दोपहिया मोटरसाइकिल पर ट्रिपल राइडिंग (तीन लोगों का सवारी करना)

दोपहिया मोटरसाइकिल चलाते समय, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि:

• दोपहिया मोटरसाइकिल पर चालक सहित केवल दो लोग बैठे हैं1

• दूसरा व्यक्ति एक उचित सीट पर बैठा होना चाहिए, जो दो मोटरसाइकिलों पर सुरक्षित रूप से फिक्स की गई हो2

अगर आप ऊपर दी गई इन दो शर्तों का उल्लंघन करते हैं, तो आपको निम्न के साथ दंडित किया जा सकता है:

• कम से कम रु 1,000 का जुर्माना, हालांकि लागू जुर्माना राशि अलग अलग राज्यों में भिन्न हो सकती है।

• तीन महीने की अवधि के लिए आपको ड्राइविंग लाइसेंस धारण से अयोग्य घोषित किया जा सकता है3

नीचे दो राज्यों के लिए जुर्माने की राशि दी गई है:

राज्य  जुर्माना राशि (भारतीय रुपयों में) 
दिल्ली 1,000
कर्नाटक 500
  1. धारा 128(1), मोटर वाहन अधिनियम, 1988 []
  2. धारा 128(1), मोटर वाहन अधिनियम, 1988. []
  3. धारा 194C, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 []

बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाना

ड्राइविंग करते समय, हमेशा अपने साथ ड्राइविंग लाइसेंस की एक वैध प्रति रखना1, और मांगे जाने पर पुलिस अधिकारी को प्रस्तुत करना2 अनिवार्य है। अब, आप डिजिलॉकर (DigiLocker) या एमपरिवहन (mParivahan) ऐप3 पर अपने ड्राइविंग लाइसेंस की एक इलेक्ट्रॉनिक कॉपी भी रख सकते हैं। अगर आपके पास एक वैध ड्राइविंग लाइसेंस है, लेकिन अधिकारी द्वारा मांगे जाने पर पेश करने में नाकाम रहते हैं, तो आपको 500 से 1000 रुपये के बीच के जुर्माना भरना पड़ सकता है।4। आप वैकल्पिक रूप से इसे एक निर्धारित समय अवधि के भीतर, उस अधिकारी/प्राधिकारी को प्रस्तुत कर सकते हैं, जिसने आपसे इसकी मांग की है, जो अलग अलग राज्यों में भिन्न होता है। (धारा 130(4), मोटर वाहन अधिनियम, 1988))।

अगर आपका लाइसेंस किसी सरकारी प्राधिकरण या अधिकारी को प्रस्तुत किया गया है, या जब्त किया गया है, तो आपको एक रसीद या किसी अन्य प्रकार की पावती प्रस्तुत करनी होगी, और एक निर्धारित समय अवधि के भीतर लाइसेंस पेश करना होगा, जो अलग अलग राज्यों में भिन्न हो सकता है5, मोटर वाहन अधिनियम, 1988))।

अगर आप वाहन चलाते हैं और आपके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है या आपकी आयु कम है, तो आपके वाहन को एक पुलिस अधिकारी6

जुर्माने की लागू राशि राज्यों में भिन्न हो सकती है। नीचे दो राज्यों के लिए अलग-अलग अपराधों की जुर्माना राशि दी गई है।

राज्य  वाहन का प्रकार जुर्माना राशि (भारतीय रूपये में) 
दिल्ली लागू नहीं 5,000
कर्नाटक
दो पहिया/तीन पहिया वाहन
हल्का मोटर वाहन
अन्य
1,000
2,000
5,000
  1. धारा 6(3), मोटर वाहन (ड्राइविंग) विनियम, 2017 []
  2. धारा 130(1), मोटर वाहन अधिनियम, 1988 []
  3. धारा 139, केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 []
  4. धारा 177A, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 []
  5. धारा 130(1 []
  6. धारा 207 (1), मोटर वाहन अधिनियम, 1988) द्वारा जब्त और बन्द किया जा सकता है। इसके अलावा, आपको 5,000 रुपये का जुर्माना या 3 महीने तक की जेल, या दोनों से दंडित किया जा सकता है। ((धारा 181, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 []

जमानत का अधिकार

आपको जमानत का अधिकार है। जमानती अपराधों के मामले में इस अधिकार का सीधे इस्तेमाल किया जा सकता है। गैर जमानती अपराधों के लिए यह अधिकार न्यायालय के विवेक पर निर्भर है।

जमानत देने का तर्क यह है कि, अगर आरोपी के भागने का कोई बड़ा संदेह/खतरा नहीं है, तो इसका कोई कारण नहीं है कि उसे कैद में रखा जाए। जमानत का मिलना आमतौर पर मुकदमें के शुरुआती चरण में आता है।

न्यायालय किसी व्यक्ति को जमानत देते वक्त उसके लिंग, स्वास्थ्य और आयु को ध्यान में रखता है।यदि आप निम्नलिखित श्रेणी में से हैं, तो न्यायालय आपको अधिक आसानी से जमानत दे सकता है:

  1. महिलाएं
  2. सोलह वर्ष से कम उम्र के बच्चे
  3. बीमार और अशक्त लोग

कौन एफआइआर दर्ज कर सकता है

आप एफआइआर दर्ज कर सकते हैं यदि आप:

  • किसी जुर्म के शिकार हैं।
  • किसी जुर्म के शिकार व्यक्ति के परिचित या दोस्त हैं।
  • आपको किसी ऐसे जुर्म की जानकारी है जो किया जा चुका है या होने वाला है।

जरूरी नहीं है कि एफआइआर दर्ज कराने के लिए आपको अपराध की पूरी जानकारी हो। लेकिन यह जरूरी है कि आप जो कुछ भी जानते हैं, उसकी सूचना पुलिस को दें।

एफआइआर अपने आप में किसी के खिलाफ दर्ज कोई आपराधिक मामला नहीं है। यह सिर्फ किसी अपराधिक जुर्म से संबंधित पुलिस द्वारा प्राप्त की गई सूचना है। एक आपराधिक मामला तब शुरू होता है जब न्यायालय के समक्ष पुलिस द्वारा आरोप-पत्र दाखिल किया जाता है और राज्य द्वारा इसके लिये एक सरकारी वकील की नियुक्ति की जाती है।

वारंट के साथ गिरफ्तारी

एक गिरफ्तारी तब होती है जब किसी व्यक्ति को पुलिस द्वारा शारीरिक रूप से हिरासत में लिया जाता है। किसी भी व्यक्ति को, पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी के कारणों को बिना बताये, और किस कानून के अंतर्गत उसकी गिरफ्तारी की जा रही है इसकी सूचना बिना दिये, हिरासत में नहीं लिया जा सकता है।

आम तौर पर, पुलिस को किसी को गिरफ्तार करने के लिए वारंट की आवश्यकता होती है। जिन अपराधों के लिए वारंट की आवश्यकता होती है उन्हें गैर-संज्ञेय अपराध कहा जाता है। एक गैर-संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर, पुलिस को मजिस्ट्रेट से किसी खास व्यक्ति को गिरफ्तार करने की अनुमति लेनी होगी। मजिस्ट्रेट से प्राप्त यह अनुमति, वारंट के रूप में जानी जाती है।

बिना रजिस्ट्रेशन के वाहन चलाना

मोटर वाहनों को चलाने से पहले उनका पंजीकरण करना अनिवार्य है1, और अपने वाहन को पंजीकृत कराने के बाद, आपको एक पंजीकरण प्रमाणपत्र (आरसी)2 प्राप्त होगा। आरसी की मूल प्रति (कॉपी) या इलेक्ट्रॉनिक प्रति(कॉपी) साथ लेकर चलना और अपने वाहन पर पंजीकरण चिह्न प्रदर्शित करना अनिवार्य है3

अगर आप बिना पंजीकरण के मोटर वाहन चलाते हैं या चलाने की अनुमति देते हैं, तो पहली बार अपराध करने पर आपको 2,000 से 5,000 रुपये के बीच का जुर्माना, और 1 साल तक की जेल और बाद के अपराध के लिए 1 साल तक की जेल या 5000 और 10,000 रुपये के बीच जुर्माना, या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।4। लागू जुर्माना राशि राज्यों में भिन्न हो सकती है।

केवल निम्नलिखित कारणों से पंजीकरण प्रमाणपत्र न होने पर आप पर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता5:

• बीमारी या चोट से पीड़ित व्यक्तियों का परिवहन

• संकट या चिकित्सा आपूर्ति से राहत के लिए भोजन या सामग्री का परिवहन

हालाँकि, आपको अपने राज्य के क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) को 7 दिनों के भीतर सूचित करना होगा, कि आप ऊपर दिए गए दो कारणों से मोटर वाहन का उपयोग कर रहे हैं, अन्यथा आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

नीचे दो राज्यों की जुर्माने राशि दी गई है:

राज्य  अपराध की आवृत्ति जुर्माना राशि (भारतीय रुपयों में)
दिल्ली पहला अपराध 2,000 – 5,000
बाद के अपराध 5,000 – 10,000
कर्नाटक दो पहिया वाहन/तीन पहिया वाहन 2,000
हल्का मोटर वाहन

 

3,000
मध्यम/भारी वाहन और अन्य 5,000
  1. धारा 39, मोटर वाहन अधिनियम, 1988. []
  2. धारा 41, मोटर वाहन अधिनियम), 1988 []
  3. धारा 139, मोटर वाहन नियम, 1989 []
  4. धारा 192(1), मोटर वाहन अधिनियम, 1988 []
  5. धारा 192, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 []

जमानत को भलि भांति समझना

जब एक आरोपी व्यक्ति अदालत/पुलिस को आश्वासन देता है कि वह रिहा होने पर समाज से भागेगा नहीं और कोई नया अपराध नहीं करेगा, तब उसे जमानत दी जाती है । अतः, जमानत आमतौर पर इनमें से किसी एक खास तरीके से मिलता है:

जमानती बॉण्ड

जमानती बॉण्ड वह पैसा है जिसे किसी व्यक्ति द्वारा जमानत मिलने के लिये न्यायालय के पास जमा करना होगा। आरोपी व्यक्ति कहीं भाग नहीं जाए यह सुनिश्चित करने के लिये कि ऐसा किया जाता है। अपराध की प्रकृति के आधार पर जमा की गई राशि, कम या ज्यादा हो सकती है। यदि आपके पास पैसा नहीं है, तो ऐसी स्थिति में जमानत पाने के लिए आपकी संपत्ति को संलग्न किया जा सकता है। जमानत की राशि का कोर्ट में जमा होना या आपकी संपत्ति का संलग्न होना जमानत के लिए अनिवार्य है। जमानत बॉण्ड के तहत, न्यायालय उस व्यक्ति को देश की सीमा क्षेत्र न छोड़ने का आदेश दे सकता है, और जब भी जरूरत हो न्यायालय को रिपोर्ट करने के लिए कह सकता है।

व्यक्तिगत बॉण्ड

कुछ मामलों में आरोपी व्यक्ति को जमानत देते समय, न्यायालय उसे जमानती बॉण्ड से छूट दे सकता है, बल्कि इसके बदले उन्हें उनके वादे पर ही छोड़ सकता है, आमतौर पर इसे व्यक्तिगत बॉण्ड के रूप में जाना जाता है। व्यक्तिगत बॉण्ड पर जमानत किसी प्रतिभूति (स्युरिटी) के साथ, या बिना किसी प्रतिभूति के भी दी जा सकती है। न्याालय के पास ऐसे मामले में विवेकाधिकार है ताकि वे बिना प्रतिभूति के व्यक्तिगत बॉण्ड ले कर, एक आरोपी को रिहा कर सकें।

प्रतिभूति (स्युरिटी)

जब आप जमानत के लिए न्याालय से संपर्क करते हैं, तो कभी-कभी न्यायालय यह सुनिश्चित करने के लिए आप भाग नहीं जाएंगे, पर्याप्त गारंटी चाहता है। न्यायालय आपसे कुछ लोगों को, प्रतिभूति के तौर पर, यह जिम्मेदारी लेने के लिए कह सकता है। एक ही व्यक्ति को हमेशा के लिये प्रतिभूति के रूप में रहने की जरूरत नहीं है। एक व्यक्ति जो प्रतिभूति के रूप में दर्ज है, वह किसी समय स्वयं को प्रतिभूति की जिम्मेदारी से ‘मुक्त’ होने के लिए आवेदन कर सकता है। ऐसी परिस्थिति में, आपको अपने प्रतिभूति को बदलने की जरूरत पड़ेगी। आपको किसी और व्यक्ति को न्यायालय में ले जाने की जरूरत होगी जो आपके नये प्रतिभूति के तौर पर दस्तखत कर दे। यदि आप प्रतिभूति को बदल नहीं सकते हैं, तो आपको पुनः हिरासत में ले लिया जाएगा।

एफआइआर कैसे दर्ज करें

यदि कोई अपराध हुआ हो तो:

  • आप नजदीकी पुलिस थाने में जाएं: पुलिस थाना उस इलाके में होना जरूरी नहीं है जिस इलाके में अपराध हुआ हो। नजदीकी पुलिस थाने का पता लगाने के लिए कृपया ‘इंडियन पुलिस एट योर कॉल’ एप्प को डाउनलोड करें।

एंड्रायड फोन उपयोग करने वालों के लिए: https://play.google.com/store/apps/details?id=in.nic.bih.thanalocator&hl=en

एप्पल फोन उपयोग करने वालों के लिए: https://itunes.apple.com/in/app/indian-police-at-your-call/id1177887402?mt=8

जब आप एफआइआर दर्ज कराने पुलिस थाने जाते हैं, तो निम्नलिखित होता है:

  • आपको किसी ड्यूटी ऑफिसर के पास भेजा जाएगा। आप अधिकारी को या तो मौखिक रूप से बता सकते हैं कि क्या हुआ, या खुद विवरण लिख कर दे सकते हैं। अगर आप पुलिस को मौखिक रूप से बताएंगे, तो उन्हें उसे लिखना ही होगा।
  • ड्यूटी ऑफिसर इसके बाद जेनरल डायरी या डेली डायरी में एक प्रविष्टि (एंट्री) करेंगे।
  • अगर आपके पास लिखित शिकायत है, तो कृपया दो प्रतियां लेकर ड्यूटी ऑफिसर को दे दीजिए। दोनों पर मुहर लगेगी और एक आपको लौटा दिया जाएगा। स्टांप पर डेली डायरी नंबर या ‘डीडी’ नंबर रहता है जो इसका प्रमाण है कि उन्हें आपकी शिकायत प्राप्त हो गई है।
  • जब एक बार पुलिस ने इसे पढ़ लिया है, और यदि इसके सारे विवरण सही हैं तो आप एफआईआर पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। आपको मुफ्त में एफआइआर की एक कॉपी पाने का अधिकार है। आप एफआइआर नंबर, एफआईआर की तारीख और पुलिस थाने का नाम नोट कर लें। वैसी स्थिति में जब आपकी कॉपी गुम हो जाय तो आप इन विवरणों का इस्तेमाल कर ऑनलाइन से, एफआइआर को निशुल्क देख सकते हैं।

एफआइआर के दर्ज होने के बाद, उसकी विषय-वस्तु में बदलाव नहीं किया जा सकता है। हालांकि बाद में आप किसी भी समय पर अतिरिक्त जानकारी पुलिस को दे सकते हैं।

कुछ राज्यों एवं शहरों में एफआइआर और शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज की जा सकती हैं।

उदाहरण के लिए, दिल्ली में गुमशुदा व्यक्तियों या बच्चों, अज्ञात बच्चों या व्यक्तियों या शवों, वरिष्ठ नागरिक पंजीकरण, चोरी या लावारिस वाहन खोज या गुम हुए मोबाइल फोन के मामलों के लिए, ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है।

दोस्तों और परिवार को सूचित करना

जब आपको गिरफ्तार किया जा रहा है, तो इससे पहले कि आप हिरासत में ले लिये जाएं, आप एक व्यक्ति (दोस्त या परिवार के सदस्य) को चुन सकते हैं जिन्हें, आपकी गिरफ्तारी की खबर पुलिस को देनी होगी। यदि गिरफ्तार व्यक्ति के दोस्त या परिवार किसी और जिले या शहर में रहते हैं, तो पुलिस को उन्हें. आपकी गिरफ्तारी के बारे में सूचित करना ही होगा। उन्हें निम्नलिखित जानकारी देनी होगी:

  • गिरफ्तारी का समय
  • गिरफ्तारी की जगह
  • गिरफ्तार किये व्यक्ति को किस जगह हिरासत में रक्खा गया है

पुलिस, गिरफ्तारी के 8 से 12 घंटे की अवधि के अंदर, जिले की ‘कानूनी सहायता संगठन’ (‘लीगल एड ऑर्गनाइज़ेशन’) और उस क्षेत्र के पुलिस स्टेशन के माध्यम से, उसके रिश्तेदार या दोस्त को सूचित करती है।

पीयूसी प्रमाणपत्र के बिना वाहन चलाना

70 सीसी से कम इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकिलों को छोड़कर सभी मोटर वाहनों के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी)1, केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989) अनिवार्य है। यह प्रमाणपत्र इंगित करता है कि आपके वाहन से होने वाला धुएं का फैलाव नियंत्रण में है, और कानून के अनुसार है। यह पीयूसी प्रमाणपत्र किसी भी प्रमाणित प्रदूषण जांच केंद्र से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है, जो पेट्रोल पंप और कार मरम्मत की दुकानों पर मौजूद होते हैं।

आपको वाहन पंजीकरण2 के एक वर्ष के भीतर एक पीयूसी प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा। इस प्रमाण पत्र को वाहन के साथ रखना अनिवार्य है, और आपको इसे पुलिस अधिकारी द्वारा मांगे जाने पर प्रस्तुत करना होगा3, केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989))। एक पीयूसी प्रमाणपत्र केवल सीमित समय के लिए वैध होता है, और यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने पीयूसी प्रमाणपत्र की समय सीमा समाप्त होने से पहले उसका नवीनीकरण (रिन्यू)करें, अन्यथा, आप पर जुर्माना लगाया जाएगा।

अगर आपके पास पीयूसी प्रमाणपत्र नहीं है, तो पहली बार अपराध करने पर आपको कम से कम 500 रुपये के जुर्माने से दंडित किया जाएगा और उसके बाद के सभी अपराधों के लिए 1,500 का जुर्माना लगाया जाएगा।4। लागू जुर्माना राशि राज्यों में भिन्न हो सकती है।

नीचे दो राज्यों के लिए जुर्माने की राशि दी गई है:

राज्य  अपराध की आवृत्ति  जुर्माना राशि (भारतीय रुपयों में)
दिल्ली पहला अपराध 500
बाद का अपराध 1,500
कर्नाटक पहला अपराध 500
बाद का अपराध 1,000
  1. धारा 115(1)(7 []
  2. धारा 115(7), केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 []
  3. धारा 115(7 []
  4. धारा 177, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 []