आप हिंदू विवाह में तलाक की अर्जी कहां दाखिल कर सकते हैं?

आप और आपका जीवनसाथी दोनों फैमिली कोर्ट में केस फाइल कर सकते हैं। अलग-अलग अदालतें हैं जिन्हें फैमिली कोर्ट के रूप में जाना जाता है और जो तलाक के मामलों को निपटाती है। आप निम्नलिखित क्षेत्रों में फैमिली कोर्ट जा सकते हैं:

आपका विवाह स्थान

या तो आप या आपका जीवनसाथी तलाक के लिए उस क्षेत्र के न्यायालय में केस दायर कर सकते हैं जहां आपका विवाह समारोह हुआ था, यानी, जहां आपका विवाह हुआ था।

उदाहरण के लिए, यदि आपकी और आपके जीवनसाथी की शादी मुंबई में हुई है, तो आप मुंबई में फैमिली कोर्ट में केस दायर कर सकते हैं।

आपके जीवनसाथी का निवास

आप उस क्षेत्र के न्यायालय में मामला दायर कर सकते हैं जहां आपका जीवनसाथी रहता है। उदाहरण के लिए, यदि आप नई दिल्ली में रहने वाली अपनी पत्नी के खिलाफ मामला दर्ज कर रहे हैं, तो आप दिल्ली में फैमिली कोर्ट में मामला दर्ज कर सकते हैं।

आपका अंतिम निवास स्थान जहां आप एक साथ रहते थे 

या तो आप और आपका जीवनसाथी तलाक के लिए उस इलाके की अदालत में फाइल कर सकते हैं जहां आप दोनों आखरी बार साथ रह रहे थे । उदाहरण के लिए, यदि आप और आपकी पत्नी पिछली बार दिल्ली में एक साथ रहते थे, तो आप दोनों में से किसी के पास नई दिल्ली में फैमिली कोर्ट जाने का विकल्प है।

आपका निवास स्थान

पत्नी 

अगर आप अपने पति के खिलाफ तलाक का केस फाइल कर रही हैं तो आप जिस इलाके में रह रही हैं उस इलाके की कोर्ट जा सकती हैं।

उदाहरण के लिए, यदि आप बेंगलुरु में रह रही हैं, तो आप अपने पति के खिलाफ बेंगलुरु के फैमिली कोर्ट में मामला दायर कर सकती हैं, भले ही आपका पति वहां नहीं रह रहा हो।

दोनों 

यदि आपका जीवनसाथी विदेश चला गया है तो आप इसे अपने निवास स्थान पर दाखिल कर सकते हैं।

हालांकि, कोर्ट में केस फाइल करते समय कृपया अपने वकील से सलाह लें।

इस्लामी निकाह के लिए आवश्यक शर्तें क्या हैं?

निकाह को वैध बनाने के लिए कुछ जरूरी कदम हैं जिनका पालन आवश्यक है :

प्रस्ताव और स्वीकृति

वैध निकाह के लिए एक व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से एक प्रस्ताव रखा जाना चाहिए और इसे दूसरे द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए।

सहमति

वैध निकाह के लिए सहमति एक बहुत ही महत्वपूर्ण मापदंड है और यह मापदंड अलग-अलग सम्प्रदायों की कानूनी विचारधाराओं के अनुसार बदल जाता है।

गवाह

गवाह वे लोग हैं जो निकाह में उपस्थित होते हैं और यह बता सकते हैं कि निकाह हुआ था। एक वैध इस्लामी निकाह के लिए यह एक महत्वपूर्ण आवश्यकता हैं।

निषिद्ध संबंध

एक परिवार और विस्तारित परिवार के भीतर कुछ रिश्ते निषिद्ध होते हैं, अर्थात, रीति रिवाजों के हिसाब से जो रिश्ते निषिद्ध हैं उनसे निकाह नहीं किया जा सकता। इस्लामिक कानून में कुछ सख्त निषेध रिश्तें हैं जिनका पालन करना ज़रूरी है।

गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त बच्चे

एक बच्चे को गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित करने पर ऐसे बच्चों को गैर-धार्मिक कानून के तहत गोद लेने के लिए रखा जा सकता है, जिससे उस बच्चे का अपने असली माता-पिता के साथ कानूनी संबंध ख़त्म हो जाता है।

बाल कल्याण समिति (सी.डब्ल्यू.सी) एक बच्चे को गोद लेने के लिए मुक्त घोषित करने का निर्णय लेती है, इसके बाद: यह पूछताछ करती है, जिसमें निम्न बिंदु शामिल हैं:

• परिवीक्षा अधिकारी/सामाजिक कार्यकर्ता से प्राप्त एक रिपोर्ट,

• बच्चे की सहमति (अगर वे काफी बड़े हैं),

• जिला बाल संरक्षण इकाई और बाल देखभाल संस्थान या विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी, आदि द्वारा प्रस्तुत आवश्यक घोषणा-पत्र।

बच्चों को गोद लेने के लिए उनके निम्नलिखित श्रेणियों को कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया जा सकता हैः

अनाथ: बिना माता-पिता (असली या सौतेला) या वैध अभिभावक के बिना बच्चे, या वे बच्चे जिनके वैध अभिभावक उसकी देखभाल करने में सक्षम या इच्छुक नहीं हैं।

परित्यक्त बच्चे: माता-पिता (जैविक या दत्तक) या अभिभावकों द्वारा त्याग दिए गए बच्चे, और जिन्हें बाल कल्याण समिति द्वारा परित्यक्त बच्चा घोषित किया गया हो।

त्याग दिए गए बच्चे: वे बच्चे जिन्हें माता-पिता/अभिभावक द्वारा छोड़ दिया गया हो, और बाल कल्याण समिति द्वारा सरेंडर किए गए बच्चे घोषित किया गया हो।

• मानसिक रूप से कमजोर या मंद बुद्धि वाले माता-पिता का बच्चा।

यौन हमले से पीड़ितों की अनचाही संतान।

‘आपराधिक प्रक्रिया संहिता’ (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसेड्यूर) के तहत भरण-पोषण

‘आपराधिक प्रक्रिया संहिता’ की धारा 125 के तहत यदि पर्याप्त संसाधनों वाला कोई व्यक्ति अपने माता-पिता को, जो अपने भरण-पोषण के लिये स्वयं को असमर्थ पाते हैं, उनकी देखभाल करने से मना करता है या अनदेखा करता है तो प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति को भरण-पोषण के लिए उन्हें मासिक भत्ता देने के लिए आदेश दे सकता है।

हिंदू विवाह का पंजीकरण

हिंदू विवाह अधिनियम, धारा 8 में हिंदू कानून कहता है कि राज्य सरकार विवाहों के पंजीकरण से संबंधित नियम बना सकती है। एक हिंदू मैरिज रजिस्टर है, जिसमें शादियों को दर्ज किया जाता है, लेकिन सिर्फ इस आधार पर कि आपकी शादी इसमें दर्ज नहीं है इसका मतलब यह नहीं है कि आपका विवाह अमान्य है। यदि आप नीचे दी गई तालिका पर नज़र डालें, तो आप देख सकते हैं कि हिंदू विवाहों के लिए प्रत्येक राज्य के अपने नियम हैं।

पति के लापता होने के कारण इस्लाम में तलाक

इस्लामिक कानून के तहत पति के लापता होने पर तलाक का प्रावधान है।

यदि आप 4 साल की अवधि तक यह नहीं जानती हैं कि आपका पति कहां है तो आप तलाक के लिए फाइल कर सकती हैं

अवैध बाल विवाह

बाल विवाह कानून के तहत कुछ मामलों में विवाह पूरी तरह से अवैध होगा और यह माना जायेगा कि यह विवाह कभी क्रियान्वित हुआ ही नहीं था। इसके उदाहरण इस प्रकार हैं:

1. जब शादी के लिए बच्चे का अपहरण किया गया हो।

2. जब किसी बच्चे को शादी के लिए बहलाया-फुसलाया गया हो।

3. जब किसी बच्चे को:

  • विवाह के उद्देश्य से बेच दिया गया हो
  • विवाह के बाद बेच दिया गया हो या उसकी तस्करी की गई हो

4. अगर कोर्ट ने बाल विवाह के खिलाफ आदेश दिया होलेकिन विवाह फिर भी घटित हो.

विवाह रजिस्ट्रार द्वारा विवाह की क्या प्रक्रिया है?

विवाह रजिस्ट्रार द्वारा किया गया विवाह 4 चरणों में विभाजित होता है:

चरण 1: प्रारंभिक सूचना जारी करना

यदि कोई जोड़ा विवाह रजिस्ट्रार द्वारा विवाह करवाना चाहता है, तो उनमें से एक को उस जिले के रजिस्ट्रार को व्यक्तिगत रूप से नोटिस देना होगा, जिसमें वह रहते हैं । यदि वे अलग-अलग जिलों में रहते हैं, तो दोनों जिलों के रजिस्ट्रारों को नोटिस दिया जाएगा। नोटिस में, निर्धारित प्रारूप में विवाह करने के उनके इरादे का उल्लेख होना चाहिए, और निम्नलिखित का भी उल्लेख होना चाहिए।

• विवाह करने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति का नाम और उपनाम, और पेशा,

• उनमें से प्रत्येक का वर्तमान पता,

• वह समय जिसके दौरान प्रत्येक पक्ष उक्त पते पर उपस्थित रहा हो। यदि कोई व्यक्ति वहां एक महीने से अधिक समय से रह रहा है, तो उन्हें केवल यह बताने की जरूरत है।

• वह स्थान जहां विवाह संपन्न होगा।

नीचे एक नमूना नोटिस दिया गया है:

Sample notice of marriage

नोटिस रजिस्ट्रार द्वारा कार्यालय में एक प्रमुख स्थान पर चिपकाया जाएगा, और कार्यालय में रखी विवाह सूचना पुस्तिका में इसे दर्ज किया जाएगा।

चरण 2: नोटिस की प्राप्ति का प्रमाण-पत्र जारी करना

रजिस्ट्रार द्वारा नोटिस प्राप्त करने के कम से कम चार दिनों के बाद, विवाह के इच्छुक पक्षों में से एक को यह कहते हुए रजिस्ट्रार के समक्ष शपथ लेनी होगी कि विवाह करने में कोई कानूनी समस्या नहीं है, और वे रजिस्ट्रार कार्यालय के जिले के भीतर रहते हैं। यदि दोनों पक्षों में से एक नाबालिग है, तो उनमें में से एक को यह कहते हुए शपथ लेनी होगी कि आवश्यक कदम उठाए गए हैं। नाबालिग की विवाह की विशेष प्रक्रियाओं के बारे में अधिक जानने के लिए, ईसाई कानून के तहत नाबालिगों के विवाह पर हमारे लेख को पढ़ें।

इस तरह की घोषणा के बाद, रजिस्ट्रार निर्धारित प्रारूप में दोनों पक्षों को एक प्रमाण-पत्र जारी करेगा, और उनका विवाह किसी भी रजिस्ट्रार द्वारा या रजिस्ट्रार की उपस्थिति में, प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के दो महीने के भीतर किया जा सकता है। नोटिस की प्राप्ति के प्रमाण-पत्र का एक नमूना नीचे दिया गया है-

चरण 3: विवाह संपन्न करना 

प्राप्त प्रमाण-पत्र विवाह के समय रजिस्ट्रार के सामने प्रस्तुत किए जाने चाहिए। विवाह या तो स्वयं रजिस्ट्रार द्वारा या ऐसा करने के लिए अधिकृत कोई अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाएगा। विवाह समारोह में रजिस्ट्रार के अलावा दो गवाहों को शामिल होना चाहिए। यदि प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के दो महीने बीत चुके हैं, तो पूरी प्रक्रिया को एक नए नोटिस के साथ फिर से शुरू करना होगा।

चरण 4: विवाह का पंजीकरण 

विवाह संपन्न होने के बाद, विवाह का विवरण रजिस्ट्रार द्वारा निर्धारित प्रारूप में एक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। प्रविष्टि पर उस रजिस्ट्रार द्वारा या जिसने विवाह संपन्न कराया था (यदि विवाह रजिस्ट्रार के अलावा, किसी अन्य के द्वारा संपन्न किया गया था) उसके द्वारा, विवाह के दोनों पक्षों द्वारा और समारोह में शामिल हुए दो गवाहों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे।

विवाह रजिस्टर में एक प्रविष्टि की प्रमाणित प्रति, जिसकी अभिरक्षा में रजिस्टर रखा गया है, उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित, साक्ष्य के रूप में कार्य करेगा कि प्रविष्टि में उल्लिखित व्यक्तियों का विवाह कानून के अनुसार हुआ है। विवाह रजिस्ट्रार को निर्धारित शुल्क का भुगतान करने पर, कोई भी व्यक्ति उस विवाह रजिस्टर का निरीक्षण कर सकता है, जो उक्त रजिस्ट्रार की अभिरक्षा में है।

क्रूर व्यवहार और हिंदू विवाह कानून

क्रूर व्यवहार करना हिंदू विवाह कानून के तहत तलाक का कारण है। क्रूरता वह व्यवहार या आचरण है जो आपको परेशान करता है। क्रूरता दो रूपों में हो सकती है:

शारीरिक 

• अगर आपका जीवनसाथी आपको कोई शारीरिक नुकसान पहुंचाकर शारीरिक रूप से आहत करता है, तो आप तलाक के लिए कोर्ट में जा सकते हैं। इस तरह का व्यवहार शारीरिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। कोर्ट में इसे साबित करना आसान होता है।

मानसिक

• यदि आपका जीवनसाथी अपने आचरण या शब्दों के कारण आपको मानसिक रूप से परेशान कर रहा है, तो इस प्रकार का व्यवहार मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। उदाहरण के लिए, यदि आपका जीवनसाथी आपको गाली देता है या आपका जीवनसाथी आपके दोस्तों और सहकर्मियों आदि के सामने आपकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है। मानसिक क्रूरता को शारीरिक क्रूरता की तुलना में न्यायालय में साबित करना अधिक कठिन है।

क्रूरता का कार्य लिंग-तटस्थ है, जिसका अर्थ है कि पति पत्नी के खिलाफ क्रूरता का मामला दर्ज कर सकता है और इसके विपरीत भी हो सकता है।

 

इस्लामी कानून के तहत निषिद्ध संबंध कौन-कौन से हैं?

कानून के तहत कुछ रिश्ते प्रतिबंधित हैं। इसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति कुछ विशेष प्रकार के रिश्तेदारों से निकाह नहीं कर सकता है।

खून के रिश्ते

आप अपनी मां, दादी, नानी, बेटी, पोती, नातिन, बहन, भतीजी, भांजी, पर-भतीजी, पर-भांजी, मौसी, या बुआ से निकाह नहीं कर सकते। आप किसी ऐसे व्यक्ति से भी निकाह नहीं कर सकते जो ऐसे रिश्तेदारों के माध्यम से आपसे जुड़ा हो। जैसे, आप अपनी परपोती से निकाह नहीं कर सकते।

निकाह के माध्यम से रिश्तेदार

दूसरी, तीसरे या चौथे निकाह के मामले में आप अपनी पत्नी की माँ / दादी/ नानी, पत्नी की बेटी / पोती/ नातिन, बेटे की पत्नी से निकाह नहीं कर सकते।

धाय के माध्यम से रिश्तेदार

खून के रिश्तों और निकाह के माध्यम से निषिद्ध सभी संबंध धाय संबंधों पर भी लागू होते हैं। जैसे, एक आदमी अपनी धाय माँ की बेटी से निकाह नहीं कर सकता।