एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक के सामान्य कर्तव्य

नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिक के कुछ कर्तव्य नीचे दिए गए हैं:

अपनी सेवाओं का विज्ञापन करना

एक नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिक को निम्नलिखित बातें नहीं करनी चाहिए:

  • किसी भी विकलांग व्यक्ति को काम के लिये याचना, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करना। इसमें विज्ञापन, परिपत्र (सर्कुलर), हैंड-बिल आदि शामिल हैं। हालांकि, नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिक औपचारिक रूप से प्रेस के माध्यम से, अपना पेशा शुरू करने / पुनः शुरू करने, पेशे में परिवर्तन, पते में परिवर्तन, पेशे के समापन, और पेशे से अस्थायी अनुपस्थितियों के बारे में घोषणा कर सकते हैं।
  • वे अपने योग्यताओं का प्रदर्शन साइन बोर्ड, लेटर हेड पैड, पर्ची, विजिटिंग कार्ड, प्रमाण पत्र, रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों पर सकते हैं, जिस पर मनोवैज्ञानिक के हस्ताक्षर होते हैं। पंजीकरण प्रमाण पत्र को स्पष्ट रूप से पेशे के स्थान पर दिखाया जाना चाहिए।
  • मनोवैज्ञानिक को अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र के अलावे, किसी भी अन्य क्षेत्र में पेशा नहीं करना चाहिये।

शुल्क और भुगतान

नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिकों को अत्यधिक शुल्क नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा, एक मनोवैज्ञानिक को ‘जब तक इलाज नहीं, तब तक भुगतान नहीं’ के सौदे में नहीं जाना चाहिए।

मरीजों का विवरण

नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिकों को मरीजों के विवरण, उन्हें दी गई प्रेसक्रिप्शन, शुल्क आदि का एक रजिस्टर में बनाए रखना चाहिए।

इसके अलावा, नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिकों का कर्तव्य है कि वे गोपनीयता बनाए रखें। इसमें उनके मरीज के मानसिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपचार और शारीरिक स्वास्थ्य देखभाल आदि की गोपनीयता के बारे में जानकारी शामिल है।

मरीजों का इलाज और देखभाल

एक नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिक को विकलांग लोगों के पुनर्वास या उपचार का कार्य नियमित और आवश्यक अंतराल पर, या उचित समय पर करना चाहिए। हालांकि, उन्हें निम्नलिखित चीजें नहीं करनी चाहिए:

  • विकलांग व्यक्तियों के साथ किसी भी बीमारी की अवधि या उसकी तीव्रता के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर बताना।
  • मरीज के साथ किसी भी अनुचित गतिविधि या कोई अनुचित संबंध में शामिल होना।
  • विकलांग व्यक्ति के साथ कठोर और असभ्य भाषा का प्रयोग करना।
  • विकलांग व्यक्ति की परिस्थिति का अनुचित लाभ उठाना।
  • किसी भी विकलांग व्यक्ति की जानबूझकर उपेक्षा करना।
  • किसी भी तरह का लाभ विकलांगता से पीड़ित लोगों से उठाने का प्रयास करना।

इन कर्तव्यों का उल्लंघन ‘दुराचार’ (मिसकंडक्ट), के रूप में माना जाएगा और भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा उस मनोवैज्ञानिक को अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए उत्तरदायी बना सकता है।

किसी डॉक्टर के सामान्य कर्तव्य

ऊपर दिए गए कर्तव्यों के अलावा एक डॉक्टर के कुछ सामान्य कर्तव्य भी होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • पंजीकरण संख्या प्रदर्शित करना। पंजीकरण के बाद, राज्य चिकित्सा काउंसिल डॉक्टर को एक पंजीकरण संख्या देती है। इसे रोगियों को दिए गए सभी पर्चे, प्रमाण पत्र, धन प्राप्ति में प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
  • दवाओं के जेनेरिक नामों का उपयोग। किसी दवा का जेनेरिक नाम निर्दिष्ट ब्रांड नाम के बजाए उसके रासायनिक नाम या ड्रग के रासायनिक संरचना को संदर्भित करता है।

रोगी की देखभाल में उच्चतम गुणवत्ता का आश्वासन। आगे के डॉक्टरों को निम्नलिखित चीज़ें करनी चाहिए:

  • जिनके पास उचित शिक्षा नहीं है या जिनके पास उचित नैतिक चरित्र नहीं है उन लोगों को इस पेशे में दाखिल नहीं होने देना चाहिए।
  • किसी ऐसे पेशेवर अभ्यास के लिए नियुक्त न करें, जो किसी भी चिकित्सा कानून के तहत पंजीकृत या सूचीबद्ध नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि कोई डॉक्टर एक नर्स को काम पर रख रहा है, तो यह कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो पंजीकृत नर्स है, जो अभ्यास करने के योग्य है।
  • पेशे के अन्य सदस्यों के अनैतिक आचरण को उजागर करना।
  • डॉक्टरों को सेवा देने से पहले अपनी फीस की घोषणा करनी चाहिए। उदाहरण के लिए, एक डॉक्टर के व्यक्तिगत वित्तीय हितों को रोगी के चिकित्सा हितों के साथ संघर्ष नहीं करना चाहिए।
  • देश के कानूनों का गलत इस्तेमाल नहीं करना और दूसरों को भी इसका लाभ उठाने में मदद नहीं करना।

मरीजों के प्रति कर्तव्य

  • हालांकि एक डॉक्टर उनके पास आने वाले हर मरीज का इलाज करने के लिए बाध्य नहीं हैं, लेकिन उन्हें हमेशा किसी बीमार और घायल के कॉल का जवाब देने के लिए तत्पर रहना चाहिए। एक डॉक्टर मरीज को किसी दूसरे डॉक्टर के पास जाने की सलाह दे सकता है, लेकिन आपातकालीन स्थिति में उन्हें मरीजों का इलाज कर देना चाहिए। किसी भी डॉक्टर को मरीजों को इलाज से इनकार मनमानी तरीके से नहीं करनी चाहिए।
  • एक डॉक्टर को धैर्यवान और सहज होना चाहिए, और हर एक मरीज की गोपनीयता का सम्मान करना चाहिए। मरीज की स्थिति की बताते समय, डॉक्टर को न तो मरीज की स्थिति की गंभीरता को कम करना चाहिए, और न ही उसे बढ़ा-चढ़ा कर बताना चाहिए।
  • उसके द्वारा किसी भी मरीज को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। एक बार जब डॉक्टर किसी मरीज़ का इलाज शुरू कर देता है, तो उसे मरीज की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, और मरीज और मरीज के परिवार को पर्याप्त सूचना दिए बिना इलाज से पीछे नहीं हटना चाहिए। इसके अलावा, डॉक्टरों को जानबूझकर लापरवाही नहीं करनी चाहिए, जिसके चलते कोई मरीज आवश्यक चिकित्सीय देखभाल से वंचित हो जाय।

यदि आपका डॉक्टर इनमें से किसी भी या इन सभी कर्तव्यों में विफल रहा है, तो आप उनके खिलाफ उचित फोरम में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

नैदानिक मनोवैज्ञानिक के खिलाफ शिकायत दर्ज करना

आप नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिकों के ‘दुराचार’ के संबंध में कई मंचों पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। एक मनोवैज्ञानिक को, किसी भी सामान्य कर्तव्य के उल्लंघन के आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इनमें से कुछ निम्नलिखित मंच हैं:

भारतीय पुनर्वास परिषद (रिहेब्लिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया)

भारतीय पुनर्वास परिषद एक ऐसा मंच है, जो नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिकों के काम की देखरेख करता है। आप ‘पेशेवर दुराचार’ (प्रोफेशनल मिसकंडक्ट) के आधार किसी पेशेवर के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। परिषद दोषी पाए जाने पर मनोवैज्ञानिक के नाम को पुनर्वास पेशेवर (रिहेब्लिटेशन प्रोफेशनल्स) के रजिस्टर से स्थायी रूप से या निश्चित अवधि के लिए हटाने का आदेश दे सकता है।

विकलांगता के राज्य आयुक्त / विकलांगता के मुख्य आयुक्त

यदि आप एक विकलांग व्यक्ति हैं, जिनका एक नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिक द्वारा इलाज किया जा रहा था, और जिन्होंने अपने कर्तव्यों / नैतिकता का उल्लंघन किया है, तो आपके पास राज्य के विकलांगता विभाग या भारत सरकार विकलांगता मुख्य आयुक्त, से

शिकायत करने का विकल्प है। आप यहां पर राज्य आयुक्तों की सूची देख सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड / राज्य मानसिक स्वास्थ्य बोर्ड

यदि आप मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के लिए मानसिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठान में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट द्वारा इलाज करा रहे है, तो आप तीन मुख्य अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं:

  • केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण- यह कानून के तहत एक केंद्रीय प्राधिकरण है, जिसमें केंद्र सरकार के तहत सभी मानसिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों को पंजीकृत करने, देश में सभी मानसिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों के रजिस्टर को बनाए रखने, केंद्र सरकार के मानसिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों के तहत गुणवत्ता / सेवा मानदंडों के विकास, केंद्र सरकार के तहत सभी मानसिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों की देखरेख, सेवाओं के प्रावधान में कमियों के बारे में शिकायतें प्राप्त करना आदि कार्य हैं।
  • राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण- यह राज्य स्तर का प्राधिकरण है, जिसमें राज्य में मानसिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों के पंजीकरण, राज्य में मानसिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों के लिए गुणवत्ता / सेवा मानदंड विकसित करना, राज्य में सभी मानसिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों की निगरानी करना, सेवाओं आदि के प्रावधान में कमियों के बारे में शिकायतें प्राप्त करना आदि कार्य हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड- यह कानूनी तौर पर जिला स्तर का प्राधिकरण है, जिसके पास अग्रिम निर्देश को पंजीकृत करने, समीक्षा करने, परिवर्तन करने, संशोधित करने या रद्द करने, नामांकित प्रतिनिधि नियुक्त करने, देखभाल में कमियों के बारे में शिकायतों को दूर करने आदि के लिए कार्य हैं।

अब तक, विशेष रूप से केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड कार्य कर रहे हैं। हालांकि, कुछ राज्यों, जैसे दिल्ली, केरल, आदि ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया गया है। आपको अपने संबंधित राज्य से इन प्राधिकरणों के कामकाज के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

एक डॉक्टर / चिकित्सा पेशेवर द्वारा दुराचार

कानून के अनुसार, किसी भी डॉक्टर द्वारा अपने कर्तव्यों का उल्लंघन ‘दुराचार’ के रूप में माना जाता है, और इसके परिणामस्वरूप डॉक्टर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाई की जा सकती है। इसके अलावा, कुछ अन्य कृत्य भी हैं, जो ‘दुराचार’ के तहत आते हैं, और इनके तहत भी शिकायत दर्ज की जा सकती है, जैसे:

अनुचित या कपटपूर्ण गतिविधियां

  • मरीज के साथ व्यभिचार या अनुचित व्यवहार करना, या किसी मरीज के साथ अनुचित संबंध अपने पेशेवर पद का दुरुपयोग करके बनाना।
  • नैतिक क्रूरता / आपराधिक कृत्यों से जुड़े वैसे अपराध, जिसके लिए न्यायालय द्वारा सजा दी जाती है।
  • महिला भ्रूण का गर्भपात कराने के उद्देश्य से, उसके लिंग का पता लगाना।
  • किसी भी ऐसे प्रमाण पत्र, रिपोर्ट, या ऐसे दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना, और देना जो असत्य, भ्रामक या अनुचित हैं।
  • बिना किसी चिकित्सीय, सर्जिकल या मनोवैज्ञानिक कारण के गर्भपात करना, या गैरकानूनी ऑपरेशन करना, या अयोग्य व्यक्तियों को ऐसा करने देना।

मरीज की सूचनाओं की गोपनीयता

रोगों और उपचारों के बारे में वैसे लेखों को छापना और साक्षात्कार देना, जिसका प्रभाव विज्ञापन के तौर पर या पेशे की बढ़ोतरी के लिये किया जा सकता हो। हालांकि एक चिकित्सा पेशेवर अपने नाम के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छ रहन सहन के मामलों में प्रेस में लिखने के लिये स्वतंत्र हैं। वे अपने नाम के तहत सार्वजनिक व्याख्यान दे सकते हैं, वार्ता कर सकते हैं, और इनकी घोषणा प्रेस में भी कर सकते हैं।

उन्हें मरीज की उन गोपनीय जानकारियों को खुलासा करने की अनुमति, जो डॉक्टर को उनके पेशेवर व्यवहार के चलते पता चला है, निम्नलिखित मामलों के तहत दी जाती है:

  • न्यायालय में पीठासीन न्यायिक अधिकारी के आदेश के तहत;
  • उन परिस्थितियों में जहां एक विशिष्ट व्यक्ति को और / या समुदाय को गंभीर और ज्ञात खतरा है; तथा
  • दर्ज किये गये रोगों के मामले में।

मरीजों की अनुमति के बिना उनकी तस्वीरें या उनके केस रिपोर्ट को प्रकाशित करना। उदाहरण के लिए, एक डॉक्टर किसी भी चिकित्सा या अन्य पत्रिका में मरीज की पहचान को प्रकाशित नहीं कर सकता है। अगर पहचान का खुलासा नहीं किया गया है, तो मरीज की सहमति की आवश्यकता नहीं है।

मरीज को उपचार से इनकार करना

चिकित्सीय कारण होने के बावजूद बांझपन, जन्म नियंत्रण, खतना और गर्भावस्था की चिकित्सीय समाप्ति करना या उसमें सहायता करना, केवल धार्मिक आधार पर इनकार किया जा सकता है। हालांकि, चिकित्सक उपचार करने से तब भी इनकार कर सकते हैं यदि वे मानते हैं कि इसके उपचार के लिये उनके पास पर्याप्त योग्यता नहीं है।

ऑपरेशन या उपचार का संचालन करना

नाबालिग, या खुद मरीज के मामले में पति या पत्नी, माता-पिता या अभिभावक से लिखित सहमति प्राप्त किए बिना ऑपरेशन करना। इसके अतिरिक्त, ऐसे ऑपरेशन जिनमें बांझपन हो सकता है उस मामले में पति और पत्नी दोनों की सहमति लेने की आवश्यकता होती है।

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन या कृतिम गर्भाधारण, महिला मरीज, उसके पति और दाता (डोनर) की सूचित सहमति के बिना कराना। हालांकि, महिला मरीज को लिखित सहमति देना आवश्यक है। पर्याप्त जानकारियां, उद्देश्य, तरीकों, खतरों, और असुविधाओं के बारे में बताना, और की जाने वाली प्रक्रियाओं की संभावित विफलताओं और संभावित संयोगों और खतरों के बारे में भी बताना, डॉक्टर का कर्तव्य है।

फिर भी ये सभी, पेशे के दुराचार के प्रकारों की संपूर्ण सूची नहीं है। ऊपर दी गई परिस्थितियों के अलावा भी कई ऐसे और अनकहे कृत्य हैं जो पेशे के दुराचार के योग्य हो सकते हैं और जिस पर, उपयुक्त जिम्मेदार चिकित्सा परिषद उस पर कार्रवाई कर सकती है।

चिकित्सा पेशेवर (मेडिकल प्रोफेशनल) के खिलाफ शिकायत दर्ज करना

आप पेशेवर दुराचार के संबंध में अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए स्टेट मेडिकल काउंसिल या मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पास शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यहां पर भारत के सभी स्टेट मेडिकल काउंसिल की सूची दी गई है।

शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया

अगर स्टेट मेडिकल काउंसिल छह महीने से अधिक समय तक शिकायत पर फैसला नहीं करती है, तो शिकायतकर्ता मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से संपर्क कर सकता है। इसके अतिरिक्त, एमसीआई के पास स्वयम् स्टेट काउंसिल से मामले को वापस लेकर, और इसे खुद के पास स्थानांतरित करने का अधिकार है।

यदि कोई व्यक्ति स्टेट मेडिकल काउंसिल के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो वह काउंसिल के आदेश के 60 दिनों के अंदर निर्णय को चुनौती देने के लिए एमसीआई के पास जा सकता है। हालांकि, अगर समय 60 दिन से ज्यादा बीत गए हैं, तो एमसीआई उस व्यक्ति की शिकायत को स्वीकार कर भी सकती है, या नहीं भी।

सज़ा

शिकायत प्राप्त होने के बाद, संबंधित मेडिकल काउंसिल उस पेशेवर की सुनवाई करेगा। इसके अलावा, यदि वह व्यक्ति दोषी पाया जाता है, तो सजा काउंसिल द्वारा निर्धारित की जाती है। उदाहरण के लिए, काउंसिल उस पेशेवर के नाम को संबंधित रजिस्टर से, एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए, या पूरी तरह से हटाने के लिए निर्देशित कर सकता है। इसका मतलब यह है कि वह पेशेवर उस अवधि के लिए चिकित्सीय पेशा नहीं कर पाएगा।

वास्तुकार (आर्किटेक्ट) कौन होता है?

वास्तुकार वह व्यक्ति है, जो इमारतों को डिजाइन करता है और उनके निर्माण कार्य में अपना परामर्श देता है। भारतीय कानून उस वास्तुकार को मान्यता देता है जब उसका नाम और अन्य निजी सूचनाएं रजिस्टर ऑफ आर्किटेक्ट्स में दर्ज हो जाता है। इसका ब्याेरा वास्तुकला परिषद् (कॉउन्सिल ऑफ आर्किटेक्चर) रखता है। एक बार आर्किटेक्ट्स रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराने के बाद वास्तुकार को अपने पेशे को करने की अनुमति होती है। ऐसे रजिस्टर में वास्तुकार का नाम इस प्रकार दर्ज होने का अर्थ यह है कि वह वास्तुकला में निपुण है। नाम पंजीकृत करवाने के कुछ तरीके हैं, जो किसी विदेशी या भारतीय योग्यता के आधार पर हो सकते हैं।

भारतीय योग्यता के लिए, भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान की जाने वाली वास्तुकला की एक बैचलर डिग्री, नेशनल डिप्लोमा इन आर्किटेक्चर, बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर (बी. आर्क) की उपाधि, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology, IIT), भारतीय वास्तुकला संस्थान (Indian Institute of Architects) की सदस्यता, आदि द्वारा प्रदान की जाती है।

भारत, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्विटजरलैंड आदि जैसे देशों से विभिन्न डिग्रियों को मान्यता प्रदान करता है। इस सूची को आप यहां देख सकते हैं।

एक भारतीय नागरिक जिसके पास कोई भी योग्यता प्रमाण पत्र नहीं हैं, और यदि वह अपने पेशे में कम से कम पांच सालों से लगा है तो केन्द्र सरकार उसके आवेदन को पंजीकरण करने पर विचार कर सकती है।

एक आवेदक तब भी पंजीकृत माना जा सकता है यदि वह कानूनी नियमों से केंद्र सरकार द्वारा आर्किटेक्ट अधिनियम के तहत मान्यता प्राप्त संस्थान से पंजीकृत है।

किसी वास्तुकार के विरुद्घ शिकायत दर्ज करना

एक व्यक्ति वास्तुकार के आचरण के संबंध में शिकायत दर्ज कर सकता है यदि वास्तुकार सौंपे किए गए काम में निष्पक्षता और न्यायसंगत तरीके से नहीं करता है, या उसे कमीशन लेते हुए या इस तरह के किसी अन्य पेशेवर दुराचार (प्रफेशनल मिस्कन्डक्ट) के व्यवहार में संलिप्त पाया गया हो। आप वास्तुकला परिषद से उसकी शिकायत कर सकते हैं।

वास्तुकला परिषद (कॉउन्सिल ऑफ आर्किटेक्चर)

वास्तुकला परिषद, भारत सरकार द्वारा भारतीय संसद द्वारा अधिनियमित वास्तु-कला अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत गठित एक सांविधिक निकाय है। पूरे भारत में वास्तुकारों का पंजीकरण के अतिरिक्त वास्तुकला परिषद पर, भारत में पेशेेवर वास्तुकार की शिक्षा और व्यवहार को विनियमित करने की जिम्मेदारी रहती है। इसके अतिरिक्त, यह विशेषज्ञों की कमेटियों के माध्यम से समय-समय पर वास्तुकला के मानकों का निरीक्षण भी करता रहता है।

एक वास्तुकार के विरुद्घ शिकायत दर्ज करने और दंड देने की प्रक्रियाएं

किसी वास्तुकार के द्वारा अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करने को पेशेवर दुराचार (प्रफेशनल मिस्कंडक्ट) माना जाता है, और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाती है। इसके अतिरिक्त परिषद, जांच के बाद नीचे सूचीबद्ध किये तीन कदमों में से कोई एक कदम उठा सकती है:

  • उक्त वास्तुकार को फटकार लगाना
  • एक वास्तुकार के रूप में उसको पेशे से निलंबित करना
  • वास्तुकार रजिस्टर से वास्तुकार का नाम हटा देना

आप यहां शिकायत फॉर्म का प्रारूप पा सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा गठित एक समिति वास्तुकारों के खिलाफ सभी दर्ज शिकायतों और उनके दुराचार से संबंधित मामलों को देखती है।

इसके अलावा, यदि आपको कोई ऐसा अपंजीकृत व्यक्ति मिलता है जो किसी और के नाम का इस्तेमाल करते हुए ‘वास्तुकार’ के पद का गलत इस्तेमाल करता है, या आपकी ओर से गलत बयानबाजी करता है तो आप ऐसे व्यक्ति के खिलाफ संबंधित दस्तावेजों के साथ परिषद की वेबसाइट पर ऑन लाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

एक वास्तुकार के कर्तव्य

वास्तुकार को पेशे के कई कर्तव्य होते हैं, जिनका वह संपादन करता है। इसमें शिष्टाचार बनाए रखना, इमारतों के लिए वास्तु संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करना आदि शामिल हैं।

एक वास्तुकार के सामान्य कर्तव्य

  • कर्मचारियों और सहयोगियों को उपयुक्त कार्य वातावरण उपलब्ध कराना, उनको उचित प्रतिफल देना और उनके पेशेवर विकास का मार्ग प्रशस्त करना।
  • जब एक वास्तुकार एक या अधिक वास्तुकारों के साथ साझेदारी समझौते में प्रवेश करता है तो तो प्रत्येक भागीदार (पार्टनर) यह सुनिश्चित करेगा कि यह फर्म उप-विनियमन (सब-रेगुलेशन) के प्रावधानों का भी पालन करती है।
  • यह सुनिश्चित करे कि उनकी पेशेवर गतिविधियां, पर्यावरण और समाज कल्याण के प्रति उनके सामान्य उत्तरदायित्व की भावना के विरूद्घ न हो।
  • उचित तरीके से प्रतिस्पर्धा करना और समग्रता (इन्टेग्रिटी) के उच्च स्तर को बनाए रखना।

ग्राहक के प्रति एक वास्तुकार के कर्तव्य

  • वह ग्राहक को अनुबंध के शर्तों को और शुल्क स्तर (स्केल ऑफ चार्जेस) के बारे में बताए और इस बात की सहमति ले कि ये शर्ते नियुक्ति (अपॉइंटमेंट) का आधार बनेगी।
  • किसी भी तरह की छूट, कमीशन, उपहार या अन्य प्रलोभन न दें, या न लें।
  • एक निर्माण अनुबंध करते समय निष्पक्षता और ईमानदारी का व्यवहार करें।

अपने पेशे के प्रति एक वास्तुकार के कर्तव्य

अपने पेशे के प्रति वास्तुकार के निम्नलिखित कुछ निषेधकारी कर्तव्य हैं:

  • एक वास्तुकार द्वारा अपना काम दूसरे को देना, हालांकि कि यह हो सकता है यदि ग्राहक इससे सहमत है।
  • दूसरे वास्तुकार को बदलने या अधिक्रमण (सुपरसीड) करने का प्रयास।
  • काम पाने या काम को शुरु करने, या कमीशन लेने का प्रस्ताव करना, जिसके लिए वे जानते हैं कि किसी अन्य वास्तुकार को चुन लिया गया है, या नियोजित किया जा चुका है। यह दुराचार है जब तक कि उनके पास यह सबूत नहीं है कि पहले वास्तुकार का चयन, नियुक्ति या अनुबंध को समाप्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, उन्हें पिछले वास्तुकार को लिखित नोटिस देना होगा।
  • पेशेवर सेवाओं का विज्ञापन करना। एक वास्तुकार को अपने नाम को विज्ञापनों में शामिल करने, या अन्य प्रचार के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।