घरेलू संबंध

कानून के तहत घरेलू हिंसा से राहत पाने के लिए, आपको यह साबित करने की जरूरत है कि उत्पीड़क के साथ आपके घरेलू संबंध हैं। एक घरेलू संबंध का मतलब है कि आप अपने उत्पीड़क के साथ निम्नलिखित तरीकों में से कोई भी एक से संबंधित हैं:

  • खून द्वारा संबंधित। उदाहरण के लिए, कोई भी रिश्तेदार, जैसे आपके अंकल, आपकी बहन, आपके पिता आदि।
  •  विवाह द्वारा संबंधित। उदाहरण के लिए, आपके पति, आपकी नन्द, आपके बहनोई आदि।
  • रिश्ता जो शादी की प्रकृति के समान है, जैसे आपका लिव-इन पार्टनर
  • गोद लेने द्वारा संबंधित। उदाहरण के लिए, आपके सौतेले पिता, आपके सौतेले भाई आदि।
  • संयुक्त परिवार के रूप में साथ रहने द्वारा संबंधित। उदाहरण के लिए, संयुक्त परिवार में, आप परिवार के सभी सदस्यों जैसे कि आपके पिता, भाई/भाभी, चाचा/चाची, दादा/दादी आदि के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।

अदालत में जाने पर, आपको यह भी साबित करना होगा कि आप और उत्पीड़क एक ही घर में वर्तमान में रहते हैं, या अतीत में रहते थे ।

घरेलू हिंसा कहां हो सकती है?

यह जरूरी नहीं है कि घरेलू हिंसा हमेशा आपके घर तक ही सीमित हो।1) घरेलू हिंसा कहीं भी हो सकती है, जैसे आपके रोजगार या शिक्षा का स्थान, आपके बच्चे का स्कूल, बाज़ार, आदि2)

आप इसकी परवाह किए बिना कि घरेलू हिंसा कहां हुई है, शिकायत दर्ज करा सकती हैं और एक वकील की मदद से, अपने उत्पीड़क के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के लिए अदालत जा सकती हैं।

घरेलू हिंसा के खिलाफ सहायता और समर्थन प्राप्त करने में

घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करते समय, आपको अतिरिक्त सहायता और समर्थन की आवश्यकता हो सकती है, जिसे आप नीचे सूचीबद्ध किए गए अधिकारियों से संपर्क करके प्राप्त कर सकते हैं।

समर्थन और सहायता

प्रोटेक्शन ऑफिसर

आप अपने जिले के प्रोटेक्शन ऑफिसर से भी संपर्क कर सकते हैं, जो आपको मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने में, आपको आश्रय गृह उपलब्ध कराने में सहयोग प्रदान करते हैं, यदि आवश्यक हो, तो आपको उचित सेवा प्रदाताओं आदि के पास भेजते हैं।

एन.जी.ओ, सिविल सोसाइटी संगठन, सेवा प्रदाता

आप एन.जी.ओ, सिविल सोसाइटी संगठनों या सेवा प्रदाताओं से संपर्क कर सकते हैं जो आपकी सहायता कर सकते हैं और आपको सहायता प्रदान कर सकते हैं, जैसे कानूनी सहायता प्रदान करना, आपको अपने अधिकारों के बारे में जागरूक कराना, संबंधित प्रोटेक्शन ऑफिसर से संपर्क कराना, आदि। संगठन के आधार पर, वे आपको आश्रय, रोजगार के अवसर और व्यावसायिक प्रशिक्षण, परामर्श आदि भी प्रदान कर सकते हैं। आपके द्वारा संपर्क किए गए संगठन के प्रकार पर निर्भर करते हुए, ये सेवाएं नि:शुल्क होंगी।

सेवा प्रदाताओं के पास स्वयं एक घरेलू घटना की रिपोर्ट रिकॉर्ड करने और संबंधित न्यायालय या प्रोटेक्शन ऑफिसर को आगे भेजने की भी शक्ति होती है। वे मेडिकल चेकअप कराने में भी आपकी सहायता कर सकते हैं, खासकर जब आप घायल हों और संबंधित प्रोटेक्शन ऑफिसर या पुलिस स्टेशन को मेडिकल रिपोर्ट भेजते हैं।

कानूनी सहायता

वकील प्राप्त करना

आपके पास वकील के पास जाने का विकल्प है जो शिकायत दर्ज कराने में मार्गदर्शन करने से लेकर आपको अदालत तक पहुंचाने में आपकी सहायता कर सके। यदि आप वकील का खर्च वहन नहीं कर सकते, तो आप निःशुल्क कानूनी सहायता के लिए अपने जिले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क कर सकते हैं। निःशुल्क कानूनी सहायता हेतु आवेदन करने की प्रक्रिया को समझने के लिए यहां देखें। इसका पता कैसे लगाना है इसे लेकर यदि आप अनिश्चित हैं, तो आप प्रोटेक्शन ऑफिसर, एन.जी.ओ, सेवा प्रदाताओं आदि से सहायता करने को कह सकते हैं।

घरेलू हिंसा के लिए तत्काल सुरक्षा

घरेलू हिंसा से तत्काल सुरक्षा प्राप्त करने के लिए, आपको प्रोटेक्शन ऑफिसर या वकील की सहायता से अदालत में एक आवेदन दर्ज करवाना चाहिए। अदालत आपको और आपके बच्चे/बच्चों को उत्पीड़क से सुरक्षा देने के लिए एक सुरक्षा आदेश पारित करेगा। अदालत द्वारा पारित आदेश अस्थायी, लेकिन एक निश्चित अवधि के लिए होगा1) जब तक कि अदालत को यह नहीं लगता कि परिस्थितियों में बदलाव के कारण इस तरह के आदेश की आवश्यकता नहीं है। यदि आपको इसकी आवश्यकता है तो आप आदेश की अवधि बढ़ाने के लिए अपने वकील की मदद ले सकती हैं। सुरक्षा आदेश आपकी सहायता करेगा 2):

 

घरेलू हिंसा के कृत्यों को रोकने में

उत्पीड़क को यह आदेश दिया जाएगा कि:

  • वह किसी भी रूप में घरेलू हिंसा करने या कराने में मदद न करे।
  • वह दोस्तों, रिश्तेदारों या कोई भी ऐसा व्यक्ति जो हिंसा करने में आपका समर्थन कर रहा है उसके साथ हिंसा न करे।

 

किसी भी गड़बड़ी या उत्पीड़न को रोकने में

उत्पीड़क को यह आदेश दिया जाएगा कि:

  • वह आपके कार्यस्थल या निवास सहित किसी भी स्थान पर आपको परेशान/उत्पीड़ित न करे।
  • वह आपके बच्चे/बच्चों को स्कूल या किसी अन्य स्थान पर जहाँ वे जाते हैं, परेशान न करे।3)
  • वह आपको व्यक्तिगत रूप से या ईमेल, टेलीफोन, ऑनलाइन, आदि के माध्यम से संपर्क न करे।

 

अपने वित्त और संपत्ति की रक्षा करने में

उत्पीड़क को यह आदेश दिया जाएगा कि:

  • वह आपकी सहमति के बिना आपकी संपत्ति, शादी के तोहफे, स्त्रीधन आदि को बेचने या देने न दे।
  • वह किसी एकल/संयुक्त बैंक खाते का संचालन करने या आपकी सहमति के बिना और न्यायालय को बताए बिना एकल/संयुक्त बैंक लॉकर का उपयोग न करे।

 

उत्पीड़क के व्यवहार को नियंत्रित करने में

उत्पीड़क को यह आदेश दिया जाएगा कि:

  • वह किसी भी फायरआर्म(आग्नेयास्त्र), हथियार या अन्य खतरनाक पदार्थों का उपयोग न करे जिनका उपयोग आपको चोट पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। उत्पीड़क को इसे सीधे न्यायालय में देने के लिए कहा जा सकता है।4)
  • वह किसी भी शराब, नशीले पदार्थों या ऐसे पदार्थों का सेवन न करे जिससे नशा हो सकता है, जिससे घरेलू हिंसा होती है। 5)

यदि उत्पीड़क आदेश देने के बाद भी आपको परेशान कर रहा है, तो आप 6) अपने वकील को अदालत को सूचित करने को कह सकती हैं। अदालत उत्पीड़क को एक वर्ष की जेल या 20,000 रुपये के जुर्माने से दंडित करेगी।

घरेलू हिंसा के लिए परामर्श

परामर्श किसी सलाहकार से पेशेवर मार्गदर्शन के प्रावधान की ओर इशारा करता है, जो आपके द्वारा झेली गई घरेलू हिंसा के मामले को निपटाने में, इस बात की गारंटी दिलाने में कि हिंसा दोहराई नहीं जाएगी, आपकी और आपके उत्पीड़क की मदद करेगा, और घरेलू हिंसा की समस्या का सर्वोत्तम संभव समाधान लेकर आएगा। अदालत या तो उत्पीड़क को या आपको, या तो अकेले या एक साथ, किसी सेवा प्रदाता या कोर्ट द्वारा नियुक्त काउंसलर(परामर्शदाता) से परामर्श करने का आदेश पारित कर सकती है।

 

काउंसलर(परामर्शदाता) नहीं हो सकता हैः

  • कोई ऐसा व्यक्ति जो इस केस से जुड़ा हो, या कोई ऐसा व्यक्ति जो आपका या आपके उत्पीड़क का संबंधी हो जब तक कि आप और उत्पीड़क दोनों ही इसके लिए अपनी सहमति न दे दें1)
  • कोई ऐसा वकील जो इस मामले में उत्पीड़क की ओर से पेश हो चुका है।

 

यदि आप काउंसलर(परामर्शदाता) से किसी कारणवश संतुष्ट नहीं हैं, तो आप अपने वकील से इस बारे में कोर्ट को बताने के लिए कह सकते हैं जो इस मामले को देखेगा।

 

काउंसलर(परामर्शदाता) की भूमिका

काउंसलर(परामर्शदाता) की भूमिका है कि वहः

  • किसी ऐसी जगह पर आपके साथ अकेले या उत्पीड़क के साथ एक मीटिंग तय करे जो आपके और आपके उत्पीड़क के लिए सुविधाजनक हो2)
  • काउंसलर(परामर्शदाता) को परामर्श देने की कार्यवाहियां इस बात को सुनिश्चित बनाने के उद्देश्य से पूरी करनी पड़ेंगी कि घरेलू हिंसा दोहराई न जाए। काउंसलर(परामर्शदाता) उत्पीड़क से यह कहते हुए एक वचन3) ले सकता है कि वहः
  • आगे कोई घरेलू हिंसा नहीं करेगा।
  • पत्र, टेलीफोन, इलेक्ट्रॉनिक मेल के माध्यम से या जज द्वारा अनुमत तरीके से काउंसलर(परामर्शदाता) की मौजूदगी के अलावा किसी और माध्यम से मिलने या बातचीत करने की कोशिश नहीं करेगा।
  • यदि आप फैसला करते हैं कि आप मामले को निपटाना और केस को खत्म करना चाहते हैं, तो आप काउंसलर(परामर्शदाता) से कह सकते हैं, जो इसमें सम्मिलित हर एक के लिए सर्वोत्तम संभव समाधान पेश करने की कोशिश करेगा।

 

परामर्श देने की प्रक्रिया में, उत्पीड़क को इस बात की अनुमति नहीं है कि वह आपको घरेलू हिंसा का शिकार बनाने के लिए किसी कारण का औचित्य पेश करे। परामर्श की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, काउंसलर(परामर्शदाता) को जितना जल्दी हो सके कोर्ट में परामर्श की बैठक (बैठकों) से संबंधित रिपोर्ट जमा करनी होती है ताकि कोर्ट आगे की कार्रवाई कर सके और, 2 महीने के भीतर, केस की सुनवाई के लिए तारीख तय कर सके। यदि निपटारा नहीं हो पाया है, तो काउंसलर(परामर्शदाता) को अदालत के समक्ष इसके कारण बताने होंगे।

घरेलू हिंसा के लिए आपराधिक शिकायत

घरेलू हिंसा के लिए केस दर्ज करने के अलावा, जब आप, अन्य चीजों के साथ, सुरक्षा या मौद्रिक राहत की मांग कर सकते हैं, आप तब भी1) उत्पीड़क के खिलाफ कोर्ट में आपराधिक मामला दर्ज करा सकते हैं यदि आपने जिस हिंसा का सामना किया है वह कष्टदायक हो। आपराधिक मामला दर्ज कराने से, उत्पीड़क को हिंसक कार्य के लिए कारावास और जुर्माने के रूप में सजा दी जाएगी। आपके वकील को चाहिए कि वह अदालत को सूचित करे कि दोनों मामले दायर किए जा चुके हैं2)

आपराधिक मामला दायर करने से पहले, आपको पुलिस स्टेशन जाकर एफ.आई.आर दर्ज करानी होगी। आप भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 498ए का उपयोग करते हुए पुलिस में एफ.आई.आर दर्ज करा सकती हैं।

एक आपराधिक मामला निम्नलिखित कारणों के लिए दायर किया जा सकता है3):

  • यदि उत्पीड़क किसी महिला को आत्महत्या करने के लिए उकसाता है4)
  • यदि उत्पीड़क महिला को गंभीर चोट पहुंचाता है या पहुंचाने की कोशिश करता है या महिला के जीवन या स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता है।
  • यदि उत्पीड़क महिला के मानसिक स्वास्थ्य को इस हद तक प्रभावित करता है कि यह उसके जीवन के लिए खतरा बन चुका है।
  • यदि उत्पीड़क महिला के लिए शब्दों से या शारीरिक क्रियाओं द्वारा कोई मानसिक तनाव या मनोवैज्ञानिक संकट पैदा करता है5)
  • यदि उत्पीड़क महिला को दहेज के लिए मजबूर करता है या किसी संपत्ति या कीमती चीज़ की गैरकानूनी मांग करता है।

 

ऊपर दिए गए किसी भी अपराध के लिए कोर्ट के द्वारा दोषी पाए जाने पर, उत्पीड़क को अदालत में जुर्माना भरना पड़ेगा और 3 वर्ष तक के लिए जेल जाना होगा।

घरेलू हिंसा के लिए आप किसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं?

आप घरेलू हिंसा के लिए पुरुष और महिला दोनों के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं। आप निम्नलिखित के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं:

  • आपका परिवार: आप अपने परिवार के बारे में शिकायत कर सकते हैं, यदि वे आपको निम्न परिस्थितियों में घरेलू हिंसा के अधीन कर रहे हैं:
  • यदि आपका उत्पीड़क के साथ खून का रिश्ता है तो आप उनके खिलाफ मामला दर्ज करा सकते हैं। उदाहरण के लिए आपके पिता, भाई आदि।
  • यदि आपका अपने उत्पीड़क के साथ शादी का रिश्ता है तो आप उनके खिलाफ मामला दर्ज करा सकते हैं जैसे कि आपके ससुराल वाले, पति, आदि।
  • यदि आप अपने उत्पीड़क के साथ एक संयुक्त परिवार में रहते हैं तो आप उनके खिलाफ मामला दर्ज करा सकते हैं। उदाहरण के लिए, आपकी दादी, चाचा, दत्तक भाई, आदि। हालांकि, आप केवल उन लोगों के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं जो हिंसा में शामिल थे। 1) उदाहरण के लिए, यदि आप दस लोगों के साथ एक संयुक्त परिवार में रहते हैं और केवल आपकी सास और पति ने आपके साथ हिंसा की है तो आप केवल उन्हीं के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।
  • आपका लिव-इन पार्टनर: यदि आपका लिव-इन पार्टनर आपको चोट पहुंचाता है या आपके साथ दुर्व्यवहार करता है तो आप उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
  • नाबालिग: आप एक नाबालिग के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं जो आपके साथ घरेलू हिंसा करता है।2) उदाहरण के लिए, यदि आपके परिवार में एक 16 वर्ष का लड़का आपको शारीरिक रूप से परेशान कर रहा है तो आप उसके खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

कोर्ट में जाते समय, ध्यान रखें कि आप जिसके द्वारा घरेलू हिंसा के शिकार हुए, उसके साथ आपने न केवल घरेलू संबंध साझा किया हो बल्कि एक ही घर में साथ भी रहे हों।

अधिक जानकारी के लिए इस सरकारी संसाधन को पढ़ें

प्रोटेक्शन ऑफिसर की भूमिका

यदि आप घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं, तो प्रोटेक्शन ऑफिसर (पी.ओ( सामान्य रूप से आपके लिए संपर्क करने का पहला बिंदु होता है। कोई भी, जिसमें आपका कोई परिचित भी शामिल है, हिंसा के खिलाफ शिकायत करने और सुरक्षा हासिल करने के लिए आपके जिले या किसी निकटवर्ती क्षेत्र के प्रोटेक्शन ऑफिसर से मिल सकता है, कॉल कर सकता है, या लिख सकता है। पी.ओ का पता लगाने के लिए, आपः

  • निकटवर्ती पुलिस स्टेशन जा सकते हैं और उनसे आपको पी.ओ से मिलवाने के लिए कह सकते हैं।
  • अपने जिले के महिला और बाल विकास विभाग को कॉल कर सकते हैं या वहां जा सकते हैं।
  • राष्ट्रीय/राज्य महिला आयोग से संपर्क कर सकते हैं। प्रोटेक्शन ऑफिसर्स की एक राज्यवार सूची यहां दी गई है।
  • किसी एन.जी.ओ या सेवा प्रदाता से संपर्क कर सकते हैं।

आपकी शिकायत पी.ओ द्वारा लिखी जाएगी और आप अपने पास रखने के लिए इस शिकायत की एक मुफ्त कॉपी मांग सकते हैं। प्रोटेक्शन ऑफिसर आपकी मदद करेंगे1):

शिकायत दर्ज करने में

पी.ओ घरेलू घटना की रिपोर्ट 2)(डी.आई.आर) दर्ज करने में आपकी मदद करेगा जो घरेलू हिंसा की मामलों की स्पेशल रिपोर्ट होती है जिसमें उत्पीड़क(ओं) के सभी विवरण, पीड़ित के विवरण इत्यादि होंगे। वे सीधे कोर्ट में शिकायत दर्ज कराने में भी मदद करेंगे और कानूनी समर्थन पाने में आपकी सहायता करेंगे।

पुलिस को जानकारी दें

पी.ओ मेडिकल रिपोर्ट, यदि आपकी चिकित्सा जांच हो चुकी है, की एक कॉपी के साथ ही डी.आई.आर की एक कॉपी, आपने जिस क्षेत्र में हिंसा का सामना किया है, उसके भीतर स्थित पुलिस स्टेशन को भेजेगा। इसके बाद, पुलिस मामले को देखेगी और उत्पीड़क(ओं) की ओर से आपके विरुद्ध हिंसा की किसी क्रिया को होने से रोकेगी 3)

त्वरित संरक्षण और सहायता प्रदान करें

पी.ओ मदद करेगाः

  • आपके लिए एक सुरक्षा योजना तैयार करने में जिसमें आपकी सुरक्षा के लिए आवश्यक उपायों, और अदालत से आपके द्वारा मांगे गए आदेशों का विस्तृत विवरण होगा।
  • यदि आप घायल हैं, तो किसी चिकित्सालय से आपको और/या आपके बच्चे को चिकित्सा सहायता दिलाने में।
  • आपको सेवा प्रदाता से मिलवाएगा जो कानूनी मदद, परामर्श, चिकित्सा सुविधा, आश्रय घर इत्यादि में आपकी सहायता करेगा।

आपको आपके कानूनी अधिकार से अवगत करवाएगा

पी.ओ आपके साथ घरेलू हिंसा के विभिन्न प्रकारों के बारे में बात करेगा ताकि वह यह समझ सके कि आप किन परिस्थितियों से होकर गुजरे हैं। इसे डी.आई.आर में रिकॉर्ड किया जाएगा। तत्पश्चात, शिकायत दर्ज कराने के बाद पी.ओ आपको उन अधिकारों और उपचारों की जानकारी देगा जिसके लिए आप क़ानून के तहत पात्र हैं।

न्यायालय की कार्यवाहियों द्वारा आपकी सहायता

प्रोटेक्शन ऑफिसरः

  • ज़िला कानूनी सहायता सेवा प्राधिकरण के माध्यम से आपको दुबारा निःशुल्क कानूनी सहायता तक पहुँच प्रदान करेगा।

.     सुनिश्चित करेगा कि अदालती कार्यवाहियों के दौरान आप और आपके बच्चे उत्पीड़क के द्वारा उत्पीड़ित किए या दबाए न जाएं