जिन कार्यस्थलों पर आंतरिक शिकायत समिति नहीं है

अगर आप असंगठित क्षेत्र या किसी छोटे प्रतिष्ठान में कार्य करते हैं, जिनकी अपनी आंतरिक शिकायत समिति नहीं है तो आप जिला अधिकारी द्वारा स्थापित की गई स्थानीय शिकायत समिति से संपर्क कर सकते हैं।

निम्नलिखित लोग स्थानीय शिकायत समिति में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं:

  • 10 से कम कर्मचारियों वाली संस्था में काम करने वाली महिलाएं
  • घरेलू कामकाजी महिलायें
  • जब शिकायत स्वयं नियोक्ता के खिलाफ हो

आपको नौकरी से निकाला जाना

यदि  आपका नियोक्ता आपको नौकरी से निकाल देता है, तो यह या तो नोटिस अवधि या आपके अनुबंध में दी गई किसी अन्य शर्तों के अनुसार हो सकता है। आपका नियोक्ता आपको नौकरी से निकाल सकता है यदि:

रोजगार-संबंधी विवाद
• आपका प्रदर्शन अच्छा नहीं है।
• आप किसी आपराधिक गतिविधियों जैसे कि इनसाइडर ट्रेडिंग में शामिल थे।
• आपने किसी एच.आर नीति का उल्लंघन किया है या आपने किसी भी आचार संहिता का उल्लंघन किया है आदि।
• आपने अपने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का कार्य किया है जो सिद्ध हो चुका है।

अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन
यदि आप अपने अनुबंध के किसी भी नियम का उल्लंघन करते हैं जैसे गैर-प्रतिस्पर्धी, गैर-प्रकटीकरण, गैर-याचना उपनियम, आदि तो आपको आपके नियोक्ता द्वारा निकाल दिया जा सकता है।

बिना किसी स्पष्ट कारण के निकाला जाना
यहां तक कि यदि आपने अपने अनुबंध के किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है या यदि आप किसी विवाद में शामिल नहीं हैं, तो भी आपको निकालने या नौकरी पर जारी रखने का निर्णय आपके नियोक्ता के पास ही है।

मुआवज़ा

पीड़िता को मुआवजे के तौर पर मिलने वाली राशि, निम्नलिखित चीजों पर आधारित है:

  • पीड़िता को जिन मानसिक आघात और यातनाओं को भुगतना पड़ा उसके आधार पर
  • यौन उत्पीड़न की वजह से खोेए हुए नौकरियों के अवसर के आधार पर
  • मेडिकल इलाज (शारीरिक या मनोविकृति संबंधित) जिसे पीड़िता की आवश्यकता है, उसके आधार पर
  • पीड़िता की आय और उसकी सामान्य आर्थिक स्थिति के आधार पर

समिति यह तय कर सकती है कि मुआवजे का पैसा किस्तों में अदा किया जाए या सभी एक बार में दिया जाय।

एक डॉक्टर / चिकित्सा पेशेवर द्वारा दुराचार

कानून के अनुसार, किसी भी डॉक्टर द्वारा अपने कर्तव्यों का उल्लंघन ‘दुराचार’ के रूप में माना जाता है, और इसके परिणामस्वरूप डॉक्टर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाई की जा सकती है। इसके अलावा, कुछ अन्य कृत्य भी हैं, जो ‘दुराचार’ के तहत आते हैं, और इनके तहत भी शिकायत दर्ज की जा सकती है, जैसे:

अनुचित या कपटपूर्ण गतिविधियां

  • मरीज के साथ व्यभिचार या अनुचित व्यवहार करना, या किसी मरीज के साथ अनुचित संबंध अपने पेशेवर पद का दुरुपयोग करके बनाना।
  • नैतिक क्रूरता / आपराधिक कृत्यों से जुड़े वैसे अपराध, जिसके लिए न्यायालय द्वारा सजा दी जाती है।
  • महिला भ्रूण का गर्भपात कराने के उद्देश्य से, उसके लिंग का पता लगाना।
  • किसी भी ऐसे प्रमाण पत्र, रिपोर्ट, या ऐसे दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना, और देना जो असत्य, भ्रामक या अनुचित हैं।
  • बिना किसी चिकित्सीय, सर्जिकल या मनोवैज्ञानिक कारण के गर्भपात करना, या गैरकानूनी ऑपरेशन करना, या अयोग्य व्यक्तियों को ऐसा करने देना।

मरीज की सूचनाओं की गोपनीयता

रोगों और उपचारों के बारे में वैसे लेखों को छापना और साक्षात्कार देना, जिसका प्रभाव विज्ञापन के तौर पर या पेशे की बढ़ोतरी के लिये किया जा सकता हो। हालांकि एक चिकित्सा पेशेवर अपने नाम के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छ रहन सहन के मामलों में प्रेस में लिखने के लिये स्वतंत्र हैं। वे अपने नाम के तहत सार्वजनिक व्याख्यान दे सकते हैं, वार्ता कर सकते हैं, और इनकी घोषणा प्रेस में भी कर सकते हैं।

उन्हें मरीज की उन गोपनीय जानकारियों को खुलासा करने की अनुमति, जो डॉक्टर को उनके पेशेवर व्यवहार के चलते पता चला है, निम्नलिखित मामलों के तहत दी जाती है:

  • न्यायालय में पीठासीन न्यायिक अधिकारी के आदेश के तहत;
  • उन परिस्थितियों में जहां एक विशिष्ट व्यक्ति को और / या समुदाय को गंभीर और ज्ञात खतरा है; तथा
  • दर्ज किये गये रोगों के मामले में।

मरीजों की अनुमति के बिना उनकी तस्वीरें या उनके केस रिपोर्ट को प्रकाशित करना। उदाहरण के लिए, एक डॉक्टर किसी भी चिकित्सा या अन्य पत्रिका में मरीज की पहचान को प्रकाशित नहीं कर सकता है। अगर पहचान का खुलासा नहीं किया गया है, तो मरीज की सहमति की आवश्यकता नहीं है।

मरीज को उपचार से इनकार करना

चिकित्सीय कारण होने के बावजूद बांझपन, जन्म नियंत्रण, खतना और गर्भावस्था की चिकित्सीय समाप्ति करना या उसमें सहायता करना, केवल धार्मिक आधार पर इनकार किया जा सकता है। हालांकि, चिकित्सक उपचार करने से तब भी इनकार कर सकते हैं यदि वे मानते हैं कि इसके उपचार के लिये उनके पास पर्याप्त योग्यता नहीं है।

ऑपरेशन या उपचार का संचालन करना

नाबालिग, या खुद मरीज के मामले में पति या पत्नी, माता-पिता या अभिभावक से लिखित सहमति प्राप्त किए बिना ऑपरेशन करना। इसके अतिरिक्त, ऐसे ऑपरेशन जिनमें बांझपन हो सकता है उस मामले में पति और पत्नी दोनों की सहमति लेने की आवश्यकता होती है।

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन या कृतिम गर्भाधारण, महिला मरीज, उसके पति और दाता (डोनर) की सूचित सहमति के बिना कराना। हालांकि, महिला मरीज को लिखित सहमति देना आवश्यक है। पर्याप्त जानकारियां, उद्देश्य, तरीकों, खतरों, और असुविधाओं के बारे में बताना, और की जाने वाली प्रक्रियाओं की संभावित विफलताओं और संभावित संयोगों और खतरों के बारे में भी बताना, डॉक्टर का कर्तव्य है।

फिर भी ये सभी, पेशे के दुराचार के प्रकारों की संपूर्ण सूची नहीं है। ऊपर दी गई परिस्थितियों के अलावा भी कई ऐसे और अनकहे कृत्य हैं जो पेशे के दुराचार के योग्य हो सकते हैं और जिस पर, उपयुक्त जिम्मेदार चिकित्सा परिषद उस पर कार्रवाई कर सकती है।

किशोरों को नियुक्त करते समय नियोक्ता के कर्तव्य

अपनी संस्था में काम करने वाले किशोरों को नियोजित करने वाले नियोक्ता को कुछ कर्तव्यों का पालन करना पड़ता है:

एक रजिस्टर मेंटेन करना

एक नियोक्ता के रूप में आपको एक रजिस्टर बनाना होता है, जिसमें निम्नलिखित बातें होनी चाहिए:

  • आपके यहां काम करने वाले प्रत्येक किशोर-किशोरियों का नाम और जन्म तिथि।
  • किशोर-किशोरियों के काम के घंटे और अवधि।
  • आराम करने का समय।
  • उनके काम की प्रकृति।

काम करने की स्थिति

जब किसी किशोर या किशोरी को काम पर नियुक्त किया जाता है, तो काम के घंटे और दिन और स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनके साथ निष्पक्ष और मानवीय व्यवहार किया जाए।

इंस्पेक्टर को नोटिस भेजना

बाल श्रमिक को नियुक्त करने वाले नियोक्ता के रूप में आपको निरीक्षक को एक नोटिस भेजना होगा। यह उसे काम पर रखने के 30 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। नोटिस में निम्नलिखित बातें होनी चाहिए:

  • संस्था का नाम और स्थान।
  • नियोक्ता का नाम।
  • काम की प्रकृति।
  • संस्था द्वारा किया जाने वाला कार्य।

यदि एक नियोक्ता के रूप में आप अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करते हैं, तो आपको एक महीने तक की जेल हो सकती है या 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों हो सकते हैं।

अनुबंध के उल्लंघन के उपाय

अनुबंध के उल्लंघन के लिए

यदि आपके अनुबंध के किसी भी नियम का उल्लंघन किया गया है, तो आपके लिए एकमात्र उपाय है अदालत में जाना या मध्यस्थता करना। यदि आपके कार्यालय में कोई मजदूर संघ है, तो आप उनसे संपर्क कर सकते हैं।

नियोक्ता के खिलाफ शिकायत के लिए

यदि आपके और आपके नियोक्ता के बीच कोई मतभेद है, तो आमतौर पर विवाद के समाधान का तरीका आपके अनुबंध में दिया जाएगा या आपके संस्था की एच.आर नीति में लिखा होगा।

चिकित्सा पेशेवर (मेडिकल प्रोफेशनल) के खिलाफ शिकायत दर्ज करना

आप पेशेवर दुराचार के संबंध में अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए स्टेट मेडिकल काउंसिल या मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पास शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यहां पर भारत के सभी स्टेट मेडिकल काउंसिल की सूची दी गई है।

शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया

अगर स्टेट मेडिकल काउंसिल छह महीने से अधिक समय तक शिकायत पर फैसला नहीं करती है, तो शिकायतकर्ता मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से संपर्क कर सकता है। इसके अतिरिक्त, एमसीआई के पास स्वयम् स्टेट काउंसिल से मामले को वापस लेकर, और इसे खुद के पास स्थानांतरित करने का अधिकार है।

यदि कोई व्यक्ति स्टेट मेडिकल काउंसिल के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो वह काउंसिल के आदेश के 60 दिनों के अंदर निर्णय को चुनौती देने के लिए एमसीआई के पास जा सकता है। हालांकि, अगर समय 60 दिन से ज्यादा बीत गए हैं, तो एमसीआई उस व्यक्ति की शिकायत को स्वीकार कर भी सकती है, या नहीं भी।

सज़ा

शिकायत प्राप्त होने के बाद, संबंधित मेडिकल काउंसिल उस पेशेवर की सुनवाई करेगा। इसके अलावा, यदि वह व्यक्ति दोषी पाया जाता है, तो सजा काउंसिल द्वारा निर्धारित की जाती है। उदाहरण के लिए, काउंसिल उस पेशेवर के नाम को संबंधित रजिस्टर से, एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए, या पूरी तरह से हटाने के लिए निर्देशित कर सकता है। इसका मतलब यह है कि वह पेशेवर उस अवधि के लिए चिकित्सीय पेशा नहीं कर पाएगा।

बच्चों से काम कराने वाले माता-पिता

  • माता-पिता और अभिभावकों पर 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को पारिवारिक व्यवसाय के अलावा किसी भी रूप में रोजगार में लगाने के लिए जुर्माना लगाया जाएगा।
  • अगर माता-पिता या अभिभावक किसी किशोर या किशोरी को कानून के खिलाफ काम करने की अनुमति देते हैं या उनसे काम कराते हैं तो उन्हें दंडित किया जाएगा।
  • अगर वे पहली बार अपराध करते हैं तो उन्हें सजा नहीं दी जाएगी।
  • यदि वे तब भी किशोरों को निषिद्ध व्यवसायों में काम करने की अनुमति देते हैं, तो उन पर 10000 रु तक का जुर्माना लगाया जाएगा।।

बाल श्रम के खिलाफ नियोक्ताओं के लिए सजा

कोई भी व्यक्ति जो 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त करता है, उसे निम्नलिखित तरीके से दंडित किया जा सकता है:

  • छह महीने से लेकर दो साल तक की जेल और/या
  • 20,000 रु से लेकर 50,000 रू के बीच जुर्माना।
  • न्यायालय यह तय करेगा कि क्या केवल जेल की सज़ा ही पर्याप्त होगी या जुर्माना लगाने की भी आवश्यकता है।

कोई भी व्यक्ति, जो 14 से 18 के बीच के किशोरों-किशोरियों से अवैध व्यवसायों में काम कराता है, उसे निम्नलिखित तरीके से दंडित किया जा सकता है:

  • छह महीने से लेकर दो साल तक की जेल और / या 20,000 रु से लेकर 50,000 रू तक का जुर्माना।
  • अगर वह व्यक्ति एक बार सजा मिलने के बाद भी काम कराना जारी रखता है तो उसे फिर से एक से तीन साल तक की जेल हो सकती है।

वास्तुकार (आर्किटेक्ट) कौन होता है?

वास्तुकार वह व्यक्ति है, जो इमारतों को डिजाइन करता है और उनके निर्माण कार्य में अपना परामर्श देता है। भारतीय कानून उस वास्तुकार को मान्यता देता है जब उसका नाम और अन्य निजी सूचनाएं रजिस्टर ऑफ आर्किटेक्ट्स में दर्ज हो जाता है। इसका ब्याेरा वास्तुकला परिषद् (कॉउन्सिल ऑफ आर्किटेक्चर) रखता है। एक बार आर्किटेक्ट्स रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराने के बाद वास्तुकार को अपने पेशे को करने की अनुमति होती है। ऐसे रजिस्टर में वास्तुकार का नाम इस प्रकार दर्ज होने का अर्थ यह है कि वह वास्तुकला में निपुण है। नाम पंजीकृत करवाने के कुछ तरीके हैं, जो किसी विदेशी या भारतीय योग्यता के आधार पर हो सकते हैं।

भारतीय योग्यता के लिए, भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान की जाने वाली वास्तुकला की एक बैचलर डिग्री, नेशनल डिप्लोमा इन आर्किटेक्चर, बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर (बी. आर्क) की उपाधि, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology, IIT), भारतीय वास्तुकला संस्थान (Indian Institute of Architects) की सदस्यता, आदि द्वारा प्रदान की जाती है।

भारत, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्विटजरलैंड आदि जैसे देशों से विभिन्न डिग्रियों को मान्यता प्रदान करता है। इस सूची को आप यहां देख सकते हैं।

एक भारतीय नागरिक जिसके पास कोई भी योग्यता प्रमाण पत्र नहीं हैं, और यदि वह अपने पेशे में कम से कम पांच सालों से लगा है तो केन्द्र सरकार उसके आवेदन को पंजीकरण करने पर विचार कर सकती है।

एक आवेदक तब भी पंजीकृत माना जा सकता है यदि वह कानूनी नियमों से केंद्र सरकार द्वारा आर्किटेक्ट अधिनियम के तहत मान्यता प्राप्त संस्थान से पंजीकृत है।

किसी वास्तुकार के विरुद्घ शिकायत दर्ज करना

एक व्यक्ति वास्तुकार के आचरण के संबंध में शिकायत दर्ज कर सकता है यदि वास्तुकार सौंपे किए गए काम में निष्पक्षता और न्यायसंगत तरीके से नहीं करता है, या उसे कमीशन लेते हुए या इस तरह के किसी अन्य पेशेवर दुराचार (प्रफेशनल मिस्कन्डक्ट) के व्यवहार में संलिप्त पाया गया हो। आप वास्तुकला परिषद से उसकी शिकायत कर सकते हैं।

वास्तुकला परिषद (कॉउन्सिल ऑफ आर्किटेक्चर)

वास्तुकला परिषद, भारत सरकार द्वारा भारतीय संसद द्वारा अधिनियमित वास्तु-कला अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत गठित एक सांविधिक निकाय है। पूरे भारत में वास्तुकारों का पंजीकरण के अतिरिक्त वास्तुकला परिषद पर, भारत में पेशेेवर वास्तुकार की शिक्षा और व्यवहार को विनियमित करने की जिम्मेदारी रहती है। इसके अतिरिक्त, यह विशेषज्ञों की कमेटियों के माध्यम से समय-समय पर वास्तुकला के मानकों का निरीक्षण भी करता रहता है।

एक वास्तुकार के विरुद्घ शिकायत दर्ज करने और दंड देने की प्रक्रियाएं

किसी वास्तुकार के द्वारा अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करने को पेशेवर दुराचार (प्रफेशनल मिस्कंडक्ट) माना जाता है, और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाती है। इसके अतिरिक्त परिषद, जांच के बाद नीचे सूचीबद्ध किये तीन कदमों में से कोई एक कदम उठा सकती है:

  • उक्त वास्तुकार को फटकार लगाना
  • एक वास्तुकार के रूप में उसको पेशे से निलंबित करना
  • वास्तुकार रजिस्टर से वास्तुकार का नाम हटा देना

आप यहां शिकायत फॉर्म का प्रारूप पा सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा गठित एक समिति वास्तुकारों के खिलाफ सभी दर्ज शिकायतों और उनके दुराचार से संबंधित मामलों को देखती है।

इसके अलावा, यदि आपको कोई ऐसा अपंजीकृत व्यक्ति मिलता है जो किसी और के नाम का इस्तेमाल करते हुए ‘वास्तुकार’ के पद का गलत इस्तेमाल करता है, या आपकी ओर से गलत बयानबाजी करता है तो आप ऐसे व्यक्ति के खिलाफ संबंधित दस्तावेजों के साथ परिषद की वेबसाइट पर ऑन लाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।