बाल विवाह

बाल विवाह उन पक्षों के बीच विवाह माना जाता है जहां:

• शादी करने वाले दोनों लोग अवयस्क हों, या

• उनमें से कोई भी एक बच्चा हो या अवयस्क हो।

एक महिला के लिए शादी की उम्र 18 साल है।

एक पुरुष के लिए शादी की उम्र 21 साल है।

मुस्लम स्वीय विधि के तहत शादी की उम्र यौवन (15 साल की उम्र) है। इसलिए, यदि आपकी आयु क्रमशः 18 वर्ष/21 वर्ष से कम है और आपकी शादी हो जाती है, तो आपकी शादी अवैध नहीं है। परंतु अगर, आप चाहें तो बाल विवाह कानून के तहत अपनी शादी को शून्यकरणीय कर सकते हैं।

बाल विवाह का प्रतिषेध

भारत में बाल विवाह सदियों पुरानी प्रथा है। इस सामाजिक बुराई को खतम करने के लिए, कानून लोगों को बाल विवाह करने से रोकता है और बाल विवाह कराने वालों के लिए दंड का प्रावधान करता है।

हालांकि, अगर किसी बच्चे की शादी हो चुकी है, तो कानून उसे तुरंत अवैध नहीं करता। इस तरह से विवाहित बच्चे के पास विवाह को इसे जारी रखने या रद्द करने का विकल्प होता है।

कुछ व्यक्तिगत कानूनों ( ऐसे कानून जो विभिन धर्मों के अंतर्गत विवाह, तलाक आदि जैसे पहलुओं को नियंत्रित करते हैं) के अनुसार, भारत में बच्चे कोयौवन प्राप्त करने के बाद विवाह की अनुमति दी जा सकती है। लड़कियों के मामले में यौवन 18 वर्ष की उम्र से पहले और लड़को के मामले में यौवन 21 वर्ष की उम्र से पहले भी आ सकता है। कई मामलों में न्यायालयों ने यह माना है कि जहाँ व्यक्तिगत कानूनों के तहत यौवन प्राप्ति पर शादी आयोजित हो गयी हो ऐसी शादी अवैध नहीं होगी। हालांकि बाल विवाह कानून के तहत ऐसी किसी भी शादी को शून्यकरणीय करने का विकल्प विवाहित बच्चे के पास होगा।

परन्तु कुछ परिस्थितियों में, कुछ बाल विवाहों को पूरी तरह से अवैध माना जाता है।

बाल विवाह कराना

बाल विवाह कराना भी एक अपराध है:

• विवाह कराना: कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह कराता है या कराने में मदद करता है, वह अपराधी माना जायेगा।

• विवाह कराने वाले माता-पिता/ सरंक्षक: यदि कोई माता-पिता, या कोई सरंक्षक या कोई भी ऐसा व्यक्ति जिस पर किसी भी बच्चे की ज़िम्मेदारी है किसी भी तौर पर बाल विवाह को बढ़ावा देता है या उसका हिस्सा बनता है तो उसके इस कृत्य को अपराध माना जाएगा। किसी भी बाल विवाह में सम्मिलित होना या उसमें भाग लेने को भी एक अपराध माना जायेगा।

जो कोई भी इन अपराधों को करने का दोषी पाया जायेगा उसे दो साल के कठोर कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने की सज़्ज़ा दी जाएगी।

इस कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और अजमानतीय हैं, जिसका अर्थ है कि पुलिस आपको बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है और पुलिस से जमानत प्राप्त करना आपका हक नहीं होगा।

माता-पिता की ज़िम्मेदारी

अधिकतर अपराधों में, अपराध को साबित करने की ज़िम्मेदारी लोक अिभयोजक यानि सरकारी वकील पर होती है। परन्तु, इस कानून के तहत, यदि बाल विवाह हुआ है, तो यह माना जाएगा कि बच्चे के माता-पिता या उसके सरंक्षक बाल विवाह को रोकने में विफल रहे हैं।

यह जानना आवश्यक है कि कानून के तहत महिलाओं को जेल की सज़ा नहीं दी जा सकती है, उन पर केवल जुर्माना लगाया जा सकता है।

बाल विवाह रद्द करना

बाल विवाह में जिस बच्चे का विवाह हुआ है उसके पास अपनी शादी रद्द करने यl उसे अपनी शादी को शून्यकरणीय करने का विकल्प है। आप निम्नलिखित उपाय करके बाल विवाह को खारिज कर सकते हैंः

आप केस को कहां दर्ज कर सकते हैं? 

शादी को रद्द करने के लिए जिला न्यायालय में याचिका दायर करनी चाहिए।

कौन-कौन लोग केस दर्ज करा सकते हैं?

यदि याचिका दायर करने वाला व्यक्ति अवयस्क है तो याचिका उस व्यक्ति के सरंक्षक या वाद-मित्र के द्वारा ही दायर की जा सकती है। इस व्यक्ति को बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी के साथ यह याचिका दर्ज करनी होगी, जिसको बाल विवाह रोकने का उत्तरदायित्व प्राप्त ।

आप कब तक ऐसा केस दर्ज करा सकते हैं? 

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस याचिका को दायर करने की एक समय सीमा है। यह याचिका बच्चे के वयस्क होने के दो साल बाद तक ही दाखिल की जा सकती है। लड़कियों के लिए, उनकी शादी को रद्द करने के लिए ऐसी याचिका केवल 20 साल की उम्र तक और लड़कों के लिए 23 साल की उम्र तक दायर की जा सकती है।

ऐसे मामलों में न्यायालय क्या करता है?

जब इस तरह के बाल विवाह को रद किया जाता है तो जिला न्यायालय दोनों पक्षकारों को आदेश देता है की वह विवाह के समय दुसरे पक्ष से प्राप्त हुआ पूरा पैसा, गहने-आभूषण और अन्य उपहारों को लौटा दें। यदि वह उपहार वापस करने में असमर्थ रहे, तो उन्हें उपहारों के मूल्य के बराबर की राशि वापस करनी होगी।

अवैध बाल विवाह

बाल विवाह कानून के तहत कुछ मामलों में विवाह पूरी तरह से अवैध होगा और यह माना जायेगा कि यह विवाह कभी क्रियान्वित हुआ ही नहीं था। इसके उदाहरण इस प्रकार हैं:

1. जब शादी के लिए बच्चे का अपहरण किया गया हो।

2. जब किसी बच्चे को शादी के लिए बहलाया-फुसलाया गया हो।

3. जब किसी बच्चे को:

  • विवाह के उद्देश्य से बेच दिया गया हो
  • विवाह के बाद बेच दिया गया हो या उसकी तस्करी की गई हो

4. अगर कोर्ट ने बाल विवाह के खिलाफ आदेश दिया होलेकिन विवाह फिर भी घटित हो.

बाल विवाह से पैदा हुए बच्चे

चाहे बाल विवाह रद्द किया गया हो या नहीं, कानून के अनुसार, बाल विवाह के अंतर्गत पैदा हुए बच्चों को धर्मज माना जायेगा यानि उनके जनम को वैध माना जाएगा।

बच्चों की अभिरक्षा

जहां तक ​​ऐसे बच्चों की अभिरक्षा का सवाल है, तो शादी रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए ही जिला न्यायालय यह तय करेगा कि बच्चों की कस्टडी किसे मिलेगी ।

अभिरक्षा प्रदान करने के समय न्यायालय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेगा:

• बच्चे की अभिरक्षा पर अपना निर्णय लेते समय न्यायालय बच्चे के कल्याण और सर्वोत्तम हितों को सर्वाधिक महत्व देगा।

• न्यायालय दूसरे पक्षकार को ऐसे बच्चों तक पहुंच की अनुमति भी दे सकता है यदि उसे ऐसा लगे कि ऐसा करना बच्चे के सर्वोत्तम हित में होगा।

• जिला न्यायालय पति को, या अवयस्कों के मामलों में, माता-पिता या संरक्षकों को निर्देश दे सकते हैं की वह लड़की को उसके भरण-पोषण के लिएराशि का

 

एक विवाहित बालिका के लिए सुरक्षा

कानून उन लड़कियों को कुछ सुरक्षा प्रदान करता है जिनकी शादी 18 साल से कम उम्र में हो गयी थी और वह अपनी शादी रद्द करने के लिए याचिका दायर कर चुकी हैं।

भरण-पोषण का संदाय

जिला न्यायालय पति को, या अवयस्कों के मामलों में, माता-पिता को या संरक्षकों को निर्देश दे सकता है की वह लड़की को उसके भरण-पोषण के लिए कुछ पैसे दें।

न्यायालय लड़की को उसके भरण-पोषण के लिए दी जाने वाली रकम को निर्धारित करते समय उस लड़की की जीवन-शैली और भरण-पोषण देने वाले व्यक्ति की आय को ध्यान में रखेगा । यह भरण-पोषण की रकम लड़की को तब तक मिलेगी जब तक कि उसका पुनर्विवाह नहीं हो जाता।

निवास की व्यवस्था 

न्यायालय लड़की के पुनर्विवाह होने तक उसके निवास के लिए उपयुक्त व्यवस्था करने का आदेश भी दे सकता है।