भारतीय निवासियों द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया (गैर-धार्मिक कानून)

एक निवासी भारतीय के रूप में, आप देश में गोद लेने का विकल्प चुन सकते हैं, यानी भारत के भीतर गोद लेना। गोद लेने के लिए आपका आवेदन विभिन्न चरणों से गुजरेगा, जैसा कि नीचे बताया गया है:

चरण 1: बच्चे को गोद लेने के लिए आप यहां केंद्रीय दत्तक संसाधन संस्था (कारा) (CARA) की वेबसाइट पर पंजीकरण कर सकते हैं। यह आपको चाइल्ड एडॉप्शन रिसोर्स इंफॉर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम (CARINGS) की वेबसाइट पर रीडायरेक्ट करेगा जहां आप अपने आवेदन में विभिन्न जानकारियां जैसे कि व्यक्तिगत जानकारी, रोजगार सम्बन्धी जानकारी आदि भर सकते हैं।

चरण 2: पंजीकरण के बाद, आपको आवेदन में माँगे गए संबंधित दस्तावेज जमा करने होंगे। आपको कौन से दस्तावेज जमा करने होंगे, यह समझने के लिए कृपया यहां देखें। आवेदन फॉर्म भरने के बाद, आपको एक पावती पर्ची दी जाएगी।

चरण 3: एक बार जब आप संबंधित जानकारियों और दस्तावेजों के साथ आवेदन भर देते हैं, तो तब आप पावती पर्ची में दी गई पंजीकरण संख्या के माध्यम से अपने आवेदन की स्थिति को ट्रैक कर सकते हैं।

चरण 4: आप बच्चे को गोद लेने के योग्य हैं या नहीं, यह निर्धारित करने के लिए CARA या विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी (SAA) द्वारा एक होम स्टडी आयोजित किया जाएगा।

चरण 5: आपका आवेदन स्वीकार या रद्द किया जा सकता है। अगर किसी कारणवश आपके आवेदन को खारिज कर दिया जाता है, तो उसके कारणों को CARINGS की वेबसाइट पर पोस्ट किया जाएगा, और आप लिए गए निर्णय के खिलाफ ‘बाल न्यायालय’ में अपील कर सकते हैं। अपील करने की प्रक्रिया की जानने के लिए कृपया यहां देखें।

चरण 6: अगर आपका आवेदन स्वीकार किया जाता है, तो आपकी वरिष्ठता के आधार पर, CARIINGS के माध्यम से आपके पास तीन बच्चों को SAA द्वारा भेजा जाएगा। आप 48 घंटों के भीतर गोद लेने योग्य किसी एक बच्चे को चुन सकते हैं, और उस बच्चे से आपका मिलान करने और योग्यता का आकलन करने के लिए एक बैठक तय की जाएगी। यह प्रक्रिया बीस दिनों के भीतर पूरी हो जाएगी, और अगर आप बच्चे को स्वीकार नहीं करते हैं, तो आपका नाम वरिष्ठता सूची में सबसे नीचे कर दिया जाएगा।

चरण 7: आपके द्वारा बच्चे को चुने जाने के दस दिनों के भीतर, आपको बच्चे को गोद लेने से पहले उसकी देखभाल और पालन-पोषण करना होगा, जो आपको बच्चे का पालक माता-पिता बनाता है। यह तब होता है जब गोद लेने के लिए स्वीकृति या आदेश कोर्ट में लंबित होता है। बच्चे को ले जाने से पहले आपको इस सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर करना चाहिए।

चरण 8: गोद लेने सम्बन्धी आदेश प्राप्त करने के लिए SAA (या अन्य संबंधित प्राधिकारी) संबंधित कोर्ट में एक आवेदन दायर करेगा। अगर आपके शहर में SAA नहीं है, तो संबंधित प्राधिकारी ऐसा करेगा कि, कोर्ट की कार्यवाही बंद कमरे में आयोजित की जाएगी, और आपके द्वारा गोद लेने के लिए किये गये आवेदन के दो महीने के भीतर उसका फैसला कर दिया जाएगा। इसके बाद, तीन कार्य दिवस के भीतर SAA आपके नाम के साथ बच्चे का जन्म प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लेगा।

चरण 9: एस.ए.ए, जिसने होम स्टडी किया था, गोद लेने के बाद दो साल तक हर छह महीने में एक अनुवर्ती रिपोर्ट तैयार करेगा। कोई भी समस्या होने पर, इनके द्वारा परामर्श या सलाह दी जाएगी, और अगर बच्चे को गोद लेने के बाद कोई दिक्कत आती है, तो बच्चे को वापस ले लिया जा सकता है और अन्य संभावित या भावी दत्तक माता-पिता के लिए, उस बच्चे को फिर से गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया जा सकता है।

 

सपिंदा और हिंदू विवाह

सपिंदा रिश्तेदारी या तो पैतृक हो सकती है या फिर मातृक। आप हिंदू विवाह के लिए योग्य नहीं हैं यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करते हैं जो

  1. आपकी माता के परिवार की तरफ से आपसे पिछली तीन पीढ़ियों के अंदर आते हों या आपके पूर्वज समान हों
  2. आपके पिता के परिवार की तरफ से आपसे पिछली पाँच पीढ़ियों के अंदर आते हों या आपके पूर्वज समान हों

हालांकि, किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करना जो आपकी सपिंदा रिश्तेदारी में हो उसकी सजा सामान्य जेल है जो एक महीने तक बढ़ाई जा सकती है, जुर्माना जिसे एक हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों ही, लेकिन ऐसा विवाह अनुमत हो सकता है यदि यह दिखाया गया हो कि आपके समाज/जाति/कबीले में एक स्थापित प्रथा या प्रचलन है जो सपिंदा के बीच विवाह की अनुमति देता है।

क्रूर व्यवहार और इस्लामी विवाह कानून

इस्लामिक निकाह कानून के तहत क्रूर व्यवहार पर प्रावधान हैं। क्रूरता कोई भी आचरण या वह व्यवहार है जो जीवनसाथी के मन में उत्पीड़न का कारण बनता है। इस्लामिक कानून के तहत, क्रूरता को विशेष रूप से तब समझा जाता है जब आपके पति:

• आदतन आप पर हमला करता है या आपको शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता है।

• अन्य महिलाओं के साथ यौन संबंध रखता है।

• आपको अनैतिक जीवन जीने के लिए मजबूर करता है।

• आपकी संपत्ति का निपटान करता है और आपको उस पर अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग करने से रोकता है।

• आपको अपने धर्म का पालन करने से रोकता है।

• ऐसे परिदृश्य में जहां उसकी एक से अधिक पत्नियां हों और वह आपके साथ अन्य पत्नियों की तुलना में समान व्यवहार न करे।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी

प्रत्येक राज्य में बाल विवाह के मुद्दों को रोकने के लिए राज्य सरकारों द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (सीपीएमओ) नियुक्त किए जाते हैं। ये अधिकारी बाल विवाह की रिपोर्ट करने और उन्हें रोकने के लिए जिम्मेदार हैं।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के कर्तव्य राज्य सरकार द्वारा तय किये और सौंपे जाते हैं। उनमें मोटे तौर पर निम्नलिखित बातें शामिल है:

• बाल विवाह को रोकने के लिए ऐसे कदम उठाना जो उपयुक्त हों।

• इस कानून के तहत आरोपित व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए सबूतों को इकठा करना।

• इलाके के लोगों को बाल विवाह में किसी भी तरह से शामिल न होने होने की सलाह और परामर्श देना।

• बाल विवाह से उत्पन्न होने वाली समस्याओं जैसे मातृत्व मृत्यु दर, कुपोषण, घरेलू हिंसा आदि के बारे में जागरूकता फैलाना।

• बाल विवाह के मुद्दे पर समुदाय को संवेदनशील बनाना।

• बाल विवाह की बारंबारता और घटना पर राज्य सरकार को आवधिक विवरणियों और आंकड़ों की ।

अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से पालन करने के लिए, राज्य सरकार एक बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को एक पुलिस अधिकारी की कुछ शक्तियां भी प्रदान कर सकती है। यह शक्तियां कुछ शर्तों और सीमाओं के द्वारा शासित होंगी। यह शक्तियां सरकारी राजपत्र में एक अधिसूचना के माध्यम से प्रदान करी जाती हैं ।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के कामकाज के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए, कृपया इस सरकारी हैंडबुक को देखें जिसमें उनके कर्तव्यों का विस्तार से वर्णन किया गया है। (पेज 19-22)

हिंदू विवाह कानून के तहत तलाक का सबूत

इस बात का सबूत कि आपका तलाक हो गया है, अदालत का अंतिम आदेश है जिसे ‘तलाक की डिक्री’ के रूप में जाना जाता है।

यह एक आदेश के रूप में है, जोकि एक दस्तावेज है जो आपके तलाक को लागू करता है।

जब निम्न दोनों में से कोई एक होता है तो तलाक की डिक्री अंतिम होती है:

• जो पति या पत्नी अदालत के फैसले से नाखुश हैं, उन्होंने पहले ही 90 दिनों के भीतर तलाक की डिक्री की अपील कर दी है और अदालत ने उस अपील को खारिज कर दिया है।

• अपील करने का कोई अधिकार नहीं है।

इस बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया किसी वकील से सलाह लें।

रिश्तेदारों द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया (गैर-धार्मिक कानून)

एक बच्चे के रिश्तेदार के तौर पर, गोद लेने के लिए गैर-धार्मिक कानून का पालन करते हुए, आप भारत के भीतर और भारत के बाहर (अंतर्देशीय दत्तक) भी बच्चे को गोद ले सकते हैं।

भारत के भीतर दत्तक ग्रहण या गोद लेना (अंतरादेशीय दत्तक ग्रहण)

अंतरादेशीय दत्तक ग्रहण यानी भारत के भीतर ही रिश्तेदारों द्वारा गोद लेने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें।

चरण 1: आपको यह निर्धारित करना चाहिए कि क्या आप बच्चे को गोद ले सकते हैं। आपका बच्चे के साथ निम्नलिखित में से किसी भी तरह का एक संबंध होना चाहिए:

  • आप उस बच्चे का चाचा या चाची हो,
  • आप उसके मामा या मामी हो,
  • आप उसके दादा-दादी हो,
  • आप उसके नाना-नानी हो।

आप या तो एक भारतीय निवासी हों, या अनिवासी भारतीय (एन.आर.आई) हों, या भारत का एक प्रवासी नागरिक (ओ.सी.आई) हों जो कम से कम एक साल से भारत में रह रहें हों।

चरण 2: आपको यहां केंद्रीय दत्तक संसाधन संस्था (कारा) (CARA) की वेबसाइट पर पंजीकरण करना होगा। यह आपको बाल दत्तक ग्रहण संसाधन सूचना और मार्गदर्शन प्रणाली (CARINGS) की वेबसाइट पर रीडायरेक्ट करेगा। जहाँ आपको निम्नलिखित आवश्यक दस्तावेज जमा करना होगा:

  • निवास प्रमाण-पत्र
  • अगर बच्चा 5 वर्ष से अधिक उम्र का है, तो उस बच्चे की सहमति।
  • उसके असली माता-पिता की सहमति, या बच्चे के कानूनी अभिभावक को गोद लेने के लिए बाल कल्याण समिति (सी.डब्ल्यू.सी) की अनुमति
  • गोद लेने के लिए कोर्ट का आदेश, जैसा कि चरण 3 में बताया गया है।
  • आपका और आपके पति/पत्नी के रिश्ते के सम्बन्ध में, और आपकी वित्तीय और सामाजिक स्थिति की हलफनामा

चरण 3: इसके बाद, आपको इस प्रारूप में गोद लेने लेने के लिए एक आवेदन दाखिल करना होगा। एक बार आवेदन प्राप्त करने के बाद, आपको इसे चाइल्ड एडॉप्शन रिसोर्स इंफॉर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम (CARINGS) की वेबसाइट पर अपलोड करना होगा।

विभिन्न देशों में गोद लेने के लिए (अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण)

विभिन्न देशों में रिश्तेदारों द्वारा बच्चे को गोद लेने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें।

चरण 1: आपको यह निर्धारित करना चाहिए कि क्या आप बच्चे को गोद ले सकते हैं। अगर आप अनिवासी भारतीय (एन.आर.आई) या भारत के प्रवासी नागरिक (ओ.सी.आई) हैं तो आप किसी रिश्तेदार के बच्चे को गोद ले सकते हैं।

चरण 2: आप जिस देश में रह रहें हैं, उस देश के संबंधित प्राधिकरण यानी अधिकृत विदेशी दत्तक ग्रहण एजेंसी या केंद्रीय प्राधिकरण से संपर्क करना चाहिए। आप जिस देश में निवास कर रहें हैं, अगर उस देश में कोई अधिकृत विदेशी दत्तक ग्रहण एजेंसी या केंद्रीय प्राधिकरण नहीं है, तो आपको (भारतीय नागरिक होने पर) उस देश में संबंधित सरकारी विभाग या भारतीय राजनयिक मिशन में संपर्क करना चाहिए। आपके द्वारा जो होम स्टडी आयोजित किया जाएगा, उसके बारे में वे मार्गदर्शन देंगे और एक बार यह होम स्टडी हो जाने के बाद, पंजीकरण प्रक्रिया शुरू होगी।

चरण 3: आपको जरूरी दस्तावेज जमा करना चाहिए। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया उस प्राधिकारी से पूछें जिससे आपने संपर्क किया है।

चरण 4: एक बार आपके दस्तावेज जमा हो जाने के बाद, संबंधित प्राधिकारी आपके आवेदन को जिला बाल संरक्षण इकाई (डी.सी.पी.यू) को एक पारिवारिक पृष्ठभूमि रिपोर्ट तैयार करने के लिए भेज देगा, (इसके लिए पैसा भी लग सकता है)। रिपोर्ट के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां देखें। आप जिस देश में बच्चे को ले जाना चाहते हैं, उस देश के संबंधित प्राधिकारी को यह रिपोर्ट भेजी जाएगी।

चरण 5: आपको बच्चे के असली माता-पिता की सहमति पत्र और अन्य सभी दस्तावेजों के साथ, जिस जिला में बच्चा रह रहा हो, उस जिले के कोर्ट में गोद लेने के लिए एक आवेदन दाखिल करना चाहिए। वे सभी दस्तावेज नीचे दिए गए हैं:

  • बच्चे की सहमति, अगर बच्चे की उम्र 5 साल से अधिक है।
  • जिस देश में बच्चे को ले जाना चाहते हैं, उस देश की अनुमति।
  • बच्चे के साथ आपका रिश्ता (वंशावली)
  • आपकी, बच्चे और उसके असली माता-पिता की हाल की पारिवारिक फोटो
  • इस तरह बच्चे का असली माता-पिता की सहमति या बाल कल्याण समिति (सी.डब्ल्यू.सी) से बच्चे को उसके कानूनी अभिभावक को आत्मसमर्पण करने और उसे गोद देने की अनुमति
  • पारिवारिक पृष्ठभूमि रिपोर्ट

इसके बाद, आपको दत्तक आदेश की एक प्रमाणित प्रति डी.सी.पी.यू को देनी चाहिए।

चरण 6: संबंधित प्राधिकारी डी.सी.पी.यू के द्वारा दत्तक ग्रहण आदेश प्राप्त करने के दस दिनों के भीतर गोद लेने के पक्ष में एक अनापत्ति प्रमाण पत्र (एन.ओ.सी) प्रदान की जाएगी।

 

 

 

‘विशेष विवाह’ या अंतर-धार्मिक विवाह क्या है

नागरिक विवाह, जिन्हें आमतौर पर ‘विशेष विवाह’ या ‘अंतर-धार्मिक विवाह’ भी कहा जाता है, दम्पति के धर्म पर निर्भर नहीं करते हैं। इसके बजाए, विवाह, विशेष विवाह अधिनियम के तहत होता है, जिसके तहत अलग-अलग धर्म का पालन करने वाले जोड़े को भारत में शादी करने का अधिकार है।

इस कानून के तहत शादी करने के लिए, आपको यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या आप और आपके जीवनसाथी कानूनी रूप से शादी करने के योग्य हैं या नहीं। उदाहरण के लिए, आपकी उम्र शादी करने की निर्धारित उम्र से अधिक होनी चाहिए और अपने वर्तमान साथी से तलाक लिए बिना आप दूसरी शादी नहीं कर सकते।

इस्लामिक कानून के तहत तलाक के बाद इद्दत

इस्लाम में निकाह से तलाक के बाद इद्दत की अवधि वह अवधि होती है जब पत्नी को किसी और से शादी करने या किसी के साथ संभोग करने की अनुमति नहीं होती है। इस्लामिक कानून के तहत केवल महिलाओं को इद्दत अवधि का पालन करना होता है। यदि आपको आपके पति ने तलाक दे दिया है तो इद्दत अवधि है:

• आपके पति के ‘तलाक’ शब्द बोलने की तारीख से तीन महीने तक।

• यदि आप इस इद्दत अवधि के दौरान गर्भवती हैं, तो प्रसव की तारीख तक।

आपका पति हमेशा इद्दत की अवधि के दौरान अपना मन बदल सकता है और अपना तलाक वापस ले सकता है, जिसके बाद, आप फिर से एक शादीशुदा हो जाएंगे।

हिंदू विवाह कानून के तहत तलाक की कार्यवाही के दौरान सुलह

सभी पारिवारिक कानूनी मामलों में, न्यायालय पति-पत्नी के बीच सुलह के प्रयास को प्रोत्साहित करते हैं।

सुलह का परिणाम 

सुलह होने के बाद, या तो:

• आप और आपका जीवनसाथी एक साथ वापस आ सकते हैं और अपने वैवाहिक संबंध को जारी रख सकते हैं, या

• आप और आपका जीवनसाथी शांति से विवाह को समाप्त करने और एक दूसरे को तलाक देने का निर्णय ले सकते हैं।

भारत में सुलह के तीन प्रकार हैं:

मध्यस्थता 

• मध्यस्थता समस्या के कारणों की पहचान करके और फिर उन्हें ठीक करने की रणनीति बनाकर समस्या को हल करने की एक प्रक्रिया है। यह एक मध्यस्थ द्वारा किया जाता है जो तलाक की कार्यवाही के दौरान या तो न्यायालय द्वारा नियुक्त व्यक्ति होता है या एक मध्यस्थता केंद्र से सौंपा जाता है जो न्यायालय के पास स्थित होता है।

समझौता 

• सुलह में, सुलहकर्ता के रूप में जाने जाने वाले व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है। उनकी भूमिका दोनों पक्षों को चर्चा के दौरान उनके द्वारा सुझाए गए समाधान पर पहुंचने के लिए राजी करना है।

परिवार न्यायालयों में काउंसलर

• काउंसलर वह व्यक्ति होता है जिसका काम तलाक और अन्य पारिवारिक मामलों के दौरान समस्याओं को हल करने के लिए सलाह, सहायता या प्रोत्साहन देना होता है।

काउंसलर वह व्यक्ति होता है जिसे फैमिली कोर्ट द्वारा यह पता लगाने के लिए नियुक्त किया जाता है:

• आपका और आपके जीवनसाथी का एक-दूसरे के लिए असंगत होने का कारण।

• क्या डॉक्टरों की किसी मनोवैज्ञानिक या मानसिक सहायता से असंगति को ठीक किया जा सकता है।

• क्या आप और आपका जीवनसाथी किसी और के प्रभाव में आने के कारण एक दूसरे को तलाक देना चाहते हैं।

• क्या आप और आपका जीवनसाथी तलाक के संबंध में स्वतंत्र निर्णय ले रहे हैं या नहीं।

 

 

सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया (गैर-धार्मिक कानून)।

सौतेले माता-पिता के रूप में आप जिस बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, तो उसके लिए आप नीचे दी गई प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं।

चरण 1: आपको और आपके पति या पत्नी (बच्चे के असली माता-पिता) को यहां केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) की वेबसाइट पर पंजीकरण करना होगा। यह आपको चाइल्ड एडॉप्शन रिसोर्स इंफॉर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम (CARINGS) की वेबसाइट पर रीडायरेक्ट करेगा, जहां आप अपना आवेदन सम्बन्धी जानकारियां जैसे कि अपना व्यक्तिगत जानकारी, रोजगार सम्बन्धी जानकारी आदि भर सकते हैं।

चरण 2: फिर आपको संबंधित दस्तावेज अपलोड करना होगा, जो इस प्रकार हैं:

  • आपका और आपके पति/पत्नी का निवास या आवासीय प्रमाण-पत्र।
  • ऊपर बताए गए पति-पत्नियों (पार्टियों) का कानूनी रूप से विवाहित होने का प्रमाण-पत्र।
  • अगर बच्चे का असली माता-पिता जीवित नहीं है, तो उनका मृत्यु प्रमाण-पत्र।
  • गोद लिए जाने वाले बच्चे, उसके असली माता-पिता, बच्चे को गोद लेने वाले पति या पत्नी और गवाहों की सत्यापित फोटो।
  • जैसा कि चरण 3 में बताया गया है, उसके अनुसार, बाल कल्याण समिति (सी.डब्ल्यू.सी) से प्राप्त अनुमति प्रपत्र।
  • कोर्ट से दत्तक ग्रहण आदेश, जैसा कि चरण 4 में बताया गया है।

चरण 3: बच्चे को गोद लेने के लिए आपको सी.डब्ल्यू.सी से अनुमति लेनी होगी। आपको यह फॉर्म भरना होगा, जो आपकी और आपके जीवनसाथी(पति/पत्नी) की सहमति भी प्रदान करता है। अगर गोद लेने के लिए दोनों पति-पत्नी द्वारा अपने-अपने पहले के शादी से हुए बच्चों का त्याग किया जा रहा है, तो दोनों को अलग-अलग सहमति फॉर्म भरना होगा।

चरण 4: इस तरह आपको अपने पति या पत्नी के साथ परिवार/जिला/शहर या सिविल कोर्ट में एक आवेदन दाखिल करना होगा। इसके बाद, आपको कोर्ट से दत्तक-ग्रहण (गोद लेने के) आदेश की एक प्रमाणित प्रति(कॉपी) प्राप्त करनी होगी और CARINGS की वेबसाइट के माध्यम से इसकी एक कॉपी को ऑनलाइन जमा करना होगा।