नाबालिग की सहमति

अठारह वर्ष से कम उम्र की लड़की (नाबालिग) के साथ सम्भोग को बलात्कार माना जाता है, भले ही लड़की सम्भोग के लिए सहमत हो। उदाहरण के लिए, यदि कोई पुरुष सत्रह साल की लड़की के साथ यौन संबंध रखता है, तो इसे बलात्कार माना जाता है, भले ही लड़की इसके लिए राजी हो जाए।

इस कानून के तहत किसी व्यक्ति के क्या-क्या अधिकार हैं?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

एसिड अटैक के सर्वाइवर को कानून के तहत निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं:

चिकित्सा उपचार लेने का अधिकार 

एसिड अटैक के सर्वाइवर को सरकारी और प्राईवेट अस्पतालों में इलाज कराने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक अपराधों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जहां उन्होंने कहा है कि:

• कोई भी अस्पताल या क्लिनिक विशेष सुविधाओं की कमी का बहाना देते हुए एसिड अटैक सर्वाइवर के इलाज से इनकार नहीं कर सकता।

• सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को सर्वाइवर को प्राथमिक चिकित्सा और चिकित्सा उपचार निःशुल्क उपलब्ध कराना होगा।

कोर्ट ने पीड़ितों के इलाज और पुनर्वास की जिम्मेदारी राज्य सरकार को दी है। इसके अतिरिक्त, कोर्ट राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपेक्षा करता है, जो एसिड अटैक सर्वाइवर का इलाज करने से इनकार करते हैं।

शिकायत दर्ज करने का अधिकार 

एसिड अटैक सर्वाइवर को भी अपराधी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। सर्वाइवर के रिश्तेदार, दोस्त या परिचित, कोई भी व्यक्ति जिसने अपराध देखा है, या कोई भी व्यक्ति जिसे अपराध के बारे में पता चलता है, शिकायत दर्ज कर सकता है। अन्य व्यक्तियों की सूची देखने के लिए जो शिकायत दर्ज कर सकते हैं, यहां देखें।

दर्ज की गई शिकायत को प्रथम सूचना रिपोर्ट (“एफआईआर”) के रूप में जाना जाता है। एफआईआर एक दस्तावेज है जिसमें वह जानकारी होती है जिसे एक पुलिस अधिकारी अपराध की सूचना मिलने पर भरता है। एफआईआर दर्ज करने का तरीका जानने के लिए, आप हमारे एक दूसरे लेख ‘एफआईआर कैसे दर्ज करें’ को पढ़ सकते हैं।

किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की जा सकती है, भले ही वह जगह जहां अपराध हुआ है उसके अधिकार क्षेत्र में आती हो या नहीं। इसके बाद यह जानकारी अपेक्षित क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन को स्थानांतरित(ट्रांसफर) कर दी जाएगी। इस अवधारणा को आम तौर पर एक शून्य प्राथमिकी या जीरो एफआईआर के रूप में जाना जाता है। जीरो एफआईआर के बारे में अधिक समझने के लिए, आप ‘एफआईआर कहां दर्ज की जा सकती है’ पर हमारे लेख को पढ़ सकते हैं।

मुआवजे का अधिकार 

एसिड अटैक सर्वाइवर को राज्य सरकार से मुआवजे की मांग करने का अधिकार है। पीड़ित मुआवजा योजना को 2018 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया गया था, इसे राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा तैयार किया गया था। यह योजना एसिड अटैक सर्वाइवर के साथ-साथ यौन उत्पीड़न, हत्या, अपहरण आदि सहित यौन अपराधों के लिए अनिवार्य मुआवजे का प्रावधान करती है। मुआवजे के अलावा, इस योजना के तहत, सर्वाइवर को न्यायालय द्वारा लगाये जुर्माने की राशि प्राप्त होती है, जिसका अपराधी अपराध करने के लिए भुगतान करता है।

विभिन्न राज्य सरकारों ने एसिड अटैक सर्वाइवर के लिए पीड़ित मुआवजा योजनाएं बनाई हैं। यह ध्यान में रखते हुए कि राज्य की योजनाओं में एकरूपता की कमी है, और इनमें से अधिकांश योजनाओं में निर्दिष्ट मुआवजे की राशि बहुत कम है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि:

• प्रत्येक सर्वाइवर को राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम 3 लाख रुपये की राशि प्रदान की जानी चाहिए। यह न्यूनतम राशि है, और जहां आवश्यक हो, राज्य सरकार अधिक राशि प्रदान कर सकती है।

• कोई भी मुआवज़ा राशि न केवल सर्वाइवर की शारीरिक चोटों बल्कि पूर्ण रूप से जीवन जीने में उनकी अक्षमता को भी ध्यान में रखकर तय होना चाहिए। 17

• संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के मुख्य सचिव/प्रशासक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस राशि का भुगतान किया जा चुका है।

सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के लिए विभिन्न राज्यों की योजनाओं, वन-स्टॉप सेंटरों, सुरक्षा अधिकारियों और हेल्पलाइन नंबरों के संपर्क आदि ज़रूरी जानकारी के बारे में अधिक जानने के लिए, सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के बारे में के लिए न्याया मैप को देखें।

भारत में राज्य पीड़ित मुआवजा योजनाओं की सूची नीचे दी गई है:

राज्य  योजना का नाम 
अरुणाचल प्रदेश अरुणाचल प्रदेश पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
असम असम पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
बिहार बिहार पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
चंडीगढ़ चंडीगढ़ पीड़ित सहायता योजना, 2012
दादरा और नगर हवेली दादरा और नगर हवेली पीड़ित सहायता योजना, 2012
दमन और दीव दमन और दीव पीड़ित सहायता योजना, 2012
दिल्ली दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना, 2015
गोवा गोवा पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
गुजरात गुजरात पीड़ित मुआवजा योजना, 2013
हरियाणा हरियाणा पीड़ित मुआवजा योजना, 2013
हिमाचल प्रदेश हिमाचल प्रदेश (अपराध का शिकार) मुआवजा योजना, 2012
जम्मू और कश्मीर जम्मू और कश्मीर पीड़ित मुआवजा योजना, 2013
झारखंड झारखंड पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
कर्नाटक कर्नाटक पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
केरल केरल पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
लक्षद्वीप लक्षद्वीप पीड़ित सहायता योजना, 2012
मणिपुर मणिपुर पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
मेघालय मेघालय पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
मिजोरम मिजोरम पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
महाराष्ट्र महाराष्ट्र पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश पीड़ित मुआवजा योजना, 2015
नगालैंड नागालैंड पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
उड़ीसा ओडिशा पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
पुडुचेरी पुडुचेरी पीड़ित सहायता योजना, 2012
पंजाब पंजाब पीड़ित मुआवजा योजना, 2017
राजस्थान राजस्थान पीड़ित मुआवजा योजना, 2011
सिक्किम सिक्किम पीड़ितों को या उनके आश्रितों को मुआवजा योजना, 2011
तमिलनाडु तमिलनाडु महिला पीड़ितों / यौन उत्पीड़न / अन्य अपराधों से बचे लोगों के लिए पीड़ित मुआवजा योजना, 2018
त्रिपुरा त्रिपुरा पीड़ित मुआवजा योजना, 2012
उतार प्रदेश उत्तर प्रदेश पीड़ित मुआवजा योजना, 2014
उत्तराखंड उत्तराखंड अपराध से पीड़ित सहायता योजना, 2013
पश्चिम बंगाल पश्चिम बंगाल पीड़ित मुआवजा योजना, 2012

 

बलपूर्वक यौन व्यवहार क्या है?

[जारी चेतावनी: इस लेख में शारीरिक हिंसा, यौन हिंसा, दुर्व्यवहार और गाली-गलौज के बारे में जानकारी है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है।

बलपूर्वक यौन व्यवहार के कई रूप हैं जिनसे एक महिला का सामना हो सकता है । जैसे:

बलपूर्वक कपड़े उतारना। 

जब भी कोई व्यक्ति किसी महिला के कपड़े बलपूर्वक उतारता है या हटाने की कोशिश करता है तो यह अपराध है। यहां तक ​​कि अगर किसी अपराधी का ऐसा कोई इरादा या व्यवहार है जिससे लगता है कि वह किसी को चोट पहुंचाकर उसके कपड़े उतार सकता है, तो यह भी एक अपराध है। उदाहरण के लिए यदि कोई किसी सूनसान जगह पर किसी महिला के कपड़े जबरदस्ती उतारने की कोशिश करता है तो यह अपराध है।

इस अपराध को आमतौर पर डिसरोबिंग (नग्न कर देना) के रूप में जाना जाता है। कानून के तहत केवल पुरुष को ही इस अपराध के लिए दंडित किया जा सकता है। किसी महिला के कपड़े बलपूर्वक निकालने की सजा न्यूनतम तीन साल और अधिकतम पांच साल तक की जेल की सजा है।

बलात्कार 

रेप एक जबरदस्ती की गई हरकत है जब एक अपराधी किसी महिला के साथ बलपूर्वक यौन सम्बन्ध बनाता है या किसी के शरीर के अंगों को अपना मुंह लगाता है। इस अपराध के बारे में अधिक जानकारी बलात्कार पर लिखे हमारे इस लेख में उपलब्ध है। बलात्कार करने पर दस साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा है और साथ ही जुर्माना भी है। अगर कोई व्यक्ति 14 साल से कम उम्र के बच्ची का बलात्कार करता है, तो उसे मौत की सजा दी जा सकती है।

भारत में वैवाहिक बलात्कार कोई अपराध नहीं है और अगर पति ने पत्नी के साथ बलात्कार किया है तो वह पत्नी अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं करा सकती है। हालाँकि, एक पत्नी, घरेलू हिंसा के लिए पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है और अपने या अपने बच्चों के लिए तत्काल सुरक्षा की मांग कर सकती है। घरेलू हिंसा के बारे में हमारे इस लेख में और भी जानकारी उपलब्ध हैं।

यह कानून किस पर लागू होता है?

यह कानून किसी को भी लैंगिक चयन प्रक्रिया करने या अनुमति देने से रोकता है। यह प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होता है जो लैंगिक चयन की प्रक्रिया में शामिल हो सकता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैंः

• गर्भवती महिला;

• महिला का पति;

• महिला के रिश्तेदार;

• चिकित्सक या चिकित्सा व्यावसायिक, जो प्रसव से पूर्व निदान की प्रक्रिया का संचालन करता है; और

• अस्पताल/चिकित्सा सुविधा/प्रयोगशाला जहां प्रसव से पूर्व निदान की प्रक्रिया संचालित की जाती है।

निजी सामान की चोरी

कभी-कभी, आपका व्यक्तिगत सामान जैसे आपका फोन, महंगे गैजेट्स, बैग, वॉलेट आदि चोरी हो सकते हैं। यह कानून के तहत एक अपराध है, और चोर को 3 साल तक की जेल और/या जुर्माने के साथ दंडित किया जा सकता है।

इसके अलावा, यदि चोरी के दौरान घर में तोड़-फोड़ जैसी अन्य चीजें होती हैं, तो इसके लिए अलग-अलग दंड लागू होंगे।

यदि आपका कोई निजी सामानचोरी हो गया है, तो शिकायत करने के लिए आप जो कदम उठा सकते हैं, उन्हें समझने के लिए यहां पढ़ें।

रैगिंग विरोधी कानून के तहत नियुक्त अधिकारी

रैगिंग को रोकने के लिए, प्रत्येक कॉलेज और विश्वविद्यालय को निम्नलिखित प्राधिकारणों  का गठन करना चाहिये-

ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी

प्रत्येक कॉलेज के लिए एक ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी का गठन करना अनिवार्य है, जिसमें निम्नलिखित सदस्यों होते हैं-

  • कॉलेज के प्रमुख
  • पुलिस के प्रतिनिधि
  • स्थानीय मीडिया
  • युवाओं के लिए काम करने वाले एन.जी.ओ.
  • अभिभावक प्रतिनिधि
  • संकाय प्रतिनिधि
  • छात्र प्रतिनिधि (फ्रेशर्स और सीनियर्स, दोनों)
  • परा-शिक्षण कर्मचारी

ऍण्‍टी रैगिंग कमेटी के कर्तव्य हैं –

  • सुनिश्चित करें कि संबद्ध कॉलेज, भारत में रैगिंग पर कानून का पालन कर रहा है
  • ऍण्‍टी-रैगिंग दल की गतिविधियों पर नज़र रखें
  • ऍण्‍टी-रैगिंग दल से सिफारिशें प्राप्‍त करें और रैगिंग प्रकरणों पर अंतिम कार्रवाई करें

ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ता

प्रत्येक कॉलेज के लिए एक ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ते का गठन करना अनिवार्य है, जो कॉलेज के प्रमुख, जैसे प्रिंसिपल या डीन द्वारा नामज़द होता है। इस दस्ते में कैंपस समुदाय के विभिन्न सदस्य जैसे शिक्षक, छात्र स्वयंसेवक आदि लोगों का प्रतिनिधित्‍व हाते है। पुलिस या मीडिया जैसे बाहरी प्रतिनिधि इस दस्ते का हिस्सा नहीं होते हैं।

ऍण्‍टी-रैगिंग दस्ते के कर्तव्य-

  • रैगिंग की किसी भी घटना की जांच-पड़ताल करना। कॉलेज के प्रमुख, माता-पिता या अभिभावक, संकाय के सदस्य, छात्र आदि सहित कोई भी किसी रैगिंग घटना के बारे में सूचित करने या शिकायत दर्ज करने के लिए ऍण्‍टी-रैगिंग दस्ते से संपर्क कर सकता है।
  • रैगिंग की घटना की जांच रिपोर्ट और अपनी सिफारिशें ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी को भेजें, जो फिर आगे की कार्रवाई करेगी।
  • हॉस्टल जैसे किसी भी स्थान पर जहां रैगिंग होने की संभावना होती है, वहां का औचक दौरा और निरीक्षण आदि करें।

मेंटरिंग / परामर्श सेल / कक्ष

प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में प्रत्येक कॉलेज के लिए एक मेंटरिंग सेल का गठन करना अनिवार्य है। यह उन छात्रों से बना होता है, जिन्होंने कॉलेज या संस्थान में शामिल होने वाले नये छात्रों के संरक्षक बनने की स्वयं पहल की है।

मेंटरिंग सेल का कर्तव्य, फ्रेशर्स या नये छात्रों को सहायता और मेंटरशिप / परामर्श देना है। कृपया ध्यान दें कि कानून के अनुसार, छह फ्रेशर्स पर एक मेंटर हो सकता है, और अधिक सीनियर स्तर के प्रत्येक मेंटर के मार्गदर्शन में छह संरक्षक होंगे। उदाहरण के लिए, यदि राम द्वितीय वर्ष का छात्र है, जिसमें छह फ्रेशर्स की मेंटरिंग की जानी है और श्याम तृतीय वर्ष का छात्र है, तो श्याम, राम और पांच अन्य ऐसे मेंटरों का मार्गदर्शन करेगा।

रैगिंग पर निगरानी सेल

प्रत्येक विश्वविद्यालय के लिए रैगिंग पर एक निगरानी सेल का गठन करना अनिवार्य है। रैगिंग पर निगरानी सेल के कर्तव्य हैं-

  • रैगिंग को रोकने के लिए विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी कॉलेजों की गतिविधियों का समन्वय करें।
  • मेंटरिंग सेल, ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड और कॉलेजों के प्रमुखों से ऍण्‍टी-रैगिंग समिति की गतिविधियों पर रिपोर्ट प्राप्‍त करें।
  • रैगिंग विरोधी उपायों को प्रचारित करने के लिए कॉलेजों के प्रयासों की समीक्षा करें।
  • माता-पिता और छात्रों से रैगिंग जैसे कृत्‍यों में शामिल न होने, और रैगिंग में शामिल पाये जाने पर सज़ा भुुगतने के लिए तैयार रहने हेतु हस्ताक्षरित शपथपत्र प्राप्‍त करें।
  • ऍण्‍टी-रैगिंग उपायों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिहाज़ से विश्वविद्यालय के किसी भी उपनियम या अध्यादेश में संशोधन करें।
अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी संसाधन को पढ़ें

एक बच्चे के साथ यौन स्पर्श

एक बच्चे के साथ किसी भी तरह का यौन स्पर्श, कानून के द्वारा यौन आक्रमण (सेक्सुअल असॉल्ट) के रूप में माना जाता है।

एक व्यक्ति एक बच्चे पर यौन आक्रमण कर रहा है अगर वह:

  • किसी भी बच्चे के शरीर को यौन के उद्देश्य से स्पर्श करता है। किसी भी बच्चे की योनि, लिंग, गुदा, या स्तन को स्पर्श करना, उसके यौन के उद्देश्य को दर्शाता है।
  • किसी बच्चे को अपने या किसी और की योनि, लिंग, गुदा, स्तन को छूने के लिए मजबूर करता है।

इसके लिए सजा, जुर्माना के साथ साथ, 3-5 साल से लेकर आजीवन कारावास भी हो सकता है।

LGBTQ+ व्यक्तियों को चोट पहुंचाना या उन्हें घायल करना

यदि आपको ऐसी किसी भी हिंसा का सामना करना पड़ा है, जिसमें आप घायल या आहत हुए हैं, तो आपको अपने लिंग या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना, पुलिस के पास जाकर शिकायत करने और प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार है। आप किसी भी लिंग के क्यों न हों, आप किसी के भी खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आप निम्नलिखित लिंग-तटस्थ कानूनों का उपयोग करने के लिये, पुलिस स्टेशन जा सकते हैं:

आपको शारीरिक तौर पर आहत करना

आपको चोट पहुंचाना

यदि कोई आपको चोट पहुंचाता है, या वे जानते हैं कि उनके कुछ काम आपको चोट पहुंचा सकते हैं, तो यह कानूनन एक अपराध है।

आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 321/350 के तहत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

विशेष प्रकार की चोटें

अगर कोई जानबूझकर आपको चोट पहुंचाता है, या ऐसा काम करता है जिसके परिणामस्वरूप आपको चोट पहुंचती हैं, जो नीचे दिये गए प्रकार के हैं तो यह कानूनन एक अपराध है। इस प्रकार के कुछ विशेष चोटें ये हैं:

  • निपुंसक बनाना
  • आपको स्थायी रूप से अंधा या किसी भी कान से बहरा बना देना।
  • आपके किसी जोड़ों को, या आपके शरीर के ढ़ांचे को नुकसान पहुंचाना।
  • आपके सिर या चेहरे को स्थायी रूप से विकृत कर देना।
  • आपकी किन्हीं हड्डियों या आपके किसी दांतों का विस्थापन या फ्रैक्चर कर देना।
  • आपके जीवन को खतरे में डाल देना, या आप पर गंभीर शारीरिक चोट पहुंचाना, जिसके चलते आप किसी भी कार्य करने के लिये पंगु बन जाएं।
  • आपको चोट पहुंचाने के लिए अम्ल (एसिड) का उपयोग करना, जिसके परिणामस्वरूप आपको, ऊपर दी गई किसी भी प्रकार की चोट पहुंचे। तब आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 326 बी की मदद से प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

यदि आपको ऊपर दी गई किसी भी प्रकार के चोट का सामना करना पड़ा है, तो आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 320/322 की मदद से एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

खतरनाक हथियारों का उपयोग करना

आप पर खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करना, या आम वस्तुओं या जानवरों का जिसे खतरनाक तरीके से इस्तेमाल किया जा

सकता है, इस्तेमाल करना एक अपराध है, जैसे:

खतरनाक हथियार

  • छूरा घोंपने या काटने की वस्तुएं, जैसे चाकू, कैंची इत्यादि।
  • गोली मारने के हथियार, जैसे बंदूक आदि।
  • किसी विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करना, जैसे पटाखों आदि।
  • वे वस्तुएं जिससे आग निकलती है, या कोई गर्म वस्तु, या वे चीजें जो आग उगलती (टार्च ब्लोअर) हैं, आदि।
  • कोई भी जहर, संक्षारक पदार्थ या सामग्री जो खतरनाक हो सकते हैं।

सामान्य वस्तुएं, जिन्हें हथियार के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

  • ऐसा कोई घरेलू उत्पाद, जैसे फिनाइल, जिसको उपभोग करने के लिए आपको मजबूर किया जाए।
  • कोई वस्तु, जैसे सिगरेट लाइटर, जिसका उपयोग आपको चोट पहुंचाने के लिए किया जाए।
  • आपको चोट पहुंचाने के लिए किसी जानवर का इस्तेमाल करना, जैसे कुत्तों से आप पर हमला करवाना, आदि।

यदि आपको चोट लगी है, या घायल हो गये हैं, या ऐसी वस्तुओं जिससे आपकी मृत्यु हो सकती है, तो आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 324/326 के तहत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

आपको चोट पहुंचाने की धमकी देना

आपको चोट पहुंचाने के लिये, कोई भी इशारा करना या तैयारी करके धमकी देना, एक अपराध है। आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 350/351 के तहत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

उदाहरण के लिए, यदि कोई आपकी ओर चाकू लहराता है और आपको चोट पहुंचाने की धमकी देता है, तो वे आपको ऐसे इशारे कर रहे हैं, जो आपको चोट पहुंचा सकते हैं, या आपको डरा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि कोई आपके कार्यालय से निकलने का इंतजार करता है ताकि वे आपको लाठी से मार सकें, तो वे आपको चोट पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं।

बलात्कार की सजा

ट्रिगर चेतावनी: इस लेख में शारीरिक हिंसा, यौन हिंसा के बारे में जानकारी है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

बलात्कार के जुर्म के लिए 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा है, साथ ही जुर्माना भी है। निम्नलिखित परिस्थितियों में सख्त सजा दी जाती है:

जब पीड़िता की आयु सोलह वर्ष से कम की हो। यदि पीड़िता की आयु सोलह वर्ष से कम की है, तो सजा बीस साल से आजीवन कारावास (व्यक्ति के शेष जीवन पर्यन्त कारावास) के साथ-साथ जुर्माना निर्धारित है।

यदि पीड़िता की आयु बारह वर्ष से कम है, तो अपराधी को मृत्युदंड की सजा हो सकती है। इस मामले में उचित जुर्माना होना चाहिए जिससे कि पीड़िता के इलाज और पुनर्वास का खर्च निकल सके। यह जुर्माना पीड़िता को दिया जाता है।

जब बलात्कार के परिणामस्वरूप किसी महिला की मृत्यु हो जाए या वह निष्क्रिय हो जाए। यदि बलात्कार के परिणामस्वरूप ऐसी चोट लगती है जो महिला की मृत्यु का कारण बनती है या उसे हमेशा के लिए निष्क्रिय अवस्था में डाल देती है तो अपराधी को बीस साल के कारावास से लेकर आजीवन कारावास (व्यक्ति के शेष जीवन पर्यन्त कारावास), या मृत्युदण्ड मिलता है।

इस कानून के तहत कौन-कौन से अपराध और दंड आते हैं?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

एसिड अटैक से संबंधित अपराधों को भारतीय दंड संहिता, 1860 और आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत निर्दिष्ट किया गया है। नीचे दिए गए अपराधों के लिए किसी को भी दंडित किया जा सकता है, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो। जो कि निम्नलिखित हैं:

एसिड फेंकना या एसिड फेंकने का प्रयास करना 

किसी व्यक्ति पर एसिड फेंकना और उसे चोट पहुंचाना अपराध है। एसिड फेंकने की सजा कम से कम 10 साल की जेल है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जिससे एसिड अटैक सर्वाइवर के चिकित्सा खर्चों को पूरा किया जा सके।

साथ ही किसी व्यक्ति पर एसिड फेंकना या फेंकने का प्रयास करना भी अपराध है। इस अपराध के लिए कम से कम 5 साल की जेल जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

एसिड फेंकने में किसी की मदद करना 

किसी को एसिड फेंकने में मदद करना भी अपराध है। किसी को अपराध करने में मदद करना कानून के तहत उकसाने के रूप में जाना जाता है। उकसाने की सजा वही है जो एसिड फेंकने या किसी अन्य व्यक्ति पर एसिड फेंकने का प्रयास करने की सजा है।

एसिड अटैक सर्वाइवर का इलाज करने या मुफ्त तत्काल उपचार प्रदान करने से इनकार करना 

एसिड अटैक सर्वाइवर को चिकित्सा उपचार का अधिकार है और इस तरह का उपचार प्रदान करने से इनकार करने वाला अस्पताल इस कानून के तहत अपराधी है। सर्वाइवर का इलाज करने से इंकार करने वाले व्यक्ति के खिलाफ पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज की जा सकती है।

भारतीय दंड संहिता, 1860 में विशिष्ट एसिड अटैक अपराधों के अलावा, अन्य अपराधों को भी एसिड हमलों के मामले में पुलिस द्वारा एफआईआर या चार्जशीट में सम्मिलित या लिखा जा सकता है। इनमें हत्या, हत्या का प्रयास, खतरनाक हथियारों से किसी को चोट पहुंचाना, और गंभीर चोट पहुंचाना शामिल हैं।