आचार-संहिता (एमसीसी) के तहत कौन-कौन आता है?

आचार-संहिता (एमसीसी) इन सब पर लागू होता है:

– राजनीतिक दल या पार्टी,

– उम्मीदवार,

– संगठन,

– समितियां,

– निगम/संस्था/नगरपालिका, और

– केंद्र या राज्य सरकार द्वारा पूर्ण या आंशिक रूप से वित्त पोषित आयोग। जैसे: विद्युत-नियामक आयोग, जल-बोर्ड, परिवहन-निगम, आदि।

सशस्त्र बलों द्वारा गोली मारने और बल का प्रयोग करने का अधिकार

सशस्त्र बलों द्वारा गोली मारने और बल का उपयोग करने के अधिकारों का उपयोग किसके खिलाफ किया जा सकता है:

  • कोई भी व्यक्ति जो किसी कानून का उल्लंघन कर रहा है, या
  • वह व्यक्ति जो पांच या उससे अधिक लोगों की सभा बनाए, या
  • कोई भी व्यक्ति जिसके पास हथियार या ऐसी चीजें हैं जो हथियार या आग्नेयास्त्रों, गोला-बारूद या विस्फोटक पदार्थों के रूप में इस्तेमाल की जा सकती हैं, जोकि अशांत क्षेत्रों में प्रतिबंधित हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी क्षेत्र में लाइटर ले जाना प्रतिबंधित है और आप लाइटर ले जाते हैं, तो सेना आपके खिलाफ कार्यवाई कर सकती है।

यदि अधिकारियों को लगता है कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए इन अधिकारों का उपयोग आवश्यक है, तो वे ऐसा कर सकते हैं। अधिकारियों को पहले उस व्यक्ति को चेतावनी देनी होती, जिस पर वे गोली चला रहे हैं।

उदाहरण: अशांत क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियों की अनुमति नहीं है। यदि हथियारों से लैस लोगों का एक समूह कानून और व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ता है और किसी निश्चित क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास करता है, जहां वे सेना के काफिले पर हमला करते हैं या किसी अन्य तरीके से कानून का उल्लंघन करते हैं, तो सशस्त्र बलों के अधिकारी उन्हें गोली मार सकते हैं।

 

 

भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

भारत के संविधान के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के कारण निम्नलिखित कार्य राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आते है:

-सरकार की नीतियों और उनके कार्यों की आलोचना। -सरकार के खिलाफ, सद्भावना से की गई कोई भी आलोचना। -सरकार के कामकाज में सुधार के लिए की गई, कोई भी आलोचना।

दूसरे शब्दों में, सरकार या उसकी एजेंसियों के उपायों या कार्यों पर कड़े शब्दों में टिप्पणी करना सरकार के प्रति बगावत नहीं है। जब तक किसी व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द, लोगों के बीच सरकार के प्रति शत्रुता और द्रोह पैदा नहीं करते, और इसके लिये सार्वजनिक अव्यवस्था या हिंसा का उपयोग नहीं करते, तो यह देशद्रोह का कार्य नहीं है।

उदाहरण 1:

-अगर अमित सरकार में भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए ‘द हिंदू’ अखबार के लिये एक कार्टून बनाते हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहा जायेगा। -यदि कोई फिल्म निर्माता जम्मू-कश्मीर की हिंसा पर एक वृत्तचित्र बनाता है और उसमें सरकार की कार्रवाई की आलोचना करता है, तो वह देशद्रोह नहीं होगा।

उदाहरण 2:

-यदि बॉबी विधान सभा के आम चुनावों का बहिष्कार करने के लिए सार्वजनिक पुस्तकालय में पोस्टर चिपकाते हैं और लिखते हैं “लोगों का शोषण करने वाले मालिकों के लिए कोई वोट नहीं”, तो यह देशद्रोह नहीं है। -यदि राहुल अपने क्षेत्र में सड़कों के रखरखाव के लिए अपनी फेसबुक वॉल पर सरकार की आलोचना करते हैं, और सरकार के बारे में बुरी बातें कहते हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहलायेगी। -अगर तान्या, बिना किसी उत्तेजना या हिंसा के, या घृणा या हिंसा को उत्तेजित करने का प्रयास किए बिना, सरकार की किसी भी प्रशासनिक या अन्य कार्यवाही के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त करती हैं, तो यह देशद्रोह नहीं कहा जायेगा।

उदाहरण 3:

-अगर राज किसी मंच पर, किसी खास समुदाय के साथ चल रहे अन्याय के बारे में उग्र भाषण देते हैं, तो उनका भाषण देना देशद्रोह नही होगा अगर वह किसी हिंसा को नहीं भड़काता है, ना ही किसी सार्वजनिक अव्यवस्था का कारण बनता है। -यदि रामू ने नारा दिया कि “मुझे सरकार से नफरत है, सरकार भ्रष्ट है”, यह देशद्रोह का अपराध नहीं है। अगर यह नारा लोगों के बीच हिंसा के साथ-साथ सरकार के प्रति नफरत फैलाने का काम करता है, तो यह देशद्रोह का अपराध होगा।

LGBTQ+ व्यक्तियों के लिए लिंग पहचान का प्रमाण पत्र

लिंग की पहचान एक व्यक्ति की आत्म-पहचान को पुरूष, महिला, तीसरा लिंग (ट्रांसजेंडर) या अन्य निर्धारित किए गए वर्ग के रूप में संदर्भित करता है, जैसे इंटरसेक्स यानि मध्यलिंगी। जब आप अधिकारियों या अन्य लोगों से किसी भी परेशानी का सामना करते हैं, जो यह चाहते हैं कि आप जिस लिंग से अपनी पहचान जोड़ते हैं, उसे साबित करें, तो आप उन्हें नीचे दिए गए दस्तावेजों को दिखा सकते हैं।

विकल्प 1: हलफनामा (एफिडेविट) या अंडरटेकिंग

एक हलफनामा / अंडरटेकिंग ऐसा दस्तावेज़ होता है, जिनमें आपके द्वारा दिए गए तथ्य शामिल रहते हैं, जैसे आपका वांछित नया नाम, वह लिंग जिससे आप खुद को जोड़ पाते हैं, आदि। आपको अपने हलफनामे / अंडरटेकिंग को एक नोटरी या शपथ आयुक्त (Oath Commissioner) द्वारा सत्यापित कराना होता है, जो इस पर मुहर लगाएंगे और हस्ताक्षर करेंगे। इससे यह एक वैध कानूनी दस्तावेज़ बन जाता है, जिसे पहचान प्रमाण के सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, आप न केवल अपना नाम बदलते समय, बल्कि आधार कार्ड बनवाते समय, बैंक खाता खोलते समय, सिम कार्ड आदि प्राप्त करते समय, इस हलफनामा / अंडरटेकिंग का उपयोग कर सकते हैं। आपका हलफनामा / अंडरटेकिंग एक दस्तावेज है, जिसका उपयोग आप कुछ तथ्यों को साबित करने के लिए कर सकते हैं, जैसे वह चिकित्सा प्रक्रिया जिससे आप गुज़रे हैं, और वह निर्धारित लिंग जिससे आप अपनी पहचान बनाते हैं, इत्यादि।

विकल्प 2: चिकित्सा प्रमाण पत्र

यदि आपने लिंग परिवर्तन (सेक्स-चेंज) ऑपरेशन करवाया है, तो आप लिंग परिवर्तन के प्रमाण के रूप में अस्पताल से प्राप्त चिकित्सा प्रमाणपत्र (मेडिकल सर्टिफिकेट) को दिखा सकते हैं। आपके द्वारा करवाई गई किसी भी चिकित्सा प्रक्रियाओं का विवरण आपके हलफनामे / अंडरटेकिंग में भी लिखा जा सकता है ताकि आपके पास प्रमाण के रूप में एक कानूनी और नोटरीकृत दस्तावेज़ हो।

विकल्प 3: गजट / राजपत्र में नाम परिवर्तन की सूचना देना

यदि आपने अपना नाम अपने निर्धारित लिंग को प्रतिबिंबित करने के लिए बदल लिया है और आपने इसे केंद्रीय / राज्य राजपत्र में सफलतापूर्वक प्रकाशित करा लिया है, तो आप राजपत्र अधिसूचना की एक प्रति प्रमाण के रूप में अपने साथ रख सकते हैं। गजट / राजपत्र अधिसूचना अपने आप में ही एक प्रमाण माना जा सकता है और इसे नोटरीकृत करना भी जरूरी नहीं है।

कोई भी आपको अपने लिंग सत्यापन के लिये किसी भी प्रकार से मजबूर नहीं कर सकता है, जिसमें आपको अनुचित तरीके से निजी या सार्वजनिक रूप से छूआ जाए, या आपको प्रताड़ित किया जाए। यही कारण है कि ऊपर दिया गया दस्तावेज़ आपके लिंग पहचान का एक महत्वपूर्ण प्रमाण पत्र हैं। यदि आपको किसी भी प्रकार के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, तो आपको पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए और इस प्रक्रिया के दौरान आपको एक वकील की भी सहायता लेनी चाहिए।

यदि अपना नाम बदलना हो

अपना नाम बदलने के लिए, या अपने नाम में कुछ जोड़ने या कुछ हटाने के लिए आपको नीचे दी गई चरणों का पालन करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि यह राज्य या केन्द्रीय राजपत्र (गज़ेट) में भी प्रकाशित हो। आप इसे केन्द्रीय राजपत्र में प्रकाशित करवा सकते हैं, यदि आपको विदेश में किसी भी उच्च अध्ययन के लिए आवेदन करना है, या वीजा या पासपोर्ट का आवेदन इत्यादि करना हैं। यदि आप इसे राज्य राजपत्र में प्रकाशित करना चाहते हैं, तो यह केवल आपके राज्य के भीतर ही प्रकाशित किया जाएगा, लेकिन आप इसका उपयोग अपने पहचान पत्र प्राप्त करने, उसे अपडेट कराने, स्कूल के प्रमाण पत्रों में अपना नाम बदलवाने आदि के लिये कर सकते हैं। आपको अपना नाम बदलने के लिए, नीचे दिए गए चरणों का पालन करें:

चरण 1: एक शपथ पत्र/अंडरटेकिंग बनवा लें

आपको नीचे दिए गए दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपना नया नाम कहां प्रकाशित करवाना चाहते हैंः

  • शपथ पत्र (राज्य और केंद्रीय राजपत्र, दोनों के लिए)
  • अंडरटेकिंग (केंद्रीय राजपत्र के लिये)

एक शपथपत्र/अंडरटेकिंग एक ऐसा दस्तावेज है, जिसमें ऐसी सूचनाएं होती है जो आप लिखना चाहते हैं, जैसे कि आप अपना नया नाम क्या रखना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, आप शपथपत्र/अंडरटेकिंग की आवश्यकता केवल अपना नाम बदलते समय ही नहीं, बल्कि आधार कार्ड बनवाते समय, बैंक खाता खोलते समय,या सिम कार्ड लेने आदि के लिए भी होगी।

चरण 2: नोटरी या ओथ कमिश्नर के पास जाए

निकटतम/स्थानीय नोटरी या ओथ कमिश्नर के पास जाए, जो आपके शपथ पत्र/ अंडरटेकिंग को सत्यापित करेगा। आपके दस्तावेज़ पर मुहर लग जाने के बाद यह एक वैध (जायज) कानूनी दस्तावेज़ बन जाएगा। इस सेवा के लिए आपको एक निश्चित शुल्क देना होगा।

चरण 3: एक समाचार पत्र में अपने नए नाम का विज्ञापन दें

आपको अपने राज्य के दो प्रमुख स्थानीय समाचार पत्रों के पास जाना होगा (एक आपकी क्षेत्रीय भाषा में हो और दूसरा अंग्रेजी में हो) और आप उन्हें सत्यापित शपथ पत्र दिखाने के बाद उनसे अपना नया नाम प्रकाशित करने का अनुरोध करना होगा। आपका विज्ञापन समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने के लिए आपको उन्हें एक फीस भी देनी होगी।

चरण 4: इसे केन्द्रीय या राज्य राजपत्र में प्रकाशित करें

आपको अपना नया नाम, राज्य राजपत्र (अपने राज्य के भीतर) या केन्द्रीय राजपत्र (राष्ट्रीय स्तर) में प्रकाशित करवाना होगा।

राज्य राजपत्र

आपको अपने संबंधित राज्य की सरकारी प्रेस से संपर्क करना होगा, उनके द्वारा दिए गए संबंधित फॉर्म को भरना होगा और निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होगा।

केन्द्रीय राजपत्र

यदि आप अपना नया नाम केन्द्रीय राजपत्र में प्रकाशित कराना चाहते हैं, तो आपको इसे “प्रकाशन विभाग, सिविल लाइंस, नई दिल्ली -54” के पते पर इन सभी दस्तावेज़ों के साथ भेजना होगा:

  • आपका सत्यापित शपथ पत्र और अंडरटेकिंग
  • मूल समाचार पत्र के विज्ञापन की क्लिपिंग।
  • स्वयं अटेस्टेड पहचान पत्र, और 2 स्वयम् अटेस्टेड पासपोर्ट फोटो
  • प्रोफॉर्मा की प्रति पर, आपके और 2 गवाहों के हस्ताक्षरों के साथ
  • प्रोफॉर्मा की कम्पैक्ट डस्क (सीडी) कॉपी पर, टाइप किये गये आपके नाम (बिना गवाहों और उनके हस्ताक्षरों के) के साथ
  • आपके हस्ताक्षर वाला प्रमाण पत्र जिसमें यह घोषित किया गया है कि हार्ड कॉपी और सॉफ्ट कॉपी में एक जैसी सामग्री है।
  • अनुरोध पत्र, शुल्क के साथ

चरण 5: नाम बदलने का प्रमाण

  • केन्द्रीय और राज्य दोनों राजपत्रों में नाम प्रकाशित करने में बहुत समय लगता है। आपको अपने संबंधित राज्य के राजपत्र वेबसाइट पर अपना नाम खोजना चाहिए। केंद्रीय राजपत्र के लिए, इन चरणों का पालन करें:
  • केन्द्रीय राजपत्र पेज पर जाएं और ‘Search Gazette’ पर क्लिक करें
  • ‘Weekly Gazette’ श्रेणी को साथ जोड़ें., और फिर सर्च पर प्रेस करें
  • ‘Part IV’ को चुनें
  • तारीख को जोड़ें
  • “keyword” अनुभाग, में अपना नया नाम डालें
  • results generated पर क्लिक करें, और
  • संबंधित फ़ाइल डाउनलोड करें और इस डाउनलोड की गई कॉपी को प्रमाण के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

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चुनाव से 48 घंटे पहले सभा और इंटरव्यू करना

चुनाव से 48 घंटे पहले सभा और इंटरव्यू करना मना है। मतदान से 48 घंटे पहले, उम्मीदवार और राजनीतिक दलों का प्रेस कॉन्फ्रेंस और इंटरव्यू में चुनावी मामलों पर मीडिया को कुछ बताना मना है।

लोक सेवक द्वारा संपत्ति की चोरी या बिक्री

लोक सेवक द्वारा संपत्ति की चोरी या बिक्री

जब कोई लोक सेवक चोरी करता है या किसी को उनके आधिकारिक काम के हिस्से के रूप में दी गई संपत्ति को चोरी या बेचने के लिए ले जाता है, तो उन्हें “आपराधिक कदाचार” के लिए दंडित किया जा सकता है। इस अपराध का दंड जुर्माने के साथ 4 से 10 साल की कैद है।

आचार-संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन का क्या परिणाम है?

आचार-संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन के कुछ परिणाम इस प्रकार हैं। यदि कोई एमसीसी नियमों का उल्लंघन करता है, तो आमतौर पर उसे सजा नहीं होगी, लेकिन कुछ मामलों को छोड़कर जिसमें एमसीसी का उल्लंघन ‘भारतीय दंड संहिता और लोक प्रतिनिधित्व’ कानून, 1951 के तहत एक अपराध है। ऐसे मामलों को अंजाम देने वाले व्यक्ति को कारवास हो सकती है। सिर्फ एमसीसी का उल्लंघन करने पर, उसे एक चेतावनी दी जाएगी, लेकिन यदि वह बार-बार उल्लंघन करता है, तो आवश्यक कार्रवाई के लिए उसकी शिकायत चुनाव अधिकारियों को भेज दी जाएगी, और जरूरत पड़ने पर उसकी उम्मीदवारी को भी ख़त्म किया जा सकता है। आचार-संहिता के लागू होते ही चुनाव आयोग सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और उसके उल्लंघन को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करती है।

इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:

  • चुनाव आयोग सत्ताधारी दल का समर्थन करने वाली सरकारी विज्ञापनों को रोक सकती है। सत्ताधारी दल को अपने राजनीतिक शक्ति/प्रभाव का उपयोग करने और टेलीविजन या सिनेमा के माध्यम से अपने एजेंडे का समर्थन करने से रोकती है। किसी उम्मीदवार या पार्टी को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से रोकती है जिससे आपसी नफरत या जातियों और समुदायों के बीच तनाव पैदा हो सकता है।
  • अगर कोई व्यक्ति ऐसा बयान देता है जिससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है, तो जिला चुनाव अधिकारी उसके खिलाफ एफ़.आई.आर दर्ज करने का आदेश दे सकता है।

सेना को आश्रयों/भंडारण को नष्ट करने का अधिकार

सेना के पास जिन स्थानों को नष्ट करने के अधिकार हैं, वे इस प्रकार हैं:

  •  ऐसे स्थान जहां आमतौर पर सशस्त्र हमले किए जाते हैं या किए जाने की संभावना है या संदिग्ध व्यक्तियों द्वारा किए जाने का प्रयास किया जाता है, या
  • सशस्त्र स्वयंसेवकों के लिए प्रशिक्षण शिविर के रूप में उपयोग की जाने वाली कोई भी संरचना, या
  • हथियारों से लैस गिरोहों या पुलिस द्वारा अपराध के लिए वांछित लोगों द्वारा ठिकाने के रूप में उपयोग किया जाने वाला कोई भी स्थान।

उदाहरण: अगर कुछ हथियारबंद लोग पहाड़ी पर या घर में, या कहीं भी छिपे हुए हैं और सेना को संदेह है कि वे हमला कर सकते हैं, तो सेना उस क्षेत्र को सील कर सकती है और ठिकाने को नष्ट करने के लिए हथियारों और गोला-बारूद का उपयोग कर सकती है।

 

राजद्रोह वाले लेख

एक नागरिक के रूप में, आपको सरकार या उसके कार्यों के बारे में, अखबार, पत्रिका आदि के माध्यम से, आलोचना या टिप्पणी, जो भी पसंद हो, लिखने का अधिकार हैं, जब तक आप लोगों को सरकार के खिलाफ हिंसा के लिए, या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने के लिए उकसाते नहीं हैं। लेखन, वितरण और प्रसार देशद्रोह के कार्यों के भाग हैं। हालाँकि, इनमें से सिर्फ किसी एक कार्य करने से देशद्रोह नहीं हो सकता है। यह न्यायालय द्वारा मामले दर मामले पर तय किया जाता है। यदि इन कार्यों के परिणामस्वरूप लोगों के बीच सार्वजनिक अव्यवस्था या हिंसा पैदा होती है, तो इसके लिए जिम्मेदार लोग इस अपराध के उत्तरदायी होंगे।

उदाहरण: यदि श्री एक्स के पास, सरकार के साथ लड़ने के लिए हिंसा और छापामार बल का उपयोग पर चर्चा करने वाले एक नक्सली संगठन के पर्चे, पुस्तिकाएं और पत्र पाये गये, या वे उसे वितरित करते पाए गए, तो वे राजद्रोह कानून के दोषी हैं। ये दस्तावेज़ स्वयं दिखाते हैं कि ये सरकार के प्रति असंतोष को बढ़ाने के लिए तैयार किए गए दस्तावेज़ हैं।