वैध निकाह किसे कहते है?

निकाह की वैधता को निकाहनामा के माध्यम से जांचा जा सकता है, जिसे धार्मिक रूप से मान्य इस्लामी निकाह का अभिन्न अंग माना जाता है। काजी निकाहनामा को बना कर रखते हैं । अगर निकाहनामा न हो तो काजी स्वयं निकाह का गवाह बन सकता है।

निकाह फोन या इंटरनेट के द्वारा भी किया जा सकता है। यह उन मामलों में मान्य होगा जहां पक्ष अपने मौजूदा गवाहों और एक वकील के सामने प्रस्ताव और स्वीकृति देते हैं। गवाहों और पक्षों को वकील के रूप में नियुक्त व्यक्ति से परिचित होना चाहिए और उसका नाम, पिता का नाम और आवासीय पता पता होना चाहिए, जिनका उल्लेख प्रस्ताव और स्वीकृति के समय भी किया जायेगा।

अमान्य/निरस्त हिंदू विवाह

हिंदू विवाह अधिनियम, धारा 11 के तहत कुछ परिस्थितियां बताई गई हैं जब विवाह निरस्त हो जाता है। विवाह जब निरस्त हो जाता है, तो इसका मतलब यह होता है कि इसे बिल्कुल शुरू से ही स्वतः अमान्य विवाह मान लिया गया है और इसे रद्द करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसकी परिस्थितियां निम्नलिखित हैं:

  • दोनों पक्षों में से एक का जीवन साथी विवाह के समय जीवित हो।
  • यदि पक्ष निषिद्ध संबंध की सीमाओं के भीतर हैं, सिर्फ तब, जब कुछ रिवाज इसकी अनुमति दें। उदाहरण- कुछ बिरादरियों में, उनकी रीतियों की विशेषता के कारण निषिद्ध रिश्तों की सीमा के भीतर विवाहों की अनुमति दी जाती है।
  • पक्ष एक दूसरे के सपिंदा हैं, सिर्फ उन मामलों के जहां कुछ रीतियां इसकी अनुमति देती हैं।

बाल विवाह की सूचना देना

सहित बाल विवाह की शिकायत कोई भी कर सकता है। बालक/बालिका खुद अपने बाल विवाह की शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाल विवाह सम्पन्न हुआ है या नहीं। विवाह के पहले या बाद कभी भी शिकायत दर्ज करी जा सकती है। शिकायत निम्नलिखित में से किसी भी प्राधिकारी को करी जा सकती हैः

1098 पर कॉल करें

1098 एक टोल-फ्री नंबर है और यह पूरे भारत में काम करता है। इसका संचालन चाइल्ड इंडिया फाउंडेशन द्वारा किया जाता है। यह संस्था बाल अधिकारों और बच्चों के संरक्षण के लिए काम करता करती है। स्वयं बच्चे इस नंबर पर शिकायत कर सकते हैं और इस नंबर पर अपनी सूचना दे सकते हैं। आपको स्कूल में पढ़ने वाले और काम करने वाले बच्चों को इस हेल्पलाइन के बारे में जागरूक करना चाहिए ताकि बाल श्रम को रोका जा सके।

पुलिस 

आप इन मामलों की सूचना 100 न. पर भी कर सकते हैंः

• अगर कोई बाल विवाह संपन्न हो रा हो या

• अगर कोई बाल विवाह संपन्न हो होने जा रहा हो ।

वैकल्पिक रूप से, आप किसी पुलिस स्टेशन में भी जा सकते हैं जहां आप प्रथम इत्तिला रिपोर्ट दर्ज कर सकते हैं और बाल विवाह मामले की शिकायत कर सकते हैं।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी 

आप स्थानीय बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं और उन्हें बाल विवाह की सूचना दे सकते हैं। वह तुरंत ही बाल विवाह के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के विरुद्ध आवश्यक कदम उठाएंगे ।

बाल कल्याण समिति

बाल विवाह के मामले की सुनवाई के लिए आप किशोर न्याय अधिनियम के तहत बनाई गई स्थानीय बाल कल्याण समिति के पास भी जा सकते हैं। उदाहरण के लिए आप दिल्ली में जिला-आधारित समितियों के पास जा सकते हैं।

न्यायालय में शिकायत दर्ज करें 

आप सीधे प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट के पास भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। न्यायालय पुलिस या बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश देगा।

ईसाई कानून के तहत नाबालिग विवाह किस प्रकार कर सकते हैं?

ईसाई कानून के तहत, एक नाबालिग को 21 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है, और वह विधवा या विधुर नहीं हो। यदि विवाह करने वाले पक्षों में से एक नाबालिग है, तो उन्हें विवाह करने के लिए अपने पिता की सहमति की आवश्यकता होगी। यदि उस पक्ष का पिता जीवित नहीं है, तो उसके अभिभावक द्वारा सहमति दी जानी चाहिए, और यदि कोई अभिभावक मौजूद नहीं है, तो माता द्वारा सहमति दी जानी चाहिए। यदि उनमें से कोई भी उस समय भारत का निवासी नहीं है, तो ऐसी किसी सहमति की जरूरत नहीं होगी।

हालांकि, बाल विवाह निषेध अधिनियम बच्चे (18 वर्ष से कम) से जुड़े प्रत्येक विवाह को बच्चे के विकल्प पर अमान्य बनाता है। कानून के अनुसार, बच्चा, यदि वह विकल्प चुनता है, तो विवाह को रद्द करने के लिए, वयस्क होने के दो साल के भीतर याचिका दायर कर सकता है। बाल विवाह के बारे में अधिक जानने के लिए, ‘बाल विवाह’ पर हमारे लेख को पढ़ें।

जब विवाह की प्रक्रिया एक लाइसेंस प्राप्त धार्मिक पादरी द्वारा संपन्न की जाती है

यदि कोई नाबालिग कानून के तहत विवाह करना चाहता है तो पादरी द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य प्रक्रिया नीचे दी गई है:

• जब किसी पादरी को विवाह के लिए नोटिस प्राप्त होता है, जहां दोनों पक्षों में से एक नाबालिग है, तो उन्हें जिले के विवाह रजिस्ट्रार को नोटिस अग्रेषित करना जरूरी होता है।

• फिर नोटिस को उस जिले के अन्य विवाह रजिस्ट्रारों को सौंपा जाएगा, और उनके कार्यालयों में प्रमुख स्थान पर चिपकाया जाएगा।

• यदि सहमति देने का अधिकार रखने वाला व्यक्ति, ऐसा करने से इंकार कर देता है, तो वे विवाह के प्रति पादरी को अपनी आपत्ति संबंधित लिखित रूप में सूचित कर सकते हैं। ऐसे मामले में, पादरी द्वारा विवाह का कोई प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया जाएगा, जब तक पादरी द्वारा तथ्यों की संतोषजनक रूप से जांच नहीं की जाती है। ऐसी आपत्ति सूचना प्राप्ति का प्रमाण-पत्र जारी करने से पहले की जानी चाहिए।

• यदि कोई आपत्ति नहीं की जाती है, तब भी पादरी प्रमाण-पत्र देने से पहले नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 14 दिनों तक प्रतीक्षा कर सकते हैं।

• एक बार प्रमाण-पत्र जारी होने के बाद, विवाह संपन्न करने और पंजीकरण की शेष प्रक्रियाएं समान रहती हैं।

जब विवाह प्रक्रिया, विवाह रजिस्ट्रार द्वारा या उसकी उपस्थिति में किया जाता है

यदि कोई नाबालिग कानून के तहत विवाह करना चाहता है तो विवाह रजिस्ट्रार द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य प्रक्रिया नीचे दी गई है:

• जब एक रजिस्ट्रार को विवाह के लिए नोटिस प्राप्त होता है, जहां दोनों पक्षों में से एक नाबालिग है, तो उन्हें उस जिले के अन्य विवाह रजिस्ट्रारों को नोटिस अग्रेषित करना होगा, और नोटिस की प्रतियां उनके कार्यालयों में प्रमुख स्थान पर चिपकाई जाएंगी।

• यदि कोई व्यक्ति, जिसके पास सहमति देने का अधिकार है, ऐसा करने से इंकार करता है, तो वे विवाह के प्रति अपनी आपत्ति को संबंधित रजिस्ट्रार को लिखित रूप में सूचित कर सकते हैं। ऐसे मामले में, रजिस्ट्रार द्वारा विवाह का कोई प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया जाएगा, जब तक कि रजिस्ट्रार द्वारा संतोषजनक जांच नहीं कर ली गई हो। ऐसी आपत्ति नोटिस प्राप्त होने का प्रमाण-पत्र जारी करने से पहले की जानी चाहिए।

• यदि सहमति रोकने वाला व्यक्ति विकृत दिमाग का है, या यदि वह व्यक्ति (पिता नहीं होने के कारण) अन्यायपूर्ण तरीके से सहमति रोकता है, तो पक्षकार न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। मुंबई, चेन्नई और कोलकाता शहरों में रहने वाले पक्ष सीधे अपने संबंधित उच्च न्यायालयों से संपर्क कर सकते हैं, जबकि अन्य इसके लिए जिला न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

• इसके अलावा, यदि रजिस्ट्रार को स्वयं सहमति रोकने वाले व्यक्ति के अधिकार के बारे में संदेह है, तो रजिस्ट्रार भी न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।

• यदि कोई आपत्ति नहीं की जाती है, तब भी रजिस्ट्रार प्रमाण-पत्र देने से पहले नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 14 दिनों तक प्रतीक्षा कर सकता है।

• प्रमाण-पत्र जारी होने के बाद, विवाह और पंजीकरण के प्रदर्शन की प्रक्रिया समान रहती है।

 

इस्लामिक कानून के तहत संरक्षक कौन होता है?

नाबालिग या दिमागी रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के निकाह के लिए संविदा करने का अधिकार संरक्षकों को निम्नलिखित समूहों के अंतर्गत मिलता है:

• पिता।

• दादाजी, वह जिस भी पीढ़ी के हों।

• पिता की ओर से भाई और अन्य पुरुष संबंधी ।

 

अगर ये पैतृक संबंध नहीं हैं तो ये अधिकार जाता है:

• मां को।

• मामा या मौसी और अन्य मातृ सम्बन्धिओं को।

शिया कानून के तहत, नाबालिगों के निकाह के लिए एकमात्र सरंक्षक पिता और दादा होते हैं।

हिंदू विवाह कानून के अंतर्गत शून्यकरणीय विवाह

हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, कुछ परिस्थितियां विवाह को शून्यकरणीय बनाती हैं।

यह परिस्थितियां निम्नलिखित हैं:

  • जीवन साथियों में से एक नपुंसक है।
  • यदि विवाह की शर्तें पूरी नहीं की गई हैं। 1978 से पहले, अभिभावक को विवाह करने जा रहे बच्चे की तरफ से सहमति लेनी पड़ती थी। इस प्रथा पर 1978 के बाद अमल नहीं किया गया, इसकी वजह है बाल विवाह रोकथाम (संशोधन) अधिनियम, 1978 का लागू होना।
  • विवाह के समय, महिला अपने पति के बजाय किसी और व्यक्ति से गर्भवती थी।
  • ऐसे मामलों में जहां सहमति धोखे से या जबरदस्ती ली गई थी।

बाल विवाह को रोकने की न्यायालय की शक्ति

जब न्यायालय को विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है कि कोई बाल विवाह तय किया गया है या उसका अनुष्ठान किया जाने वाला है, तो वह उन व्यक्तियों को जो ऐसे विवाह का संचालन और आयोजन कर रहे हैं, को रुकने का आदेश दे सकता है।

आरोपी व्यक्ति इस आदेश को रद्द करने या इसे बदलने के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकता है। न्यायालय ऐसी सुनवाई स्वप्रेरणा भी कर सकता है।

आदेश जारी होने के बाद होने वाला कोई भी बाल विवाह वैध विवाह नहीं माना जाएगा।

न्यायालय निम्नलिखित में हस्तक्षेप कर सकता है 

न्यायालय हस्तक्षेप कर सकता है:

• स्वप्रेरित होकर, या

• बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी या किसी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा दायर की गई शिकायत के आधार पर, या

• कुछ मामलों में, जैसे अक्षय तृतीया के दिनों में, जो विवाह के लिए एक शुभ समय होता है, न्यायालय बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के रूप में भी कार्य कर सकता है और बाल विवाह को रोकने के लिए प्रतिषेध अधिकारी की सभी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है, या

• कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे बाल विवाह के आयोजित या संपन्न होने की व्यक्तिगत जानकारी है।

न्यायालय द्वारा जारी नोटिस 

इस आदेश को पारित करने से पहले न्यायालय को इस कानून के तहत आरोपी व्यक्ति को अपना बचाव करने का अवसर देने के लिए नोटिस/ पूर्व सूचना जारी करना चाहिए।

परन्तु, अत्यावश्यक मामलों में, न्यायालय के पास आरोपी व्यक्ति (व्यक्तियों) को नोटिस/ पूर्व सूचना दिए बिना, विवाह को रोकने के लिए एक अंतरिम व्यादेश (अंतिम आदेश से पहले) जारी करने की शक्ति है।

सज़ा 

यदि आपके खिलाफ कोई अस्थायी आदेश जारी किया गया है और आप उसका पालन नहीं करते हैं, तो आपको दो साल तक का कारावास और/या आप पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

कानून के तहत शिकायत के मामले में आप किससे शिकायत कर सकते हैं?

यदि किसी व्यक्ति ने विवाह रजिस्ट्रार द्वारा या उसकी उपस्थिति में अपनी विवाह कराने का नोटिस दिया है, और रजिस्ट्रार ने विवाह का प्रमाण-पत्र जारी करने से इन्कार कर दिया है, तो वह व्यक्ति अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है। मुंबई, कोलकाता और चेन्नई शहरों में रहने वाले लोग सीधे अपने संबंधित उच्च न्यायालयों से संपर्क कर सकते हैं, जबकि वहां नहीं रहने वाले लोग जिला न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

नाबालिग विवाह के संबंध में शिकायतें 

विवाह रजिस्ट्रार को नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 14 दिनों तक प्रतीक्षा करनी चाहिए ताकि नोटिस की प्राप्ति का प्रमाण-पत्र जारी किया जा सके, जब एक पक्ष नाबालिग हो (ईसाई विवाह के लिए 21 वर्ष से कम)। हालांकि, यदि कोई प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए 14 दिनों तक प्रतीक्षा नहीं कर सकता, तो वे नोटिस के 14 दिनों के भीतर नोटिस प्राप्त होने का प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए अपने संबंधित उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं। हालांकि, यह विकल्प केवल कोलकाता, मुंबई और चेन्नई के निवासियों के लिए उपलब्ध है।

ईसाई विवाह कब और कहां किया जा सकता है?

विवाह का समय 

कोई ईसाई विवाह केवल सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे के बीच किया जा सकता है। हालांकि, इंग्लैंड के चर्च, रोम के चर्च और स्कॉटलैंड के चर्च के पुजारी इन घंटों से परे विवाह कर सकते हैं, जब तक कि यह उनके चर्च के रीति-रिवाजों और नियमों के अनुसार है। इसके अलावा, इंग्लैंड के चर्च और रोम के चर्च के पुजारियों को इन घंटों से परे विवाह करने के लिए अपने संबंधित चर्चों के बिशप से लाइसेंस की आवश्यकता होती है।

विवाह का स्थान 

ईसाई विवाह या तो चर्च में, या एक निजी आवास में, या विवाह रजिस्ट्रार की उपस्थिति में किया जा सकता है। हालांकि, यदि विवाह इंग्लैंड के चर्च के एक पुजारी द्वारा किया जा रहा है, तो यह केवल एक चर्च में संपन्न किया जा सकेगा। हालांकि, पांच मील के दायरे में कोई चर्च नहीं होने की स्थिति में, या यदि पुजारी ने चर्च के बिशप से इस उद्देश्य के लिए एक विशेष लाइसेंस प्राप्त किया हो, तो इस जनादेश में ढील दी जा सकती है।

सपिंदा और हिंदू विवाह

सपिंदा रिश्तेदारी या तो पैतृक हो सकती है या फिर मातृक। आप हिंदू विवाह के लिए योग्य नहीं हैं यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करते हैं जो

  1. आपकी माता के परिवार की तरफ से आपसे पिछली तीन पीढ़ियों के अंदर आते हों या आपके पूर्वज समान हों
  2. आपके पिता के परिवार की तरफ से आपसे पिछली पाँच पीढ़ियों के अंदर आते हों या आपके पूर्वज समान हों

हालांकि, किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करना जो आपकी सपिंदा रिश्तेदारी में हो उसकी सजा सामान्य जेल है जो एक महीने तक बढ़ाई जा सकती है, जुर्माना जिसे एक हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों ही, लेकिन ऐसा विवाह अनुमत हो सकता है यदि यह दिखाया गया हो कि आपके समाज/जाति/कबीले में एक स्थापित प्रथा या प्रचलन है जो सपिंदा के बीच विवाह की अनुमति देता है।