा।

• आयकर निर्धारण करने के लिए, निर्धारण अधिकारी ऐसे किसी भी व्यक्ति को नोटिस जारी कर सकता है, जिसने समय पर इनकम टैक्स रिटर्न जमा नहीं किया है, ताकि वह व्यक्ति रिटर्न जमा कर सके। वह अधिकारी आपसे जरूरी अकाउंट या डाक्यूमेंट्स भी मांग सकता है। आयकर अधिकारी आपसे किसी भी जानकारी को जमा करने के लिए या उसे सत्यापित करने के लिए कह सकते हैं। इसके अलावा, इसमें आपकी सभी संपत्तियों और देयता का विवरण भी शामिल हो सकता है।

• अगर निर्धारण अधिकारी को लगता है कि आपकी टैक्स योग्य आय का कोई हिस्सा टैक्स निर्धारण से बच गया है या किसी असेसमेंट ईयर के लिए मूल्यांकन नहीं किया गया है, तो वह ऐसी आय का आकलन या पुनर्मूल्यांकन कर सकता है। यह आकलन करने से पहले, निर्धारण अधिकारी आपको प्रासंगिक असेसमेंट ईयर के अनुरूप पिछले वर्ष के लिए इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने के लिए एक नोटिस देगा। यह नोटिस उस समयसीमा को निर्दिष्ट करेगा जिसके भीतर आपको रिटर्न जमा करना होगा।

क्रॉस चेक (रेखित चेक)

चेक को क्रॉस करने का मतलब है कि इसे किसी और को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। ऐसे चेक में, आपको चेक के ऊपरी बाएं कोने पर दो समानांतर रेखाएं खींचनी होती हैं और आप इसके साथ “केवल खाता प्राप्तकर्ता” या “निगोशिएबल नहीं” शब्द लिख सकते हैं।

 

 

Crossed Cheque

केवल उदाहरण के लिए

इन चेकों को किसी बैंक के कैश काउंटर पर भुनाया नहीं जा सकता है, लेकिन केवल प्राप्तकर्ता के खाते में जमा किया जा सकता है।

पहचान के दुर्विनियोजन या हानि के जोखिम को कम करने के लिए इन चेकों को क्रॉस(रेखित) किया जाता है। चूंकि क्रॉस किए गए चेक काउंटर पर देय नहीं होते हैं और राशि चेक धारक के बैंक खाते में जमा हो जाती है, यह अनक्रॉस या ओपन चेक की तुलना में पैसे ट्रांसफर करने का एक सुरक्षित तरीका है, जिस पर कोई राशि नहीं लिखी गई है।

भुगतान को प्रतिबंधित करने के लिए जहां चेक पर बैंक का नाम दर्शाया गया है, वहां एक क्रॉसिंग भी की जा सकती है। उदाहरण के लिए, यदि चेक B के नाम से बनाया गया है और चेक पर “बैंक ऑफ बड़ौदा” क्रॉसिंग बनाया गया है, तो चेक केवल बैंक ऑफ बड़ौदा में B के खाते में देय होगा और किसी अन्य बैंक में नहीं होगा।

लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करना

हस्ताक्षर करने के पहले समुचित सावधानी बरतना

यदि आप घर लेने का फैसला करते हैं या किराए पर अपना घर देते हैं, तो यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें बतायी गईं हैं जिन्हें आपको लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले करनी चाहिए:

अपना अनुबंध पढ़ें

अपने समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपने या आपके वकील ने समझौते की सभी शर्तों को पढ़ा है। कृपया सुनिश्चित करें कि आपने किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर, उसकी अंतर्वस्तु (कंटेंट) को पढ़े बिना नही किया है। बाद में आप यह दावा नहीं कर सकते कि आप इस करार से बाध्य नहीं हैं क्योंकि आपने समझौते को पढ़ा नहीं है।

गवाहों की उपस्थिति को सुनिश्चित करें

अपने समझौते की शर्तों को पढ़ने के बाद, आपको और मकान मालिक ध्लाइसेंसकर्ता/किरायेदार/लाइसेंसधारी दोनों को समझौते पर हस्ताक्षर करना होगा। कृपया सुनिश्चित करें कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले दो गवाह भी मौजूद हैं। यह आवश्यकता वैकल्पिक नहीं है क्योंकि गवाहों के हस्ताक्षर के बिना समझौते को वैध नहीं माना जाएगा।

हस्ताक्षर करने के बाद समुचित सावधानी बरतना

लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें सुनिश्चित करनी चाहिए:

समझौते का नोटरीकरण और पंजीकरण कराना

यदि आप अपना मकान किराए पर दे रहे हैं, या मकान किराए पर ले रहे हैं, तो आप समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद यह सुनिश्चित करें कि आप इसे नोटरीकृत या पंजीकृत करवा लिये हैं।

11 महीने के किराए के समझौतों के लिए पंजीकृत कराना अनिवार्य नहीं है। हालांकि, ऐसे समझौते को नोटरीकृत करना अनिवार्य है।

पुलिस सत्यापन (वेरिफिकेशन)

अपने समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद यह सुनिश्चित करें कि यदि आप अपना घर किराए पर दे रहे हैं तो पुलिस वेरिफिकेशन जरूर करवाएं। किराए पर मकान लेने वाले व्यक्ति के रूप में आपको पुलिस वेरिफिकेशन करवाने का कोई दायित्व नहीं है। हालांकि, आपको अपने मकान मालिक के साथ सहयोग करना चाहिए जब वह इस प्रक्रिया के लिए आपका विवरण मांगता है। क्योंकि कानून के तहत इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मकान मालिक के लिये यह अपेक्षित है।

उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण

सभी उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरणों के विवरण और कामकाज नीचे दिये गये हैं-

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण 

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) का उद्देश्य सामूहिक रूप से उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देना, उनकी रक्षा करना और उन्हें क्रियान्वित करना है। सीसीपीए को यह अधिकार है-

• उपभोक्ता अधिकारों के उल्‍लंघन की जांच करना और प्राप्‍त शिकायतों पर मुकदमा चलाना।

• जोखिमपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं को निरस्‍त करने का आदेश

• अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों को बंद करने का आदेश

• भ्रामक विज्ञापनों के निर्माताओं, समर्थनकर्ताओं और प्रकाशकों पर दंड लगाना।

इसका मुख्यालय नई दिल्‍ली में है, लेकिन पूरे देश में क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने का भी प्रावधान है। शिकायत मिलने पर या स्‍वयं ही यह उल्लिखित मुद्दों की जांच शुरू कर सकता है।

उपभोक्ता संरक्षण परिषदें 

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद के काम सलाहकारी प्रकृति के हैं, जो उपभोक्ता अधिकारों के प्रचार और संरक्षण के बारे में सुझाव देते हैं। इसी तरह, राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद और जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद नामक राज्य-स्तरीय इकाइयों का भी गठन किया जाता है, जो समान सलाहकार कार्य करती हैं।

जागरूकता फैलाने जैसी समान भूमिकाएँ निभाने वाले कुछ अन्य निकाय भी हैं, इनमें शामिल हैं-उपभोक्ता शिक्षा व अनुसंधान केंद्र (गुजरात), भारतीय मानक ब्यूरो, तमिलनाडु में उपभोक्ता संगठन महासंघ, मुंबई ग्राहक पंचायत, आदि।

ई-फाइलिंग प्रक्रिया (ITR-1 और ITR-4 के लिए ऑनलाइन फाइलिंग)

ऑनलाइन ई-फाइलिंग मोड, यह केवल आईटीआर फॉर्म 1 और 4 के लिए लागू होता है जिसे आप सीधे ऑनलाइन भर सकते हैं।

चरण 1: आईटीआर फॉर्म चुनें

ऑनलाइन मोड के लिए, आपको सीधे आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग इन करना होगा और आईटीआर-1 या आईटीआर-4 में से किसी एक का चयन करना होगा। अगर आप जानना चाहते हैं कि आपके लिए कौन सा आईटीआर फॉर्म लागू है, तो यहां पढ़ें।

चरण 2: अपना आईटीआर फॉर्म ऑनलाइन तैयार करें

‘ई-फाइल’ मेनू का चयन करने के बाद, ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ पेज पर जाएं, यहाँ आपको असेसमेंट ईयर, आईटीआर फॉर्म नंबर, और क्या आपका आईटीआर एक मूल/रिवाइज्ड रिटर्न है, का चयन करना होगा। फिर आप ‘तैयार करें और ऑनलाइन जमा करें’ विकल्प का चयन करके अपने फॉर्म तक पहुंच सकते हैं।

चरण 3: विवरण भरें

निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। सुनिश्चित करें कि आपने फॉर्म को पूरी तरह से भर लिया है और सभी आवश्यक विवरण/जानकारी को सही-सही भरा है। सेशन टाइमआउट होने के कारण डेटा का नुकसान से बचने के लिए, समय-समय पर ‘सेव ड्राफ्ट’ बटन पर क्लिक करें, जिससे आप का डाटा सेव होते रहेगा। सेव किया गया यह ड्राफ्ट 30 दिनों के लिए या रिटर्न फाइल करने की तारीख तक उपलब्ध होगा।

ध्यान दें कि आईटीआर फॉर्म अटैचमेंट-रहित फॉर्म हैं और इसलिए, आपको इनकम रिटर्न के साथ कोई भी दस्तावेज (जैसे निवेश का प्रमाण, टीडीएस प्रमाण पत्र, आदि) को लगाने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, इन दस्तावेजों को सुरक्षित रूप से रखा जाना चाहिए, और जब मूल्यांकन, पूछताछ आदि जैसी स्थितियों में मांगी जाए, तो इन दस्तावेजों को टैक्स अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

चरण 4: फॉर्म जमा करना

फॉर्म भरने के बाद, आपको ‘टैक्स पेड एंड वेरिफिकेशन’ टैब में उचित सत्यापन विकल्प चुनना होगा। आपके पास अपना फॉर्म सत्यापित करने के लिए कई सारा विकल्प मिलेगा, और जिसे आप फॉर्म जमा करने के समय या बाद में चुन सकते हैं।

एक बार सत्यापन हो जाने के बाद, आप यहां अपना आईटीआर स्टेटस चेक कर सकते हैं।