इसके लिए शिकायत फोरम/हेल्पलाइन कौन-कौन सी है?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

यदि आप एसिड अटैक से बच गए हैं, तो आप निम्नलिखित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं:

पुलिस 

आप शिकायत करने के लिए पुलिस से संपर्क कर सकते हैं। आप हेल्पलाइन नंबर 100 पर डायल करके पुलिस से संपर्क कर सकते हैं। पुलिस एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) में अपराध की जानकारी दर्ज करेगी।

राष्ट्रीय महिला आयोग 

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) एक राष्ट्रीय स्तर का सरकारी संगठन है जिसे महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों से संबंधित शिकायतों की जांच करने का अधिकार है। राष्ट्रीय महिला आयोग निम्न मामलों में आपकी मदद करेगा:

• पुलिस के नेतृत्व में की जा रही जांच की निगरानी और उसमें तेजी लाने में।

• एसिड अटैक के मामलों में आरोपियों पर मुकदमा चलाने के संबंध में, ​​सर्वाइवर को चिकित्सा राहत प्रदान करने और सिस्टम के माध्यम से पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान कराने की निगरानी करने के संबंध में। यह एमआईएस प्रणाली के उपयोग के माध्यम से किया जाता है।

• राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष परामर्श प्रदान करना या सुनवाई करना। यह दोनों पक्षों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए किया जाता है।

आप हेल्पलाइन नंबर 1091 पर कॉल करके या ncw@nic.in पर ईमेल भेजकर या ऑनलाइन शिकायत दर्ज करके उनसे संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, आप अपने राज्य में स्थित राज्य महिला आयोग से भी संपर्क कर सकते हैं और उनसे मदद मांग सकते हैं।

सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट 

कोई व्यक्ति जिले के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) से भी शिकायत कर सकता है, क्योंकि एसिड अटैक के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है। इन दिशा-निर्देशों में, एसिड की बिक्री तथा एसिड बेचते समय दुकानदारों की भूमिका की जानकारी शामिल है।

वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों पर जुर्माना भी लगा सकते हैं।

राष्ट्रीय हेल्पलाइन 

कुछ राष्ट्रीय हेल्पलाइन जिनसे आप संपर्क कर सकते हैं, वे हैं:

राष्ट्रीय आपातकालीन नंबर (चिकित्सा भी) 112
महिला हेल्पलाइन (अखिल भारतीय)- संकटग्रस्त महिलाएं 1091
महिला हेल्पलाइन घरेलू दुर्व्यवहार 181
पुलिस 100
राष्ट्रीय महिला आयोग 011-26942369, 26944754
चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन हेल्पलाइन 1098
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग 011- 23385368/9810298900

 

स्टाकिंग क्या है?

[जारी चेतावनी: इस लेख में शारीरिक हिंसा, यौन हिंसा, दुर्व्यवहार और गाली-गलौज के बारे में जानकारी है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

यदि कोई व्यक्ति किसी की रूचि या सहमति न होने के बावजूद बार-बार किसी महिला का पीछा करता है, उससे संपर्क करता है या उसकी निगरानी करता है, तो इसे स्टाकिंग कहा जाता है। ‘स्टाकिंग’ किसी व्यक्ति द्वारा की जाने वाली कई गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक शब्द है, जिसे करने पर पीड़िता का जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है। कानून के तहत, केवल पुरुष को ही इस अपराध के लिए दंडित किया जा सकता है।

शारीरिक रूप से या फोन पर या यहां तक ​​कि ऑनलाइन भी स्टाकिंग की जा सकती है। पीछा करने का अपराध निम्न है:

बार-बार या लगातार पीछा करना।

उदाहरण के लिए, महिला की इच्छा न होने के बावजूद भी अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन किसी महिला को प्रेम पत्र भेजता है।

अगर कोई व्यक्ति किसी को असहज, प्रताड़ित, उत्पीड़ित कर या डरा-धमका कर आघात पहुँचाता है।

यह शारीरिक, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य महिला के ऑफिस में बार-बार फूल भेजे जाते हैं और ऐसा करना उसके लिए ऑफिस में उपहास का विषय बनाता है।

यह व्यक्तिगत स्पेस पर आक्रमण है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिदिन किसी महिला के कार्यस्थल तक पीछा किया जाता है।

किसी की सहमति के बिना महिला के साथ संबंध या व्यक्तिगत संपर्क स्थापित करने का प्रयास करना।

उदाहरण के लिए, यदि कोई उससे रिप्लाई की उम्मीद में किसी महिला को कई सारे व्हाट्सएप मैसेज भेजता है। ऑनलाइन स्टाकिंग करने पर जुर्माने के साथ तीन साल तक की जेल की सजा है। बार-बार अपराध करने वालों के लिए, यह सजा और अधिक है, यानी जुर्माना के साथ पांच साल तक की जेल।

आप कानून के उल्लंघन के बारे में किससे शिकायत कर सकते हैं?

न्यायालय निम्नलिखित से शिकायत प्राप्त होने पर कानून के तहत किसी अपराध का संज्ञान ले सकती है:

• उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का उपयुक्त प्राधिकरण, या

• केन्द्र या राज्य सरकार या संबंधित उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा प्राधिकृत एक अधिकारी, अथवा

• कोई भी व्यक्ति जिसने उचित प्राधिकारी को दिए गए प्रारूप में कथित अपराध और न्यायालय में शिकायत करने के उनके इरादे की कम से कम 15 दिन की सूचना दी हो।

दिल्ली और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों ने कानून के उल्लंघन पर सूचना देने वालों के लिए पुरस्कार योजना की पेशकश की है।

यात्रा के दौरान चोरी

यात्रा के दौरान किसी से चोरी करना अपराध है। उदाहरण के लिए, राम एक ऑटो रिक्शा में है, और शाम एक बाइक पर है, और श्याम राम का बैग छीन लेता है-इसे चोरी माना जाएगा।

यह 3 साल तक की जेल और/या जुर्माने के साथ दंडनीय है। यदि आपने यात्रा के दौरान चोरी का अनुभव किया है, तो शिकायत करने के लिए आप क्या कदम उठा सकते हैं, यह जानने के लिए यहां पढ़ें।

एक बच्चे का दूसरे बच्चे द्वारा ‘यौन उत्पीड़न’

यदि सात वर्ष से ज्यादा का कोई बच्चा, जो किसी दूसरे बच्चे के साथ यौन प्रताड़ना करता है या किसी अन्य तरीके से उसपर यौन आक्रमण करता है, तो इसे यौन उत्पीड़न माना जायेगा और उस बच्चे को ‘किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015’ जुवेनाइल जस्टिस (केयर एण्ड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन ऐक्ट, 2015) के तहत दंडित किया जा सकता है।

कानून यह मानता है कि 7 वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे के पास अपराध करने की मानसिक क्षमता नहीं बन पाती है क्योंकि कोई बच्चा अपने किए गए कार्यों के परिणामों को समझ नहीं सकता है।

कौन (LGBTQ+) व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सकता है

यदि आप उत्पीड़न और हिंसा का सामना करते हैं, तो आप अपनी लिंग पहचान के आधार पर कुछ कानूनों का इस्तेमाल कर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। चूंकि कानून के तहत लिंग की केवल तीन

मान्यता प्राप्त श्रेणियां हैं, ‘पुरुष’, ‘महिला’ और ‘तीसरा लिंग’ (ट्रांसजेंडर व्यक्ति)। और आप पर कौन सा कानून लागू होगा वह भी इस तथ्य पर निर्भर करता है कि आप लिंग की किस श्रेणी में आते हैं।

यदि आप पहले से ही जानते हो कि कौन सा कानून आपकी मदद कर सकता है तो यह प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराते समय काफी मददगार साबित होगा। आप वकीलों और गैर सरकारी संगठनों की मदद भी ले सकते हैं ताकि आपको पुलिस अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।

इस प्रश्न का उत्तर, कि आप किस कानून के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं, इस बात पर निर्भर करेगा कि आपको किस प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ा है:

यौन हिंसा

यौन हिंसा कई प्रकार की हो सकते हैं, जैसे बलात्कार या अन्य यौन अपराध जैसे अनुचित स्पर्श, पीछा करना आदि। कानून के तहत पुलिस में शिकायत आप दर्ज तब ही करा सकती हैं यदि आप एक महिला हैं। यद्यपि एक पारमहिला (ट्रांसवुमेन) को, उसकी लिंग सकरात्मक शल्य चिकित्स हुई हो या नहीं, एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराने का अधिकार है, लेकिन यदि आपको प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करते समय किसी भी परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो आपको पुलिस द्वारा उत्पीड़न या हिंसा को रोकने के लिए किसी वकील से मदद लेना बेहतर होगा। कानून के तहत, पुरुष या पारपुरुष (ट्रांसमैन) यौन हिंसा के शिकार नहीं हो

सकते हैं, इसलिए आपके लिए विकल्प यह है कि आप नीचे बताए गए शारीरिक हिंसाओं के कानूनों के तहत एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज कराएं।

शारीरिक हिंसा

यदि आपको किसी ने घायल कर दिया है, आपको चोट पहुंचायी है या किसी ने आपको बंदी बना लिया है, या कोई आपको अपनी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को करने में शारीरिक रूप से रोकता है, तो आप अपने उत्पीड़क के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं, भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों।

मनोवैज्ञानिक हिंसा

यदि कोई आपको चोट पहुंचाने की धमकी देता है, या आपसे फायदा उठाने या पैसे के लिए ब्लैकमेल करता है, तो आप अपने उत्पीड़क के खिलाफ एक प्राथिमिकी (एफआईआर) दर्ज करा सकते हैं, भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों।

ऑनलाइन पर हिंसा

भले ही आप एक पुरुष हों, एक महिला हों, या एक तीसरे लिंग (ट्रांसजेंडर) के व्यक्ति हों, आप ऑनलाइन से की गई किसी भी प्रकार के उत्पीड़न और हिंसा के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जो यौन, मनोवैज्ञानिक, या कंप्यूटर संबंधित अपराध, जैसे हैकिंग, प्रतिरूपण आदि हो सकते हैं।

 

चिकित्सा सहायता की तलाश

पीड़िताओं को चिकित्सा संस्थानों (सार्वजनिक और निजी (प्राइवेट) दोनों) से तत्काल और मुफ्त प्राथमिक चिकित्सा या चिकित्सा उपचार प्राप्त करने का अधिकार है। संस्था को आपराधिक घटना के बारे में पुलिस को भी सूचित करना चाहिए। यदि संस्था उपचार प्रदान करने और पुलिस को सूचित करने से इनकार करती है, तो संस्था के प्रभारी व्यक्ति को 1 वर्ष तक के कारावास और/या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

आपराधिक घटना की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर पुलिस पीड़िता को चिकित्सकीय परीक्षण के लिए अधिकृत चिकित्सक के पास भेजती है। चिकित्सा परीक्षण केवल पीड़िता या उसकी ओर से सहमति देने वाले किसी व्यक्ति की सहमति से हो सकता है। सहमति प्राप्त करने के बाद, डॉक्टर तुरंत पीड़िता की जांच करता है और पीड़िता के चोटों, मानसिक स्थिति आदि के बारे में निष्कर्ष के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है। रिपोर्ट में यह भी दर्ज किया जाता है कि सहमति प्राप्त की गई थी, और चिकित्सा परीक्षण शुरू होने एवम् अंत होने तक का निश्चित समय लिखा जाता है। डॉक्टर तुरंत संबंधित पुलिस अधिकारी, जो मामले की जांच कर रहा है, को चिकित्सा रिपोर्ट भेजता है और फिर अधिकारी उसे आगे मजिस्ट्रेट को भेजता है।

आप इस कानून के तहत मुआवजे का दावा कैसे कर सकते हैं?

ट्रिगर वॉर्निंग: निम्नलिखित विषय में शारीरिक हिंसा पर जानकारियां दी गई है, जिससे कुछ पाठकों को असहज महसूस हो सकता है। 

पीड़ित मुआवजा योजना, के तहत मुआवजे की मांग करने की प्रक्रिया इस प्रकार है:

चरण 1: एफआईआर दर्ज करना 

सर्वाइवर या उनकी ओर से किसी के द्वारा एफआईआर दर्ज करके अनिवार्य रूप से एसिड अटैक अपराध की रिपोर्ट दर्ज करनी होगी।

चरण 2: कानूनी सेवा प्राधिकरण को एफआईआर की कॉपी साझा करना

किसी पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (“SHO”), पुलिस अधीक्षक (“SP”) या पुलिस उपायुक्त (“DCP”) को अनिवार्य रूप से SLSA या DLSA के साथ एफआईआर की हार्ड या सॉफ्ट कॉपी साझा करनी होती है।

चरण 3: मुआवजे के लिए आवेदन 

सर्वाइवर, उसके आश्रित या रिश्तेदार, या एसएलएसए (SLSA) या डीएलएसए (DLSA) से संबंधित क्षेत्र के एसएचओ (SHO) मुआवजे की अंतरिम या अंतिम राशि का आवेदन कर सकते हैं। आवेदन पीड़ित मुआवजा योजना के तहत दिए गए प्रारूप में फॉर्म-I के रूप में जमा किया जाना चाहिए। इसे एफआईआर या आपराधिक शिकायत की एक कॉपी और, यदि उपलब्ध हो, मेडिकल रिपोर्ट या मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ दर्ज किया जाना चाहिए। इसके अलावा, अगर मुकदमा खत्म हो गया हो, तो आवेदक को अदालत के फैसले/सिफारिशों की एक कॉपी जमा करानी होगी।

चरण 4: कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रारंभिक जांच 

एसएलएसए या डीएलएसए तब मुआवजा देने के लिए हमले के तथ्यों का प्रारंभिक सत्यापन शुरू करता है।

चरण 5: मुआवजा प्राप्त करना 

मुआवजे की राशि एसएलएसए या डीएलएसए द्वारा एक बैंक में सर्वाइवर या आश्रित (आश्रितों) के संयुक्त या एकल नाम में जमा करके दी जाएगी। यदि सर्वाइवर के पास कोई बैंक खाता नहीं है, तो डीएलएसए सर्वाइवर के नाम पर एक बैंक खाता खोलने में मदद करेगा। यदि सर्वाइवर बाल देखभाल संस्थान में नाबालिग के रूप में है, तो बैंक खाता संस्था के अधीक्षक के पास अभिभावक के रूप में खोला जाएगा। हालांकि, यदि सर्वाइवर एक विदेशी नागरिक या शरणार्थी है, तो मुआवजा नकद कार्ड के माध्यम से दिया जाएगा।

सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के लिए विभिन्न राज्यों की योजनाओं, वन-स्टॉप सेंटरों, सुरक्षा अधिकारियों और हेल्पलाइन नंबरों के संपर्क आदि जानकारी के बारे में अधिक जानने के लिए, सर्वाइवर्स ऑफ वॉयलेंस के बारे में ज़रूरी जानकारी के लिए न्याया मैप को देखें।

फिजिकल स्टाकिंग क्या है?

[जारी चेतावनी: इस लेख में शारीरिक हिंसा, यौन हिंसा, दुर्व्यवहार और गाली-गलौज के बारे में जानकारी है जो कुछ पाठकों को विचलित कर सकती है। 

शारीरिक रूप से किसी की स्टाकिंग करना अपराध है, यानी किसी व्यक्ति के द्वारा एक महिला का पीछा करना, जहां भी वह जाती है और उसकी रूचि न होने के बावजूद भी उस महिला से संपर्क करने की कोशिश करना । कानून के तहत, केवल पुरुष को ही इस अपराध के लिए दंडित किया जा सकता है।

फिजिकल स्टाकिंग के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:

• प्रतिदिन किसी महिला के घर के बाहर प्रतीक्षा करना, उसके रुचि न होने के बावजूद भी प्रतिदिन उसे गिफ्ट और पत्र भेजना।

• किसी महिला का उनके कार्यस्थल से उन स्थानों तक पीछा करना जहां वो नियमित रूप से जाती है।

• बार-बार प्यार का इजहार करना या यौन सम्बन्ध की मांग या अनुरोध करना।

फिजिकल स्टाकिंग करने पर तीन साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। बार-बार अपराध करने वालों के लिए, यह सजा और अधिक है, यानी जुर्माने के साथ पांच साल तक की जेल।

हाउस ब्रेक-इन (घर में घुसना)

जब कोई घर में घुसकर चोरी करता है तो उसे ज्यादा सजा दी जाती है। अगर कोई निम्न के द्वारा चोरी करता है तो यह अपराध है:

• किसी भी तंबू, घर, आदि में घुसने पर , जिसका इस्तेमाल इंसानों के रहने या संपत्ति के भंडारण के लिए किया जाता है, 7 साल तक की जेल और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

• अगर कोई व्यक्ति,, किसी इमारत में अपराध करने, किसी व्यक्ति को भयभीत करने, अपमान करने या परेशान करने के लिए प्रवेश करता है, तो उसे 3 महीने तक की जेल और/या 500 रुपये तक के जुर्माने के साथ दंडित किया जाएगा।

अगर आपको चोरी के दौरान घर में तोड़-फोड़ का सामना करना पड़ा है, तो शिकायत करने के लिए आप जो कदम उठा सकते हैं, उसे समझने के लिए यहां पढ़ें।