ग्राहक का ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी से सुरक्षित रहने का अधिकार

बैंक के ग्राहक के रूप में, आपके पास ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी से सुरक्षित रहने के लिए निम्नलिखित अधिकार हैं:

• आपके खाते के माध्यम से होने वाले सभी इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन की एसएमएस अधिसूचना को पंजीकृत करने और प्राप्त करने का अधिकार।

• आपके खाते के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के लिए ईमेल अलर्ट पंजीकृत करने और प्राप्त करने का अधिकार।

 

उपभोक्ता कौन होता है?

उपभोक्ता वे लोग हैं जो वस्तुएं या सेवाएं खरीदते और उपयोग करते हैं। उपभोक्ताओं को उनके द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली किसी भी सेवा या सामान के लिए शिकायत दर्ज करने का अधिकार है-

सामान और सेवाओं को खरीदने व उपयोग करने वाला व्यक्ति 

उपभोक्ता में ऐसा कोई भी व्यक्ति शामिल होता है जो वस्तुओं और सेवाओं को खरीदता है, साथ ही उनका उपयोग करने वाला व्‍यक्ति भी इसमें शामिल होता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो सिनेमा का टिकट खरीदने के बाद फिल्म देखता है वह उपभोक्ता है, और इसी तरह, जो व्यक्ति किसी और से उपहार में उपहार वाउचर पाकर उसका उपयोग करता है, वह भी उपभोक्ता है।

स्वरोज़गार के लिए सामान का उपयोग करने वाला व्यक्ति, न कि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए 

उपभोक्ता संरक्षण कानून उन लोगों पर लागू नहीं होता है जो वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए वस्तुओं व सेवाओं का उपयोग करते हैं। हालांकि, इसके कुछ अपवाद भी हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अपने व्यवसाय में उपयोग करने के लिए बड़ी मशीनें खरीदता है, वह ‘उपभोक्ता’ नहीं है। हालांकि, जो लोग स्वरोज़गार के लिए माल का उपयोग करते हैं उन्हें उपभोक्ता माना जाता है। उदाहरण के लिए, वे कलाकार जो अपने काम के लिए कला सामग्री खरीदते हैं या सौंदर्य उत्पाद खरीदने वाले ब्यूटीशियन भी उपभोक्ता हैं।

ऑनलाइन सुविधाओं का उपयोग करने वाला व्यक्ति 

उपभोक्ता में वह व्यक्ति भी शामिल होता है जो ऑनलाइन सामान या सेवाएं खरीदता या किराए पर लेता है। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी कपड़े की वेबसाइट से ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं, तो आप एक उपभोक्ता हैं।

भोजन से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे लोग

उपभोक्ताओं में वे लोग भी शामिल हैं जो खाद्य पदार्थों संबंधी मुद्दों का सामना कर रहे हैं, जैसे कि मिलावट, खराब गुणवत्ता, सेवा की कमी, आदि। उदाहरण के लिए, भोजन से संबंधित मुद्दों में उत्पादों की विविध समस्याएं आ सकती हैं-जूसों जैसी चीज़ों के उत्पादन में उपयोग होने वाले पानी के साथ-साथ चिकन, मटन आदि की बिक्री में जो स्पष्‍ट रूप से मानव उपभोग के लिए हैं।

बैंक में शिकायत दर्ज करना

अधिकांश बैंकों के पास इस तरह के मामलों के लिए समर्पित कर्मचारी होते हैं। प्रासंगिक संपर्क विवरण आपके कार्ड के पीछे और साथ ही बैंक की वेबसाइट पर पाए जाते हैं। प्रत्येक एटीएम मशीन पर हेल्प डेस्क के टेलीफोन नंबर भी प्रदर्शित किए जाते हैं।

अगर आपको कोई नुकसान हुआ है तो आपको तुरंत फोन (बेहतर) या ईमेल के जरिए बैंकों से संपर्क करना चाहिए। शिकायत संख्या को नोट करना न भूलें और उसी नंबर का उपयोग करके आगे की कार्यवाही करें। बैंक को आपके ईमेल की स्वीकृति देनी चाहिए।

भारतीय बैंकिंग कोड और मानक बोर्ड (BCSBI) द्वारा अधिनियमित ग्राहकों के प्रति बैंक की प्रतिबद्धता संहिता (CBCC) प्रत्येक बैंक शाखा को ग्राहक की शिकायतों को दूर करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी का नाम बैंक शाखा में प्रदर्शित करने के लिए अनिवार्य करती है।

यदि शाखा स्तर पर आपकी शिकायत का समाधान नहीं होता है, तो आप शाखा में प्रदर्शित पते पर क्षेत्रीय या मंडलीय प्रबंधक या प्रधान नोडल अधिकारी (पीएनओ) से संपर्क कर सकते हैं।

आमतौर पर, शिकायत प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर, बैंक आपको अंतिम प्रतिक्रिया भेजेगा या समझाएगा कि जांच के लिए और समय की आवश्यकता क्यों है। अंतिम प्रतिक्रिया के बाद भी असंतुष्ट होने की स्थिति में बैंक आपको शिकायत को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया भी बताएगा।

उपभोक्ता अधिकार क्या होते हैं?

अपने अधिकारों से अनजान उपभोक्ता बाज़ार में असुरक्षित होते हैं। अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है ताकि वे अपने हितों के मद्देनज़र आत्मविश्वास से अपने विकल्‍प चुन सकें। उपभोक्ता अधिकारों में निम्नलिखित शामिल हैं, लेकिन वे इन्हीं तक सीमित नहीं हैं।

जीवन और संपत्ति के लिए खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा का अधिकार

वस्तुओं से न केवल उपभोक्ताओं की तात्कालिक ज़रूरतें पूरी होनी चाहिए, बल्कि उनके दीर्घकालिक हित भी पूरे होने चाहिए तथा वस्तुओं व सेवाओं के उपयोग से उपभोक्ताओं को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति फ्लू जैसी तात्‍कालिक बीमारी को ठीक करने वाली दवा का उपयोग करता है, लेकिन दवा के दुष्प्रभाव अधिक बुरे होते हैं, तो वे उपभोक्ता शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

सूचना का अधिकार

माल की गुणवत्ता, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मानक और कीमत के बारे में उपभोक्ताओं को सूचित होने का अधिकार है। यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि विक्रेता उत्पाद लेबल पर प्रामाणिक जानकारी डालें और झूठे दावे न करें।

सरकार मंडी की कीमतों, दैनिक मूल्य रिपोर्ट, उपभोक्ताओं की डिजिटल सुरक्षा पर शैक्षिक सामग्री आदि के साथ आवश्यक वस्तुओं की मूल्य निगरानी सूची भी प्रकाशित करती है। तमिलनाडु जैसी कुछ राज्य सरकारों ने भी उपभोक्ताओं को शिक्षित करने के लिए परामर्शावलियां प्रकाशित की हैं।

यथासंभव, प्रतिस्पर्धी कीमतों पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के चयन का अधिकार

उपभोक्ताओं को बुनियादी सामान व सेवाएं उचित मूल्य पर प्राप्‍त करने का अधिकार है। उदाहरण के लिए, आपको अस्पताल के मेडिकल स्टोर से या सामान्य स्टोर से उचित मूल्य पर दवाएं खरीदने का अधिकार है।

उपभोक्ता क्षतिपूर्ति मंचों पर शिकायत दर्ज करने का अधिकार

उपभोक्ताओं को अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए शिकायत-निवारण मंचों का उपयोग करने का कानूनी अधिकार है। प्रत्येक उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करने और अपनी सुनवाई का अधिकार है ताकि शिकायत का समाधान किया जा सके।

अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ क्षतिपूर्ति की मांग करने का अधिकार

अनुचित व्यापार प्रथाएं आम तौर पर योजनाओं, विज्ञापनों आदि के माध्यम से उपभोक्ता को छलने, धोखा देने या विश्‍वासघात करने से संबंधित होती हैं। कानून उपभोक्ताओं को शोषण से बचाता है और उपभोक्ता के लिए निवारण मंचों के माध्यम से उचित निपटान का दावा करने की एक प्रणाली बनाता है।

बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करना

यदि आप बैंक द्वारा प्रदान किए गए समाधान से असंतुष्ट हैं और इस मामले में आगे पूछताछ करना चाहते हैं, तो आप बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 के तहत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित बैंकिंग लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं। प्रत्येक बैंक को अपने पते पर शाखा बैंकिंग लोकपाल का विवरण प्रदर्शित करना आवश्यक है जिसके अधिकार क्षेत्र में शाखा आती है। यहां संबंधित बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

आप ऐसा तभी कर सकते हैं जब आप बैंक के साथ मामलों को निपटाने की कोशिश कर चुके हों और असफल हो गए हों। यदि आप न्यायालय में मामला दायर करते हैं, जैसे कि उपभोक्ता न्यायालय, तो आप उस समय लोकपाल से संपर्क नहीं कर सकते जब तक कि मामला चल रहा हो।

यदि आप बैंकिंग लोकपाल के निर्णय से असंतुष्ट हैं, तो आप लोकपाल के निर्णय के खिलाफ अपीलीय प्राधिकारी -डिप्टी गवर्नर से संपर्क कर सकते हैं जो बैंकिंग लोकपाल योजना, भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यान्वयन से निपटने के प्रभारी हैं। यह अपील लोकपाल के निर्णय के 30 दिनों के भीतर की जानी चाहिए।

उपभोक्ता कल्याण कोष

उपभोक्ता कल्याण कोष (CWF) का समग्र उद्देश्य उपभोक्ताओं के कल्याण को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने और देश में उपभोक्ता आंदोलन को मज़बूत करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। कुछ नियम हैं जो CWF के उपयोग को नियंत्रित करते हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

• विस्‍तृत कवरेज वाली और सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय व्‍यवहारों को अपनाने वाली उपभोक्ता जागरूकता परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए सीडब्ल्यूएफ से प्राथमिकता प्राप्‍त होगी।

• सीडब्ल्यूएफ का उपयोग करते समय सरकार, ग्रामीण व वंचित उपभोक्ताओं तथा उनके हितों की सुरक्षा-योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसके लिए, ग्रामीण उपभोक्ताओं और उनके सशक्तिकरण से संबंधित परियोजनाओं, और ग्रामीण उपभोक्ताओं (जिनमें महिलाओं व सामाजिक रूप से वंचित समूहों की भी बड़ी भागीदारी है) के लिए काम करने वाले संगठनों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

• CWF को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच भी वितरित किया जाना है, ताकि कल्याणकारी गतिविधियों के लिए भी क्षेत्रीय उपभोक्ता कल्याण कोष बनाया जा सके।

• कंपनियों की कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व निधि के माध्यम से सीडब्ल्यूएफ में योगदान करने की दिशा में एक उल्‍लेखनीय प्रयास किया गया है।

• उपभोक्ता जागरूकता और शिक्षा के लिए अभिनव परियोजनाएं, उपभोक्ता शिक्षा के लिए प्रशिक्षण और अनुसंधान सुविधाओं की स्थापना, ग्रामीण उपभोक्ता सशक्तिकरण से संबंधित परियोजनाएं, स्कूलों/कॉलेजों/विश्वविद्यालयों में उपभोक्ता क्लब, परामर्श के लिए राज्य/क्षेत्रीय स्तर पर उपभोक्ता मार्गदर्शन ब्यूरो की स्थापना और मार्गदर्शन, उत्पाद परीक्षण प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों में उत्कृष्टता केंद्र बनाने, पैरवी और वर्गीय कानूनी कार्रवाई आदि पर खर्च को पूरा करने आदि को प्राथमिकता मिलती है।

CWF के तहत वित्तीय सहायता के लिए आवेदन करना

उपभोक्‍ता कल्‍याण निधि से वित्‍तीय सहायता की मांग करने वाले प्रस्‍ताव आम तौर पर, जनवरी और जुलाई के महीनों में, साल में दो बार ऑनलाइन होते हैं। प्रस्ताव आमंत्रित करने की उचित सूचना एवं प्रारूप उपभोक्ता विभाग की वेबसाइट पर जारी एवं प्रकाशित किये जायेंगे। उपभोक्ता कल्याण कोष से अनुदान के लिए आवेदन पत्र आप उपभोक्ता विभाग की वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं।

यद्यपि, मूल्यांकन समिति पात्रता मानदंडों पर खरा न उतरने, और एक ही उद्यम के लिए कई सरकारी मंचों के माध्यम से धन प्राप्‍त करने का प्रयास करने वाले अधूरे फॉर्म आदि कारणों से आवेदन को अस्वीकार कर सकती है।

ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंकों की जिम्मेदारी

बैंकों को अपने ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के लिए अनिवार्य रूप से एसएमएस अलर्ट के लिए पंजीकरण करने के लिए कहना चाहिए। जहां कहीं भी उपलब्ध हो, उन्हें अपने ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के लिए ई-मेल अलर्ट के लिए पंजीकरण करने के लिए कहना चाहिए।

एसएमएस अलर्ट अनिवार्य रूप से ग्राहकों को भेजे जाएंगे, जबकि इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन की स्थिति में जहां कहीं भी पंजीकृत हैं, ईमेल अलर्ट भेजे जा सकते हैं। ग्राहकों को उनकी इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग सेवाओं के किसी भी अनधिकृत उपयोग तथा अनधिकृत लेनदेन की रिपोर्ट करने के लिए और/या कार्ड आदि जैसे भुगतान साधन की हानि या चोरी की रिपोर्ट करने के लिए, बैंकों को ग्राहकों को कई 24×7 समर्पित चैनलों के माध्यम की सुविधा, (कम से कम, वेबसाइट, फोन बैंकिंग, एसएमएस, ई-मेल, इंस्टेंट वॉयस रिस्पांस, टोल-फ्री हेल्पलाइन, होम ब्रांच को रिपोर्ट करना, आदि) प्रदान करनी चाहिए। बैंकों को ग्राहकों को एसएमएस और ई-मेल अलर्ट पर हीं ‘रिप्लाई’ भेज कर तुरंत उत्तर देने का अधिकार देना होगा, ताकि ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन पर आपत्ति को सूचित करने के लिए वेब पेज या ई-मेल पते की खोज करने की आवश्यकता न हो।

बैंकों को अपनी वेबसाइट के होम पेज पर अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की रिपोर्ट करने के विशिष्ट विकल्प के साथ शिकायत दर्ज करने के लिए एक सीधा लिंक भी प्रदान करना होगा। हानि/धोखाधड़ी रिपोर्टिंग प्रणाली को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पंजीकृत शिकायत संख्या के साथ शिकायत को स्वीकार करने वाले ग्राहकों को तत्काल प्रतिक्रिया (ऑटो प्रतिक्रिया सहित) भेजी जाए। बैंकों को अलर्ट की डिलीवरी का समय और तारीख और ग्राहक की प्रतिक्रिया की प्राप्ति, यदि कोई हो, को रिकॉर्ड करना चाहिए।

जो ग्राहक बैंक को मोबाइल नंबर प्रदान नहीं करते हैं, उन्हें बैंक एटीएम नकद निकासी के अलावा इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की सुविधा नहीं दे सकते हैं। ग्राहक से अनधिकृत लेनदेन की रिपोर्ट प्राप्त होने पर, बैंकों को खाते में और अनधिकृत लेनदेन को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।

उपभोक्ता शिकायतों के प्रकार

उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत प्रत्येक व्यक्ति को निम्नलिखित प्रकार की उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने का अधिकार है-

ई-कॉमर्स शिकायतें 

‘ई-कॉमर्स’ का अर्थ डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर (डिजिटल उत्पादों सहित) सामान या सेवाओं को खरीदना या बेचना है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन, वितरण, विपणन, बिक्री या वितरण शामिल है।

ई-कॉमर्स संस्थाएं, जैसे कि फ्लिपकार्ट और अमेज़ॉन सरीखी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स को लंबे समय से ऐसे सेवा प्रदाताओं के रूप में बरता जाता रहा है, जो लाभ के लिए काम करती हैं। इनके द्वारा जब भी उपभोक्ता अधिकारों का उल्‍लंघन हुआ है, तो उन्हें उत्तरदायी ठहराया गया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 द्वारा लाये गये प्रमुख सुधारों में से एक यह है कि यह इन ई-कॉमर्स संस्थाओं को नियंत्रित करने के लिए वह नियमावली निर्धारित करता है-

• ई-कॉमर्स संस्थाओं को शिकायत के 48 घंटे के भीतर जवाब देना होगा।

• शिकायत कहीं से भी की जा सकती है, भले ही खरीदारी कहीं से भी की गयी हो।

• अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स संस्थाओं को अब विक्रेताओं के ब्‍योरे प्रदर्शित करना ज़रूरी है, जैसे उनका कानूनी नाम, भौगोलिक पता, संपर्क विवरण, आदि।

• इन संस्थाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से माल की कीमतों में हेरफेर नहीं करना चाहिए, और बिक्री के किसी भी अनुचित या भ्रामक तरीके को नहीं अपनाना चाहिए।

• उन्हें उत्पाद के गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने और नकली समीक्षाएं पोस्ट करने की मनाही है।

• कानून, उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के आदेश देता है।

भ्रामक विज्ञापनों की शिकायतें 

कोई विज्ञापन, टेलीविज़न, रेडियो या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, समाचार पत्रों, बैनर, पोस्टर, हैंडबिल, दीवार-लेखन आदि के माध्यम से एक प्रचार होता है। एक भ्रामक विज्ञापन वस्तुओं और सेवाओं के बारे में असत्य बातें कहता है, जो उपभोक्ता को उन्हें खरीदने के लिए गुमराह कर सकता है। ये विज्ञापन किसी उत्पाद या सेवाओं की उपयोगिता, गुणवत्ता और मात्रा के बारे में झूठे दावे कर सकते हैं, या जानबूझकर उत्पाद के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी (जैसे ज्ञात दुष्प्रभाव) छिपा सकते हैं, आदि। भ्रामक दावे करने पर विज्ञापनदाताओं पर मुकदमा चलाया जा सकता है। ऐसे विज्ञापन, जिनमें उस खास लाभकारी पहला संयोजन वाले पहले टूथपेस्ट होने का दावा शामिल है, जबकि वास्तव में ऐसा लाभकारी संयोजन उसमें नहीं होता है, या ऐसी विज्ञापन योजनाएं जो उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाये बिना कंपनी का अपना लाभ बढ़ाने की कोशिश करती हैं, आदि।

अनुचित व्यापार चलन की शिकायतें 

उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत अनुचित व्यापार प्रथाओं की एक व्यापक परिभाषा है। उसमें माल के मानक, गुणवत्ता और मात्रा के बारे में, और इस्‍तेमालशुदा / पुरानी वस्तुओं को नये माल के रूप में बेचने के भी झूठे बयान शामिल हैं। इसमें वारंटी के झूठे दावे, या वारंटी अवधि का वैज्ञानिक रूप से परीक्षण न किये जाने जैसी चीज़ें भी शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप कई मुकदमे हुए हैं, जिनमें से एक में एक नूडल-निर्माता अपने पैकेटों पर झूठी सीसा सामग्री बता रहा था। एक और मामले में दवाओं के लेबल बदल कर उनकी समाप्ति अवधि को कृत्रिम ढंग से आगे बढ़ा दिया जाता था, लेबल पर बतायी गयी सामग्री से अलग ही अवयवों से बने माल की बिक्री, आदि।

प्रतिबंधात्मक व्यापार आचरण संबंधी शिकायतें 

प्रतिबंधात्मक व्यापार क्रियाकलापों का अर्थ है ऐसा व्यापार व्‍यवहार जो माल की कीमत, या वितरण में हेरफेर करता है, जो बाजार में आपूर्ति के प्रवाह को प्रभावित करता है। इससे उपभोक्ताओं को अनुचित लागत या प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। आम तौर पर यह कुछेक ऐसे तरीकों से किया जाता है-मूल्य आरोपण, एकाधिकार से सौदेबाज़ी करना, बेचे हुए माल के रीसेल मूल्यों को नियंत्रित करना, कोई सामान या सेवा खरीदने के लिए दूसरे सामान या सेवाओं को खरीदना भी अनिवार्य कर देना। इसका एक प्रत्‍यक्ष उदाहरण है, इलेक्ट्रॉनिक सामानों का डिलीवरी और फिक्सिंग का मनमाना मूल्‍य वसूलना। नतीजतन, उपभोक्ता चाहे-अनचाहे सेवा का भुगतान कर देता है, जिससे उन्हें मजबूरन अनुचित खर्च करना पड़ता है।

खराब माल की शिकायत 

दोषपूर्ण सामान वह सामान है जिसमें गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता या मानक संबंधी ऐसा कोई दोष, अपूर्णता या कमी है, प्रचलित कानून के तहत जिसका पालन करना विक्रेता के लिए आवश्यक है। कुछ उदाहरण मिलावटी या दोषपूर्ण ढंग से तैयार पेय पदार्थ, खराब मशीनरी, बेढंगी कलाकृतियां आदि हैं।

नकली सामान की शिकायत 

नकली सामान वे होते हैं जिन पर झूठा दावा किया जाता है कि वे असली हैं या वे जो असल की नकल होते हैं। ये अक्सर निम्न गुणवत्ता वाले होते हैं और मूल सामान के कानूनी मालिकों के ट्रेडमार्क और कॉपीराइट का उल्‍लंघन करते हैं। एक महत्वपूर्ण उदाहरण स्थानीय बाज़ारों में मिलने वाली दवाओं या सस्ते मेकअप उत्पादों का है। अक्सर, नकली दवाएं किसी अन्य दवा के नाम से बेची जाती हैं, या वे भ्रामक तरीके से किसी अन्य दवा की नकल के बतौर या उसके बदले में बेची जाती हैं।

एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) से ज्‍़यादा पैसे लेना 

किसी उत्पाद के अधिकतम खुदरा मूल्य के बतौर निर्धारित मूल्य से ज्‍़यादा दाम लेते समय, विक्रेता, उपभोक्ता से आम तौर पर यह वसूली धोखे से या झूठ बोल कर करते हैं। यह उपभोक्ता अधिकारों का घोर उल्‍लंघन है।

खाने की शिकायतें 

वर्तमान कानून, खाद्य उत्पादों संबंधी शिकायतों पर भी ध्‍यान देता है। उदाहरण के लिए, ग्राहक फूड सेफ्टी कनेक्ट पोर्टल पर पैकेजित आहार के बारे में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं जैसे कि उसका मिलावटी होना, उसका समय समाप्‍त होना, FSSAI लाइसेंस का न होना, आदि या स्वच्छता की कमी, उसमें कीड़े मौजूद होने आदि जैसे सेवा संबंधी मुद्दे।

ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी के लिए शिकायत दर्ज करना

पुलिस स्टेशन 

जब आप ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी की शिकायत करने के लिए पुलिस स्टेशन जाते हैं, तो वे आपसे एफआईआर दर्ज करने के लिए कहेंगे। आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप अपने साथ हुई ऑनलाइन धोखाधड़ी के बारे में सभी जानकारी दें।

ऑनलाइन शिकायत 

पुलिस थाने के साइबर अपराध प्रकोष्ठ में प्राथमिकी दर्ज करने के अलावा, आप गृह मंत्रालय के ऑनलाइन अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। घटना की विस्तृत जानकारी देकर शिकायत दर्ज करें। आप धोखाधड़ी वाले लेनदेन के संबंध में प्राप्त ई-मेल या संदेशों के स्क्रीनशॉट जैसी फ़ाइलें अपलोड करना भी चुन सकते हैं

उपभोक्ता शिकायत मंच

उपभोक्ता संरक्षण कानून संबद्ध प्राधिकरणों और शिकायत मंचों को निर्दिष्‍ट करता है कि कोई उपभोक्ता अपने उपभोक्ता-अधिकारों का उल्‍लंघन होने पर उनसे संपर्क कर सकता है। जिले, राज्य, और राष्‍ट्रीय स्तर पर तीन उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग हैं। इन सभी मंचों का कर्तव्य है कि वे एक उपभोक्ता के सरोकार सुनें और सुनिश्चित करें कि हर सरोकार को उचित महत्व दिया जाए। इन आयोगों का अधिकार क्षेत्र इस हिसाब से तय होता है-

1. प्रयुक्‍त वस्तुओं या सेवाओं का मूल्य (कीमत)

2. उपभोक्ता या विक्रेता का निवास स्थान या किसी एक पक्ष का कार्यस्थल या जहां विवाद शुरू हुआ

3. वह स्थान जहां शिकायत दर्ज करने वाला व्यक्ति रहता है

विवाद शुरू होने के बाद 2 साल के भीतर, उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों में सुनवाई के लिहाज़ से शिकायतें दर्ज की जानी चाहिए। शिकायत निवारण / आयोग जिनसे उपभोक्ता अधिकारों के उल्‍लंघन के लिए संपर्क किया जा सकता है और उनके द्वारा न्‍याय-निर्णीत मामले इस प्रकार हैं-

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (डीसीडीआरसी) 

जिला आयोग एक जिला स्तरीय शिकायत निवारण मंच है जो एक करोड़ रुपये से कम कीमत के सामान संबंधी शिकायतों को देखता है। आयोग 21 दिनों की अवधि के भीतर शिकायत को स्वीकार या अस्वीकार करता है। यदि आयोग निर्दिष्‍ट समय में जवाब नहीं देता है, तो शिकायत स्वीकार कर ली जाएगी और जिला आयोग उसकी जांच करेंगे। शिकायत खारिज करने से पहले, आयोग को शिकायतकर्ता को सुनवाई का मौका देना चाहिए। आयोग के पास प्राप्‍त की गयी वस्तुओं या सेवाओं से जुड़ी किसी भी समस्या या दोष को दूर करने का आदेश देने की शक्ति है, या वह शिकायतकर्ता को राहत के रूप में जुर्माने का भुगतान करने का आदेश दे सकता है। जिला आयोग का आदेश जारी होने के 45 दिनों के भीतर मामले के पक्षकारों के पास जिला आयोग के आदेश के विरुद्ध अपील, राज्य आयोग में दायर करने का विकल्प भी है। आप राष्ट्रीय उपभोक्ता निवारण वेबसाइट पर दिये गये जिला आयोगों का विवरण पा सकते हैं। .

राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एससीडीआरसी) 

राज्य आयोग संबंधित राज्य की राजधानी में स्थित एक राज्य स्तरीय शिकायत निवारण मंच है, जहां 1 करोड़ से 10 करोड़ रुपये के मूल्य के सामान के संबंध में शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं। देश में लगभग 35 राज्य आयोग हैं, जहां जिला आयोग की शिकायतों, अपीलों और अनुचित अनुबंधों के मामलों की सुनवाई होती है। राज्य आयोग के निर्णय के खिलाफ अपील राष्ट्रीय आयोग में आदेश जारी होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर दायर की जा सकती है। ऐसी अपील दायर होने के बाद, राष्ट्रीय आयोग द्वारा उस पर 90 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाना आवश्यक है।

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) 

राष्ट्रीय आयोग, उपभोक्ता शिकायत निवारण का सर्वोच्च प्राधिकरण है। यह राष्ट्रीय राजधानी, नयी दिल्‍ली में स्थित है। उन वस्तुओं या सेवाओं संबंधी शिकायतें जिनकी कीमत 10 करोड़ रुपये से अधिक है, तथा राज्य आयोग या केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के आदेशों के खिलाफ अपीलें एनसीडीआरसी में दायर की जा सकती हैं। राष्ट्रीय आयोग के निर्णय के खिलाफ अपील पारित आदेश की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है। आयोग के आदेश उसकी वेबसाइट पर प्रकाशित होते हैं। आयोग के पास अपने आदेश प्रकाशित करने का कानूनी अधिकार है और इन आदेशों को प्रकाशित करने के लिए आयोग के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती है। राष्ट्रीय आयोग पोर्टल अपने मंच के माध्यम से पंजीकरण और इलेक्ट्रॉनिक शिकायत दर्ज करने संबंधी वीडियो निर्देश भी प्रदान करता है।

शिकायतों पर निर्णय लेने का समय 

एक उपभोक्ता शिकायत पर आयोग द्वारा 3 महीने की अवधि के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए। उत्पादों / दोषों के परीक्षण की आवश्यकता होने पर इसे 5 महीने तक बढ़ाया जा सकता है।

आयोगों द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ अपीलें 

यदि निर्दिष्‍ट अवधि में आयोग द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ अपील नहीं की गयी हो तो वे अंतिम होते हैं। इस नियम के अपवाद हैं, क्योंकि आयोग के पास उन मामलों को स्वीकार करने का अधिकार है, जिनके लिए निर्धारित समय में अपील दायर नहीं की गयी हो। इन प्रावधानों के अलावा, मामलों को एक जिला आयोग से दूसरे में और एक राज्य आयोग से दूसरे में क्रमशः राज्य व राष्ट्रीय आयोगों द्वारा स्थानांतरित किया जा सकता है; यदि और जब भी पार्टियां आवेदन करें तो। एक उपभोक्ता जिसने ऊपर उल्लिखित किसी भी फोरम में शिकायत दर्ज करायी है, वह ऑनलाइन केस स्टेटस पोर्टल के माध्यम से अपने मामले को ट्रैक कर सकता है। अपने मामले को ट्रैक करने के लिए आप अपने वकील से अपने केस नंबर का विवरण मांग सकते हैं।