बाल अश्लील चित्रण (चाइल्ड पोर्नोग्राफी)

जब कोई व्यक्ति किसी बच्चे का उपयोग किसी भी प्रकार के मीडिया (प्रिंट, वीडियो, इमेज इत्यादि) में करता है और उस सामग्री का उपयोग किसी व्यक्ति के यौन आनन्द के लिए किया जा सकता है; तो उस मीडिया बनाने वाले व्यक्ति को बाल अश्लील चित्रण के लिए उत्तरदायी माना जाएगा। यदि ऐसी मीडिया का उपयोग सार्वजनिक और व्यक्तिगत, दोनों के लिए किया जा सकता है, फिर भी यह एक अपराध है। अश्लील चित्रण में बच्चों के दुरुपयोग के उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • एक बच्चे के अंगों का प्रतिरूपण।
  • असली या नकली यौन कर्म के लिए बच्चे का दुरुपयोग करना। इस कर्म के लिये प्रवेशन क्रिया की तरह का अपराध होना आवश्यक नहीं है।
  • बच्चे का अभद्र या घृणित प्रतिरूपण।

अश्लील चित्रण के लिये यह जरूरी नहीं है कि बच्चों को केवल उपर्युक्त गतिविधियों में लिए उपयोग किया गया हो। यदि कोई व्यक्ति कि्सी अन्य तरीके से अश्लीलता दिखाने में बच्चे का उपयोग करता है तो वह भी बाल अश्लील चित्रण के अंतर्गत आता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति बाल अश्लील मीडिया के संपादन, बिक्री या वितरण या इससे संबंधित कोई अन्य क्रियाकलाप में शामिल है, तो यह भी बाल अश्लील चित्रण ही होगा।

बाल अश्लील चित्रण के लिए दंड, उसमें बच्चे की भागीदारी की सीमा और अपराध की प्रकृति के हिसाब से भिन्न भिन्न होगा। बाल अश्लील चित्रण के तहत विभिन्न अपराधों के लिए सजा, जुर्माने के साथ साथ, 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकता है।

पद या अधिकार का गलत इस्तेमाल

चेतावनीः दी गई जानकारी शारीरिक हिंसा और यौन हिंसा के बारे में जानकारी है, जो कुछ पाठकों को परेशान और विचलित कर सकती है।

अगर कोई पुरुष अपनी नौकरी या पद के कारण किसी महिला पर नियंत्रण रखता है और इस नियंत्रण का इस्तेमाल किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाने के लिए करता है, तो यह अपराध है।

कानून ऐसे किसी भी व्यक्ति को सजा देता है,जो किसी महिला को अपने साथ यौन संबंध बनाने के लिए मनाने या फुसलाने के लिए अपने पद या विश्वास के रिश्ते का गलत इस्तेमाल करता है। 

वह महिला उसके क्षेत्र, प्रभार या परिसर में मौजूद हो सकती है। यहां, संभोग का तात्पर्य बलात्कार से नहीं है। इसे भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 के तहत एक अलग अपराध में माना जाएगा। वह व्यक्ति जो महिला को संभोग के लिए राजी करता है, वह निम्नलिखित में से कोई भी हो सकता है:

  1. आधिकारिक पद या विश्वसनीय सम्बन्ध या
  2. एक जनसेवक या
  3. जेल, रिमांड होम, हिरासत के दूसरी जगहों या किसी महिला या बच्चों के संस्थान का अधीक्षक या प्रबंधक या
  4. अस्पताल के प्रबंधन या कर्मचारी।
  5. कोई रिश्तेदार, अभिभावक या शिक्षक।

इन मामलों में, अधिकारिक व्यक्ति को जुर्माने के साथ 5 से 10 साल की कैद की सजा हो सकती है।

उदाहरण के लिए, अगर कोई पुरुष जेल अधीक्षक किसी महिला कैदी को उसकी रिहाई दिलवाने के बदले में यौन संबंध बनाने के लिए कहता है और इस तरह उसे यौन संबंध बनाने के लिए मना लेता है तो वह पुरुष अपनी स्थिति या पद का गलत इस्तेमाल कर रहा है। इस मामले में, उसने महिला के साथ ना जबरदस्ती की और ना बलात्कार किया, बल्कि अपने पद की शक्ति का इस्तेमाल करके उसे यौन संबंध बनाने के लिए मना लिया है।

आप यौन अपराधों के खिलाफ कैसे शिकायत दर्ज करा सकते हैं?

पुलिस में। 

पुलिस स्टेशन जाइए,

एफ.आई.आर. किसी भी पुलिस थाने में दर्ज करायी जा सकती है या जहां अपराध हुआ है, उसके नजदीकी थाने में भी प्राथमिकी दर्ज करायी जा सकती है। एक दोस्त या रिश्तेदार सहित कोई भी व्यक्ति पीड़िता की ओर से प्राथमिकी सूचना रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। हालांकि, रिपोर्टिंग कराते समय, पीड़िता को एक बयान देना होगा, जिस बयान को एक महिला पुलिस अधिकारी उस प्राथमिकी शिकायत में दर्ज करेगी।

100 न. पर कॉल करें,

पीड़िता 100 न. पर कॉल करके पुलिस से तत्काल मदद मांग सकती है। यदि कोई पीड़िता मुसीबत में है, तो उसकी सहायता के लिए पुलिस की एक इकाई को उसके स्थान पर भेजा जाएगा।

साइबर सेल में, 

पुलिस के साइबर सेल में जाकर यौन उत्पीड़न की शिकायत को कोई भी ऑनलाइन दर्ज करा सकता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली साइबर क्राइम यूनिट में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करायी जा सकती है।

राष्ट्रीय महिला आयोग में, 

पीड़िता निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) से संपर्क कर सकती है: 1091 न. पर कॉल करें

• 1091 न. पर कॉल करें

• घटना के बारे विस्तारपूर्वक जानकारी दें

• अपना पता और संपर्क नंबर दें

उसके बाद दिए गए पते पर पुलिस की एक इकाई भेजी जाएगी, जो पीड़िता को आवश्यक कदम उठाने में सहायता करेगी। यौन अपराध और घरेलू हिंसा सहित महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा की सूचना 1091 नंबर पर दी जा सकती है।

ऑनलाइन दर्ज करना 

राष्ट्रीय महिला आयोग के पास एक ऑनलाइन शिकायत प्रणाली है, जिसे शिकायत पंजीकरण और निगरानी प्रणाली के रूप में जाना जाता है, जहां एक पीड़िता विवरण या अपनी जानकारी को भर सकती है, और औपचारिक शिकायत दर्ज करा सकती है। जिसमें निम्नलिखित जानकारी देनी होगी:

• शिकायतकर्ता का विवरण (वह व्यक्ति जो शिकायत दर्ज करा रहा/रही है),

• पीड़िता का विवरण (हिंसा/उत्पीड़न का सामना करने वाली महिला),

• अपराधी का विवरण (अपराधी यानी वह व्यक्ति जिसने यौन हिंसा किया है) और भी जानकारी/

• विवरण जैसे:

  • घटना का विवरण,
  • तारीख और समय,
  • घटना स्थल।

ईमेल के द्वारा शिकायत दर्ज कराना: 

यौन उत्पीड़न के संबंध में किसी भी जानकरी जैसे कि यौन हिंसा करने वाले व्यक्ति की जानकारी या घटना के विवरण के साथ, राष्ट्रीय महिला आयोग के पास एक ईमेल भेजकर शिकायत दर्ज करायी जा सकती है।

पोस्ट/पत्र/मैसेंजर के द्वारा: 

राष्ट्रीय महिला आयोग को इस पते पर एक पत्र लिखा जा सकता है:

राष्ट्रीय महिला आयोग प्लॉट-21,

जसोला इंस्टीट्यूशनल एरिया,

नई दिल्ली- 110025 

एक मित्र/रिश्तेदार भी पीड़िता की ओर से शिकायत दर्ज करा सकता है या पीड़िता अपने किसी मित्र/रिश्तेदार को पत्र सौंप सकती है, जो ऊपर दिए गये पते पर जमा करा सकता है।

ऑनलाइन क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल 

यौन अपराध की रिपोर्ट को ऑनलाइन करने के लिए नीचे दिए गए सभी तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति फेसबुक या इन्स्टाग्राम पर किसी महिला का स्टाकिंग कर रहा है, तो वह इस सम्बन्ध में कार्रवाई करने के लिए नीचे दिए गए किसी भी पोर्टल का उपयोग कर सकती हैं: सोशल मीडिया रिपोर्टिंग के माध्यम से, ऐसे दो तरीके हैं जिनसे एक महिला दुर्व्यवहार करने वाले के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। वह किसी भी तरीके या दोनों का उपयोग कर सकती है:

• सोशल मीडिया पर दुर्व्यवहार करने वालों को ब्लॉक करें,

• एडमिनिस्ट्रेटर को दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करें,

• साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराएं।

ऑनलाइन क्राइम रिपोर्टिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए, ऑनलाइन दुर्व्यवहार की रिपोर्टिंग पर लिखी गयी हमारे इस लेख को पढ़ें।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न 

अगर किसी महिला को काम करने की जगह पर किसी भी तरह के यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है और वह नियोक्ता कार्रवाई (उदाहरण के लिए, अपराधी को बर्खास्त करने के लिए) के माध्यम से यौन उत्पीड़न को रोकना चाहती है, तो वह आंतरिक समिति के पास शिकायत दर्ज करा सकती है, जो कि सभी कार्यालयों में उपलब्ध एक शिकायत प्रणाली है। प्रत्येक पीड़िता या उसकी ओर से किसी भी व्यक्ति के पास भी शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस के पास जाने का विकल्प होता है।

 

किसी बच्चे को यौन उत्पीड़ित करने में, किसी व्यक्ति की मदद करना

जब आप किसी बच्चे को यौन उत्पीड़न में, किसी व्यक्ति की मदद करते हैं, उसे छुपाते हैं या जानकर प्रोत्साहित करते हैं, तो आप बाल यौन उत्पीड़न के दुष्प्रेरक बन जाते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर कोई आपको बताता है कि वे अपने पड़ोसी के बच्चे के साथ एक अश्लील वीडियो शूट करना चाहते हैं और आप यह जानकर भी उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। और वे एक कैमरा खरीदते हैं और बच्चे को उस तरह से फिल्माते हैं, तो आप दोनों को इस अपराध के लिये दंडित किया जा सकता है।

किसी बच्चे को यौन उत्पीड़न में मदद करने की सजा और जुर्माना भी वही होगा जो एक बाल यौन उत्पीड़न के वास्तविक अपराधी के लिये होगा।

बलात्कार की रिपोर्ट करना

पुलिस

  • अगर बलात्कार हुआ है, तो सबसे पहली और जरूरी बात यह है कि FIR करके पुलिस को इसकी सूचना दें। आप 1091 (महिला हेल्पलाइन नंबर) पर कॉल करके भी बलात्कार की रिपोर्ट कर सकते हैं। 
  • अगर कोई जल्दी इस अपराध की रिपोर्ट नहीं करता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि देर से की गयी FIR इस मामले को नुकसान पहुंचाएगी। बल्कि इससे पुलिस को मामले की जांच करने में और सबूत इकट्ठा करने में कठिनाई हो सकती है। देर से भी एफआइआर दर्ज हो सकती है। देरी के आधार पर FIR लिखने से कोई मना नहीं कर सकता है। 
  • FIR दर्ज करने के लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाएं। यह जरूरी नहीं कि पुलिस स्टेशन उसी क्षेत्र में हो, जहां अपराध हुआ हो। अपने नजदीक के पुलिस स्टेशन का पता लगाने के लिए, ‘इंडियन पुलिस एट योर कॉल’ ऐप डाउनलोड करें और पास के पुलिस स्टेशन का पता लगाएं। आप 100 नम्बर पर भी कॉल कर सकते हैं।
  • घटना के एकदम बाद पुलिस के पास जाना सर्वाइवर के लिए मुश्किल होता है। सर्वाइवर शिकायत दर्ज कराने में किसी महिला या मित्र की मदद या वकील से संपर्क कर सकती है। अगर सर्वाइवर पुलिस के पास नहीं जाना चाहती है, तो कोई दूसरा व्यक्ति FIR दर्ज करा सकता है। अगर सर्वाइवर अपनी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाती है, तो जानकारी केवल एक महिला अधिकारी द्वारा दर्ज की जाती है। 
  • अगर सर्वाइवर को शारीरिक या मानसिक विकलांगता है। इस स्थिति में पुलिस खुद आकर उसकी शिकायत उसके घर या किसी दूसरे स्थान से लेगी, जहाँ वह सहज महसूस करती है। सर्वाइवर  का बयान उसके निवास पर या उसकी पसंद के किसी भी जगह पर दर्ज किया जा सकता है। जहां तक ​​हो सके, एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा सर्वाइवर के माता-पिता/अभिभावक/निकट संबंधियों/ मोहल्ले के सामाजिक कार्यकर्ता की मौजूदगी में बयान दर्ज किया जाए।
  • अगर सर्वाइवर को हमले या हमलावर से जुड़ी जानकारी याद नहीं हैं, तो भी इसमें चिंता की बात नहीं है। उसे जितना याद है, पुलिस को बताने के लिए उतना ही काफी है।
  • पुलिस द्वारा शिकायत पढ़ लेने के बाद, अगर सभी जानकारी सही हैं, तो शिकायतकर्ता  FIR पर हस्ताक्षर करती है। अगर कोई पुलिस अधिकारी  FIR दर्ज करने से मना करता है या अपराध की जानकारी दर्ज नहीं करता है। इस स्थिति में, लिखित रूप में और डाक द्वारा जानकारी का सार पुलिस अधीक्षक को दे सकते हैं, जो मामले की आगे की जांच खुद कर सकते हैं या जांच का निर्देश दे सकते हैं। अगर ये भी नहीं होता है, तो शिकायतकर्ता मजिस्ट्रेट के पास आवेदन कर सकता है।
  • शिकायतकर्ता FIR की एक कॉपी मुफ्त में ले सकती है। FIR  नंबर, FIR  की तारीख और पुलिस स्टेशन के नाम की जानकारी से ऑनलाइन  भी FIR  की जानकारी मुफ्त में ले सकते हैं।
  • FIR दर्ज होने के बाद उसकी जानकारी में बदलाव नहीं किया जा सकता है। हालांकि बाद में, किसी भी समय पुलिस को और ज्यादा जानकारी दी जा सकती है।

वन स्टॉप सेंटर 

सर्वाइवर वन स्टॉप सेंटर से भी संपर्क कर सकती है, जो हिंसा से प्रभावित महिलाओं को कई जरूरी सेवाएं देती है। इन सेवाओं में इलाज सहायता, पुलिस सहायता, कानूनी सहायता/ मामले का प्रबंधन, मनोसामाजिक परामर्श और अस्थायी मदद शामिल हैं।

स्टाकिंग क्या है?

[जारी चेतावनी: इस लेख में शारीरिक हिंसा, यौन हिंसा, दुर्व्यवहार और गाली-गलौज के बारे में जानकारी है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

यदि कोई व्यक्ति किसी की रूचि या सहमति न होने के बावजूद बार-बार किसी महिला का पीछा करता है, उससे संपर्क करता है या उसकी निगरानी करता है, तो इसे स्टाकिंग कहा जाता है। ‘स्टाकिंग’ किसी व्यक्ति द्वारा की जाने वाली कई गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक शब्द है, जिसे करने पर पीड़िता का जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है। कानून के तहत, केवल पुरुष को ही इस अपराध के लिए दंडित किया जा सकता है।

शारीरिक रूप से या फोन पर या यहां तक ​​कि ऑनलाइन भी स्टाकिंग की जा सकती है। पीछा करने का अपराध निम्न है:

बार-बार या लगातार पीछा करना।

उदाहरण के लिए, महिला की इच्छा न होने के बावजूद भी अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन किसी महिला को प्रेम पत्र भेजता है।

अगर कोई व्यक्ति किसी को असहज, प्रताड़ित, उत्पीड़ित कर या डरा-धमका कर आघात पहुँचाता है।

यह शारीरिक, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य महिला के ऑफिस में बार-बार फूल भेजे जाते हैं और ऐसा करना उसके लिए ऑफिस में उपहास का विषय बनाता है।

यह व्यक्तिगत स्पेस पर आक्रमण है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिदिन किसी महिला के कार्यस्थल तक पीछा किया जाता है।

किसी की सहमति के बिना महिला के साथ संबंध या व्यक्तिगत संपर्क स्थापित करने का प्रयास करना।

उदाहरण के लिए, यदि कोई उससे रिप्लाई की उम्मीद में किसी महिला को कई सारे व्हाट्सएप मैसेज भेजता है। ऑनलाइन स्टाकिंग करने पर जुर्माने के साथ तीन साल तक की जेल की सजा है। बार-बार अपराध करने वालों के लिए, यह सजा और अधिक है, यानी जुर्माना के साथ पांच साल तक की जेल।

एक बच्चे का दूसरे बच्चे द्वारा ‘यौन उत्पीड़न’

यदि सात वर्ष से ज्यादा का कोई बच्चा, जो किसी दूसरे बच्चे के साथ यौन प्रताड़ना करता है या किसी अन्य तरीके से उसपर यौन आक्रमण करता है, तो इसे यौन उत्पीड़न माना जायेगा और उस बच्चे को ‘किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015’ जुवेनाइल जस्टिस (केयर एण्ड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन ऐक्ट, 2015) के तहत दंडित किया जा सकता है।

कानून यह मानता है कि 7 वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे के पास अपराध करने की मानसिक क्षमता नहीं बन पाती है क्योंकि कोई बच्चा अपने किए गए कार्यों के परिणामों को समझ नहीं सकता है।

चिकित्सा सहायता

सर्वाइवर को चिकित्सा संस्थानों (सरकारी और प्राइवेट दोनों) से जल्दी और मुफ्त प्राथमिक इलाज या मेडिकल इलाज प्राप्त करने का अधिकार है। संस्था को इस आपराधिक घटना के बारे में पुलिस को भी सूचित करना होगा। अगर संस्था इलाज करने और पुलिस को सूचित करने से इनकार करती है। इस स्थिति में, संस्था के प्रभारी को 1 साल तक की जेल और/या जुर्माने की सजा हो सकती है।

आपराधिक घटना की सूचना मिलने के 24 घंटे के अन्दर पुलिस सर्वाइवर को मेडिकल परीक्षण के लिए अधिकृत डाॅक्टर के पास भेजती है। मेडिकल परीक्षण केवल सर्वाइवर या उसकी ओर सहमति देने वाले किसी व्यक्ति की सहमति के बाद ही हो सकता है। सहमति मिलने के बाद, डॉक्टर जल्द ही सर्वाइवर की जांच करता है। इस जांच में, सर्वाइवर की  चोटों, मानसिक स्थिति आदि के बारे में निष्कर्ष के साथ एक रिपोर्ट तैयार की जाती है। रिपोर्ट में यह भी दर्ज किया जाता है कि जांच की सहमति ली गई थी और मेडिकल जांच शुरू करने और खत्म करने का सही समय भी दर्ज होता है। डॉक्टर जल्द ही संबंधित पुलिस अधिकारी,जो मामले की जांच कर रहा है, को मेडिकल जांच रिपोर्ट भेजता है और फिर अधिकारी उसे आगे मजिस्ट्रेट को भेजता है। डाॅक्टर को सात दिनों के अन्दर जांच अधिकारी को ये रिपोर्ट भेजनी होती है।

 

 

फिजिकल स्टाकिंग क्या है?

[जारी चेतावनी: इस लेख में शारीरिक हिंसा, यौन हिंसा, दुर्व्यवहार और गाली-गलौज के बारे में जानकारी है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

शारीरिक रूप से किसी की स्टाकिंग करना अपराध है, यानी किसी व्यक्ति के द्वारा एक महिला का पीछा करना, जहां भी वह जाती है और उसकी रूचि न होने के बावजूद भी उस महिला से संपर्क करने की कोशिश करना । कानून के तहत, केवल पुरुष को ही इस अपराध के लिए दंडित किया जा सकता है।

फिजिकल स्टाकिंग के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:

• प्रतिदिन किसी महिला के घर के बाहर प्रतीक्षा करना, उसके रुचि न होने के बावजूद भी प्रतिदिन उसे गिफ्ट और पत्र भेजना।

• किसी महिला का उनके कार्यस्थल से उन स्थानों तक पीछा करना जहां वो नियमित रूप से जाती है।

• बार-बार प्यार का इजहार करना या यौन सम्बन्ध की मांग या अनुरोध करना।

फिजिकल स्टाकिंग करने पर तीन साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। बार-बार अपराध करने वालों के लिए, यह सजा और अधिक है, यानी जुर्माने के साथ पांच साल तक की जेल।

एक परिवारिक सदस्य द्वारा यौन उत्पीड़न

एक बच्चे का एक परिवारिक सदस्य सिर्फ वह नहीं है जो उससे खून से संबंधित है, वह और अन्य तरह के संबंध जैसे, शादी, गोद लेना, अभिभावकीय संरक्षण, और पालन पोषण (फाेस्टर) आदि से भी हो सकता है। इसमें ऐसे व्यक्ति भी शामिल हैं जिनके साथ, माता-पिता या बच्चे का, एक ही घर में रहने के कारण घरेलू संबंध हैं। जब इस तरह के एक परिवारिक सदस्य द्वारा यौन दुराचार किया जाता है, तो उसे किसी अन्य व्यक्ति की तुलना में जो परिवार का सदस्य नहीं है, ज्यादा गंभीर दंड दिया जाता है क्योंकि बच्चे का उनके साथ अधिकार और विश्वास का संबंध हैं। एक परिवारिक सदस्य द्वारा यौन उत्पीड़न के लिए सजा, दस साल की जेल से आजीवन कारावास तक है, जब कि एक गैर-परिवारिक सदस्य के लिए यह सजा, सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक है।

यदि आप किसी परिवार के सदस्य को जानते हैं जो बाल यौन उत्पीड़न कर रहा है, या परिवार में किसी यौन उत्पीड़ित बच्चे को जानते हैं, तो आप कृपया हमारे स्पष्टीकरण को देखें कि ऐसे अपराध की रिपोर्ट आप किस तरह कर सकते हैं।