बलात्कार क्या है?

ट्रिगर चेतावनी: इस लेख में शारीरिक हिंसा, यौन हिंसा के बारे में जानकारी है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

जब कोई पुरुष किसी महिला के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध या उसकी सहमति के बिना संभोग करता है, तब वह बलात्कार का अपराध होता है ।

कोई आदमी बलात्कारी तब साबित होता है जब वह महिला के सहमति न देने पर भी :

• अपने लिंग या शरीर के किसी अन्य भाग को (किसी भी हद तक) महिला की योनि, मुंह, मूत्रमार्ग, या गुदा में डालता है, या उसे अपने या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करने के लिए मजबूर करता है; या

• किसी वस्तु को महिला की योनि, मुंह, मूत्रमार्ग, या गुदा में डालता है, या उसे अपने या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करने के लिए मजबूर करता है; या

• महिला की योनि, गुदा या मूत्रमार्ग पर अपना मुंह लगाता है, या उससे या किसी अन्य व्यक्ति से ऐसा करवाता है।

एक चिकित्सा प्रक्रिया या हस्तक्षेप को बलात्कार नहीं माना जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई चिकित्सक चिकित्सा प्रक्रिया के तहत रोगी के निजी अंगों की जांच करता है, तो यह बलात्कार नहीं है।

सहमति क्या है?

किसी व्यक्ति द्वारा यौन क्रिया में अपनी मर्जी और साफतौर पर समझ कर इकरार करना सहमति है। महिला को यह समझना चाहिए कि वह किस बात के लिए सहमत है और यदि वह यौन क्रिया के लिए सहमत होती है तो उसके परिणाम क्या होंगे। यहां तक ​​​​कि अगर वह शारीरिक रूप से सम्भोग का विरोध नहीं करती है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसने यौन गतिविधि के लिए सहमति दी है।

निम्नलिखित परिस्थितियों में, किसी आदमी को बलात्कारी तब भी माना जाता है जब वह किसी दूसरे आदमी को किसी का बलात्कार करने के लिए कहें, भले ही महिला ने अपनी सहमति दे दी हो:

• यदि उसकी सहमति उसे चोट पहुँचाने की धमकी देकर या उसके जीवन या अपने प्रियजनों के जीवन के लिए भय देकर जबरन प्राप्त की गई हो।

• यदि पुरुष जानता है कि वह उस महिला का पति नहीं है, और उसने अपनी सहमति केवल इसलिए दी है क्योंकि वह सोचती है कि वह पुरुष उसका पति है।

• यदि महिला मन की अस्वस्थता या नशे के कारण या पुरुष द्वारा दिए गए किसी हानिकारक पदार्थ के कारण क्रिया के प्रकृति और परिणामों को समझने में असमर्थ होते हुए अपनी सहमति देती है।

• यदि महिला की आयु अठारह वर्ष से कम है।

नाबालिग की सहमति

अठारह वर्ष से कम उम्र की लड़की (नाबालिग) के साथ सम्भोग को बलात्कार माना जाता है, भले ही लड़की सम्भोग के लिए सहमत हो। उदाहरण के लिए, यदि कोई पुरुष सत्रह साल की लड़की के साथ यौन संबंध रखता है, तो इसे बलात्कार माना जाता है, भले ही लड़की इसके लिए राजी हो जाए।

बलात्कार की सजा

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बलात्कार के जुर्म के लिए 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा है, साथ ही जुर्माना भी है। निम्नलिखित परिस्थितियों में सख्त सजा दी जाती है:

जब पीड़िता की आयु सोलह वर्ष से कम की हो। यदि पीड़िता की आयु सोलह वर्ष से कम की है, तो सजा बीस साल से आजीवन कारावास (व्यक्ति के शेष जीवन पर्यन्त कारावास) के साथ-साथ जुर्माना निर्धारित है।

यदि पीड़िता की आयु बारह वर्ष से कम है, तो अपराधी को मृत्युदंड की सजा हो सकती है। इस मामले में उचित जुर्माना होना चाहिए जिससे कि पीड़िता के इलाज और पुनर्वास का खर्च निकल सके। यह जुर्माना पीड़िता को दिया जाता है।

जब बलात्कार के परिणामस्वरूप किसी महिला की मृत्यु हो जाए या वह निष्क्रिय हो जाए। यदि बलात्कार के परिणामस्वरूप ऐसी चोट लगती है जो महिला की मृत्यु का कारण बनती है या उसे हमेशा के लिए निष्क्रिय अवस्था में डाल देती है तो अपराधी को बीस साल के कारावास से लेकर आजीवन कारावास (व्यक्ति के शेष जीवन पर्यन्त कारावास), या मृत्युदण्ड मिलता है।

सामूहिक बलात्कार क्या है?

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बलात्कार के इरादे से जब कई लोगों का समूह किसी महिला के साथ बलात्कार करता है तो यह सामूहिक बलात्कार कहलाता है। सामूहिक बलात्कार के मामले में, समूह का प्रत्येक व्यक्ति अपराध का दोषी होता है। सामूहिक बलात्कार के लिए अपराधी को बीस साल के कारावास से लेकर आजीवन कारावास (व्यक्ति के शेष जीवन पर्यन्त कारावास) की सज़ा तय है। यदि पीड़िता की आयु सोलह वर्ष से कम है, तो अपराधी को आजीवन कारावास की सज़ा मिलती है। यदि पीड़िता बारह वर्ष से कम उम्र की है, तो अपराधियों को मौत की सजा भी दी जाती है।

इसके अलावा अपराधी से उचित जुर्माना वसूला जायेगा जिससे कि पीड़िता के इलाज और पुनर्वास का खर्च निकल सके। यह जुर्माना पीड़िता को दिया जाता है।

अपराध दोहराने की सजा

अगर किसी को पूर्व में भी बलात्कार/सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है, और बाद में उन्हें फिर से बलात्कार/सामूहिक बलात्कार के लिए दोषी ठहराया जाता है, तो उसे (आजीवन कारावास (व्यक्ति के शेष जीवन पर्यन्त कारावास) या मृत्युदण्ड की सजा मिलती है।

वैवाहिक बलात्कार

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भारतीय कानून वैवाहिक बलात्कार को अपराध के दायरे में नहीं रखता है। कानून पति को अपनी पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना जबरन संभोग करने के लिए दंडित नहीं करता है, जब तक कि वह अठारह वर्ष से कम उम्र (नाबालिग) की न हो।

इसलिए, किसी पुरुष द्वारा अपनी वयस्क पत्नी के साथ सम्भोग या किसी तरह की यौन क्रिया बलात्कार नहीं है। हालाँकि, यदि कोई महिला अपने पति से अलग रह रही है तो यह लागू नहीं होता है। यदि स्त्री पुरुष विवाहित हैं लेकिन अलग-अलग रहते हैं, तो पत्नी के संभोग के लिए सहमति नहीं होने पर पति बलात्कार का दोषी है। इस मामले में पति को जुर्माने के साथ 2 से 7 साल की कैद की सजा है।

हालांकि कानून वैवाहिक बलात्कार को दंडित नहीं करता है, एक महिला को घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत राहत मिल सकती है। यह कानून यौन शोषण को अपराध मानता है, जिसमें यौन प्रकृति के किसी भी व्यवहार को शामिल किया गया है जो किसी महिला की गरिमा का दुरुपयोग, अपमान या मर्यादा का उल्लंघन करता है। घरेलू हिंसा के खिलाफ महिला के अधिकारों के बारे में जानने के लिए यहां पढ़ें।

पद या अधिकार का दुरुपयोग

ट्रिगर चेतावनी: इस लेख में शारीरिक हिंसा, यौन हिंसा के बारे में जानकारी है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

यदि कोई महिला नौकरी या स्थिति के कारण किसी पुरुष के अंतर्गत कार्य करती है और वह पुरुष अपने पद का दुरूपयोग उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए करता है, तो यह एक अपराध है। यदि कोई व्यक्ति अपने प्रत्यय न्यासी सम्बन्ध का दुरुपयोग कर किसी भी महिला को यौन संबंध बनाने के लिए मनाने या बहकाने का प्रयास करता है, तो कानून उस व्यक्ति के लिए दंड का प्रावधान करता है। वह महिला उसके क्षेत्र, प्रभार या परिसर में मौजूद हो सकती है। इस तरह का सम्भोग को भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत एक अलग अपराध के रूप में रखा गया है। इसे बलात्कार के रूप में उल्लेख नहीं किया गया है।

वह व्यक्ति जो महिला को संभोग के लिए राजी करता है वह निम्नलिखित में से कोई भी हो सकता है:

a) आधिकारिक पद या विश्वसनीय सम्बन्ध; या

b) एक जनसेवक; या

c) जेल, रिमांड होम, हिरासत के अन्य स्थान या किसी महिला या बच्चों के संस्थान का अधीक्षक या प्रबंधक; या

d) अस्पताल के प्रबंधन या कर्मचारी।

इन मामलों में, अधिकारिक व्यक्ति को जुर्माने के साथ 5 से 10 साल की कैद की सजा हो सकती है।

उदाहरण के लिए, यदि कोई पुरुष जेल अधीक्षक किसी महिला कैदी को उसकी रिहाई दिलवाने के बदले में यौन संबंध बनाने के लिए कहता है, और इस तरह उसे यौन संबंध बनाने के लिए मना लेता है, तो वह अपनी स्थिति का दुरुपयोग कर रहा है। इस मामले में, उसने महिला के साथ जबरदस्ती नहीं किया और बलात्कार नहीं किया, बल्कि अपने स्थिति की शक्ति का उपयोग करके उसे यौन संबंध बनाने के लिए मना लिया।

बलात्कार की रिपोर्ट करना

पुलिस 

1. यदि बलात्कार का अपराध होता है, तो सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एफआइआर

दर्ज करके पुलिस को इसकी सूचना दी जाए। अन्यथा, 1091 (महिला हेल्पलाइन नंबर) पर कॉल करें और बलात्कार की रिपोर्ट करें।

अगर कोई तत्काल अपराध की रिपोर्ट नहीं करता है, तो भी इसका मतलब यह नहीं है कि देर से की गयी एफआइआर मामले को नुकसान पहुंचाएगी। इससे पुलिस को मामले की जांच करने में और सबूत इकट्ठा करने में कठिनाई हो सकती है, लेकिन बाद की तारीख में भी एफआइआर दर्ज करना संभव है।

2. एफआईआर दर्ज करने के लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाएं। जरूरी नहीं कि पुलिस स्टेशन उसी क्षेत्र में हो जहां अपराध किया गया हो। पुलिस स्टेशन का पता लगाने के लिए, ‘इंडियन पुलिस एट योर कॉल’ ऐप डाउनलोड करें और निकटतम पुलिस स्टेशन का पता लगाएं। नहीं तो 100 पर कॉल करें।

3. घटना के तुरंत बाद पुलिस के पास जाना पीड़िता के लिए बहुत कठिन होता है। पीड़िता को यह अकेले करने की ज़रूरत नहीं है। शिकायत दर्ज कराने में महिला किसी मित्र की मदद ले सकती है या वकील से संपर्क कर सकती है। यह भी सम्भव है कि यदि पीड़िता पुलिस से संपर्क नहीं करना चाहती तो अन्य व्यक्ति महिला के लिए एफआइआर दर्ज कर सकता है। यदि पीड़िता अपनी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाती है, तो जानकारी केवल एक महिला अधिकारी द्वारा दर्ज की जाती है।

4. यदि पीड़िता शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग है, तो पुलिस आती है और उसकी शिकायत उसके निवास या किसी अन्य स्थान से लेती है जहाँ वह सहज महसूस करती है। पीड़िता का बयान उसके निवास पर या उसकी पसंद के किसी भी स्थान पर दर्ज किया जाता है। जहां तक ​​संभव हो, एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा पीड़िता के माता-पिता/अभिभावक/निकट संबंधियों/ मोहल्ले के सामाजिक कार्यकर्ता की उपस्थिति में बयान दर्ज किया जाता है।

5. यदि पीड़िता को हमले या यहां तक ​​कि हमलावर के विशिष्ट विवरण याद नहीं हैं तो भी असुविधा वाली बात नहीं है। जितना उसे याद है, पुलिस को बताने के लिए उतना ही काफी है।

6. पुलिस द्वारा शिकायत पढ़ लेने के बाद, यदि सभी विवरण सही हैं, तो शिकायतकर्ता एफआइआर पर हस्ताक्षर करती है। कोई भी पुलिस अधिकारी जो एफआइआर दर्ज करने से इनकार करता है या अपराध की जानकारी दर्ज करने में विफल रहता है, उसे जुर्माने के साथ 6 महीने से लेकर 2 साल के लिए कारावास का दंड दिया जा सकता है।

7. शिकायतकर्ता एफआईआर की एक कॉपी मुफ्त में प्राप्त कर सकती है। एफआईआर नंबर, एफआईआर की तारीख और पुलिस स्टेशन के नाम की जानकारी लेकर एफआईआर ऑनलाइन के द्वारा को स्वतंत्र रूप से पता करना भी संभव है।

8. एफआईआर दर्ज होने के बाद उसके विवरण में बदलाव नहीं किया जा सकता है। हालांकि बाद में किसी भी समय पुलिस को अतिरिक्त जानकारी दी जा सकती है।

वन स्टॉप सेंटर 

पीड़िता वन स्टॉप सेंटर से भी संपर्क कर सकती है, जो हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सेवाओं की एकीकृत श्रेणी उपलब्ध करवाती है। इन सेवाओं में चिकित्सा सहायता, पुलिस सहायता, कानूनी सहायता/मामला प्रबंधन, मनोसामाजिक परामर्श और अस्थायी सहायता सेवाएं शामिल हैं।

चिकित्सा सहायता की तलाश

पीड़िताओं को चिकित्सा संस्थानों (सार्वजनिक और निजी (प्राइवेट) दोनों) से तत्काल और मुफ्त प्राथमिक चिकित्सा या चिकित्सा उपचार प्राप्त करने का अधिकार है। संस्था को आपराधिक घटना के बारे में पुलिस को भी सूचित करना चाहिए। यदि संस्था उपचार प्रदान करने और पुलिस को सूचित करने से इनकार करती है, तो संस्था के प्रभारी व्यक्ति को 1 वर्ष तक के कारावास और/या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

आपराधिक घटना की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर पुलिस पीड़िता को चिकित्सकीय परीक्षण के लिए अधिकृत चिकित्सक के पास भेजती है। चिकित्सा परीक्षण केवल पीड़िता या उसकी ओर से सहमति देने वाले किसी व्यक्ति की सहमति से हो सकता है। सहमति प्राप्त करने के बाद, डॉक्टर तुरंत पीड़िता की जांच करता है और पीड़िता के चोटों, मानसिक स्थिति आदि के बारे में निष्कर्ष के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है। रिपोर्ट में यह भी दर्ज किया जाता है कि सहमति प्राप्त की गई थी, और चिकित्सा परीक्षण शुरू होने एवम् अंत होने तक का निश्चित समय लिखा जाता है। डॉक्टर तुरंत संबंधित पुलिस अधिकारी, जो मामले की जांच कर रहा है, को चिकित्सा रिपोर्ट भेजता है और फिर अधिकारी उसे आगे मजिस्ट्रेट को भेजता है।