सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएं क्या हैं

सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएं सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाएं हैं, जो नागरिकों के लिए आवश्यक सेवाएं होती हैं। उदाहरण के लिए, इन सेवाओं में घरों में पानी की आपूर्ति, बिजली की आपूर्ति, डाक प्रणाली, बैंकिंग प्रणाली, रेलवे आदि शामिल हैं। उपभोक्ता संरक्षण कानून उपभोक्ताओं को इन सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के बारे में शिकायत दर्ज करने में सक्षम बनाता है।

सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के उदाहरण 

सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के कुछ उदाहरणों में शामिल हैं –

• यात्रियों या माल को हवाई, सड़क या जल मार्ग से ले जाने वाली परिवहन सेवाएं

• डाक सेवाएं

• टेलीफोन सेवाएं

• बिजली सुविधाएं

• प्रकाश सुविधाएं

• पानी की सुविधाएं

• बीमा सेवा

सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं को कानून अपने तहत ‘प्रतिष्ठानों’ के बतौर मान्यता देता है। इसका मतलब, प्रतिष्‍ठान के बतौर एक सार्वजनिक उपयोगिता सेवा के स्थानीय शाखा कार्यालयों को उसी तरह से जवाबदेह ठहराया जा सकता है, जैसे कि उसके मुख्य केंद्रीय प्राधिकरण को। उदाहरण के लिए, यदि किसी को स्थानीय जल विभाग के खिलाफ शिकायत है, तो वह स्थानीय/जिला विभाग के खिलाफ ही शिकायत दर्ज कर सकता है, न कि केंद्रीय जल आयोग के खिलाफ। भारत में मुख्यधारा के उपभोक्ता संरक्षण कानूनों के अलावा, जिला स्तर पर सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के अच्छे मानकों की मांग करने के लिए स्थायी लोक अदालतों से भी संपर्क किया जा सकता है।

शिकायत तंत्र 

सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं बाधा डालना या उन्‍हें प्रदान न करना 

यदि किसी सार्वजनिक उपयोगिता सेवा की आपकी आपूर्ति में कोई बाधा डाल रहा है, तो आप राष्ट्रीय सरकारी सेवा पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह पोर्टल, हालांकि उपभोक्ता सेवाओं के लिए विशेष रूप से समर्पित नहीं है, लेकिन सार्वजनिक सेवाओं की एक विस्तृत श्रंखला के खिलाफ उपभोक्ता इस पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। कमोडिटी रेट (सोने, चांदी आदि की कीमतें), राशन कार्डों की निगरानी आदि जैसे मुद्दों को आसानी से नैश्‍नल गवर्नमेंट सर्विसेज़ पोर्टल पर जाकर हल किया जा सकता है। अन्य बातों के अलावा, यह पोर्टल, उपयोगकर्ता को उपभोक्ता शिकायत मंच, राज्यवार सार्वजनिक वितरण प्रणाली आदि की जानकारी प्रदान करता है। यहां तक ​​कि भारतीय मानक ब्यूरो के बारे में भी शिकायत दर्ज की जा सकती है। इसका मतलब है कि उपभोक्ता बीआईएस- प्रमाणित उत्पाद की गुणवत्ता, हॉलमार्क वाले उत्पादों, बीआईएस मानक की भ्रामक विज्ञापन आदि के बारे में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

डाक, दूरसंचार और बैंकिंग सेवाएं 

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (CPGRAMS) पोर्टल डाक सेवाओं, दूरसंचार, बैंकिंग सेवाओं, बीमा सेवाओं, स्कूल और शिक्षा, सड़क परिवहन, प्राकृतिक गैस, आदि के बारे में शिकायतें दर्ज करने के लिए बहुत उपयोगी है।

डाक विभाग देरी, अ-वितरण, पेंशन, बीमा (डाक सेवा), भ्रष्‍टाचार के आरोप, ई-कॉमर्स से संबंधित समस्याओं, ‘आधार’ से संबंधित मुद्दों आदि की समस्‍याएं सुलझाता है।

दूरसंचार विभाग मोबाइल, ब्रॉडबैंड, लैंडलाइन, पेंशन, कर्मचारी, कदाचार और भ्रष्टाचार से संबंधित मुद्दों को निपटाता है। दूरसंचार सेवाओं के बारे में शिकायत दूरसंचार शिकायत पोर्टल पर दर्ज की जा सकती हैं।

बैंकिंग और बीमा विभाग बैंक लॉकरों, ग्राहक सेवा में कमी, शिक्षा और आवास ऋण, एनबीएफसी, प्रधान मंत्री योजनाओं, धोखाधड़ी, मोबाइल बैंकिंग, हेराफेरी, उत्पीड़न, ऋण निपटान आदि से संबंधित मुद्दों का निपटान करता है। बैंकिंग सेवाओं के बारे में शिकायतें आरबीआई शिकायत पोर्टल पर दर्ज की जा सकती हैं।

पानी, स्‍वच्‍छता और बिजली 

कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने बिजली सेवा के बारे में शिकायतों के लिए बिजली कॉल सेवाएं शुरू की हैं। जल सेवाओं से संबंधित शिकायतें, ग्राहक पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के शिकायत पोर्टल पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

ऊपर सूचीबद्ध मुद्दे केवल इस बात के संकेत हैं कि किस प्रकार की शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं; यह एक विस्तृत सूची नहीं है।

 

सूचना का अधिकार- कर

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (आरटीआई अधिनियम 2005) भारत के सभी नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों के तहत होने वाली नियंत्रण की सूचना तक पहुंच का अधिकार देता है। उदाहरण के लिए, यदि आप जानना चाहते हैं कि आपके टैक्स रिटर्न में देरी क्यों हो रही है, तो इसके लिए आप एक आरटीआई आवेदन दाखिल कर सकते हैं।

यदि आपको किसी ऐसी जानकारी की आवश्यकता है जो कर से संबंधित है, तो आप केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सी.पी.आई.ओ) या केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी (सी.ए.पी.आई.ओ) से संपर्क कर सकते हैं, और आप आवश्यक जानकारी का विवरण प्राप्त कर सकते हैं। आपके द्वारा किया जाने वाला अनुरोध इस प्रकार से होने से चाहिए:

• लिखित में हो या ऑनलाइन जमा किया गया हो।

• अंग्रेजी, हिंदी या आप जिस राज्य में रह रहे हैं उस राज्य की आधिकारिक भाषा में लिखी होनी चाहिए।

• आवेदन के दौरान मांगी गई फीस के साथ अनुरोध होनी चाहिए।

यदि आपको मदद की आवश्यकता है तो जन सूचना अधिकारी आवेदन को लिखने में भी आपकी सहायता करेगा। और व्यक्तिगत जानकारी के अलावा, आपको जानकारी (आरटीआई) मांगने का कोई कारण नहीं देना होगा, क्योंकि आपको सरकार से जानकारी मांगने के लिए अनुरोध करने का अधिकार है।

सी.पी.आई.ओ को अनुरोध प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर सूचना प्रदान करनी होती है, अगर वह अधिकारी सूचना नहीं दे पाता है, तो उस पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। सी.पी.आई.ओ. के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया यहां क्लिक करें और संबंधित फील्ड कार्यालयों/महानिदेशालयों के पेजों पर जाएं या आयकर संपर्क केंद्र को 0124-2438000 पर कॉल करें।

यदि आपको प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने में किसी सहायता की आवश्यकता है, तो आप किसी और स्पष्टीकरण के लिए ‘सूचना का अधिकार‘ टॉपिक को देख सकते हैं।

रद्द किया गया चेक

यदि चेक पर “रद्द” शब्द लिखा गया है, तो इसे रद्द चेक के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर, रद्द किया गया शब्द चेक के पत्ते पर एक बड़े फ़ॉन्ट में लिखा जाता है, ताकि चेक देखने वाले किसी भी व्यक्ति को यह स्पष्ट हो जाए कि यह एक रद्द किया गया चेक है। किसी को भी रद्द चेक देने का उद्देश्य किसी को, उदाहरण के लिए, आपके नियोक्ता को आपके बैंक खाते के विवरण के बारे में जानकारी देना है जैसे:

• आपका पूरा नाम,

• आईएफएससी कोड,

• बैंक खाता संख्या आदि।

 

Cancelled Cheque

केवल उदाहरण के लिए

स्टॉम्प शुल्क

मकान मालिक, या आप, या आप दोनों को स्टाम्प ड्यूटी” का भुगतान करना होगा। “स्टॉम्प ड्यूटी” उस समझौते पर लगाया गया एक टैक्स है जिसे आप घर या फ्लैट किराए पर लेते समय करते हैं। पंजीकरण की प्रक्रिया के दौरान आपको अपनी स्टॉम्प ड्यूटी देनी होगी।

वस्तुएँ/ माल क्या है?

माल में पैसे के अलावा कुछ भी शामिल है, जो लोगों के द्वारा उपभोग के लिए निर्मित या उत्पादित किया जाता है। उपभोक्ता संरक्षण कानून के अनुसार, माल से आशय खाद्य-पदार्थ सहित सभी चल संपत्तियों से होता है। उपयोग के आधार पर माल दो प्रकार का होता है-

पूंजीगत सामान-पूंजीगत वस्तुओं का उपयोग अन्य वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, किसी कारखाने में लगी भारी मशीनरी।

उपभोक्ता वस्तुएं-उपभोक्ता वस्तुएँ प्रत्यक्ष उपभोग के लिए होती हैं। दूसरे शब्दों में, उपभोक्ता वस्तुओं का उपयोग नया माल बनाने के लिए नहीं किया जाता है।

उपभोक्ता संरक्षण कानून उपभोक्ता वस्तुओं पर लागू होते हैं, पूंजीगत वस्तुओं पर नहीं। एक हवाई जहाज़ एक पूंजीगत वस्तु हो सकता है, जब वह एक एयरलाइन कंपनी द्वारा परिवहन की सेवा प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है, और व्यक्तिगत आनंद के लिए उड़ाए जाने पर यह उपभोक्ता माल हो सकता है। सरकार जनता के हित में पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन और बिक्री को नियंत्रित करती है, जिसके लिए वह आवश्यकतानुसार वस्तुओं के उत्पादन को नियंत्रित या प्रतिबंधित भी कर सकती है। उदाहरण के लिए, पेट्रोलियम उत्पादन, बिक्री और मूल्य निर्धारण।

कर में छूट

कर छूट वह आय है जो कर से मुक्त होती है। दूसरे शब्दों में कह सकते है कि, ऐसी आय कर के उद्देश्यों के लिए गणना की गई कुल आय का हिस्सा नहीं होती है।

करमुक्त आय

नीचे दिए गए आय के कुछ उदाहरण हैं जिसमें कर से छूट प्राप्त है या करमुक्त है:

• कृषि आय।

• परिवार से संबंधित संपत्ति की कोई भी प्राप्त आय या किसी अविभाजित हिन्दू परिवार के एक व्यक्तिगत सदस्य द्वारा उस परिवार की आय से प्राप्त कोई भुगतान।

• किसी फर्म से लाभ का हिस्सा।

• एक नियोक्ता के पास जो भी कर्मचारी (भारतीय नागरिक) है, उसे नियोक्ता द्वारा छुट्टी यात्रा रियायत प्रदान की जाती है।

• विदेशी राजनयिकों द्वारा प्राप्त मेहनताना।

• मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान।

• व्यय में कमी पर मुआवजा।

• शिक्षा की लागत को पूरा करने के लिए दी गई छात्रवृत्ति।

• सशस्त्र बलों के परिवारों द्वारा प्राप्त पारिवारिक पेंशन।

• विदेश में तैनात अपने कर्मचारियों को भारत सरकार द्वारा दिया गया विदेशी भत्ता।

• भारत में विदेशी कंपनियों की ओर से चुकाया गया कर।

• सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा स्थापित म्युचुअल फंड की आय।

• भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को प्राप्त मुआवजा।

• जीवन बीमा पॉलिसी से प्राप्त कोई भी धनराशि। इसमें बोनस शामिल है लेकिन कीमैन बीमा पॉलिसियों शामिल नहीं है।

• लोकसभा/ राज्यसभा/ विधानसभा/ विधानमंडल के सदस्य का दैनिक भत्ता।

• स्वीकृत अनुसंधान संघ से कोई आय।

ऊपर में दी गयी सूचीबद्ध लोगों के अलावा, आयकर कानून के तहत कई सारे छूट हैं। कुछ संस्थानों को भी टैक्स देने से छूट दी गई है जैसे कि भारत वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट, चैरिटी संस्था आदि।

बैंकों द्वारा बरती जाने वाली सावधानियां

चेक की प्रक्रिया के दौरान बैंकों द्वारा बरती जाने वाली कुछ सावधानियां हैं।

केवल सीटीएस जांच का प्रयोग करें

बैंकों को “सीटीएस 2010” चेक का उपयोग करना चाहिए जो न केवल छवि के अनुकूल होते हैं बल्कि अधिक सुरक्षा विशेषताएं भी होती हैं।

चेक पर मुहरों का सावधानी से उपयोग करें

चेक फॉर्म पर मुहर लगाते समय बैंकों को सावधानी बरतनी चाहिए ताकि यह तारीख, प्राप्तकर्ता का नाम, राशि और हस्ताक्षर जैसे भौतिक भागों को न ढकें। रबड़ की मुहरों आदि का उपयोग छवि में इन बुनियादी विशेषताओं के स्पष्ट रूप को प्रभावित नहीं करना चाहिए।

बैंकों द्वारा सीटीएस चेक की स्कैनिंग

यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि स्कैनिंग प्रक्रिया के दौरान, चेक पर उपलब्ध सभी आवश्यक सूचनाओं का इमेज़ लिया जाए, बैंकों को इस संबंध में उचित सावधानी बरतनी चाहिये।

सुरक्षा जमाराशि

मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता द्वारा किराए की अवधि के दौरान सुरक्षा जमाराशि लिया जाता है क्योंकि आप किरायेदार/लाइसेंसधारी के रूप में आप उसकी संपत्ति को अपने अधिपत्य में लेने जा रहे हैं। यह केवल तब वापस किया जाता है जब आप फ्लैट खाली करते समय आप मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता को घर की चाभी सौंपते हैं। मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता आमतौर पर घर का निरीक्षण किसी भी हुए नुकसान के लिए करेगा।

सुरक्षा जमाराशि की सौदेबाजी

एक मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता कितनी सुरक्षा जमाराशि ले, इसके निर्धारण का कोई विशिष्ट कानून या विनियमन नहीं है। जब करार किया जा रहा होता है तो जमाराशि पर आमतौर पर सौदा किया जाता है। सुरक्षा जमाराशि (सिक्योरिटी डिपॉजिट) मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता द्वारा निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए लिया जाता है:

  • किराए की अवधि के दौरान आपके द्वारा हुए किसी भी नुकसान की भरपाई करने के लिए
  • नहीं भुगतान किये किराए या उपयोगिता के बिलों के भुगतान के लिए।
  • किरायेदारों / लाइसेंसधारियों को बेदखल करने में इसे लिवरेज (उत्तोलन) के तौर पर उपयोग करना।

सुरक्षा जमाराशि (सिक्योरिटी डिपॉजिट) की रकम

कुछ शहरों में, दिल्ली और मुंबई की तरह, एक सुरक्षा जमाराशि के रूप में 1 से 2 महीने की किराया राशि लेने का चलन है, और कुछ अन्य जगहों में, जैसे बैंगलोर में, जमाराशि के रूप में ली जाने वाली रकम लगभग 10 महीने के किराये के बराबर होती है।

कुछ मकान मालिक/लाइसेंसकर्ता 11 महीने के समझौते के अंत में किराये के साथ सुरक्षा जमाराशि भी बढ़ा देते हैं।

चूंकि सुरक्षा जमाराशि को विनियमित करने वाला कोई कानून नहीं है, अतः यह आपके सौदा करने की क्षमता और आपके और आपके मकान मालिक /लाइसेंसकर्ता के बीच के सदभाव पर आधारित है।

कौन शिकायत कर सकता है?

किसी उत्पाद या सेवा की शिकायत कानून के तहत कई व्यक्तियों द्वारा दर्ज की जा सकती है, जैसे-

• जो लोग भुगतान के एवज़ में अपने लिए या अपने काम के लिए सामान खरीदते हैं या सेवाओं का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति काम पर जाने के लिए उबर कैब लेता है, तो वह एक सेवा का उपभोक्ता है। यदि कोई व्यक्ति टैक्सी के रूप में उपयोग करने के लिए कार खरीदता है और अपनी आजीविका कमाने के लिए उसे स्वयं चलाता है, तो वह माल का उपभोक्ता है।

• जो लोग भुगतान के बदले स्व-उपभोग या स्वरोज़गार के लिए ऐसे सामान खरीदने वाले खरीदार की अनुमति से उन वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति साबुन खरीदता है और उस साबुन का उपयोग उसके परिवार के सदस्य करते हैं, तो ये सभी लोग साबुन के उपभोक्ता हैं और साबुन में कोई खराबी होने पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

• एक व्यक्ति जो वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए सामान खरीदता है, माल की वारंटी अवधि के दौरान शिकायत दर्ज कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति अपनी कंपनी के लिए कंप्यूटर सिस्टम खरीदता है और सिस्टम की वारंटी अवधि के भीतर सिस्टम में कोई दोष पाता है, तो वह उपभोक्ता होगा।

• एक से अधिक उपभोक्ता जिनकी शिकायतें या मसले एक-समान हैं। उदाहरण के लिए, यदि एक रेस्तरां में कई लोग सेवा मानकों को लेकर शिकायत करना चाहते हैं।

• उपभोक्ताओं का एक पंजीकृत या मान्यता प्राप्‍त स्वैच्छिक संघ भी शिकायत दर्ज कर सकता है।

• ऐसे उपभोक्ता का कानूनी अभिभावक जो ना-बालिग है। कानूनी अभिभावक में माता-पिता या रिश्तेदार या कानूनी रूप से माता-पिता के दायित्वों वाला व्यक्ति आदि शामिल होते हैं।

• उपभोक्ता की मृत्यु हो जाने की स्थिति में उपभोक्ता का कानूनी प्रतिनिधि।

• केंद्र या राज्य सरकार शिकायत दर्ज कर सकती है।

• केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण केंद्र सरकार के निर्देश के तहत उपभोक्ता की शिकायत पर संज्ञान ले सकता है। कानून के तहत, इसे स्वत: संज्ञान (सुओ मोटो) लेने की शक्ति के रूप में जाना जाता है।

वित्तीय वर्ष और निर्धारण वर्ष/फाइनेंसियल ईयर & असेसमेंट ईयर

एक व्यक्ति की वार्षिक आय पर आयकर लगाया जाता है और उस कर की गणना एक कैलेंडर वर्ष में 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को समाप्त होने तक की अवधि से की जाती है।

‘आयकर कानून’ द्वारा ‘वर्ष’ को इस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है:

पिछला वर्ष: जिस वर्ष में आय अर्जित की जाती है उसे पिछला वर्ष कहा जाता है।

असेसमेंट ईयर: जिस साल में आय पर कर लगाया जाता है, उसे असेसमेंट ईयर कहा जाता है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति द्वारा 1 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021 की अवधि के दौरान अर्जित आय को पिछले वर्ष 2020-21 की आय के रूप में माना जाता है। तो पिछले वर्ष 2020-21 की आय अगले वर्ष, यानी आकलन वर्ष 2021-22 में कर के लिए योग्य होगा। ​

व्यवसायों के लिए पिछला वर्ष

हालांकि, व्यापारों या व्यवसायों के लिए, “पिछला वर्ष”, वही माना जायेगा जिसमें आय अर्जित की गयी है, और इस वर्ष की अवधि उसी तारीख से शुरू होती है

• जिस तारीख से व्यापार या व्यवसाय या पेशा का सेटअप किया गया है;

• और जिस तारीख को आय का नया स्रोत खुलता है और जिस तारीख को वह स्रोत ख़त्म होता है, उस बीच की अवधि को वित्तीय वर्ष कहा जाता है।