लाउडस्पीकर और पब्लिक एड्रेस सिस्टम

लाउडस्पीकर और पब्लिक एड्रेस सिस्टम भारत में ध्वनि प्रदूषण का एक सामान्य स्रोत है, और इसका उपयोग केवल स्थानीय अधिकारियों से लिखित अनुमति मिलने के बाद ही किया जा सकता है। यदि लाउडस्पीकर और एम्पलीफायर या अन्य उपकरण या गैजेट से ध्वनि प्रदूषण हो रहा है, तो सरकारी अधिकारी इन सब साजो-सामान (यंत्रों) को जब्त कर सकते हैं। जहां लाउडस्पीकर या पब्लिक एड्रेस सिस्टम या किसी अन्य ध्वनि यंत्र का इस्तेमाल किया जा रहा हो, वहाँ ध्वनि का स्तर 30 डीबीए से अधिक नहीं होना चाहिए:

• उस क्षेत्र के आसपास का शोर/ध्वनि मानक 10 डीबी (ए)/10 dB(A) से ऊपर, या

• 75 डीबी (ए)/ 10 dB(A) हो।

अधिकांश ध्वनि का स्तर डीबी(ए)/dB(A) में दिए जाते हैं, जो अलग-अलग आवाजों की फ्रीक्वेंसी के प्रति किसी व्यक्ति के कान की प्रतिक्रिया या संवेदनशीलता को डेसिबल के रूप में दर्शाते हैं।

रात के समय

रात के 10 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी खुले स्थान पर लाउडस्पीकर, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, साउंड प्रोड्यूसिंग इंस्ट्रूमेंट (ऐसे यंत्र जिससे तेज आवाज़ निकलती हो), या एम्पलीफायर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। कानून के तहत बंद परिसरों जैसे कि सभागारों, सम्मेलन कक्षों, सामुदायिक हॉलों, बैंक्वेट हॉलों में इन सब यंत्रों का उपयोग हो सकता है, या फिर सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में रात के 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच में इन सब यंत्रों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

धार्मिक त्योहार

राज्य सरकार सांस्कृतिक या धार्मिक त्योहारों के अवसर पर रात के समय में (रात के 10.00 बजे से मध्यरात्रि 12.00 बजे के बीच) लाउडस्पीकर बजाने, या सार्वजनिक संबोधन करने, आदि की अनुमति दे सकती है। राज्य सरकार ऐसे दिनों की घोषणा कर सकती है, जिन दिनों में ऐसे उपकरणों को बजाना या इस्तेमाल करना ध्वनि प्रदूषण नहीं माना जाएगा। हालांकि, सरकार एक साल में अधिकतम 15 दिन ही ऐसा करने की अनुमति दे सकती है। उदाहरण के लिए, सरकार दिवाली, ओणम, पोंगल, आदि त्योहारों के दौरान लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति दे सकती है।

निजी साउंड सिस्टम

यदि आपके पास खुद का साउंड सिस्टम है या फिर ऐसे यंत्र हैं जिससे तेज ध्वनि निकलती है, तो आप उसकी ध्वनि सीमा को 5 डीबी (ए) से अधिक नहीं कर सकते। अगर लाउडस्पीकर या किसी अन्य ध्वनि उत्पन्न करने वाले यंत्र के कारण आपको परेशानी हो रही है, तो आप ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए शिकायत दर्ज करा सकते हैं और ध्वनि प्रदूषण करने वाले ऐसे व्यक्ति को सजा होगी।

शिकायत दर्ज करने के बाद काम/कार्यस्थल का वातावरण

अगर आप यौन उत्पीड़न की शिकार हैं तो आप आपने काम के वातावरण को सुरक्षित/अनुकुल बनाने के लिए ‘शिकायत समिति’ को लिखकर निम्नलिखित उपायों की यह मांग कर सकते हैं:

  • उस व्यक्ति को, जिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है, आपके काम पर टिप्पणी (रिपोर्टिंग) करने से रोका जाय, और/ या किसी और को यह काम करने के लिये चुना जाय।
  • यदि यौन उत्पीड़न की घटना एक अकादमिक वातावरण (शिक्षण संस्थान) में हुई तो आरोपित व्तक्ति को पर्यवेक्षण (सुपरवाइज़िंग) कार्य से हटा दिया जाय।

फार्मासिस्टों द्वारा नैतिक आचरण

फार्मासिस्टों के लिए कुछ नैतिक आचरणों में निम्नलिखित चीजें शामिल होती हैं:

फार्मासिस्टों द्वारा ड्रग्स / दवाओं का प्रबंधन

फार्मासिस्टों को स्केल और सही तरीकों की मदद से सभी सामग्रियों को वजन और सही अनुपात में मापकर उचित ढंग से निकालने के लिए सभी संभव देखभाल करनी चाहिए (दृश्य अनुमानों से बचा जाना चाहिए)। इसके अलावा, एक फार्मासिस्ट को हमेशा मानक गुणवत्ता की दवाओं और औषधि मिश्रण का उपयोग करना चाहिए, और कभी भी मिश्रणों में मिलावट नहीं करनी चाहिए। एक फार्मासिस्ट को जहरीली दवाओं और औषधीय मिश्रण या नशे की लत और ऐसे ही अन्य में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के प्रबंधन में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।

ड्रग्स / दवाइयों की हॉकिंग

दवाओं की हॉकिंग करने पर मनाही है। इसलिए, फार्मासिस्ट उत्पादों को घर-घर जाकर नहीं बेच सकते हैं। फार्मासिस्ट खुद-बखुद दवाइयों को न बेच सकें इसलिए किसी विशेषज्ञ पर्यवेक्षण के बिना, फार्मासिस्ट, दवाओं का वितरण नहीं कर सकते हैं।

उचित ट्रेड अभ्यास

कड़ी प्रतियोगिता के तहत, एक अन्य दवा प्रतिष्ठान के व्यवसाय पर कब्जा करने के उद्देश्य से फार्मासिस्टों के बीच ऐसे कृत्यों की मनाही है, जिससे दूसरे फार्मासिस्ट को नुकसान पहुंचता हो। कड़ी प्रतियोगिता में शामिल हैं:

  • ग्राहकों को किसी भी प्रकार के पुरस्कार, उपहार या किसी भी प्रकार की खरीद की पेशकश करना
  • साथी फार्मासिस्ट द्वारा वसूले गए उचित मूल्यों की तुलना में, मेडिकल वस्तुओं के लिए कम कीमत वसूलना।

यदि किसी विशेष डिस्पेंसरी द्वारा सेवा दिए जाने के बावजूद अगर प्रिसक्रिप्शन या आदेश किसी अन्य डिस्पेंसरी में गलती से चला जाता है, तो बाद वाले को इसे स्वीकार करने से इनकार कर देना चाहिए और ग्राहक को सही जगह पर भेजना चाहिए। लेबल, ट्रेडमार्क और अन्य संकेतों और अन्य दवा प्रतिष्ठानों के प्रतीकों की नकल करना भी गैर-कानूनी है।

विज्ञापन और प्रदर्शन

जनता को दवाइयां बेचने के संबंध में, एक फार्मासिस्ट को ऐसे डिस्प्ले का उपयोग नहीं करना चाहिए जो

अनिच्छुक हैं, या जिनमें निम्नलिखित चीजें शामिल हैं:

  • कोई भी शब्द, डिजाइन या चित्रण जो फार्मासिस्ट या किसी व्यक्ति के प्रति गलत बातें प्रस्तुत करता हो।
  • अन्य आपूर्तिकर्ताओं, उत्पादों, उपचारों के लिए कोई अपमानजनक संदर्भ। भले ही इसमें टिप्पणियां प्रत्यक्ष या निहित हों, इसकी अनुमति नहीं है।
  • भ्रामक या अतिरंजित बयान या दावे।
  • बीमारी या स्वास्थ्य के लक्षणों के संदर्भ में “इलाज” शब्द का इस्तेमाल।
  • चिकित्सीय प्रभाव की गारंटी
  • विज्ञापनों के माध्यम से भय बढ़ाने का प्रयास।
  • ग्राहक द्वारा भुगतान किए गए धन को वापस करने का प्रस्ताव
  • पुरस्कार, प्रतियोगिता या समान योजनाएं।
  • दवाइयों या मिश्रणों को देते वक्त ऐसे किसी चिकित्सक या अस्पताल, या “डॉक्टर” या “डॉ. ” या “नर्स” शब्दों का इस्तेमाल करना, जो वैध नहीं हैं।
  • यौन कमजोरी, समय से पहले बुढ़ापा या पौरुष की कमी का संदर्भ।
  • यौन प्रकृति की शिकायतों का संदर्भ।

यदि कोई फार्मेसी जानती है, या जान सकती है कि कोई मिश्रण ऐसे साधनों द्वारा विज्ञापित किया जाता है, जिसमें ऐसे मिश्रणों को फार्मेसी में प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए।

भावी नियोक्ता के लिए दस्तावेज़

आपकी नियुक्ति से पहले, यह जांचने के लिए कि आप नौकरी के लिए योग्य हैं या नहीं, नियोक्ता आपसे कुछ दस्तावेज़ जमा करने के लिए कह सकते हैं । उनमें से कुछ हैं:

पुराने नियोक्ता के दस्तावेज़

विमुक्ति पत्र (यदि लागू हो)

आपका नियोक्ता आपसे अपने पिछले नियोक्ता का एक हस्ताक्षरित दस्तावेज़ लाने के लिए बोल सकता है जिसमें यह कहा गया हो कि अब आप उनके साथ नहीं जुड़े हैं। किसी नए कर्मचारी द्वारा पिछले नियोक्ता के साथ समझौते को समाप्त नहीं किए होने की स्थिति में यह नियोक्ता को विवादों से बचाता है।

कार्य संदर्भ

आपका भावी नियोक्ता आपको साक्षात्कार के चरण से पहले या नौकरी का प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद कार्य संदर्भ मांग सकता है। आमतौर पर कार्य संदर्भ आपके पूर्व-नियोक्ता का एक संपर्क का जरिया होता है, जो काम के दौरान आपके काम की गुणवत्ता और आपके चरित्र की पुष्टि और व्याख्या कर सकता है। नियोक्ता इसे संदर्भ पत्र के रूप में मांग सकते है या वे सीधे संदर्भित से संपर्क कर सकते हैं।

पे स्लिप

नई नौकरी में आपका वेतन निर्धारित करने के लिए कुछ नियोक्ता पिछले नियोक्ता द्वारा दी गई पे स्लिप की एक प्रति मांगते हैं, इसकी दोहरी जांच करने के लिए कि आप अपने पिछले कार्यालय में कितना कमा रहे थे।

बायोडाटा और अन्य दस्तावेज़

बायोडाटा/सी.वी

आपका नियोक्ता आपके समस्त कार्य अनुभव और शिक्षा के सभी विवरणों के साथ आपका नवीनतम बायोडाटा या आत्म परिचय मांगेगा।

शैक्षिक प्रमाणन/दस्तावेज़

एच.आर उद्देश्यों और कर्मचारियों के दस्तावेजीकरण के लिए, कुछ नियोक्ता आपसे शिक्षा का प्रमाण जैसे स्कूल का प्रमाण पत्र, कॉलेज का स्नातक प्रमाण पत्र, उच्च अध्ययन का प्रमाण पत्र आदि मांग सकते हैं।

पहचान प्रमाण दस्तावेज़

सरकार-अधिकृत पहचान प्रमाण

अधिकांश नियोक्ता आपकी पहचान की आश्वस्ती और दस्तावेजीकरण के उद्देश्यों से आपसे पासपोर्ट-आकार की तस्वीरें और आधार, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि जैसे पहचान प्रमाण की एक प्रति मांगते हैं।

पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट

कभी-कभी नियोक्ता पिछले या मौजूदा आपराधिक रिकॉर्ड की जांच के लिए कर्मचारियों को पुलिस सत्यापन कराने के लिए कह सकते हैं। दिल्ली जैसे कुछ राज्यों में यह प्रावधान ऑनलाइन होता है। अन्यथा, यदि आपका नियोक्ता आपकी मदद नहीं करता है, तो आपको स्वयं पुलिस थाने जाना होगा और पुलिस अधिकारी से पुलिस क्लीयरेंस प्रमाण पत्र के लिए अनुरोध करना तथा इसे अपने नियोक्ता को प्रस्तुत करना पड़ सकता है।

वेतन खाते के लिए दस्तावेज़

बैंक का विवरण

आपका नियोक्ता या तो आपके बैंक का विवरण मांगेगा या आपका एक नया बैंक खाता शुरू करवाएगा, ताकि वे आपका वेतन उस खाते में स्थानांतरित कर सकें।

नियोक्ताओं को मजदूरी का भुगतान कब करना चाहिए?

नियोक्ता कर्मचारियों के लिए दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक के रूप में वेतन अवधि निर्धारित कर सकते हैं (कोई भी वेतन अवधि एक महीने से अधिक नहीं हो सकती है)।

कर्मचारी निम्नलिखित में नियोजित:  मजदूरी का भुगतान जब किया जाये : 
दैनिक आधार पर शिफ्ट के अंत में
साप्ताहिक आधार पर सप्ताह के अंतिम कार्य दिवस पर
पाक्षिक (14 दिन) आधार पर दो सप्ताह की समाप्ति के बाद दूसरे दिन की समाप्ति से पहले
मासिक आधार पर अगले महीने के सातवें दिन के अंत से पहले

यदि किसी कर्मचारी को हटा दिया जाता है, छंटनी की जाती है, या सेवा से इस्तीफा दे दिया जाता है, या बेरोजगार हो जाता है, तो नियोक्ता दो कार्य दिवसों के भीतर उनके वेतन का भुगतान करेगा।

सज़ा

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के सभी मामलों के लिए कानून एक ही तरह की सजा नहीं होती है। इसके बजाय, जांच करने वाली समिति यह सिफारिश करेगी कि पीड़िता के नियोक्ता के पास यदि अपने कार्यस्थल का ‘सेवा नियमावली’ है, तो वे उसके मुताबिक काम करे। अगर आपके पास ‘कर्मचारी हैंडबुक’ है तो उसे देखे कि आपका नियोक्ता यौन उत्पीड़क को कैसे दंडित करता है। यदि कार्यस्थल का ‘सेवा नियमावली’ नहीं हैं तो समिति सिफारिश करेगी कि जिला अधिकारी कार्रवाई करे। सजा के रूप में एक अभियुक्त को:

  • लिखित माफीनामा देना होगा -बढ़ोतरी / पदोन्नति / वेतन वृद्धि से इंकार कर दिया जायेगा
  • सामुदायिक सेवा करनी होगी
  • चेतावनी दी जाय या निंदा की जाय
  • काम से निलम्बित कर दिया जाय -काउंसेलिंग करवानी होगी

कार्यस्थल पर ‘सेवा नियमावली’ हो या नहीं, समिति यह भी सिफारिश कर सकती है कि नियोक्ता अभियुक्त के वेतन/मजदूरी से एक निश्चित राशि काट ले ताकि प्रताड़ित होने वाली महिला को मुआवजा अदा किया जा सके। यदि नियोक्ता अभियुक्त के वेतन से पैसा नहीं ले सकता क्योंकि वे काम नहीं कर रहे हैं या काम छोड़ चुके हैं तो समिति अभियुक्त को सीधे पीड़िता को मुआवजा देने का आदेश दे सकती है। अगर अभियुक्त ने मुआवजे का भुगतान नहीं किया तो समिति जिला अधिकारी से कह सकती है कि वह अभियुक्त से मुआवजे की राशि वसूल करे।

किसी फार्मासिस्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज करना

किसी फार्मासिस्ट के पेशेवर दुराचार के संबंध में किसी भी शिकायत को राज्य फार्मेसी परिषद या फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए लाया जा सकता है। प्रत्येक राज्य सरकार को एक राज्य फार्मेसी काउंसिल स्थापित करना आवश्यक है। राज्य आपसी समझौते के साथ संयुक्त राज्य परिषद बनाने के लिए भी स्वतंत्र हैं। भारत में सभी राज्य फार्मेसी काउंसिल की सूची यहां दी गई है।

शिकायत करने की प्रक्रिया

पंजीकृत फार्मासिस्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इससे संबंधित कानून राज्यों में निर्धारित किए जाते हैं और केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में आपको अपनी शिकायत राज्य फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार को लिखित रूप से प्रस्तुत करनी होती है और इसके साथ-साथ आपको शिकायत का आधार भी बताना होता ही।

आम तौर पर, शिकायत में शिकायतकर्ता का विवरण और पता होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि शिकायत में अनाम शिकायतों का प्रावधान नहीं है। यदि शिकायत में कोई भी जानकारी शिकायतकर्ता के व्यक्तिगत ज्ञान के भीतर नहीं है, तो ऐसी सूचना का स्रोत और

शिकायतकर्ता ऐसा क्यों मानता है और यह किन कारणों से सच है, यह सब स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए।

फार्मासिस्ट को दंड देना

शिकायत प्राप्त होने के बाद, उपयुक्त फार्मेसी काउंसिल व्यवसायी की सुनवाई करेगी। यदि वे दोषी पाए जाते हैं, तो काउंसिल उन्हें दंडित करेगी।

सजा काउंसिल द्वारा निर्धारित की जाती है और वह पूरी तरह से या एक निश्चित अवधि के लिए संबंधित रजिस्टर से व्यवसायी के नाम को हटाने का आदेश भी दे सकती है। इसका मतलब है कि फार्मासिस्ट उस अवधि के लिए अभ्यास नहीं कर पाएगा।

नियोजन की शर्तें

यह सुनिश्चित करने के लिए कि निजी क्षेत्र में एक कर्मचारी के रूप में आपके अधिकार सुरक्षित हैं, आपको अपने नियोजन के अनुबंध की शर्तों को सावधानीपूर्वक पढ़ना और समझना चाहिए। इसमें ना केवल बुनियादी शर्तों का जिक्र होगा जैसे कि वेतन और नौकरी का विवरण, बल्कि नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के अधिकारों तथा कर्तव्यों का भी विस्तारपूर्वक वर्णन किया जाएगा। इसीलिए आपको हमेशा एक लिखित अनुबंध प्राप्त करने का आग्रह करना चाहिए और इस पर हस्ताक्षर करने से पहले इसे ध्यान से पढ़ना चाहिए क्योंकि इस पर हस्ताक्षर कर दिए जाने के बाद किसी भी शर्तों को बदलना मुश्किल होगा।

कानून के तहत अधिकारी कौन हैं?

सलाहकार बोर्ड 

सरकार ऐसे मामलों पर सलाह देने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर सलाहकार बोर्डों का गठन करेगी:

• न्यूनतम मजदूरी तय करना या उसमें संशोधन करना

• महिलाओं के लिए रोजगार( के नियोजन को)के बढ़ते अवसर प्रदान करना और किस हद तक प्रतिष्ठान महिलाओं को रोजगार दे सकते हैं।

निरीक्षक-सह-प्रशिक्षक 

संबंधित सरकार निम्नलिखित के लिए निरीक्षक-सह-प्रशिक्षक नियुक्त कर सकती है:

• इस संहिता के प्रावधानों के अनुपालन के संबंध में नियोक्ताओं और कामगारों को सलाह देना।

• प्रतिष्ठानों का निरीक्षण करें।

राजपत्रित अधिकारी 

संबंधित सरकार संहिता के तहत दावों को सुनने और निर्धारित करने के लिए एक या एक से अधिक अधिकारियों को नियुक्त कर सकती है, जो राजपत्रित अधिकारी के पद से नीचे नहीं हैं। प्राधिकारी तीन महीने के भीतर इस मुद्दे को हल करने का प्रयास करेगा, और अतिरिक्त रूप से नियोक्ता को दावे के दस गुना तक मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दे सकता है।

यदि नियोक्ता दावा और मुआवजे का भुगतान नहीं करता है, तो प्राधिकारी उस क्षेत्र के कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट को, जहां स्थापना स्थित है, वसूली का प्रमाण पत्र जारी कर भू-राजस्व के बकाया के रूप में राशि को वसूल कर सकते हैं। वे वसूल की गई राशि संबंधित कर्मचारी को भुगतान करने के लिए प्राधिकारी को देंगे।

यदि कोई व्यक्ति प्राधिकारी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो वे नब्बे दिनों के भीतर अपीली प्राधिकारी के पास अपील कर सकते हैं। 30

शिकायत की जाँच के दौरान आपकी गोपनीयता रक्खी जाय

पीड़िता के नाते आपको यह अधिकार है कि आप अपने शिकायत और उसके बाद होने वाली कार्यवाही को व्यक्तिगत (निजी) रक्खें। कानून यह गारंटी देता है कि निम्नलिखित जानकारियाँ निजी हैं:

  • आपकी पहचान और पता
  • जिस व्यक्ति पर आप आरोप लगाते हैं उसकी पहचान और पता, साथ ही गवाहों के पहचान और पता।
  • समिति द्वारा किए जा रहे सुलह /’कंसिलिएशन’ (‘शब्दावली’ में देखें कि इसका क्या मतलब है) या जांच के बारे में जानकारी।
  • आंतरिक समिति या स्थानीय समिति की सिफारिशें
  • नियोक्ता या जिला अधिकारी द्वारा की गई कारवाई

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