रैगिंग क्या है?

एक शिक्षण संस्थान के किसी अन्य छात्र के खिलाफ एक छात्र द्वारा किये गये किसी भी शारीरिक, मौखिक या मानसिक दुर्व्‍यवहार को रैगिंग कहते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सा छात्र इसे करता है या किस छात्र के साथ यह दुर्व्यवहार किया जाता है (यह एक फ्रेशर / नवागत हो सकता है या एक वरिष्ठ भी हो सकता है)-हर हाल में यह एक रैगिंग का अपराध है। रैगिंग कई कारणों से हो सकती है, जैसे आपकी त्वचा, नस्‍ल, धर्म, जाति, प्रजातीयता, जेंडर, यौनिक रुझान, रूप-रंग, राष्ट्रीयता, क्षेत्रीय मूल, आपकी बोली, जन्म स्थान, गृह स्थान या आर्थिक पृष्‍ठभूमि के कारण।

रैगिंग कई अलग-अलग रूप ले सकती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र किसी अन्य छात्र को उसके काम करने के लिए धौंस दिखाता है या किसी छात्र को कॉलेज समारोह जैसी परिसर की गतिविधियों से बाहर रखा जाता है, तो उसे रैगिंग माना जाता है।

मानसिक चोट, शारीरिक दुर्व्‍यवहार, भेदभाव, शैक्षणिक गतिविधि में व्‍यवधान आदि सहित छात्रों के खिलाफ रैगिंग के विभिन्न रूपों को कानून, दंडित करता है।

रैगिंग पर कानून

रैगिंग पर कानून को उच्च शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए यूजीसी विनियमन, 2009 के बतौर जाना जाता है। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त, केंद्र सरकार द्वारा घोषित संस्थानों समेत उच्चतर अध्ययन के सभी शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग को प्रतिबंधित करता है। इन सब संस्थानों के भीतर, रैगिंग इस प्रकार से निषिद्ध है-

  • एक शैक्षिक संस्थान में सभी विभाग,
  • परिसर के अंदर या परिसर के बाहर, संस्‍थान के छात्रों द्वारा इस्‍तेमाल किये जाने वाले किसी भी परिवहन सहित।

रैगिंग पर कुछ शिक्षण संस्थानों के अपने नियम हैं। उदाहरण के लिए, ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के पास रैगिंग पर दिशानिर्देशों की अपनी एक नियमावली है।

राज्य के कानून

कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में रैगिंग को प्रतिबंधित करने व रोकने के लिहाज़ से विभिन्न राज्यों ने कानून पारित किये हैं, जो केवल उन संबंधित राज्यों में ही लागू होते हैं। ये राज्य हैं आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, त्रिपुरा, आदि।

रैगिंग के लिए सज़ा

यदि कोई छात्र रैगिंग में लिप्त पाया जाता है, तो उसे या तो संस्‍थागत स्‍तर पर दंडित किया जा सकता है (उदाहरण के लिए, निलंबन द्वारा) या उसके खिलाफ पुलिस मामला दर्ज कर; भारतीय दंड संहिता, 1860 का उपयोग रैगिंग के अपराध को दंडित करने के लिए किया जा सकता है। आगे और पढ़ें

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रैगिंग माने जाने वाले कृत्य

छात्रों के अनेक कृत्‍यों को कानून के तहत रैगिंग माना जाता है। रैगिंग के रूप में माने जाने वाले कुछ कृत्‍य हैं-

मानसिक दुर्व्‍यवहार

किसी छात्र को मानसिक क्षति पहुंचाना कानून के तहत रैगिंग माना जाता है। इसमें ये ये शामिल हो सकते हैं-

  • किसी छात्र द्वारा किया गया कोई भी आचरण, चाहे वह लिखित, मौखिक या व्यवहार-संबंधी हो, जो किसी दूसरे छात्र के साथ छेड़छाड़ या क्रूर व्यवहार करता हो। उदाहरण के लिए, किसी छात्र को अपमानजनक नामों से बुलाना।
  • उपद्रवी या अनुशासनहीन व्यवहार जिसके कारण किसी भी छात्र को झुंझलाहट, कठिनाई या मानसिक नुकसान हो सकता है। इसमें ऐसे मानसिक नुकसानों, झुंझलाहट या कष्ट की आशंका या डर भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, एक छात्र की नोटबुक्‍स चोरी करना और फेंक देना।
  • एक छात्र को एक ऐसा काम करने के लिए कहना, जो वह सामान्य रूप से नहीं करेगा, और जिसके कारण उसे शर्म, पीड़ा या शर्मिंदगी महसूस होती है, और उसके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, भरी कक्षा में किसी छात्र से मजबूरन डांस करवाना।
  • कोई भी काम जो एक छात्र के मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास को प्रतिकूल प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, किसी छात्र से कक्षा के सामने मजबूरन डांस करवाना और उसके लिए उसकी खिल्‍ली उड़ाना।
  • एक ऐसा कृत्‍य या दुर्व्‍यवहार, चाहे वह लिखित हो, मौखिक या ऑनलाइन (ईमेल, पोस्ट आदि), जिसके परिणामस्वरूप एक छात्र असहज हो जाए। इसमें प्रताड़‍ित होने वाले छात्र की कीमत पर इस तरह के कृत्‍य में भागीदारी के द्वारा मजे लेना शामिल है। उदाहरण के लिए, किसी छात्र के बारे में ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर अफवाहें फैलाना।

शैक्षणिक क्रि‍याकलाप में व्‍यवधान

रैगिंग किसी छात्र की पढ़ाई-लिखाई में खलल डाल सकती है। यदि कोई भी छात्र किसी अन्य छात्र की नियमित शैक्षणिक गतिविधि को रोकता या बाधित करता है, तो यह रैगिंग है। उदाहरण के लिए, यदि कोई वरिष्ठ छात्र किसी जूनियर छात्र को कक्षा में इतना परेशान करता है कि वह कक्षाओं में जाना बंद कर देता है, तो इसे रैगिंग माना जा सकता है।

किसी छात्र का उपयोग करना या उसका शोषण करना

रैगिंग दूसरे छात्र के शोषण का रूप ले सकती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र अपना होमवर्क किसी और छात्र से करवाता है, तो उसे रैगिंग माना जा सकता है। निम्नलिखित को रैगिंग के रूप में माना जाता है-

  • किसी व्यक्ति / समूह को सौंपे गए शैक्षणिक कार्यों को पूरा करने के लिए किसी भी छात्र का शोषण करना। उदाहरण के लिए, एक छात्र द्वारा कुछ अन्य छात्रों के होमवर्क असाइनमेंट करवाना।
  • पैसे की जबरन वसूली या किसी भी छात्र से जबरन खर्च करवाना। उदाहरण के लिए, एक छात्र से दूसरे छात्र/छात्रों के खर्चों का भुगतान करवाना।

शारीरिक शोषण

रैगिंग शारीरिक शोषण और हिंसा का रूप ले सकती है। निम्नलिखित को रैगिंग के रूप में माना जाता है-

  • उपद्रवी या अनुशासनहीन व्यवहार, जिसके कारण किसी भी छात्र को शारीरिक नुकसान होने की संभावना है, या कोई भी ऐसा काम जो किसी को शारीरिक नुकसान पहुंचाता है या पहुंचा सकता है या ऐसा डर पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र को पीटने की धमकी देना।
  • किसी छात्र को एक ऐसा काम करने के लिए कहना, जो वह सामान्य रूप से नहीं करेगा, और जिसके कारण उसे शर्म, पीड़ा या शर्मिंदगी महसूस होती है, और उसके शारीरिक हाल-चाल पर बुरा असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र की पिटाई करना क्योंकि उसने किसी काम को करने के लिए वरिष्ठ के आदेशों का पालन नहीं किया था।
  • मारपीट, कपड़े उतरवाने, जबरन अश्लील और भद्दी हरकतें या इशारे आदि समेत यौन शोषण। उदाहरण के लिए, एक महिला छात्रा को जबरन कपड़े उतारने के लिए कहना।
  • कोई भी ऐसा काम जो किसी छात्र को शारीरिक नुकसान या किसी अन्य खतरे का कारण बनता है। मसलन, एक छात्र के भोजन में जुलाब डालना।

किसी अन्‍य छात्र के साथ भेदभाव करना

रैगिंग दूसरे छात्र के खिलाफ भेदभाव और पूर्वाग्रह का रूप ले सकती है। आपकी त्वचा, जाति, धर्म, जाति, नस्ल, लिंग, यौनिक रुझान, रंग-रूप, राष्ट्रीयता, क्षेत्रीय मूल, भाषाई पहचान, जन्म स्थान, निवास स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर किसी भी दुर्व्‍यवहार को रैगिंग के रूप में माना जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी छात्रा को उसके क्षेत्रीय मूल के आधार पर लगातार छेड़ा जाता है और उसे अपशब्‍द कहे जाते हैं, या उसका उपहास किया जाता है क्योंकि वह अन्य छात्रों की तुलना में कमतर सामाजिक-आर्थिक स्‍तर से आती है, तो इसे रैगिंग माना जा सकता है।

रैगिंग के पीछे की मंशा कोई मायने नहीं रखती; भले ही यह मज़े के लिए किया गया हो, या खुशी हासिल करने के लिए, या अधिकार या श्रेष्ठता जतलाने के लिए-भारतीय कानून के तहत रैगिंग एक अपराध है।

यदि आपकी रैगिंग की जा रही है, तो आप कॉलेज के अधिकारियों या पुलिस से शिकायत कर सकते हैं।

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रैगिंग विरोधी कानून के तहत नियुक्त अधिकारी

रैगिंग को रोकने के लिए, प्रत्येक कॉलेज और विश्वविद्यालय को निम्नलिखित प्राधिकारणों  का गठन करना चाहिये-

ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी

प्रत्येक कॉलेज के लिए एक ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी का गठन करना अनिवार्य है, जिसमें निम्नलिखित सदस्यों होते हैं-

  • कॉलेज के प्रमुख
  • पुलिस के प्रतिनिधि
  • स्थानीय मीडिया
  • युवाओं के लिए काम करने वाले एन.जी.ओ.
  • अभिभावक प्रतिनिधि
  • संकाय प्रतिनिधि
  • छात्र प्रतिनिधि (फ्रेशर्स और सीनियर्स, दोनों)
  • परा-शिक्षण कर्मचारी

ऍण्‍टी रैगिंग कमेटी के कर्तव्य हैं –

  • सुनिश्चित करें कि संबद्ध कॉलेज, भारत में रैगिंग पर कानून का पालन कर रहा है
  • ऍण्‍टी-रैगिंग दल की गतिविधियों पर नज़र रखें
  • ऍण्‍टी-रैगिंग दल से सिफारिशें प्राप्‍त करें और रैगिंग प्रकरणों पर अंतिम कार्रवाई करें

ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ता

प्रत्येक कॉलेज के लिए एक ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ते का गठन करना अनिवार्य है, जो कॉलेज के प्रमुख, जैसे प्रिंसिपल या डीन द्वारा नामज़द होता है। इस दस्ते में कैंपस समुदाय के विभिन्न सदस्य जैसे शिक्षक, छात्र स्वयंसेवक आदि लोगों का प्रतिनिधित्‍व हाते है। पुलिस या मीडिया जैसे बाहरी प्रतिनिधि इस दस्ते का हिस्सा नहीं होते हैं।

ऍण्‍टी-रैगिंग दस्ते के कर्तव्य-

  • रैगिंग की किसी भी घटना की जांच-पड़ताल करना। कॉलेज के प्रमुख, माता-पिता या अभिभावक, संकाय के सदस्य, छात्र आदि सहित कोई भी किसी रैगिंग घटना के बारे में सूचित करने या शिकायत दर्ज करने के लिए ऍण्‍टी-रैगिंग दस्ते से संपर्क कर सकता है।
  • रैगिंग की घटना की जांच रिपोर्ट और अपनी सिफारिशें ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी को भेजें, जो फिर आगे की कार्रवाई करेगी।
  • हॉस्टल जैसे किसी भी स्थान पर जहां रैगिंग होने की संभावना होती है, वहां का औचक दौरा और निरीक्षण आदि करें।

मेंटरिंग / परामर्श सेल / कक्ष

प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में प्रत्येक कॉलेज के लिए एक मेंटरिंग सेल का गठन करना अनिवार्य है। यह उन छात्रों से बना होता है, जिन्होंने कॉलेज या संस्थान में शामिल होने वाले नये छात्रों के संरक्षक बनने की स्वयं पहल की है।

मेंटरिंग सेल का कर्तव्य, फ्रेशर्स या नये छात्रों को सहायता और मेंटरशिप / परामर्श देना है। कृपया ध्यान दें कि कानून के अनुसार, छह फ्रेशर्स पर एक मेंटर हो सकता है, और अधिक सीनियर स्तर के प्रत्येक मेंटर के मार्गदर्शन में छह संरक्षक होंगे। उदाहरण के लिए, यदि राम द्वितीय वर्ष का छात्र है, जिसमें छह फ्रेशर्स की मेंटरिंग की जानी है और श्याम तृतीय वर्ष का छात्र है, तो श्याम, राम और पांच अन्य ऐसे मेंटरों का मार्गदर्शन करेगा।

रैगिंग पर निगरानी सेल

प्रत्येक विश्वविद्यालय के लिए रैगिंग पर एक निगरानी सेल का गठन करना अनिवार्य है। रैगिंग पर निगरानी सेल के कर्तव्य हैं-

  • रैगिंग को रोकने के लिए विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी कॉलेजों की गतिविधियों का समन्वय करें।
  • मेंटरिंग सेल, ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड और कॉलेजों के प्रमुखों से ऍण्‍टी-रैगिंग समिति की गतिविधियों पर रिपोर्ट प्राप्‍त करें।
  • रैगिंग विरोधी उपायों को प्रचारित करने के लिए कॉलेजों के प्रयासों की समीक्षा करें।
  • माता-पिता और छात्रों से रैगिंग जैसे कृत्‍यों में शामिल न होने, और रैगिंग में शामिल पाये जाने पर सज़ा भुुगतने के लिए तैयार रहने हेतु हस्ताक्षरित शपथपत्र प्राप्‍त करें।
  • ऍण्‍टी-रैगिंग उपायों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिहाज़ से विश्वविद्यालय के किसी भी उपनियम या अध्यादेश में संशोधन करें।
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रैगिंग रोकने के लिए संस्थानों के कर्तव्य

रैगिंग रोकना कॉलेज का कर्तव्य है। सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को परिसर के भीतर और बाहर, दोनों जगहों पर रैगिंग खत्म करने के लिए सभी उपाय करने होंगे। कानून के तहत, सभी उप-इकाइयों, जैसे विभाग, कैंटीन, आदि सहित कोई भी कॉलेज या संस्थान, किसी भी तरह से रैगिंग की अनुमति नहीं दे सकता है।

सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को ऍडमिशन और नामांकन के समय जैसे अलग-अलग चरणों में रैगिंग रोकने के लिए कदम उठाने होते हैं।

प्रवेश के समय किये जाने वाले उपाय

सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को, छात्रों के प्रवेश के समय उपाय करने चाहिए। इनमें से कुछ हैं-

  • एक सार्वजनिक घोषणा (किसी भी प्रारूप में-प्रिंट, ऑडियो विजुअल, आदि) करें कि कॉलेज में रैगिंग पूरी तरह से निषिद्ध है, और जो कोई भी छात्रों की रैगिंग करता पाया जाएगा, उसे कानून के तहत दंडित किया जाएगा।
  • प्रवेश की विवरणिका में रैगिंग के बारे में जानकारी दें। उच्च शिक्षा संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए यूजीसी विनियमनों 2009 (यूजीसी गाइडलाइंस) को मुद्रित किया जाना चाहिए। साथ ही सभी महत्वपूर्ण पदाधिकारियों, जैसे कि प्रमुख, हॉस्टल वार्डन, आदि की संपर्क जानकारी, साथ ही ऍण्‍टी-रैगिंग हेल्पलाइन का नंबर भी छपना चाहिए।
  • आवेदन पत्र के साथ एक शपथ पत्र प्रदान करें। छात्रों और अभिभावकों के लिए ये हलफनामे में लिखा होना चाहिए कि छात्र और माता-पिता ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को पढ़ा और समझा है, वे जानते हैं कि रैगिंग निषिद्ध है और आवेदक किसी भी ततरह की रैगिंग में शामिल नहीं होगा, और ऐसे किसी भी व्यवहार में लिप्‍त पाये जाने पर वह सज़ा के लिए उत्तरदायी होगा या होगी। यदि छात्रावास के लिए आवेदन करने पर आवेदक को अतिरिक्त शपथ पत्रों पर हस्ताक्षर करने होंगे।
  • एक दस्तावेज़ प्रदान करें जो आवेदक के सामाजिक व्यवहार पर रिपोर्ट करता है। इस तरह के दस्तावेज़ में किसी भी लिखित कदाचार का उल्‍लेख किया जाएगा और कॉलेज, आवेदक पर नज़र रख सकता है। यह दस्तावेज़ आवेदन पत्र के साथ नत्‍थी होना चाहिए।
  • हॉस्टल वार्डनों, छात्रों, अभिभावकों आदि के प्रतिनिधियों के साथ रैगिंग रोकने के उपायों और कदमों पर चर्चा करें।
  • रैगिंग के लिए दंड-प्रावधानों और यूजीसी के दिशा-निर्देशों और अमल में ला सकने वाले अन्य कानूनी प्रावधानों को विभिन्न स्थानों पर प्रमुखता से डिस्‍पले करें।
  • जिन स्थानों पर रैगिंग होने की संभावना है, उन स्थानों को पहचान कर उन पर कड़ी निगरानी रखें। ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड और संबद्ध
  • वॉलंटियरों को सेमेस्टर के पहले कुछ महीनों के दौरान अप्रत्‍याशित समय-समय पर ऐसे स्थानों का औचक निरीक्षण करना चाहिए।

नामांकन / पंजीकरण के दौरान किये जाने वाले उपाय

सभी कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को छात्रों के नामांकन / पंजीकरण के समय कुछ निश्‍चित उपाय करने होंगे। इनमें से कुछ हैं-

  • कॉलेज के प्रत्येक नये छात्र को एक पर्चा दिया जाना चाहिए जो यह निर्दिष्ट करेगा-
    • रैगिंग के दौरान और प्रकरण में जिन व्यक्तियों से संपर्क साधा जा सकता है, जैसे ऍण्‍टी-रैगिंग हेल्पलाइन नंबर, हॉस्टल वार्डन, स्थानीय पुलिस आदि जैसे व्यक्तियों की संपर्क जानकारी।
    • नये छात्रों को बातचीत करने और वरिष्ठ छात्रों के साथ मिलने-जुलने में सक्षम बनाने के लिए जो समावेशन कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
    • संबद्ध कॉलेज के छात्र के बतौर मिले अधिकार।
    • निर्देश कि छात्र को किसी भी प्रकार की रैगिंग में शामिल नहीं होना चाहिए, भले ही सीनियर छात्रों द्वारा ऐसा करने को बोला जाये, और यह कि रैगिंग के हर प्रकरण को तुरंत रिपोर्ट किया जाएगा।
    • शैक्षणिक परिवेश के साथ-साथ फ्रेशर्स की पहचान की सुविधा के लिहाज़ से बनीं सभी गतिविधियों वाला एक कैलेंडर।
  • छात्रों को रैगिंग की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यदि वे पीड़ित हैं या वे किसी अन्य छात्र की ओर से शिकायत करते हैं, तो उनकी पहचान सुरक्षित और गुप्‍त रखी जाएगी, और उन्हें केवल उस घटना की रिपोर्ट करने के लिए कोई भी प्रतिकूल परिणाम भुगतना नहीं पड़ेगा।
  • फ्रेशर्स / नये छात्रों की बैच को छोटे-छोटे समूहों में विभाजित किया जाएगा, और प्रत्येक समूह में एक शिक्षक होगा जो छात्रों की समस्याएं समझने के लिए उनके साथ रोज़ बातचीत करेगा।
  • हॉस्टलों में फ्रेशर्स को सीनियर्स से अलग रखा जाना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में जहां यह संभव नहीं है, सीनियर छात्रों की जूनियर छात्रों तक पहुंच की निगरानी वार्डन / छात्रावास सुरक्षा द्वारा की जानी चाहिए।
  • कॉलेज के प्रमुख को शैक्षणिक वर्ष के अंत में प्रथम वर्ष के छात्रों के माता-पिता को एक पत्र भेजना चाहिए, ताकि उन्हें रैगिंग और उसके दंड-प्रावधानों के बारे में बताया जा सके। पत्र में माता-पिता से यह भी आग्रह करना चाहिए कि वे अपने बच्चों को रैैगिंग जैसे किसी भी व्यवहार में शामिल न होने के लिए कहें।

सामान्य उपाय

ऊपर दिये गये उपायों के अलावा, हरेक कॉलेज को कुछ सामान्य उपाय करने होंगे। इनमें से कुछ हैं-

  • कॉलेज को ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी, ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड, मेंटरिंग सेल और मॉनिटरिंग सेल जैसे प्राधिकरणों का गठन करना चाहिए।
  • हरेक छात्रावास में एक पूर्णकालिक वार्डन होना चाहिए, जिसकी योग्यताओं में ये शामिल हों-छात्रों को अनुशासित कर सकना, रैगिंग को रोकने और छात्रों से संवाद / परामर्श करने की क्षमता।
  • वार्डन को हर समय उपलब्ध होना चाहिए, कॉलेज द्वारा प्रदत्त उसका एक टेलीफोन नंबर अच्छी तरह से प्रसारित होना चाहिए।
  • कॉलेज को ऑडियो-विजुअल सामग्री, काउंसलिंग सत्र, कार्यशालाओं आदि के माध्यम से रैगिंग के खिलाफ प्रचार के लिए व्यापक उपाय करने होंगे।
  • कॉलेजों / विश्वविद्यालयों को कक्षाओं / पुस्‍तकालयों के अलावा छात्रों को ऍण्‍टी-रैगिंग स्क्वॅड से रैगिंग की शिकायत करने के लिहाज़ से संबद्ध मोबाइल फोनों पर बेरोक और आसान पहुंच मुहैया करानी चाहिए।
  • परा-शिक्षण स्‍टाफ सहित कॉलेज के सभी संकायों को रैगिंग के मुद्दे पर संवेदनशील बनाया जाएगा।

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रैगिंग के खिलाफ शिकायत

यदि आपकी रैगिंग की जा रही है, तो आप कॉलेज के अधिकारियों, राष्ट्रीय हेल्पलाइन या पुलिस से शिकायत कर सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि कोई अन्य व्यक्ति भी आपकी ओर से शिकायत कर सकता है। आप निम्न अधिकारियों से शिकायत कर सकते हैं-

राष्ट्रीय ऍण्‍टी-रैगिंग हेल्पलाइन

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक हेल्पलाइन नंबर और ईमेल पता स्थापित किया है, जिस पर आप रैगिंग के किसी मामले को लेकर संपर्क कर सकते हैं। हेल्पलाइन नंबर 1800-180-5522 है, और ईमेल पता helpline@antiragging.in है।

ऑनलाइन शिकायत

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक वेब पोर्टल स्थापित किया है जहाँ आप ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। शिकायत दर्ज करने के लिए, यहां जाएं, जहां आपको कुछ विवरण देने के लिए कहा जाएगा, जैसे कि आपका नाम, कॉलेज, घटना का विवरण इत्यादि। आप अपनी शिकायत को “ट्रैक कम्‍प्‍लेंट” पर क्लिक करके भी देख सकते हैं।

ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ता

आप अपने कॉलेज के ऍण्‍टी-रैगिंग दस्‍ते के साथ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह दस्ता शिकायत की जांच करेगा, वे मामले की प्रकृति और उसकी गंभीरता का निर्धारण करेंगे और ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी को अपनी सिफारिशें देंगे। समिति फिर रैगिंग के लिए जिम्मेदार छात्रों को दंडित करेगी।

कृपया ध्यान दें कि आप रैगिंग की शिकायत संकाय के किसी भी सदस्य या कॉलेज के प्रमुख के पास भी दर्ज करवा सकते हैं।

पुलिस

रैगिंग के गंभीर प्रकरण में, आप रैगिंग के लिए जिम्मेदार छात्रों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं। पुलिस मामले की जांच करेगी, और रैगिंग के लिए जिम्मेदार छात्रों को दंडित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।

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रैगिंग की शिकायतों के खिलाफ अपील

कोई भी छात्र ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी द्वारा दी गयी किसी भी सजा के खिलाफ अपील कर सकता है। आपका अपील प्राधिकारी इस बात पर निर्भर करेगा कि सजा का निर्णय कौन करता है। अपील करने के लिए सही प्राधिकरण खोजने के लिए नीचे देखें-

  • यदि आप किसी विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज के निर्णय से दुखी हैं, तो आपको विश्वविद्यालय के कुलपति से अपील करनी चाहिए
  • यदि आप विश्वविद्यालय के निर्णय से व्यथित हैं, तो आपको विश्वविद्यालय के कुलाधिपति से अपील करनी चाहिए
  • यदि आप राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (संसद द्वारा स्थापित) के निर्णय से दुखी हैं, तो आपको उस संस्था के चांसलर / अध्यक्ष से अपील करनी चाहिए।

 

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रैगिंग के लिए सज़ा

यदि कोई छात्र किसी अन्य छात्र की रैगिंग करते पकड़ा जाता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है। सज़ा का यह रूप हो सकता है-

छात्र के खिलाफ संस्‍थागत कार्रवाई- उदाहरण के लिए, कॉलेज से निलंबन, छात्रावास से निलंबन, आदि।

छात्र के खिलाफ पुलिस में शिकायत- यदि छात्र के खिलाफ शिकायत या एफआईआर दर्ज की जाती है, तो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 के तहत मामला बनाया जा सकता है, जिससे जेल अवधि या जुर्माना जैसे गंभीर आरोप लगेंगे।

संस्‍थागत दंड

यदि आप रैगिंग करते हुए पकड़े जाते हैं, तो ऍण्‍टी-रैगिंग कमेटी आपको इस प्रकार से दंडित कर सकती है-

  • कक्षाओं में उपस्थिति‍ से और शैक्षणिक विशेषाधिकारों से निलंबन।
  • छात्रवृत्ति / फेलोशिप और अन्य लाभों को वापस लेना।
  • आपको किसी भी परीक्षण / परीक्षा में शामिल होने से वंचित करना।
  • परिणाम रोकना।
  • आपको किसी भी क्षेत्रीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय बैठक, टूर्नामेंट, युवा उत्सव, आदि में कॉलेज का प्रतिनिधित्व करने से वंचित करना।
  • छात्रावास से निलंबन / निष्कासन।
  • आपका कॉलेज-प्रवेश रद्द।
  • एक से चार सेमेस्टर तक की अवधि के लिए कॉलेज से निष्‍कासन।
  • कॉलेज से ऐसी निकासी कि उसके परिणामस्वरूप किसी अन्य कॉलेज में एक निश्चित अवधि के लिए प्रवेश से वंचित करना।

पुलिस से शिकायत

रैगिंग के अधिक गंभीर मामलों में, यदि प्राथमिकी या पुलिस शिकायत दर्ज की जाती है, तो छात्र को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 के तहत दंडित किया जा सकता है। IPC के तहत दंडनीय कुछ गतिविधियां-

शारीरिक शोषण

रैगिंग में एक छात्र को शारीरिक शोषण और उसके साथ हिंसक

व्‍यवहार करना शामिल हो सकता है। ऐसे मामले में, जो छात्र किसी अन्य छात्र की रैगिंग कर रहा था, उसे निम्नलिखित तरीके से दंडित किया जा सकता है –

  • यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी को चोट पहुँचाता है, या ऐसे तरीके से कार्य करता है जिससे किसी को चोट लगने की संभावना है, तो उसे 1 वर्ष तक की जेल सजा और / या एक हज़ार रुपये के जुर्माने तक की सजा हो सकती है। उदाहरण के लिए, किसी छात्र के साथ मारपीट को इस कानून के तहत अपराध माना जा सकता है। यदि यह खतरनाक हथियारों (उदाहरण के लिए, बंदूक) का प्रयोग किया जाता है, तो सजा, जुर्माने के साथ या बिना जुर्माने के 3 साल तक की जेल हो सकती है।
  • अगर कोई जानबूझकर किसी को कष्‍ट या चोट पहुंचाता है, या ऐसे तरीके से काम करता है जिससे किसी को चोट लगने की संभावना है, तो उसे 7 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।  मसलन, यदि किसी छात्र की पिटाई होती है और उसके हाथ-पांव टूटते हैं, तो उसे इस कानून के तहत अपराध माना जा सकता है। यदि यह खतरनाक हथियारों (उदाहरण के लिए, एक बंदूक) का प्रयोग करके किया जाता है, तो सजा या तो आजीवन कारावास, या 10 साल तक की जेल और जुर्माना है।
  • यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी व्यक्ति पर उसकी सहमति के बिना किसी भी प्रकार के बल का प्रयोग करता है, तो उस व्यक्ति पर अपराध करने / चोट, भय या चिढ़ पैदा करने का आरोप लग सकता है और उसे 3 महीने तक की जेल की सजा हो सकती है और / या 500 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र किसी अन्य छात्र को सड़क पर धकेलता है और उसे सड़क पर चलने वाले वाहनों की चपेट में लाने से डराता है।

यौन शोषण

रैगिंग के नाम पर अगर कोई किसी का यौन उत्पीड़न करता है, तो यह एक अपराध है। उदाहरण के लिए, यदि कोई किस महिला को लैंगिक रूप से और ज़बरदस्ती छूता है, या उसे परेशान करता है, या चुपके चुपके उसका पीछा करता है, तो यह एक अपराध है। यहाँ और पढ़ें

आने-जाने पर रोक लगाना,अड़ंगा डालना

रैगिंग में एक छात्र के आने-जानेे को प्रतिबंधित करना या उसे बंद कर देना शामिल हो सकता है। ऐसे मामले में, जो छात्र किसी अन्य छात्र की रैगिंग कर रहा था, उस पर निम्नलिखित अपराधों का आरोप लगाया जा सकता है-

  • यदि कोई अपनी मनमर्जी़ से किसी व्यक्ति को बाधित करता है ताकि वह एक निश्चित दिशा में जाने में सक्षम नहीं हो तो, इसे एक अपराध माना जाता है।  उदाहरण के लिए, किसी छात्र को कॉलेज की कैंटीन में न आने देना। इसके लिए सजा 1 महीने तक की जेल और / या 500रुपये  का जुर्माना है।
  • यदि कोई जबरन किसी व्यक्ति को रोक देता है ताकि वह एक निश्चित सीमा से आगे नहीं बढ़ पाए (यानी उसे बंद कर दे), यह एक अपराध है। मसलन, यदि कोई छात्र किसी अन्य छात्र को पेड़ से बांध दे, तो इसे इस कानून के तहत एक अपराध माना जा सकता है। इसकी सज़ा, 1 साल तक की जेल और / या 1000 रुपये तक जुर्माना, हो सकती है।

ब्‍लैकमेल

रैगिंग में किसी छात्र को ब्लैकमेल करना और डराना-धमकाना भी शामिल हो सकता है। ऐसे मामले में, जो छात्र किसी अन्य छात्र की रैगिंग कर रहा था, उस पर निम्नलिखित अपराधों का आरोप लगाया जा सकता है-

  • अगर कोई जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति को चोट लगाने से डराता है, ताकि वह व्यक्ति उसे, या किसी दूसरे को, कुछ मूल्यवान चीज़ दे दे, तो यह एक अपराध है। मसलन, राम श्याम को धमकी देता है कि श्याम अगर उसे पैसे नहीं देगा, तो राम उसके बारे में अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करेगा, और इसलिए श्याम उसे पैसे देता है। यहाँ, राम को इस अपराध के तहत दंडित किया जाएगा। इसके लिए सजा 3 साल तक की जेल और / या जुर्माना है।
  • यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को धमकी देता है कि वह उसे या किसी अन्य व्यक्ति (जैसे, परिवार के सदस्य या दोस्त) को, उसकी प्रतिष्ठा या संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा, और इस तरह उस व्यक्ति को डराता है या उसे ऐसा करने के लिए बाध्‍य करता है जो करना उसके लिए बिल्‍कुल भी ज़रूरी नहीं है या फिर उसे ऐसा कुछ करने से रोकता है जिसे करने के लिए वह जवाबदेह है, तो यह एक अपराध है। उदाहरण के लिए, यदि राम ने श्याम को धमकी दी कि जब तक श्याम उसे पैसे नहीं देगा, राम उसके घर को जला देगा, और इस कारण श्याम ने उसे पैसे दिये, तो राम ने यह अपराध किया। इसके लिए सज़ा कम से कम 2 साल तक की जेल और / या जुर्माना है। अन्य मामलों में अधिक गंभीर सज़ा हो सकती है।

कृपया ध्यान दें कि इनमें से किसी भी कार्य को करने के प्रयास या धमकी को भी रैगिंग माना जाता है। अगर आपको या आपके किसी परिचित की रैगिंग हो रही है, तो आप शिकायत कर सकते हैं। इसके बारे में यहाँ और जानें

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