चुनाव प्रचार-प्रसार के लिए धर्म का इस्तेमाल

आखिरी अपडेट May 6, 2024

कोई भी पार्टी या उम्मीदवार, ऐसा किसी भी तरह का प्रचार नहीं कर सकते, जिसके कारण किसी भी जाति या धार्मिक समुदाय के बीच तनाव या नफरत पैदा हो।

आदर्श-आचार संहिता(एम.सी.सी) किसी व्यक्ति या संगठन को चुनाव के दौरान किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी को जीत के लिए धर्म का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देती है, भले ही राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार से उनका कोई भी संबंध हो।
उदाहरण के लिए, धार्मिक/सांस्कृतिक संगठन, संघ या व्यक्ति किसी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार के पक्ष में या उसके खिलाफ प्रचार नहीं कर सकते हैं।

नीचे कुछ ऐसे काम दिए गए हैं, जिन्हे चुनाव प्रचार के दौरान करने की मनाही हैः

  • कोई भी धर्म का इस्तेमाल करते हुए मतदाताओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकता है।
  • कोई भी पार्टी या उम्मीदवार लोगो को ये कहकर वोट नहीं मांग सकते हैं, कि अगर वे उसे वोट नहीं देंगे, तो भगवान इसकी उन्हें सजा देगा।
  • कोई भी व्यक्ति अलग-अलग समूहों के लोगों के बीच मतभेद पैदा करने के लिए धर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकता है
  • कोई भी ऐसा कोई दुर्भावनापूर्ण बयान नहीं दे सकता है, जिससे किसी भी नेता के निजी जीवन पर हमला हो।
  • मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और दूसरे किसी भी पूजा स्थलों का इस्तेमाल किसी भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है।

यहां प्रचार के लिए धर्म का इस्तेमाल करके एमसीसी के उल्लंघन के कुछ उदाहरण दिए गए हैं, जैसे –

  • अगर मंदिर के प्रवेश द्वार के बाहर नेताओं की तस्वीरों की होर्डिंग लगाई जाती हैं।
  • किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा वोट पाने के लिए मंदिर के बाहर भिखारियों को पैसा दिया जाता है।

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