आचार-संहिता(एमसीसी) सभी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी लागू होती है। सोशल मीडिया की पांच श्रेणियों को आचार-संहिता के अन्दर नियंत्रित किया जाता हैः
- कोलैबॉरेटिव प्रॉजेक्ट (जैसे कि विकिपीडिया)
- ब्लॉग और माइक्रोब्लॉग (जैसे कि एक्स पुराना नाम ट्विटर)
- कंटेंट कम्युनिटी (जैसे यूट्यूब)
- सोशल नेटवर्किंग साइट्स (जैसे फेसबुक)
- वर्चुअल गेम्स (जैसे गेम्स के ऐप और वेबसाइट)
राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों को सोशल मीडिया में विज्ञापन करते समय इन नियमों को मानना होता हैंः
जानकारी देना
नामांकन दाखिल करते समय उम्मीदवारों को फॉर्म सं.26 भरना होता है। इस फॉर्म में उम्मीदवार से जुड़ी जानकारी जैसे ईमेल आईडी, सोशल मीडिया अकाउंट आदि होती हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उम्मीदवार अपने सभी ओरिजनल सोशल मीडिया अकाउंट को बता सकें।
विज्ञापनों का पूर्व-प्रमाणीकरण (पहले जांच करवाना)
जिला और राज्य स्तर पर ‘मीडिया प्रमाणीकरण और निगरानी समिति’ होती हैं। इस समिति से सभी सोशल मीडिया विज्ञापनों को प्रकाशित करने से पहले प्रमाणित/जांच कराना जरूरी होता है। इस समिति की जांच के बाद ही कोई विज्ञापन किसी भी ऑनलाइन सोशल मीडिया फोरम पर दिखाया जा सकता है।
खर्च
सभी पाटियों और उम्मीदवारों को सोशल मीडिया विज्ञापनों पर होने वाले खर्च को बताना होता है। साथ ही उन्हें मीडिया विज्ञापनों से जुड़े सभी खर्चाे (कंटेंट को बनाने का खर्च, वेतन का खर्च और प्रचार से जुड़ा खर्च ) को लिखित में रखने की जरूरत होती है।