वास्तुकार (आर्किटेक्ट) कौन होता है?

वास्तुकार वह व्यक्ति है, जो इमारतों को डिजाइन करता है और उनके निर्माण कार्य में अपना परामर्श देता है। भारतीय कानून उस वास्तुकार को मान्यता देता है जब उसका नाम और अन्य निजी सूचनाएं रजिस्टर ऑफ आर्किटेक्ट्स में दर्ज हो जाता है। इसका ब्याेरा वास्तुकला परिषद् (कॉउन्सिल ऑफ आर्किटेक्चर) रखता है। एक बार आर्किटेक्ट्स रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराने के बाद वास्तुकार को अपने पेशे को करने की अनुमति होती है। ऐसे रजिस्टर में वास्तुकार का नाम इस प्रकार दर्ज होने का अर्थ यह है कि वह वास्तुकला में निपुण है। नाम पंजीकृत करवाने के कुछ तरीके हैं, जो किसी विदेशी या भारतीय योग्यता के आधार पर हो सकते हैं।

भारतीय योग्यता के लिए, भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान की जाने वाली वास्तुकला की एक बैचलर डिग्री, नेशनल डिप्लोमा इन आर्किटेक्चर, बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर (बी. आर्क) की उपाधि, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology, IIT), भारतीय वास्तुकला संस्थान (Indian Institute of Architects) की सदस्यता, आदि द्वारा प्रदान की जाती है।

भारत, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्विटजरलैंड आदि जैसे देशों से विभिन्न डिग्रियों को मान्यता प्रदान करता है। इस सूची को आप यहां देख सकते हैं।

एक भारतीय नागरिक जिसके पास कोई भी योग्यता प्रमाण पत्र नहीं हैं, और यदि वह अपने पेशे में कम से कम पांच सालों से लगा है तो केन्द्र सरकार उसके आवेदन को पंजीकरण करने पर विचार कर सकती है।

एक आवेदक तब भी पंजीकृत माना जा सकता है यदि वह कानूनी नियमों से केंद्र सरकार द्वारा आर्किटेक्ट अधिनियम के तहत मान्यता प्राप्त संस्थान से पंजीकृत है।

किसी वास्तुकार के विरुद्घ शिकायत दर्ज करना

एक व्यक्ति वास्तुकार के आचरण के संबंध में शिकायत दर्ज कर सकता है यदि वास्तुकार सौंपे किए गए काम में निष्पक्षता और न्यायसंगत तरीके से नहीं करता है, या उसे कमीशन लेते हुए या इस तरह के किसी अन्य पेशेवर दुराचार (प्रफेशनल मिस्कन्डक्ट) के व्यवहार में संलिप्त पाया गया हो। आप वास्तुकला परिषद से उसकी शिकायत कर सकते हैं।

वास्तुकला परिषद (कॉउन्सिल ऑफ आर्किटेक्चर)

वास्तुकला परिषद, भारत सरकार द्वारा भारतीय संसद द्वारा अधिनियमित वास्तु-कला अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत गठित एक सांविधिक निकाय है। पूरे भारत में वास्तुकारों का पंजीकरण के अतिरिक्त वास्तुकला परिषद पर, भारत में पेशेेवर वास्तुकार की शिक्षा और व्यवहार को विनियमित करने की जिम्मेदारी रहती है। इसके अतिरिक्त, यह विशेषज्ञों की कमेटियों के माध्यम से समय-समय पर वास्तुकला के मानकों का निरीक्षण भी करता रहता है।

एक वास्तुकार के विरुद्घ शिकायत दर्ज करने और दंड देने की प्रक्रियाएं

किसी वास्तुकार के द्वारा अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करने को पेशेवर दुराचार (प्रफेशनल मिस्कंडक्ट) माना जाता है, और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाती है। इसके अतिरिक्त परिषद, जांच के बाद नीचे सूचीबद्ध किये तीन कदमों में से कोई एक कदम उठा सकती है:

  • उक्त वास्तुकार को फटकार लगाना
  • एक वास्तुकार के रूप में उसको पेशे से निलंबित करना
  • वास्तुकार रजिस्टर से वास्तुकार का नाम हटा देना

आप यहां शिकायत फॉर्म का प्रारूप पा सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा गठित एक समिति वास्तुकारों के खिलाफ सभी दर्ज शिकायतों और उनके दुराचार से संबंधित मामलों को देखती है।

इसके अलावा, यदि आपको कोई ऐसा अपंजीकृत व्यक्ति मिलता है जो किसी और के नाम का इस्तेमाल करते हुए ‘वास्तुकार’ के पद का गलत इस्तेमाल करता है, या आपकी ओर से गलत बयानबाजी करता है तो आप ऐसे व्यक्ति के खिलाफ संबंधित दस्तावेजों के साथ परिषद की वेबसाइट पर ऑन लाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

एक वास्तुकार के कर्तव्य

वास्तुकार को पेशे के कई कर्तव्य होते हैं, जिनका वह संपादन करता है। इसमें शिष्टाचार बनाए रखना, इमारतों के लिए वास्तु संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करना आदि शामिल हैं।

एक वास्तुकार के सामान्य कर्तव्य

  • कर्मचारियों और सहयोगियों को उपयुक्त कार्य वातावरण उपलब्ध कराना, उनको उचित प्रतिफल देना और उनके पेशेवर विकास का मार्ग प्रशस्त करना।
  • जब एक वास्तुकार एक या अधिक वास्तुकारों के साथ साझेदारी समझौते में प्रवेश करता है तो तो प्रत्येक भागीदार (पार्टनर) यह सुनिश्चित करेगा कि यह फर्म उप-विनियमन (सब-रेगुलेशन) के प्रावधानों का भी पालन करती है।
  • यह सुनिश्चित करे कि उनकी पेशेवर गतिविधियां, पर्यावरण और समाज कल्याण के प्रति उनके सामान्य उत्तरदायित्व की भावना के विरूद्घ न हो।
  • उचित तरीके से प्रतिस्पर्धा करना और समग्रता (इन्टेग्रिटी) के उच्च स्तर को बनाए रखना।

ग्राहक के प्रति एक वास्तुकार के कर्तव्य

  • वह ग्राहक को अनुबंध के शर्तों को और शुल्क स्तर (स्केल ऑफ चार्जेस) के बारे में बताए और इस बात की सहमति ले कि ये शर्ते नियुक्ति (अपॉइंटमेंट) का आधार बनेगी।
  • किसी भी तरह की छूट, कमीशन, उपहार या अन्य प्रलोभन न दें, या न लें।
  • एक निर्माण अनुबंध करते समय निष्पक्षता और ईमानदारी का व्यवहार करें।

अपने पेशे के प्रति एक वास्तुकार के कर्तव्य

अपने पेशे के प्रति वास्तुकार के निम्नलिखित कुछ निषेधकारी कर्तव्य हैं:

  • एक वास्तुकार द्वारा अपना काम दूसरे को देना, हालांकि कि यह हो सकता है यदि ग्राहक इससे सहमत है।
  • दूसरे वास्तुकार को बदलने या अधिक्रमण (सुपरसीड) करने का प्रयास।
  • काम पाने या काम को शुरु करने, या कमीशन लेने का प्रस्ताव करना, जिसके लिए वे जानते हैं कि किसी अन्य वास्तुकार को चुन लिया गया है, या नियोजित किया जा चुका है। यह दुराचार है जब तक कि उनके पास यह सबूत नहीं है कि पहले वास्तुकार का चयन, नियुक्ति या अनुबंध को समाप्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, उन्हें पिछले वास्तुकार को लिखित नोटिस देना होगा।
  • पेशेवर सेवाओं का विज्ञापन करना। एक वास्तुकार को अपने नाम को विज्ञापनों में शामिल करने, या अन्य प्रचार के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।