ईसाई कानून के तहत नाबालिग विवाह किस प्रकार कर सकते हैं?

ईसाई कानून के तहत, एक नाबालिग को 21 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है, और वह विधवा या विधुर नहीं हो। यदि विवाह करने वाले पक्षों में से एक नाबालिग है, तो उन्हें विवाह करने के लिए अपने पिता की सहमति की आवश्यकता होगी। यदि उस पक्ष का पिता जीवित नहीं है, तो उसके अभिभावक द्वारा सहमति दी जानी चाहिए, और यदि कोई अभिभावक मौजूद नहीं है, तो माता द्वारा सहमति दी जानी चाहिए। यदि उनमें से कोई भी उस समय भारत का निवासी नहीं है, तो ऐसी किसी सहमति की जरूरत नहीं होगी।

हालांकि, बाल विवाह निषेध अधिनियम बच्चे (18 वर्ष से कम) से जुड़े प्रत्येक विवाह को बच्चे के विकल्प पर अमान्य बनाता है। कानून के अनुसार, बच्चा, यदि वह विकल्प चुनता है, तो विवाह को रद्द करने के लिए, वयस्क होने के दो साल के भीतर याचिका दायर कर सकता है। बाल विवाह के बारे में अधिक जानने के लिए, ‘बाल विवाह’ पर हमारे लेख को पढ़ें।

जब विवाह की प्रक्रिया एक लाइसेंस प्राप्त धार्मिक पादरी द्वारा संपन्न की जाती है

यदि कोई नाबालिग कानून के तहत विवाह करना चाहता है तो पादरी द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य प्रक्रिया नीचे दी गई है:

• जब किसी पादरी को विवाह के लिए नोटिस प्राप्त होता है, जहां दोनों पक्षों में से एक नाबालिग है, तो उन्हें जिले के विवाह रजिस्ट्रार को नोटिस अग्रेषित करना जरूरी होता है।

• फिर नोटिस को उस जिले के अन्य विवाह रजिस्ट्रारों को सौंपा जाएगा, और उनके कार्यालयों में प्रमुख स्थान पर चिपकाया जाएगा।

• यदि सहमति देने का अधिकार रखने वाला व्यक्ति, ऐसा करने से इंकार कर देता है, तो वे विवाह के प्रति पादरी को अपनी आपत्ति संबंधित लिखित रूप में सूचित कर सकते हैं। ऐसे मामले में, पादरी द्वारा विवाह का कोई प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया जाएगा, जब तक पादरी द्वारा तथ्यों की संतोषजनक रूप से जांच नहीं की जाती है। ऐसी आपत्ति सूचना प्राप्ति का प्रमाण-पत्र जारी करने से पहले की जानी चाहिए।

• यदि कोई आपत्ति नहीं की जाती है, तब भी पादरी प्रमाण-पत्र देने से पहले नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 14 दिनों तक प्रतीक्षा कर सकते हैं।

• एक बार प्रमाण-पत्र जारी होने के बाद, विवाह संपन्न करने और पंजीकरण की शेष प्रक्रियाएं समान रहती हैं।

जब विवाह प्रक्रिया, विवाह रजिस्ट्रार द्वारा या उसकी उपस्थिति में किया जाता है

यदि कोई नाबालिग कानून के तहत विवाह करना चाहता है तो विवाह रजिस्ट्रार द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य प्रक्रिया नीचे दी गई है:

• जब एक रजिस्ट्रार को विवाह के लिए नोटिस प्राप्त होता है, जहां दोनों पक्षों में से एक नाबालिग है, तो उन्हें उस जिले के अन्य विवाह रजिस्ट्रारों को नोटिस अग्रेषित करना होगा, और नोटिस की प्रतियां उनके कार्यालयों में प्रमुख स्थान पर चिपकाई जाएंगी।

• यदि कोई व्यक्ति, जिसके पास सहमति देने का अधिकार है, ऐसा करने से इंकार करता है, तो वे विवाह के प्रति अपनी आपत्ति को संबंधित रजिस्ट्रार को लिखित रूप में सूचित कर सकते हैं। ऐसे मामले में, रजिस्ट्रार द्वारा विवाह का कोई प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया जाएगा, जब तक कि रजिस्ट्रार द्वारा संतोषजनक जांच नहीं कर ली गई हो। ऐसी आपत्ति नोटिस प्राप्त होने का प्रमाण-पत्र जारी करने से पहले की जानी चाहिए।

• यदि सहमति रोकने वाला व्यक्ति विकृत दिमाग का है, या यदि वह व्यक्ति (पिता नहीं होने के कारण) अन्यायपूर्ण तरीके से सहमति रोकता है, तो पक्षकार न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। मुंबई, चेन्नई और कोलकाता शहरों में रहने वाले पक्ष सीधे अपने संबंधित उच्च न्यायालयों से संपर्क कर सकते हैं, जबकि अन्य इसके लिए जिला न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

• इसके अलावा, यदि रजिस्ट्रार को स्वयं सहमति रोकने वाले व्यक्ति के अधिकार के बारे में संदेह है, तो रजिस्ट्रार भी न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।

• यदि कोई आपत्ति नहीं की जाती है, तब भी रजिस्ट्रार प्रमाण-पत्र देने से पहले नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 14 दिनों तक प्रतीक्षा कर सकता है।

• प्रमाण-पत्र जारी होने के बाद, विवाह और पंजीकरण के प्रदर्शन की प्रक्रिया समान रहती है।

 

हिंदू विवाह और मानसिक बीमारी

यदि आप हिंदू विवाह में हैं, तो आपके जीवनसाथी की मानसिक बीमारी तलाक का कारण बन सकती है।

आप तलाक के लिए फाइल कर सकते हैं यदि:

• आपका जीवनसाथी किसी ऐसे मानसिक विकार से पीड़ित है जिसका इलाज संभव नहीं है; या

• आपके जीवनसाथी को कोई मानसिक विकार है जो रुक-रुक कर या लगातार होता रहता है और यह बीमारी उनके साथ रहने की आपकी क्षमता को प्रभावित करती है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आपके पति या पत्नी की ओर से थोड़े गुस्से और कुछ हद तक अनिश्चित व्यवहार का संकेत देने वाली कुछ ठोस घटनाएं मानसिक विकार के द्योतक या संकेतक नहीं हो सकते हैं।

तलाक तभी हो सकता है जब आपके पति या पत्नी का मानसिक विकार इस तरह के व्यवहार को जन्म दे कि आपसे उचित रूप से उनके साथ रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती हो।

आप न्यायालय से यह भी कह सकते हैं कि वह आपके पति या पत्नी को यह सुनिश्चित करने के लिए एक चिकित्सा परीक्षा कराने का निर्देश दे कि वह आपके मामले को साबित करे कि पति या पत्नी दिमागी रूप से अस्वस्थ है।

इस्लामिक कानून के तहत संरक्षक कौन होता है?

नाबालिग या दिमागी रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के निकाह के लिए संविदा करने का अधिकार संरक्षकों को निम्नलिखित समूहों के अंतर्गत मिलता है:

• पिता।

• दादाजी, वह जिस भी पीढ़ी के हों।

• पिता की ओर से भाई और अन्य पुरुष संबंधी ।

 

अगर ये पैतृक संबंध नहीं हैं तो ये अधिकार जाता है:

• मां को।

• मामा या मौसी और अन्य मातृ सम्बन्धिओं को।

शिया कानून के तहत, नाबालिगों के निकाह के लिए एकमात्र सरंक्षक पिता और दादा होते हैं।

भारत के प्रवासी नागरिक (ओ.सी.आई) या भारत में रहने वाला एक विदेशी नागरिक द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया (गैर-धार्मिक कानून)।

अगर आप भारत के प्रवासी नागरिक (ओ.सी.आई) हैं या आप विदेशी हैं और भारत में हमेशा से रहते आ रहें हैं, तो बच्चे को गोद लेने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें:

चरण 1: आपको यह निर्धारित करना चाहिए कि क्या आप गोद ले सकते हैं। इसके माध्यम से बच्चे को आप तभी गोद ले सकते हैं जब आप एक ओ.सी.आई हो या विदेशी नागरिक हों जो भारत के निवासी हैं (अर्थात आप नियमित रूप से भारत में रहते हैं)।

चरण 2: आपको यहां केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) की वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण करना चाहिए। यह आपको चाइल्ड एडॉप्शन रिसोर्स इंफॉर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम (CARINGS) की वेबसाइट पर रीडायरेक्ट करेगा जहां आपको अपना आवेदन भरना होगा।

चरण 3: अपने आवेदन के साथ, आपको आवश्यक दस्तावेज जमा करने चाहिए, जो हैं:

• आपकी फोटो

• पैन कार्ड

• आपका जन्म प्रमाण-पत्र (विवाहित जोड़े के मामलों में, पति या पत्नी का भी जन्म प्रमाण-पत्र)

• निवास प्रमाण-पत्र (आधार कार्ड/वोटर कार्ड/पासपोर्ट/वर्त्तमान बिजली बिल/टेलीफोन बिल)

• पिछले वर्ष की आय प्रमाण-पत्र (वेतन पर्ची/सरकार द्वारा जारी आय प्रमाण पत्र/आयकर रिटर्न)

• किसी चिकित्सक से प्राप्त किया ऐसा प्रमाण पत्र, जिससे यह साबित होता हो कि आप किसी भी पुरानी, ​​​​संक्रामक, घातक या जानलेवा बीमारी से पीड़ित नहीं हैं और गोद लेने के लिए स्वस्थ हैं (विवाहित जोड़े के मामलों में, पति या पत्नी का भी चिकित्सा प्रमाण-पत्र जरूरी है)

• विवाह प्रमाण-पत्र/तलाक डिक्री या तलाक सम्बन्धी दिया गया कोर्ट का निर्णय/अदालत से दी गयी घोषणा-पत्र या व्यक्तिगत कानून के तहत तलाक से संबंधित हलफनामा/पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण-पत्र, अगर लागू हो तो।

चरण 4: विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी (एस.ए.ए) द्वारा एक होम स्टडी आयोजित किया जाएगा, और इसके आधार पर, गोद लेने के लिए आपके द्वारा किया गया आवेदन को स्वीकार या फिर रद्द किया जा सकता है। इसका परिणाम CARINGS की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।

चरण 5: अगर आपका आवेदन स्वीकार किया जाता है, तो आपकी वरीयता के आधार पर, CARINGS के माध्यम से आपके पास तीन बच्चों को SAA द्वारा भेजा जाएगा। आप 48 घंटों के भीतर गोद लेने योग्य किसी एक बच्चे को चुन सकते हैं, और उस बच्चे से आपका मिलान करने और योग्यता का आकलन करने के लिए एक बैठक तय की जाएगी। यह प्रक्रिया बीस दिनों के भीतर पूरी हो जाएगी, और अगर आप बच्चे को स्वीकार नहीं करते हैं, तो आपका नाम वरीयता सूची में सबसे नीचे कर दिया जाएगा।

चरण 6: एस.ए.ए गोद लेने पर आगे की कार्रवाई करेगा, और दो साल तक हर छह महीने में एक अनुवर्ती रिपोर्ट तैयार करेगा। कोई भी समस्या होने पर, इनके द्वारा परामर्श या सलाह दी जाएगी, और अगर बच्चे को गोद लेने के बाद कोई दिक्कत आती है, तो बच्चे को वापस ले लिया जा सकता है और अन्य संभावित या भावी दत्तक माता-पिता के लिए, उस बच्चे को फिर से गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया जा सकता है।

हिंदू विवाह कानून के अंतर्गत शून्यकरणीय विवाह

हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, कुछ परिस्थितियां विवाह को शून्यकरणीय बनाती हैं।

यह परिस्थितियां निम्नलिखित हैं:

  • जीवन साथियों में से एक नपुंसक है।
  • यदि विवाह की शर्तें पूरी नहीं की गई हैं। 1978 से पहले, अभिभावक को विवाह करने जा रहे बच्चे की तरफ से सहमति लेनी पड़ती थी। इस प्रथा पर 1978 के बाद अमल नहीं किया गया, इसकी वजह है बाल विवाह रोकथाम (संशोधन) अधिनियम, 1978 का लागू होना।
  • विवाह के समय, महिला अपने पति के बजाय किसी और व्यक्ति से गर्भवती थी।
  • ऐसे मामलों में जहां सहमति धोखे से या जबरदस्ती ली गई थी।

इस्लामिक कानून के तहत पति के नपुंसक होने पर तलाक़

इस्लामिक कानून के तहत, आप तलाक के लिए फाइल कर सकती हैं यदि आपको पता चलता है कि आपका पति नपुंसक है या यहां तक ​​​​कि अगर आपको अपने निकाह के दौरान पता था कि आपका पति नपुंसक था। इस स्थिति में आपके पति निम्न में से कोई भी कार्य कर सकती हैं:

• न्यायालय के सामने स्वीकार करें कि वह वास्तव में नपुंसक है।

• न्यायालय में नपुंसकता के आरोप का खंडन करें और साबित करें कि वह नपुंसकता के किसी भी शारीरिक दोष से मुक्त है।

• समस्या को चिकित्सकीय रूप से ठीक करने के लिए उसे एक वर्ष का समय देने के लिए अदालत में एक आवेदन दायर करें। यदि एक वर्ष के बाद वह नपुंसक नहीं रहता है, तो न्यायालय आपके पक्ष में तलाक नहीं दे सकता

बाल विवाह को रोकने की न्यायालय की शक्ति

जब न्यायालय को विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है कि कोई बाल विवाह तय किया गया है या उसका अनुष्ठान किया जाने वाला है, तो वह उन व्यक्तियों को जो ऐसे विवाह का संचालन और आयोजन कर रहे हैं, को रुकने का आदेश दे सकता है।

आरोपी व्यक्ति इस आदेश को रद्द करने या इसे बदलने के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकता है। न्यायालय ऐसी सुनवाई स्वप्रेरणा भी कर सकता है।

आदेश जारी होने के बाद होने वाला कोई भी बाल विवाह वैध विवाह नहीं माना जाएगा।

न्यायालय निम्नलिखित में हस्तक्षेप कर सकता है 

न्यायालय हस्तक्षेप कर सकता है:

• स्वप्रेरित होकर, या

• बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी या किसी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा दायर की गई शिकायत के आधार पर, या

• कुछ मामलों में, जैसे अक्षय तृतीया के दिनों में, जो विवाह के लिए एक शुभ समय होता है, न्यायालय बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के रूप में भी कार्य कर सकता है और बाल विवाह को रोकने के लिए प्रतिषेध अधिकारी की सभी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है, या

• कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे बाल विवाह के आयोजित या संपन्न होने की व्यक्तिगत जानकारी है।

न्यायालय द्वारा जारी नोटिस 

इस आदेश को पारित करने से पहले न्यायालय को इस कानून के तहत आरोपी व्यक्ति को अपना बचाव करने का अवसर देने के लिए नोटिस/ पूर्व सूचना जारी करना चाहिए।

परन्तु, अत्यावश्यक मामलों में, न्यायालय के पास आरोपी व्यक्ति (व्यक्तियों) को नोटिस/ पूर्व सूचना दिए बिना, विवाह को रोकने के लिए एक अंतरिम व्यादेश (अंतिम आदेश से पहले) जारी करने की शक्ति है।

सज़ा 

यदि आपके खिलाफ कोई अस्थायी आदेश जारी किया गया है और आप उसका पालन नहीं करते हैं, तो आपको दो साल तक का कारावास और/या आप पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

कानून के तहत शिकायत के मामले में आप किससे शिकायत कर सकते हैं?

यदि किसी व्यक्ति ने विवाह रजिस्ट्रार द्वारा या उसकी उपस्थिति में अपनी विवाह कराने का नोटिस दिया है, और रजिस्ट्रार ने विवाह का प्रमाण-पत्र जारी करने से इन्कार कर दिया है, तो वह व्यक्ति अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है। मुंबई, कोलकाता और चेन्नई शहरों में रहने वाले लोग सीधे अपने संबंधित उच्च न्यायालयों से संपर्क कर सकते हैं, जबकि वहां नहीं रहने वाले लोग जिला न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

नाबालिग विवाह के संबंध में शिकायतें 

विवाह रजिस्ट्रार को नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 14 दिनों तक प्रतीक्षा करनी चाहिए ताकि नोटिस की प्राप्ति का प्रमाण-पत्र जारी किया जा सके, जब एक पक्ष नाबालिग हो (ईसाई विवाह के लिए 21 वर्ष से कम)। हालांकि, यदि कोई प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए 14 दिनों तक प्रतीक्षा नहीं कर सकता, तो वे नोटिस के 14 दिनों के भीतर नोटिस प्राप्त होने का प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए अपने संबंधित उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं। हालांकि, यह विकल्प केवल कोलकाता, मुंबई और चेन्नई के निवासियों के लिए उपलब्ध है।

ईसाई विवाह कब और कहां किया जा सकता है?

विवाह का समय 

कोई ईसाई विवाह केवल सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे के बीच किया जा सकता है। हालांकि, इंग्लैंड के चर्च, रोम के चर्च और स्कॉटलैंड के चर्च के पुजारी इन घंटों से परे विवाह कर सकते हैं, जब तक कि यह उनके चर्च के रीति-रिवाजों और नियमों के अनुसार है। इसके अलावा, इंग्लैंड के चर्च और रोम के चर्च के पुजारियों को इन घंटों से परे विवाह करने के लिए अपने संबंधित चर्चों के बिशप से लाइसेंस की आवश्यकता होती है।

विवाह का स्थान 

ईसाई विवाह या तो चर्च में, या एक निजी आवास में, या विवाह रजिस्ट्रार की उपस्थिति में किया जा सकता है। हालांकि, यदि विवाह इंग्लैंड के चर्च के एक पुजारी द्वारा किया जा रहा है, तो यह केवल एक चर्च में संपन्न किया जा सकेगा। हालांकि, पांच मील के दायरे में कोई चर्च नहीं होने की स्थिति में, या यदि पुजारी ने चर्च के बिशप से इस उद्देश्य के लिए एक विशेष लाइसेंस प्राप्त किया हो, तो इस जनादेश में ढील दी जा सकती है।

हिंदू धर्म से धर्म परिवर्तन

परिवर्तन 

आप तलाक के लिए केस फाइल कर सकते हैं यदि आपके पति या पत्नी ने दूसरे धर्म में धर्म परिवर्तन कर लिया हो और हिंदू नहीं रह गया हो।

मामला दर्ज करें 

यह ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि चूंकि आपका जीवनसाथी दूसरे धर्म में परिवर्तित हो गया है, इसलिए यह स्वतः ही आपके विवाह को समाप्त नहीं करता है। आपको अभी भी तलाक के लिए केस फाइल करना होगा ।

यहां तक ​​​​कि अगर आपके पति या पत्नी ने दूसरे धर्म में धर्मांतरण किया है, तो तलाक की कार्यवाही हिंदू कानून के तहत होगी, न कि आपके पति या पत्नी ने जिस धर्म को अपनाया है उस धर्म के अनुसार। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके जीवनसाथी से आपकी शादी हिंदू कानून के तहत हुई है।

तलाक के लिए फाइल करने से पहले शादी 

जब तक न्यायालय द्वारा तलाक को अंतिम रूप नहीं दिया जाता तब तक आपका विवाह आपके जीवनसाथी के साथ बना रहेगा। आपका जीवनसाथी इससे पहले शादी नहीं कर सकता है और ऐसा विवाह कानून में वैध विवाह नहीं होगा।

सज़ा

यदि आपका जीवनसाथी आपसे तलाक लिए बिना दोबारा शादी करता है तो आप उन पर द्विविवाह का आरोप लगा सकते हैं जिसमें 7 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।