माहानिन के रूप क्या हैं?

किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा के खिलाफ ऐसा कुछ कहना या लिखना जो उसके लिए हानिकारक हो, मानहानि है। पाठ, छवि, कार्टून, कैरिकेचर या पुतलों के माध्यम से किसी की प्रतिष्ठा को जानबूझकर नुकसान पहुंचाना, उनके खिलाफ घृणा फैलाना या बदनाम करना कानून के खिलाफ है। मानहानि के दो रूप हो सकते हैं- स्लैन्डर और लाइबल।

स्लैंडर 

स्लैन्डर वो होता है जो किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से बोला जाता है, और जिसे सुना जा सकता है। यह मौखिक रूप में होता है। उदाहरण के लिए, राहुल सीमा के चरित्र के बारे में बुरी बातें कहता है, जिसके परिणामस्वरूप सीमा की नौकरी चली जाती है। राहुल ने स्लैन्डर के जरिए मानहानि का अपराध किया है।

लाइबल 

लाइबल वो है जो किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से दृष्टिगत रूप से दर्शाया जाता है, और जिसे देखा जा सकता है। तो जो कुछ भी लिखा या छापा जा सके या किसी पुतले, फिल्म या मूर्ति पर दर्शाया गया हो , वह लाइबल हो सकता है। राहुल अगर किसी पत्रिका में सीमा के बारे में अपमानजनक तरीके से कुछ लिखता है तो राहुल ने लाइबल के जरिए मानहानि का अपराध किया है.

फिल्मों/चलचित्रों की सेंसरशिप

जब कोई प्राधिकरण (जैसे सरकार) किसी संचार की कांट-छांट करता है या उसमें फेरबदल कर उसे दबाता है, तो उसे सेंसरशिप कहा जाता है। सरकार आधिकारिक तौर पर फिल्मों को सेंसर नहीं करती, केवल उन्हें प्रमाणित करती है।

आम जनता के लिए फिल्में/मूवी देखने के लिए सेंसर बोर्ड को उन्हें प्रमाणित करना होता है। कुछ शर्तों को पूरा करने के बाद ही कई फिल्में प्रमाणित होती हैं और फिल्म निर्माता उन शर्तों के मुताबिक फिल्म में कुछ बदलाव करते हैं। इस सेंसरिंग को आम तौर पर अपने भावी दर्शकों तक विषयवस्तु को पहुंचने से रोकने या छिपाने के रूप में देखा जाता है।

कानून कहता है कि बोर्ड किसी फिल्म को प्रमाणित करने से मना कर सकता है अगर उसका कोई हिस्सा, या पूरा भाग भारत की संप्रभुता के खिलाफ जाता है, या दूसरे देशों के साथ उसके संबंधों को प्रभावित करता है। वे करवाई भी कर सकते है, यदि फिल्म:

• बहुत अश्लील है,

• नैतिकता के खिलाफ है, या

• अगर इससे सार्वजनिक अशांति या किसी की बदनामी होने की संभावना है।

केंद्र सरकार के पास शक्ति है कि वह और कईअधिक ‘दिशा-निर्देश’ जारी कर सकती है ताकि बोर्ड यह निर्णय ले सके कि आगे कैसे कार्रवाई करनी है। आपको इन्हें पढ़ना चाहिए।

दिशा-निर्देशों में कही गई कुछ बातें इस प्रकार हैं-

• फिल्में ‘साफ-सूथरी’ होनी चाहिए

• इनमें असामाजिक गतिविधियों को, या शराब पीने/नशीले पदार्थों के सेवन को गौरवान्वित नहीं किया जा सकता है, और

• इनमें बेकार की हिंसा नहीं होनी चाहिए

• फिल्मों को ‘नीच प्रवृत्ति’ का या ‘अश्लील’ नहीं होना चाहिए।

• इसमें महिलाओं को नीचा नहीं दिखाना चाहिए और महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को ‘कम-से-कम’ दिखाया जाना चाहिए

• इनमें राष्ट्रविरोधी या सांप्रदायिक प्रवृत्तियों को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता

 

मानहानि की सजा क्या है?

यदि आप किसी व्यक्ति, लोगों के समूह या कंपनी की प्रतिष्ठा का अपमान करने के इरादे से कुछ कहते या लिखते हैं, तो अदालत आपको मानहानि के लिए दंडित कर सकती है। जब लोगों के समूह का अपमान होता है, तो अदालत को इस वर्ग या लोगों के समूह की पहचान करने में सक्षम होना चाहिए।

यदि आप किसी मृत व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाते हैं, तब भी न्यायालय आपको मानहानि के लिए दंड दे सकता है। न्यायालय यह देखेगा कि क्या:

• यदि वे जीवित होते तो आप उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते, और

• अगर आपने उनके परिवार या रिश्तेदारों की भावनाओं को ठेस पहुंचाया हैं।

मृतक व्यक्ति के कानूनी प्रतिनिधि या रिश्तेदार अपनी ओर से मामला दर्ज करा सकते हैं।

ऐसे मामलों में मानहानि की सजा 2 साल तक की जेल और/या जुर्माना है।

किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा के खिलाफ ऐसी कोई भी हानिकारक चीज को छापना या उकेरना और छापे या उत्कीर्ण मानहानिकारक सामग्री को बेचना या बेचने की कोशिश करना भी आपराधिक कृत्य हैं। अदालत आपको 2 साल तक की जेल और/या जुर्माने से दंडित कर सकती है।

सीबीएफसी कार्रवाई

अगर आप किसी थिएटर में आम लोगों को फिल्म/मूवी दिखाना चाहते हैं, तो आपको सर्टिफिकेट के लिए सीबीएफसी के पास आवेदन करना होगा। सिनेमैटोग्राफ के नियम 21 में आवेदन दाखिल करने की प्रक्रिया की विस्तृत सूचना दी गई है। बोर्ड फिल्म की जांच करता है, और उसे आपकी बात भी सुननी होती है। फिर, यह निम्न में से कोई एक कार्रवाई कर सकता है:

• 4 प्रमाणपत्रों में से एक के साथ फिल्म को रिलीज करना:

  •  यू (अप्रतिबंधित), यानी कोई भी फिल्म देख सकता है
  •  यू/ए (अप्रतिबंधित लेकिन वयस्क की निगरानी में), जिसका अर्थ है कि कोई भी फिल्म देख सकता है लेकिन माता-पिता को 12 साल से कम उम्र के बच्चों को इसे देखने की अनुमति देने में सावधानी बरतनी चाहिए
  •  ए (केवल वयस्क), जिसका अर्थ है कि केवल वयस्क ही फिल्म देख सकते हैं
  •  एस, एक असामान्य प्रमाणपत्र है, जिसका अर्थ है कि केवल कुछ पेशेवर, जैसे डॉक्टर या वैज्ञानिक ही फिल्म देख सकते हैं

• बोर्ड द्वारा प्रमाणित किए जाने से पहले फिल्म निर्माता को उपरोक्त चार प्रमाणपत्रों में से एक का इस्तेमाल करके फिल्म में बदलाव करने के लिए कहना।

• फिल्म को प्रमाणित करने से बिल्कुल मना करना। फिल्म रिलीज नहीं हो सकती है।

 

आप मानहानि कैसे साबित कर सकते हैं?

मानहानि का मुकदमा साबित करने के लिए, आपको निम्नलिखित चीज़ें दिखानी होंगी:

1. कि जिस व्यक्ति ने आपके बारे में कुछ कहा या लिखा है, उसने एक मानहानिकारक संदेश दिया है

2. कि सामग्री प्रकाशित की गई थी, जिसका अर्थ है कि यह आपके अलावा किसी और को बताई गई थी।

3. कि आपको मानहानिकारक सामग्री में संदर्भित व्यक्ति के रूप में पहचाना जा सकता है

4. संचार के परिणामस्वरूप आपके प्रतिष्ठा को कुछ चोट लगी है।

 

प्रमाणपत्र के बिना फिल्म दिखाना

बिना सर्टिफिकेट के लोगों को फिल्म दिखाने के दंड निम्नलिखित है:

अप्रमाणित फिल्म दिखाने की सजा है:

  • कम से कम 3 महीने और अधिकतम तीन साल की जेल, और
  • ₹20,000 और ₹1,00,000 के बीच जुर्माना।

अगर व्यक्ति नोटिस मिलने के बाद भी फिल्म दिखाता है तो उसे रोजाना ₹20,000 का जुर्माना देना होगा। अगर न्यायाधीश को लगता है तो वह इस सजा को कम कर सकता है। सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952 की धारा 7 के तहत न्यायालय के आदेश से फिल्म निर्माता को सरकार को फिल्म जब्त भी करवानी पड़ सकती है।

एक वयस्क या विशेष फिल्म बच्चों या लोगों को बिना प्रमाणित किए दिखाने की सजा है:

  • कम से कम 3 साल की जेल, और / या
  • ₹1,00,000 तक का जुर्माना।

फिल्म प्रमाणित होने के बाद उसमें बदलाव करने की सजा है:

  • कम से कम 3 साल की जेल, और/या
  • ₹1,00,000 तक का जुर्माना।

अगर नोटिस के बाद भी फिल्म चलती है तो जुर्माना ₹20,000 प्रति दिन तक हो सकता है। सरकार फिल्म को जब्त करने के लिए भी कदम उठा सकती है।

मानहानिकारक सामग्री के छपाई/बेचने के क्या दंड है?

यदि आप किसी ऐसी चीज़ को छापते या उकेरते हैं जिसे आप जानते हैं कि यह किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा के लिए मानहानिकारक है, तो अदालत आपको 2 साल तक की जेल और/या जुर्माने से दंडित कर सकती है। आमतौर पर इस प्रावधान के तहत समाचार पत्रों पर मुकदमा चलाया जाता है।

अदालत आपको छपे हुए छापे या उत्कीर्ण मानहानिकारक सामग्री को बेचने या बेचने की कोशिश करने के लिए 2 साल तक की जेल और/या जुर्माने के साथ दंडित कर सकती है।

टीवी के विषयवस्तु की सेंसरशिप

टीवी पर सेंसरशिप से संबंधित कानून अलग हैं। सरकार निम्नलिखित चीजें कर सकती है:

  • चैनल को सेंसर करना या यहां तक ​​कि पूरे केबल ऑपरेटर जैसे स्टार टीवी चैनल को सेंसर कर देना
  • ऐसी किसी भी विषयवस्तु को रोकना, जिससे समूहों के बीच नफरत या सार्वजनिक अशांति उत्पन्न हो।
  • अगर कोई विषयवस्तु उस कोड का उल्लंघन करती है जिसका सभी चैनल पालन करते हैं तो उसे रोकना।

उनकी शर्तों की एक लंबी सूची है। जैसे, कंटेंट सबको पसंद आना चाहिए या वह किसी तरह की शालीनता को ठेस न पहुंचाएं, किसी की भावनाएं आहत न करें, अंधविश्वास को बढ़ावा न दे या वह महिलाओं के लिए अपमानजनक न हो।

क्या समीक्षाएं/आलोचनाओं को मानहानि से बाहर रखा गया है?

हां, यदि किसी सार्वजनिक सामग्री या प्रदर्शन की समीक्षा या आलोचना सद्भावपूर्वक की गई है, तो इसे मानहानि का कार्य नहीं माना जाता है। उदाहरण के लिए, यदि सामग्री के लेखक ने जनता द्वारा इसकी समीक्षा करने की अनुमति दी है, तो इसके खिलाफ बयान देने वाला कोई भी व्यक्ति मानहानि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।

हालांकि, सद्भाव में की गई किसी सार्वजनिक सामग्री या प्रदर्शन की समीक्षा या आलोचना ठीक है, निर्माता के बारे में व्यक्तिगत आलोचना जो उनकी प्रतिष्ठा का अपमान कर सकती है, वह अभी भी मानहानि हो सकती है। उदाहरण के लिए, रुश्दी के नवीनतम उपन्यास की ‘उबाऊ और नीरस’ के रूप में आलोचना करना आपके लिए ठीक हो सकता है, लेकिन आपको यह कहने के लिए दंडित किया जा सकता है कि “रश्दी जैसे मूर्ख से केवल एक उबाऊ और नीरस उपन्यास की उम्मीद की जा सकती है”।

 

इंटरनेट पर सेंसरशिप

इंटरनेट पर सेंसरशिप दो तरह से की जा सकती है:

1. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक किसी भी कंटेंट को सरकार रोक सकती है। यह सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने वाले या लोगों को अपराध के लिए प्रोत्साहित करने वाले कंटेंट को भी रोक सकती है। जब सरकार ऑनलाइन कंटेंट को रोकती है, तो वे कानून के तहत एक प्रक्रिया का पालन करते हैं।

2. किसी भी “अवैध कंटेंट” को हटाना इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी है। अवैध कंटेंट कुछ भी हो सकता है जैसे घोर हानिकारक, परेशान करने वाला या तिरस्कार करने वाला आदि। कोर्ट से आदेश मिलने पर उन्हें इसे हटाना होगा।

यूट्यूब, हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स आदि कभी-कभी बिना सेंसर वाली फिल्में दिखाते हैं। सेंसर बोर्ड ने कहा कि वे सभी आवेदकों (फिल्म निर्माता) से मांग करेंगे कि वे अपनी फिल्मों के सेंसर किये गए हिस्से को इंटरनेट पर कहीं भी रिलीज नहीं कर सकें सिनेमैटोग्राफ एक्ट यहां सीधे तौर पर लागू नहीं होगा।