LGBTQ+ समुदाय में प्रणय और रिश्ते

18 वर्ष की आयु से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को प्यार करने का और किसी के साथ भी यौन संबंध रखने का अधिकार है, वह भी किसी लिंग के परे। इसके पहले, एक ही लिंग के दो व्यक्तियों में आपसी सहमति के बाद भी, यौन क्रियाओं में संलग्न होना कानूनन दंडनीय अपराध था, जिसमें जेल की सज़ा और जुर्माना दोनों ही हो सकते थे। सन् 2018 के बाद इस प्रकार की यौन क्रियाएं, भारतीय कानून के तहत, दंडनीय नहीं हैं। अब आपको न कोई परेशान कर सकता है, न चोट पहुंचा सकता है, न पुलिस से शिकायत कर सकता है, ना ही आपको जेल भेजा जा सकता है, प्रताड़ित किया जा सकता है, और ना ही आप पर किसी प्रकार की हिंसा की जा सकती है:

आपके यौन अभिविन्यास के चलते

इसका मतलब यह है कि आपका लैंगिक आकर्षण किसी भी लिंग के व्यक्ति के प्रति होने के चलते आप पर कोई हिंसा नहीं की जा सकती है, चाहे वह व्यक्ति जिसके प्रति आप आकर्षित हैं वह आपके लिंग का हो, या तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) का। आप निम्नलिखित कार्यों के लिये स्वछंद हैंः

  • आप किसी भी लिंग के साथी के साथ प्यार करें, और उसके साथ रिश्ते में रहें।
  • आप किसी भी लिंग के साथी के साथ, उसकी सहमति से, यौन क्रियाओं में भाग लें।
  • आप अपने साथी के साथ, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर, बिना किसी डर के, स्वतंत्र रूप से घूमें।

आपकी अपनी लिंग पहचान

आपको यह अधिकार है कि आप अपने स्वयंनिर्धारित लिंग से पहचाने जाएं। सन् 2014 के बाद, न्यायालय ने यह माना है कि आपको “पुरुष” और “महिला” के अलावा, खुद को “तीसरे लिंग” (ट्रांसजेंडर) की श्रेणी में रखने का, और उसी लिंग से पहचाने जाने का भी अधिकार है। कानून के अनुसार, तीसरे लिंग की श्रेणी में स्वयं को पहचाने जाने के लिए आपको लिंग सकारात्मक चिकित्सा (जेंडर एफर्मेटिव थेरापी) कराने की ज़रूरत नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि आप शारीरिक रूप से एक महिला पैदा हुई हैं, लेकिन आप वास्तव में खुद को एक पुरुष मानते हैं तो आपको अपने को इसी लिंग से पहचाने जाने का पूरा अधिकार है।

तीसरे लिंग की श्रेणी के तहत पहचाने जाने के लिए, आप अपना नाम बदल सकते हैं, और नये पहचान दस्तावेज बनवा सकते हैं जो आपके स्वयंनिर्धारित लिंग को दर्शाए।

अगर आपको कोई प्रताड़ित करता है, चाहे वह पुलिस हो, आपके माँ-बाप हों, या कोई और व्यक्ति हो, तो आपको उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करनी चाहिए क्यों कि आपको, बिना किसी अन्य के दखलअंदाज़ी के, अपनी ज़िंदगी जीने का अधिकार है।

LGBTQ+ व्यक्ति को उत्पीड़न और हिंसा की संभावनाएं

आपको निम्नलिखित कारणों के चलते कई तरह के उत्पीड़न या हिंसा का सामना करना पड़ सकता है:

  • अपनी लिंग पहचान के लिए, जब आपको विशेष रूप से, जन्म में मिले लिंग से अलग स्वयंनिर्धारित लिंग से पहचाने जाने के चलते तंग किया जाएः उदाहरण के लिए, पुलिस द्वारा तीसरे लिंग के (ट्रांसजेंडर) व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और उन्हें परेशान करने के लिए, बहुत बार भिखारी विरोधी कानूनों का उपयोग किया जाता है।
  • अपने यौन अभिविन्यास के अनुरूप, आपकी यौन प्राथमिकता और आपके साथी के चयन विकल्प के चलते, हो सकता है आपको तंग किया जाए। उदाहरण के लिए, बहुत से विचित्रलिंगी (क्वीर) व्यक्ति अपने यौन अभिविन्यास के सार्वजनिक होने पर सहज महसूस नहीं करते हैं, और ऐसे मामलों में कुछ लोग उनके लिंग को गुप्त रखने के बदले उनसे पैसे के लिए ब्लैकमेल कर सकते हैं।
  • यदि आप इस तरह के उत्पीड़न या हिंसा का सामना करते हैं, तो आपको शिकायत करने और सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, भले ही वो व्यक्ति जो आपको परेशान कर रहा है या चोट पहुंचा रहा है, आपके परिवार का ही सदस्य है, या शिक्षक है, या कोई और। तत्काल सुरक्षा के लिए, आप सरकारी हेल्पलाइन पर कॉल कर सकते हैं, जो आपको सलाह देगी कि आपको क्या कदम उठाने चाहिये, और आपके निवास स्थान पर आपकी सहायता करने के लिये पुलिस को भी भेज सकती है।

हिंसा के वे प्रकार, जिसका आपको सामना करना पड़ सकता हैं वे इस रूप में हो सकते हैं:

  • यौन हिंसा, जैसे बलात्कार या अन्य यौन अपराध, जैसे अनुचित स्पर्श, पीछा करना आदि। आपको विभिन्न प्रकार की ऑनलाइन यौन हिंसा का भी सामना करना पड़ सकता है।
  • शारीरिक हिंसा, जैसे कोई आपको घायल कर दे, चोट पहुंचा दे, या आपको घर में बंद रक्खे, आदि।
  • मनोवैज्ञानिक हिंसा, जैसे कोई व्यक्ति आपको चोट पहुंचाने की धमकी दे, आपको सहायता करने के नाम पर, या धन आदि के लिए ब्लैकमेल करे। यह आपके साथ ऑनलाइन भी हो सकता है।
  • यदि आप प्राथमिकी (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाने का निर्णय लेते हैं, तो जाने से पहले आप में आत्मविश्वास होना, और कानून की पूरी जानकारी होना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि ऐसी स्थितियां भी हो सकती हैं, जहां आप पुलिस अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किए जाएं। उदाहरण के लिए, पुलिस अधिकारी आपकी बात सुनने से इंकार कर दे, क्योंकि आप तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के एक व्यक्ति हैं, इसलिए यह आपके लिये महत्वपूर्ण है कि आप उस कानून को जानें, जिसके तहत आप शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

LGBTQ+ व्यक्तियों को चोट पहुंचाना या उन्हें घायल करना

यदि आपको ऐसी किसी भी हिंसा का सामना करना पड़ा है, जिसमें आप घायल या आहत हुए हैं, तो आपको अपने लिंग या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना, पुलिस के पास जाकर शिकायत करने और प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार है। आप किसी भी लिंग के क्यों न हों, आप किसी के भी खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आप निम्नलिखित लिंग-तटस्थ कानूनों का उपयोग करने के लिये, पुलिस स्टेशन जा सकते हैं:

आपको शारीरिक तौर पर आहत करना

आपको चोट पहुंचाना

यदि कोई आपको चोट पहुंचाता है, या वे जानते हैं कि उनके कुछ काम आपको चोट पहुंचा सकते हैं, तो यह कानूनन एक अपराध है।

आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 321/350 के तहत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

विशेष प्रकार की चोटें

अगर कोई जानबूझकर आपको चोट पहुंचाता है, या ऐसा काम करता है जिसके परिणामस्वरूप आपको चोट पहुंचती हैं, जो नीचे दिये गए प्रकार के हैं तो यह कानूनन एक अपराध है। इस प्रकार के कुछ विशेष चोटें ये हैं:

  • निपुंसक बनाना
  • आपको स्थायी रूप से अंधा या किसी भी कान से बहरा बना देना।
  • आपके किसी जोड़ों को, या आपके शरीर के ढ़ांचे को नुकसान पहुंचाना।
  • आपके सिर या चेहरे को स्थायी रूप से विकृत कर देना।
  • आपकी किन्हीं हड्डियों या आपके किसी दांतों का विस्थापन या फ्रैक्चर कर देना।
  • आपके जीवन को खतरे में डाल देना, या आप पर गंभीर शारीरिक चोट पहुंचाना, जिसके चलते आप किसी भी कार्य करने के लिये पंगु बन जाएं।
  • आपको चोट पहुंचाने के लिए अम्ल (एसिड) का उपयोग करना, जिसके परिणामस्वरूप आपको, ऊपर दी गई किसी भी प्रकार की चोट पहुंचे। तब आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 326 बी की मदद से प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

यदि आपको ऊपर दी गई किसी भी प्रकार के चोट का सामना करना पड़ा है, तो आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 320/322 की मदद से एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

खतरनाक हथियारों का उपयोग करना

आप पर खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करना, या आम वस्तुओं या जानवरों का जिसे खतरनाक तरीके से इस्तेमाल किया जा

सकता है, इस्तेमाल करना एक अपराध है, जैसे:

खतरनाक हथियार

  • छूरा घोंपने या काटने की वस्तुएं, जैसे चाकू, कैंची इत्यादि।
  • गोली मारने के हथियार, जैसे बंदूक आदि।
  • किसी विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करना, जैसे पटाखों आदि।
  • वे वस्तुएं जिससे आग निकलती है, या कोई गर्म वस्तु, या वे चीजें जो आग उगलती (टार्च ब्लोअर) हैं, आदि।
  • कोई भी जहर, संक्षारक पदार्थ या सामग्री जो खतरनाक हो सकते हैं।

सामान्य वस्तुएं, जिन्हें हथियार के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

  • ऐसा कोई घरेलू उत्पाद, जैसे फिनाइल, जिसको उपभोग करने के लिए आपको मजबूर किया जाए।
  • कोई वस्तु, जैसे सिगरेट लाइटर, जिसका उपयोग आपको चोट पहुंचाने के लिए किया जाए।
  • आपको चोट पहुंचाने के लिए किसी जानवर का इस्तेमाल करना, जैसे कुत्तों से आप पर हमला करवाना, आदि।

यदि आपको चोट लगी है, या घायल हो गये हैं, या ऐसी वस्तुओं जिससे आपकी मृत्यु हो सकती है, तो आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 324/326 के तहत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

आपको चोट पहुंचाने की धमकी देना

आपको चोट पहुंचाने के लिये, कोई भी इशारा करना या तैयारी करके धमकी देना, एक अपराध है। आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 350/351 के तहत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

उदाहरण के लिए, यदि कोई आपकी ओर चाकू लहराता है और आपको चोट पहुंचाने की धमकी देता है, तो वे आपको ऐसे इशारे कर रहे हैं, जो आपको चोट पहुंचा सकते हैं, या आपको डरा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि कोई आपके कार्यालय से निकलने का इंतजार करता है ताकि वे आपको लाठी से मार सकें, तो वे आपको चोट पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं।

LGBTQ+ व्यक्तियों को ब्लैकमेल करना

यदि कोई भी आपकी पहचान या यौन अभिविन्यास को उजागर करने के लिए धमकी देता है, और अपनी चुप्पी बनाए रखने के लिए पैसे या कुछ और महंगी चीज मांगता है, तो वे जबरन वसूली करने का अपराध कर रहे हैं। यहां तक ​​कि इस प्रक्रिया में आपको घायल करने की धमकी भी, जबरन वसूली के अपराध के रूप में मानी जाएगी। उदाहरण के लिए, यदि कोई आपसे आपकी लिंग पहचान को गुप्त रखने के बदले में आपसे पैसे मांगता है, तो यह जबरन वसूली का मामला है, जिसके लिए आपको पुलिस से शिकायत दर्ज करनी चाहिए।

ऐसे मामलों में, आप हेल्पलाइन पर कॉल करके तत्काल सहायता प्राप्त कर सकते हैं। आप अपने यौन अभिविन्यास या लिंग पहचान की परवाह किए बिना पुलिस से शिकायत कर सकते हैं। आप भारतीय दंड संहिता,1860 की धारा 383 के अंतर्गत पुलिस में एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं।

आपसे कुछ काम कराने के लिए ब्लैकमेल करना

यदि कोई आपसे किसी काम कराने के बदले में, आपको शारीरिक या आपकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने की धमकी देता है, तो यह ब्लैकमेल है और इसे कानूनी रूप से आपराधिक धमकी माना जाता है। आपकी पहचान या यौन अभिविन्यास को उजागर न करने के बदले में ऐसे काम करने के लिए कहा जा सकता है। कानूनन यह एक अपराधिक धमकी है, यदि निम्नलिखित चीज़ें आपसे करने के लिए कही जाती हैं तो:

ये गैरकानूनी काम, जैसे किसी कंपनी से निजी डेटा की चोरी करना आदि।

आपको किसी ऐसे कार्य करने से रोकना जो कानूनन आपको करना था, उदाहरण के लिए, आपने किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है और आपको ब्लैकमेल, मामला समाप्त करने के बदले में किया जा रहा है।

आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 503 के अंतर्गत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

LGBTQ+ व्यक्तियों को तालाबंद कर रखना

यदि आपको किसी खास जगह से बाहर जाने से रोका जाता है, या आपको किसी खास क्षेत्र के अंदर बाधित कर दिया गया है, उदाहरण के लिए, यदि आपको एक कमरे के अंदर बंद कर दिया गया है, तो आपको गैरकानूनी ढ़ंग से रोक कर रक्खा गया है। इस तरह के कृत्य को नाजायज बंधक बनाना कहते हैं, और जिसने आपको बंधक बनाया है उसे 1 साल तक की जेल की सजा और / या 1000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।

यदि आपका परिवार, आपको अपने साथी से मिलने या साथ होने से रोकने के लिए या, आपके अपने नये लिंग पहचान या यौन अभिविन्यास को व्यक्त करने पर गुस्सा होने के चलते, आपको जबरन घर के अंदर बंद कर दिया जाता है, तो यह कानूनन अपराध है, और कोई भी आपको आपकी इच्छा के विरुद्ध जबरन बंदी नहीं बना सकता है, क्यों कि यह आपकी आज़ादी, और आपके घूमने की आजादी का उल्लंघन है।

अपनी सहायता के लिए लोगों से संपर्क करें

  • ऐसी परिस्थिति से बाहर निकलने और तत्काल मदद पाने के लिए, आप कॉल कर सकते हैं:
  • ऐसे हेल्पलाइन, जो पुलिस अधिकारियों को आपकी मदद के लिये भेजें, या आपको तत्काल कदम उठाने के लिए आपका मार्गदर्शन करें।
  • गैरसरकारी संगठनें, जो आपको ऐसी परिस्थितियों से मुक्त करने में सक्षम हैं।
  • करीबी और भरोसेमंद परिवार के सदस्य और दोस्त।

शिकायत दर्ज करना

आप अपनी लिंग पहचान या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना निकटतम पुलिस स्टेशन का रुख कर सकते हैं और ऐसे व्यक्ति के खिलाफ प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं, जिसने आपको बंदी बना कर रक्खा हो, या आपको नाजायज तरीके से बंधक बनाया हुआ हो। आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 340/342 के अंतर्गत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

LGBTQ+ व्यक्तियों का ऑनलाइन पर उत्पीड़न और हिंसा

LGBTQ+ व्यक्तियों के साथ दुर्व्यवहार इंटरनेट के विभिन्न प्लेटफॉर्म, जैसे सोशल मीडिया, चैट फोरम आदि पर होता रहता है। जब आपको ऑनलाइन दुर्व्यवहार सहना पड़ा है तो सबसे पहले आपको उस प्लैटफॉर्म की नीतियों के बारे में पता लगाना चाहिए जिस पर दुर्व्यवहार हुआ है, और यह देखना चाहिए कि प्लैटफॉर्म ने आपको क्या कदम उठाने की सलाह दी है, जिससे यह सब रोका जा सकता है।

आप अपने लिंग या अपने यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना, सोशल मीडिया फोरम या प्लेटफार्म पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आप किसी के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं, लेकिन हर प्लेटफार्म की नीतियां अलग अलग होती हैं, इसलिए आपको उस प्लेटफार्म की शिकायत संबंधी नीतियों को पढ़ना चाहिए, जिस पर आपके साथ दुर्व्यवहार हुआ है।

आपको उन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, जब कोई आपकी अनुमति के बिना आपके यौन अभिविन्यास या लिंग पहचान को उजागर करने की कोशिश करे। आप उन पर तत्काल कार्रवाई उन्हें ब्लॉक या रिपोर्ट करके कर सकते हैं। यदि आपको अपने फोन पर कॉल या मैसेज के ज़रिए परेशान किया जा रहा है, तो आप अपने फोन पर ही उन्हें ब्लॉक कर सकते हैं।

यदि प्लेटफॉर्म के प्रशासनिक अधिकारी की प्रतिक्रिया संवेदनशील नहीं है, या आप जिस तरह की उत्पीड़न का सामना सामना कर रहे है, वह गंभीर है और उसे बार-बार दोहराया जा रहा है, तो आप स्थानीय पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में शिकायत दर्ज करा सकते हैं, यदि आप एक महिला / पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं। यदि आप एक पुरुष / पारपुरुष (ट्रांसमैन) हैं, तो आप एक प्राथिमिकी (एफआईआर) उन कानूनों के तहत दर्ज करा कर जो आपको चोट पहुंचाने या घायल करने वाले को दंडित कर सकता है।

यदि निम्नलिखित घटनाएं आपके साथ होती हैं तो इसके खिलाफ आप शिकायत दर्ज कर सकते हैं:

आपके बैंक खाते का अधिग्रहण (टेकओवर)

  • अगर आपके बैंक का खाता आपकी अनुमति के बिना अधिग्रहित कर लिया जाता है, या आपके बैंक खाते तक कोई अपनी अनधिकृत पहुंच बना लेता है।
  • अगर कोई व्यक्ति, आपके पासवर्ड या आपके डिजिटल हस्ताक्षर आदि का उपयोग करके आपकी ऑनलाइन पहचान चुरा लेता है।
  • अगर कोई व्यक्ति आपका जाली रूप धारण कर, या आपके या किसूी और के होने का नाटक कर आपको ऑनलाइन परेशान करता है।

आपकी व्यक्तिगतता का उल्लंघन

  • अगर कोई व्यक्ति, आप की व्यक्तिगत तस्वीरों / वीडियो का उपयोग, या उन्हें ऑनलाइन साझा आपकी अनुमति के बिना करता है।
  • अगर कोई व्यक्ति आपको ऑनलाइन पर पीछा (स्टॉक) करता है या आपकी गतिविधियों पर नज़र रखता है।
  • अगर कोई आपकी तस्वीरों को ऑनलाइन पर फोटोशॉप कर इस्तेमाल करता है।

ब्लैकमेल करना

  • अगर कोई आपको ऑनलाइन पर, पैसे के लिए, या आपसे कुछ काम कराने के लिए ब्लैकमेल करता है।

गाली-गलौज की धमकी और भाषा

  • अगर कोई आपको ऑनलाइन पर अश्लील सामग्री भेजता है, या आपका यौन उत्पीड़न करता है।
  • अगर कोई आपको अपमानित करता है, या आपके खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करता है।
  • अगर आपको धमकियां किसी अनजान व्यक्ति से मिलती हैं।
  • अगर कोई व्यक्ति ऑनलाइन पर आपको नुकसान पहुंचाने या जान से मारने की धमकी देता है।

LGBTQ + व्यक्तियों का बलात्कार

जब कोई पुरुष आपकी सहमति के बिना आपके साथ सेक्स करता है, तो इसे कानूनन बलात्कार माना जाता है।

वर्तमान कानून के तहत, केवल महिलाएं या पारमहिलाएं (ट्रांसवुमेन) ही बलात्कार या यौन हिंसा का शिकार हो सकती हैं, और सिर्फ पुरुष के खिलाफ ही इस शिकायत को दर्ज किया जा सकता है।

यदि आप एक ऐसे पुरुष / पारपुरुष (ट्रांसमैन) हैं, जिसे यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया हो तो आप, आप पर हुए इस तरह के बलात्कार या अन्य यौन हिंसा के प्रति, शिकायत दर्ज नहीं करा पाएंगे। इसके बजाए आप एक विकल्प के तौर पर सिर्फ यह शिकायत दर्ज करा सकते हैं कि आपको चोट पहुंचाया गया है, या आपको घायल किया गया है।

बलात्कार और सामूहिक बलात्कार

यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं, जिसने आपका बलात्कार किया है, तो आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 375/376 के अंतर्गत पुलिस को प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

यदि बलात्कार क्रिया, लोगो के एक समूह द्वारा किया गया है, तो उनमें से प्रत्येक को सामूहिक बलात्कार के अपराध करने के लिए दंडित किया जाएगा। आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376D के अंतर्गत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

किसी अधिकारी द्वारा बलात्कार करना

अगर किसी पुरुष का, अपनी आधिकारिक शक्ति या पद के कारण किसी महिला पर नियंत्रण है, और वह इस नियंत्रण का दुरूपयोग महिला के साथ यौन संबंध बनाने के लिए करता है, तो इसे कानून के तहत बलात्कार माना जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई पुरुष पुलिस अधिकारी, आपको अपनी हिरासत में रखते हुए आपका बलात्कार करता है, तो आप उस अधिकारी के खिलाफ शिकायत कर सकती हैं और प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकती हैं।

ऐसे व्यक्तियों में लोक सेवक, जेल अधिकारीगण या अस्पताल के प्रबंधक आदि लोग शामिल हैं। आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 के अंतर्गत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी होगी।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उस व्यक्ति बारे में कुछ नहीं जानती हैं, जिसने आपका बलात्कार किया है। आपको तब भी शिकायत दर्ज करानी चाहिए ताकि पुलिस जांच कर उस अपराधी को पकड़ सके, और आगे उसके ऐसे कारनामों पर रोक लग सके। आप इस तरह की शिकायत, परिवार के किसी सदस्य, शिक्षक आदि के खिलाफ भी दर्ज करा सकती हैं, जिसने भी आपके साथ बलात्कार किया हो। आप किसी और को भी अपनी ओर से प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अनुरोध कर सकती हैं। यदि पुलिस आपकी प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज नहीं करती है, तो आप जो वैकल्पिक कदम उठा सकती हैं उसे समझने के लिए इसे पढ़ें

LGBTQ + व्यक्तियों के प्रति यौन हिंसा

यदि आप किसी यौन हिंसा का सामना करते हैं या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं, जिसके साथ यौन हिंसा हुई है, तो आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

तत्काल सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन पर कॉल करें।

नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करें।

यौन हिंसा

यदि आपने किसी भी प्रकार की यौन हिंसा का सामना किया है, जिसमें बलात्कार, अनुचित स्पर्श, पीछा करना आदि शामिल हैं, तो आप पुलिस के पास प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकती हैं। आप इस तरह की शिकायत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कर सकती हैं, जिसमें आपके परिवार का कोई सदस्य, शिक्षक आदि भी हो सकता है।

  • यदि आप महिला / पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं

आपको यौन हिंसा के खिलाफ, भारत में कानूनों के तहत शिकायत

दर्ज करने का अधिकार है, लेकिन सिर्फ पुरुष के विरुद्ध। यदि आप एक पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं और पुलिस ने यह कहते हुए प्राथिमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया है कि आप कानून के तहत एक ’महिला’ नहीं हैं, तो आप क्या कदम उठा सकती हैं उसके लिये, यहां देखें।

  • यदि आप एक पुरुष / पारपुरुष (ट्रांसमैन) हैं

आप यौन हिंसा के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा नहीं सकते हैं, क्यों कि भारत में कानून के तहत एक पुरुष / पारपुरुष (ट्रांसमैन) यौन हिंसा का शिकार हो नहीं सकता है। आपके पास एकमात्र विकल्प है उन भारतीय कानूनों की मदद लेना जो आपको चोट पहुंचाने या घायल करने वालों को सजा दे सकते हैं।

कार्यस्थल पर यौन हिंसा

यदि आपके कार्यालय में यौन उत्पीड़न की नीतियां लिंग-तटस्थ हैं, तो आप अपने लिंग की परवाह किए बिना शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यदि आप नियोक्ता की कार्रवाई (उदाहरण के लिए उत्पीड़क की बर्खास्तगी) के माध्यम से यौन उत्पीड़न को रोकना चाहते हैं, तो आप अपने कार्यालय के आंतरिक शिकायत समिति (इंटरनल कमप्लेन्ट्स कमिटी, आईसीसी) के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जो शिकायत तंत्र सभी कार्यालयों में उपलब्ध होता है। आपके पास पुलिस के पास जाने का भी विकल्प है।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का कानून, केवल उन्हीं महिलाओं को पीड़िता मानता है जो आंतरिक शिकायत समिति (इंटरनल कमप्लेन्ट्स कमिटी, आईसीसी) को शिकायत करती हैं, या पुलिस से संपर्क कर एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराती हैं। यदि आपके संगठन की यह नीति है, तो आपके पास निम्नलिखित विकल्प हैं:

  • एक पुरूष या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के पुरुष के रूप में, आप किसी गैर सरकारी संगठन या किसी वकील की मदद ले सकते हैं, जो एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा कर कानून के तहत उन लोगों को दंडित करा सकते हैं, जिन्होंने आपको चोटिल या घायल किया है।
  • एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) की महिला के रूप में, आपको यौन हिंसा के कानूनों के तहत प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अधिकार है।

ऑनलाइन यौन हिंसा

यदि आप किसी यौन उत्पीड़न का सामना ऑनलाइन कर रहे हैं, तो ज्यादा समझने के लिए यहां क्लिक करें

कौन (LGBTQ+) व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सकता है

यदि आप उत्पीड़न और हिंसा का सामना करते हैं, तो आप अपनी लिंग पहचान के आधार पर कुछ कानूनों का इस्तेमाल कर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। चूंकि कानून के तहत लिंग की केवल तीन

मान्यता प्राप्त श्रेणियां हैं, ‘पुरुष’, ‘महिला’ और ‘तीसरा लिंग’ (ट्रांसजेंडर व्यक्ति)। और आप पर कौन सा कानून लागू होगा वह भी इस तथ्य पर निर्भर करता है कि आप लिंग की किस श्रेणी में आते हैं।

यदि आप पहले से ही जानते हो कि कौन सा कानून आपकी मदद कर सकता है तो यह प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराते समय काफी मददगार साबित होगा। आप वकीलों और गैर सरकारी संगठनों की मदद भी ले सकते हैं ताकि आपको पुलिस अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।

इस प्रश्न का उत्तर, कि आप किस कानून के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं, इस बात पर निर्भर करेगा कि आपको किस प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ा है:

यौन हिंसा

यौन हिंसा कई प्रकार की हो सकते हैं, जैसे बलात्कार या अन्य यौन अपराध जैसे अनुचित स्पर्श, पीछा करना आदि। कानून के तहत पुलिस में शिकायत आप दर्ज तब ही करा सकती हैं यदि आप एक महिला हैं। यद्यपि एक पारमहिला (ट्रांसवुमेन) को, उसकी लिंग सकरात्मक शल्य चिकित्स हुई हो या नहीं, एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अधिकार है, लेकिन यदि आपको प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करते समय किसी भी परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो आपको पुलिस द्वारा उत्पीड़न या हिंसा को रोकने के लिए किसी वकील से मदद लेना बेहतर होगा। कानून के तहत, पुरुष या पारपुरुष (ट्रांसमैन) यौन हिंसा के शिकार नहीं हो

सकते हैं, इसलिए आपके लिए विकल्प यह है कि आप नीचे बताए गए शारीरिक हिंसाओं के कानूनों के तहत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराएं।

शारीरिक हिंसा

यदि आपको किसी ने घायल कर दिया है, आपको चोट पहुंचायी है या किसी ने आपको बंदी बना लिया है, या कोई आपको अपनी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को करने में शारीरिक रूप से रोकता है, तो आप अपने उत्पीड़क के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं, भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों।

मनोवैज्ञानिक हिंसा

यदि कोई आपको चोट पहुंचाने की धमकी देता है, या आपसे फायदा उठाने या पैसे के लिए ब्लैकमेल करता है, तो आप अपने उत्पीड़क के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं, भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों।

ऑनलाइन पर हिंसा

भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों, आप ऑनलाइन से की गई किसी भी प्रकार के उत्पीड़न और हिंसा के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जो यौन, मनोवैज्ञानिक, या कंप्यूटर संबंधित अपराध, जैसे हैकिंग, प्रतिरूपण आदि हो सकते हैं।

 

LGBTQ + व्यक्तियों द्वारा शिकायत / रिपोर्ट दर्ज कराना

आप इनमें से किसी भी प्राधिकारी के पास, या फोरम में शिकायत दर्ज करा सकते हैं:

पुलिस

  • आप पुलिस स्टेशन जाएं
  • आप किसी भी पुलिस स्टेशन, या अपने निकटतम पुलिस स्टेशन पर जाकर प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं। आपका कोई मित्र या रिश्तेदार भी आपकी ओर से प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। यदि आप एक महिला या पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं, तो आपका बयान एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही दर्ज किया जाएगा।
  • 100 पर कॉल करें
  • आप पुलिस से तत्काल मदद मांगने के लिए 100 नम्बर. पर कॉल कर सकते हैं। अपने रहने के ठिकाने बताने के बाद, एक पुलिस इकाई आपकी की सहायता के लिए आपके यहां भेजी जाएगी।

भारत का राष्ट्रीय और राज्य आयोग

ये वो फोरम है जहां आप संपर्क कर सकते हैं जब कोई अधिकारी आपकी प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने से इंकार करता है, या आपको पुलिस से किसी प्रकार की कठिनाई या प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है:

राष्ट्रीय / राज्य मानवाधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन – NHRC) एक राष्ट्रीय स्तर की सरकारी निकाय है, जो विशेष रूप से मानवाधिकारों के उल्लंघन, जैसे अवैध हिरासत, जेल में उत्पीड़न, आदि मामलों को देखता है। एक LGBTQ+ व्यक्ति के रूप में अगर पुलिस आपके साथ सहयोग नहीं करती है, और आपको मदद की आवश्यकता है, तो आप इनसे भी संपर्क कर सकते हैं।

चूंकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में स्थित है, आप तत्काल सहायता प्राप्त करने के लिए अपने राज्य के राज्य मानवाधिकार आयोग (स्टेट ह्यूमन राइट कमीशन – SHRC) से भी संपर्क कर सकते हैं। आप अपने लिंग या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या राज्य मानवाधिकार आयोग से शिकायत कर सकते हैं।

आप राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क कर सकते हैं और शिकायत दर्ज करा सकते हैं, यदि आपने किसी उत्पीड़न या भेदभाव का सामना किया है।

राष्ट्रीय / राज्य महिला आयोग

राष्ट्रीय महिला आयोग (नेशनल कमीशन ऑफ वीमेन – NCW) एक राष्ट्रीय स्तर की सरकारी संस्था है, जो महिलाओं पर होने वाले हिंसा, जैसे यौन अपराध, घरेलू हिंसा, आदि से सुरक्षा देने के लिए काम करती है। राष्ट्रीय महिला आयोग आपकी मदद निम्नलिखित तरीकों से कर सकती है:

  • यह आपको और आपके उत्पीड़क को परामर्श या सुनवाई का अवसर देती है ताकि विवाद का समाधान हो, और ऐसी घटना फिर से न घटे।
  • गंभीर मामलों में यह एक जांच समिति का गठन करेगी, जो मौके पर पूछताछ करेगी, गवाहों की जांच करेगी, सबूत इकट्ठा करेगी और आपको तत्काल राहत और सुरक्षा देने के लिए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

पर आप उनके साथ तब ही संपर्क कर सकती हैं जब आप एक महिला या एक पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं। आप उनको हेल्पलाइन नंबर 1091 पर कॉल कर के, या ncw@nic.in पर एक ईमेल भेज कर के, या ऑनलाइन शिकायत लिख कर के दर्ज कराएं।

आप तत्काल सहायता प्राप्त करने के लिए अपने राज्य के महिला आयोग से भी संपर्क कर सकते हैं।

ऑनलाइन पर की गई अपराधों की रिपोर्टिंग

ऑनलाइन अपराधों के खिलाफ आप अपने राज्य के साइबर सेल, या पुलिस से शिकायत कर सकते हैं। ऑनलाइन उत्पीड़न और हिंसा के खिलाफ रिपोर्ट करने और शिकायत करने के लिए उपलब्ध विकल्पों को विस्तार से समझने के लिए यहां पढ़ें।