पीड़िता के नाते आपको यह अधिकार है कि आप अपने शिकायत और उसके बाद होने वाली कार्यवाही को व्यक्तिगत (निजी) रक्खें। कानून यह गारंटी देता है कि निम्नलिखित जानकारियाँ निजी हैं:
- आपकी पहचान और पता
- जिस व्यक्ति पर आप आरोप लगाते हैं उसकी पहचान और पता, साथ ही गवाहों के पहचान और पता।
- समिति द्वारा किए जा रहे सुलह /’कंसिलिएशन’ (‘शब्दावली’ में देखें कि इसका क्या मतलब है) या जांच के बारे में जानकारी।
- आंतरिक समिति या स्थानीय समिति की सिफारिशें
- नियोक्ता या जिला अधिकारी द्वारा की गई कारवाई
उपरोक्त सभी सूचनाओं को सार्वजनिक, प्रेस या मीडिया में किसी भी तरह से प्रकाशित, संप्रेषित या प्रसारित नहीं किया जा सकता है
एक पंजीकृत फार्मासिस्ट के कार्य, जो दुराचार की श्रेणी में आएंगे और जिन कार्यों के खिलाफ शिकायत की जा सकती है, उनमें शामिल हैं:
कानून का उल्लंघन
- फार्मासिस्ट अधिनियम के तहत नियमों का उल्लंघन (एक फार्मासिस्ट के कर्तव्यों से जुड़े उल्लंघन शामिल हैं, जिन्हें यहां देखा जा सकता है)।
- यदि फार्मेसी में काम करने वाला पंजीकृत फार्मासिस्ट किसी अन्य फार्मेसी / फार्मेसी कॉलेज / संस्थान / उद्योग / किसी अन्य संगठन में शिक्षण संकाय या अन्य के रूप में काम करता हुआ पाया जाता है, तो यह दुराचार के तहत आता है।
दवाओं का प्रबंधन
- ऐसी दवाओं का वितरण करना, जिसके लिए पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी प्रिसक्रिप्शन की आवश्यकता होती है।
- पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी की स्वीकृति / सहमति के बिना, खुद प्रिसक्रिप्शन बनाना।
पंजीकरण प्रमाण पत्र और संबंधित जानकारी
- फार्मेसी के मालिक को फार्मेसी में भाग लिए बिना अपने फार्मासिस्ट पंजीकरण प्रमाण पत्र का उपयोग करने की अनुमति देना।
- एक से अधिक फार्मेसी में उनके फार्मासिस्ट पंजीकरण प्रमाण पत्र देना।
- पांच वर्षों तक मरीजों के पर्चे / वितरण रिकॉर्ड को न बनाए रखना, और 72 घंटे के भीतर रोगी या एक अधिकृत प्रतिनिधि अनुरोध करने पर इन रिकॉर्ड को प्रदान करने से इनकार कर देना।
- फार्मेसी में राज्य फार्मेसी काउंसिल द्वारा दिए गए पंजीकरण प्रमाण पत्र को प्रदर्शित नहीं करना।
अनुचित आचरण या अपराध
- रोगी के साथ व्यभिचार या अनुचित आचरण करना, या किसी पेशेवर स्थिति का दुरुपयोग करके रोगी के साथ अनुचित संबंध बनाना।
- नैतिक अपराध या आपराधिक कृत्यों से जुड़े अपराधों के लिए अदालत द्वारा दी जाने वाली सजा।
- रोगियों की प्राप्ति के लिए एजेंटों का उपयोग करना।
सूचना की गोपनीयता न बनाए रखना और उन्हें उजागर करना
- रोगों और उपचारों के बारे में वैसे लेखों को छापना और साक्षात्कार देना, जिसका प्रभाव विज्ञापन के तौर पर या पेशे की बढ़ोतरी के लिये किया जा सकता हो। हालांकि एक फार्मासिस्ट अपने नाम के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छ रहन सहन के मामलों में प्रेस में लिखने के लिये स्वतंत्र हैं। वे अपने नाम के तहत सार्वजनिक व्याख्यान दे सकते हैं, वार्ता कर सकते हैं, और इनकी घोषणा प्रेस में भी कर सकते हैं।
- अपने पेशे के अभ्यास के दौरान मालूम हुए मरीज के रहस्यों का खुलासा करना। हालांकि, प्रकटीकरण की अनुमति निम्नलिखित मामलों की जा सकती है:
- अदालत में, पीठासीन न्यायिक अधिकारी के आदेश के तहत;
- उन परिस्थितियों में, जहां एक विशिष्ट व्यक्ति और / या समुदाय के लिए किसी गंभीर और ज्ञात जोखिम की संभावना हो; तथा
- उल्लेखनीय रोगों के मामले में।
- केवल धार्मिक आधार पर एक पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी के पर्चे पर लिखी दवाओं को देने से इनकार करना।
- किसी भी मेडिकल या अन्य पत्रिका में मरीजों की अनुमति के बिना उनकी तस्वीरें या मामले की रिपोर्ट प्रकाशित करना, जिससे मरीज़ की पहचान की जा सकती हो। हालांकि, अगर पहचान का खुलासा नहीं होता है, तो सहमति की आवश्यकता नहीं है।
इसके अलावा, यदि कोई पंजीकृत फार्मासिस्ट फार्मेसी चला रहा है और अन्य फार्मासिस्टों की मदद के लिए काम कर रहा है, तो अंतिम जिम्मेदारी पंजीकृत फार्मासिस्ट की होती है।
यह सभी प्रकार के पेशेवर दुराचारों की एक संपूर्ण सूची नहीं है। हालांकि, ऊपर वर्णित परिस्थितियों को पेशेवर दुराचारों के रूप में माना जा सकता है, और जिम्मेदार फार्मेसी काउंसिल उस पर कार्रवाई कर सकती है। इसके अलावा, इसका मतलब यह होगा कि यहां वर्णित फार्मासिस्ट के किसी भी निर्धारित नैतिक मानकों के उल्लंघन के आधार पर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
अपराध |
सज़ा |
किसी कर्मचारी को देय राशि से कम भुगतान करना |
पहला अपराध-पचास हजार रुपए तक का जुर्माना
आगामी पांच साल के भीतर अपराध-तीन महीने तक की जेल और/या एक लाख रुपए तक का जुर्माना |
किसी अन्य तरीके से संहिता का उल्लंघन करना |
पहला अपराध-बीस हजार रुपए तक का जुर्माना
पांच साल के भीतर इसी तरह के अपराध-एक महीने तक की जेल और/या चालीस हजार रुपये तक का जुर्माना |
स्थापना में उचित अभिलेखों का रखरखाव नहीं करना |
दस हजार रुपये तक का जुर्माना |
इस कानून के तहत, अदालतें केवल निम्नलिखित द्वारा की गई शिकायतों पर विचार करेंगी:
• सरकार
• कर्मचारी
• पंजीकृत ट्रेड यूनियन
• निरीक्षक-सह-प्रशिक्षक
कानून के तहत किसी नियोक्ता को महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य माहौल बनाने के लिए कुछ कदम उठाने होते हैं।
कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षित महसूस करना चाहिए; अपने सहकर्मियों से, साथ साथ अन्य लोगों से भी जो सिर्फ कार्यस्थल का दौरा करते हैं। अतः यह नियोक्ताओं के लिए जरूरी है कि वे कम्पनी के यौन उत्पीड़न नीति को इस तरह प्रदर्शित करें कि सबको यह स्पष्ट दिखे। उन्हें यह आदेश भी दर्शाना होगा कि ‘आंतरिक शिकायत समिति’ को गठित किया गया है, जिसे कर्मचारियों के साथ-साथ कार्यस्थल पर आने वाले आगंतुक भी देख सकेंगे।
नियोक्ताओं के लिये अनिवार्य है कि वेः
- एक विस्तृत यौन उत्पीड़न नीति बनायें और उसे प्रस्तुत करें
- कर्मचारियों को यौन उत्पीड़न के मुद्दे से अवगत करायें
- कार्यस्थल पर समितियों का गठन करें जिससे कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिला कर्मचारी समिति के पास अपनी शिकायत दर्ज कर सकें।
- सुनिश्चित करें कि समिति के सदस्य समुचित संख्या में हों, और अच्छी तरह से प्रशिक्षित हों।
- प्रति वर्ष एक सालाना रिपोर्ट तैयार करें और उसे राज्य सरकार को भेज दें।
जिला अधिकारी भी एक नोडल अफसर को नियुक्त करेंगे, जो स्थानीय स्तर पर शिकायत ले सकता है।
नैदानिक मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिस्ट) मानसिक, व्यवहारिक और भावनात्मक बीमारियों के निदान और मनोवैज्ञानिक उपचार में प्रशिक्षित एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर है। हालांकि, मनोचिकित्सक के विपरीत, एक मनोवैज्ञानिक के पास मेडिकल डिग्री नहीं होती है, और इसलिए, वह दवाएं नहीं दे सकता है।
इसके अलावा, एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक को मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है, जिसके पास है:
- क्लिनिकल साइकोलॉजी में योग्यता, किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से, जिसे भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा अनुमोदित और मान्यता प्राप्त है, या
- साइकोलॉजी या क्लीनिकल साइकोलॉजी, या एप्लाइड साइकोलॉजी में पोस्टग्रेजुएट डिग्री, और दो साल का पूर्णकालिक कोर्स पूरा करने के बाद, क्लीनिकल साइकोलॉजी या मेडिकल और सोशल साइकोलॉजी में मास्टर ऑफ फिलॉसफी। इसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी विश्वविद्यालय से पर्यवेक्षित (सुपरवाइज्ड) नैदानिक प्रशिक्षण शामिल होना चाहिए, और जिसे भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा अनुमोदित और मान्यता प्राप्त हो।
नैदानिक मनोवैज्ञानिक लोग, पुनर्वास पेशेवरों की व्यापक श्रेणी में आते हैं। उदाहरण के लिए, इसमें अन्य पेशेवर जैसे कि ऑडियोलॉजिस्ट, भाषण (स्पीच) चिकित्सक आदि शामिल हैं। भारतीय पुनर्वास परिषद भारत में सभी पंजीकृत पुनर्वास पेशेवरों का एक रजिस्टर रखता है। आप यहां नैदानिक मनोवैज्ञानिकों के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।
यदि आप अधिनियम या बाल श्रम कानून के नियमों का पालन करने में विफल रहे हैं तो कानून आपराधिक मुकदमा चलाने के विकल्प प्रदान करता है। कानूनी भाषा में इसे “कंपाउंड ऑफेन्स या अपराध” कहते हैं। कंपाउंडिंग का मतलब है निपटारा करना। यदि आप निम्नलिखित दो श्रेणियों में से एक में आते हैं, तो आप अपने अपराध को कम कर सकते हैं:
- पहला वह जो पहली बार अपराध करता है।
- दूसरे वे माता पिता या अभिभावक, जो बाल श्रम प्रावधानों और कानून का पालन नहीं करते हैं।
अपराध को कम करने के लिए, इन चरणों का पालन करें:
- आप सबसे पहले इसके लिए आवेदन करें और आवेदन के लिए पैसे का भुगतान करने के बाद ही जिला मजिस्ट्रेट से संपर्क करें।
- केंद्र सरकार को आवेदन के साथ की गई भुगतान की राशि: अधिकतम जुर्माने की 50% होनी चाहिए
- यदि आप दिए गए समय के भीतर राशि का भुगतान नहीं करते हैं, तो आपको इस अपराध के लिए अधिकतम 25% अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा। जब आप राशि का भुगतान कर देंगे तो जिला मजिस्ट्रेट आपको “कंपाउंडिंग का सर्टिफिकेट” जारी करेगा।
यदि आप राशि का भुगतान करने में विफल रहते हैं, तो मामले की आगे की कार्यवाही बाल श्रम कानूनों के अनुसार जारी रखी जाएगी, यानी आप पर मुकदमा चलाया जाएगा और दंडित किया जाएगा, लेकिन यदि आप राशि का भुगतान करते हैं, तो आपको अदालत में पेश नहीं किया जा सकता है, क्योंकि आप पहले ही भुगतान कर चुके हैं और मामले का निपटारा कर चुके हैं।
गोपनीयता क्या है?
जिस संस्था या कंपनी के साथ आप काम कर रहे हैं, उसे अपने व्यापारिक रहस्यों और अन्य गोपनीय व्यापारिक सौदों की सुरक्षा करने का अधिकार है। इसलिए, आपके रोजगार अनुबंध में एक उपनियम आपको नियोक्ता की किसी भी गोपनीय जानकारी को संगठन के बाहर किसी को भी साझा करने या प्रकट करने से रोकता है। इस उपनियम को गोपनीयता के उपनियम के रूप में जाना जाता है। कभी-कभी इसे गैर-प्रकटीकरण उपनियम के रूप में भी संदर्भित किया जाता है।
गोपनीयता आप पर कब लागू होती है?
गोपनीयता के उपनियम केवल कंपनी में रोजगार करने के दौरान ही लागू नहीं होता, बल्कि उसके बाद भी होता हैं.. यदि आप अपना रोजगार समाप्त होने के बाद गोपनीय जानकारी साझा करते हैं, तो यह आपके अनुबंध का उल्लंघन होगा और आपका नियोक्ता आपके खिलाफ मामला दर्ज करा सकता है।
इसका मतलब यह नहीं है कि आप समान काम करने वाली कंपनी द्वारा नियोजित नहीं किए जा सकते हैं। कानूनी तौर पर, आप जहां भी चाहें, वहां काम करने का आपको अधिकार है, लेकिन आप अपने नए रोजगार में अपने पिछले नियोक्ता की किसी भी गोपनीय जानकारी का खुलासा नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, यदि आप पहले P&G के साथ काम कर रहे थे और आपको अब यूनिलीवर के नौकरी का प्रस्ताव मिला है, तो आपको यह नौकरी स्वीकार करने से प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा। लेकिन आप P&G के व्यापार रहस्यों का खुलासा यूनिलीवर में नहीं कर सकते।
अनुबंध में कोई गोपनीयता उपनियम नहीं
यदि आपके अनुबंध में कोई गोपनीयता उपनियम नहीं है, तो भी आपका अपने पूर्व-नियोक्ता के प्रति निष्ठा का कर्तव्य बनता है कि आप उनके व्यापार रहस्यों और उनके साथ अपने रोजगार के दौरान सीखी गई गोपनीय जानकारी का दूसरों के सामने खुलासा या अपने स्वयं के लाभ के लिए उपयोग न करें। कुछ मामलों में, आप पर आपराधिक विश्वासघात का मुकदमा भी चलाया जा सकता है।
10 से अधिक कर्मचारियों वाले कार्यस्थलों पर एक ऐसी समिति गठित करना आवशयक है जो विशेष रूप से यौन उत्पीड़न के मामलों को संभालती है। इसे ‘आंतरिक शिकायत समिति’ के नाम से जाना जाता है। इस समिति में ये लोग शामिल होने चाहिए:
- वरिष्ठ स्तर की कार्यरत महिला हो, जो समिति की सभापति होगी
- यदि मामला छात्रों से संबंधित है, तो तीन छात्र सदस्य
- गैर सरकारी संगठन या ऐसी संस्था का एक सदस्य जो महिलाओं की विषयों के प्रति प्रतिबद्ध हो, या फिर ऐसा व्यक्ति जो यौन उत्पीड़न के मामलों से अच्छी तरह परिचित हो। इस सदस्य को उनकी सदस्यता/सेवा के लिए भुगतान किया जायेगा।
- इसके कम से कम आधे सदस्य महिलाएं होंगी
- वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर आसीन लोग, जैसे कुलपति, रजिस्ट्रार, डीन, या विभागाध्यक्ष इसके सदस्य नहीं हो सकते हैं।
- सदस्यों के लिए तीन साल का कार्यकाल होगा। उच्च शिक्षण संस्थान ऐसी व्यवस्था लागू कर सकते हैं जहां हर साल, एक तिहाई सदस्य बदलते रहते हैं।
यदि सभापति अपनी शक्तियों का उल्लंघन करते हुए कार्यवाई करता है तो उन्हें हटा दिया जाएगा और नया नामांकन किया जायेगा।
आंतरिक शिकायत समिति को, शिकायत लेने और उचित समय के अंदर जाँच करने के लिए, अधिनियमों का पालन करना होगा। कंपनी या संस्था को, आंतरिक शिकायत समिति को जाँच पूरी करने के लिए जो चीजें जरूरते हों, उसे उपलब्ध करानी होगी।
नैदानिक मनोवैज्ञानिक के कुछ कर्तव्य नीचे दिए गए हैं:
अपनी सेवाओं का विज्ञापन करना
एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक को निम्नलिखित बातें नहीं करनी चाहिए:
- किसी भी विकलांग व्यक्ति को काम के लिये याचना, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करना। इसमें विज्ञापन, परिपत्र (सर्कुलर), हैंड-बिल आदि शामिल हैं। हालांकि, नैदानिक मनोवैज्ञानिक औपचारिक रूप से प्रेस के माध्यम से, अपना पेशा शुरू करने / पुनः शुरू करने, पेशे में परिवर्तन, पते में परिवर्तन, पेशे के समापन, और पेशे से अस्थायी अनुपस्थितियों के बारे में घोषणा कर सकते हैं।
- वे अपने योग्यताओं का प्रदर्शन साइन बोर्ड, लेटर हेड पैड, पर्ची, विजिटिंग कार्ड, प्रमाण पत्र, रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों पर सकते हैं, जिस पर मनोवैज्ञानिक के हस्ताक्षर होते हैं। पंजीकरण प्रमाण पत्र को स्पष्ट रूप से पेशे के स्थान पर दिखाया जाना चाहिए।
- मनोवैज्ञानिक को अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र के अलावे, किसी भी अन्य क्षेत्र में पेशा नहीं करना चाहिये।
शुल्क और भुगतान
नैदानिक मनोवैज्ञानिकों को अत्यधिक शुल्क नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा, एक मनोवैज्ञानिक को ‘जब तक इलाज नहीं, तब तक भुगतान नहीं’ के सौदे में नहीं जाना चाहिए।
मरीजों का विवरण
नैदानिक मनोवैज्ञानिकों को मरीजों के विवरण, उन्हें दी गई प्रेसक्रिप्शन, शुल्क आदि का एक रजिस्टर में बनाए रखना चाहिए।
इसके अलावा, नैदानिक मनोवैज्ञानिकों का कर्तव्य है कि वे गोपनीयता बनाए रखें। इसमें उनके मरीज के मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपचार और शारीरिक स्वास्थ्य देखभाल आदि की गोपनीयता के बारे में जानकारी शामिल है।
मरीजों का इलाज और देखभाल
एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक को विकलांग लोगों के पुनर्वास या उपचार का कार्य नियमित और आवश्यक अंतराल पर, या उचित समय पर करना चाहिए। हालांकि, उन्हें निम्नलिखित चीजें नहीं करनी चाहिए:
- विकलांग व्यक्तियों के साथ किसी भी बीमारी की अवधि या उसकी तीव्रता के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर बताना।
- मरीज के साथ किसी भी अनुचित गतिविधि या कोई अनुचित संबंध में शामिल होना।
- विकलांग व्यक्ति के साथ कठोर और असभ्य भाषा का प्रयोग करना।
- विकलांग व्यक्ति की परिस्थिति का अनुचित लाभ उठाना।
- किसी भी विकलांग व्यक्ति की जानबूझकर उपेक्षा करना।
- किसी भी तरह का लाभ विकलांगता से पीड़ित लोगों से उठाने का प्रयास करना।
इन कर्तव्यों का उल्लंघन ‘दुराचार’ (मिसकंडक्ट), के रूप में माना जाएगा और भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा उस मनोवैज्ञानिक को अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए उत्तरदायी बना सकता है।
बाल श्रम पुनर्वास-सह-कल्याण कोष एक ऐसा कोष है जो हर एक या दो जिलों के लिए स्थापित किया जाता है। नियोक्ता द्वारा भुगतान किया गया जुर्माना इस कोष में जमा किया जाता है। इसके अलावा, सरकार को प्रत्येक बच्चे या किशोर के लिए 15000 रुपये या उससे अधिक जमा करने होंगे, जिसके लिए नियोक्ता पर जुर्माना लगाया गया है। इस फंड की देखरेख बैंक द्वारा की जाती है। बैंक में जमा पैसे पर मिलने वाली ब्याज, बच्चे को दी जाती है।
बाल श्रम को रोकने के लिए एक निरीक्षक का कर्तव्य सरकार निरीक्षकों को यह सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त करती है कि कोई अवैध रोजगार न हो और कानून के अनुसार किशोरों को अनुमत रोजगार दिया जाए। एक निरीक्षक या पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है:
- उन स्थानों का समय-समय पर निरीक्षण करना जहां बच्चों को काम करने की अनुमति नहीं है।
- उन उद्योगों का निरीक्षण करना शुरू करें जहां पर बच्चों, किशोरों और किशोरियों को काम पर लगाया जाता है।
- पारिवारिक उद्यमों में बच्चों की कामकाजी स्थितियों की जांच करना।
- बाल श्रम की शिकायतों को स्वीकार करना और बाल श्रम के अवैध कृत्यों की न्यायालय में रिपोर्ट करना।
- अगर संदेह है कि बच्चा 14 साल से कम उम्र का है, तो बच्चे की असल उम्र का पता लगाएं।
संस्था के नियोक्ता द्वारा बनाए गए रजिस्टर का निरीक्षण करें, जिसमें निम्नलिखित विवरण होगा:
- नाम और बच्चे के जन्म की तारीख संबंधित दस्तावेजों के साथ काम पर रखने की तारीख आदि।
- घंटे और काम की अवधि (आराम के घंटे सहित)।
- बच्चा जो काम कर रहा है और उसकी प्रकृति।
सभी निरीक्षकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि कोई बच्चा अवैध रूप से नियोजित किया जा रहा है, तो संबंधित नियोक्ता को 20000 रु. बाल श्रम पुनर्वास-सह-कल्याण कोष में जुर्माने के रूप में जमा कराए, जिसे बच्चा बाद में ले सकता है।