इंटरनेट पर सेंसरशिप दो तरह से की जा सकती है:
1. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक किसी भी कंटेंट को सरकार रोक सकती है। यह सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने वाले या लोगों को अपराध के लिए प्रोत्साहित करने वाले कंटेंट को भी रोक सकती है। जब सरकार ऑनलाइन कंटेंट को रोकती है, तो वे कानून के तहत एक प्रक्रिया का पालन करते हैं।
2. किसी भी “अवैध कंटेंट” को हटाना इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी है। अवैध कंटेंट कुछ भी हो सकता है जैसे घोर हानिकारक, परेशान करने वाला या तिरस्कार करने वाला आदि। कोर्ट से आदेश मिलने पर उन्हें इसे हटाना होगा।
यूट्यूब, हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स आदि कभी-कभी बिना सेंसर वाली फिल्में दिखाते हैं। सेंसर बोर्ड ने कहा कि वे सभी आवेदकों (फिल्म निर्माता) से मांग करेंगे कि वे अपनी फिल्मों के सेंसर किये गए हिस्से को इंटरनेट पर कहीं भी रिलीज नहीं कर सकें सिनेमैटोग्राफ एक्ट यहां सीधे तौर पर लागू नहीं होगा।