कर लगाने योग्य आय की गणना

आपकी आय के आधार पर आयकर विभाग नीचे दी गई श्रेणियों के अनुसार कर लगाता है। इस तरह से की गणना की गई कुल आय को सकल कुल आय कहा जाता है। इस राशि से ही इसकी कटौती की जाती है।

वेतन से होने वाली आय

वेतन से होने वाली आय पर भारत में कर लगता है। जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

• पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) से देय वेतन। अगर वेतन का भुगतान नहीं किया गया है, तो भी उस पर कर लगाया जाएगा।

• देय होने से पहले ही पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) द्वारा भुगतान किया गया वेतन। उदाहरण के लिए, यदि नियोक्ता किसी प्रोजेक्ट के लिए एडवांस में ही वेतन का भुगतान करता है, तो भी उस पर कर लगाया जाएगा।

• पिछले वर्ष के दौरान करदाता को नियोक्ता (पूर्व नियोक्ता सहित) द्वारा भुगतान किया गया कोई बकाया या लंबित वेतन। यह तभी होता है जब इस राशि पर पिछले एक साल में कर नहीं लगाया गया हो।

आपके वेतन में निम्नलिखित ब्रेकअप पर पूरी तरह से कर लगेगा:

मूल वेतन (बेसिक सैलरी) : पूरी तरह से कर योग्य है।
महंगाई भत्ता : पूरी तरह से कर योग्य है।
बोनस, शुल्क या कमीशन: पूरी तरह से कर योग्य है।

पूंजीगत लाभ से आय

एक पूंजीगत संपत्ति होनी चाहिए। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि, करदाता के पास कोई भी संपत्ति हो, तो उसपर कर लगेगा।

• इसे करदाता द्वारा पिछले वर्ष के दौरान स्थानांतरित किया जाना चाहिए।

• स्थानांतरण करने पर लाभ होना चाहिए। करदाता द्वारा कौन-कौन से लेनदेन को “हस्तांतरित” (ट्रांसफर्ड) नहीं माना जाता है।

कुछ लेनदेन पर कर नहीं लगता है, जैसे:

• दिवालिया होने पर/ऋणमुक्ति के समय एक कंपनी में शेयरधारकों को संपत्ति का वितरण होने पर।

• अविभाजित हिन्दू परिवार के बंटवारे होने पर पूंजी संपत्ति का वितरण

गृह संपत्ति से आय

गृह संपत्ति जैसे आपका घर, कार्यालय, दुकान, कोई बिल्डिंग या उससे जुड़ी कुछ जमीन जैसे पार्किंग स्थल हो सकती है। आयकर अधिनियम एक वाणिज्यिक और आवासीय संपत्ति के बीच अंतर नहीं करता है। सभी प्रकार की संपत्तियों पर इनकम रिटर्न टैक्स ‘गृह संपत्ति से आय’ के तहत ही लगाया जाता है, जिसमें आपकी संपत्ति भी शामिल है। अगर निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हैं, तो ‘गृह संपत्ति से आय’ पर कर लगेगा:

• गृह संपत्ति में कोई भी बिल्डिंग या इससे जुड़ी जमीन होने पर।

• करदाता को संपत्ति का मालिक होने पर।

• करदाता द्वारा चलाए जा रहे व्यवसाय या पेशे के उद्देश्य के लिए गृह संपत्ति का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

व्यापार और व्यवसाय से आय

फर्म या व्यवसाय या पेशे में स्वतंत्र रूप से काम करने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा प्राप्त मेहनताना, बोनस या कमीशन पर, ‘वेतन से आय’ के रूप में कर नहीं लगता है, बल्कि यह ‘व्यापार या व्यवसाय से आय’ के रूप में कर के लिए योग्य होगा। कर के रूप में किसी व्यवसाय या पेशे से होने वाले निम्नलिखित आय पर शुल्क लगेगा:

• किसी विशेष व्यक्ति को देय या प्राप्त कोई मुआवजा या अन्य भुगतान करने पर।

• किसी व्यापार, पेशे या उसके सदस्यों के लिए की गई किसी विशेष सेवा से प्राप्त आय पर, जैसे किसी ठेकेदार द्वारा की गई आय।

• भारत सरकार की किसी भी योजना के तहत निर्यात के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा प्राप्त या मिलने वाली नकद सहायता (या इसे किसी भी नाम से जाना जाता हो)

• व्यवसाय से लाभ या किसी पेशे को करने से होने वाले किसी भी लाभ का मूल्य।

• ब्याज, वेतन, बोनस, कमीशन या मेहनताना देय या साझेदारी फर्म से साझीदार द्वारा प्राप्त किया गया धन। ये सभी उन आय के कुछ उदाहरण हैं जिन पर कर लगाया जाता है।

अन्य स्रोतों से आय

कोई भी आय जिस किसी भी आमदनी के तहत कर नहीं लगता है, लेकिन जिसे कुल आय से बाहर नहीं किया जाना है, वे सभी आमदनी “अन्य स्रोतों से आय” के तहत कर के लिए योग्य है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:

• लाभांश

• लॉटरी, वर्ग पहेली, घुड़दौड़ सहित अन्य दौड़, ताश के खेल, जुआ या किसी भी तरह की सट्टेबाजी जीतने से होने वाली आय।

निम्नलिखित धनराशियों को ‘अन्य स्रोतों से आय’ से आमदनी के तहत कर लगाया जाता है, और केवल तभी लगाया जाता है जब उस पर ‘व्यवसाय या पेशे से लाभ और अभिलाभ’ के तहत होने वाली आमदनी पर पहले से कर नहीं लगाया गया हो।

• नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों से पीएफ (भविष्य निधि), ई.एस.आई (कर्मचारी राज्य बीमा), सेवानिवृत्ति निधि, आदि के लिए योगदान के रूप में प्राप्त कोई भी धन।

• सिक्यूरिटी पर ब्याज

• करदाता से संबंधित मशीनरी, संयंत्र या फर्नीचर को किराये पर देना और उससे आय कमाना।

• भवनों के साथ संयंत्र, मशीनरी या फर्नीचर किराए पर देना और उससे समग्र आय कमाना।

• कीमैन बीमा पॉलिसी के तहत प्राप्त कोई भी धनराशि (बोनस सहित)।

 

 

चेक काटने वाले का इरादा

यदि आपके द्वारा जारी किया गया चेक बाउंस हो गया है, तो चेक काटने वाले का इरादा मायने नहीं रखता। यह अप्रासंगिक है कि आप अपने चेक को बाउंस करना चाहते हैं या नहीं। भले ही चेक को बिना किसी गलत इरादे या द्वेष के बाउंस किया गया हो, इसे अवैध और कानून के तहत अपराध माना जाता है।

सौदेबाजी करने के कदम

उठाये जाने वाले कदम

पहचान के प्रमाण की मांग करें

आप मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता से पहचान के प्रमाण की मांग कर सकते हैं ताकि आप संतुष्ट हो सकें कि वह मकान मालिक ही मकान का असली मालिक है, या उसके पास संपत्ति को किराए पर देने की अनुमति है। पहचान प्रमाण मांगने का उद्देश्य यह जांचना है कि क्या यह वही व्यक्ति है जो वह होने का दावा कर रहा है। उपयोग किए जाने वाले सबसे सामान्य कुछ पहचान पत्रों में है, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि। आईडी कार्ड पर फोटो के साथ स्थायी पता भी लिखा होना चाहिए।

किराए और सुरक्षा जमाराशि (सिक्युरिटी डिपॉजिट) पर सौदेबाजी करना

उसके साथ किराया और सुरक्षा जमाराशि पर सौदा करें, और दोनों के लिए रसीद भी ले लें। कुछ मामलों में, किराए पर सौदा करते समय दलालों से काफी मदद मिल सकती है, इसलिए ऐसे वक्त पर आप उन्हें अपने साथ आने का अनुरोध भी कर सकते हैं।

घर में अपेक्षित सुविधाओं के बारें समझौता करें

घर का निरीक्षण करते समय यदि आप इसमें किसी तरह का बदलाव, परिवर्धन करना, चाहते हैं, तो अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से पहले आपको अपने मकान मालिक को यह बताना चाहिए। ऐसा करने से आप यह जान पाएंगे कि मकान मालिक आपकी आवश्यकताओं के लिए समझौता करने के लिए तैयार है या नहीं, और आप भी यह अनुमान लगा कर सकते हैं कि आप इस घर को सबसे अच्छी कीमत पर पा रहे हैं या नहीं। मरम्मत करने और अलग से लगाये जाने वाली चीजों की एक सूची तैयार करें ताकि आपका मकान मालिक उन पर गौर कर सके।

आखिरी वसीयतनामा होने के क्या फायदे हैं और इसे कैसे बना सकते हैं?

वसीयतनामा (वसीयत) एक लिखित दस्तावेज है, जिसे एक व्यक्ति यह बताने के लिए बनाता है कि उनकी संपत्ति और धन को उनके वंशजों के बीच कैसे बांटा जाएगा। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925  तहत वसीयतनामा को बनाना और उसे लागू  करना होता है। यह अधिनियम इस्लाम को छोड़कर सभी धर्मों पर लागू होता है।

आखिरी वसीयतनामा यह तय करता है कि आपकी संपत्ति आपकी इच्छा के हिसाब से आपके लाभार्थियों के बीच सुरक्षित रूप से बंट रही हो। वसीयतनामा, बिना वसीयतनामा मरने और विरासत के अधिकार पर विवाद की संभावना को कम करती है। लिखित वसीयतनामा की मदद से लंबी चलने वाली अदालती लड़ाई से भी बचा जा सकता है। अगर आपके बच्चे नाबालिग हैं, तो आपको वसीयतनामा में एक वसीयत प्रबंधक (जो वसीयत की सभी कार्यवाही करेगा) और एक कानूनी अभिभावक का नाम देना होता है।

ज्यादा जानने के लिए न्याया के वसीयतनामा लेख को पढ़ें।

बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करना

यदि आप बैंक द्वारा प्रदान किए गए समाधान से असंतुष्ट हैं और इस मामले में आगे पूछताछ करना चाहते हैं, तो आप बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 के तहत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित बैंकिंग लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं। प्रत्येक बैंक को अपने पते पर शाखा बैंकिंग लोकपाल का विवरण प्रदर्शित करना आवश्यक है जिसके अधिकार क्षेत्र में शाखा आती है। यहां संबंधित बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

आप ऐसा तभी कर सकते हैं जब आप बैंक के साथ मामलों को निपटाने की कोशिश कर चुके हों और असफल हो गए हों। यदि आप न्यायालय में मामला दायर करते हैं, जैसे कि उपभोक्ता न्यायालय, तो आप उस समय लोकपाल से संपर्क नहीं कर सकते जब तक कि मामला चल रहा हो।

यदि आप बैंकिंग लोकपाल के निर्णय से असंतुष्ट हैं, तो आप लोकपाल के निर्णय के खिलाफ अपीलीय प्राधिकारी -डिप्टी गवर्नर से संपर्क कर सकते हैं जो बैंकिंग लोकपाल योजना, भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यान्वयन से निपटने के प्रभारी हैं। यह अपील लोकपाल के निर्णय के 30 दिनों के भीतर की जानी चाहिए।

उपभोक्ता कल्याण कोष

उपभोक्ता कल्याण कोष (CWF) का समग्र उद्देश्य उपभोक्ताओं के कल्याण को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने और देश में उपभोक्ता आंदोलन को मज़बूत करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। कुछ नियम हैं जो CWF के उपयोग को नियंत्रित करते हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

• विस्‍तृत कवरेज वाली और सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय व्‍यवहारों को अपनाने वाली उपभोक्ता जागरूकता परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए सीडब्ल्यूएफ से प्राथमिकता प्राप्‍त होगी।

• सीडब्ल्यूएफ का उपयोग करते समय सरकार, ग्रामीण व वंचित उपभोक्ताओं तथा उनके हितों की सुरक्षा-योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसके लिए, ग्रामीण उपभोक्ताओं और उनके सशक्तिकरण से संबंधित परियोजनाओं, और ग्रामीण उपभोक्ताओं (जिनमें महिलाओं व सामाजिक रूप से वंचित समूहों की भी बड़ी भागीदारी है) के लिए काम करने वाले संगठनों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

• CWF को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच भी वितरित किया जाना है, ताकि कल्याणकारी गतिविधियों के लिए भी क्षेत्रीय उपभोक्ता कल्याण कोष बनाया जा सके।

• कंपनियों की कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व निधि के माध्यम से सीडब्ल्यूएफ में योगदान करने की दिशा में एक उल्‍लेखनीय प्रयास किया गया है।

• उपभोक्ता जागरूकता और शिक्षा के लिए अभिनव परियोजनाएं, उपभोक्ता शिक्षा के लिए प्रशिक्षण और अनुसंधान सुविधाओं की स्थापना, ग्रामीण उपभोक्ता सशक्तिकरण से संबंधित परियोजनाएं, स्कूलों/कॉलेजों/विश्वविद्यालयों में उपभोक्ता क्लब, परामर्श के लिए राज्य/क्षेत्रीय स्तर पर उपभोक्ता मार्गदर्शन ब्यूरो की स्थापना और मार्गदर्शन, उत्पाद परीक्षण प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों में उत्कृष्टता केंद्र बनाने, पैरवी और वर्गीय कानूनी कार्रवाई आदि पर खर्च को पूरा करने आदि को प्राथमिकता मिलती है।

CWF के तहत वित्तीय सहायता के लिए आवेदन करना

उपभोक्‍ता कल्‍याण निधि से वित्‍तीय सहायता की मांग करने वाले प्रस्‍ताव आम तौर पर, जनवरी और जुलाई के महीनों में, साल में दो बार ऑनलाइन होते हैं। प्रस्ताव आमंत्रित करने की उचित सूचना एवं प्रारूप उपभोक्ता विभाग की वेबसाइट पर जारी एवं प्रकाशित किये जायेंगे। उपभोक्ता कल्याण कोष से अनुदान के लिए आवेदन पत्र आप उपभोक्ता विभाग की वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं।

यद्यपि, मूल्यांकन समिति पात्रता मानदंडों पर खरा न उतरने, और एक ही उद्यम के लिए कई सरकारी मंचों के माध्यम से धन प्राप्‍त करने का प्रयास करने वाले अधूरे फॉर्म आदि कारणों से आवेदन को अस्वीकार कर सकती है।

कर की दरें

संसद द्वारा पारित हर साल के वित्त अधिनियम में आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स की दरें उपलब्ध हैं। आप अपनी कर देयता की जांच भी कर सकते हैं और आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध मुफ्त ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग करके आयकर की राशि की गणना कर सकते हैं।

बजट 2020 ने करदाताओं को इनमें(निम्नलिखित) से चुनने का विकल्प दिया है:

• लागू आयकर छूटों और कटौतियों के साथ मौजूदा आयकर व्यवस्था या

• कम आयकर दरों और नए आयकर स्लैब के साथ एक नई कर व्यवस्था लेकिन कर में कोई छूट और कटौती नहीं।

प्रत्येक व्यक्तियों के लिए आयकर की दरें नीचे दी गई हैं:

पुरानी/मौजूदा कर दरें/टैक्स रेट्स

नेट इनकम रेंज आकलन वर्ष 2020-21 के लिए आयकर की दर,
2,50,000 रुपये तक कोई कर नहीं।
2,50,000 रू. से 5,00,000 रू. तक 5% कर।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर।
10,00,000 रुपये से ऊपर पर 30% कर।

 

नई (घटायी गयी) कर दरें या रेट्स

निवल आय सीमा। आयकर दर (वैकल्पिक, 1 अप्रैल, 2020 से लागू)
2,50,000 रुपये तक कोई कर नहीं।
2,50,001 रू. से 5,00,000 रू. तक 5% कर।
5,00,001 रु. से 7,50,000 रू. तक 10% कर।
7,50,001 रु. से 10,00,000 रू. तक 15% कर।
10,00,001 रु. से 12,50,000 रू. तक 20% कर।
12,50,001 रू. से 15,00,000 रुपये तक 25% कर।
15,00,000 रुपये से ऊपर पर 30% कर।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर:

वरिष्ठ नागरिक वे हैं जो पिछले वर्ष के दौरान 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं।

निवल आय सीमा दर (आकलन वर्ष 2021-22) दर (आकलन वर्ष 2020-21)
2,50,000 रु. तक कोई कर नहीं लगेगा। कोई कर नहीं।
2,50,000 रु. से 5,00,000 रू. तक 5% कर। 5% कर।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर। 20% कर।
रुपये से ऊपर 10,00,000 30% कर लगेगा। 30% कर।

 

अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर के लिए आयकर:

अति वरिष्ठ नागरिक (सुपर सीनियर सिटीजन) वे हैं जो पिछले वर्ष (जिस वर्ष आय अर्जित की जाती है) के दौरान 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं।

निवल आय सीमा दर (आकलन वर्ष 2021-22) दर (आकलन वर्ष 2020-21)
5,00,000 रू. तक कोई कर नहीं। कोई कर नहीं।
5,00,000 रु. से 10,00,000 रू. तक 20% कर। 20% कर।
10,00,000 रू. से अधिक पर 30% कर। 30% कर।

 

 

 

चेक पर हस्ताक्षर का महत्व

चेक पर हस्ताक्षर का मतलब है कि जिस व्यक्ति ने उस पर हस्ताक्षर किया है वह बैंक को अपने खाते से पैसे निकालने की अनुमति दे रहा है। बैंक को चेक देते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

• सुनिश्चित करें कि चेक जारी करने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर उसके बैंक रिकॉर्ड में हस्ताक्षर के साथ मेल खाते हैं।

• अगर चेक पर आपका हस्ताक्षर बैंक रिकॉर्ड में आपके हस्ताक्षर से मेल नहीं खाता है, तो बैंक आपको इसके लिए जुर्माना दे सकता है।

यदि बैंक आपके चेक को वापस करने का निर्णय लेता है तो हस्ताक्षर बेमेल पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

किराए के एग्रीमेंट पर सौदेबाजी करना

सौदेबाजी करते समय आपको पहले उस व्यक्ति की पहचान स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए, जिसके साथ आप समझौता करने जा रहे हैं। इस जानकारी का होना महत्वपूर्ण है, ताकि आप अपने अधिकारों का दावा करने में सक्षम रहें और जिस व्यक्ति के साथ आप एग्रीमेटं कर रहे हैं, उसके साथ लेन-देन या सौदा कर सकें। यदि आपके पास इसकी जानकारी रहती है, तो आपके लिए नीचे दिए गए मामलों में पुलिस के पास या अदालत के पास जाना आसान होगा:

  • एग्रीमेंट समझौते पर हस्ताक्षर करने के पहले ही कोई छल या धोखा हुआ हो।
  • एग्रीमेंट या भुगतान को लेकर कोई समस्या या विवाद हो जाए।

जब आप अपने एग्रीमेंट पर सौदा कर रहे हों, तो मौखिक रूप से सहमत अपने सभी शर्तों को स्पष्टतः कर लेना, और उन्हें लिखित रूप दे देना महत्वपूर्ण है। एक बार जब किराया के एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हो जाता है तो उसके बादः

  • इस पर आसानी से विवाद खड़ा नहीं किया जा सकता है। इसलिए, समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले, इस पर ठीक से सौदा कर लेना और उसे पूरी तरह पढ़ लेना जरूरी है।
  • यदि आपका मकान मालिक/किरायेदार आपसे कुछ और मांगता है जो अनुबंध में नहीं है तो आप उसे मना कर सकते हैं।

विल की विषय-वस्तु

आप अपनी ऐसी सभी संपत्ति काेेे किसी को भी दे सकते हैं, जिस पर आपका पूर्ण स्वामित्व हो। आप ऐसी संपत्ति को किसी को नहीं दे सकते हैं, जिस पर आपका स्वामित्व न हो। कुछ मामलों में आपके पास ऐसी संपत्ति हो सकती है, जिस पर आपका आजीवन हित हो अथार्त किसी व्यक्ति ने अपनी विल के जरिये आपको वह संपत्ति आपके जीवन-काल में उपयोग के लिए दी हो, लेकिन उस पर आपका स्वामित्व न हो।

आप अपनी विल में ऐसी किसी भी चल या अचल सम्पति को शामिल कर सकते हैं, जिसे आपने स्वयं अर्जित किया हो। यदि आप हिंदू संयुक्त परिवार के सदस्य हों, तो अपनी पैतृक संपत्ति में से अपने हिस्से को ही आप अपनी विल में शामिल कर सकते हैं।