प्रचार-प्रसार के लिए धर्म का किस तरह प्रयोग किया जाता है?

आखिरी अपडेट Sep 26, 2022

कोई भी पार्टी या उम्मीदवार, ऐसे किसी भी तरह से प्रचार-प्रसार नहीं कर सकता जिसके चलते विभिन्न जातियों और धार्मिक समुदायों के बीच तनाव या नफरत पैदा हो।

आचार-संहिता (एम.सी.सी) किसी भी व्यक्ति या किसी संगठन को निरपेक्ष चुनाव के दौरान किसी उम्मीदवार या राजनीतिक दल की संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए धर्म का उपयोग करने की अनुमति नहीं देती है, भले ही उनका राजनीतिक दल/व्यक्तिगत उम्मीदवार से कोई भी संबंध क्यों न हो। उदाहरण के लिए, प्रचार-प्रसार के लिए कोई भी राजनीतिक दल, उम्मीदवार, धार्मिक/सांस्कृतिक संगठन, संस्था या कोई व्यक्ति, अपने राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों के पक्ष में या फिर उनके खिलाफ कोई बैठक, सम्मेलन, जुलूस, धार्मिक सभा आदि आयोजित नहीं कर सकते हैं।

कुछ निषिद्ध कार्य जो इस प्रकार हैं :

  • कोई भी धर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकता और ना ही कोई मतदाताओं की धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकता है।
  • कोई भी पार्टी या उम्मीदवार किसी को उकसा कर वोट नहीं मांग सकता है, कि अगर वे उन्हें वोट नहीं देते हैं तो भगवान या दैवीय शक्ति उसे धार्मिक सजा देंगे।
  • किसी भी व्यक्ति को लोगों के अलग-अलग समूहों के बीच असामंजस्य पैदा करने के लिए धर्म का उपयोग नहीं करना चाहिए। – किसी को भी कोई दुर्भावनापूर्ण बयान नहीं देना चाहिए जिससे किसी भी राजनेता के निजी जीवन पर हमला हो।
  • मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और अन्य पूजा स्थलों का इस्तेमाल किसी भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है।

चुनाव प्रचार के लिए धर्म का उपयोग करना आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन है। इसके कुछ उदाहरण हैं, अगर मंदिर के प्रवेश द्वार के बाहर राजनेताओं की तस्वीरों की होर्डिंग लगाई जाती हैं या अगर किसी राजनीतिक दल द्वारा वोट पाने के लिए मंदिर के बाहर भिखारियों को पैसा दिया जाता है।

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