बच्चे को गिरफ्तार करना

बाल अपराधी को गिरफ्तार करते समय पुलिस को कुछ नियमों का पालन करना होता है। वे इस प्रकार है:

• जब पुलिस किसी बच्चे को गिरफ्तार करती है तो उसे न हथकड़ी लगाई जा सकती है और न ही उस पर बल का प्रयोग किया जा सकता है।

• पुलिस अधिकारी को तुरंत माता-पिता या अभिभावकों को सूचित करना चाहिए।

• पुलिस अधिकारी को बच्चे को जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड का स्थान बताना होगा, जहां उसे ले जाया जाएगा।

 

बाल अपराधों का प्रारंभिक मूल्यांकन

16 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे द्वारा घोर अपराध किए जाने पर प्रारंभिक मूल्यांकन किया जाता है। यह एक प्रयास है जो यह जानने के लिए किया जाता है कि बच्चे अपने द्वारा किए गए अपराधों के परिणामों को सरलता से समझ सकते हैं या नहीं। यदि बाल अपराधी अपने द्वारा किए गए अपराध की गम्भीरता को समझने में सक्षम है तो उनके साथ वयस्कों जैसा व्यवहार किया जाएगा। बोर्ड निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक और एक्सपर्ट की सहायता ले सकते हैं। लेकिन जांच तीन महीनों में अवश्य पूरी हो जानी चाहिए।

बाल अपराधों का प्रारंभिक मूल्यांकन

16 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे द्वारा घोर अपराध किए जाने पर प्रारंभिक मूल्यांकन किया जाता है। यह एक प्रयास है जो यह जानने के लिए किया जाता है कि बच्चे अपने द्वारा किए गए अपराधों के परिणामों को सरलता से समझ सकते हैं या नहीं। यदि बाल अपराधी अपने द्वारा किए गए अपराध की गम्भीरता को समझने में सक्षम है तो उनके साथ वयस्कों जैसा व्यवहार किया जाएगा। बोर्ड निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक और एक्सपर्ट की सहायता ले सकते हैं। लेकिन जांच तीन महीनों में अवश्य पूरी हो जानी चाहिए।

 

बाल न्यायालय

यदि बोर्ड यह निर्णय लेता है कि प्रारंभिक मूल्यांकन के बाद बच्चे पर एक वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाना चाहिए, तो वह मामले को बाल न्यायालय में भेजता है। बाल न्यायालय एक मौजूदा सत्र न्यायालय हो सकता है जो बाल-विशिष्ट कानूनों या किशोर न्याय(जेजे)अधिनियम के तहत अपराधों से निपटने के लिए स्थापित किया गया है। बाल न्यायालय तब दो चीजों में से एक कर सकता है:

बोर्ड निर्णय ले सकता है कि बच्चे पर मुकदमा वयस्क की तरह चलाया जाना चाहिए और फिर अंतिम निर्णय देना चाहिए। जबकि बाल न्यायालय आम तौर पर जघन्य/अतिदुष्ट अपराध के लिए अधिकतम सजा (3 साल से अधिक की सजा) पारित कर सकता है, यह रिहाई की संभावना के बिना बच्चे को मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा नहीं दे सकता है।

बोर्ड यह निर्णय कर सकता है कि बच्चे पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की आवश्यकता नहीं है और बोर्ड पहले की तरह जांच पूरी कर सकता है और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 18 के तहत आदेश पारित कर सकता है।

सभी मुकदमों में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोर्ट का माहौल बच्चों के अनुकूल हो। यदि मुकदमे के दौरान उन्हें कानूनी हिरासत में लिया जाना है तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उसे एक सुरक्षित स्थान पर रखा जाए। यदि पाया जाता है कि बच्चेे जघन्य /अतिदुष्ट अपराध में सम्मिलित है तो 21 का होने तक उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखा जाए इसके बाद में उन्हें जेल भेजा जाए। उनके यहां रहने तक उनकी शिक्षा और कौशल विकास की व्यवस्था होनी चाहिए।

दोषी बच्चों को सजा

छोटे अपराधों और गंभीर अपराधों के लिए दंड:

• बच्चे को कड़ी चेतावनी देना, फिर माता-पिता की काउंसलिंग करने के बाद उन्हें घर जाने देना।

• बच्चे को ग्रुप काउंसलिंग में भाग लेने का आदेश देना।

• बच्चे को पर्यवेक्षित सामुदायिक सेवा करने का आदेश देना।

• बच्चे के माता-पिता या अभिभावकों को जुर्माना भरने का आदेश देना।

• बच्चे को प्रोबेशन पर रिहा करना। माता-पिता या अभिभावकों को 3 साल तक के लिए एक बॉन्ड का भुगतान करना होगा, जो उन्हें बच्चे के व्यवहार के लिए जिम्मेदार बनाता है। यह जिम्मेदारी किसी ‘उपयुक्त व्यक्ति’ या ‘उपयुक्त व्यवस्था’ को भी सौंपी जा सकती है, जैसे कोई व्यक्ति, सरकारी संस्था या एन जी ओ आदि, जो बच्चे की जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए तैयार हो।

• बच्चे को 3 साल तक के लिए स्पेशल होम में भेजना।

यदि बोर्ड को लगता है कि बच्चे को स्पेशल होम में रखना उनके सर्वोत्तम हित या उस होम में अन्य बच्चों के सर्वोत्तम हित के विरुद्ध होगा, तो बच्चे को सुरक्षित स्थान पर भेजा जा सकता है। बोर्ड बच्चे को स्कूल या व्यावसायिक प्रशिक्षण में भाग लेने का आदेश दे सकता है, या बच्चे को एक किसी विशेष स्थान पर जाने से भी रोक सकता है।

कानून यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करता है कि बच्चों का पुनर्वास किया जाए और इसके लिए बोर्ड या बच्चों की न्यायालय इंडिविजुअल केयर प्लान का गठन करती है। इंडिविजुअल केयर प्लान एक विकास प्लान है जो स्वास्थ्य, पोषण, भावनात्मक और शैक्षिक संबंधित मुद्दों पर काम करता है।

बच्चों का रिहेब्लिटेशन (पुनर्वास)

रिहेब्लिटेशन (पुनर्वास) का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि एक बच्चे को उनके माता-पिता या अभिभावक की देखरेख में वापस भेजा जा सके।

यदि यह संभव नहीं है, तो अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे को बाल देखभाल संस्थान की देखरेख में रखा जाए जिसे किशोर न्याय अधिनियम के तहत मान्यता प्राप्त है। इन संस्थानों में बच्चों के पुनर्वास में मदद करने के लिए कई सेवाएं हैं।

जब बच्चे 18 वर्ष के हो जाते हैं तब बच्चे की संबंधित संस्थान के प्रति जिम्मेदारी समाप्त नहीं हो जाती। जो बच्चे संस्थान को छोड़ते हैं वे समाज में अपनी स्थिति सुदृढ़ कर सके इसके लिए संस्थान द्वारा उन्हें वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।

जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड

जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड वह निकाय है जो उन बच्चों के साथ डील करता है, जो किसी अपराध के आरोपी हैं। इन निकायों से अपेक्षा की जाती है, वे निम्नलिखित बातों से उन बच्चों की मदद करें, जिन्होंने अपराध किया है।

• बच्चों को कम से कम डराया-धमकाया जाए और उनके साथ चाइल्ड-फ्रेंडली रीति से व्यवहार किया जाए।

• यह सुनिश्चित करना कि बच्चे को पूरी तरह से सूचित किया गया है ताकि वे कानूनी प्रक्रिया में भाग ले सकें।

• बच्चे के लिए कानूनी सहायता तक पहुंच सुनिश्चित करना।

• यदि बच्चे को समझ में न आने वाली भाषा में कार्यवाही हो रही है तो अनुवादक/दुभाषिया उपलब्ध कराना।

• मामले में बाल कल्याण समिति को शामिल करके अपराध करने वाले बच्चे की देखभाल करना।