ऐसे विज्ञापन, जो राजनीतिक प्रोपगेंडा या राजनीतिक हितों को बढ़ावा देने के लिए होते हैं, वह राजनीतिक विज्ञापन कहलाते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक विज्ञापन करने की अनुमति होती है, लेकिन इन पर एम.सी.सी. का नियंत्रण होता है। अगर कोई राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार चुनाव में अपनी जीत के लिए विज्ञापनों का गलत इस्तेमाल करता है, तो ये एमसीसी का उल्लंघन है।
एमसीसी उम्मीदवारों और राजनीतिक पार्टियों को नीचे बताई चीजों को करने से रोकता है:
- किसी भी तरह की अभद्र भाषा वाले विज्ञापन लगाना
- नेताओं के निजी जीवन या राजनीतिक मजाक करने वाले विज्ञापन देना मना है। राजनीतिक पार्टियों के पिछले कामों की आलोचना की जा सकती है। पार्टियों को किसी भी उम्मीदवार के निजी जीवन पर आलोचना करने से बचना चाहिए, जो उम्मीदवार की राजनीतिक कार्यकलाप से जुड़ी नहीं है।
- किसी भी राजनीतिक रैली या राजनीतिक उपलब्धियों के कवरेज से जुड़े विज्ञापन के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल करने की मनाही है।
कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनके द्वारा राजनीतिक पार्टी अपने विज्ञापन देते हैं, वे इस प्रकार हैंः
- होर्डिंग और बिलबोर्ड्स
- टेलीविजन और रेडियो
- प्रिंट मीडिया (समाचार पत्र, पोस्टर, पैम्प्लेट आदि)
- सोशल मीडिया विज्ञापन
चुनाव प्रचार के लिए कोई भी सैन्य बलों का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। कोई भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार अपने प्रचार में किसी भी रक्षा बल या सेना के कर्मचारियों की फोटो का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। चुनाव प्रचार विज्ञापनों में रक्षा बल या सेना की फोटो, कामों या कार्यक्रमों का उल्लेख नहीं किया जा सकता है।
चुनाव प्रचार में सशस्त्र बलों का इस्तेमाल करने के आचार-संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
- कोई भी उम्मीदवार वोट पाने के लिए सेना के जवानों के नाम का इस्तेमाल प्रचार में नहीं कर सकता है
- कोई उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी पोस्टर और होर्डिंग पर सशस्त्र बलों से जुड़े लोगों की फोटो लगाकर प्रचार नहीं कर सकते है
चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे कई काम हैं ,जो उम्मीदवारों को नहीं करने चाहिए। इन कामों को उम्मीदवारों द्वारा किए गलत या अनुचित चुनाव व्यवहार माना जाता है, जैसे कि:
- बिना अनुमति के सरकारी वाहनों का इस्तेमाल करना
- बूथ कैप्चरिंग करना
- सरकारी और सार्वजनिक धन का इस्तेमाल विज्ञापनों पर करना
- प्रचार के लिए धर्म का इस्तेमाल करना
- चुनाव प्रचार में सशस्त्र बलों का इस्तेमाल करना
- प्रिंट मीडिया, टेलीविजन, रेडियो, सोशल मीडिया आदि का गलत इस्तेमाल करना
- चुनाव प्रचार के लिए सार्वजनिक मैदानों और जगहों का गलत इस्तेमाल करना
- चुनाव प्रचार के लिए नीचे बताए गए लोगों की मदद लेना या उनका इस्तेमाल करना:
- राजपत्रित अधिकारियों
- वैतनिक न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों
- सशस्त्र बलों के जुड़े लोगों
- पुलिस बलों से जुड़े लोगों
- उत्पाद शुल्क अधिकारियों ( ग्राम राजस्व अधिकारियों को छोड़कर) आदिसरकारी और सार्वजनिक धन का इस्तेमाल विज्ञापनों पर करना
चुनाव प्रचार करते समय उम्मीदवारों के समुदाय के लिए कर्तव्य है किः
वे समुदाय में नफरत न फैलाएं। उम्मीदवारों या राजनीतिक पार्टी को धर्म, जाति, वर्ग,समुदाय, भाषा आदि के नाम पर नफरत की भावना को बढ़ाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
उदाहरण के लिए, अगर कोई उम्मीदवार प्रचार करते समय हिंदू समुदाय से वोट लेने के लिए दूसरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ कोई वादा करता है। तो ऐसा करना समुदाय में नफरत फैलाना है।
किसी भी उम्मीदवार को सती-प्रथा का प्रचार या उसको बढावा नहीं देना चाहिए। यह प्रथा ना केवल आचार-संहिता का उल्लंघन है बल्कि कानून से भी प्रतिबंधित है।
उदाहरण के लिए, अगर कोई उम्मीदवार वोट के बदले किसी समुदाय में सती-प्रथा को फिर से शुरू करने का वादा करता है, तो यह एमसीसी का उल्लंघन है।
किसी उम्मीदवार को वोट देने या उम्मीदवार को वोट नहीं देने के लिए चुनाव से जुड़ा कोई झूठा या गलत बयान देना एमसीसी का उल्लंघन है।
उदाहरण के लिए, अगर कोई उम्मीदवार कहता है कि ईवीएम मशीन की रिकाॅडिंग होती है, इसीलिए वह उसे वोट ना देने वाले मतदाताओं बाद में देख लेने की धमकी देता है, तो यह एमसीसी का उल्लंघन है।
सार्वजनिक सभाओं के लिए सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टी या उसके उम्मीदवारों को सार्वजनिक जगहों जैसे मैदान, हेलीपैड आदि पर इस्तेमाल का एकाधिकार नहीं है।
चुनाव प्रचार के लिए/ उससे जुड़ी सभाओं को करने के लिए, राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों को सार्वजनिक या सरकारी हक वाली जगहों का इस्तेमाल करने की अनुमति है, जो इस प्रकार हैंः
- स्कूलों, कॉलेजों और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों के खेल के मैदान और इस ही तरह की सार्वजनिक संपत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है
लेकिन इस शर्त पर कि :
- किसी भी हाल में स्कूल/कॉलेज के शैक्षणिक गतिविधि पर कोई रूकावट नहीं होनी चाहिए
- इस तरह के प्रचार के लिए स्कूल/कॉलेज प्रबंधन को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए और पहले से ही स्कूल/कॉलेज प्रबंधन से और मंडल अधिकारी (एसडीओ) से प्रचार की अनुमति लेनी होगी
- इस तरह की अनुमति ‘पहले आओ-पहले पाओ’ के आधार पर मिलेगी। किसी भी राजनीतिक पार्टी का सार्वजनिक संपत्ति के इस्तेमाल पर एकाधिकार नहीं है।
- ऐसे किसी जगह /मैदान के इस्तेमाल पर किसी कोर्ट का कोई प्रतिबंध नहीं लग सकता है
- राजनीतिक पार्टी/उम्मीदवार/प्रचारक को ये बात ध्यान रखनी है, कि आचार.संहिता का उल्लंघन न हो
- जिस राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार को स्कूल के मैदान को इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाएगी। उसे ध्यान रखना होगा कि मैदान को कोई नुकसान न हो। अगर कोई नुकसान होता है, तो उन्हें स्कूल प्रशासन को उचित मुआवजा देना होगा।
निजी संपत्ति का इस्तेमाल राजनीतिक सभाओं के प्रचार में हो सकता है, लेकिन इसके लिए संपत्ति के मालिक से अनुमति लेनी होगी।
अगर कोई पार्टी या उम्मीदवार सार्वजनिक या निजी संपत्ति के मालिक से अनुमति नहीं लेता है, तो यह एक अपराध होगा। इस अपराध की सजा 3 महीने तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकती है।
चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवारों को आचार-संहिता द्वारा तय आचरण का पालन करना चाहिए। सभी राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों को ऐसे कामों से बचना चाहिए, जो मतदाताओं और दूसरे उम्मीदवारों को गुमराह या बहकाने जैसा हो।
उदाहरण के लिए:
मतदाताओं के खिलाफ काम करना
- रिश्वतः कोई उम्मीदवार या पार्टी अपने पक्ष में वोट देने या दूसरे को वोट न देने के लिए मतदाताओं को रिश्वत नहीं दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, कोई उम्मीदवार अपने लिए वोट लेने केे लिए मतदाता को टेलीविजन नहीं दे सकता है।
- धमकीः उम्मीदवार किसी खास पार्टी या उम्मीदवार को वोट न देने पर, मतदाताओं को उसके बुरे नतीजे भुगतने की धमकी नहीं दे सकता है
- डराना – कोई भी उम्मीदवार मतदाताओं को डरा या बहलाकर यह विश्वास दिलाने की कोशिश नहीं कर सकता कि अगर वे उसकी बात नहीं मानेंगे, तो भगवान उन्हें सजा देंगे
- हुलिया या वेश बदलना – अवैध वोट डालने के लिए मतदाताओं का हुलिया बदल देना गलत है
उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई
- किसी उम्मीदवार को डरानाः किसी उम्मीदवार या मतदाता को धमकी देना या किसी भी तरह के सामाजिक बहिष्कार की धमकी देना या किसी जाति या समुदाय से बाहर निकालने की धमकी देने से बचना चाहिए।
- व्यक्तिगत निजी हमलाः उम्मीदवारों और राजनीतिक पार्टियों को किसी दूसरी पार्टी या उम्मीदवारों की आलोचना करते समय निजी हमला नहीं करना चाहिए। उनके नीतियों, कार्यक्रमों, पिछले रिकॉर्ड और कार्यों तक ही अपने बयान को रखना चाहिए। किसी भी उम्मीदवार, राजनीतिक पार्टी या उसके कार्यकर्ता के निजी जीवन की आलोचना या उस पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। किसी भी हाल में झूठी रिपोर्टों के आधार पर आलोचना करने से भी बचना चाहिए।
चुनाव तारीख की घोषणा से लेकर चुनाव के पूरा होने तक, चुनाव प्रचार या चुनाव से जुड़ी यात्रा के लिए किसी भी तरह के सरकारी वाहनों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है।
लेकिन, अगर किसी नेता को किसी उग्रवादी या किसी आतंकवादी संगठन से खतरा है। तो वह अपनी सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग से सरकारी वाहन के इस्तेमाल की अनुमति मांग सकता है।
सरकारी वाहन
सरकारी वाहन में वे वाहन आते हैं, जो निम्नलिखित में किसी से भी संबंधित हैं :
- केंद्र/राज्य सरकार,
- केंद्र और राज्य सरकारों के सार्वजनिक उपक्रम/संयुक्त क्षेत्र (जॉइंट सेक्टर) के उपक्रम,
- स्थानीय निकाय, पंचायत, नगर निगम, सहकारी समिति, मार्केटिंग (विपणन) बोर्ड
- स्वायत्त जिला परिषदें जिनमें सार्वजनिक धन का निवेश किया जाता है
- रक्षा मंत्रालय और दूसरे मंत्रालय के वाहन, आदि।
सरकारी वाहन में हेलीकॉप्टर, विमान, कार, जीप, ऑटोमोबाइल (मोटर-गाड़ी), नाव, होवरक्राफ्ट, ट्रक, लॉरी, टेम्पो, साइकिल-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, बस, आदि को रखा गया हैं।