अवैध बाल विवाह

बाल विवाह कानून के तहत कुछ मामलों में विवाह पूरी तरह से अवैध होगा और यह माना जायेगा कि यह विवाह कभी क्रियान्वित हुआ ही नहीं था। इसके उदाहरण इस प्रकार हैं:

1. जब शादी के लिए बच्चे का अपहरण किया गया हो।

2. जब किसी बच्चे को शादी के लिए बहलाया-फुसलाया गया हो।

3. जब किसी बच्चे को:

  • विवाह के उद्देश्य से बेच दिया गया हो
  • विवाह के बाद बेच दिया गया हो या उसकी तस्करी की गई हो

4. अगर कोर्ट ने बाल विवाह के खिलाफ आदेश दिया होलेकिन विवाह फिर भी घटित हो.

विवाह रजिस्ट्रार द्वारा विवाह की क्या प्रक्रिया है?

विवाह रजिस्ट्रार द्वारा किया गया विवाह 4 चरणों में विभाजित होता है:

चरण 1: प्रारंभिक सूचना जारी करना

यदि कोई जोड़ा विवाह रजिस्ट्रार द्वारा विवाह करवाना चाहता है, तो उनमें से एक को उस जिले के रजिस्ट्रार को व्यक्तिगत रूप से नोटिस देना होगा, जिसमें वह रहते हैं । यदि वे अलग-अलग जिलों में रहते हैं, तो दोनों जिलों के रजिस्ट्रारों को नोटिस दिया जाएगा। नोटिस में, निर्धारित प्रारूप में विवाह करने के उनके इरादे का उल्लेख होना चाहिए, और निम्नलिखित का भी उल्लेख होना चाहिए।

• विवाह करने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति का नाम और उपनाम, और पेशा,

• उनमें से प्रत्येक का वर्तमान पता,

• वह समय जिसके दौरान प्रत्येक पक्ष उक्त पते पर उपस्थित रहा हो। यदि कोई व्यक्ति वहां एक महीने से अधिक समय से रह रहा है, तो उन्हें केवल यह बताने की जरूरत है।

• वह स्थान जहां विवाह संपन्न होगा।

नीचे एक नमूना नोटिस दिया गया है:

Sample notice of marriage

नोटिस रजिस्ट्रार द्वारा कार्यालय में एक प्रमुख स्थान पर चिपकाया जाएगा, और कार्यालय में रखी विवाह सूचना पुस्तिका में इसे दर्ज किया जाएगा।

चरण 2: नोटिस की प्राप्ति का प्रमाण-पत्र जारी करना

रजिस्ट्रार द्वारा नोटिस प्राप्त करने के कम से कम चार दिनों के बाद, विवाह के इच्छुक पक्षों में से एक को यह कहते हुए रजिस्ट्रार के समक्ष शपथ लेनी होगी कि विवाह करने में कोई कानूनी समस्या नहीं है, और वे रजिस्ट्रार कार्यालय के जिले के भीतर रहते हैं। यदि दोनों पक्षों में से एक नाबालिग है, तो उनमें में से एक को यह कहते हुए शपथ लेनी होगी कि आवश्यक कदम उठाए गए हैं। नाबालिग की विवाह की विशेष प्रक्रियाओं के बारे में अधिक जानने के लिए, ईसाई कानून के तहत नाबालिगों के विवाह पर हमारे लेख को पढ़ें।

इस तरह की घोषणा के बाद, रजिस्ट्रार निर्धारित प्रारूप में दोनों पक्षों को एक प्रमाण-पत्र जारी करेगा, और उनका विवाह किसी भी रजिस्ट्रार द्वारा या रजिस्ट्रार की उपस्थिति में, प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के दो महीने के भीतर किया जा सकता है। नोटिस की प्राप्ति के प्रमाण-पत्र का एक नमूना नीचे दिया गया है-

चरण 3: विवाह संपन्न करना 

प्राप्त प्रमाण-पत्र विवाह के समय रजिस्ट्रार के सामने प्रस्तुत किए जाने चाहिए। विवाह या तो स्वयं रजिस्ट्रार द्वारा या ऐसा करने के लिए अधिकृत कोई अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाएगा। विवाह समारोह में रजिस्ट्रार के अलावा दो गवाहों को शामिल होना चाहिए। यदि प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के दो महीने बीत चुके हैं, तो पूरी प्रक्रिया को एक नए नोटिस के साथ फिर से शुरू करना होगा।

चरण 4: विवाह का पंजीकरण 

विवाह संपन्न होने के बाद, विवाह का विवरण रजिस्ट्रार द्वारा निर्धारित प्रारूप में एक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। प्रविष्टि पर उस रजिस्ट्रार द्वारा या जिसने विवाह संपन्न कराया था (यदि विवाह रजिस्ट्रार के अलावा, किसी अन्य के द्वारा संपन्न किया गया था) उसके द्वारा, विवाह के दोनों पक्षों द्वारा और समारोह में शामिल हुए दो गवाहों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे।

विवाह रजिस्टर में एक प्रविष्टि की प्रमाणित प्रति, जिसकी अभिरक्षा में रजिस्टर रखा गया है, उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित, साक्ष्य के रूप में कार्य करेगा कि प्रविष्टि में उल्लिखित व्यक्तियों का विवाह कानून के अनुसार हुआ है। विवाह रजिस्ट्रार को निर्धारित शुल्क का भुगतान करने पर, कोई भी व्यक्ति उस विवाह रजिस्टर का निरीक्षण कर सकता है, जो उक्त रजिस्ट्रार की अभिरक्षा में है।

इस्लामी कानून के तहत निषिद्ध संबंध कौन-कौन से हैं?

कानून के तहत कुछ रिश्ते प्रतिबंधित हैं। इसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति कुछ विशेष प्रकार के रिश्तेदारों से निकाह नहीं कर सकता है।

खून के रिश्ते

आप अपनी मां, दादी, नानी, बेटी, पोती, नातिन, बहन, भतीजी, भांजी, पर-भतीजी, पर-भांजी, मौसी, या बुआ से निकाह नहीं कर सकते। आप किसी ऐसे व्यक्ति से भी निकाह नहीं कर सकते जो ऐसे रिश्तेदारों के माध्यम से आपसे जुड़ा हो। जैसे, आप अपनी परपोती से निकाह नहीं कर सकते।

निकाह के माध्यम से रिश्तेदार

दूसरी, तीसरे या चौथे निकाह के मामले में आप अपनी पत्नी की माँ / दादी/ नानी, पत्नी की बेटी / पोती/ नातिन, बेटे की पत्नी से निकाह नहीं कर सकते।

धाय के माध्यम से रिश्तेदार

खून के रिश्तों और निकाह के माध्यम से निषिद्ध सभी संबंध धाय संबंधों पर भी लागू होते हैं। जैसे, एक आदमी अपनी धाय माँ की बेटी से निकाह नहीं कर सकता।

 

हिंदू विवाह और मानसिक रोग

कानून कहता है कि मानसिक रोग वाले व्यक्ति में आमतौर पर वैध कानूनी विवाह करने की क्षमता नहीं होती है। जो व्यक्ति शादी करने की योजना बना रहा है, उसे वैध सहमति देने के लिए सक्षम होना चाहिए। यदि आप निम्नलिखित कारणों से सहमति देने में अक्षम हैं:

  • दिमाग की अस्वस्थता या;
  • मानसिक विकार के कारण जो आपको ‘विवाह और बच्चे पैदा करने के लिए अयोग्य’ बनाता है या;
  • यदि आपको ‘पागलपन का दौरा लगातार पड़ता है’, तो आपका विवाह वैध नहीं होगा।
कानून का प्रावधान चाहे सभी प्रकार के मानसिक रोगों को सम्मिलित ना कर सकता हो, लेकिन ऐसे भी कोई दिशानिर्देश नहीं हैं कि किस प्रकार के रोग या रोग का स्तर आपको विवाह के लिए अनुपयुक्त बनाती हैं।

बाल विवाह से पैदा हुए बच्चे

चाहे बाल विवाह रद्द किया गया हो या नहीं, कानून के अनुसार, बाल विवाह के अंतर्गत पैदा हुए बच्चों को धर्मज माना जायेगा यानि उनके जनम को वैध माना जाएगा।

बच्चों की अभिरक्षा

जहां तक ​​ऐसे बच्चों की अभिरक्षा का सवाल है, तो शादी रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए ही जिला न्यायालय यह तय करेगा कि बच्चों की कस्टडी किसे मिलेगी ।

अभिरक्षा प्रदान करने के समय न्यायालय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेगा:

• बच्चे की अभिरक्षा पर अपना निर्णय लेते समय न्यायालय बच्चे के कल्याण और सर्वोत्तम हितों को सर्वाधिक महत्व देगा।

• न्यायालय दूसरे पक्षकार को ऐसे बच्चों तक पहुंच की अनुमति भी दे सकता है यदि उसे ऐसा लगे कि ऐसा करना बच्चे के सर्वोत्तम हित में होगा।

• जिला न्यायालय पति को, या अवयस्कों के मामलों में, माता-पिता या संरक्षकों को निर्देश दे सकते हैं की वह लड़की को उसके भरण-पोषण के लिएराशि का

 

किसी लाइसेंस प्राप्त धार्मिक पादरी द्वारा विवाह की प्रक्रिया क्या है?

किसी लाइसेंस प्राप्त धार्मिक पादरी द्वारा तय किए गए विवाह को 4 चरणों में बांटा गया है:

चरण 1: प्रारंभिक सूचना जारी करना 

यदि दो व्यक्ति एक लाइसेंस प्राप्त धार्मिक पादरी द्वारा विवाह करना चाहते हैं, तो उनमें से एक को विवाह करने का इरादा जताते हुए मंत्री को व्यक्तिगत रूप से एक सूचना देनी होगी। सूचना में निम्नलिखित बातों का उल्लेख होना चाहिए:

• विवाह करने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति का नाम और उपनाम, और पेशा या स्थिति।

• उनमें से प्रत्येक का वर्तमान पता।

• वह समय, जिस दौरान उनमें से दोनों उक्त पते पर उपस्थित रहे हों। यदि कोई व्यक्ति वहां एक महीने से अधिक समय से रह रहा है, तो उन्हें केवल यह बताने की जरूरत है।

• विवाह का स्थान-या तो चर्च या निजी आवास होगा।

नीचे नोटिस का एक नमूना दिया गया है :

 

Sample notice of marriage

इसके बाद पादरी चर्च में एक प्रमुख या सार्वजनिक स्थान पर नोटिस चिपकाएगा। यदि विवाह किसी निजी आवास में हो रहा है, तो नोटिस उस जिले के विवाह रजिस्ट्रार को भेज दिया जाएगा, और नोटिस रजिस्ट्रार के कार्यालय के प्रमुख स्थान पर चिपकाया जाएगा। ऐसी स्थितियों में, जहां पादरी विवाह कराने से इनकार कर देते हैं, नोटिस या तो दूसरे पादरी को भेजा जाएगा, या उन व्यक्तियों को वापस कर दिया जाएगा, जो विवाह करना चाहते हैं।

चरण 2: नोटिस की प्राप्ति का प्रमाण-पत्र जारी करना 

नोटिस प्राप्त होने के कम से कम चार दिनों के बाद, विवाह के इच्छुक व्यक्तियों में से एक को यह कहते हुए पादरी को एक घोषणा करनी चाहिए कि विवाह में कोई कानूनी समस्या नहीं है। यदि दोनों पक्षों में से एक नाबालिग है, तो उन्हें यह बताना होगा कि आवश्यक कदम उठाए गए हैं। नाबालिग की विवाह की विशेष प्रक्रियाओं के बारे में अधिक जानने के लिए, ईसाई कानून के तहत नाबालिगों के विवाह पर हमारे लेख को पढ़ें।

चरण 3: विवाह का संपादन 

इस तरह की घोषणा के बाद, पादरी एक प्रमाण-पत्र जारी करेगा और दोनों पक्षों को प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के दो महीने के भीतर पादरी को उनका विवाह कराना होगा। पादरी के अलावा, दो गवाहों को विवाह में शामिल होना होगा। प्रमाण-पत्र की प्राप्ति के बाद यदि दो महीने बीत जाएं, तो एक नए नोटिस के साथ पूरी प्रक्रिया को फिर से शुरू करना होगा।

चरण 4: विवाह का पंजीकरण

विवाह संपन्न होने के बाद, पादरी द्वारा विवाह का विवरण एक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। प्रविष्टि पर पादरी, विवाह के पक्षकारों और विवाह समारोह में भाग लेने वाले दो गवाहों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे।

जिस व्यक्ति की अभिरक्षा में रजिस्टर रखा गया है, उसके द्वारा हस्ताक्षरित विवाह रजिस्टर में एक प्रविष्टि की प्रमाणित प्रति कानूनी साक्ष्य होगी कि प्रविष्टि में उल्लिखित व्यक्तियों का विवाह कानून के अनुसार हुआ है।

 

इस्लामी निकाह के दौरान कौन से गवाहों की जरूरत होती है?

इनकी उपस्थिति में निकाह होना चाहिए:

• दो पुरुष गवाह या

• एक पुरुष और दो महिला गवाह।

ये गवाह मुस्लिम, वयस्क और दिमागी रूप से स्वस्थ होने चाहिए। इस्लामिक कानून के सुन्नी संप्रदाय में विशेष रूप से दो गवाहों को पेश करने की जरूरत होती है जबकि शिया संप्रदाय में निकाह के संबंध में किसी भी मामले में गवाह की उपस्थिति की जरूरत नहीं होती है।

हिंदू विवाह कानून के अंतर्गत निषेध रिश्ते

यदि जीवन साथी निषेध रिश्ते की सीमाओं में आते हैं, तब उनका विवाह वैध विवाह नहीं होगा। निषेध शादियों के प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • यदि एक जीवन साथी दूसरे का वंशागत पूर्वपुरुष है। वंशागत पूर्वपुरुष में पिता, माता, दादा और दादी के साथ-साथ परदादा और परदादी आदि भी शामिल हैं।
  • यदि एक जीवन साथी किसी वंशागत पूर्वपुरुष की पत्नी या पति है या किसी का वंशज है। वंशागत वंशज में ना केवल बच्चे और पोते पोतियां शामिल होंगे, बल्कि पड़पोते पड़पोतियां और उनके बच्चे भी शामिल होंगे।
  • यदि दो जीवन साथी भाई और बहन, चाचा और भतीजी, चाची और भतीजा, या पहले कज़िन हैं।
  • यदि एक जीवन साथी है
  • पूर्व जीवन साथी या आपके भाई बहन की विधवा (विधुर) या
  • पूर्व जीवन साथी या आपके पिता के या माता के भाई बहन की विधवा (विधुर) या
  • पूर्व जीवन साथी या आपके दादा के या दादी के भाई-बहन की विधवा (विधुर)।

एक विवाहित बालिका के लिए सुरक्षा

कानून उन लड़कियों को कुछ सुरक्षा प्रदान करता है जिनकी शादी 18 साल से कम उम्र में हो गयी थी और वह अपनी शादी रद्द करने के लिए याचिका दायर कर चुकी हैं।

भरण-पोषण का संदाय

जिला न्यायालय पति को, या अवयस्कों के मामलों में, माता-पिता को या संरक्षकों को निर्देश दे सकता है की वह लड़की को उसके भरण-पोषण के लिए कुछ पैसे दें।

न्यायालय लड़की को उसके भरण-पोषण के लिए दी जाने वाली रकम को निर्धारित करते समय उस लड़की की जीवन-शैली और भरण-पोषण देने वाले व्यक्ति की आय को ध्यान में रखेगा । यह भरण-पोषण की रकम लड़की को तब तक मिलेगी जब तक कि उसका पुनर्विवाह नहीं हो जाता।

निवास की व्यवस्था 

न्यायालय लड़की के पुनर्विवाह होने तक उसके निवास के लिए उपयुक्त व्यवस्था करने का आदेश भी दे सकता है।

क्या ईसाई विवाह की प्रक्रिया पूरे भारत में समान है?

भारतीय ईसाई विवाह कानून, जो ईसाई विवाह के कानून को नियंत्रित करता है, त्रावणकोर- कोचीन और मणिपुर राज्यों को छोड़कर, पूरे भारत में लागू है।

• मणिपुर में, ईसाई विवाह प्रथागत नियमों और व्यक्तिगत कानूनों के माध्यम से होते हैं।

त्रावणकोर- कोचीन वर्तमान में भारतीय राज्यों केरल और तमिलनाडु का हिस्सा हैं। केरल के कोचीन क्षेत्र में, ईसाई विवाह 1920 के कोचीन ईसाई नागरिक विवाह अधिनियम के अनुसार होते हैं। पूर्व राज्य का त्रावणकोर हिस्सा केरल और तमिलनाडु के दक्षिणी भागों में फैला हुआ है। जबकि तमिलनाडु ने पूरे राज्य में कानून के प्रभावकारिता का विस्तार किया है, जिसमें त्रावणकोर का हिस्सा भी शामिल है, जो अब तमिलनाडु का हिस्सा है। केरल ने ऐसा नहीं किया है। इसलिए, केरल के दक्षिणी हिस्सों में, जो पहले त्रावणकोर राज्य था, ईसाई विवाह चर्च के आंतरिक कानूनों के अनुसार होते हैं, जो विभिन्न संप्रदायों में अलग-अलग होंगे।