चुनाव प्रचार के दौरान रेडियो विज्ञापनों को कैसे नियंत्रित किया जाता है?

आखिरी अपडेट May 7, 2024

राजनीतिक पार्टियां और उम्मीदवार अपने विज्ञापन को रेडियो में प्रसारित कर सकते हैं। सभी जिलों और राज्यों के हर एक रेडियो पर प्रसारित विज्ञापनों पर ‘मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति’ (एमसीएमसी)  की निगरानी होती है।  वे एफ.एम.चैनलों पर सुनाई देने वाले  सभी राजनीतिक पार्टियों के रेडियो जिंगल पर निगरानी रखते हैं । निगरानी का कारण आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को रोकना होता है। रेडियो जिंगल इन बातों पर नहीं हो सकते हैं: 

  • राजनेताओं के निजी जीवन की आलोचना पर 
  • धार्मिक समुदायों पर कोई हमला 
  • अश्लील/अभद्र और अपमानजनक सूचक  
  • हिंसा भड़काने वाला 
  • भारत की अखंडताए एकता और संप्रभुता को नुकसान करने वाला 

एफ.एम. चैनलों पर नज़र रखने के लिए एक रजिस्टर  बनाकर, उन चैनलों का नाम और संख्या खास तौर से लिखी जाती है। हर एफ.एम. चैनल को 30 मिनट के समय में सुनने के लिए दो अधिकारियों को रखा जाता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई राजनीतिक पार्टी किसी दूसरे पार्टी या उम्मीदवार का मजाक उड़ा रही है, तो एमसीएमसी उसे हटाने या वापस लेने का आदेश देगी।

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