बाल विवाह को रोकने की न्यायालय की शक्ति

आखिरी अपडेट Nov 3, 2022

जब न्यायालय को विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है कि कोई बाल विवाह तय किया गया है या उसका अनुष्ठान किया जाने वाला है, तो वह उन व्यक्तियों को जो ऐसे विवाह का संचालन और आयोजन कर रहे हैं, को रुकने का आदेश दे सकता है।

आरोपी व्यक्ति इस आदेश को रद्द करने या इसे बदलने के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकता है। न्यायालय ऐसी सुनवाई स्वप्रेरणा भी कर सकता है।

आदेश जारी होने के बाद होने वाला कोई भी बाल विवाह वैध विवाह नहीं माना जाएगा।

न्यायालय निम्नलिखित में हस्तक्षेप कर सकता है 

न्यायालय हस्तक्षेप कर सकता है:

• स्वप्रेरित होकर, या

• बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी या किसी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा दायर की गई शिकायत के आधार पर, या

• कुछ मामलों में, जैसे अक्षय तृतीया के दिनों में, जो विवाह के लिए एक शुभ समय होता है, न्यायालय बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के रूप में भी कार्य कर सकता है और बाल विवाह को रोकने के लिए प्रतिषेध अधिकारी की सभी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है, या

• कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे बाल विवाह के आयोजित या संपन्न होने की व्यक्तिगत जानकारी है।

न्यायालय द्वारा जारी नोटिस 

इस आदेश को पारित करने से पहले न्यायालय को इस कानून के तहत आरोपी व्यक्ति को अपना बचाव करने का अवसर देने के लिए नोटिस/ पूर्व सूचना जारी करना चाहिए।

परन्तु, अत्यावश्यक मामलों में, न्यायालय के पास आरोपी व्यक्ति (व्यक्तियों) को नोटिस/ पूर्व सूचना दिए बिना, विवाह को रोकने के लिए एक अंतरिम व्यादेश (अंतिम आदेश से पहले) जारी करने की शक्ति है।

सज़ा 

यदि आपके खिलाफ कोई अस्थायी आदेश जारी किया गया है और आप उसका पालन नहीं करते हैं, तो आपको दो साल तक का कारावास और/या आप पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

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