LGBTQ+ व्यक्तियों द्वारा एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराना

जब आप शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाते हैं, तो शिकायत का विवरण एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट-प्राथिमिकी) के रूप में लिखा जाता है।

प्राथिमिकी (एफआईआर) को दर्ज करना पुलिस अधिकारी का काम है, और यदि आप एक महिला या पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं, तो कुछ अपराधों के लिए, एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करना होगा।

एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करने से पहले, किसी वकील से सलाह लें और देखें कि किस तरह के अपराधों के लिए आप एक प्राथिमिकी दर्ज करा सकते हैं क्योंकि कुछ अपराधों के लिए प्राथिमिकी सिर्फ महिलाओं या पारमहिला (ट्रांसवुमन) द्वारा ही दर्ज कराई जा सकती हैं, पुरुष द्वारा नहीं। यदि आप प्राथिमिकी दर्ज कराते समय किसी भी कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो यहां देखें कि आप कौन कौन से कदम उठा सकते हैं।

LGBTQ+ व्यक्तियों द्वारा एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराते वक्त होने वाली कठिनाइयां

यदि कोई पुलिस अधिकारी आपके यौन अभिविन्यास या लिंग पहचान के कारण आपकी प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करने से इनकार करता है, या आपको परेशान करता है, तो आप नीचे दिए गए कदम उठा सकते हैं:

  • एक लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक (एसपी) को करें। पुलिस अधीक्षक खुद जांच कर सकते हैं, या वे अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को कार्रवाई करने का आदेश दे सकते हैं।
  • पुलिस स्टेशन जाते समय किसी वकील की मदद लें। यह बेहद उपयोगी है क्योंकि वकील आपकी ओर से वकालत करने में सक्षम होते हैं, और उनके साथ रहने से पुलिस अधिकारियों द्वारा आपके साथ होने वाले उत्पीड़न की संभावना कम रहेगी।
  • एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करने के लिए, पास के किसी अन्य पुलिस स्टेशन पर जाएं। इसे जीरो प्राथिमिकी (एफआईआर) के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी भी पुलिस स्टेशन में प्राथिमिकी दर्ज की जा सकती है, और दी गई जानकारियों को पुलिस अधिकारियों द्वारा अनिवार्य रूप से रिकॉर्ड करना होता है, और फिर इसे उस पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करना होता है, जिसके क्षेत्र / क्षेत्राधिकार में यह अपराध हुआ है।
  • किसी और को अपनी ओर से प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अनुरोध करें। आप उस व्यक्ति को, आपके साथ हुई हिंसा / उत्पीड़न का विवरण दे सकते हैं।
  • ’निजी शिकायत’ दर्ज कराने के लिए सीधे जिला / न्यायिक मजिस्ट्रेट से संपर्क करें, लेकिन पुलिस के पास जाने के बाद ही।
  • राष्ट्रीय / राज्य मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय / राज्य महिला आयोग जैसे अन्य शिकायती फोरम की मदद लें, जो न केवल पुलिस से संपर्क करने में आपकी सहायता करेंगे, बल्कि हिंसा / उत्पीड़न की घटनाओं को भी देखेंगे।

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए LGBTQ+ व्यक्ति

जब पुलिस अधिकारी आपको किसी अपराध या किसी अपराध के संदेह के आधार पर गिरफ्तार करना चाहते हैं, तो वे आपके स्थान पर आ सकते हैं, और आपको गिरफ्तार कर सकते हैं। आपको गिरफ्तार करते समय गिरफ्तारी का विवरण, गिरफ्तारी का स्थान, गिरफ्तारी का समय, आदि को एक गिरफ्तारी मेमो में लिखा जाता है। वे निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

  • आपको वारंट के साथ गिरफ्तार कर सकते हैं
  • आपको बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं
  • थाने में उपस्थित होने के लिए आपको एक नोटिस जारी कर सकते हैं।
  • गिरफ्तार होने के समय सभी को कुछ अधिकार कानून के तहत हैं, जिसका आपके लिंग या आपके यौन अभिविन्यास से कोई संबंध नहीं है।

यदि आप एक महिला या एक पारमहिला (ट्रांसवुमन) हैं, तो कानून के तहत आपकी गिरफ्तारी के समय आपके कुछ विशिष्ट अधिकार हैं। उदाहरण के लिए, जब किसी महिला को गिरफ्तार किया जा रहा हो तो वहां एक महिला सिपाही की उपस्थिति ज़रूरी है।

गिरफ्तारी के समय LGBTQ+ व्यक्तियों के कुछ खास अधिकार

आपके यौन अभिविन्यास या आपकी लिंग पहचान के आधार पर गिरफ्तारी के दौरान पुलिस अधिकारी आपके साथ गलत व्यवहार नहीं कर सकते हैं। आपके लिए यह उपयोगी होगा कि कानून के तहत जो 5 अधिकारें आपके पास हैं, उन्हें जानें:

पुलिस को उनके स्वयं की पहचान साबित करने के लिये कहें

आप पुलिस को उनके स्वयं की पहचान साबित करने के लिए पहचान पत्र (आईडी प्रूफ) दिखाने को कहें, जो उनके नाम, पदनाम, आदि जानकारी को सही और स्पष्ट तौर पर दर्शाता हो।

उनसे गिरफ्तारी का कारण पूछें

अगर पुलिस को आपकी गिरफ्तारी के लिए वारंट की जरूरत नहीं है, फिर भी यह जानना आपका अधिकार है कि आपको क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है, और यह बताना पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य है।

पुलिस से अपने परिवार और दोस्तों को सूचित करने के लिए कहें

जब आपको गिरफ्तार किया जा रहा है, तो आपको पुलिस स्टेशन में ले जाने से पहले, आप अपने परिवार के एक सदस्य या एक मित्र को चुन सकते हैं, जिसे पुलिस आपकी गिरफ्तारी के बारे में, और हिरासत में आपको कहां रखा गया है, इसके बारे में सूचित करेंगे। पुलिस का यह कर्तव्य है कि वह आपके परिवार या दोस्तों को आपकी गिरफ्तारी के बारे में बताए। उन्हें इस व्यक्ति का विवरण एक प्रविष्टि के रूप में पुलिस डायरी और गिरफ्तारी ज्ञापन (अरेस्ट मेमो) में दर्ज करना होगा।

एक वकील की मांग करें

आप पुलिस से अपने वकील को बुलाने के लिए कह सकते हैं। यदि आपके पास अपना कोई वकील नहीं है, या आप वकील नहीं कर सकते हैं, तो आप अदालत से अपने लिए एक वकील नियुक्त करने के लिए कह सकते हैं।

अपनी मेडिकल जांच के लिए माग करे

  • पुलिस अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है कि हिरासत में वे हर 48 घंटे में आपकी चिकित्सीय जांच कराएं।
  • आप एक प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा अपने शरीर पर बड़ी और छोटी चोटों की जांच कराने के लिए मांग कर सकते हैं।
  • शारीरिक परीक्षण को निरीक्षण मेमो में दर्ज किया जाना चाहिए और वह एक पुलिस अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए। जब आप उनकी हिरासत में हैं तो यह सभी पुलिस द्वारा की जाने वाली हिंसा को रोकने के लिए किया जाता है।

हिरासत के दौरान LGBTQ+ व्यक्तियों का पुलिस द्वारा उत्पीड़न

यदि आपको गिरफ्तार किया गया है, तो आप ज्यादा से ज्यादा 24 घंटे के लिए पुलिस स्टेशन की हिरासत में रहेंगे, जब तक वे आपको निकटतम मजिस्ट्रेट (कोर्ट) के पास नहीं ले जाते हैं। मजिस्ट्रेट की अनुमति मिलने पर ही वे आपको और 15 दिन तक रख सकते हैं। आपको कई तरह के उत्पीड़न / हिंसा का सामना करना पड़ सकता है जैसे:

  • पुलिस आपको परेशान कर सकती है, या पुलिस हिरासत में रहते हुए आपको ऐसे अपराध स्वीकार करने के लिए धमका सकती हैं, जो आपने किया ही न हो। यह कानूनन अपराध है, जिसके लिए पुलिस अधिकारियों को जेल की सजा दी सकती है, और जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • जब आप हिरासत में हैं तो पुलिस अधिकारी आपको शारीरिक रूप से चोट पहुंचा सकते हैं। आपको इस तरह की घटना की शिकायत अपने वकील से करनी चाहिए, जो आपकी मदद कर सकेंगे।
  • यदि पुलिस आपके साथ यौन उत्पीड़न या बलात्कार करती है, तो आपको पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए क्योंकि यह कानूनन दंडनीय अपराध है, जिसके लिए अधिकारियों को जेल की सजा और जुर्माना लगाया जाएगा। ऐसे मामलों में आपको भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 (2), 376 बी के अंतर्गत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करानी चाहिए।

जब आप पुलिस की हिरासत में हैं, उस समय किसी भी प्रकार के उत्पीड़न को रोकने के लिए, या यदि आप पुलिस द्वारा किसी उत्पीड़न का सामना करते हैं, तो आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

एक वकील की मांग करें

आपके पास गिरफ्तारी के समय से एक वकील के लिए अनुरोध करने का अधिकार है, और जब आप हिरासत में होते हैं तो किसी भी हिंसा को रोकने के लिए, आपके साथ एक वकील मौजूद होना सहायक होगा।

इसकी शिकायत थाने के अधीक्षक से करें

पुलिस अधीक्षक (एसपी) को एक लिखित शिकायत करें, जो मामले को देखेगा। एक अधीक्षक इस मामले को खुद देख सकते हैं।

मजिस्ट्रेट से शिकायत करें

चूंकि पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर एक मजिस्ट्रेट के पास आपको अनिवार्य रूप से ले जाना होता है, आप अपने वकील की मदद से मजिस्ट्रेट को सीधे अपनी ‘निजी शिकायत’ दर्ज करा सकते हैं। हिरासत में आपके साथ हुए उत्पीड़न और हिंसा के बारे में आप बता सकते हैं।

LGBTQ+ व्यक्तियों की जमानत

जब आपको गिरफ्तार किया जाता है, तो आपको अपनी लिंग पहचान या अपने यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए। आपका यह अधिकार उस अपराध पर निर्भर करता है, जिसके लिए आपको गिरफ्तार किया गया है:

जमानती अपराधों के मामलों में

आपको जिस अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया है यदि वह एक जमानती अपराध है, तो आपको न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए और आपको जमानत मिल जाएगी।

गैर-जमानती अपराधों के मामलों में

गैर-जमानती अपराधों के मामलों में, न्यायालय के विवेक पर आपको जमानत दी जा सकती है, और आपको यह केवल विशिष्ट परिस्थितियों में ही दी जाएगी। इस तरह के मामलों में, न्यायालय आपसे उच्चतर जमानत राशि की मांग एक बांड के रूप में कर सकता है।

LGBTQ+ व्यक्तियों के लिए हेल्पलाइन

कई सरकारी हेल्पलाइन हैं, जो न केवल जानकारी देने में आपकी मदद करती हैं, बल्कि कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से भी आपकी मदद कर सकती हैं और आपको अधिकारियों के संपर्क में रख सकती हैं। निम्नलिखित सूची, भारत भर के राष्ट्रीय हेल्पलाइनों से संपर्क के लिये विस्तृत विवरण देती है, जो नीचे दी गई विभिन्न श्रेणियों के लिए हैं:

हिंसा और उत्पीड़न के लिए

यदि आपको किसी उत्पीड़न या हिंसा का सामना करना पड़ा है, और आप जानते हैं कि यह किस व्यक्ति ने किया है, तो आप निम्नलिखित हेल्पलाइन से संपर्क कर सकते हैं:

  • पुलिस

कोई भी व्यक्ति, अपने लिंग या यौन अभिविन्यास के परे, इस हेल्पलाइन पर कॉल कर सकता है। आप पुलिस से तत्काल मदद मांगने के लिए 100 नम्बर पर भी कॉल कर सकते हैं। आगे की सहायता के लिए, एक पुलिस इकाई, आपके निवास स्थान की पहचान करने के बाद, वहां भेजी जाएगी।

  • राष्ट्रीय महिला आयोग, पुलिस हेल्पलाइन

इस हेल्पलाइन पर आप कॉल तभी कर सकते हैं जब आप या तो महिला हों या ट्रांसवुमन (पारमहिला) हैं। यहां पर आप यौन अपराधों, घरेलू हिंसा आदि के अलावे किसी भी प्रकार की हिंसा के बारे में शिकायत कर सकते हैं। निम्नलिखित कदम हैं जो आपको उठाने चाहिए:

चरण 1: 1091 पर कॉल करें

चरण 2: आप पर किये गये अपराध का वर्णन विस्तार से करें

चरण 3: अपना ठिकाने का स्थान और संपर्क नंबर दें

पुलिस को आपके ठिकाने पर आपकी सहायता के लिए और उत्पीड़न को रोकने के लिए भेजा जाएगा। यदि आप एक ट्रांसवुमन (पारमहिला) हैं, तो किसी गैर सरकारी संगठन या वकील की सहायता लेना बेहतर होगा, ताकि प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराते समय पुलिस अधिकारी आपको परेशान न करें।

  • लापता व्यक्ति और अपहरण के मामले

पुलिस उपायुक्त (लापता व्यक्ति):

यह हेल्पलाइन, बिना किसी लिंग भेदभाव के, लापता व्यक्तियों को खोजने में मदद करती है। आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

चरण 1: 1094 पर कॉल करें।

चरण 2: वे लापता व्यक्ति का फोन नंबर मांगेंगे।

चरण 3: फोन नंबर की खोज ज़िपनेट (जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क) पर की जायेगी, जहां से वे लापता व्यक्ति के ठिकाने का पता लगाएंगे और वहां की पुलिस से संपर्क करेंगे।

चरण 4: यदि वे लापता व्यक्ति का पता नहीं लगा पाते हैं, तो वे ज़मीनी स्तर पर खोज जारी रखने के लिए पुलिस स्टेशन की मदद लेंगे।

LGBTQ+ व्यक्तियों के लिए सहायता और समर्थन प्राप्त करना

आपके साथ हुई प्रताड़ना या हिंसा की शिकायत करते वक्त, आपको अपनी रक्षा के लिए सहायता और समर्थन प्राप्त करना ज़रूरी है। जिन लोगों से आप संपर्क कर सकते हैं उनमें से कुछ ये हैं:

कानूनी सहायता

आप किसी वकील से संपर्क करना चाहिये यदि आपको शिकायत प्रक्रियाओं से गुज़रना के लिये सहायता चाहिये, और यदि आपको न्यायालय जाना है। यदि आप वकील का खर्चा वहन नहीं कर सकते हैं, तो आप मुफ्त कानूनी सहायता के लिए अपने जिले में ‘जिला कानूनी (विधिक) सेवा प्राधिकरण’ से संपर्क कर सकते हैं।

यदि आप एक वकील नहीं ढूंढ पाते हैं, तो किसी गैर सरकारी संगठन से संपर्क करें जो प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने में आपकी मदद करेगें, और आपको वकीलों से संपर्क कराएंगे।

संरक्षण और आश्रय की मांग

आप LGBTQ+ अधिकारों के लिए काम करने वाले किसी भी गैर सरकारी संगठन, नागरिक समाज संगठन या संस्था से संपर्क कर सकते हैं। वे निम्नलिखित कार्यों में आपकी मदद कर सकते हैं:

  • यदि आप मुसीबत में हैं, या आपको तत्काल मदद की जरूरत है, तो ये आपकी सहायता करेंगे,
  • आपको आश्रय और रोजगार के अवसर प्रदान करने में, और आपके सामने आने वाली समस्याओं को दूर करने में ये आपको सलाह देंगे,
  • पहचान दस्तावेज़ (आईडी प्रूफ) प्राप्त करने में ये मदद करेंगे।

आप अपने क्षेत्र / निर्वाचन क्षेत्र के विधायक / सांसद से संपर्क कर उनसे मदद की मांग कर सकते हैं। कई मामलों में, वे अधिकारियों को निर्देशित करेंगे कि वे उस क्षेत्र में आपकी मदद करें, जहां आपको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

रोजगार- संबंधित सहायता

आपको कार्यालय में पंजीकृत ट्रेड यूनियन के पास जाना चाहिये। वे आपके कार्यस्थल पर आपकी शिकायतों के संबंध में आपकी मदद करेंगे।

आप उन गैर सरकारी संगठनों या संस्थाओं से भी संपर्क कर सकते हैं, जो LGBTQ+ के अधिकारों के क्षेत्र में काम करते हैं। वे आपको रोजगार के अवसर प्रदान करा सकते हैं, या आपको ऐसे लोगों के संपर्क करा सकते हैं, जो ऐसा काम करा सकते हैं।