इस्लामी निकाह को समाप्त करना

इस्लामिक कानून के तहत निकाह एक अनुबंध है, जो लिखित या मौखिक रूप में हो सकता है। कानून के तहत एक शादीशुदा मुस्लिम जोड़े को कुछ वैवाहिक दायित्वों को पूरा करना होता है जैसे कि साथ रहना और यौन संबंध बनाना। वैवाहिक दायित्वों के अलावा, उन्हें कुछ कानूनी दायित्वों को भी पूरा करना होता है, जैसे:

• पति और पत्नी की संपत्ति (भूमि, फ्लैट, निवेश और बीमा) का बंटवारा।

• पत्नी को गुजारा भत्ता देना।

• पत्नी का दहेज/मेहर का अधिकार।

जब इस्लाम में निकाह समाप्त हो जाता है, तो इसका मतलब यह है कि आपने अपने पति या पत्नी के साथ जो अनुबंध किया है वह भी समाप्त हो गया है। परिणामतः पति और पत्नी के बीच सभी दायित्व समाप्त हो जाते हैं, लेकिन सभी कानूनी दायित्वों का अंत नहीं होता।

निकाह को दो तरीकों से समाप्त किया जा सकता है।

जीवनसाथी की मृत्यु होने पर 

पति या पत्नी की मृत्यु से निकाह समाप्त हो जाता है। चूंकि निकाह की प्रकृति एक अनुबंध की है, तो पति या पत्नी की मृत्यु के परिणामस्वरूप उनके बीच अनुबंध समाप्त हो जाता है।

तलाक 

इस्लाम में तलाक कोर्ट को शामिल किए बिना भी किया जा सकता है। हालांकि, आप तलाक के दौरान जरूरत पड़ने पर न्यायालय को शामिल कर सकते हैं। तलाक का आवेदन पत्नी या पति कोई भी कर सकता है। निकाह निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से समाप्त हो सकता है:

• जब पति इसे समाप्त करना चाहता है।

• जब पत्नी इसे समाप्त करना चाहती है।

• जब पति-पत्नी दोनों इसे समाप्त करना चाहते हैं।

ज्यादातर मामलों में, पुरुष के पास कहने के लिए महिला की तुलना में अधिक विकल्प होते हैं कि वह अदालत का दरवाजा खटखटाए बिना निकाह समाप्त करना चाहते हैं। महिला के पास ऐसा करने का केवल एक उपाय है। हालांकि, कोर्ट के माध्यम से उसके पास अन्य मार्ग भी है।

हिंदू विवाह कानून के तहत विवाह समाप्त करना

विवाह संबंधी कानून भावनात्मक और वैवाहिक आवश्यकताओं को मान्यता देता है; इसमें कई कानूनी दायित्व शामिल हैं जैसे संपत्ति का मालिक होना, अपने बच्चों की देखभाल करना आदि। जब आप अपनी शादी समाप्त करते हैं, तो वैवाहिक संबंध समाप्त हो जाते हैं। लेकिन कुछ कानूनी बाध्यताएं फिर भी बनी रह सकती हैं।

वैवाहिक संबंध

कानून वैवाहिक संबंधों में इन् व्यक्यों को शामिल करता है :

• भावनात्मक सहारा

• यौन संबंध

• बच्चे और घरेलू जिम्मेदारियां

• वित्तीय सहायता

कानूनी दायित्व

आपकी शादी के दौरान आपके और आपके जीवनसाथी के कुछ कानूनी दायित्व हैं।

इनमें से कुछ दायित्व तलाक होने के बाद भी जारी रह सकते हैं। इन कानूनी दायित्वों के उदाहरण हैं:

गुजारा भत्ता या रखरखाव

• न्यायालय आपसे आपके जीवनसाथी को पैसे देने के लिए भी कह सकता है और यह एक कानूनी दायित्व है जो आपको तलाक के बाद उठाना होगा। इसे रखरखाव के रूप में जाना जाता है।

माता-पिता की ज़िम्मेदारी

• न्यायालय यह तय कर सकता है कि आपके बच्चों की कस्टडी किसके पास होगी और आर्थिक रूप से उनकी देखभाल कैसे की जाएगी।

 

न्यायालय द्वारा अकृतता की डिक्री

अमान्यता का एक निर्णय (न्यायालय द्वारा अकृतता (Nullity) की डिक्री)एक न्यायिक निर्णय है जो यह निर्धारित करता है कि विवाह कभी अस्तित्व में था ही नहीं। यह तलाक से इस मायने में अलग है कि वह विवाह को मानता है और तब उसे समाप्त करता है। अमान्यता का निर्णय घोषित करता है कि विवाह था ही नहीं और हमेशा शून्य रहा है क्योंकि ऐसी कई शर्तें हैं जिनके तहत भारत में विवाह को अवैध विवाह माना जा सकता है। एक पक्ष को दूसरे पक्ष के खिलाफ अदालत के समक्ष एक याचिका पेश करनी होती है, जिसमें विस्तार से रद्द करने का कारण बताया जाता है। 

इस्लामी निकाह में पति द्वारा तलाक की मांग

इस्लामी निकाह में एक पुरुष होने के तहत , आप निकाह के अनुबंध को समाप्त करके अपनी पत्नी को आसानी से तलाक दे सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि आपको अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़े, क्योंकि, आपके पास इस्लाम के तहत निर्धारित विभिन्न तरीकों के माध्यम से निकाह के अनुबंध को समाप्त करने के कई विकल्प हैं।

चूंकि आपका निकाह एक अनुबंध है, इसलिए आप चुनाव के आधार पर अपने निकाह को समाप्त कर सकते हैं। इस्लाम में कोई तलाक दोष नहीं है। अर्थात्, अन्य धर्मों में तलाक के विपरीत, आपको अपने पति या पत्नी द्वारा क्रूरता, व्यभिचार या किसी कभी न ठीक होने वाली बीमारी के कारण किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने की आवश्यकता नहीं है, जिससे आप अपना निकाह समाप्त करना चाहें।

निम्नलिखित उपाय करके पति आप अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है :

तलाक-ए-अहसन 

प्रथम चरण 

तुहर की अवधि के दौरान, तलाक के अहसन रूप में, आपको केवल एक बार ‘तलाक’ कहना होगा।

चरण 2

आप इद्दत की अवधि के दौरान इस ‘तलाक’ को वापस ले सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप ‘मैंने तुम्हें बनाए रखा है’ या ‘मैं अपना तलाक वापस लेता हूं’ या अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध रखने के कार्य से अपना तलाक रद्द कर सकता हैं। यदि आप इद्दत की अवधि समाप्त होने से पहले अपना तलाक वापस नहीं ले सकते हैं तो तलाक हो जाता है और यह अपरिवर्तनीय है। एक बार तलाक हो जाने के बाद आपको अपनी पत्नी और बच्चे दोनों की भलाई के लिए गुजारा भत्ता देना होगा।

तलाक ए-हसन 

तलाक ए-हसन रूप में, पति को तुहर में एक क्रम में तीन बार में ‘तलाक’ शब्द कहना पड़ता है।

तुहर

तुहर जिसका अर्थ है, पवित्रता, यह मुस्लिम महिलाओं में उन दिनों को इंगित करता है जब आपकी पत्नी मासिक धर्म में हो। इस समय-अवधी में स्त्री को अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने के अनुमति नहीं होती है। आप प्रत्येक तुहर की समय-अवधी के बाद आप अपना तलाक वापिस ले सकते हैं।

तलाक की प्रक्रिया 

प्रथम चरण 

जब आपकी पत्नी का मासिक धर्म समाप्त हो जाए तो आपको तलाक कहना होगा। इस अवधि के दौरान आपको अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाने की अनुमति नहीं होती, यदि आप फिर भी संबंध बनाते हैं तो इसका अर्थ यह है कि आपने पत्नी को तलाक देने का अपना निर्णय वापस ले लिया है। आप ऐसा कहकर या लिखकर अपने निर्णय रद कर सकते हैं।

चरण 2

जब आपकी पत्नी अपने मासिक धर्म से गुजरती है तो आपको तलाक बोलने की जरूरत है। इस वक्त भी, आप उसे शब्दों या आचरण के माध्यम से तलाक देने के अपने निर्णय को रद्द कर सकते हैं।

चरण 3

आपकी पत्नी के मासिक धर्म बंद होने के बाद अंतिम बार आपको तलाक कहना होता है। इसे वापस नहीं लिया जा सकता है और अंतिम तलाक का मतलब है कि तलाक अंतिम है। इसके बाद, आपका और आपकी पत्नी का निकाह समाप्त हो जाता है और आप अब तलाक वापस नहीं ले सकते।

तलाक के अहसन और हसन दोनों रूपों का अभ्यास और अनुमोदन सुन्नी और शिया मुसलमानों द्वारा किया जाता है।

हिंदू विवाह कानून के तहत तलाक के लिए फाइलिंग

तलाक आपके जीवनसाथी से अलग होने का एक अंतिम और अपरिवर्तनीय कृत्य है। इसके बावजूद अलग होने के बाद भी कुछ चीज़ें हैं जो बनी रहती हैं।

यदि वैध विवाह हुआ है, तो आप तलाक के लिए फाइल कर सकते हैं। हालांकि, यदि आपकी शादी की वैधता पर सवाल खड़ा होता है, तो आपको फिर भी अमान्यकरण के द्वारा अलग होने के लिए कानूनी रूप से अदालत का दरवाजा खटखटाना होगा।

न्यायालय से संपर्क करें

तलाक का मुकदमा दायर करने के लिए आपको कोर्ट जाना होगा। जब तक तलाक का मामला चल रहा है, तब तक आप अपने जीवनसाथी और बच्चों के प्रति कुछ कर्तव्य निभाते रहेंगे जैसे कि उन्हें वित्तीय सहायता देना आदि।

अमान्यता की शर्तें

ये हैं विवाह रद्द करने की शर्तें:

• यदि विवाह के समय किसी भी पक्ष की शादी किसी दूसरे व्यक्ति से पहले से हुई हो

• अगर कोई भी पक्ष गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित था

• अगर दोनों में से किसी भी पक्ष की उम्र न्यूनतम आयु से कम हो (महिलाओं के लिए 21 और पुरुषों के लिए 21)

• अगर आपका पति या पत्नी एक करीबी रिश्तेदार था (रिश्ते की प्रतिबंधित डिग्री के भीतर)

• अगर विवाह के समय और जब मामला न्यायालय के समक्ष पेश किया जाता है तो कोई भी पक्ष नपुंसक हो

• अगर दोनों में से कोई भी पक्ष विवाह के शारीरिक संबंध संपन्न करने से इंकार करता है

• अगर, शादी के समय, महिला पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति से गर्भवती थी। इन मामलों में, न्यायालय यह सुनिश्चित करता है कि आरोप सही हैं या नहीं

• अगर किसी भी पक्ष की सहमति धोखाधड़ी या जबरदस्ती से ली गई थी अगर ये शर्तें पूरी होती हैं तो विवाह रद्द किया जा सकता है

अगर ये शर्तें पूरी होती हैं तो विवाह रद्द किया जा सकता है

अगर पत्नी तलाक चाहती है

पत्नी द्वारा तलाक शुरू किए जाने पर इस्लामिक कानून के तहत निकाह के लिए तलाक के प्रावधान नीचे दिए गए हैं।

खुला

खुला तलाक पत्नी द्वारा शुरू किया जाता है। अगर आप अपने पति को तलाक देना चाहती हैं तो आप या तो सीधे कोर्ट जा सकती हैं या फिर किसी मुफ्ती के पास जा सकती हैं। अदालत या मुफ्ती पति को उपस्थित रहने के लिए कहेगी। और पति की उपस्थिति में अदालत या मुफ्ती पति से पूछेगी कि क्या वह प्रस्ताव स्वीकार करता है। एक बार जब पति प्रस्ताव स्वीकार कर लेता है, तो तलाक पूरा हो जाता है।

तलाक-ए-तफवीद 

निकाह के समय आपका पति निकाह के अनुबंध (कबी-नामा) के माध्यम से आपको तलाक का अधिकार सौंप सकता है तो आप उसे तलाक दे सकते हैं।

आपके पति के पास निकाह के समय निकाह के अनुबंध (कबीनामा) के माध्यम से आपको या किसी तीसरे व्यक्ति को तलाक का अधिकार सौंपने या स्थानांतरित करने की शक्ति है। यह समझौता अधिकार के ऐसे हस्तांतरण के लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं को सूचीबद्ध करता है।

यह आमतौर पर तलाक के लिए पूछने पर अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए आपको मेहर की राशि को त्यागना पड़ता है।

यदि पति / पत्नी हिंदू विवाह कानून के तहत तलाक चाहता / चाहती है

कभी-कभी विवाह में, आप कुछ परिस्थितियों के कारण तलाक चाहते हैं (जबकि आपका जीवनसाथी नहीं)। यदि इन परिस्थितियों में कानून के तहत क्रूरता, मानसिक बीमारी आदि आती है, तो आप अपनी सुनवाई के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं।

आपका जीवनसाथी इन कारणों से इनकार कर सकता है और न्यायालय को बता सकता है कि वह तलाक क्यों नहीं चाहता है।

कानून के तहत आप शादी के एक साल बाद ही तलाक की अर्जी दाखिल कर सकते हैं।

एक साल की अवधि

अगर आप अपने जीवनसाथी के खिलाफ तलाक फाइल करना चाहते हैं, तो कानून के तहत आपको तलाक के लिए फाइल करने के लिए शादी की तारीख से एक साल की अवधि तक इंतजार करना होगा।

उदाहरण के लिए, यदि जितेंद्र और वाहिदा की शादी 9 जनवरी, 2018 को हुई है, तो जितेंद्र को वाहिदा के खिलाफ तलाक फाइल करने के लिए कम से कम 9 जनवरी, 2019 तक इंतजार करना होगा।

एक वर्ष की अवधि के अपवाद

यद्यपि कानून एक वर्ष की प्रतीक्षा अवधि देता है, ऐसे कुछ कारण हैं जिनके द्वारा पक्ष इस समय सीमा से पहले न्यायालय जा सकते हैं, जैसे:

• जीवनसाथी में से किसी एक को असाधारण कठिनाई। उदाहरण के लिए, यदि आपका पति या पत्नी हर दिन आपको शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है, तो आप तलाक की अर्जी दाखिल करने के लिए कोर्ट जा सकते हैं।

• जीवनसाथीमें से किसी एक के लिए असाधारण भ्रष्टता। उदाहरण के लिए, यदि आपका पति या आपकी पत्नी आपको अपमानजनक यौन कार्य करने के लिए कह रहे हैं।

 

बातिल और फासीद शादियां

मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत, नियमों के उल्लंघन में विवाह को बातिल विवाह के रूप में जाना जाता है। वे विवाह जो आत्मीयता, पालन-पोषण आदि की शर्तों को भंग करते हैं, बातिल विवाह के उदाहरण हैं (जैसे, अपनी माँ की बहन से शादी करना)। किसी भी विवाह को अमान्य घोषित करने का एक और तरीका बातिल है। एक विवाह को रद्द किया जा सकता है अगर वह शून्य है और इसके मायने हैं कि विवाह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है। कुछ परिस्थितियों में, आपकी शादी को फासीद या अनियमित माना जा सकता है। ये प्रतिबंध अस्थायी हैं या आकस्मिक परिस्थितियों का परिणाम हैं-आम तौर पर अनियमित विवाहों को सुधारना संभव है (जैसे, बिना गवाहों के विवाह)।

इस्लामी निकाह में तलाक के लिए पत्नी द्वारा कोर्ट का दरवाजा खटखटाना

जीवनसाथी को तलाक देने के लिए कोर्ट जाने का प्रावधान केवल महिलाओं के लिए उपलब्ध है। कानून आपको निम्नलिखित कारणों से अपने पति को तलाक देने के लिए न्यायालय जाने की अनुमति देता है:

पति की अनुपस्थिति

• जब आपका पति 4 साल से अधिक समय से लापता हो।

• जब आपका पति 7 साल या उससे अधिक समय के लिए जेल में हो।

• जब आपका पति 2 साल तक भरण-पोषण का भुगतान करने में विफल रहा हो।

बीमारी या अक्षमता

• जब आपका पति नपुंसक हो।

• जब आपका पति पागलपन या असाध्य यौन रोग से पीड़ित हों।

• अगर आपका निकाह 15 साल की उम्र से पहले हुआ हो।

दुर्व्यवहार 

• यदि आपका पति आपके साथ क्रूर व्यवहार करता है।

• जब आपका पति अपने वैवाहिक दायित्वों जैसे कि उपभोग और सहवास का पालन नहीं करता हो।

ये सभी आधार कुछ शर्तों के अधीन हैं जिन्हें अधिक समझने के लिए आपको किसी वकील से परामर्श लेना चाहिए