आयकर क्या है?
‘आयकर’ भारत सरकार द्वारा प्रत्येक व्यक्ति की आय पर लगाया जाने वाला कर है। आयकर को नियंत्रित करने वाले कानूनी प्रावधान आयकर अधिनियम, 1961 में शामिल हैं। आयकर को समझने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना होगा जैसे:
कर भरने वाले व्यक्ति
प्रत्येक व्यक्ति को आयकर का भुगतान करना पड़ता है। आयकर कानून के तहत व्यक्ति, अविभाजित हिन्दू परिवार आदि को शामिल करने के लिए ‘व्यक्ति'(1) शब्द को परिभाषित किया गया है। अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।
कर योग्य आय या इनकम की गणना करना
आय कर विभाग आपकी आय के आधार पर कर लगाता है जैसे कि वेतन आदि से होने वाली आय पर। इसी तरह की स्रोतों से की गई गणना के कुल आय को सकल कुल आय कहा जाता है। इस राशि की कटौती आपके ही वेतन आदि से की जाती है। अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें।
कर रहित संस्थाएं और आय
कुछ प्रकार से होने वाली आय और कुछ संस्थाओं को कर में छूट दी गई है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि, ऐसी विशेष आय और संस्थाओं पर आयकर नहीं लगाया जाएगा। इसमें कुछ उदाहरण के तौर पर जैसे कि कृषि से होने वाली आय, उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति से होने वाली आय आदि शामिल हैं। अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।
कर से सम्बंधित कटौतियां
यह कटौती एक व्यय है जिसे किसी व्यक्ति की सकल कुल आय में से घटाया जाता है ताकि उस राशि को कम किया जा सके जिस पर कर लगाया जा रहा है। यह कटौती होने वाली आय की राशि से कम, ज्यादा या उसके बराबर हो सकती है। यदि यह कटौती होने वाली आय की राशि से अधिक है तो परिणामी राशि को कर की गणना करते समय नुकसान के रूप में लिया जाएगा। व्यक्तियों के लिए कुछ कटौतियां में होम लोन के रूप में लिए गए, उच्च शिक्षा के कारण लिए गए लोन से होने वाली आय आदि भी शामिल हैं। अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें।
कर वसूली
सरकार द्वारा निम्न माध्यमों से कर वसूल किए जाते हैं:
भारतीय बैंकों के माध्यम से
करदाता प्राधिकृत बैंकों में स्वयं जाकर स्वेच्छा से इनकम टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, करदाता बैंकों की अधिकृत शाखाओं जैसे आई.सी.आई.सी.आई बैंक, एच.डी.एफ.सी बैंक, सिंडिकेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, आदि में एडवांस टैक्स और सेल्फ-असेसमेंट टैक्स का भुगतान कर सकते हैं।
स्रोत पर कर कटौती [टीडीएस]
जब व्यक्ति की पहली या मूल आय के स्रोत से ही कर लिया जाता है, तो इसे ‘स्रोत पर कर कटौती’ या टी.डी.एस. के रूप में जाना जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि आप किसी कंपनी में एक रखरखाव शुल्क अर्जित करने वाले पेशेवर व्यक्ति हैं, तो जब कंपनी आपको सैलरी देगी तो, उसमें से आपकी कंपनी द्वारा कर के रूप में एक निश्चित राशि की कटौती की जाएगी। कंपनी काटे गए उस पैसे को सरकार के पास जमा कराएगी। जिस व्यक्ति का टी.डी.एस. काटा गया है, उसे 26AS फॉर्म या टी.डी.एस. प्रमाणपत्र मिलेगा। यह फॉर्म या सर्टिफिकेट उस व्यक्ति को उसकी संस्था देगी या कटौती करने वाले व्यक्ति द्वारा दिया जाएगा।
उदाहरण के लिए, XYZ कंपनी अमन को उसका मासिक वेतन देने से पहले कर के रूप में एक राशि काट लेगी और फिर वह कंपनी अमन को टी.डी.एस. प्रमाणपत्र देगी।
टैक्स फाइल करते समय करदाता के पास पैन कार्ड और आधार कार्ड होना अनिवार्य है।
Karan Nigam
May 31, 2024
Badhiya likha hai