चुनाव प्रचार-प्रसार के लिए धर्म का इस्तेमाल

कोई भी पार्टी या उम्मीदवार, ऐसा किसी भी तरह का प्रचार नहीं कर सकते, जिसके कारण किसी भी जाति या धार्मिक समुदाय के बीच तनाव या नफरत पैदा हो।

आदर्श-आचार संहिता(एम.सी.सी) किसी व्यक्ति या संगठन को चुनाव के दौरान किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी को जीत के लिए धर्म का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देती है, भले ही राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार से उनका कोई भी संबंध हो।
उदाहरण के लिए, धार्मिक/सांस्कृतिक संगठन, संघ या व्यक्ति किसी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार के पक्ष में या उसके खिलाफ प्रचार नहीं कर सकते हैं।

नीचे कुछ ऐसे काम दिए गए हैं, जिन्हे चुनाव प्रचार के दौरान करने की मनाही हैः

  • कोई भी धर्म का इस्तेमाल करते हुए मतदाताओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकता है।
  • कोई भी पार्टी या उम्मीदवार लोगो को ये कहकर वोट नहीं मांग सकते हैं, कि अगर वे उसे वोट नहीं देंगे, तो भगवान इसकी उन्हें सजा देगा।
  • कोई भी व्यक्ति अलग-अलग समूहों के लोगों के बीच मतभेद पैदा करने के लिए धर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकता है
  • कोई भी ऐसा कोई दुर्भावनापूर्ण बयान नहीं दे सकता है, जिससे किसी भी नेता के निजी जीवन पर हमला हो।
  • मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और दूसरे किसी भी पूजा स्थलों का इस्तेमाल किसी भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है।

यहां प्रचार के लिए धर्म का इस्तेमाल करके एमसीसी के उल्लंघन के कुछ उदाहरण दिए गए हैं, जैसे –

  • अगर मंदिर के प्रवेश द्वार के बाहर नेताओं की तस्वीरों की होर्डिंग लगाई जाती हैं।
  • किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा वोट पाने के लिए मंदिर के बाहर भिखारियों को पैसा दिया जाता है।

सेना द्वारा कहीं भी प्रवेश करने और तलाशी लेने का अधिकार

कानून में आमतौर पर यह आवश्यक होता है कि किसी स्थान की तलाशी के लिए किसी प्राधिकरण द्वारा तलाशी वारंट प्राप्त किया जाए। लेकिन AFSPA के तहत सशस्त्र बलों को बिना वारंट के किसी जगह की तलाशी लेने का विशेष अधिकार है।

अधिकारी निम्नलिखित में से किसी भी कार्य के लिए वारंट के बिना किसी भी परिसर में प्रवेश और तलाशी ले सकता है:

  • किसी को गिरफ्तार करना;
  • किसी ऐसे व्यक्ति को रिकवर करने के लिए जिसे गलत तरीके से प्रतिबंधित या सीमित माना जाता है;
  • चोरी की संपत्ति होने के संदेह के कारण किसी की भी संपत्ति की तलाशी लेना;
  • परिसर में अवैध रूप से रखे जाने वाले किसी भी हथियार, गोला-बारूद या विस्फोटक पदार्थों की तलाशी लेना।

 

 

एलजीबीटी व्यक्तियों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस

ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) एक आधिकारिक दस्तावेज है, जो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत प्रत्येक राज्य के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) या क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) द्वारा कार्ड के रूप में जारी किया जाता है। यह आपको सार्वजनिक सड़क पर, एक या एक से अधिक प्रकार के वाहन, जैसे कि मोटर साइकिल, कार आदि चलाने की अनुमति देता है।

नया ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना

आप लर्नर लाइसेंस जारी होने के 30 दिनों के बाद और 180 दिनों (6 महीने) के भीतर नए ड्राइविंग लाइसेंस के लिए पंजीकरण कर सकते हैं। नया ड्राइविंग लाइसेंस कैसे प्राप्त करें, यह समझने के लिए, यहां पढ़ें।

  • नाम

    : यदि आपने अपने निर्धारित लिंग को प्रतिबिंबित करने के लिए अपना नाम बदल लिया है, तो आप अपना नया नाम आवेदन पत्र में भर सकते हैं। आपको अपने बदले हुए नाम के केंद्रीय / राज्य राजपत्र की एक प्रति और किसी अन्य पहचान प्रमाणों की एक प्रति अपने साथ ले जानी चाहिए, जो क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) या क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) अधिकारियों को जरूरत होने पर आपके नए नाम की प्रमाणिकता दे सके।

  • लिंग विवरण

    : नया ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करते समय, आपके पास लिंग को बताने के लिए 3 विकल्प हो सकते हैं, “पुरुष”, “महिला” और “तीसरा लिंग (ट्रांसजेंडर)”। चूंकि ड्राइविंग लाइसेंस राज्यों द्वारा विनियमित होते हैं, अतः हो सकता है कि कहीं पर तीसरा लिंग (ट्रांसजेंडर) को चुनने का विकल्प न हो, तो इस तरह की हालत में, आप निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:

    • क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) या क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) से संपर्क करें और पूछें कि क्या किया जा सकता है
    • अपने पहचान का प्रमाण एक हलफनामे (affidavit) के रूप में लें, जिसमें आपका निर्धारित लिंग, आपका नया नाम इत्यादि लिखित हो।
    • वकील, गैर सरकारी संगठनों आदि की मदद लें।

ड्राइविंग लाइसेंस विवरण को अपडेट / परिवर्तित / नवीनीकृत करना

आप अपने ड्राइविंग लाइसेंस की जनसांख्यिकीय जानकारी को अपडेट करा सकते हैं, और ऐसा करने पर आपको एक नया कार्ड जारी किया जाएगा, जिसमें परिवर्तित जानकारियां होंगी। ड्राइविंग लाइसेंस विवरण कैसे अपडेट करें, यह समझने के लिए, यहां पढ़ें, और अपने ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण कैसे करें, यह समझने के लिए, यहां पढ़ें।

  • अपना नाम बदलना

    : यदि आप अपने निर्धारित लिंग को प्रतिबिंबित करने के लिए आप अपना नाम अपडेट करना चाहते हैं, तो आप अपना नया नाम आवेदन पत्र में भर सकते हैं। आपको अपने बदले हुए नाम के केंद्रीय / राज्य राजपत्र की एक प्रति और अन्य पहचान प्रमाण की एक प्रति को अपने साथ ले जानी चाहिए, जो आपके नए नाम की प्रमाणिकता दे सके।

  • लिंग विवरण बदलना

    : चूंकि ड्राइविंग लाइसेंस राज्यों द्वारा विनियमित होते हैं, अतः हो सकता है कि कहीं पर तीसरा लिंग (ट्रांसजेंडर) चुनने का विकल्प न हो, तो इस तरह के स्थिति में आप निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:

    • क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) या क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) से संपर्क करें और पूछें कि क्या किया जा सकता है
    • अपने पहचान का प्रमाण एक हलफनामे (affidavit) के रूप में लें, जिसमें आपका निर्धारित लिंग, आपका नया नाम इत्यादि लिखित हो।
    • वकीलों, गैर सरकारी संगठनों आदि की मदद लें।

क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) या क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) अधिकारी आपसे लिंग की पहचान या नाम बदलने के प्रमाण करने वाले दस्तावेज़ों की मांग कर सकते हैं, लेकिन वे आपका किसी भी प्रकार से उत्पीड़न नहीं कर सकते हैं, या लिंग सत्यापन की मांग मौके पर नहीं कर सकते हैं। यदि आपको किसी उत्पीड़न या भेदभाव का सामना करना पड़ा है, तो आपको ड्राइविंग लाइसेंस अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करनी चाहिए। अगर वे अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, तो आप वकीलों, गैर सरकारी संगठनों आदि की मदद इस प्रक्रिया को सहज बनाने के लिये कर सकते हैं, और साथ ही आप पुलिस में शिकायत दर्ज करा कर कार्रवाई कर सकते हैं।

आयु का प्रमाण

आपके पहचान प्रमाण के विभिन्न सरकारी दस्तावेज़ों के लिए, आपको अपने आयु के प्रमाण का एक दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा। आप जिस पहचान प्रमाण के लिए आवेदन कर रहे हैं, या उसे अपडेट करा रहे हैं, उसके लिए आप नीचे दी गई सूची में से किसी भी दस्तावेज का उपयोग कर सकते हैं:

आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट

  • जन्म प्रमाण-पत्र
  • मतदाता पहचान पत्र
  • आप जिसके लिए आवेदन कर रहे हैं, उसके आधार पर आप, पासपोर्ट, पैन कार्ड और आधार कार्ड में से, अन्य दो विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप आधार कार्ड के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो आप आवास प्रमाण के रूप में अपने पैन कार्ड या पासपोर्ट का उपयोग कर सकते हैं।
  • पैन कार्ड
  • किसी भी सरकारी बोर्ड/ मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई मार्कशीट
  • मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान द्वारा जारी फोटो पहचान पत्र, जिसमें जन्म तिथि दी गई हो

आधारपैन कार्ड और पासपोर्ट के लिए आवास प्रमाण की पूरी सूची के लिए यहां देखें।

मतदाता पहचान पत्र

  • जन्म प्रमाणपत्र
  • जन्म प्रमाण पत्र, उस मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान से जहां से आवेदक ने अंतिम शिक्षा प्राप्त की हो, या किसी भी अन्य मान्यता-प्राप्त शिक्षण संस्थान से जारी किया गया हो
  • कक्षा 10/12 मार्कशीट (यदि आपने वह ग्रेड पास किया है)
  • कक्षा 8 की मार्कशीट (यदि इसमें जन्मतिथि है)
  • कक्षा 5 की मार्कशीट (यदि इसमें जन्मतिथि है)
  • यदि व्यक्ति 10वीं पास नहीं है तो एक निर्धारित प्रारूप में, मां या पिता द्वारा इसकी घोषणा की जाए (उन मामलों में जहां माता या पिता ने, निर्वाचन आयोग के बूथ लेवेल ऑफिसर -बीएलओ/ इलेक्टोरल रेजिस्ट्रेशन ऑफिसर -ईआरओ/ असिस्टेंट इलेक्टोरल रेजिस्ट्रेशन ऑफिसर -एईआरओ के समक्ष स्वयं को सत्यापित किया हो); या
  • यदि व्यक्ति 10वीं कक्षा तक शिक्षित नहीं है और माता-पिता दोनों मृत हैं) संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच/ संबंधित नगर निगम/ संबंधित निगम समिति के सदस्य द्वारा आयु प्रमाण पत्र दिया जा सकता है।
  • कोई भी दूसरा सरकारी दस्तावेज जिसमें आयु का प्रमाण हो, जैस पासपोर्ट

ड्राइविंग लाइसेंस

  • विद्यालय प्रमाणपत्र
  • पासपोर्ट
  • जन्म प्रमाणपत्र
  • केंद्र/ राज्य सरकार या स्थानीय निकाय द्वारा जारी प्रमाणपत्र
  • मतदाता पहचान पत्र
  • पैन कार्ड
  • टैक्स कार्ड
  • अन्य प्रामाणिक दस्तावेज, जो ‘एम.एल.ओ’ द्वारा स्वीकार्य हो

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवासीय प्रमाण पत्र की पूरी सूची के लिए यहां देखें

पैन कार्ड

पैन (स्थायी खाता संख्या) एक पहचान प्रमाण है जो अनिवार्य रूप से करों को दर्ज करने के लिए आवश्यक है। इसे आयकर विभाग जारी करता है। आपके पैन कार्ड का विवरण नियोक्ता द्वारा वेतन हस्तांतरण, टीडीएस कटौती आदि के लिए और बैंक खाते खोलते समय बैंकों द्वारा भी मांगा जाता है। प्रारंभ में, आपको पैन नंबर के लिए आवेदन करना होगा। जब आपका पैन नंबर तैयार हो जाएगा, तो आपको कार्ड पर आपके पैन नंबर के विवरण के साथ एक पैन कार्ड दिया जाएगा। पैन के बारे में समझने और आपको इसकी आवश्यकता क्यों है यह जानने के लिए यहां पढ़ें।

नए पैन नंबर/कार्ड के लिए विवरण 

न नंबर या कार्ड के लिए आवेदन करना एक लागत-मुक्त प्रक्रिया है और आवेदन करते समय आपको अपना पूरा नाम, लिंग, जन्म तिथि, आवासीय पता आदि जैसे विवरण देने होंगे। ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से पैन नंबर के लिए आवेदन करने के बाद आप पैन कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं।

• नाम: यदि आपने अपने निर्धारित लिंग को प्रतिबिंबित करने के लिए अपना नाम बदल लिया है, तो आप अपना नया नाम आवेदन पत्र (पैन नंबर आवेदन पत्र (फॉर्म 49 ए) और पैन कार्ड आवेदन पत्र) में भर सकते हैं। आपको केंद्रीय/राज्य राजपत्र में अपने बदले हुए नाम और अन्य पहचान प्रमाण की एक कॉपी रखनी चाहिए, जो आवश्यकता पड़ने पर पैन केंद्र के अधिकारियों को आपके नए नाम की प्रमाणिकता दे सके।

• लिंग विवरण: नया पैन नंबर या कार्ड प्राप्त करते समय, आपके पास लिंग के लिए 3 विकल्प हैं “पुरुष”, “महिला” और “ट्रांसजेंडर” (तीसरा लिंग) हैं। यह विकल्प आपको पूरे भारत के सभी पैन केंद्रों और पैन नंबर आवेदन पत्र और पैन कार्ड आवेदन पत्र में उपलब्ध है।

पैन कार्ड विवरण अपडेट करना / बदलना 

आप अपने पैन कार्ड की डेमोग्राफिक जानकारी को अपडेट कर सकते हैं और ऐसा करने से आपको एक नया पैन कार्ड जारी किया जाएगा, जिसमें उसी पैन नंबर के साथ जानकारी को अपडेट कर दिया जाएगा। पैन कार्ड विवरण कैसे अपडेट करें, इसे विस्तार से समझने के लिए यहां पढ़ें। याद रखें कि एक बार पैन नंबर मिल जाने के बाद, इसे बदला नहीं जा सकता है। केवल पैन कार्ड के विवरण को अपडेट किया सकता है।

• अपना नाम बदलना: यदि आप अपने नाम को बदल कर अपने निर्धारित लिंग की पहचान को प्रतिबिंबित करना चाहते हैं, तो आप आवेदन पत्र में अपना नया नाम भर सकते हैं। आपको अपने परिवर्तित नाम के केंद्रीय / राज्य राजपत्र की एक कॉपी और किसी अन्य पहचान प्रमाण पत्र की एक कॉपी अपने साथ ले जानी चाहिए जो आपके नए नाम की प्रमाणिकता दे सके।

• लिंग विवरण बदलना: यदि आप अपना लिंग अपडेट करना चाहते हैं, तो आप दिए गए 3 विकल्प “पुरुष”, “महिला” और “ट्रांसजेंडर (तीसरा लिंग)” में से किसी एक विकल्प को चिह्नित कर सकते हैं। यह विकल्प आपको आवेदन पत्र में मिलेगा, जो पूरे भारत के सभी पैन केंद्रों में उपलब्ध है।

पैन केंद्र के अधिकारी आपसे लिंग पहचान का प्रमाण या नाम परिवर्तन का प्रमाण मांग सकते हैं, लेकिन वे आपको मौके पर किसी भी प्रकार के उत्पीड़न या लिंग सत्यापन के लिए विवश नहीं कर सकते। यदि आप किसी उत्पीड़न या भेदभाव का सामना करते हैं, तो आपको पैन अधिकारियों से शिकायत करनी चाहिए। यदि ये अधिकारी जवाब नहीं देते हैं, तो आप प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए वकीलों, गैर सरकारी संगठनों आदि की मदद ले सकते हैं और पुलिस में शिकायत दर्ज कराके कार्रवाई कर सकते हैं।

क्या चुनाव प्रचार के लिए सरकारी विज्ञापनों का इस्तेमाल किया जा सकता है?

सरकारी विज्ञापन का काम आमतौर पर जनता को उनके अधिकारों, कर्तव्यों और उनके हक़ के बारे में जानकारी देना है। इसके अलावा ये सरकारी नीतियों, कार्यक्रमों, सेवाओं और अवसरों के बारे में बताते हैं। लेकिन आचार संहिता के मकसद को पूरा करने के लिए, सरकारी विज्ञापन निष्पक्ष और राजनीतिक रूप से निष्पक्ष होने चाहिए। सरकारी विज्ञापनों के द्वारा किसी भी तरह से सत्ताधारी पार्टी (जिस पार्टी की सरकार है) के राजनीतिक हित को फायदा नहीं मिलना चाहिए।  

उदाहरण के लिए, 

  • सरकार की  बनाई  मिड-डे मील योजना का विज्ञापन करते समय, सत्ताधारी पार्टी इन विज्ञापनों का इस्तेमाल अपनी पार्टी के नेताओं और उम्मीदवारों के गुणगान के लिए नहीं कर सकती हैं। इन विज्ञापनों में पार्टी के नेताओं के नाम और उनका फोटो लगाना आचार-संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन है। 
  • कानून के तहत, राशन कार्ड धारकों को एलपीजी गैस पर सब्सिडी दी जाती है। सत्ताधारी दल इसे अपनी पहल बताकर प्रचार नहीं कर सकते हैं।  राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत सरकार को अनिवार्य रूप से लोगों को चावल 3 रुपये प्रति किलो की दर से और गेहूं 2 रुपये प्रति किलो की दर से देना होता है। इस योजन पर सत्ताधारी पार्टी यह दावा नहीं कर सकती कि यह उनकी योजना है और न ही इसका किसी भी तरह का विज्ञापन कर सकती हैं। 

चुनाव के दौरान, सत्ताधारी दल को नीचे बताई गई बातों को करना मना हैः

  • सताधारी पार्टी अपने चुनाव प्रचार में सरकारी विज्ञापनों के लिए आरक्षित सरकारी पैसे का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। 
  • सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से सत्ताधारी पार्टी की सकारात्मक छवि या दूसरी राजनीतिक पार्टी की नकारात्मक छवि को नहीं दिखाया जा सकता है। 

सरकारी विज्ञापन 

सरकारी विज्ञापनों में नीचे बताई गई बातों को करना मना हैः

  • सरकारी विज्ञापनों में सत्ताधारी पार्टी का नाम लेकर प्रचार करना 
  • सरकारी विज्ञापनों में विपक्षी दलों का नाम लेकर उनके विचारों या कामों की आलोचना करना 
  • सरकारी विज्ञापनों में अपनी पार्टी का राजनीतिक प्रतीक, चिन्ह या झंडा शामिल करना 
  • सरकारी विज्ञापनों की मदद से अपनी पार्टी या अपने उम्मीदवार के लिए आम जनता का समर्थन जुटाना 
  • सरकारी विज्ञापनों की मदद से अपनी पार्टी या नेताओं की वेबसाइटों के लिंक का प्रचार करना

सशस्त्र बलों के खिलाफ कोई मामला नहीं

जब तक केंद्र सरकार से कोई विशेष अनुमति न हो तब तक कोई भी सशस्त्र कर्मियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं कर सकता है। इस कानून के तहत, अगर किसी फौजी या सशस्त्र बलों के किसी व्यक्ति के खिलाफ उनके द्वारा किए गए अपराध के लिए अदालत में मामला दर्ज करना है, तो अदालत की कार्यवाही तभी हो सकती है जब केंद्र सरकार की अनुमति हो।

AFSPA के तहत सेना के जवानों के खिलाफ गिने-चुने मामले ही दर्ज किए गए हैं।

उदाहरण: चित्राक्षी के पति सुमेश् को सशस्त्र बलों के एक अधिकारी ने मार डाला है और वह इसके खिलाफ एक पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करना चाहती है। पुलिस थाना उसकी एफआईआर दर्ज करेगा, लेकिन अदालत में अपना मामला लड़ने के लिए उसे केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। केंद्र सरकार यानी गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने पर ही सशस्त्र बलों के अधिकारी के खिलाफ मुकदमा शुरू किया जा सकता है।

 

आधार कार्ड

आधार एक 12-अंकों की पहचान संख्या है, जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग है, जो भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (Unique Identification Authority of India, UIDAI) द्वारा, भारत के निवासियों को, उनके जनसांख्यिकीय और जीवसांख्यिकी (बायोमेट्रिक, biometric) सूचनाओं के आधार पर, एक सत्यापन प्रक्रिया को संतुष्ट करने के बाद, जारी किया गया है। आपको एक आधार नंबर एक कार्ड पर, आपके व्यक्तिगत विवरण, जैसे नाम, जन्मतिथि, पता आदि के साथ, दिया जाएगा, जो आमतौर पर अंग्रेजी भाषा में, और साथ ही राज्य की उस भाषा में, जहां आपका स्थायी पता है, रहता है।

आप आधार कार्ड को डाउनलोड कर सकते है, जिसे ई-आधार कहा जाता है, जो पासवर्ड-सुरक्षित एक वैध और सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ है, जो भौतिक आधार कार्ड जितना ही महत्व का है।

आपके पहचान की सूचनाएं और व्यक्तिगत विवरण गोपनीय हैं, और उन्हें प्राधिकरण द्वारा सुरक्षित रखा जाता है, उन्हें इस सूचनाओं को साझा करने की मनाही है, जब तक कि इसे कानूनी रूप से अधिकृत उद्देश्यों के लिए नहीं मांगा गया हो।

एक आधार संख्या यादृच्छिक (random) तौर पर उत्पन्न की जाती है। यह एक विशिष्ट संख्या है, जो दोबारा (डुप्लिकेट) किसी और की पहचान संख्या नहीं बन सकती है। वास्तव में आधार संख्या, पहचान का एक सुवाह्य (पोर्टेबल) प्रमाण, पूरे भारत में लागू है। फिर भी, सिर्फ आधार होने का यह मतलब नहीं है कि आप भारत के नागरिक हैं।

आधार को प्राथमिक पहचान पत्र के रूप में, बिना किसी अन्य दस्तावेज के, कई सरकारी कल्याणकारी योजनाओं, कार्यक्रमों, विभिन्न सहायकी (सब्सिडी), सुविधा और सेवाओं का लाभ उठाने के लिए, इस्तेमाल किया जा सकता है। आधार कार्ड का उपयोग, अन्य विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने के लिए, पहचान के प्रमाण, पते के प्रमाण, साथ ही उम्र के प्रमाण के रूप में भी किया जा सकता है।

कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी उम्र और लिंग का हो, और जो भारत का निवासी हो, वह स्वेच्छा से आधार संख्या प्राप्त करने के लिए अपना नामांकन कर सकता है। आपको एक ’निवासी’ (resident) माना जाता है, अगर आपने नामांकन (एनरॉलमेंट) आवेदन की तारीख से ठीक बारह महीनों पहले से, भारत में कम से कम 182 दिनों की अवधि के लिए, निवास किया है।

एक आधार नंबर, स्थायी रूप से एक विशिष्ट व्यक्ति के साथ जुड़ा हुआ है, और इसे किसी भी नवीकरण की आवश्यकता नहीं है। आप एक नया आधार कार्ड प्राप्त कर सकते हैं, या अपना आधार अपडेट कर सकते हैं। खोए हुए आधार कार्ड को पुनः प्राप्त करना भी संभव है। यदि आपको किसी अतिरिक्त सहायता और मदद की आवश्यकता है, तो कृपया यहाँ देखें

क्या कोई उम्मीदवार राजनीतिक विज्ञापनों के लिए सार्वजनिक संपत्ति का इस्तेमाल कर सकता है?

राजनीतिक पार्टियां या उम्मीदवारों को चुनावी विज्ञापनों के लिए सार्वजनिक संपत्तियों या स्थानों को इस्तेमाल करने की मनाही है।

चुनाव प्रचार के लिए, राजनीतिक पार्टियां और उम्मीदवारों को सार्वजनिक संपत्तियों या स्थानों की  दीवारों पर क्या करने की मनाही है:

  • दीवारों पर लिखना
  • कोई पोस्टर या कागज दीवार पर चिपकाना
  • कोई कटआउट, होर्डिंग, बैनर, झंडे आदि लगाना

सार्वजनिक संपत्तियों के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैंः

  • रेलवे स्टेशन, रेलवे फ्लाईओवर, बस स्टैंड, हवाई अड्डा, पुल, आदि 
  • सरकारी अस्पताल, डाकघर (पोस्ट ऑफिस) 
  • सरकारी बिल्डिंग, नगरपालिका बिल्डिंग आदि। 

अगर कोई राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार अपनी प्रचार सामग्री को किसी सार्वजनिक संपत्तियों पर लगाते हैं, तो यह आचार-संहिता (एमसीसी)  का उल्लंघन होगा।